अर्बुद अनुबंध (ट्यूमर कॉन्ट्रेक्ट) यदि किसी को कैंसर हो जाता है तो वह कभी ईश्वर को, कभी कैंसर को या अपनी किस्मत को कोसना शुरू कर देता है। लेकिन यह तो गलत बात है। बेहतर यही है कि आप स्थिति को सहज रूप से स्वीकार करें और अपने विवेक से समुचित उपचार करें। क्यों न आप अपने ट्यूमर से एक आपसी समझौता करने की बात कहें। एक ऐसा समझोता जिसमें दोनों का ही फायदा हो। इसमें आपको अपने आप से एक विधिवत अनुबंध करना पड़ेगा। इस अनुबंध का पहला पक्षकार भी आप हैं अर्थात जो आप आज हैं और दूसरा पक्षकार भी आप ही हैं, लेकिन जो आप आज से 12 महीने बाद होंगे। सुनने में यह बहुत अजीब पागलपन लगता हैं कि हम आपको आप से ही एक अनुबंध करने की बात कह रहे हैं। लेकिन आप याद करने की कौशिश कीजिये, शायद कभी आपने जीवन में इससे भी बड़े कई पागलपन किये होंगे। इस अनुबंध को बनाने से पहले आपको अपने ट्यूमर से खुल कर बात करना जरूरी है, आखिर वह भी तो आपके ही शरीर का हिस्सा है। उसे स्पष्ट समझाइये कि उसका इस तरह बढ़ना आपके स्वास्थ्य के लिए खतरे की बात है, इस तरह तो आपकी मृत्यु भी हो सकती है। यदि आपकी मृत्यु होती है तो उसकी भी मृत्यु निश्चित है। यह बात ट्यूमर को स्पष्ट समझाना बहुत जरूरी है। उससे कहिये कि इससे अच्छा तो यह होगा कि वे एक ऐसा समझौता करलें जिसमें दोनों ही पक्षों का ही फायदा हो और दोनों ही स्वस्थ और निरोगी जीवन जी सकें। इस अनुबंध में तीन अनुच्छेद होंगे। और इस अनुबंध की भूमिका में आप यह वचन देगे कि अगले तीन महीनें में आप अपने जीवन में क्या बदलाव लोयेंगे। जिनको आप अनुबंध के दूसरे अनुच्छेद में लिखेगे। अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले आप अपनी बेलेंस शीट, जेफरसन टेस्ट और अपनी डिजायर लिस्ट का एक बार पुनः अवलोकन कर लें। ये आपको उन कार्यो को चुनने में बहुत मदद करेंगे, जो आप अपने जीवन में करन