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Chapter 1 - माता का आँचल (प्रश्न अभ्यास)
Question 1:
प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कक बच्चे का अपने
पपता से अधधक जुडाव था, किर भी पवपदा के समय वह पपता के
पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या
वजह हो सकती है?
माता से बच्चे का ममत्व का रिश्ता होता है। वह चाहे अपने पपता से
ककतना प्रेम किता हो या पपता अपने बच्चे को ककतना भी प्रेम देता
हो पि जो आत्मीय सुख मााँ की छाया में प्राप्त होता है वह पपता से
प्राप्त नह ीं होता। भोलानाथ का अपने पपता से अपाि स्नेह था पि
जब उस पि पवपदा आई तो उसे जो शाींतत व प्रेम की छाया अपनी
मााँ की गोद में जाकि ममल वह शायद उसे पपता से प्राप्त नह ीं हो
पाती। मााँ के आाँचल में बच्चा स्वयीं को सुिक्षित महसूस किता है।
लेखक ने इसमलए पपता पुत्र के प्रेम को दशााते हुए भी इस कहानी का
नाम मााँ का आाँचल िखा है।
Question 2:
आपके पवचार से भोलनाथ अपने साधथयों को देखकर सससकना
क्यों भूल जाता है?
उसे अपनी ममत्र मींडल के साथ तिह−तिह की क्रीडा किना अच्छा
लगता है। वे उसके हि खेल व हुदगड के साथी हैं। उनके साथ वह
सबकु छ भुल जाता है। गुरू जी द्वािा गुस्सा किने पि वह अपने
पपता की गोद में िोने − बबलखने लगता है पिन्तु अपने ममत्रों को
मजा किते देख वह स्वयीं को िोक नह ीं पाता। माि की पीडा खेल की
क्रीडा के आगे कु छ नह ीं लगती। इसमलए िोना भुलकि वह दुबािा
अपनी ममत्र मींडल में खेल का मजा उठाने लगता है।
Question 3:
आपने देखा होगा कक भोलानाथ और उसके साथी जब−तब
खेलते−खाते समय ककसी न ककसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं।
आपको यदद अपने खेलों आदद से जुडी तुकबंदी याद हो तो सलखखए।
अपने अनुभव के आधाि पि इस प्रश्न का उत्ति दें।
Question 4:
भोलनाथ और उसके साधथयों के खेल और खेलने की सामग्री आपके
खेल और खेलने की सामग्री से ककस प्रकार सभन्न है?
भोलानाथ व उसके साथी खेल के मलए आाँगन व खेतों पि पडी चीजों
को ह अपने खेल का आधाि बनाते हैं। उनके मलए ममट्ट के
बतान, पत्थि, पेडों के पत्ते, गील ममट्ट , घि के समान आदद वस्तुए
होती थी जजनसे वह खेलते व खुश होते। पिन्तु आज हमािे खेलने
का सामान इन सब वस्तुओीं से मभन्न है। हमािे खेलने के मलए आज
कक्रके ट का सामान, मभन्न−मभन्न तिह के वीडडयो गेम व कम्पप्यूटि
गेम आदद बहुत सी चीजें हैं जो इनकी तुलना में बहुत अलग हैं।
भोलानाथ जैसे बच्चों की वस्तुए सुलभता से व बबना मूल्य खचा
ककए ह प्राप्त हो जाती हैं पिन्तु आज के बच्चों की खेल सामग्री
मूल्य खचा किने पि ह प्राप्त होती है।
Question 5:
पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वणणन कीजजए जो आपके ददल को छू
गए हों?
(1) भोलनाथ जब अपने पपता की गोद में बैठा हुआ आईने में अपने
प्रततबबम्पब को देखकि खुश होता िहता है। वह ीं पपता द्वािा िामायण
पाठ छोडकि देखने पि लजाकि व मुस्कु िाकि आईना िख देना ।
यहााँ बच्चों का अपने अि के प्रतत जजज्ञासा भाव बडा ह मनोहि
लगता है औि उसका शमााकि आईना िखना बहुत ह सुन्दि वणान
है।
(2) बच्चों द्वािा बािात का स्वाींग िचते हुए दुल्हन को मलवा लाना
व पपता द्वािा दुल्हन का घुघींट उटाने पि सब बच्चों का भाग
जाना, बच्चों के खेल में समाज के प्रतत उनका रूझान झलकता है
तो दूसि औि उनकी नाटकीयता, स्वाींग उनका बचपना।
(3) बच्चे का अपने पपता के साथ कु श्ती लडना। मशथथल होकि बच्चे
के बल को बढावा देना औि पछाड खा कि थगि जाना। बच्चे का
अपने पपता की मूींछ खीींचना औि पपता का इसमें प्रसन्न होना बडा
ह आनन्दमयी प्रसींग है।
Question 6:
इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृ तत का धचत्रण
है। आज की ग्रामीण संस्कृ तत में आपको ककस तरह के पररवतणन
ददखाई देते हैं।
तीस के दशक अथाात्1930 के आस-पास ग्रामीण सींस्कृ तत में
बनावट (ददखावा) जीवन का अभाव था। लोग बहुत ह सीधा-सादा
जीवन व्यतीत किते थे। उस समय ग्रामीण लोगों पि पवज्ञान का
अथधक प्रभाव नह ीं था। लोग बाजाि अथवा दूसिों पि कम आथित
थे। चोट लगने अथवा बबमाि पडने पि भी बाजारू दवाइयों के स्थान
पि घिेलु नुस्खों का अथधक प्रयोग किते थे।
पहले की तुलना में आज की ग्रामीण सींस्कृ तत में काफी परिवतान
आए हैं। अब गााँव में भी पवज्ञान का प्रभाव बढता जा िहा है; जैसे-
लालटेन के स्थान पि बबजल , बैल के स्थान पि ट्रैक्टि का
प्रयोग, घिेलु खाद के स्थान पि बाजाि में उप्लब्ध कृ बत्रम खाद का
प्रयोग तथा पवदेशी दवाइयों का प्रयोग ककया जा िहा है। पहले की
तुलना में अब ककसानों (खेततहि मजदूिों) की सींख्या घट िह है। घि
की छोट -छोट चीजों के मलए भी लोग दूसिों पि आथित हैं।
Question 7:
पाठ पढ़ते−पढ़ते आपको भी अपने माता−पपता का लाड−प्यार याद
आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंककत कीजजए।
अपने अनुभवों पि इस प्रश्न का उत्ति द जजये।
Question 8:
यहाँ माता−पपता का बच्चे के प्रतत जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे
अपने शब्दों में सलखखए।
भोलानाथ के पपता एक सजग, व स्नेह पपता हैं। उनके ददन का
आिम्पभ ह भोलानाथ के साथ शुरू होता है। उसे नहलाकि पुजा पाठ
किाना, उसको अपने साथ घुमाने ले जाना, उसके साथ खेलना व
उसकी बालसुलभ क्रीडा से प्रसन्न होना, उनके स्नेह व प्रेम को
व्यक्त किता है। उसको जिा सी भी पीडा हो जाए तो वह तुिन्त
उसकी ििा के प्रतत सजग हो जाते हैं। गुरू जी द्वािा सजा ददए जाने
पि वह उनसे माफी मााँग कि अपने साथ ह मलवा लाते हैं। यहााँ
भोलानाथ के मलए उनके असीम प्रेम व सजगता का प्रमाण ममलता
है। भोलानाथ की माता वात्सल्य व ममत्व से भिपूि माता है।
भोलानाथ को भोजन किाने के मलए उनका मभन्न−मभन्न तिह से
स्वाींग िचना एक स्नेह माता की ओि सींके त किता है। जो अपने
पुत्र के भोजन को लेकि थचजन्तत है। दूसि ओि उसको लहुलुहान व
भय से कााँपता देखकि मााँ भी स्वयीं िोने व थचल्लाने लगती है।
अपने पुत्र की ऐसी दशा देखकि मााँ का ह्रदय भी दुखी हो जाता है।
वह सािे काम छोडकि अपने पुत्र को अपनी बााँहों में भिकि उसको
सात्वींना देने का प्रयास किती है। अपने आाँचल से उसके शि ि को
साफ किती है, इससे उनकी मााँ का अपने पुत्र के प्रतत अममट
प्रेम, ममत्व व वात्सल्य का पता चलता है।
Question 9:
माता का अँचल शीर्णक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्णक
सुझाइए।
लेखक ने इस कहानी का नाम माँ का आँचल उपयुक्त िखा है। इस
कहानी में मााँ के आाँचल की साथाकता को समझाने का प्रयास ककया
गया है। भोलानाथ को माता व पपता दोनों से बहुत प्रेम ममला है।
उसका ददन पपता की छत्रछाया में ह शुरू होता है। पपता उसकी हि
क्रीडा में सदैव साथ िहते हैं, पवपदा होने पि उसकी ििा किते हैं।
पिन्तु जब वह सााँप को देखकि डि जाता है तो वह पपता की
छत्रछाया के स्थान पि माता की गोद में तछपकि ह प्रेम व शाजन्त
का अनुभव किता है। माता उसके भय से भयभीत है, उसके दु:ख से
दुखी है, उसके आाँसु से खखन्न है। वह अपने पुत्र की पीडा को देखकि
अपनी सुधबुध खो देती है। वह बस इसी प्रयास में है कक वह अपने
पुत्र की पीडा को समाप्त कि सके । मााँ का यह प्रयास उसके बच्चे
को आत्मीय सुख व प्रेम का अनुभव किाता है। इसके मलए एक
उपयुक्त शीषका औि हो सकता थामाँ की ममता क्योंकक कहानी में
मााँ का स्नेह ह प्रधान है। अत: यह शीषाक भी उथचत है।
Question 10:
बच्चे माता−पपता के प्रतत अपने प्रेम को कै से असभव्यक्त करते हैं?
बच्चे अपने माता−पपता के प्रतत प्रेम की अमभव्यजक्त अपनी पवपवध
प्रकाि की हिकतों से किते हैं -
(क) वे अपने माता−पपता से हट द्वािा अपनी मााँगे मनवाते हैं औि
ममल जाने पि उनको पवमभन्न तिह से प्याि किते हैं।
(ख) माता−पपता के साथ नाना−प्रकाि के खेल खेलकि।
(ग) माता−पपता को अपने िोजमिाा के खेल औि बातों को बताकि।
(घ) माता−पपता की गोद में बैठकि या पीठ पि सवाि होकि।
(ङ) माता−पपता के साथ िहकि उनसे अपना प्याि व्यक्त किते हैं।
Question 11:
इस पाठ में बच्चों की जो दुतनया रची गई है वह आपके बचपन की
दुतनया से ककस तरह सभन्न है?
यह कहानी उस समय की कहानी प्रस्तुत किती हैं जब बच्चों के
पास खेलने के मलए अत्याथधक साधन नह ीं होते थे। वे लोग अपने
खेल प्रकृ तत से ह प्राप्त किते थे औि उसी प्रकृ तत के साथ खेलते थे।
उनके मलए ममट्ट , खेत, पानी, पेड, ममट्ट के बतान आदद साधन
थे।
पिन्तु आज के बच्चों की दुतनया इन बच्चों से मभन्न है। आज के
बच्चे ट .वी., कम्पप्यूटि आदद में ह अपना समय व्यतीत किते हैं या
कफि कक्रके ट, बेडममन्टन, चाकॅ लेट, पपजा आदद में ह अपना बचपन
बबता देते हैं।
Question 12:
िणीश्वरनाथ रेणु और नागाजुणन की आंचसलक रचनाओं को पदढ़ए।
उनकी िचनाओीं को स्वयीं ढूींढकि पदढए।

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  • 1. Chapter 1 - माता का आँचल (प्रश्न अभ्यास) Question 1: प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कक बच्चे का अपने पपता से अधधक जुडाव था, किर भी पवपदा के समय वह पपता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है? माता से बच्चे का ममत्व का रिश्ता होता है। वह चाहे अपने पपता से ककतना प्रेम किता हो या पपता अपने बच्चे को ककतना भी प्रेम देता हो पि जो आत्मीय सुख मााँ की छाया में प्राप्त होता है वह पपता से प्राप्त नह ीं होता। भोलानाथ का अपने पपता से अपाि स्नेह था पि जब उस पि पवपदा आई तो उसे जो शाींतत व प्रेम की छाया अपनी मााँ की गोद में जाकि ममल वह शायद उसे पपता से प्राप्त नह ीं हो पाती। मााँ के आाँचल में बच्चा स्वयीं को सुिक्षित महसूस किता है। लेखक ने इसमलए पपता पुत्र के प्रेम को दशााते हुए भी इस कहानी का नाम मााँ का आाँचल िखा है। Question 2: आपके पवचार से भोलनाथ अपने साधथयों को देखकर सससकना क्यों भूल जाता है? उसे अपनी ममत्र मींडल के साथ तिह−तिह की क्रीडा किना अच्छा लगता है। वे उसके हि खेल व हुदगड के साथी हैं। उनके साथ वह सबकु छ भुल जाता है। गुरू जी द्वािा गुस्सा किने पि वह अपने
  • 2. पपता की गोद में िोने − बबलखने लगता है पिन्तु अपने ममत्रों को मजा किते देख वह स्वयीं को िोक नह ीं पाता। माि की पीडा खेल की क्रीडा के आगे कु छ नह ीं लगती। इसमलए िोना भुलकि वह दुबािा अपनी ममत्र मींडल में खेल का मजा उठाने लगता है। Question 3: आपने देखा होगा कक भोलानाथ और उसके साथी जब−तब खेलते−खाते समय ककसी न ककसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदद अपने खेलों आदद से जुडी तुकबंदी याद हो तो सलखखए। अपने अनुभव के आधाि पि इस प्रश्न का उत्ति दें। Question 4: भोलनाथ और उसके साधथयों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से ककस प्रकार सभन्न है? भोलानाथ व उसके साथी खेल के मलए आाँगन व खेतों पि पडी चीजों को ह अपने खेल का आधाि बनाते हैं। उनके मलए ममट्ट के बतान, पत्थि, पेडों के पत्ते, गील ममट्ट , घि के समान आदद वस्तुए होती थी जजनसे वह खेलते व खुश होते। पिन्तु आज हमािे खेलने का सामान इन सब वस्तुओीं से मभन्न है। हमािे खेलने के मलए आज कक्रके ट का सामान, मभन्न−मभन्न तिह के वीडडयो गेम व कम्पप्यूटि गेम आदद बहुत सी चीजें हैं जो इनकी तुलना में बहुत अलग हैं। भोलानाथ जैसे बच्चों की वस्तुए सुलभता से व बबना मूल्य खचा
  • 3. ककए ह प्राप्त हो जाती हैं पिन्तु आज के बच्चों की खेल सामग्री मूल्य खचा किने पि ह प्राप्त होती है। Question 5: पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वणणन कीजजए जो आपके ददल को छू गए हों? (1) भोलनाथ जब अपने पपता की गोद में बैठा हुआ आईने में अपने प्रततबबम्पब को देखकि खुश होता िहता है। वह ीं पपता द्वािा िामायण पाठ छोडकि देखने पि लजाकि व मुस्कु िाकि आईना िख देना । यहााँ बच्चों का अपने अि के प्रतत जजज्ञासा भाव बडा ह मनोहि लगता है औि उसका शमााकि आईना िखना बहुत ह सुन्दि वणान है। (2) बच्चों द्वािा बािात का स्वाींग िचते हुए दुल्हन को मलवा लाना व पपता द्वािा दुल्हन का घुघींट उटाने पि सब बच्चों का भाग जाना, बच्चों के खेल में समाज के प्रतत उनका रूझान झलकता है तो दूसि औि उनकी नाटकीयता, स्वाींग उनका बचपना। (3) बच्चे का अपने पपता के साथ कु श्ती लडना। मशथथल होकि बच्चे के बल को बढावा देना औि पछाड खा कि थगि जाना। बच्चे का अपने पपता की मूींछ खीींचना औि पपता का इसमें प्रसन्न होना बडा ह आनन्दमयी प्रसींग है। Question 6:
  • 4. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृ तत का धचत्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृ तत में आपको ककस तरह के पररवतणन ददखाई देते हैं। तीस के दशक अथाात्1930 के आस-पास ग्रामीण सींस्कृ तत में बनावट (ददखावा) जीवन का अभाव था। लोग बहुत ह सीधा-सादा जीवन व्यतीत किते थे। उस समय ग्रामीण लोगों पि पवज्ञान का अथधक प्रभाव नह ीं था। लोग बाजाि अथवा दूसिों पि कम आथित थे। चोट लगने अथवा बबमाि पडने पि भी बाजारू दवाइयों के स्थान पि घिेलु नुस्खों का अथधक प्रयोग किते थे। पहले की तुलना में आज की ग्रामीण सींस्कृ तत में काफी परिवतान आए हैं। अब गााँव में भी पवज्ञान का प्रभाव बढता जा िहा है; जैसे- लालटेन के स्थान पि बबजल , बैल के स्थान पि ट्रैक्टि का प्रयोग, घिेलु खाद के स्थान पि बाजाि में उप्लब्ध कृ बत्रम खाद का प्रयोग तथा पवदेशी दवाइयों का प्रयोग ककया जा िहा है। पहले की तुलना में अब ककसानों (खेततहि मजदूिों) की सींख्या घट िह है। घि की छोट -छोट चीजों के मलए भी लोग दूसिों पि आथित हैं। Question 7: पाठ पढ़ते−पढ़ते आपको भी अपने माता−पपता का लाड−प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंककत कीजजए। अपने अनुभवों पि इस प्रश्न का उत्ति द जजये।
  • 5. Question 8: यहाँ माता−पपता का बच्चे के प्रतत जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में सलखखए। भोलानाथ के पपता एक सजग, व स्नेह पपता हैं। उनके ददन का आिम्पभ ह भोलानाथ के साथ शुरू होता है। उसे नहलाकि पुजा पाठ किाना, उसको अपने साथ घुमाने ले जाना, उसके साथ खेलना व उसकी बालसुलभ क्रीडा से प्रसन्न होना, उनके स्नेह व प्रेम को व्यक्त किता है। उसको जिा सी भी पीडा हो जाए तो वह तुिन्त उसकी ििा के प्रतत सजग हो जाते हैं। गुरू जी द्वािा सजा ददए जाने पि वह उनसे माफी मााँग कि अपने साथ ह मलवा लाते हैं। यहााँ भोलानाथ के मलए उनके असीम प्रेम व सजगता का प्रमाण ममलता है। भोलानाथ की माता वात्सल्य व ममत्व से भिपूि माता है। भोलानाथ को भोजन किाने के मलए उनका मभन्न−मभन्न तिह से स्वाींग िचना एक स्नेह माता की ओि सींके त किता है। जो अपने पुत्र के भोजन को लेकि थचजन्तत है। दूसि ओि उसको लहुलुहान व भय से कााँपता देखकि मााँ भी स्वयीं िोने व थचल्लाने लगती है। अपने पुत्र की ऐसी दशा देखकि मााँ का ह्रदय भी दुखी हो जाता है। वह सािे काम छोडकि अपने पुत्र को अपनी बााँहों में भिकि उसको सात्वींना देने का प्रयास किती है। अपने आाँचल से उसके शि ि को साफ किती है, इससे उनकी मााँ का अपने पुत्र के प्रतत अममट प्रेम, ममत्व व वात्सल्य का पता चलता है। Question 9:
  • 6. माता का अँचल शीर्णक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्णक सुझाइए। लेखक ने इस कहानी का नाम माँ का आँचल उपयुक्त िखा है। इस कहानी में मााँ के आाँचल की साथाकता को समझाने का प्रयास ककया गया है। भोलानाथ को माता व पपता दोनों से बहुत प्रेम ममला है। उसका ददन पपता की छत्रछाया में ह शुरू होता है। पपता उसकी हि क्रीडा में सदैव साथ िहते हैं, पवपदा होने पि उसकी ििा किते हैं। पिन्तु जब वह सााँप को देखकि डि जाता है तो वह पपता की छत्रछाया के स्थान पि माता की गोद में तछपकि ह प्रेम व शाजन्त का अनुभव किता है। माता उसके भय से भयभीत है, उसके दु:ख से दुखी है, उसके आाँसु से खखन्न है। वह अपने पुत्र की पीडा को देखकि अपनी सुधबुध खो देती है। वह बस इसी प्रयास में है कक वह अपने पुत्र की पीडा को समाप्त कि सके । मााँ का यह प्रयास उसके बच्चे को आत्मीय सुख व प्रेम का अनुभव किाता है। इसके मलए एक उपयुक्त शीषका औि हो सकता थामाँ की ममता क्योंकक कहानी में मााँ का स्नेह ह प्रधान है। अत: यह शीषाक भी उथचत है। Question 10: बच्चे माता−पपता के प्रतत अपने प्रेम को कै से असभव्यक्त करते हैं? बच्चे अपने माता−पपता के प्रतत प्रेम की अमभव्यजक्त अपनी पवपवध प्रकाि की हिकतों से किते हैं - (क) वे अपने माता−पपता से हट द्वािा अपनी मााँगे मनवाते हैं औि
  • 7. ममल जाने पि उनको पवमभन्न तिह से प्याि किते हैं। (ख) माता−पपता के साथ नाना−प्रकाि के खेल खेलकि। (ग) माता−पपता को अपने िोजमिाा के खेल औि बातों को बताकि। (घ) माता−पपता की गोद में बैठकि या पीठ पि सवाि होकि। (ङ) माता−पपता के साथ िहकि उनसे अपना प्याि व्यक्त किते हैं। Question 11: इस पाठ में बच्चों की जो दुतनया रची गई है वह आपके बचपन की दुतनया से ककस तरह सभन्न है? यह कहानी उस समय की कहानी प्रस्तुत किती हैं जब बच्चों के पास खेलने के मलए अत्याथधक साधन नह ीं होते थे। वे लोग अपने खेल प्रकृ तत से ह प्राप्त किते थे औि उसी प्रकृ तत के साथ खेलते थे। उनके मलए ममट्ट , खेत, पानी, पेड, ममट्ट के बतान आदद साधन थे। पिन्तु आज के बच्चों की दुतनया इन बच्चों से मभन्न है। आज के बच्चे ट .वी., कम्पप्यूटि आदद में ह अपना समय व्यतीत किते हैं या कफि कक्रके ट, बेडममन्टन, चाकॅ लेट, पपजा आदद में ह अपना बचपन बबता देते हैं। Question 12: िणीश्वरनाथ रेणु और नागाजुणन की आंचसलक रचनाओं को पदढ़ए। उनकी िचनाओीं को स्वयीं ढूींढकि पदढए।