1. जवाहर लाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में एक धनाढ्य वकील मोतीलाल नेहरू के घर हुआ था। उनकी मााँ का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। वह मोतीलाल नेहरू के इकलौते पुत्र थे।
इनके अलावा मोती लाल नेहरू को तीन पुत्रत्रयाां थीां। नेहरू कश्मीरी वांश के सारस्वत ब्राह्मण थे।
जवाहरलाल नेहरू ने दुननया के कु छ बेहतरीन स्कू लों और ववश्वववद्यालयों में शशक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी स्कू ली शशक्षा हैरो से, और कॉलेज की शशक्षाट्रिननटी कॉलेज, लांदन से
पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कै म्ब्रब्रज ववश्वववद्यालय से पूरी की। इांग्लैंि में उन्होंने सात साल व्यतीत ककए म्ब्जसमें वहाां के फै त्रबयन समाजवाद और आयररश
राष्ट्िवाद के शलए एक तककसांगत दृम्ब्ष्ट्टकोण ववकशसत ककया।
जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की। 1916 में उनकी शादी कमला नेहरू से हुई। 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग में शाशमल हो गए। राजनीनत में
उनकी असली दीक्षा दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गाांधी के सांपकक में आए। उस समय महात्मा गाांधी ने रॉलेट अधधननयम के खिलाफ एक अशभयान शुरू ककया था। नेहरू,
महात्मा गाांधी के सकिय लेककन शाांनतपूणक, सववनय अवज्ञा आांदोलन के प्रनत िासे आकवषकत हुए।
नेहरू ने महात्मा गाांधी के उपदेशों के अनुसार अपने पररवार को भी ढाल शलया। जवाहरलाल और मोतीलाल नेहरू ने पम्ब्श्िमी कपिों और महांगी सांपवि का त्याग कर ट्रदया। वे अब
एक िादी कु ताक और गााँधी टोपी पहनने लगे। जवाहर लाल नेहरू ने 1920-1922 में असहयोग आांदोलन में सकिय ट्रहस्सा शलया और इस दौरान पहली बार धगरफ्तार ककए गए। कु छ
महीनों के बाद उन्हें ररहा कर ट्रदया गया।
जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर ननगम के अध्यक्ष िुने गए और उन्होंने शहर के मुख्य कायककारी अधधकारी के रूप में दो वषक तक सेवा की। 1926 में उन्होंने त्रब्रट्रटश
अधधकाररयों से सहयोग की कमी का हवाला देकर इस्तीफा दे ट्रदया।
1926 से 1928 तक, जवाहर लाल ने अखिल भारतीय काांग्रेस सशमनत के महासधिव के रूप में सेवा की। 1928-29 में, काांग्रेस के वावषकक सत्र का आयोजन मोतीलाल नेहरू की
अध्यक्षता में ककया गया। उस सत्र में जवाहरलाल नेहरू और सुभाष िन्र बोस ने पूरी राजनीनतक स्वतांत्रता की माांग का समर्थन ककया, जबकक मोतीलाल नेहरू और अन्य नेताओां
ने त्रब्रट्रटश साम्राज्य के भीतर ही प्रभुत्व सरपन्न राज्य का दजाक पाने की माांग का समथकन ककया। मुद्दे को हल करने के शलए, गाांधी ने बीि का रास्ता ननकाला और कहा कक त्रब्रटेन को
भारत के राज्य का दजाक देने के शलए दो साल का समय ट्रदया जाएगा और यट्रद ऐसा नहीां हुआ तो काांग्रेस पूणक राजनीनतक स्वतांत्रता के शलए एक राष्ट्िीय सांघषक शुरू करेगी। नेहरू और
बोस ने माांग की कक इस समय को कम कर के एक साल कर ट्रदया जाए। त्रब्रट्रटश सरकार ने इसका कोई जवाब नहीां ट्रदया।
ट्रदसरबर 1929 में, काांग्रेस का वावषकक अधधवेशन लाहौर में आयोम्ब्जत ककया गया म्ब्जसमें जवाहरलाल नेहरू काांग्रेस पाटी के अध्यक्ष िुने गए। इसी सत्र के दौरान एक प्रस्ताव भी
पाररत ककया गया म्ब्जसमें 'पूणक स्वराज्य' की माांग की गई। 26 जनवरी, 1930 को लाहौर में जवाहरलाल नेहरू ने स्वतांत्र भारत का झांिा फहराया। गाांधी जी ने भी 1930 में सववनय
अवज्ञा आांदोलन का आह्वान ककया। आांदोलन िासा सफल रहा और इसने त्रब्रट्रटश सरकार को प्रमुि राजनीनतक सुधारों की आवश्यकता को स्वीकार करने के शलए मजबूर कर
ट्रदया.
जब त्रब्रट्रटश सरकार ने भारत अधधननयम 1935 प्रख्यावपत ककया तब काांग्रेस पाटी ने िुनाव लड़ने का फै सला ककया। नेहरू िुनाव के बाहर रहे लेककन जोरों के साथ पाटी के शलए
राष्ट्िव्यापी अशभयान िलाया। काांग्रेस ने लगभग हर प्राांत में सरकारों का गठन ककया और के न्रीय असेंबली में सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हाशसल की।
नेहरू काांग्रेस के अध्यक्ष पद के शलए 1936 और 1937 में िुने गए थे। उन्हें 1942 में भारत छोड़ो आांदोलन के दौरान धगरफ्तार भी ककया गया और 1945 में छोि ट्रदया गया। 1947
में भारत और पाककस्तान की आजादी के समय उन्होंने अांग्रेजी सरकार के साथ हुई वाताकओां में महत्वपूणक भागीदारी की।