4. 1.छात्रों में काव्य के प्रति रूति उत्पन्न करना।
2.छात्रों को सस्वर कतविा विन का अभ्यास
करना।
3.छात्रों में भावानुभूति िथा सौंद थाानु भूति का
तवकास करना।
4.छात्रों को रिना के व्दारा भाव अवगि करना।
5. 1.छात्र काव्य के भावों को बोधगम्य करके अपने
शब्दों में प्रस्िुि कर सकें गे ।
2.छात्र बह्रयाडबरों से दूर रहने का प्रयास करेंगे ।
3.छात्र भाव, सौंदया, और तशल्प शौंदया को समझ
सकें गे ।
4.छात्र ईश्वर की सवाव्यापकिा के संदेश को ग्रहण
कर सकें गे ।
6. दनर्ााररत पुस्तकें तथा सांत कबीर का भाव
दित्र
(flash cards)
शामपट
खँडी और पोंच्िन एवां िाटा आदि ।
7. सवाप्रथम तवद्यातथायों को कबीरदास का पररिय
देिे हुए उनके काव्य पाठ साखी का भाव एवं
व्याख्यान तनम्न तितखि रूप से बिाया
जाएगा।
“जादत न पूछो सार्ु की, पूछ लीदजये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पडा रहन िो म्यान”।।
9. सज्जन की जादत न पूछ कर उसके
ज्ञान को समझना िादहए। तलवार
का मूल्य होता है न दक उसकी मयान
का – उसे ढकने वाले खोल का।
10. आदशा वािन को सुनकर िथा अनुकरण वािन
के द्वारा साखी का अथा िथा भाव ग्रहण करेंगे ।
शामपट पर देखकर तवतभन्न शब्दों के अथा िथा
उदाहरण तिखेंगे ।
तजज्ञासा समाधान हेिु प्रश्न पूछ सकिे ह ।
तदए गए अभ्यास काया िथा , गृहकाया को पूणा
करेंगें ।
मौतखक रुप से साखी के भाव बिा सकें गें ।
11. मौदखक रुप से िोहा पढवाना...
प्रश्न पूछकर अभ्यास करवाना...
िाटा दिखाकर दिर पुनरावृदत करवाना...
गृहकाया िेकर बच्िों में कबीर के बारे में
पूर्ात: ज्ञान प्राप्त करवाना....