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1|P ag e

माइक्रोवे–  वरदान या अिभशाप ???
आज हर समृद्ध और धुिनक �ी क� रसोईमें आपको माइक्रोवेव
आ
ज�र िमलेगा। िजन ि�यों के पास नहींहै वे खरीदने को  लालाियतबैठ
हैं। माइक्रोवेव के आने से गृहिणयों को िकतनी सह�िलयत हो गई है। रात
ही बच्चों का िटिफनतैयार कर , सुबह बस माइक्रोवेवमेंगमर् िकया
बच्चों को स ्कूल भेज िदया। पित का कोई पसन्दीदा व्यंजन बना,
बस ओवन में रख, टाइमर सेट िकया, स्टाटर् बटन दबाया और िनि�न
होकर टी.वी. देखने बैठ गये। दो िमनट में पोपकोनर् बन जाते हैं। बीस िम
में लज़ीज तंदूरी मुगार्तैयार पाइये। रात को पित लेट आये तो भ
माइक्रोवेव दो तीन िमनटमें खानागमर् कर देता है।न ग, न बार-बार
िहलाने का चक्कर है। िबजली भी कम खचर् होतीहै और खाना भ
फटाफट बन जाता है।  माइक्रोवेव से खाना बनाना सचमुच िकतन
आरामदायक हो गया है।   
लेिकन क्या इस सह�िलयत क� हम कोई भारी क�मत तो नहीं चुका रहे  ?
क्या माइक्रोवेव सचमुच खाना बनाने का प्राकृितक और स्वस्थ त ?
जी नहीं अब यह िसद्ध हो चुका है िक माइक्रोवेव हमारे भोज
स्वास्थ्य को िकतना नुकसानह�ँचाता है। मेरा यह लेख पढ़ 
प
माइक्रोवेव ओवन के बारेमें आपके िवचार हमेशा के िलए बदल जायें
आज मैं आपको बतला दूँगा िक यह मानवता का िकतना बड़ा दुष्मन,
मनुष्य के िलए एक अिभशाप है।  बड़े अचरज क� बात यह है िक अिधकतर
लोग इस बात से अंजान है, बेिफक्र हैं। यहबह�राष्ट्रीय संस्थानों क� सफल व्यावसाियक नीितयों का क�रश्मा ह
वै�ािनक यह तक कहने लगे हैं िक यिद आपके घर में माइक्रोवेव ओवन है तो उसे अपने सबसे बड़े दुश्मन को तोहफे में दे द

स्पेंसर भाई ने िकया माइक्रोवेव का आिवष्कार
सन् 1946 में अमे�रका के नौिसिखये और स्विशि�त(अथार्त ये महोदय कॉलेज नही
गये और घर पर िकताबें पढ़ कर ही अिभयंता बने थ) अिभयंता पस� लेबरोन स्पेंस
रेिथयोन कॉप�रेशन में राडार पर शोध कर रहे थे। एक िदन जब उन्होंने मेग्नेट्रो
क� एक वेक्यूम ट्यूब में िवद्युत प्रवािहत क� तो उनके कोट क�जेब में पड़ी 
िपघल गई थी। वे बड़े अचरज में पड़ गये। इससे प्रे�रत होकर दूसरे िदन उन्होंने ट
के पास पोपकोनर् बनाने वाली मक्का के थोड़े दाने रख िदये और ट्यूबमें िबजली चा
क� तो उन्होंने देखा िक मक्का के दाने पक कर फूटने लगे और तड़तड़ाहट क
आवाज के साथ उछट कर पूरे कमरे में िबखर गये। अगले िदन उन्होंने अपने दो
पी.आर.हेन्सन को भी बुला िलया और ट्यूब के पास एक अंडा रख िदया। उन्हों
देखा िक ट् यूब में  िवद्युत चालू करते ही अंडा थरथराने लगा।  थोड़ी ही देर बाद अं
फट गया और गमर -गमर् अंडे क� जद� उछट कर उनके चेहरे पर जा लगी। स्पें
अचानक गवर् से मुस्कुरा, उनके के चेहरे क� मुद्रा से ऐसा लग रहा थाजैसे उन्हो
कुछ जीत िलया हो, कुछ पा िलया हो। शायद वे  समझ चुके थे िक यह ट् यूब से िनकली िवद्य-चुम्बक�य तरंगों क� ऊजार् का कम
2|P ag e

है। उन्होंने पल भरमें सोच िलया िक यिद इस ऊजार् से चॉकलेट िपघल सकत, पोपकोनर् बन सकते हैं औरअंडा पक सकताह
तो इससे खाना भी पकाया जा सकता है।  
बस िफर क्या था उन्होने एक धातु का बक्सा बनव, िजसमें एक ढ़क्कन लगवाया और उसके एक कोनेमें मेग्नेट्रोन वेक्यूम
कस दी। बक्से में पकने के िलए एक कांच क� प्लेट में खाना रखा जो ट्यूब में िबजली प्रवािहत करने के थोड़ी देर में अच्छ
गया। थोड़ी और जद्दोजहद करके आिखर इस मुन्नाभाई टाइप के इंिजिनयर ने माइक्रोवेव का सरिकट बना ही ि1947 में
उन्होंने बड़े फ्र�ज़ के आकार क� दुिनया क� पहली माइक्रोवेव ओवन बनाई िजसका उन्हों-रेंज नाम रखा था। इस तरह ह�आ
माइक्रोवेव ओवन का आिवष्, जो आज बह�राष्ट्रीय कंपिनयो ं के िलए अरबों डालर का व्यवसाय बन चुक

माइक्रोवेव का ओवनकैसे काम करताह
इन चूल्होंमें भोजन माइक्रोवेव तरंगों द्वार
जाता है।   माइक्रोवेव तरंगे  िवद-चुम्बक�य तरंगे
होती है। जब भी िकसी चालक धातु में िवद्युत धा
प्रवािहत क� जातीहै तो उससे िवद-चुम्बक�य तरंगे
िनकलती हैं। माइक्रोवेवतरंगेबह�त सू�मतरंगे होती,
जो प्रकाश क� गि(186,282 मील प्रितसैकण्ड)
से चलती है। आधुिनक यग में  टेलीिवज, इंटरनेट या
ु
टेलीफोन  संदेशों के प्रसारण मे इक्रोवेव तरंगों 
मदद ली जाती है। माइक्रोवेव ओवनमें मेग्नेट्रो
क� एक वेक्यूम ट्यूब होती है। इस ट्यूब मे3-4 हजार
वोल्टेज पर60 Hz आवृि� क�  DC िवद्युत धार
प्रवािहत क� जातीहै िजससे ट्यूब स2450 Mega Hertz (MHz) or 2.45 Giga Hertz (GHz) क� िवद्य-चुम्बक�य तरंगे
िनकलती हैं।3-4 हजार  वोल्टेज एक स्ट-अप ट्रांसफोमर्र रेिक्टफायर क� मदद से तैयार िकया जाता ह
माइक्रोवेव एकांतर िवद-धारा AC (Alternating current) के िसद्धांत पर काम करतीहै। िकसी भी तर-ऊजार् के हर चक्र में 
प�रवतर्न होता ह, अथार्त नकारात्मक ध्रुव सकारात्मक हो जाता है और सकारात्मक ध्रुव नकारात्मक हो 
2.45 Giga
Hertz (GHz) क� माइक्रोवेव तरंगों में यह ध्रुवप�रवतर्न एक सेकण्ड में लाखों करोड़ोंबार होता है। भोजन और पानीक
भी  नकारात्मक और सकारात्मक ध्रुव होते हैं। इसिलए जब माइक्रोवेव तरंगें भोजनकेसंपकर् में आती हैं तो भोजन के
इस ध्रुव प�रवतर्न के कारण प्रचण िवध्वंस कंपन या स्पंदन होता ह, और वह भी एक सैकण्ड में ला-करोड़ों बार। इस
कंपन के कारण भोजन और पानी के अणुओं में तेज घषर्ण होता, िजससे ऊष्मा पैदा होती है और भोजन तेजी से गमर् होताहै
लेिकन इस तेज घषर्ण से भोजन के अणु िबखरने व टूटने लगते ह, म्यूटेशन हो जाता है और कोिशका क� िभि�यां फट जाती हैं 
परमाणु या अणुओं के नािभक�य िवघटन ( Nuclear Decay) के फलस्व�प िनकलने वाली िवद्-चुम्बक�य तरंगों को िविकर
(Radiation) कहते हैं। माइक्रोवेव ओवनमें भी नािभक�य िवघटन होता । इसिलए वास्तव में इस उपकरण का नाम िविकर
चूल्हा यारेिडयेशन ओवन ही होना चािहये। लेिकन आप ही  सोिचये िक क्या इस नाम से ये बह�राष्ट्रीय संस्थान एक भी ओवन
पाते???

तरंगों का तकनीक� तरान
आयाम (amplitude) तरंग (Waves) के उच्चतम व िनम्नतम भागों को : शीषर्(crest) व गतर्(trough) कहते हैं। शीष
(crest) व गतर्(trough) के बीच क� दूरी 'A'  को तरंग का आयाम (amplitude) कहते है ।
3|P ag e

तरंग दैध्य (wavelength) तरंग दैध्य (wavelength) तरंगों क�  िनकटवत� दो शीष

(अथवा गत�) के मध्य क� दूरी को

व्य� करत है।

आविृ � V (frequency) तरंग क� आवृि� V (frequency) उन तरंगों क� संख्याहै जो िक िबंदु से प्रित सेकेण्ड गुजर
हैं। आवृि� का मात्रक क/सेकेण्ड अथव हटरज (Hz) है।

िवद्य-चुम्बक�य िविकर

िवद्य-चुम्बक� तरंगों के संचरण के िलए िकसी
माध्यम क� आवश्यकता नहीं होती तथा येतर िनवार्त( space) में भी संच�रत हो
सकती हैं प्रकाश तरं , ऊष्मीय िविकर , एक्स िकरण , रेिडयो तरंगें आि िवद्यचुम्बक�य तरंगों के उदाहरण हैं। इनतरंगों का तरं ध्य (wave length) काफ� िवस्तृत
होता है। इनका तरंग दै ध्य 10-14 मी. से लेकर 104 मी. तक होता है।

सन् 1989 में िमनेसोटा िव�िवद्यालय ने भी चेतावनी जारी क� थी िक िशशुओं के दूध क� बातलें माइक्
ओवन में गमर् नहीं करनी चािहये क्योंिक इसे दूध के िवटािमन न� हो जा, पौषक तत्व िवकृत हो जाते हैं ज
स
िशशु क� र�ा-प्रणाली को कमजोर करते हैं और मिस्तष्क व गुद� को �ित पह�ँचाते हैं।  माइक्रोवेव में गमर
बोतल बाहर से तो ठंडी लगती है परंतु अंदर का दूध बह�त गमर् रहता है िजससे िशशु का मुंह जल भी सकता है

डॉ. हट�ल ने माइक्रोवेव के सच को दुिनया के सामने रख
डॉ. हन्स अल�रच हट�ल िस्वट्जरलैंड क� एक बड़ी -पदाथर् बनाने वाले संस्थानमें भोजन वै�ाि
के पद पर काम करते थे। कुछ वष� पहले उन्होंने भोजन पर प्रितकूल और हािनकारक प्रभाव डालने
कुछ गलत तौर-तरीके बदलने और माइक्रोवेव का प्रयोग बंद करने के िलए संस्थान के उच्चािधक
पर जोर डाला तो संस्थान ने उन्हे नौकरी से ही िनकाल िदया। सन1991 में उन्होंने लौस
िव�िवद्यालय के एक प्रोफेसर के साथ िमल कर अपने-पत्र और आलेखफ्रेंज वेबर जरन19 वें
अंक में प्रकािशत िकये। उन्होंने बतलाया िक माइक्रोवेव में पका खाना खाने से कैंसर जैसी बीमा
सकती है।
हट�ल ने िस्वस फेडरल इिन्स् टट्यूट ऑफ बायोकेिमस्ट्री और यूिनविसर्टी इिन्स्टट्यूट फोर बाय
के बरनाडर् ए. व्लैंक के साथ िमल कर इस िवषय पर शोध कायर् को आगे बढ़ाया। इन्होंने आठ बन्दों पर प्रयोग िकये। इन
4|P ag e

कुछ समय तक माइक्रोवेव से पकायाह�आ भोजन िखलाया गया। भोजन िखलाने के पहले और कुछ समय बाद उनके र� के क
नमूने िलये गये।  जांच करने पर पता चला िक माइक्रोवेवमें पके भोजन खाने वाले लोगों का हीमोग्लोिबन कम हो गया था। द
महीने िस्थित और िबगड़ी। यिद इन बन्दों को माइक्रोवेव मेंपका ह�आ भोजन एक साल या उससे भी ज्यादा समय तक िदय
तो पता नहीं क्या िस्थित होती
माइक्रोवेव के प्रभाव से उनके �ेत र�( Lymphocytes) और HDL (अच्छ) कॉलेस्ट्रोल कम ह�आ  LDL (खराब)
कॉलेस्ट्रोल ।  यह भी अच्छे संकेत नहीं हैं और शरीर में रोग और अपक(Degeneration) को दशार्ते हैं

बदले में हट�ल को िमली  प्रता
हट�ल और ब्लैंक ने अपने श-पत्रों कोसचर् फोर ह1992 के बसंत ऋतु अंक में प्रकािशत कर िदया। इसके बाद तो जैसे भूच
आ गया।  िस्वटजरलैंड के घरेलू िवद-उपकरण बेचने और बनाने वाले व्यापारी और उद्योगपितयों क� तो जैसे वाट ही लग 
बौखलाहट में इस अमीर लौबी ने इन दोनों पर झूँठा मुकदमा ठोका और सेिफ्टगन अदालत के न्यायाधीश को मोटी �र�त द
इनके िखलाफ फैसला भी करवा िदया। न्यायाधीश ने इन पर माइक्रोवेव ओवन बेचने और बनाने वाले उद्योगपितयों को 
नुकसान पह�ँचाने का आरोप लगाया और इन्हें सख्त आदेश िदये िक वे अपने -पत्र कहीं भी प्रकािशत नहीं करेंगे वनार् उन्
जुमार्ना भरना पड़ेगा या एक साल के िलए कैद क� सजा भुगतनी होगी।  ब्लैंक तो बेचारा डर गया लेिकन हट�ल -शहर घूमने 
िनकल पड़ा और वह लोगों को अपनी शोध के बारे में बतला, व्याख्यान देता और न्याय के िलए गुहार लगाता
1991 में ओक्लाहोमामें एक नोमार् लेिवत नामक �ी के कूल्हे क-िक्रयाह�ई थी। उसक
खून चढ़ाने से मृत्यु हो गई थी और मृत्यु का कारण यह था िक नसर् ने ठंडी खून क� बोतल 
माइक्रोवेव ओवनमें हल्का सा गमर् कर िलया था। इतनी घातक होती है माइक्रोवेव त

अंत में ह�ई सत्य क� िव
लंबी लड़ाई लड़ने के बाद आिखर 25 अगस्, 1988 को स्ट्रॉस, फ्रांस क� मानवािधकार अदालत से हट�ल को न्याय िमल
न्यायाधीश ने हट�ल पर िस्वस अदालत द्वारा लगाये गये सारे प्रितबंध हटा िदये और िस्वस अदालत को कड़ी फटकार ल
तुरन्त हट�ल को हरजाने के �प में40,000 फ्रैंक भुगतान करने के आदेश िदये। ये सारी बाते इितहास के पन्नों में द

�स ने क्यों औरकैसे िकया माइक्रोवेव को प्रि
िद्वतीय िव� युद्ध के बाद �स में भी रेिडयो टेक्नोलोजी , िक्लंस्क बाईलोरिशया ने माइक्रोवेव ओवन के कुप्रभावों प
प्रयोग और श-कायर् िकये। अमे�रका के शोधकतार् िविलयम कोप ने �स और जमर्नी में माइक्रोवेव से संबंिधत शोध का
व्याख्या क� और लोगों के सामने रखा। इसके िलए इस बेचारे को अमरीक� सरकार ने व्यथर् परेशान िकया और उस पर मु (J.
Nat. Sci, 1998; 1:42-3) भी दायर िकया। �स में ह�ई शोध से ये बातें सामने आई थी
1. माइक्रोवेव के प्रभाव से आणिवक िवघटन होता है िजससे भोजन में भारी मात्रा में अप्राकृितक रेिडयोलाइिटक यौिग
हैं। ये र� को नुकसान पह�ँचाते हैं और शरीर क� र-प्रणाली को कमजोर बनाते हैं। वैसे तो सामान्य तरीके से भोजन पकाने
भी थोड़े बह�त रेिडयोलाइिटक यौिगक बनते है, लेिकन मात्रा नगण्य होने क� वजह से शरीर को नुकसान नहीं पह�ँचा पाते 
शायद इसिलए भी आहारशा�ी अपक्व आहार क� अनुशंसा करते हैं
5|P ag e

2. माइक्रोवेव ओवनमें खाना पकाने से उसमें कैंसर पैदा करने वाले खतरनाक डी-नाइट्रो-डाइ-इथेनोलेमीन (d-Nitrosodi-ethanolamine) बन जाते हैं।
3. प्रोटीन के अणु अिस्थर और िनिष्क्रय हो जाते हैं। दूध औरअनाज में िवद्-हाइड्रोसाइलेट यौिगकमें भी कैंसरक
कण बन जाते हैं।
4. माइक्रोवेवमें पकाने से फलों में िवद्यमान ग्लूकोसाइड और गेलेक्टोसाइड का पाचन और चयापचय भी बुरी तरह प्र
है। सिब्जयो में मौजूद अल्केलोइड भी िनिष्क्रय हो जात
5. माइक्रोवेवमें पकाने से कंदमूल सिब्जयों जैस, अरबी, मूली आिद में कैंसरकारी मु�कण बन जाते ह
6. माइक्रोवेवमें बना खाना खाने से र� में कैंसर कोिशकाओं और मु�कणों का प्रितशत बढ़ ज
7. माइक्रोवेवमें पका खाना खाने से स्मर, एकाग्र, बुिद्धम�ा और भावनात्मक िस्थरता कमजोर पड़ती है। लंबे समय
िनयिमत माइक्रोवेव  का  खाना खाने से मिस्तष्क क�  कोिशकाओं में शोटर् सिकर्ट होनेलगता है और मिस्तष्क  स्
�ितग्रस्त होने लगता ह
8. माइक्रोवेवमें पका खाना खाने से पु�ष और �ी हाम�न्स का स्राव कम होत
9. माइक्रोवेव भोजन क� रासायिनक बनावट िबगड़ जातीहै िजससे शरीर का िलम्फेिटक िसस्टम भी ठीक से काम नहीं कर 
और र�ाप्रणाल(Immunity) कमजोर पड़ जाती है।
10. माइक्रोवेवमें पकाने से भोजन में आई अिस्थरता और िवकृित के कारण पाचनतंत्र संबंधी रोग हो जाते हैं। यहा
आमाशय और आँतों का कैंसर भी हो सकता हैं और पाचन तथा उत्सजर्न तंत्र भी कमजोर पड़जा
11. माइक्रोवेवमें पकने से भोजन क� गुणव�ा और पौि�कता परबह�त बुरा असर पड़ता है। िवटािमन-कॉम्प्ले, िवटािमन-सी,
िवटािमन-ई, खिनज, वसाअम्ल न� होजाते ह, मांस में िवद्यमान न्युिक्लयोप्रोटीन्स िनिष्क्रय हो जाते हैं और सभ
का थोड़ा-बह�त संरचनात्मक िवघटन होता ही है।
इन कारणों से �स ने1976 में माइक्रोवेव को पूरी तरह प्रितबंिधत कर िद, लेिकन �स के राजनीितक संक्रमण के बाद क
सरकार ने यह प्रितबंध खत्म कर ि था।

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Microwave boon or blight in Hindi

  • 1. 1|P ag e माइक्रोवे– वरदान या अिभशाप ??? आज हर समृद्ध और धुिनक �ी क� रसोईमें आपको माइक्रोवेव आ ज�र िमलेगा। िजन ि�यों के पास नहींहै वे खरीदने को लालाियतबैठ हैं। माइक्रोवेव के आने से गृहिणयों को िकतनी सह�िलयत हो गई है। रात ही बच्चों का िटिफनतैयार कर , सुबह बस माइक्रोवेवमेंगमर् िकया बच्चों को स ्कूल भेज िदया। पित का कोई पसन्दीदा व्यंजन बना, बस ओवन में रख, टाइमर सेट िकया, स्टाटर् बटन दबाया और िनि�न होकर टी.वी. देखने बैठ गये। दो िमनट में पोपकोनर् बन जाते हैं। बीस िम में लज़ीज तंदूरी मुगार्तैयार पाइये। रात को पित लेट आये तो भ माइक्रोवेव दो तीन िमनटमें खानागमर् कर देता है।न ग, न बार-बार िहलाने का चक्कर है। िबजली भी कम खचर् होतीहै और खाना भ फटाफट बन जाता है। माइक्रोवेव से खाना बनाना सचमुच िकतन आरामदायक हो गया है। लेिकन क्या इस सह�िलयत क� हम कोई भारी क�मत तो नहीं चुका रहे ? क्या माइक्रोवेव सचमुच खाना बनाने का प्राकृितक और स्वस्थ त ? जी नहीं अब यह िसद्ध हो चुका है िक माइक्रोवेव हमारे भोज स्वास्थ्य को िकतना नुकसानह�ँचाता है। मेरा यह लेख पढ़ प माइक्रोवेव ओवन के बारेमें आपके िवचार हमेशा के िलए बदल जायें आज मैं आपको बतला दूँगा िक यह मानवता का िकतना बड़ा दुष्मन, मनुष्य के िलए एक अिभशाप है। बड़े अचरज क� बात यह है िक अिधकतर लोग इस बात से अंजान है, बेिफक्र हैं। यहबह�राष्ट्रीय संस्थानों क� सफल व्यावसाियक नीितयों का क�रश्मा ह वै�ािनक यह तक कहने लगे हैं िक यिद आपके घर में माइक्रोवेव ओवन है तो उसे अपने सबसे बड़े दुश्मन को तोहफे में दे द स्पेंसर भाई ने िकया माइक्रोवेव का आिवष्कार सन् 1946 में अमे�रका के नौिसिखये और स्विशि�त(अथार्त ये महोदय कॉलेज नही गये और घर पर िकताबें पढ़ कर ही अिभयंता बने थ) अिभयंता पस� लेबरोन स्पेंस रेिथयोन कॉप�रेशन में राडार पर शोध कर रहे थे। एक िदन जब उन्होंने मेग्नेट्रो क� एक वेक्यूम ट्यूब में िवद्युत प्रवािहत क� तो उनके कोट क�जेब में पड़ी िपघल गई थी। वे बड़े अचरज में पड़ गये। इससे प्रे�रत होकर दूसरे िदन उन्होंने ट के पास पोपकोनर् बनाने वाली मक्का के थोड़े दाने रख िदये और ट्यूबमें िबजली चा क� तो उन्होंने देखा िक मक्का के दाने पक कर फूटने लगे और तड़तड़ाहट क आवाज के साथ उछट कर पूरे कमरे में िबखर गये। अगले िदन उन्होंने अपने दो पी.आर.हेन्सन को भी बुला िलया और ट्यूब के पास एक अंडा रख िदया। उन्हों देखा िक ट् यूब में िवद्युत चालू करते ही अंडा थरथराने लगा। थोड़ी ही देर बाद अं फट गया और गमर -गमर् अंडे क� जद� उछट कर उनके चेहरे पर जा लगी। स्पें अचानक गवर् से मुस्कुरा, उनके के चेहरे क� मुद्रा से ऐसा लग रहा थाजैसे उन्हो कुछ जीत िलया हो, कुछ पा िलया हो। शायद वे समझ चुके थे िक यह ट् यूब से िनकली िवद्य-चुम्बक�य तरंगों क� ऊजार् का कम
  • 2. 2|P ag e है। उन्होंने पल भरमें सोच िलया िक यिद इस ऊजार् से चॉकलेट िपघल सकत, पोपकोनर् बन सकते हैं औरअंडा पक सकताह तो इससे खाना भी पकाया जा सकता है। बस िफर क्या था उन्होने एक धातु का बक्सा बनव, िजसमें एक ढ़क्कन लगवाया और उसके एक कोनेमें मेग्नेट्रोन वेक्यूम कस दी। बक्से में पकने के िलए एक कांच क� प्लेट में खाना रखा जो ट्यूब में िबजली प्रवािहत करने के थोड़ी देर में अच्छ गया। थोड़ी और जद्दोजहद करके आिखर इस मुन्नाभाई टाइप के इंिजिनयर ने माइक्रोवेव का सरिकट बना ही ि1947 में उन्होंने बड़े फ्र�ज़ के आकार क� दुिनया क� पहली माइक्रोवेव ओवन बनाई िजसका उन्हों-रेंज नाम रखा था। इस तरह ह�आ माइक्रोवेव ओवन का आिवष्, जो आज बह�राष्ट्रीय कंपिनयो ं के िलए अरबों डालर का व्यवसाय बन चुक माइक्रोवेव का ओवनकैसे काम करताह इन चूल्होंमें भोजन माइक्रोवेव तरंगों द्वार जाता है। माइक्रोवेव तरंगे िवद-चुम्बक�य तरंगे होती है। जब भी िकसी चालक धातु में िवद्युत धा प्रवािहत क� जातीहै तो उससे िवद-चुम्बक�य तरंगे िनकलती हैं। माइक्रोवेवतरंगेबह�त सू�मतरंगे होती, जो प्रकाश क� गि(186,282 मील प्रितसैकण्ड) से चलती है। आधुिनक यग में टेलीिवज, इंटरनेट या ु टेलीफोन संदेशों के प्रसारण मे इक्रोवेव तरंगों मदद ली जाती है। माइक्रोवेव ओवनमें मेग्नेट्रो क� एक वेक्यूम ट्यूब होती है। इस ट्यूब मे3-4 हजार वोल्टेज पर60 Hz आवृि� क� DC िवद्युत धार प्रवािहत क� जातीहै िजससे ट्यूब स2450 Mega Hertz (MHz) or 2.45 Giga Hertz (GHz) क� िवद्य-चुम्बक�य तरंगे िनकलती हैं।3-4 हजार वोल्टेज एक स्ट-अप ट्रांसफोमर्र रेिक्टफायर क� मदद से तैयार िकया जाता ह माइक्रोवेव एकांतर िवद-धारा AC (Alternating current) के िसद्धांत पर काम करतीहै। िकसी भी तर-ऊजार् के हर चक्र में प�रवतर्न होता ह, अथार्त नकारात्मक ध्रुव सकारात्मक हो जाता है और सकारात्मक ध्रुव नकारात्मक हो 2.45 Giga Hertz (GHz) क� माइक्रोवेव तरंगों में यह ध्रुवप�रवतर्न एक सेकण्ड में लाखों करोड़ोंबार होता है। भोजन और पानीक भी नकारात्मक और सकारात्मक ध्रुव होते हैं। इसिलए जब माइक्रोवेव तरंगें भोजनकेसंपकर् में आती हैं तो भोजन के इस ध्रुव प�रवतर्न के कारण प्रचण िवध्वंस कंपन या स्पंदन होता ह, और वह भी एक सैकण्ड में ला-करोड़ों बार। इस कंपन के कारण भोजन और पानी के अणुओं में तेज घषर्ण होता, िजससे ऊष्मा पैदा होती है और भोजन तेजी से गमर् होताहै लेिकन इस तेज घषर्ण से भोजन के अणु िबखरने व टूटने लगते ह, म्यूटेशन हो जाता है और कोिशका क� िभि�यां फट जाती हैं परमाणु या अणुओं के नािभक�य िवघटन ( Nuclear Decay) के फलस्व�प िनकलने वाली िवद्-चुम्बक�य तरंगों को िविकर (Radiation) कहते हैं। माइक्रोवेव ओवनमें भी नािभक�य िवघटन होता । इसिलए वास्तव में इस उपकरण का नाम िविकर चूल्हा यारेिडयेशन ओवन ही होना चािहये। लेिकन आप ही सोिचये िक क्या इस नाम से ये बह�राष्ट्रीय संस्थान एक भी ओवन पाते??? तरंगों का तकनीक� तरान आयाम (amplitude) तरंग (Waves) के उच्चतम व िनम्नतम भागों को : शीषर्(crest) व गतर्(trough) कहते हैं। शीष (crest) व गतर्(trough) के बीच क� दूरी 'A' को तरंग का आयाम (amplitude) कहते है ।
  • 3. 3|P ag e तरंग दैध्य (wavelength) तरंग दैध्य (wavelength) तरंगों क� िनकटवत� दो शीष (अथवा गत�) के मध्य क� दूरी को व्य� करत है। आविृ � V (frequency) तरंग क� आवृि� V (frequency) उन तरंगों क� संख्याहै जो िक िबंदु से प्रित सेकेण्ड गुजर हैं। आवृि� का मात्रक क/सेकेण्ड अथव हटरज (Hz) है। िवद्य-चुम्बक�य िविकर िवद्य-चुम्बक� तरंगों के संचरण के िलए िकसी माध्यम क� आवश्यकता नहीं होती तथा येतर िनवार्त( space) में भी संच�रत हो सकती हैं प्रकाश तरं , ऊष्मीय िविकर , एक्स िकरण , रेिडयो तरंगें आि िवद्यचुम्बक�य तरंगों के उदाहरण हैं। इनतरंगों का तरं ध्य (wave length) काफ� िवस्तृत होता है। इनका तरंग दै ध्य 10-14 मी. से लेकर 104 मी. तक होता है। सन् 1989 में िमनेसोटा िव�िवद्यालय ने भी चेतावनी जारी क� थी िक िशशुओं के दूध क� बातलें माइक् ओवन में गमर् नहीं करनी चािहये क्योंिक इसे दूध के िवटािमन न� हो जा, पौषक तत्व िवकृत हो जाते हैं ज स िशशु क� र�ा-प्रणाली को कमजोर करते हैं और मिस्तष्क व गुद� को �ित पह�ँचाते हैं। माइक्रोवेव में गमर बोतल बाहर से तो ठंडी लगती है परंतु अंदर का दूध बह�त गमर् रहता है िजससे िशशु का मुंह जल भी सकता है डॉ. हट�ल ने माइक्रोवेव के सच को दुिनया के सामने रख डॉ. हन्स अल�रच हट�ल िस्वट्जरलैंड क� एक बड़ी -पदाथर् बनाने वाले संस्थानमें भोजन वै�ाि के पद पर काम करते थे। कुछ वष� पहले उन्होंने भोजन पर प्रितकूल और हािनकारक प्रभाव डालने कुछ गलत तौर-तरीके बदलने और माइक्रोवेव का प्रयोग बंद करने के िलए संस्थान के उच्चािधक पर जोर डाला तो संस्थान ने उन्हे नौकरी से ही िनकाल िदया। सन1991 में उन्होंने लौस िव�िवद्यालय के एक प्रोफेसर के साथ िमल कर अपने-पत्र और आलेखफ्रेंज वेबर जरन19 वें अंक में प्रकािशत िकये। उन्होंने बतलाया िक माइक्रोवेव में पका खाना खाने से कैंसर जैसी बीमा सकती है। हट�ल ने िस्वस फेडरल इिन्स् टट्यूट ऑफ बायोकेिमस्ट्री और यूिनविसर्टी इिन्स्टट्यूट फोर बाय के बरनाडर् ए. व्लैंक के साथ िमल कर इस िवषय पर शोध कायर् को आगे बढ़ाया। इन्होंने आठ बन्दों पर प्रयोग िकये। इन
  • 4. 4|P ag e कुछ समय तक माइक्रोवेव से पकायाह�आ भोजन िखलाया गया। भोजन िखलाने के पहले और कुछ समय बाद उनके र� के क नमूने िलये गये। जांच करने पर पता चला िक माइक्रोवेवमें पके भोजन खाने वाले लोगों का हीमोग्लोिबन कम हो गया था। द महीने िस्थित और िबगड़ी। यिद इन बन्दों को माइक्रोवेव मेंपका ह�आ भोजन एक साल या उससे भी ज्यादा समय तक िदय तो पता नहीं क्या िस्थित होती माइक्रोवेव के प्रभाव से उनके �ेत र�( Lymphocytes) और HDL (अच्छ) कॉलेस्ट्रोल कम ह�आ LDL (खराब) कॉलेस्ट्रोल । यह भी अच्छे संकेत नहीं हैं और शरीर में रोग और अपक(Degeneration) को दशार्ते हैं बदले में हट�ल को िमली प्रता हट�ल और ब्लैंक ने अपने श-पत्रों कोसचर् फोर ह1992 के बसंत ऋतु अंक में प्रकािशत कर िदया। इसके बाद तो जैसे भूच आ गया। िस्वटजरलैंड के घरेलू िवद-उपकरण बेचने और बनाने वाले व्यापारी और उद्योगपितयों क� तो जैसे वाट ही लग बौखलाहट में इस अमीर लौबी ने इन दोनों पर झूँठा मुकदमा ठोका और सेिफ्टगन अदालत के न्यायाधीश को मोटी �र�त द इनके िखलाफ फैसला भी करवा िदया। न्यायाधीश ने इन पर माइक्रोवेव ओवन बेचने और बनाने वाले उद्योगपितयों को नुकसान पह�ँचाने का आरोप लगाया और इन्हें सख्त आदेश िदये िक वे अपने -पत्र कहीं भी प्रकािशत नहीं करेंगे वनार् उन् जुमार्ना भरना पड़ेगा या एक साल के िलए कैद क� सजा भुगतनी होगी। ब्लैंक तो बेचारा डर गया लेिकन हट�ल -शहर घूमने िनकल पड़ा और वह लोगों को अपनी शोध के बारे में बतला, व्याख्यान देता और न्याय के िलए गुहार लगाता 1991 में ओक्लाहोमामें एक नोमार् लेिवत नामक �ी के कूल्हे क-िक्रयाह�ई थी। उसक खून चढ़ाने से मृत्यु हो गई थी और मृत्यु का कारण यह था िक नसर् ने ठंडी खून क� बोतल माइक्रोवेव ओवनमें हल्का सा गमर् कर िलया था। इतनी घातक होती है माइक्रोवेव त अंत में ह�ई सत्य क� िव लंबी लड़ाई लड़ने के बाद आिखर 25 अगस्, 1988 को स्ट्रॉस, फ्रांस क� मानवािधकार अदालत से हट�ल को न्याय िमल न्यायाधीश ने हट�ल पर िस्वस अदालत द्वारा लगाये गये सारे प्रितबंध हटा िदये और िस्वस अदालत को कड़ी फटकार ल तुरन्त हट�ल को हरजाने के �प में40,000 फ्रैंक भुगतान करने के आदेश िदये। ये सारी बाते इितहास के पन्नों में द �स ने क्यों औरकैसे िकया माइक्रोवेव को प्रि िद्वतीय िव� युद्ध के बाद �स में भी रेिडयो टेक्नोलोजी , िक्लंस्क बाईलोरिशया ने माइक्रोवेव ओवन के कुप्रभावों प प्रयोग और श-कायर् िकये। अमे�रका के शोधकतार् िविलयम कोप ने �स और जमर्नी में माइक्रोवेव से संबंिधत शोध का व्याख्या क� और लोगों के सामने रखा। इसके िलए इस बेचारे को अमरीक� सरकार ने व्यथर् परेशान िकया और उस पर मु (J. Nat. Sci, 1998; 1:42-3) भी दायर िकया। �स में ह�ई शोध से ये बातें सामने आई थी 1. माइक्रोवेव के प्रभाव से आणिवक िवघटन होता है िजससे भोजन में भारी मात्रा में अप्राकृितक रेिडयोलाइिटक यौिग हैं। ये र� को नुकसान पह�ँचाते हैं और शरीर क� र-प्रणाली को कमजोर बनाते हैं। वैसे तो सामान्य तरीके से भोजन पकाने भी थोड़े बह�त रेिडयोलाइिटक यौिगक बनते है, लेिकन मात्रा नगण्य होने क� वजह से शरीर को नुकसान नहीं पह�ँचा पाते शायद इसिलए भी आहारशा�ी अपक्व आहार क� अनुशंसा करते हैं
  • 5. 5|P ag e 2. माइक्रोवेव ओवनमें खाना पकाने से उसमें कैंसर पैदा करने वाले खतरनाक डी-नाइट्रो-डाइ-इथेनोलेमीन (d-Nitrosodi-ethanolamine) बन जाते हैं। 3. प्रोटीन के अणु अिस्थर और िनिष्क्रय हो जाते हैं। दूध औरअनाज में िवद्-हाइड्रोसाइलेट यौिगकमें भी कैंसरक कण बन जाते हैं। 4. माइक्रोवेवमें पकाने से फलों में िवद्यमान ग्लूकोसाइड और गेलेक्टोसाइड का पाचन और चयापचय भी बुरी तरह प्र है। सिब्जयो में मौजूद अल्केलोइड भी िनिष्क्रय हो जात 5. माइक्रोवेवमें पकाने से कंदमूल सिब्जयों जैस, अरबी, मूली आिद में कैंसरकारी मु�कण बन जाते ह 6. माइक्रोवेवमें बना खाना खाने से र� में कैंसर कोिशकाओं और मु�कणों का प्रितशत बढ़ ज 7. माइक्रोवेवमें पका खाना खाने से स्मर, एकाग्र, बुिद्धम�ा और भावनात्मक िस्थरता कमजोर पड़ती है। लंबे समय िनयिमत माइक्रोवेव का खाना खाने से मिस्तष्क क� कोिशकाओं में शोटर् सिकर्ट होनेलगता है और मिस्तष्क स् �ितग्रस्त होने लगता ह 8. माइक्रोवेवमें पका खाना खाने से पु�ष और �ी हाम�न्स का स्राव कम होत 9. माइक्रोवेव भोजन क� रासायिनक बनावट िबगड़ जातीहै िजससे शरीर का िलम्फेिटक िसस्टम भी ठीक से काम नहीं कर और र�ाप्रणाल(Immunity) कमजोर पड़ जाती है। 10. माइक्रोवेवमें पकाने से भोजन में आई अिस्थरता और िवकृित के कारण पाचनतंत्र संबंधी रोग हो जाते हैं। यहा आमाशय और आँतों का कैंसर भी हो सकता हैं और पाचन तथा उत्सजर्न तंत्र भी कमजोर पड़जा 11. माइक्रोवेवमें पकने से भोजन क� गुणव�ा और पौि�कता परबह�त बुरा असर पड़ता है। िवटािमन-कॉम्प्ले, िवटािमन-सी, िवटािमन-ई, खिनज, वसाअम्ल न� होजाते ह, मांस में िवद्यमान न्युिक्लयोप्रोटीन्स िनिष्क्रय हो जाते हैं और सभ का थोड़ा-बह�त संरचनात्मक िवघटन होता ही है। इन कारणों से �स ने1976 में माइक्रोवेव को पूरी तरह प्रितबंिधत कर िद, लेिकन �स के राजनीितक संक्रमण के बाद क सरकार ने यह प्रितबंध खत्म कर ि था।