sanskrit project by SASWAT class 10 cbse
useful for all KV students including teachers
(guided by S K majhi sir tgt sanskrit)
from baripada mayurbhanj odisha india
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2. समास
समास का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’। दो र्ा दो से अधिक शब्दों से
ममलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्यक शब्द को समास कहते हैं।
जैसे-‘रसोई के मलए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं।
सामामसक शब्द- समास के ननर्मों से ननममयत शब्द सामामसक शब्द
कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद
ववभक्ततर्ों के धिह्न (परसर्य) लुप्त हो जाते हैं। जैसे-राजपुत्र।
समास-ववग्रह- सामामसक शब्दों के बीि के संबंि को स्पष्ट करना
समास-ववग्रह कहलाता है। जैसे-राजपुत्र-राजा का पुत्र।
पूवयपद और उत्तरपद- समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को
पूवयपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे-र्ंर्ाजल। इसमें
र्ंर्ा पूवयपद और जल उत्तरपद है।
3. समास के भेद
समास के भेद
समास के िार भेद हैं-
1. अव्र्र्ीभाव समास।
2. तत्पुरुष समास।
3. द्वंद्व समास।
4. बहुव्रीहह समास।
4. 1. अव्ययीभाव समास
क्जस समास का पहला पद प्रिान हो और वह अव्र्र् हो
उसे अव्र्र्ीभाव समास कहते हैं। जैसे-र्र्ामनत (मनत के
अनुसार), आमरण (मृत्र्ु कर) इनमें र्र्ा और आ अव्र्र्
हैं।कु छ अन्र् उदाहरण-
आजीवन - जीवन-भर,
र्र्ासामर्थर्य - सामर्थर्य के अनुसार
र्र्ाशक्तत - शक्तत के अनुसार,
र्र्ाववधि ववधि के अनुसार
र्र्ाक्रम - क्रम के अनुसार,
भरपेट पेट भरकर
हररोज़ - रोज़-रोज़,
5. रातोंरात - रात ही रात में,
प्रनतहदन - प्रत्र्ेक हदन
बेशक - शक के बबना,
ननस्संदेह - संदेह के बबना,
हरसाल - हरेक साल
अव्र्र्ीभाव समास की पहिान- इसमें समस्त पद अव्र्र्
बन जाता है अर्ायत समास होने के बाद उसका रूप कभी
नहीं बदलता है। इसके सार् ववभक्तत धिह्न भी नहीं
लर्ता। जैसे-ऊपर के समस्त शब्द है।
6. 2. तत्पुरुष समास
क्जस समास का उत्तरपद प्रिान हो और पूवयपद र्ौण हो उसे तत्पुरुष
समास कहते हैं। जैसे-तुलसीदासकृ त=तुलसी द्वारा कृ त (रधित)
ज्ञातव्र्- ववग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास
होता है। ववभक्ततर्ों के नाम के अनुसार इसके छह भेद हैं-
(1) कमय तत्पुरुष धर्रहकट धर्रह को काटने वाला
(2) करण तत्पुरुष मनिाहा मन से िाहा
(3) संप्रदान तत्पुरुष रसोईघर रसोई के मलए घर
(4) अपादान तत्पुरुष देशननकाला देश से ननकाला
(5) संबंि तत्पुरुष र्ंर्ाजल र्ंर्ा का जल
(6) अधिकरण तत्पुरुष नर्रवास नर्र में वास
7. (क) नञ तत्पुरुष समास
क्जस समास में पहला पद ननषेिात्मक हो उसे नञ
तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-
समस्त पद समास-ववग्रह समस्त पद समास-ववग्रह
असभ्र् न सभ्र् अनंत न अंत
अनाहद न आहद असंभव न संभव
8. (ख) कममधारय समास
क्जस समास का उत्तरपद प्रिान हो और पूवयवद व उत्तरपद
में ववशेषण-ववशेष्र् अर्वा उपमान-उपमेर् का संबंि हो
वह कमयिारर् समास कहलाता है। जैसे-
समस्त पद समास-ववग्रह समस्त पद समात ववग्रह
िंद्रमुख िंद्र जैसा मुख कमलनर्न कमल के समान नर्न
देहलता देह रूपी लता दहीबडा दही में डूबा बडा
नीलकमल नीला कमल पीतांबर पीला अंबर (वस्त्र)
सज्जन सत्(अच्छा) जन नरमसंह नरों में मसंह के समान
9. (ग) द्ववगु समास
क्जस समास का पूवयपद संख्र्ावािक ववशेषण हो उसे
द्ववर्ु समास कहते हैं। इससे समूह अर्वा समाहार का
बोि होता है। जैसे-
समस्त पद समात-ववग्रह समस्त पद समास ववग्रह
नवग्रह नौ ग्रहों का मसूह दोपहर दो पहरों का समाहार
बत्रलोक
तीनों लोकों का
समाहार
िौमासा िार मासों का समूह
नवरात्र नौ राबत्रर्ों का समूह शताब्दी
सौ अब्दो (सालों) का
समूह
अठन्नी आठ आनों का समूह
10. 3. द्वंद्व समास
क्जस समास के दोनों पद प्रिान होते हैं तर्ा ववग्रह करने
पर ‘और’, अर्वा, ‘र्ा’, एवं लर्ता है, वह द्वंद्व समास
कहलाता है। जैसे-
समस्त पद समास-ववग्रह समस्त पद समास-ववग्रह
पाप-पुण्र् पाप और पुण्र् अन्न-जल अन्न और जल
सीता-राम सीता और राम खरा-खोटा खरा और खोटा
ऊँ ि-नीि ऊँ ि और नीि रािा-कृ ष्ण रािा और कृ ष्ण
11. 4. बहुव्रीहह समास
क्जस समास के दोनों पद अप्रिान हों और समस्तपद के
अर्य के अनतररतत कोई सांके नतक अर्य प्रिान हो उसे
बहुव्रीहह समास कहते हैं। जैसे-
समस्त पद समास-ववग्रह
दशानन दश है आनन (मुख) क्जसके अर्ायत् रावण
नीलकं ठ नीला है कं ठ क्जसका अर्ायत् मशव
सुलोिना
सुंदर है लोिन क्जसके अर्ायत् मेघनाद की
पत्नी
पीतांबर पीले है अम्बर (वस्त्र) क्जसके अर्ायत् ्ीकृ ष्ण
लंबोदर लंबा है उदर (पेट) क्जसका अर्ायत् र्णेशजी
दुरात्मा बुरी आत्मा वाला (कोई दुष्ट)
श्वेतांबर श्वेत है क्जसके अंबर (वस्त्र) अर्ायत् सरस्वती