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मोजाि बक म 30 वष म पहले वाइ ड पोिलयो वायरस मामले क पुि
(Mozambique confirms first wild poliovirus case in 30 years)
संदभ:
मोजाि बक म, एक ब े म इस बीमारी से सं िमत होने
बाद इस स ाह देश म ‘वाइ ड पोिलयोवायरस टाइप 1’
(wild poliovirus Type 1) के पहले मामले क पुि क
गयी है।
 वष 1992 के बाद मोजाि बक म इस बीमारी का
पहला मामला है और इस साल दि णी पूव
अ का म ‘वाइ ड पोिलयोवायरस’ का यह
दूसरा आयाितत मामला है।
 इस साल क शु आत म, दि णी पूव अ का के ‘मलावी’ देश म इस बीमारी के कोप क सूचना िमली थी।
नोट: अब तक, ‘वाइ ड पोिलयो वायरस’ के वल अफगािन तान और पा क तान म पाया जाता ( थािनक) था।
‘पोिलयो’ (Polio) या है?
िव वा य संगठन (WHO) ारा ‘पोिलयो’ या ‘पोिलयोमाइलाइ टस’ (Poliomyelitis) को ‘एक अ यिधक सं ामक िवषाणुजिनत
रोग’ के प म प रभािषत कया गया है। यह बीमारी मु य प से छोटे ब को भािवत करती है।
संचरण: पोिलयो का िवषाणु मु यत: मल माग अथवा अ य सामा य वाहक (जैसे दूिषत जल अथवा भोजन) के मा यम से एक ि से
दूसरे ि तक संचा रत होता है। आँत म प ँचकर इस िवषाणु क सं या कई गुना हो जाती है और वहाँ से यह तंि का तं म प ँचता
है तथा अंगघात (Paralysis) का कारण बनता है।
कसी देश को पोिलयो-मु कब घोिषत कया जाता है?
‘पोिलयो वायरस’ के तीन कार होते ह, िजनक सं या 1 से 3 होती है। कसी देश को पोिलयो मु घोिषत करने के िलए, तीन कार
के वायरस के अिनयंि त संचरण को रोकना अिनवाय होता है।
 इसके अलावा, ‘पोिलयो उ मूलन’ के िलए, वाइ ड और वै सीन- ु प पोिलयो सं मण, दोन कार के मामल को कम करके
शू य करना होता है।
 लगातार तीन वष तक वायरस के कोई सा य नह िमलने के बाद, जनवरी 2014 म भारत को पोिलयो मु घोिषत कया
गया था। इस उपलि ध को ापक प से सफल ‘प स पोिलयो अिभयान’ ारा े रत माना जाता है।
इस संबंध म भारत के यास:
 भारत म पोिलयो वायरस के संचरण को रोकने के िलए, प स पोिलयो काय म के तहत, सभी रा य और क शािसत देश
ने देश म कसी भी पोिलयो कोप से िनपटने के िलए ‘रैिपड र पांस टीम’ (Rapid Response Teams) का गठन कया
गया है।
 सरकार ने माच 2014 के बाद से भारत और पोिलयो भािवत देश , जैसे क अफगािन तान, नाइजी रया, पा क तान,
इिथयोिपया, के या, सोमािलया, सी रया और कै म न के म य या ा करने वाल के िलए ओरल पोिलयो टीकाकरण (Oral
Polio Vaccination– OPV) अिनवाय कर दया है।
सहायक ौ ोिगक पर वैि क रपोट
(Global Report on Assistive Technology – GReAT)
संदभ:
हाल ही म, िव वा य संगठन (WHO) और ‘संयु
रा बाल कोष’ / ‘यूिनसेफ’ (United Nations
Children’s Fund – UNICEF) ारा पहली ‘सहायक
ौ ोिगक पर वैि क रपोट’ (Global Report on
Assistive Technology – GReAT) जारी क गयी है।
‘सहायक ौ ोिगक ’ के बारे म:
िवकलांग ि य को उनक काया मक मता को बढ़ाने, बनाए रखने या सुधारने म मदद करने के िलए काम आने वाली या उपयोग
क जाने वाली कसी भी व तु, उपकरण का िह सा, सॉ टवेयर ो ाम, या उ पाद णाली को ‘सहायक ौ ोिगक या तकनीक’
(Assistive technology – AT) म शािमल कया जाता है।
उदाहरण: ि म अंग या ो थे ट स (Prosthetics), दांत को आकार देने वाले ेिसज़, वॉकर, अनुकू िलत ि वच, िवशेष-उ े य वाले
कं यूटर, न रीडर और िवशेष पा चया सॉ टवेयर, आ द।
रपोट के मुख िन कष:
 5 अरब से अिधक ि य को एक या अिधक ‘सहायक व तु ’ क आव यकता होती है।
 एक अरब लोग - खासकर िन और म यम आय वाले देश म – क ‘सहायक उपकरण ’ तक प ंच नह हो पाती है।
 वष 2050 तक, सहायक उपकरण के ज रतमंद ि य क सं या 5 िबिलयन तक प ंचने का अनुमान है।
 इसका कारण, दुिनया भर म अिधक आयु के लोग क सं या म वृि और गैर-संचारी रोग क बढ़ती घटनाएँ ह।
 अनुभूित, संचार और व-देखभाल के े म, ‘सहायक ौ ोिगक ’ के िलए सेवा ावधान और यो य क मय क काफ कमी
है।
रपोट म क गयी मुख अनुशंसाएं:
1. िश ा, वा य और सामािजक देखभाल णािलय तक प ंच म सुधार।
2. ‘सहायक उ पाद ’ क उपल धता, सुर ा, भावशीलता और वहनीयता सुिनि त क जानी चािहए।
3. कायबल मता म वृि , िविवधता और सुधार।
4. ‘सहायक तकनीक’ उपयोगकता और उनके प रवार को स य प से शािमल कया जाना चािहए।
5. जन जाग कता बढ़ायी जानी चािहए और ‘कलंक’ समझी जाने वाली इस सम या का सामना कया जाना चािहए।
िवकलांग के िलए भारत सरकार ारा पहल:
1. सुग य भारत अिभयान: द ांगजन के िलए सुग य वातावरण का िनमाण।
2. दीनदयाल िवकलांग पुनवास योजना।
3. िवकलांग छा के िलए रा ीय फै लोिशप।
4. िविश िवकलांगता पहचान प रयोजना।
िव शासन- णाली संकेतक
(World Governance Indicators)
संदभ:
िव मं ालय म त कालीन धान आ थक सलाहकार संजीव सा याल ारा 2020 म पेश क गयी एक तुित के अनुसार, िव बक के
‘िव शासन- णाली संके तक’ (World Governance Indicators – WGI) संबंधी इनपुट एकप ीय ह।
यह तुित, भारत के संबंध म क गयी ‘नकारा मक ट पणी’ का मुकाबला करने के िलए सरकार के भीतर आंत रक संचलन के िलए
िव मं ालय ारा तैयार क गई थी।
‘शासन- णाली’ या होती है?
‘शासन- णाली’ या ‘शासन’ (Governance) म वे संभी परंपराएँ और सं थाएँ शािमल होती ह िजनके ारा कसी देश म ािधकार
का योग कया जाता है। इसम सरकार के चयन, िनगरानी और ित थापन करने संबंधी या ; ठोस नीितय को भावी ढंग से
तैयार करने और लागू करने के िलए सरकार क मता; और नाग रक तथा उनके बीच आ थक और सामािजक संबंध को िनयंि त
करने वाली सं था के िलए रा य का स मान आ द को शािमल कया जाता है।
‘िव शासन- णाली संके तक’ (WGI) के बारे म:
WGI, ‘िव बक’ ारा जारी कए गए ह।
‘िव शासन- णाली संके तक ’ ारा शासन- णाली के िन िलिखत छह आयाम के आधार पर 215 देश क र कं ग क गयी है:
1. ‘अिभ ि तथा जवाबदेही’;
2. ‘राजनीितक ि थरता एवं हंसा क अनुपि थित’;
3. ‘सरकार क भावशीलता’;
4. ‘िविनयामक गुणव ा’;
5. ‘िविध का शासन’ एवं
6. ‘ ाचार पर िनयं ण’।
ोत: ये सम संके तक, िविभ सव ण सं थान , थंक टक, गैर-सरकारी संगठन (NGOs), अंतरा ीय संगठन और िनजी े क
फम जैसे ‘इकोनॉिम ट इंटेिलजस यूिनट’ (EIU),’ वेरायटीज ऑफ़ डेमो ेसी’ (V-Dem) ोजे ट और डम हाउस, आ द ारा तैयार
कए गए 30 से अिधक ि गत डेटा ोत पर आधा रत ह।
मह व: WGI कसी भी देश क ‘सॉवरेन े िडट रे टंग’ तय करने म मह वपूण भूिमका िनभाते ह।
भारत सरकार के िलए चंता का िवषय:
 भारत सरकार के अनुसार, ‘िव शासन- णाली संके तक’ (WGI) पि मी देश क ेस या गैर सरकारी संगठन के लघु
सव ण और मु ी भर िश ािवद के काशन पर आधा रत ह, िजनम से कई म कोई भारत संबंधी मामल का िवशेष भी
नह है।
 भारत के ित इन सं थान क आलोचना मक ट पिणय के प रणाम व प WGI प रणाम म िगरावट आएगी। इसके
प रणाम व प भारत क सॉवरेन रे टंग भी नीचे आ सकती है।
नवीनतम ‘िव शासन- णाली संके तक’ म भारत का कोर:
भारत का WGI कोर सभी छह संके तक पर ‘बीबीबी माि यका’ (BBB Median) से काफ नीचे है।
 ‘बीबीबी’, ‘ टडड एंड पुअर’ तथा ‘ फच’ जैसी वैि क रे टंग एजिसय ारा जारी एक िनवेश- ेड रे टंग है।
 ‘बीबीबी माि यका’ से नीचे WGI कोर का ता पय है, क जब सूची म शािमल देश के कोर को अवरोही म म वि थत
कया जाता है तो भारत क ि थित ‘म य’ से नीचे है।
भारत क WGI रक को अ यिधक भािवत करने वाली मुख घटनाएं:
1. क मीर मु ा।
2. कायकता का उ पीड़न।
3. राज ोह कानून।
4. एनजीओ लाइसस को र कया जाना।
पेसए स ारा 53 टार लंक उप ह का ेपण
संदभ:
 हाल ही म, पेसए स (SpaceX) ारा कै िलफो नया से
‘फा कन 9 ेपण यान’ रॉके ट’ ारा ‘ टार लंक इंटरनेट
का टलैशन के िलए 53 उप ह को ले जाने वाला एक
रॉके ट लॉ च कया गया।
 पेसए स ारा अब तक 2,500 से अिधक टार लंक
उप ह (Starlink satellites) को लॉ च कया जा
चुका है, और अभी कई अ य उप ह को क ा म
थािपत करने क योजना है।
‘ टार लंक ोजे ट’ या है?
‘ टार लंक नेटवक’ (Starlink network), अंत र से डेटा संकेत को भेजने के िलए वतमान म जारी कई यास म से एक है।
 इस ोजे ट के तहत, कं पनी का उ े य लगभग 12,000 उप ह का एक समूह तैयार करना है।
 इसका उ े य, दुिनया को कम लागत वाली और िव सनीय अंत र -आधा रत इंटरनेट सेवाएं दान करना है।
LEO उप ह आधा रत इंटरनेट के लाभ:
1. पृ वी क िनचली क ा (Low Earth Orbit – LEO) म ि थत उप ह, पृ वी से लगभग 36,000 कमी क दूरी पर ि थत भू-
थैितक क ा उप ह क तुलना म, लगभग 500 कमी से 2000 कमी क दूरी पर ि थत होते ह।
2. LEO उप ह पृ वी का नजदीक से प र मण करते ह अतः ये, पारंप रक ि थर-उप ह णािलय क तुलना म सश िस ल
और तेज गित दान करने म स म होते ह।
3. चूं क, िस ल, फाइबर-ऑि टक के बल णाली क तुलना म, अंत र के मा यम से अिधक तेजी से गित करते ह, इसिलए भले
ही ये मौजूदा जमीन-आधा रत नेटवक से आगे न िनकल सक, फर भी इसका मुकबला करने म स म ह गे।
चुनौितयां:
LEO उप ह 27,000 कमी ित घंटा क गित से या ा करते ह और 90-120 िमनट म पृ वी का एक पूण प रपथ पूरा कर लेते ह।
नतीजतन, एक उप ह, पृ वी पर थािपत ांसमीटर के साथ ब त कम ले िलए संपक थािपत कर पाता है, अतः इस णाली को
सफलतापूवक काय करने हेतु LEO उप ह के एक िवशाल बेड़े क आव यकता होती है और इसके िलए बड़े पूंजी िनवेश क ज रत
होती है।
LEO उप ह क आलोचनाएँ:
1. चूं क, इन प रयोजना को अिधकांशतः िनजी कं पिनय ारा संचािलत कया जा रहा है, अतः शि संतुलन, देश से हटकर
कं पिनय म थानांत रत हो गया है। इन िनजी प रयोजना म कई रा क भागेदारी भी होती है, इसे देखते ए इन
कं पिनय को िनयंि त करने से संबंिधत सवाल उ प हो रहे ह।
2. ज टल िनयामक ढांचा: इन कं पिनय म िविभ देश के िहतधारक शािमल होते ह। इस कार येक देश म इन सेवा के
संचालन हेतु अपेि त लाइसस ा करना चुनौतीपूण हो जाता है।
3. ाकृ ितक उप ह को कभी-कभी रात के समय आसमान म देखा जा सकता है, इन कृ ि म उप ह क वजह से खगोलिवद के
िलए मुि कल हो सकती ह।
4. िनचली क ा म मण करने वाले उप ह, अपने ऊपर प र मा करने वाले उप ह क आवृि य को बािधत कर सकते ह।
5. बोलचाल क भाषा म ‘ पेस जंक’ कहे जाने वाले पंड से अंत र यानो को ित प ंचने या अ य उप ह से टकराने क
संभावना रहती है।
संभावनाएं:
िजन थान पर फाइबर और पे म सेवा क प ँच नह होती है, वहां LEO सैटेलाइट ॉडबड बेहतर काय करने म स म हो सकते
ह। अतः इसके िलए लि त बाजार, ामीण आबादी और शहरी े से दूर तैनात सै य इकाइयाँ ह गी।
इस कार क अ य प रयोजनाएं:
1. वनवेब (One Web)
2. िजओ सैटेलाइट ॉडबड सेवाएं (Jio satellite broadband services)
नासा का वॉइअजर िमशन
संदभ:
नासा का वॉइअजर- 1 (Voyager- 1) अंत र यान लॉ च
होने के 45 साल बाद भी हमारे सौर मंडल से आगे अपनी या ा
जारी रखे ए है। ले कन अब ये पुराना और अनुभवी अंत र
यान अपने इंजीिनयर को हैरान करते ए अजीबोगरीब डेटा
वापस भेज रहा है। इसके कारण एक गड़बड़ी बताई जा रही है।
 इस गड़बड़ी का संबंध ‘वॉइअजर- 1’ के ‘एटी ूड आ ट यूलेशन एंड कं ोल िस टम’ (Attitude Articulation and Control
System, or AACS) से है। AACS, अंत र यान और उसके एंटीना को उिचत दशा म रखता है।
 ारंिभक िव ेषण से पता चलता है, क यह यान अंत र म अपनी अवि थित के बारे म अ प हो गया है।
‘वॉइअजर िमशन’ के बारे म:
नासा का ‘वॉइअजर िमशन’ (Voyager Mission) 1970 के दशक म लॉ च कया गया था। इस िमशन म नासा ारा अंत र म
बाहरी ह का के वल पता लगाने के ‘ ोब’ भेजे गए थे – ले कन ये दोन ोब बस अगाध अंत र म आगे क ओर बढ़ते जा रहे ह।
 िमशन के तहत, ‘वॉइअजर 1’ ने 5 िसतंबर 1977 को पृ वी से थान कया और इसके कु छ दन बाद वायेजर 2 को पृ वी से
छोड़ा गया था। इस दोन अंत र यान ने 2013 म हमारे सौर मंडल को पीछे छोड़ दया।
 वॉइअजर अंतरतारक य / इंटर टेलर िमशन (Voyager Interstellar Mission – VIM) का िमशन उ े य, नासा के सौर
मंडल अ वेषण को, बा ह के िनकटवत े से परे / आगे, हमारे सूय के भाव े क बाहरी सीमा तक और संभवतः
उससे आगे तक िव ता रत करना है।
 वॉइअजर (VOYAGER) अंत र यान, हमारे सौर मंडल के सभी ह से आगे उड़ान भरने वाले मशः तीसरे और चौथे
मानव अंत र यान है। इससे पहले ‘पायिनयर 10’ और ‘पायिनयर 11’ सूय के गु वाकषण आकषण सीमा से आगे िनकल गए
थे, कं तु 17 फरवरी, 1998 को, वॉइअजर 1, पायिनयर 10 को पार करते ए अंत र म सबसे दूर तक प ँचने वाली मानव
िन मत व तु बन गई।
अब तक क उपलि धयां:
 ‘वॉइअजर 2’, ह क उड़ान के दौरान नेप यून और यूरेनस का अ ययन करने वाला एकमा ोब है।
 यह हमारे ह से बाहर जाने वाली मानव िन मत दूसरी व तु है।
 वॉइअजर 2, सभी चार गैसीय िवशालकाय ह – बृह पित, शिन, यूरेनस और नेप यून- का मण करने तथा 16 चं मा क
खोज करने वाला और साथ ही, ने यून के रह यमयी िणक ेट डाक पॉट, यूरोपा के बफ के खोल म दरार, और येक ह
पर छ ल जैसी िवशेषताएं जैसी घटना का पता लगाने वाला एकमा अंत र यान है।
‘इंटर टेलर पेस’ या है?
‘अंतरतारक य अंत र ’ / इंटर टेलर पेस (Interstellar Space) कहां से शु होता है, इसे िचि नत करने के िलए वै ािनक
‘हेिलयोपॉज’ (HELIOPAUSE) का उपयोग करते ह। हालां क यह इस बात पर िनभर करता है क आप हमारे ‘सौर मंडल’ को कै से
प रभािषत करते ह- जो क सूय से पृ वी क क ीय दूरी क तुलना म, 1,000 गुना दूर से आरंभ होने वाले ‘ऊट लाउड’ (Oort
Cloud) तक िव ता रत हो सकता है।
हेिलओ फ यर:
हेिलओ फ यर (Heliosphere) सूय के चार ओर फै ला आ एक बुलबुला है, जो क सौर हवा के सूय के क से बाहर क ओर वाह,
तथा अंतरतारक य हवा के सूय क ओर आने वाले वाह को रोकने से िन मत होता है। ‘हेिलओ फ यर’, सौर हवा के साथ आने
वाले सूय क ग या मक िवशेषता - जैसे क चुंबक य े , ऊजायु कण और सौर पवन ला मा आ द- से भािवत े है।
‘हेिलओपॉज़’, हेिलओ फ यर के अंत और ‘इंटर टेलर पेस’ क शु आत क िनशानी होते ह।

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  • 1. D A I L Y N E X T C A P S U L E W I L L H E L P Y O U T O P R O V I D E 2nd floor, shahar plaza, munshi pulia, indira nagar, lucknow Feel Free to call us at: 9454721860 Follow us on:
  • 2. मोजाि बक म 30 वष म पहले वाइ ड पोिलयो वायरस मामले क पुि (Mozambique confirms first wild poliovirus case in 30 years) संदभ: मोजाि बक म, एक ब े म इस बीमारी से सं िमत होने बाद इस स ाह देश म ‘वाइ ड पोिलयोवायरस टाइप 1’ (wild poliovirus Type 1) के पहले मामले क पुि क गयी है।  वष 1992 के बाद मोजाि बक म इस बीमारी का पहला मामला है और इस साल दि णी पूव अ का म ‘वाइ ड पोिलयोवायरस’ का यह दूसरा आयाितत मामला है।  इस साल क शु आत म, दि णी पूव अ का के ‘मलावी’ देश म इस बीमारी के कोप क सूचना िमली थी। नोट: अब तक, ‘वाइ ड पोिलयो वायरस’ के वल अफगािन तान और पा क तान म पाया जाता ( थािनक) था। ‘पोिलयो’ (Polio) या है? िव वा य संगठन (WHO) ारा ‘पोिलयो’ या ‘पोिलयोमाइलाइ टस’ (Poliomyelitis) को ‘एक अ यिधक सं ामक िवषाणुजिनत रोग’ के प म प रभािषत कया गया है। यह बीमारी मु य प से छोटे ब को भािवत करती है। संचरण: पोिलयो का िवषाणु मु यत: मल माग अथवा अ य सामा य वाहक (जैसे दूिषत जल अथवा भोजन) के मा यम से एक ि से दूसरे ि तक संचा रत होता है। आँत म प ँचकर इस िवषाणु क सं या कई गुना हो जाती है और वहाँ से यह तंि का तं म प ँचता है तथा अंगघात (Paralysis) का कारण बनता है। कसी देश को पोिलयो-मु कब घोिषत कया जाता है? ‘पोिलयो वायरस’ के तीन कार होते ह, िजनक सं या 1 से 3 होती है। कसी देश को पोिलयो मु घोिषत करने के िलए, तीन कार के वायरस के अिनयंि त संचरण को रोकना अिनवाय होता है।  इसके अलावा, ‘पोिलयो उ मूलन’ के िलए, वाइ ड और वै सीन- ु प पोिलयो सं मण, दोन कार के मामल को कम करके शू य करना होता है।  लगातार तीन वष तक वायरस के कोई सा य नह िमलने के बाद, जनवरी 2014 म भारत को पोिलयो मु घोिषत कया गया था। इस उपलि ध को ापक प से सफल ‘प स पोिलयो अिभयान’ ारा े रत माना जाता है। इस संबंध म भारत के यास:  भारत म पोिलयो वायरस के संचरण को रोकने के िलए, प स पोिलयो काय म के तहत, सभी रा य और क शािसत देश ने देश म कसी भी पोिलयो कोप से िनपटने के िलए ‘रैिपड र पांस टीम’ (Rapid Response Teams) का गठन कया गया है।  सरकार ने माच 2014 के बाद से भारत और पोिलयो भािवत देश , जैसे क अफगािन तान, नाइजी रया, पा क तान, इिथयोिपया, के या, सोमािलया, सी रया और कै म न के म य या ा करने वाल के िलए ओरल पोिलयो टीकाकरण (Oral Polio Vaccination– OPV) अिनवाय कर दया है।
  • 3. सहायक ौ ोिगक पर वैि क रपोट (Global Report on Assistive Technology – GReAT) संदभ: हाल ही म, िव वा य संगठन (WHO) और ‘संयु रा बाल कोष’ / ‘यूिनसेफ’ (United Nations Children’s Fund – UNICEF) ारा पहली ‘सहायक ौ ोिगक पर वैि क रपोट’ (Global Report on Assistive Technology – GReAT) जारी क गयी है। ‘सहायक ौ ोिगक ’ के बारे म: िवकलांग ि य को उनक काया मक मता को बढ़ाने, बनाए रखने या सुधारने म मदद करने के िलए काम आने वाली या उपयोग क जाने वाली कसी भी व तु, उपकरण का िह सा, सॉ टवेयर ो ाम, या उ पाद णाली को ‘सहायक ौ ोिगक या तकनीक’ (Assistive technology – AT) म शािमल कया जाता है। उदाहरण: ि म अंग या ो थे ट स (Prosthetics), दांत को आकार देने वाले ेिसज़, वॉकर, अनुकू िलत ि वच, िवशेष-उ े य वाले कं यूटर, न रीडर और िवशेष पा चया सॉ टवेयर, आ द। रपोट के मुख िन कष:  5 अरब से अिधक ि य को एक या अिधक ‘सहायक व तु ’ क आव यकता होती है।  एक अरब लोग - खासकर िन और म यम आय वाले देश म – क ‘सहायक उपकरण ’ तक प ंच नह हो पाती है।  वष 2050 तक, सहायक उपकरण के ज रतमंद ि य क सं या 5 िबिलयन तक प ंचने का अनुमान है।  इसका कारण, दुिनया भर म अिधक आयु के लोग क सं या म वृि और गैर-संचारी रोग क बढ़ती घटनाएँ ह।  अनुभूित, संचार और व-देखभाल के े म, ‘सहायक ौ ोिगक ’ के िलए सेवा ावधान और यो य क मय क काफ कमी है। रपोट म क गयी मुख अनुशंसाएं: 1. िश ा, वा य और सामािजक देखभाल णािलय तक प ंच म सुधार। 2. ‘सहायक उ पाद ’ क उपल धता, सुर ा, भावशीलता और वहनीयता सुिनि त क जानी चािहए। 3. कायबल मता म वृि , िविवधता और सुधार। 4. ‘सहायक तकनीक’ उपयोगकता और उनके प रवार को स य प से शािमल कया जाना चािहए। 5. जन जाग कता बढ़ायी जानी चािहए और ‘कलंक’ समझी जाने वाली इस सम या का सामना कया जाना चािहए। िवकलांग के िलए भारत सरकार ारा पहल: 1. सुग य भारत अिभयान: द ांगजन के िलए सुग य वातावरण का िनमाण। 2. दीनदयाल िवकलांग पुनवास योजना। 3. िवकलांग छा के िलए रा ीय फै लोिशप। 4. िविश िवकलांगता पहचान प रयोजना।
  • 4. िव शासन- णाली संकेतक (World Governance Indicators) संदभ: िव मं ालय म त कालीन धान आ थक सलाहकार संजीव सा याल ारा 2020 म पेश क गयी एक तुित के अनुसार, िव बक के ‘िव शासन- णाली संके तक’ (World Governance Indicators – WGI) संबंधी इनपुट एकप ीय ह। यह तुित, भारत के संबंध म क गयी ‘नकारा मक ट पणी’ का मुकाबला करने के िलए सरकार के भीतर आंत रक संचलन के िलए िव मं ालय ारा तैयार क गई थी। ‘शासन- णाली’ या होती है? ‘शासन- णाली’ या ‘शासन’ (Governance) म वे संभी परंपराएँ और सं थाएँ शािमल होती ह िजनके ारा कसी देश म ािधकार का योग कया जाता है। इसम सरकार के चयन, िनगरानी और ित थापन करने संबंधी या ; ठोस नीितय को भावी ढंग से तैयार करने और लागू करने के िलए सरकार क मता; और नाग रक तथा उनके बीच आ थक और सामािजक संबंध को िनयंि त करने वाली सं था के िलए रा य का स मान आ द को शािमल कया जाता है। ‘िव शासन- णाली संके तक’ (WGI) के बारे म: WGI, ‘िव बक’ ारा जारी कए गए ह। ‘िव शासन- णाली संके तक ’ ारा शासन- णाली के िन िलिखत छह आयाम के आधार पर 215 देश क र कं ग क गयी है: 1. ‘अिभ ि तथा जवाबदेही’; 2. ‘राजनीितक ि थरता एवं हंसा क अनुपि थित’; 3. ‘सरकार क भावशीलता’; 4. ‘िविनयामक गुणव ा’; 5. ‘िविध का शासन’ एवं 6. ‘ ाचार पर िनयं ण’। ोत: ये सम संके तक, िविभ सव ण सं थान , थंक टक, गैर-सरकारी संगठन (NGOs), अंतरा ीय संगठन और िनजी े क फम जैसे ‘इकोनॉिम ट इंटेिलजस यूिनट’ (EIU),’ वेरायटीज ऑफ़ डेमो ेसी’ (V-Dem) ोजे ट और डम हाउस, आ द ारा तैयार कए गए 30 से अिधक ि गत डेटा ोत पर आधा रत ह। मह व: WGI कसी भी देश क ‘सॉवरेन े िडट रे टंग’ तय करने म मह वपूण भूिमका िनभाते ह। भारत सरकार के िलए चंता का िवषय:  भारत सरकार के अनुसार, ‘िव शासन- णाली संके तक’ (WGI) पि मी देश क ेस या गैर सरकारी संगठन के लघु सव ण और मु ी भर िश ािवद के काशन पर आधा रत ह, िजनम से कई म कोई भारत संबंधी मामल का िवशेष भी नह है।  भारत के ित इन सं थान क आलोचना मक ट पिणय के प रणाम व प WGI प रणाम म िगरावट आएगी। इसके प रणाम व प भारत क सॉवरेन रे टंग भी नीचे आ सकती है। नवीनतम ‘िव शासन- णाली संके तक’ म भारत का कोर: भारत का WGI कोर सभी छह संके तक पर ‘बीबीबी माि यका’ (BBB Median) से काफ नीचे है।
  • 5.  ‘बीबीबी’, ‘ टडड एंड पुअर’ तथा ‘ फच’ जैसी वैि क रे टंग एजिसय ारा जारी एक िनवेश- ेड रे टंग है।  ‘बीबीबी माि यका’ से नीचे WGI कोर का ता पय है, क जब सूची म शािमल देश के कोर को अवरोही म म वि थत कया जाता है तो भारत क ि थित ‘म य’ से नीचे है। भारत क WGI रक को अ यिधक भािवत करने वाली मुख घटनाएं: 1. क मीर मु ा। 2. कायकता का उ पीड़न। 3. राज ोह कानून। 4. एनजीओ लाइसस को र कया जाना। पेसए स ारा 53 टार लंक उप ह का ेपण संदभ:  हाल ही म, पेसए स (SpaceX) ारा कै िलफो नया से ‘फा कन 9 ेपण यान’ रॉके ट’ ारा ‘ टार लंक इंटरनेट का टलैशन के िलए 53 उप ह को ले जाने वाला एक रॉके ट लॉ च कया गया।  पेसए स ारा अब तक 2,500 से अिधक टार लंक उप ह (Starlink satellites) को लॉ च कया जा चुका है, और अभी कई अ य उप ह को क ा म थािपत करने क योजना है। ‘ टार लंक ोजे ट’ या है? ‘ टार लंक नेटवक’ (Starlink network), अंत र से डेटा संकेत को भेजने के िलए वतमान म जारी कई यास म से एक है।  इस ोजे ट के तहत, कं पनी का उ े य लगभग 12,000 उप ह का एक समूह तैयार करना है।  इसका उ े य, दुिनया को कम लागत वाली और िव सनीय अंत र -आधा रत इंटरनेट सेवाएं दान करना है। LEO उप ह आधा रत इंटरनेट के लाभ: 1. पृ वी क िनचली क ा (Low Earth Orbit – LEO) म ि थत उप ह, पृ वी से लगभग 36,000 कमी क दूरी पर ि थत भू- थैितक क ा उप ह क तुलना म, लगभग 500 कमी से 2000 कमी क दूरी पर ि थत होते ह। 2. LEO उप ह पृ वी का नजदीक से प र मण करते ह अतः ये, पारंप रक ि थर-उप ह णािलय क तुलना म सश िस ल और तेज गित दान करने म स म होते ह। 3. चूं क, िस ल, फाइबर-ऑि टक के बल णाली क तुलना म, अंत र के मा यम से अिधक तेजी से गित करते ह, इसिलए भले ही ये मौजूदा जमीन-आधा रत नेटवक से आगे न िनकल सक, फर भी इसका मुकबला करने म स म ह गे। चुनौितयां: LEO उप ह 27,000 कमी ित घंटा क गित से या ा करते ह और 90-120 िमनट म पृ वी का एक पूण प रपथ पूरा कर लेते ह। नतीजतन, एक उप ह, पृ वी पर थािपत ांसमीटर के साथ ब त कम ले िलए संपक थािपत कर पाता है, अतः इस णाली को
  • 6. सफलतापूवक काय करने हेतु LEO उप ह के एक िवशाल बेड़े क आव यकता होती है और इसके िलए बड़े पूंजी िनवेश क ज रत होती है। LEO उप ह क आलोचनाएँ: 1. चूं क, इन प रयोजना को अिधकांशतः िनजी कं पिनय ारा संचािलत कया जा रहा है, अतः शि संतुलन, देश से हटकर कं पिनय म थानांत रत हो गया है। इन िनजी प रयोजना म कई रा क भागेदारी भी होती है, इसे देखते ए इन कं पिनय को िनयंि त करने से संबंिधत सवाल उ प हो रहे ह। 2. ज टल िनयामक ढांचा: इन कं पिनय म िविभ देश के िहतधारक शािमल होते ह। इस कार येक देश म इन सेवा के संचालन हेतु अपेि त लाइसस ा करना चुनौतीपूण हो जाता है। 3. ाकृ ितक उप ह को कभी-कभी रात के समय आसमान म देखा जा सकता है, इन कृ ि म उप ह क वजह से खगोलिवद के िलए मुि कल हो सकती ह। 4. िनचली क ा म मण करने वाले उप ह, अपने ऊपर प र मा करने वाले उप ह क आवृि य को बािधत कर सकते ह। 5. बोलचाल क भाषा म ‘ पेस जंक’ कहे जाने वाले पंड से अंत र यानो को ित प ंचने या अ य उप ह से टकराने क संभावना रहती है। संभावनाएं: िजन थान पर फाइबर और पे म सेवा क प ँच नह होती है, वहां LEO सैटेलाइट ॉडबड बेहतर काय करने म स म हो सकते ह। अतः इसके िलए लि त बाजार, ामीण आबादी और शहरी े से दूर तैनात सै य इकाइयाँ ह गी। इस कार क अ य प रयोजनाएं: 1. वनवेब (One Web) 2. िजओ सैटेलाइट ॉडबड सेवाएं (Jio satellite broadband services) नासा का वॉइअजर िमशन संदभ: नासा का वॉइअजर- 1 (Voyager- 1) अंत र यान लॉ च होने के 45 साल बाद भी हमारे सौर मंडल से आगे अपनी या ा जारी रखे ए है। ले कन अब ये पुराना और अनुभवी अंत र यान अपने इंजीिनयर को हैरान करते ए अजीबोगरीब डेटा वापस भेज रहा है। इसके कारण एक गड़बड़ी बताई जा रही है।  इस गड़बड़ी का संबंध ‘वॉइअजर- 1’ के ‘एटी ूड आ ट यूलेशन एंड कं ोल िस टम’ (Attitude Articulation and Control System, or AACS) से है। AACS, अंत र यान और उसके एंटीना को उिचत दशा म रखता है।  ारंिभक िव ेषण से पता चलता है, क यह यान अंत र म अपनी अवि थित के बारे म अ प हो गया है। ‘वॉइअजर िमशन’ के बारे म: नासा का ‘वॉइअजर िमशन’ (Voyager Mission) 1970 के दशक म लॉ च कया गया था। इस िमशन म नासा ारा अंत र म बाहरी ह का के वल पता लगाने के ‘ ोब’ भेजे गए थे – ले कन ये दोन ोब बस अगाध अंत र म आगे क ओर बढ़ते जा रहे ह।
  • 7.  िमशन के तहत, ‘वॉइअजर 1’ ने 5 िसतंबर 1977 को पृ वी से थान कया और इसके कु छ दन बाद वायेजर 2 को पृ वी से छोड़ा गया था। इस दोन अंत र यान ने 2013 म हमारे सौर मंडल को पीछे छोड़ दया।  वॉइअजर अंतरतारक य / इंटर टेलर िमशन (Voyager Interstellar Mission – VIM) का िमशन उ े य, नासा के सौर मंडल अ वेषण को, बा ह के िनकटवत े से परे / आगे, हमारे सूय के भाव े क बाहरी सीमा तक और संभवतः उससे आगे तक िव ता रत करना है।  वॉइअजर (VOYAGER) अंत र यान, हमारे सौर मंडल के सभी ह से आगे उड़ान भरने वाले मशः तीसरे और चौथे मानव अंत र यान है। इससे पहले ‘पायिनयर 10’ और ‘पायिनयर 11’ सूय के गु वाकषण आकषण सीमा से आगे िनकल गए थे, कं तु 17 फरवरी, 1998 को, वॉइअजर 1, पायिनयर 10 को पार करते ए अंत र म सबसे दूर तक प ँचने वाली मानव िन मत व तु बन गई। अब तक क उपलि धयां:  ‘वॉइअजर 2’, ह क उड़ान के दौरान नेप यून और यूरेनस का अ ययन करने वाला एकमा ोब है।  यह हमारे ह से बाहर जाने वाली मानव िन मत दूसरी व तु है।  वॉइअजर 2, सभी चार गैसीय िवशालकाय ह – बृह पित, शिन, यूरेनस और नेप यून- का मण करने तथा 16 चं मा क खोज करने वाला और साथ ही, ने यून के रह यमयी िणक ेट डाक पॉट, यूरोपा के बफ के खोल म दरार, और येक ह पर छ ल जैसी िवशेषताएं जैसी घटना का पता लगाने वाला एकमा अंत र यान है। ‘इंटर टेलर पेस’ या है? ‘अंतरतारक य अंत र ’ / इंटर टेलर पेस (Interstellar Space) कहां से शु होता है, इसे िचि नत करने के िलए वै ािनक ‘हेिलयोपॉज’ (HELIOPAUSE) का उपयोग करते ह। हालां क यह इस बात पर िनभर करता है क आप हमारे ‘सौर मंडल’ को कै से प रभािषत करते ह- जो क सूय से पृ वी क क ीय दूरी क तुलना म, 1,000 गुना दूर से आरंभ होने वाले ‘ऊट लाउड’ (Oort Cloud) तक िव ता रत हो सकता है। हेिलओ फ यर: हेिलओ फ यर (Heliosphere) सूय के चार ओर फै ला आ एक बुलबुला है, जो क सौर हवा के सूय के क से बाहर क ओर वाह, तथा अंतरतारक य हवा के सूय क ओर आने वाले वाह को रोकने से िन मत होता है। ‘हेिलओ फ यर’, सौर हवा के साथ आने वाले सूय क ग या मक िवशेषता - जैसे क चुंबक य े , ऊजायु कण और सौर पवन ला मा आ द- से भािवत े है। ‘हेिलओपॉज़’, हेिलओ फ यर के अंत और ‘इंटर टेलर पेस’ क शु आत क िनशानी होते ह।