2. लेखक परिचय
स्वयं प्रकाश का जन्म1947 ई० इंदौि (मध्य प्रदेश)I शशक्षा एवं नौकिी
िाजस्थान I वसुधा पशिका क
े संपादक I मध्यमवर्गीय जीवन का शचिण I इनकी
कहाशनय ं में वर्गग श षण का शवि ध,सामाशजक जीवन में जाशि, सम्प्रदाय एवं
शलंर्ग भेद का शवि ध I पहल सम्मान, बनमाली पुिस्काि, िाजस्थान साशहत्य
अकादमी इत्याशद पुिस्काि ं से सम्माशनि I
िचनाएँ :- सूिज कब शनकलेर्गा, आएँ र्गें अच्छे शदन भी, आदमी जाि का आदमी
एवं संधान प्रमुख हैं I बीच में शवनय एवं ईंधन (उपन्यास) I
पाठ-परिचय :- चाि ं ओि सीमाओं से शििे भूभार्ग क देश नहीं कहिे I उस
धििी पि िहने वाले नार्गरिक ं, पेड़-पौध ं, नशदय ं पवगि ं िथा पशु-पशक्षय ं से
देश बनिा है I इनसे शन:स्वाथग प्रेम किना िथा इनक
े शवकास क
े शलए प्रयत्नशील
िहना देशभक्ति है I नेिाजी का चश्मा पाठ कहानी क
ै प्टन चश्मेवाले क
े माध्यम
से उन सभी देशभि ं क
े य र्गदान क िेखांशकि कििी है ज अपने देश क
समृद्ध िथा उसकी िक्षा में अपने-अपने ििीक
े से य र्गदान देिे हैं I इस य र्गदान
में बड़े ही नहीं, बच्चे भी शाशमल हैं I
3. पाठ का साि
कहानी का मुख्य पाि हीिा औि म िी I द न ं बैल सीधे-साधे भािशिय ं क
े
प्रिीक ज दयालु, पि पकािी िथा मेहनिी है शिि भी अत्याचाि I झूिी क
े पास
एक ज ड़ी बैल सुंदि,सुडौल एवं मेहनिी है I अपने माशलक एक प्रशि प्रेम,
र्गहिी द स्ती I हीिा सहनशील एवं धैयग वान जबशक म िी िुनकशमजाज़ I झूिी
का साला, र्गया, द न ं क खेिी क
े काम क
े शलए ले जािा है I वहाँ सुखा चािा
एवं अमानवीय व्यवहाि से द न नािाज़ ह कि वहाँ से िाि में भार्गने का प्लान
कििे है शक भैि ं की बेटी आकि िस्सी ख ल देिी है I द न ं वहाँ से भार्गिेभार्गिे
िास्ता भटक जािे है I दुसिे क
े मटि क
े खेि में िुसकि द न ं माि खािे हुए
म िी पकड़ा र्गया इस ििह द न ं कांजीहौस पहुँचे I वहाँ एनी जानवि ं की कष्ट
एवं दयनीय क्तस्थशि देख द न ं ने दीवाल ि ड़ शदया सभी जानवि भार्ग र्गए पि
द न ं पकडे र्गए खूब शपटाई हुई I लर्गभर्ग सप्ताह भि कांजीहौस में बंधे िहे
खाने क क
ु छ नहीं शमला I दशियल कसाई क
े हाथ ं बेच शदया जािे है I िास्ता
जाना-पहचाना शमला औि वे भार्गकि झूिी क
े पास पहुँच र्गए I कसाईं झूिी क
े
पास पहुंचा पि म िी ने ऐसा शसंर्ग चलाया शक कसाईं भर्गा I झूिी ने प्याि से
नांद ं में खली, च कि,दाना एवं भूसा भि शदया I द न ं प्रसन्न ह चािा खाया र्गांव
भि में द न ं की खूब प्रशंसा हुई मालशकन ने प्याि से माथे चूम शलए I
5. र्गृहकायग
i) कांजीहौस में क
ै द पशुओं क हाजिी क् ं ली जािी ह र्गी ?
ii) छ टी बच्ची क बैल ं क
े प्रशि प्रेम क् ं उमड़ आया ?
iii)बैल ं क
े माध्यम से कौन-से नीशि शवषयक मूल्य सामने आए हैं?
iv) ‘लेशकन औिि जाि पि चलाना मन हैI’ आशय स्पष्ट कीशजए I
v) शकन बाि ं से पिा चलिा है हीिा औि म िी में र्गहिी द स्ती हैं?
vi) पाठ क
े आधाि पि पशु औि मनुष्य क
े प्रेम क शलक्तखए I
Vii)लेखक की जीवनी क संक्षेप में शलक्तखए I
सौजैन्य से :- (शहंदी शवभार्ग)
धन्यवाद !