2. राष्ट्र वाद क
े युग में भारतीय राजनीतत को
पुनर्व्ााख्यातयत करनेवाले क
ै म्ब्रिज क
े
इततहासकारोों क
े समूह को क
ै म्ब्रिज स्क
ू ल'
क
े नाम से जाना गया।
पृष्ठभूवम
क
ै म्ब्रिज स्क
ू ि का उदय
3. क
ै म्ब्रिज स्क
ू ि की प्रमख क
ृ वययाुं
रॉविनसन और गेिेघर क
े -अफ्रीका ऐुंड द विक्टोररयन्स
जॉन गेिेघर, गोडान जॉनसन और अवनि सीि (सुंपा.)- िोक
े िेटी प्रोविन्स ऐन्ड नेशन्स
अवनि सीि क
े - इमरजेन्स ऑफ इुंवडयन नेशनविज्म
गोडान जॉनसन,- प्रोविम्ब्रन्सयि पोविवटक्स ऐन्ड इुंवडयन नेशनविज्मः िम्बई ऐुंड इुंवडयन
नेशनि काुंग्रेस 1890 से 1905
सी.ए. िेिी. -द िोकि रूट्स ऑफ इुंवडयन पोविवटक्सः एिाहािाद 1880-1920
(1975)
सी .जे. िेकर, द पोविवटक्स ऑफ साउथ इुंवडया 1920-1937 (1976),
िी. आर. टॉमविन्सन,- द इुंवडयन नशनि काुंग्रेस ऐुंड ि राज 1929-1942 (1976),
सी.जे. िेकर, गोडान जॉनसन और अवनि सीि (सुंपा.), -पािर, प्रोवफट ऐुंड
पोविवटक्स (1981
4.
5. क
ै म्ब्रिज स्क
ू ि की विवशष्टयाएुं
क
ै म्ब्रिज स्क
ू ल में स्थानीयता और वहाों मौजूद सोंबोंधोों पर तवशेष बल तदया गया है।
प्रत्येक राजनीततज्ञ को भारतीय समाज क
े सभी स्तरोों से जुडे तवतवध और एक दू सरे क
े तवपरीत तहतोों की
देखभाल करनी पडती थी और ऐसा करते हुए वे वगा, जातत, क्षेत्र और धमा का अततक्रमण करते थे।
राजनीतत की जड स्थानीयता अथाात् तजला, नगरपातलका, गाोंव में तनतहत होती थी।
गाोंधी क
े आने क
े बाद राजनीततक बदलाव तो आया परोंतु यह भी सोंभ्ाोंत लोगोों क
े हाथ में था, यह जन
आोंदोलन नहीों बना।
क
ै म्ब्रिज स्क
ू ल काोंग्रेस आोंदोलन क
े राष्ट्र वादी दावे पर सवाल खडी करती है और भारतीय राष्ट्र वाद को
सोंदेह की दृतष्ट् से देखती है।
6. क
ै म्ब्रिज स्क
ू ि विचार का सुंशयिाद
क
ै म्ब्रिज स्क
ू ल काोंग्रेस आोंदोलन क
े राष्ट्र वादी दावे पर सवाल खडी करती है
और भारतीय राष्ट्र वाद को सोंदेह की दृतष्ट् से देखती है। इस सोंदेह क
े पीछे
राजनीतत क
े बारे में एक तवतशष्ट् धारणा है वह यह तक र्व्म्ब्रि सत्ता,
सोंरक्षण और सोंसाधनोों की प्राम्ब्रि क
े तलए राजनीतत करता है।