Condition of Women before and after independencepragya tripathi
This slide discusses the key points about the conditions of women in India before and after Independence. Equal rights and freedom was given to women when and how? The revolts , revolutionaries and the sacrifices made.
6 बार माफीनामा लिखने वाले व अंग्रेजो से पेंशन पाने वाले सावरकर ‘वीर’ कैसे?molitics
वीर दामोदर सावरकर को सम्मान देना है तो गांधी की विचारधारा की तरफ अपनी पीठ करनी होगी। और अगर गांधी को स्वीकारना है तो सावरकर की विचारधारा को नकारना होगा। दोनों को एक साथ लेकर चलना लगभग असंभव है।
हिंदी साहित्य के भीष्म माने जाने वाले भीष्म साहनी कथाकर के साथ-साथ उपन्यासकार और नाटककार के रूप में भी जाने जाते हैं।उनकी रचनाओं के बारे में पढ़ें सोलवेदा पर।
Condition of Women before and after independencepragya tripathi
This slide discusses the key points about the conditions of women in India before and after Independence. Equal rights and freedom was given to women when and how? The revolts , revolutionaries and the sacrifices made.
6 बार माफीनामा लिखने वाले व अंग्रेजो से पेंशन पाने वाले सावरकर ‘वीर’ कैसे?molitics
वीर दामोदर सावरकर को सम्मान देना है तो गांधी की विचारधारा की तरफ अपनी पीठ करनी होगी। और अगर गांधी को स्वीकारना है तो सावरकर की विचारधारा को नकारना होगा। दोनों को एक साथ लेकर चलना लगभग असंभव है।
हिंदी साहित्य के भीष्म माने जाने वाले भीष्म साहनी कथाकर के साथ-साथ उपन्यासकार और नाटककार के रूप में भी जाने जाते हैं।उनकी रचनाओं के बारे में पढ़ें सोलवेदा पर।
हिन्दी सिनेमा की सिण्ड्रेला सुरैया
सुरैया का अर्थ होता है कृतिका, ज्योतिष में प्रयुक्त अट्ठाईस नक्षत्र समूहों में तीसरा। सुरैया 1940 और 50 के दशक में हिन्दी फिल्म जगत का एक चमचमाता नक्षत्र थी । इन दो दशकों में कुछ बरस तो वह अपनी समकालीन नायिकाओं – नरगिस / मधुबाला / मीनाकुमारी / गीताबाली / नलिनी जयवंत / निम्मी और बीना राय से ज्यादा लोकप्रिय रही । अभिनय का उसका अंदाज निराला था और साथ ही वह एक सुंकठ गायिका भी थी, जो लता मंगेशकर के अवतरण के बावजूद अपनी जगह पर कायम रही। इस कालखंड में उसने पाकिस्तान चली गई नूरजहाँ और खुर्शीद की अदाकारी का अंदाज कायम रखा। वह पुरानी और नई पीढ़ी के गायक-अभिनेताओं के. एल. सहगल, सुरेन्द्र, मुकेश और तलत महमूद के साथ तो पर्दे पर आई बल्कि पृथ्वीराज, जयराज और मोतीलाल जैसे वरिष्ठ नायकों की नायिका भी बनी। सुरैया की व्यावसायिक सफलता का आलम यह था कि निर्माता-निर्देशक द्वितीय श्रेणी के अभिनेताओं को लेकर भी सुरैया के सहारे अपनी फिल्म को सफलता की वैतरणी पार करा दिया करते थे। सुरैया की लोकप्रियता का एक कारण यह भी था कि फिल्म-उद्योग में और उद्योग से बाहर उसे चाहने वाले और अपना बनाने के इच्छुक लोगों की संख्या बेशुमार थी। लेकिन भाग्य की विडम्बना देखिए कि उसे एक सिण्ड्रेला (चिर प्रतीक्षारत कुमारिका) का जीवन जीना पड़ा। देवआंनद और ग्रेगरी पेक सारी सहानुभूति के बावजूद भी उसे साथ न दे सके।
लेखक
श्रीराम ताम्रकर
एम.ए., बी.एड., विद्यावाचस्पति,
विशारद, एफ.ए. (FTII)
इन्दौर, म.प्र.
यह पीपीटी एक कुत्ते और एक मैना पर आधारित है| कक्षा नौवीं की हिंदी की किताब का चैप्टर आठ है | ये काफी सरल पीपीटी है जो कुत्ते और मैना के बारे में बताती है। ppt on maina
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एक कुत्ता और एक मैना ||
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2. कस्तूरबा गाांधी
(1869-1944)
महात्मा गाांधी की पत्नी जो
भारत में बा के नाम से
विख्यात है। कस्तूरबा गााँधी का
जन्म 11 अप्रैल सन 1869 ई.
में महात्मा गााँधी की तरह इस
प्रकार कस्तूरबा गााँधी आयु में
गााँधी जी सेकाठियािाड़ के
पोरबांदर नगर में हुआ था। 6
मास बड़ी थीां। कस्तूरबा गााँधी
के वपता 'गोकु लदास मकनजी'
साधारण स्स्थतत के
3.
व्यापारी थे। गोकु लदास मकनजी की कस्तूरबा तीसरी
सांतान थीां। उस जमाने में कोई लड़ककयों को पढाता तो था
नहीां, वििाह भी अल्पिय में ही कर ठदया जाता था।
इसललए कस्तूरबा भी बचपन में तनरक्षर थीां और सात
साल की अिस्था में 6 साल के मोहनदास के साथ उनकी
सगाई कर दी गई। तेरह साल की आयु में उन दोनों का
वििाह हो गया। बापू ने उन पर आरांभ से ही अांकु श रखने
का प्रयास ककया और चाहा कक कस्तूरबा बबना उनसे
अनुमतत ललए कहीां न जाएां, ककां तु िे उन्हें स्जतना दबाते
उतना ही िे आजादी लेती और जहााँ चाहतीां चली जातीां।
कस्तूरबा गाांधी
6.
अरुणा आसफ अली
महात्मा गााँधी के आह्िान पर हुए 1942 के भारत छोड़ो
आांदोलन में अरुणा आसफ अली ने सकिय रूप से ठहस्सा
ललया था। इतना ही नहीां जब सभी प्रमुख नेता गगरफ्तार
कर ललए गए तो उन्होंने अद्भुत कौशल का पररचय ठदया
और नौ अगस्त के ठदन मुम्बई के गिाललया टैंक मैदान
में ततरांगा झांडा फहराकर अांग्रेजों को देश छोड़ने की खुली
चुनौती दे डाली।
भारत के स्िाधीनता सांग्राम में महान योगदान देने िाली
अरुणा आसफ अली का जन्म 16 जुलाई 1909 को
हररयाणा तत्कालीन पांजाब के कालका में हुआ था। लाहौर
और नैनीताल से पढाई पूरी करने के बाद िह लशक्षक्षका
बन गई और कोलकाता के गोखले मेमोररयल कॉलेज में
अध्यापन कायय करने लगीां।
7.
इततहासकार डॉ. ईश्िरी प्रसाद के अनुसार 1928 में स्ितांत्रता सेनानी आसफ अली से शादी करने के बाद
अरुणा भी स्िाधीनता सांग्राम में सकिय रूप से भाग लेने लगीां। शादी के बाद उनका नाम अरुणा आसफ
अली हो गया। सन 1931 में गााँधी इरविन समझौते के तहत सभी राजनीततक बांठदयों को छोड़ ठदया
गया लेककन अरुणा आसफ अली को नहीां छोड़ा गया। इस पर मठहला कै ठदयों ने उनकी ररहाई न होने
तक जेल पररसर छोड़ने से इांकार कर ठदया। माहौल बबगड़ते देख अांग्रेजों को अरुणा को भी ररहा करना
पड़ा ।
29 जुलाई 1996 को उनका तनधन हो गया। 1997 में उन्हें मरणोपराांत भारत के सिोच्च नागररक
सम्मान भारत रत्न से सम्मातनत ककया गया। 1998 में उनकी याद में एक डाक ठटकट जारी ककया
गया। अरुणा आसफ अली की जीिनशैली काफी अलग थी। अपनी उम्र के आििें दशक में भी उन्होंने
साियजतनक पररिहन से सफर जारी रखा।
एक बार अरुणा ठदल्ली में याबत्रयों से िसािस भरी बस में सिार थीां। कोई सीट खाली नहीां थी। उसी
बस में आधुतनक जीिनशैली की एक युिा मठहला भी सिार थी। एक आदमी ने युिा मठहला की नजरों
में चढने के ललए अपनी सीट उसे दे दी लेककन उस मठहला ने अपनी सीट अरुणा को दे दी।
इस पर िह व्यस्तत बुरा मान गया और युिा मठहला से कहा यह सीट मैंने आपके ललए खाली की थी
बहन।' इसके जिाब में अरुणा आसफ अली तुरांत बोलीां ' मााँ को कभी न भूलो तयोंकक मााँ का हक बहन
से पहले होता है।' इस बात को सुनकर िह व्यस्तत काफी शमयसार हो गया।
अरुणा आसफ अली
9.
भारतीय स्ितांत्रता आांदोलन में महत्िपूणय भूलमका तनभाने िाली सरोस्जनी नायडू का
जन्म हैदराबाद में हुआ। उन्होंने घर पर ही अांगरेजी का अध्ययन ककया और बारह िर्य
की आयु में मैठिक पास की। िे अपनी लशक्षा पूरी नहीां कर सकीां, परांतु अांगरेजी भार्ा
में काव्य सृजन में िे प्रततभािान रहीां। गीततकाव्य की शैली में नायडू ने काव्य सृजन
ककया और 1905, 1912 और 1917 में उनकी कविताएां प्रकालशत हुईं।
नायडू के राजनीतत में सकिय होने में गोखले के 1906 के कोलकाता अगधिेशन के
भार्ण ने महत्िपूणय भूलमका तनभाई। 1903 से 1917 के बीच िे टैगोर, गाांधी, नेहरू ि
अन्य नायकों से भी लमलीां। ऐनी बेसेंट और अय्यर के साथ युिाओां में राष्ट्िीय
भािनाओां का जागरण करने हेतु उन्होंने 1915 से 18 तक भारत भ्रमण ककया। 1919
के सविनय अिज्ञा आांदोलन में िे गाांधीजी की विश्िसनीय सहायक थीां।
होम रूल के मुद्दे को लेकर िे 1919 में इांग्लैंड गईं। 1922 में उन्होंने खादी पहनने
का व्रत ललया। 1922 से 26 तक िे दक्षक्षण अफ्रीका में भारतीयों के समथयन में
आांदोलनरत रहीां और गाांधीजी के प्रतततनगध के रूप में 1928 में अमेररका गईं।
सरोजिनी नायडू