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RABINDRANATH
TAGORE
Jivni
नाम- तेजस्व श्रीवास्तव
कक्षा-10th
रोल नंबर -22
अध्यापिका - श्री सीमा कनोपिया
पवषय- रपवंद्र नाथ टैगोर क
े बारे मे।
रवीन्द्रनाथ ठाक
ु र (7 मई, 1861 - 8 अगस्त 1941) को
गुरुिेव क
े नाम से भी जाना जाता है। वे पवश्वपवख्यात कपव,
सापहत्यकार, िार्शपनक और भारतीय सापहत्य क
े एकमात्र
नोबल िुरस्कार पवजेता हैं। बांग्ला सापहत्य क
े माध्यम से
भारतीय सांस्क
ृ पतक चेतना में नयी जान फ
ूँ कने वाले युगदृष्टा
थे। वे एपर्या क
े प्रथम नोबेल िुरस्कार सम्मापनत व्यक्ति हैं।
वे एकमात्र कपव हैं पजसकी रचनाएूँ िो िेर्ों का राष्टर गान बनीं
भारत - का राष्टर -गान जन गण मनऔर बाूँग्लािेर् का राष्टर ीय
गान आमार सोनार बाूँग्ला गुरुिेव की ही रचनाएूँ हैं।
रबीन्द्रनाथ ठाक
ु र
• रव ींद्रनाथ टैगोर का जन्म बुद्धिज ववयोीं क
े घर में हुआ था,
रव ींद्रनाथ टैगोर क
े सबसे बडे भाई विजेन्द्रनाथ टैगोर एक
कवव और दार्शवनक थे और उनक
े दू सरे बडे भाई सत्येन्द्रनाथ
टैगोर पहले भारत य और गैर-यूरोप य व्यद्धि थे, वजनको
भारत य वसववल सेवा में चुना गया था। उनक बहन
स्वर्शक
ु मार एक प्रवसि उपन्यासकार थ ीं। उनक
े वपता
देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता र्ारदा देव थ ीं।
• गुरुदेव क
े नाम से भ प्रवसि रववींद्रनाथ टैगोर ने बाींग्ला
सावहत्य और सींग त को एक नई वदर्ा द । उन्ोींने बींगाल
सावहत्य में नए तरह क
े पद्य और गद्य और बोलचाल क भाषा
का भ प्रयोग वकया। इससे बींगाल सावहत्य क्लावसकल
सींस्क
ृ त क
े प्रभाव से मुि हो गया ।
रववींद्रनाथ टैगोर ज वन
• अपने ज वन में उन्होींने एक हजार कववताएीं , आठ
उपन्यास, आठ कहान सींग्रह और वववभन्न ववषयोीं
पर अनेक लेख वलखे। इतना ह नह ींरव ींद्रनाथ
टैगोर सींग तप्रेम थे और उन्होींने अपने ज वन में
2000 से अविक ग तोीं क रचना क । उनक
े वलखे
दो ग त आज भारत और बाींग्लादेर् क
े राष्टर गान
हैं।
• 16 साल क उम्र में 'भानुवसम्हा' उपनाम से उनक
कववतायें प्रकावर्त भ हो गय ीं। वह घोर राष्ट्रवाद थे
और विवटर् राज क भर्त्शना करते हुए देर् क
आजाद क माींग क । जवल आींवाला बाग़ काींड क
े
बाद उन्ोींने अींग्रेजोीं िारा वदए गए नाइटहुड का
त्याग कर वदया।
• उन्ोींने आठ साल क उम्र में ह कववता वलखना
और प्रकावर्त करना प्रारींभ कर वदया था। जब वे
सोलह वषश क
े थे, तब उन्ोींने छद्म नाम 'भानुवसम्हा'
से कववता वलखना र्ुरू वकया।
• टैगोर क माता का वनिन उनक
े बचपन में हो गया
था और उनक
े वपता व्यापक रूप से यात्रा करने
वाले व्यद्धि थे, अतः उनका लालन-पालन
अविकाींर्तः नौकरोीं िारा ह वकया गया था। टैगोर
क
े वपता ने कई पेर्ेवर ध्रुपद सींग तकारोीं को घर में
रहने और बच्ोीं को भारत य र्ास्त्र य सींग त पढाने
क
े वलए आमींवत्रत वकया था।
रचनाएँ
• ग ताींजवल
• पूरब प्रवावहन
• वर्र्ु भोलानाथ
• महुआ
• वनवार्
• पररर्ेष
• पुनश्च
• व वथका र्ेषलेखा
• चोखेरबाल
• कवर्का
• नैवेद्य मायेर खेला
• क्षवर्का
• ग वतमाल्य
• कथा ओ कहान
रब न्द्रनाथ टैगोर क मृत्यु
कववगुरु रव न्द्रनाथ ठाक
ु र को गुरुदेव क
े नाम
से भ जाना जाता है। 7 अगस्त 1941 को
उन्ोींने कोलकाता में अींवतम साींस ल । गुरुदेव
बहुआयाम प्रवतभा वाल र्द्धियत थे। वे कवव,
सावहत्यकार, दार्शवनक, नाटककार, सींग तकार
और वचत्रकार थे। 1941 में 80 साल क उम्र में
यूर वमया क वजह से उनका वनिन हो गया था.
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  • 1. RABINDRANATH TAGORE Jivni नाम- तेजस्व श्रीवास्तव कक्षा-10th रोल नंबर -22 अध्यापिका - श्री सीमा कनोपिया पवषय- रपवंद्र नाथ टैगोर क े बारे मे।
  • 2. रवीन्द्रनाथ ठाक ु र (7 मई, 1861 - 8 अगस्त 1941) को गुरुिेव क े नाम से भी जाना जाता है। वे पवश्वपवख्यात कपव, सापहत्यकार, िार्शपनक और भारतीय सापहत्य क े एकमात्र नोबल िुरस्कार पवजेता हैं। बांग्ला सापहत्य क े माध्यम से भारतीय सांस्क ृ पतक चेतना में नयी जान फ ूँ कने वाले युगदृष्टा थे। वे एपर्या क े प्रथम नोबेल िुरस्कार सम्मापनत व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कपव हैं पजसकी रचनाएूँ िो िेर्ों का राष्टर गान बनीं भारत - का राष्टर -गान जन गण मनऔर बाूँग्लािेर् का राष्टर ीय गान आमार सोनार बाूँग्ला गुरुिेव की ही रचनाएूँ हैं। रबीन्द्रनाथ ठाक ु र
  • 3. • रव ींद्रनाथ टैगोर का जन्म बुद्धिज ववयोीं क े घर में हुआ था, रव ींद्रनाथ टैगोर क े सबसे बडे भाई विजेन्द्रनाथ टैगोर एक कवव और दार्शवनक थे और उनक े दू सरे बडे भाई सत्येन्द्रनाथ टैगोर पहले भारत य और गैर-यूरोप य व्यद्धि थे, वजनको भारत य वसववल सेवा में चुना गया था। उनक बहन स्वर्शक ु मार एक प्रवसि उपन्यासकार थ ीं। उनक े वपता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता र्ारदा देव थ ीं। • गुरुदेव क े नाम से भ प्रवसि रववींद्रनाथ टैगोर ने बाींग्ला सावहत्य और सींग त को एक नई वदर्ा द । उन्ोींने बींगाल सावहत्य में नए तरह क े पद्य और गद्य और बोलचाल क भाषा का भ प्रयोग वकया। इससे बींगाल सावहत्य क्लावसकल सींस्क ृ त क े प्रभाव से मुि हो गया । रववींद्रनाथ टैगोर ज वन
  • 4. • अपने ज वन में उन्होींने एक हजार कववताएीं , आठ उपन्यास, आठ कहान सींग्रह और वववभन्न ववषयोीं पर अनेक लेख वलखे। इतना ह नह ींरव ींद्रनाथ टैगोर सींग तप्रेम थे और उन्होींने अपने ज वन में 2000 से अविक ग तोीं क रचना क । उनक े वलखे दो ग त आज भारत और बाींग्लादेर् क े राष्टर गान हैं। • 16 साल क उम्र में 'भानुवसम्हा' उपनाम से उनक कववतायें प्रकावर्त भ हो गय ीं। वह घोर राष्ट्रवाद थे और विवटर् राज क भर्त्शना करते हुए देर् क आजाद क माींग क । जवल आींवाला बाग़ काींड क े बाद उन्ोींने अींग्रेजोीं िारा वदए गए नाइटहुड का त्याग कर वदया।
  • 5. • उन्ोींने आठ साल क उम्र में ह कववता वलखना और प्रकावर्त करना प्रारींभ कर वदया था। जब वे सोलह वषश क े थे, तब उन्ोींने छद्म नाम 'भानुवसम्हा' से कववता वलखना र्ुरू वकया। • टैगोर क माता का वनिन उनक े बचपन में हो गया था और उनक े वपता व्यापक रूप से यात्रा करने वाले व्यद्धि थे, अतः उनका लालन-पालन अविकाींर्तः नौकरोीं िारा ह वकया गया था। टैगोर क े वपता ने कई पेर्ेवर ध्रुपद सींग तकारोीं को घर में रहने और बच्ोीं को भारत य र्ास्त्र य सींग त पढाने क े वलए आमींवत्रत वकया था।
  • 6. रचनाएँ • ग ताींजवल • पूरब प्रवावहन • वर्र्ु भोलानाथ • महुआ • वनवार् • पररर्ेष • पुनश्च • व वथका र्ेषलेखा • चोखेरबाल • कवर्का • नैवेद्य मायेर खेला • क्षवर्का • ग वतमाल्य • कथा ओ कहान
  • 7. रब न्द्रनाथ टैगोर क मृत्यु कववगुरु रव न्द्रनाथ ठाक ु र को गुरुदेव क े नाम से भ जाना जाता है। 7 अगस्त 1941 को उन्ोींने कोलकाता में अींवतम साींस ल । गुरुदेव बहुआयाम प्रवतभा वाल र्द्धियत थे। वे कवव, सावहत्यकार, दार्शवनक, नाटककार, सींग तकार और वचत्रकार थे। 1941 में 80 साल क उम्र में यूर वमया क वजह से उनका वनिन हो गया था.