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प्रोस्टेट सुदितवधर् Benign Prostatic Hyperplasia (BPH)
प्रोस्टेट सुदम अितवधर्न वयोवृद्ध लोगों का एक सामान्य, िजसमें प्रोस्टेट ग्रंिथ क� कोिशकाओं में वृिद्ध होने लगती
अंग्रेजी में िबनाइन प्रोस्टेिटक हाइपरप्लेि Benign Prostatic Hyperplasia (BPH) कहते हैं। कोिशकाओं में वृिद्ध
कारण ग्रंिथ का आकार धी-धीरे बढ़ने लगता है िजसके कारण रोगी को कई मूत्र िवसजर्न सम्बन्धी ल�ण पैदा हो जाते हैं
समय पर उपचार नहीं िकया जाये तो बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट मूत्र के प्रवाह में आंिशक या पूणर् �कावट पैदाकर सकती है ि
मूत्रा, मूत्रपथ और वृक्क सम्बन्धी िवकार हो सकते हैं।  इस रोग का उपचारजीवनशैली मे, जड़ी-बूिटयाँ, औषिधयाँ और 
शल्यिक्रया ह
कारण
प्रोस्टेट अितवधर्न य.एच.पी. क� रोगजनकता में पु�ष हाम�न
Androgens (टेस्टोस्टीरोन तथा अन्य सम्बिन्धत  ) एक अहम 
कारक है। इसका मतलब यह ह�आ िक शरीर में ऐन्ड्रोजन उपि
होने पर ही प्रोस्टेट अितवधर्न होगा। इसका एक सा�य यह भी है
िजन लड़कों का वंध्यकर( Castration) छोटी उम्र में ही कर िद
जाता है उन्हें प्रोस्टेट अितवधर कभी नहीं होता है। दूसरी तरफ
िजनको टेस्टोस्टीरोन बाहर स(इंजेक्शन या गोिलयों के �प ) िदया 
जाता है, उनमें प्रोस्टेट अितवधर्न के जोिखम पर िवशेष अन्त
आता है। डाइहाइड्रो टेस्टोस्टी (DHT), जो टेस्टोस्टीरोन क
चयापचय उत्पाद ह, प्रोस्टेट क� संवृिद्ध में िनणार्यक भूिमका 
है।  5α-अल्फा�रडक्टेज टा-2 एंजाइम क� उपिस्थित में प्रोस
ग्रंिथ टेस्टोस्टीरोन के अपघटन से डाइहाइड्रो टेस्टो (DHT)
का िनमार्ण करती है। यह एंजाइम मुख्यतः स्ट्रोमा क� कोिशकाओ
व्या� रहता ह, अतः मुख्यतः ड.एच.टी. का िनमार्ण स्ट्रोमा में ही 
है। 
डी.एच.टी. हाम�न स्ट्रोमा में स्व( Autocrine) अथवा समीप क� इपीथीिलयल कोिशकाओं में पह�ँच कर परास्रा
(Paracrine) रीित से कायर् करता है। दोनों ही तरह क� कोिशकाओं में.एच.टी. कोिशक�य एंड्रोजन अिभग्रा( Receptors)
से बंध कर संवृिद्ध घटक  य Growth Factors (िजन पर इिपथीिलयल और स्ट्रोमल कोिशकाओं क� संवृिद्ध क� िजम्मेदारी
है) को िलप्यंतरण संदे (Transcription Signal) देकर प्रोत्सािहत करता है।.एच.टी. टेस्टोस्टीरोन  स10 गुना अिधक प्रब
होता है क्योंिक टेस्टोस्टीरोन क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से बंधने क� �मता बह�त कम हो.एच.टी. के प्रभाव से प्रोस्टे
ग्रंिथल अितवधर( Nodular Hyperplasia) होता है। इसिलए जब ग्रंिथल अितवधर्न के रोगी 5 α-�रडक्टेज इिन्हबीटरजैस
िफनािस्टराइड दी जाती है तो प्रोस्टेट म.एच.टी. का स्तर िवशेष �प से कम होता है और फलस्ल�प प्रोस्टेट का आमाप 
होता है और ल�णों में राहत िमलतीहै।
प्रोस्टेट अितवधर्न में इस्ट्रोजन भी एक कारक माना गया है। लेिकन प्रोस्टेट क� अिभवृिद्ध से इस्ट्रोजन का सी
बिल्क प्रोस्टेट में इस्ट्रोजन अपघिटत होकर एंड्रोजन में प�रवितर्त होकर प्रोस्टट को बढ़ाता है। पा�ात्य जीवन
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अितवधर्न का महत्वपूणर् कारण है। यह बात बह�त रहस्यमय बनी ह�ई है िक प्रोस्टेट सुदम अितवधर्न रोग िसफर् मनुष्य और क
होता है जबिक सभी नर स्तन धा�रयों में प्रोस्टेट ग्रंिथ ह
ल�ण और संके त
प्रोस्टेट अितवधर्न में ल�-िवसजर्न या �कावट और मूत्राशय में मूत्र के भराव या Stretching or Irritation (मूत्राश
क� िनिष्क्र) के कारण होते हैं। मू-िवसजर्न सम्बन्धी ल�ण अिधक सामान्, लेिकन भराव सम्बन्धी ल�ण रोगी को ज्या
तकलीफ देते हैं। इस रोग के ल�ण उम्र के साथ बढ़ते हैं40 वषर् या अिधक उम्र 25 % पु�षों में प्रायः प्रोस्टेट अितव
ल�ण उपिस्थत होते हैं। मूत्रपथ में यांित्रक �कावट प्रोस्टेट ग्रंिथ के अितवधर्न के, लेिकन प्रोस्, मूत्र िनस्सा
नली और मूत्राशय ग्रीवा क� िस्नग्ध पेशी के आकुंचन से भी गत( Dynamic) �कावट होती है। यह गत्यात्मक �काव
िसम्पेथेिटक स्नायु तंत्रα-1 एड्रीनो�रसेप्टर के प्रोत्स ाहन के कारण होता है। भंडारण सम्बन्धी ल�ण मूत्र में �कावट
मूत्राशय क� डेट्र�जर पेशी में आई अिस्थरता के कारण  होते हैं। मूत्राशय क� िभि�यों  (Hypertrophy) और कोलेजन 
एकित्रत होना प्रमुख भंडारण सम्बन्धी ल�ण हैं।  इ α-1 एड्रीनो�रसेप्टसर् पर शोध चल रही α-1 एड्रीनो�रसेप्टसर् को
उपजाितयों क्रमα 1A और α1D में वग�कृत िकया गया है। α 1A मुख्यतः प्रोस्टेट म α1D मुख्यतः मूत्राशय में स्थ
रहते हैं। इस तरह मूत्र क� �कावट में राहत देने के  α 1A को और भंडारण सम्बन्धी ल�ण को ठीक करने के िल α1D
अव�द्ध करना ज�रीहै
िनम्न मूत्रपथ सम्बन्धी ल�ण और लैंिगक िवकारों के आपसी सम्बन्ध को भी समझना ज�री है। क्योंिक इन रोिगय
िवकार होना अित सामान्य है। कामेच्छा में (Poor Libido), स्तंभन दो (Irrectile Dysfunction), स्खलन में कमी या अन
स्खलन दोष प्रमुख लैंिगक िवकार 
मूत-िवसजर्न या �कावट सम्बन्धी ल मूत्र के भराव या तनाव सम्बन्धी
• मूत्र क� धार िनकलने में देर ल
• मूत्र क� धार पतली हो
• �क �क कर मूत्र िवसजर्न का हो
• मूत्र िवसजर्न के िलए जोर लगाना प
• मूत्र िवसजर्न अिधक समय लगना
• ऐसा लगे जैसे मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो पाया
• मूत्र िवसजर्न के बाद भी मूत्र बूँद बूँद करके टपकता
• बार बार मूत्र िवसजर्न होन
• अचानक मूत्र क� तलब लगन
• मूत्र िवसजर्न पर िनयंत्रण न रख
• रात में मूत्र िवसजर्न के िलए बार 
उठना पड़े
जिटलताएँ
मूत्रमें �का
जैसे जैसे प्रोस्टेट बढ़ती है रोगी के ल�णों क� तीवृता और मूत्र में �कावट क� संभावना भी बढ़नेलगती है। मूत्र में
क�दायक िवकार है और िजसके उपचार हेतु मूत्र िनस्सारण न (Urethera) द्वारा या जंघा (Symphysis Pubis) के ऊपर 
से मूत्राशय में केथेटर डाल कर छोड़ना पड़ता है। यिद मूत्र �कावट का समय पर उपचार नहीं िकया जाये तो डेट्र�जर पेशी म
और �ित होने लगती है, िजससे उसमें िनिष्क्रयता आ जाती है और मूत्राशय क� मूत्र िवसज(अथार्त मूत्राशय ) कम होने
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लगती है। कालान्तर में मूत्र �कावट ददर् रिहत हो जाता है और �कावट के कारण अन्य िवकार जै-बार मूत्रपथ संक, पथरी 
अथवा गुद� का �ितग्रस्त होना स्वाभािवक 
इनके अलावा मूत्र असंयमता य Incontinence of Urine (अथार्त मूत्राशय में मूत्र क� मात्रा अपनी नई और बढ़ी ह�ई 
अिधक होते ही मूत्र िनकल जा) उत्पन्न हो जातीहै। इस तरह मूत्र अनायास ही िनकल जाता है क्योंिक मूत्र िवसजर्न पर
िनयंत्रण नहीं रहता है। अंितम अवस्था में प्रोस्टेट अितवधर्न के रोगी में कई बार यह पहला ल�ण होता है। इसके अलावा
जाने पर भी मूत्राशय में आंिशक भराव बना रहता है। इसे अवशेष म(Residual Urine) कहते हैं।
िचरकारी मूत्र �काव(Chronic Urinary Retention) में मूत्रपथ में आई �कावट दूर करने के बाद भी ज�री नहीं है िक डे
पेशी पुनः ठीक से कायर् करने लगे। प्रोस्टेट अितवधर्न के समुिचत उपचार के बाद भी इन रोिगयों -बार केथेटर डालने अथवा 
मूत्र िनकास क� स्थाई व्यवस्था करने क� आवश्यकता ह, तािक मूत्राशय िनयिमत खाली होता रहे और उच्च मूत(गुद�) को 
�ित नहीं पह�ँचे।
बार-बार िनम्न मूत्रपथ संक
िनम्न मूत्रपथ को  संक्रमण से बचाने के िलए सबसे आवश्यकयही है िक मूत्र ठीक से िवसिजर्त होता रहे और मूत्र
खाली होता रहे। प्रोस्टेट अितवधर्न में यह व्यवस्था बािधत होजाती है और फलस्व�प मूत्र में �कावट तथा मूत्राशय मे
तथा ठहराव के कारण मूत्राशय में रोगाणुओं को पनपने तथा घरौधे बनाने का अवसर िमल जाता (जो सामान्य अवस्था में मूत्
में ठहर ही नहीं पाते )। इस कारण बार-बार संक्रमण होना सामान्य घटनाक्रम बन जात
मूत्राशय पथर
िवकिसत देशों में मूत्राशय पथरी का सबसे बड़ा कारण प्रोस्टेट अितवधर्न क� वजह से मूत्रपथ में आई �कावट माना जाता 
अितवधर्न क� शल्यिक्रया के िलए आये रोिगयों में2 % को मूत्राशय क� पथरी होना सामान्य बात है। पथरी बनने का का
मूत्राशय में मूत्र का भराव तथा ठहराव और मूत्र में( Concentration) के स्तर का बढ़ना है। इससे िवलेय यौिगकों क
अव�ेपण (Crystal Precipitation) हो जाता है । यू�रऐज बनाने वाले रोगाणुओं का िचरकारी संक्रमण भी पथरी का जोिखम बढ़ात
है।  कभी-कभी गुद� से आई छोटी पथ�रयां भी मूत्राशय में बसेरा बना लेती हैं और बढ़ने लगती हैं। प्रोस्टेट के रोगी में मूत
होना मूत्रमागर् द्वारा प्रोस्टेट उच्छेदन का स्प, क्योंिक ब-बार पथरी होने का जोिखम बना रहता है। 
र�मेह (Hematuria)
प्रोस्टेट अितवधर्न में एि (Acinar) और स्ट्रोमा क� कोिशकाएं बढ़ती है और नई-वािहकाएं भी बनती हैं। ये नई कोमल
वािहकाएं सहज ही टूट-फू ट जाती हैं और र�स्राव का कारण बनती हैं। ऐसा माना जाता है 5-α �रडक्टेज इिन्हबीटर प्रजाित
दवाएं (जैसे Finasteride) नई र�-वािहकाओं के िनमार्ण को बािधत करती ह, इसिलए ये प्रोस्टेट अितवधर्न के कारण ह�ए र�
को रोकने में भी सहायक िसद्ध ह�ई है
मूत्राश(डेट्र�) अिस्थरता (Detrusor Instability)
डेट्र�जर पेशी क15 सैंमी पानी से अिधक संकुचन(यिद मूत्राशय क� अिधकतम भराव �मत300 एमएल होती है ) को मूत्राश
अिस्थरता(Detrusor Instability) कहते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न के संदभर् में मूत्राशय या डेट्र�जर अिस्थरता िवशेष मह
है। लेिकन डेट्र�जर अिस्थरता से कुछ िनम्न मूत्रपथ सम्बन्धी ल�ण पैदा होते हैं।ये ल�ण जैसे अचानक मूत्र , बार 
बार मूत्र आ, मूत्र िवसजर्न पर िनयंत्रण न रख, रात में मूत्र िवसजर्न के िलए बार बार उठना पड़े आिद सामान्यतः मूत्र
भराव से सम्बिन्धत होते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न में मूत्रपथ में �कावट और मूत्राशय के संकुचन से डेट्र�जरपेशी में तन
मूत्राशय का गित िव�ान िबगड़ जाताहै। मूत्राशय अिस्थरता के कुछ ल�ण ऐिड्रनो�रसेप्टर में आये बदलाव के कारण भी β-
ऐिड्रनो�रसेप्टर मूत्राशय में मूत्र भरते समय मूत्राशय क� पेिशयों को ढ़ीला करने में मदद करते हैं। कुछ रोिगयों को नोरआ
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डेट्र�जर पेशी का संकुचन होताहै। इस प्रभाव α-1 ऐड्रीनो�रसेप्टर एंटागोिन( α-1 ऐड्रीनो�रसेप्टर िवर) दवा से बािधत 
िकया जा सकता है, क्योंिक डेट्र�जर पेशी में α ऐड्रीनो�रसेप्टर होते हैं। इस देखा गया है िक α-ऐड्रीनो�रसेप्टर एंटागोिन
पु�षों में मूत्र के भराव और िवसजर्न सम्बन्धी ल(भले मूत्र �कावट नहीं होती) और ि�यों में  मूत्र के भराव सम्
ल�णों में राहत देते हैं। मूत्रा α-ऐड्रीनो�रसेप्टसर् क� दो उपजाितयां कα 1D और α 1A पाई जाती हैं। 
गुद� का कमजोर होना
प्रोस्टेट अितवधर्न में  मूत्रपथ में आई �कावट के कारण गुद� कमजोर होते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न का 13.6% रोिगयों मे
वृक्कवात के ल�ण देखने को िमलते हैं। यिद िक्रयेिटनीन का स्तर बढ़ा ह�आ हो तो वृक्कवात के िनदान हेतु  छायांकन जां
जाती हैं। वृक्कवात के अन्य कारणों को ध्यान में रखना भी ज�री है। यिद ऐसे रोिगयों क� शल्यिक्रया करनी है तो
अिधक रहता है। 
परी�ण और िनदान 
पूछताछ
िचिकत्सक रोगी से प्रोस्टेट के ल�ण और उसके प�रवार में प्रोस्टेट रोग क� जानकारी लेने के उद्देष्य से िवस्तार में
है। उसके पास प्रोस्टेट अितवधर्न के िनदान हेतु िलए अमे�रकन यूरोलोिजकल एसोिसयेशन द्वारा बनाई गई प्र�ों क� पूरी ि
है। 
अन्तरमलाशय अंगुली प�रस्पशर(Digital Rectal Examination)
अन्तरमलाशय अंगुली प�रस्पशर्न में िचिकत्सक रबर के दस्तानें पहन कर अंगुली को मलद्वार में घुसा कर प्रोस्टेट क
इससे वह  प्रोस्टेट क� अिभवृिद्ध और कैंसर क� उपिस्थित को महसूस करले
नाड़ी तंत्र परी
नाड़ी तंत्र क� सरसरी जांच से वह िनम्न मूत्रपथ ल�णों क-जिनत कारणों का पता कर लेता है।
मूत्र परी�
यह मूत्र क� सरल जांचहै िजससे मूत्रपथ में संक्रमण और अन्य िवकारों क� जानकारी िमल 
प्रोस्टेट स्पेिसिफक एंट(PSA)
प्रोस्टेट अितवधर्न के िनदान हेतु यह जाच प्रायः नहीं क�जाती है। हां प्रोस्टेट स्पेिसिफक एंटीजन का प्रमुख उपयोग 
का पता लगाने, श्रेणी िनधार्रण करने और कैंसर रोगी क� मोनीट�रंग करने के िलए िकया जाता है।  यह भी सत्य है .एस.ए. का 
स्तर सुदम प्रोस्टेट अित, संक्रमण और अन्य िवकारों में भी बढ़ता है। कुछ वै�ािनक िवकासशील प्रोस्टेट अित
पी.एस.ए. को रोग क� तीवृता का बॉयो माकर्र मानते हैं और उपचार सम्बन्धी कई िनणर्य करने में भी मददगार बतातेहैं। जै
पी.एस.ए. 1.5ng/m या अिधक हो तथा प्रोस्टेट भी बह�त बड़ी हो तो रोगी  5 α-�रडक्टेज इिन्हबीटर उपचार से अिधक ला
होगा।   
इस जांच का एक नया स्व�प प.एस.ए. अनुपात PSA ratio है। पी.एस.ए. अनुपात क� गणना र� में प्रवािहत हो रहे मु�.एस.ए.
क� मात्रा में प्रोटीन से बं.एस.ए. क� मात्रा का भाग देकर क� जातीहै। शोधकतार् मानते हैं िक र� में मु� �प से प्
पी.एस.ए. का सुदम प्रोस्टेट िववधर्न से सीधा सम्बन्ध ह, जबिक प्रोटीन से जुड़ा .एस.ए. कै ंसर से सम्बिन्धत होता है। 
तरह पी.एस.ए. अनुपात बढ़ा ह�आ हो तो कै ंसर क� संभावना कम रहती है जबिक इस अनुपात का कम होना कैंसर क� उपिस्थित 
प्रबल बनाताहै
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मूत्र प्रवाह ज(Urinary Flow Rate)
इस जांच से मूत्र के प्रवाह क� मात्रा और गित को देखा जाता है। यह सरल जांच है और अस्पताल के बा� रोगी िवभाग मे
सकती है। रोगी को मशीन से लगे पात्र में एक या अिधक बार मूत्र िवसजर्न करवाया जाता है। इससे मूत्र �कावट का आ
जाता है और पता चल जाता है िक रोगी में मूत्र क� �कावट बढ़ रही है या  सुधर रही है।
मूत्र िवसजर्न प�ात मूत्राशय में अवशेष मूत्र (Post-void Residual Urine Volume)
मूत्र िवसजर्न प�ात मूत्राशय में अवशेष मूत्र क� मात्रा से मूत्राशय के खाली होने क� �मता का मोटे तौर पर आंकलन 
लेिकन इससे मूत्र �कावट या डेट्र�जन पेशी क� िनिष्क्रयता में भेद करना मुिश्कल होता है। यिद अ300 एमएल से अिधक 
हो तो उच्च मूत्रपथ और वृक्क िवकार का जोिखम रहता है। अवशेष मूत्र क� गणना सोनोग्राफ� द्वारा आसानी से करली
र� में िक्रयेिटन
िक्रयेिटनीन का बढ़ना उच्च मूत्रपथ और वृक्क िवकार क� उपिस्थित को इंिगतकर
उच्च मूत्रपथ छायांकन जा
इस हेतु सोनोग्राफ� और .टी.स्केन अच्छी जांच िवधाएं हैं। यिद मूत्रम, संक्रमण के संकेत िमले , वृक्क िवकार हो या रोगी
को पहले कभी पथरी  क� िशकायत रही हो तो उच्च मूत्रपथ क� छायांकन जांच बह�त ज�री हो जाती है। आवश्यकतानु
अंतःिशरा वृक्क िचत्( Intra Venous Pyelography) क� जाती है िजससे वृक्क और मूत्रपथ क� संपूणर् सं त्म और 
िक्रयात् जानकारी िमल जाती है। 
अन्तरमलाशय सोनोग्राTransrectal Ultrasound Scanning  (TRUS)
प्रोस्टेट के आ, आमाप, वृिद्ध या अबुर्द क� उपिस्
हेतु यह जांच बह�त िव�सनीय है। यिद कै ंसर क�
संभावना हो तो इसके साथ ही जीवोित जांच हेतु प्रोस्ट
के नमूने भी ले िलए जाते हैं। बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट
आंकलन तथा उपचार सम्बन्धी महत्वपूणर् िनणर्य 
हेतु हेतु यह बह�त ज�री जांच है। 
यूरोडायनेिमक्स(Urodynamics)
यूरोडायनेिमक्स के अंतगर्त मूत्र िवसजर्न के समय 
मूत्रपथ क� सिक्रयता के आंकलन हेतु कई जांचे
जाती हैं। यह जिटल जांचें है िजसमें फ्लोरोस,
वीिडयो �रकोिड�ग, मूत्राशय तथा मलाशय में दबाव 
गणना, और मूत्र प्रवाह का आंकलन िकया जाता 
िनम्न मूत्रपथ ल�ण के प्रारंिभक िनदान 
यूरोडायनेिमक्स जांच क� अवहेलना क� जा सकती ह, िवशेष तौर पर जहां हम उपचार के सस्त, प�रवतर्नीय और सुरि�त िवकल्प
का चयन करते हैं। लेिकन जब हम मंहग, अप�रवतर्नीय और आक्रामक उपचार देने पर िवचार करते हैं तो यह जांच आवश्य
जाती है।
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मूत्रमागर् द्वारा मूत्राश(Cystoscopy also called Urethrocystoscopy)
इस जांच का िनणर्य रोगी के िचिकत्क�य इितहास और संभािवत शल्य उपचार के आधार पर िकया जाता है। यिद रोगी को र�म
क� िशकायत हो तो मूत्राशय के अबुर्द और पथरी के आंकलन हेतु यह जांच करना ज�री हो जाता है। यिद रोगी को भूतकाल में-
िनससारण नली का िसकुड़न या िस्ट्र , मूत्राशय अबुर्द या पूवर् में िनम्न मूत्रपथ शल्य ह�आ हो तो भी यह जांच क� 
अन्तरात्मक िनदाDifferential Diagnosis  
प्रोस्टेट अितवधर्न का िनदान प्रायः प (Symptom scores), मूत्र प्र (Uroflowmetry), अन्तरमलाशय अंगुली
प�रस्पशर (Prostatic Volume on DRE or TRUS) और पी.एसए. (Biochemical) जांचों के आधार पर िकया जाता है।
लेिकन अंितम िनदान तो जीवोित जांच के आधार पर ही होता है। प्रोस्टेट अितवधर्न के अलावा कई अन्य िवकारों में भी
जुलते िनम्न मूत्रपथ ल�ण होते, िजन्हें परखना और पृथक करना ज�री होताहै। अन्तरात्मक िनदान नीचे सारणी में िदये गये
संक्रमण र कै ंस नाड़ी रोग मूत्रपथ �कावट के अन्य िव
मूत्रपथ संक
प्रोस्टेट सं
मूत्राशय पथ
इंटरस्टीिशयल संक्रमण मूत
मूत्राशय में �य र
प्रोस्टेट क
ट्रोंजीशन सेल कैंसर मू
मूत्र िनस्सारण मली कै
पािक� सन रोग
स्ट्
मल्टीपल िस्क्लरो
सेरीब्रल ऐट्
शाई ड्रेगर िसंड
यूरीथ्रल िस्ट
तीवृ फाईमोिसस
मूत्राशय ग्रीवा िडिस्सन
बा� संकोिचनी िडिस्सनिजर्
उपचार
प्रोस्टेट अितवधर्न के िलए कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं। इनमें , जड़ी-बूिटयाँ, शल्-िक्र, न्यूनतम आक्रामक श
उपचार आिद प्रमुख हैं। रोगी के िलए सव��म उपचार का चयन कई पहलुओं जैसे ल�णों क� ती, प्रोस्टेट का आ, रोगी क� 
उम, रोगी का स्वास्थ्य आिद के आधार पर -समझ कर िकया जाता है। यिद रोगी को ल�ण बह�त मामूली से हों तो कई बार
सतकर्ता और प्रती�ा क� नीित ही उिचत रहती ह
औषिधयाँ
प्रारंिभक अवस्था में प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार हेतु प्रायः औषिधयों का प्रयोग िकया जाता है। औषधीय उपचार को
में बांटा  गया है।
अल्फा ब्लॉक– इस श्रेणी क� औषिधयाँ मूत्राशय ग्रीवा और प्रोस्टेट क� पेिशयों( relax) करती है, िजसके कारण
मूत्र िवसजर्न आसानी से हो जाता है। टेराजो, डोक्साजोिस, टेमसुलािसन, ऐल्फुजोिसन और िसलोडोिसन इस श्रेणी में 
हैं। अल्फा ब्लॉकर जल्दी से असर करती हैं।  एक या दो िदन में ही मूत्र क� धारा तेज हो जाती ह-बार मूत्र जाने क� ज�र
नहीं पड़ती है।  अल्फा ब्लॉकर का एक हािन रिहत पाष्वर् प्रभाव प�गाम( Retrograde Ejaculation) है, िजसमें वीयर
स्खलन िश� मागर् से बाहर न होकर उलटा मूत्राशय में हो जाता
5 अल्फा �रडक्टेज इिन्हबीट– ये दवाएं प्रोस्टेट मे.एच.टी. हाम�न के िनमार्ण को बािधत कर बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट के आ
को छोटा करती हैं। फाइनास्ट्राइड और ड्युटास्ट्राइड इस श्रेणी में आती हैं। बह�त बड़ी प्रोस्टेट में इनका प्रयोग 
है। ये बह�त धीरे (कई हफ्तों या महीनों ) असर करती हैं।  नपुंसकता(स्तंभन दो), संभोग क� इच्छा कम होना और प�गामी
स्खलन(Retrograde Ejaculation) इनके प्रमुख पाष्वर् प्रभा
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संयु� औषधीय उपचार– कई बार उपरा� दोनों श्रेणी क� औषिधयाँ साथ देने से अच्छे प�रणाम िमलते
टाडालािफल – जो फोस्फोडाईस्टीरेज इिन्हबीटसर् श्रेणी में, का प्रयोग नपुंसकत(स्तंभन दो) के उपचार में िकया
जाता है। कुछ िचिकत्सक प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार में भी इसका प्रयोग करते हैं। इसको अल्फा ब्लॉकर औरनाइ
नाइट्रोग्लीसरीन के साथ नहीं िकया जाता ह
           Medical Treatment of BHP
Finasteride 5 mg HS Dutasteride  0.5 HS
Tab FINAST
Tab FINCAR
Tab CONTIFLO
Cap DURIZE
Tab VELTRIDE
Terazosin  start with 1
mh HS increase up to 10
mg
Tab TERAPRESS
Tab HYTRIN
Tamsulosin 0.4 to 0.8 mg
HS
Tab URIMAX
Cap DYNAPRES
Tab VELTAM
Tab ODCONTIFLO OD F
Cap URIMAX F
Tab VELTAM F
Cap FINAST T
Cap URIMAX F
Tab VELTAM PLUS
Cap DUTAS-T
Alfuzosin    10 mg HS Tab FLOTRAL Tab ALFUSIN D
Doxazosin 1, 2 & 4 mg  
Dose 1to 8 mg HS
Tab DOXACARD
Tab DURACARD
Herbal Cap Prostanorm HS = at bed time
शल्य िक्र
यिद औषिधयां काम नहीं करे या रोग के ल�ण गंभीर और क�दायक होने लगे तो कई तरह क� शल-िक्रयाएं क� जाती हैं। स
शल्-िक्रयाओं में मूत्र के प्रवाह में �कावट बन रहे प्रोस्टेट के ऊतकों को िनकाल कर प्रोस्टेट को छोटा िकया 
िनस्सारण नली को खोल िदया जाता है। उिचत शल-िक्रया का चुनाव कई पहलुओंजैसे ल�णों क� तीव, प्रोस्टेट का आ,
रोगी क� उम, रोगी का स्वास्थ्य और अन्य उपचार क� उपलब्धता के आधार प-समझ कर िकया जाता है। 
सभी शल्-िक्रयाओं के कुछ कुप्रभाव जैसे संभोग के बाद प�गामी स्खल Retrograde Ejaculation (िजसमें वीयर् स्ख
िश� मागर् से बाहर न होकर उलटा मूत्राशय में हो जात), मूत्राशय पर िनयंत्रण न  या Incontinence (मूत्र असंयत) और 
नपुंसकता (स्तंभन दो)  होते हैं। 
सामान्य शल-िक्रय
मूत्रमागर् से प्रोस्टेट उच्छेदन टी(TURP)
यह प्रोस्टेट अितवधर्न क� सबसे प्रचिलत और प्रम-िक्रयाहै। इसमें शल्यकम� प्रकाश स्रोत लगे दूरबीन को मूत्
8 | P a g e
नली में प्रोस्टेट तक घुसाता है और काटने
िविश� औजार से प्रोस्टेट के ऊतकों
छील कर िनकाल लेता है और उसके बाहरी 
खोल को छोड़ देता है।  टीयूआरपी के बाद 
रोगी को क�दायक ल�णों में बह�त राह
िमलती है और खुल कर मूत्र आना शु� ह
जाता है। लेिकन र� स्राव और संक्
इसके प्रमुख कुप्रभाव हैं। कुछ िदनों क
मूत्र िनस्सारण नली में रबर क� नली ड
जाती है, तािक आराम से मूत्र आता रहे
शल्य के बाद कुछ िदनों तक रोगी को आरा
करने क� सलाह दी जाती है।    
मूत्रमागर् से प्रोस्टेट िवच्छ
टीयूआइपी (TUIP or TIP)
यह शल्-िक्रया उन रोिगयों में क� जाती
िजनक� प्रोस्टेट छोटी या मामूली बढ़ी ह�ई होती है और रोगी को कुछ शारी�रक िवकारों के कारण अन्-िक्रया करने में क
खतरा भी होता है।  इसमें टीयूआरपी क� तरह ही दूरबीन को मूत्र िनस्सारण नली में प्रोस्टेट तक घुसा कर काटने के िवि
से प्रोस्टेट में एक या दो छोटे चीरे भर लगाये जाते हैं तािक मूत्र मागर् खुल जाये और आसानी से मूत्र आ
खुली प्रोस्टेट उच्छ(Open prostatectomy)
यिद प्रोस्टेट बह�त बढ़ी ह�ई, मूत्राशय भी �ितग्रस्त हो या अन्य िवकार जैसे मूत्राशय में पथरी हो तो-िक्रया करन
उिचत रहता है। इसे खुली शल्-िक्रया इसिलए कहते हैं क्योंिक प्रोस्टेट तक पह�ँचने के िलए उदर के िनचले िहस्से में
लगाया जाता है। बह�त बड़ी प्रोस्टेट के िलए यह सबसे प्रभावी उपचार है लेिकन इसके कई कुप्रभाव और जिटलताएँ भी हैं।
िक्रया के िलए रोगी को कई िदनों तक अस्पताल में भरती रहना पड़ता है और खून चढ़ाने क� भी ज�रत पड़ सकती
न्यूनतम आक्रामक उपच(Minimally invasive treatments)
न्यूनतम आक्रामक उपचार में र� क� हािन बह�त कम होत, और आवश्यता पड़ने पर ही रोगी को भरती करने क� ज�रत होती
है।  ददर् िनवारक दवाओं क� भी बह�त कम ज�रत होती है। प्रोस्टेट अितवधर्न के िलए िनम्न न्यूनतम आक्रामक उपचार िदये जा
लेज़र शल्-िचिकत्सा(Laser Surgery)
लेज़र शल्य िचिकत्सा में बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट को िनकालने या न� करने के िलए शि�शाली लेज़र िकरणों का प्रयोग िकया ज
लेज़र शल्य िचिकत्सा में रोगी को तुरन्त राहत िमलती है और टीयूआरपी क� तुलना में कुप्रभाव भी बह�त कम होते हैं। 
पतला करने क� दवाएं ले रहे रोिगयों मे(जहां अन्य शल-उपचार करना संभव नहीं होता ह) भी लेज़र शल्य िचिकत्सा क� ज
सकती है। 
लेज़र शल्य में िविभन्न प्रकार के लेज़र कई तरीकों से प्रयोग िकये ज
अप�रण उपचार (Ablative Procedures) – में मूत्र िनस्सारण नली पर दबाव डाल रहे प्रोस ्टेट के ऊतकों
कर (या वाष्पीकरण द्व) न� कर िदया जाता है और आराम से मूत्र आना शु� हो जाताहै
9 | P a g e
समूलोच्छेदन उपचार(Enucleative Procedures) -
यह उपचार खुली प्रोस्टेट उच्छेदन क� तरह
है लेिकन इसमें कुप्रभाव बह�त कम होते है
इस शल्-िक्रया में मूत्र प्रवाह में�का
कर रहे प्रोस्टेट के सारे ऊतकों को  िन
िदया जाता है और प्रोस्टेट क� पुनवृर्िद
रोक लगा दी जाती है।  इस उपचार का एक 
फायदा यह भी है िक िनकाले ह�ए ऊतकों क�
कै ंसर या अन्य रोग सम्बन्धी जांच क�
सकती है। 
प्रोस्टेट अितवधर्न हेतु िनम्न लेज़र शल्य
जाते हैं।
• होिल्मयम लेज़र ऐब्लेशन ऑफ द प्रोसHolmium laser ablation of the prostate (HoLAP)
• िवज्वल ऐब्लेशन ऑफ द प्रोसVisual laser ablation of the prostate (VLAP)
• होिल्मयम लेज़र इन्यूिक्लयेशन ऑफ द प्रोHolmium laser enucleation of the prostate (HoLEP)
• फोटोसेलेिक्टव वेपोराइजेशन ऑफ द प्रोस्Photoselective vaporization of the prostate (PVP)
लेज़र उपचार का चयन  प्रोस्टेट के आ, संवृिद्ध के स्, उपचार क� उपलब्धत, िचिकत्सक क� अनुशंस और रोगी क� 
वरीयता के आधार पर िकया जाता है। 
ट्रांसयूरेथ्रल माइक्रोवेव थम�थTransurethral microwave thermotherapy (TUMT)
इसमें िचिकत्सक मूत्रमागर् द्वारा एक िविश� इलेक्ट्रोड प्रोस्टेट तक घुसाता है। इलेक्ट्रोड को माइक्रोवेव तरंगो से
इस ऊष्मा से प्रोस्टेट का अंद�नी िहस्सा जल कर िसकुड़ जाता है और मूत्र प्रवाह क� �कावट दूर कर देता है। इस
कुप्रभाव बह�त कम हैं। लेिकन यह उपचार छोटी प्रोस्टेट के िलए प्रयोग िकया, तािक ज�रत पड़ने पर दोबारा भी उपचार 
िकया जा सके। 
ट्रांसयूरेथ्रल नीडल ऐब्Transurethral needle ablation (TUNA)
यह शल्य प्रायः बा�रोगी िवभाग में िकया जाता है।  इसमें प्रकाश स्रोत लगे दूरबीन को मूत्र िनस्सारण नली में प्रोस्ट
और दूरबीन से देखते ह�ए कुछ सुइयां प्रोस्टेट में स्थािपत कर देता है। िफर इन सुइयों में रेिडयो तरंगें प्रवािहत , िजससे 
प्रोस्टेट के ऊतक जल कर न� हो जाते हैं और मूत्र प्रवाह क� �कावट दूर हो जाती है। यह उपचार उन रोिगयों में ठी
िजन्हें -स्राव का जोिखम रहता हो या अन्य गंभीर रोग हो।  ट्रांसयूरेथ्रल माइक्रोवेव (TUMT) क� भांित इस उपचार में
भी रोगी को आंिशक लाभ ही िमलता है और राहत िमलने में समय भी लगता है। इस उपचार में नपुंसकत(स्तंभन दो)  का 
जोिखम बह�त कम होता है।
10 | P a g e
प्रोस्टेिटकस्Prostatic stents
प्रोस्टेिटक स्टेंट एक छोटी सी प्लािस्टक या धातु क� नली के समान संरचना, िजसे मूत्र िनस्सारण नली में स्थािप
िदया जाता है, तािक मूत्रमागर् खुला रहे। इसे 4-6 स�ाह में बदलना पड़ता है। इसको स्थािपत करने के बाद शल्य क� ज�रत न
पड़ती है। लेिकन िचिकत्सक इसे लम्बे समय के िलए प्रयोग नहीं करते हैं क्योंिक संक्रमण और मूत्र िवसजर्न के समय
खतरा रहता है।  कई बार धातु के स्टेंट को िनकालना मुिश्कल होता है इसिलए इसे िवशेष प�रिस्थितयों में ही डाला जात
प्लािस्टक के स्टेंट को कभी कभी शल्य से पहले डाला जाता है ताि-िक्रया होने तक आराम से मूत्र आता रह
जीवनशैली में सुधार
जीवनशैली में सुधार लाकर भी रोगी अपनी परेशािनयों को कम कर सकताहै
• शाम को पेय पदाथ� का सेवन कम करें। सोने के एक या दो घंटे पहले कोई पेय पदाथर् नहीं पीयें। तािक राित्र में मूत्
के िलए उठना नहीं पड़े।
• कॉफ� या मिदरापान कम करें। क्योंिक इनको पीने से अिधक मूत्र बनता है जो मूत्राशय को (Irritate) करता है 
और तकलीफ बढ़ाता है।  
• यिद आप डाइयूरेिटक्स ले रहे हैं तो िचिकत्सक से सलाह लेकर इनक� मात्रा कम करें या इन्हें सुबह के समय ले
इन्हें िचिकत्सक से पूछे िबना कभी बंद नहीं कर
• अनावश्यक जुकाम क� दवा(Decongestants or Antihistamines) नहीं लें। ये प्रोस्टेट क� पेिशयों का संकुचन
हैं िजससे मूत्र करने में िदक्कत बढ़ती
• तलब लगते ही मूत्र करने चले जायें। मूत्र को अिधक देर तक रोकने से मूत्राशय का िखंचावबढ़ता है और उसक� प
कमजोर होती है। 
• िनयिमत अंतराल पर मूत्र िवसजर्न करते रहें।4-6 घंटें में मूत्र करना उिचत रहता 
• स्वयं को सिक्रय , थोड़ा व्याया, योग और भ्रमण करे
• मूत्र िवसजर्न के बाद कुछ �णों बाद पुनः मूत्र
• अिधक ठंड से बचें और शरीर को गमर् रख
• अि�नी मुद्रा में एक योग व्यायाम बढ़ी ह�ई प्रॉस्टेटग्रंिथ के ल�णों के िलएफायदेमं
• इस रोग में कद्दू के  (िजंक), पपीता, बी पोलन, हरी चाय, ब्रोकोली आिद बह�त ही लाभदायक ह
वैकिल्पक िचिकत्स
प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार में क-बूिटयां बह�त प्रभावशाली सािबत ह�ई हैं। िनम्न-बूिटयां काफ� महत्वपूणर् मानी गई है
• सा पामेटो (Saw Palmetto) - सबसे प्रमुख सा पामेटोहै जो चीन म
पैदा होने वाले पौधे सेरेनोवा रेपेन्स के फल से तैयार िकया जाता है।  
• पाइिजयम – यह एक तेल है जो अफ्रन प्रून के पेड़ के िछलके स
िनकाला जाता है। 
• बीटा-साइटोस्टीरोल ऐक्सट्र– यह कई तरह क� घास और पेड़ों से
तैयार िकया जाता है। 
• राईग्रास ऐक्सट्(Ryegrass Extract) – यह राईग्रास के पराग स
तैयार होता है। 
• िस्टंिगंग नेटल ऐक्सट्र(Stinging Nettle Extract) – यह इस पौधे क� जड़ से तैयार िकया जाता है।
11 | P a g e
• बढ़ी ह�ई प्रॉस्टेट ग्रंिथके िलए कुछ उपयोगी आयुव�िदक पूरक गोकशुरादी गु , चन्द्रप्रभ, िशलािजत वटी, गोरखमुंडी 
घाना, पुनरनावा घाना, लताकरंज घाना है।
प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार हेतु उपरो�-बूिटयों से बना केप्स्यूल प्रोस्टानोमर् एक उत्कृ�उत्पाद है। सा पामेटो इ
ल�ण और तकलीफों में बह�त राहत देताहै। पाइिजयम में वसा में घुलनशील स्टीरोलऔर फैटी ऐिसड  जो प्रदाहरोधी है 
के प्रवाह को बढ़ाते , अवशेष मूत्र क� मात्रा को घटाते हैं और राित्र में मूत्र िवसजर्न के आघटन को क
िस्टंिगंग नेटल ऐक्सट्रेक्ट में िलगनेन होता है जो लैंिगक हाम�न्स क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से िचपकने क� �म,
िजससे प्रोस्टेट क� कोिशकाओं क� संवृिद्ध बािधत होती है। िजंक प्रोस्टेट के आमाप कोघटाता है। सबके िमले जुले
डाइहाइड्-टेस्टोस्टीरोन क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से अनुराग और िचपकने क� �मता कमहोती5-अल्फा �रडक्टेज एंजाइ
क� सिक्रयता बािधत होतीहै। प्रोस्टानोमर् बह�त असरदायक है लेिकन पाष्वर् प्रभाव न

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Benign Hyperplasia of Prostate

  • 1. 1 | P a g e प्रोस्टेट सुदितवधर् Benign Prostatic Hyperplasia (BPH) प्रोस्टेट सुदम अितवधर्न वयोवृद्ध लोगों का एक सामान्य, िजसमें प्रोस्टेट ग्रंिथ क� कोिशकाओं में वृिद्ध होने लगती अंग्रेजी में िबनाइन प्रोस्टेिटक हाइपरप्लेि Benign Prostatic Hyperplasia (BPH) कहते हैं। कोिशकाओं में वृिद्ध कारण ग्रंिथ का आकार धी-धीरे बढ़ने लगता है िजसके कारण रोगी को कई मूत्र िवसजर्न सम्बन्धी ल�ण पैदा हो जाते हैं समय पर उपचार नहीं िकया जाये तो बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट मूत्र के प्रवाह में आंिशक या पूणर् �कावट पैदाकर सकती है ि मूत्रा, मूत्रपथ और वृक्क सम्बन्धी िवकार हो सकते हैं। इस रोग का उपचारजीवनशैली मे, जड़ी-बूिटयाँ, औषिधयाँ और शल्यिक्रया ह कारण प्रोस्टेट अितवधर्न य.एच.पी. क� रोगजनकता में पु�ष हाम�न Androgens (टेस्टोस्टीरोन तथा अन्य सम्बिन्धत ) एक अहम कारक है। इसका मतलब यह ह�आ िक शरीर में ऐन्ड्रोजन उपि होने पर ही प्रोस्टेट अितवधर्न होगा। इसका एक सा�य यह भी है िजन लड़कों का वंध्यकर( Castration) छोटी उम्र में ही कर िद जाता है उन्हें प्रोस्टेट अितवधर कभी नहीं होता है। दूसरी तरफ िजनको टेस्टोस्टीरोन बाहर स(इंजेक्शन या गोिलयों के �प ) िदया जाता है, उनमें प्रोस्टेट अितवधर्न के जोिखम पर िवशेष अन्त आता है। डाइहाइड्रो टेस्टोस्टी (DHT), जो टेस्टोस्टीरोन क चयापचय उत्पाद ह, प्रोस्टेट क� संवृिद्ध में िनणार्यक भूिमका है। 5α-अल्फा�रडक्टेज टा-2 एंजाइम क� उपिस्थित में प्रोस ग्रंिथ टेस्टोस्टीरोन के अपघटन से डाइहाइड्रो टेस्टो (DHT) का िनमार्ण करती है। यह एंजाइम मुख्यतः स्ट्रोमा क� कोिशकाओ व्या� रहता ह, अतः मुख्यतः ड.एच.टी. का िनमार्ण स्ट्रोमा में ही है। डी.एच.टी. हाम�न स्ट्रोमा में स्व( Autocrine) अथवा समीप क� इपीथीिलयल कोिशकाओं में पह�ँच कर परास्रा (Paracrine) रीित से कायर् करता है। दोनों ही तरह क� कोिशकाओं में.एच.टी. कोिशक�य एंड्रोजन अिभग्रा( Receptors) से बंध कर संवृिद्ध घटक य Growth Factors (िजन पर इिपथीिलयल और स्ट्रोमल कोिशकाओं क� संवृिद्ध क� िजम्मेदारी है) को िलप्यंतरण संदे (Transcription Signal) देकर प्रोत्सािहत करता है।.एच.टी. टेस्टोस्टीरोन स10 गुना अिधक प्रब होता है क्योंिक टेस्टोस्टीरोन क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से बंधने क� �मता बह�त कम हो.एच.टी. के प्रभाव से प्रोस्टे ग्रंिथल अितवधर( Nodular Hyperplasia) होता है। इसिलए जब ग्रंिथल अितवधर्न के रोगी 5 α-�रडक्टेज इिन्हबीटरजैस िफनािस्टराइड दी जाती है तो प्रोस्टेट म.एच.टी. का स्तर िवशेष �प से कम होता है और फलस्ल�प प्रोस्टेट का आमाप होता है और ल�णों में राहत िमलतीहै। प्रोस्टेट अितवधर्न में इस्ट्रोजन भी एक कारक माना गया है। लेिकन प्रोस्टेट क� अिभवृिद्ध से इस्ट्रोजन का सी बिल्क प्रोस्टेट में इस्ट्रोजन अपघिटत होकर एंड्रोजन में प�रवितर्त होकर प्रोस्टट को बढ़ाता है। पा�ात्य जीवन
  • 2. 2 | P a g e अितवधर्न का महत्वपूणर् कारण है। यह बात बह�त रहस्यमय बनी ह�ई है िक प्रोस्टेट सुदम अितवधर्न रोग िसफर् मनुष्य और क होता है जबिक सभी नर स्तन धा�रयों में प्रोस्टेट ग्रंिथ ह ल�ण और संके त प्रोस्टेट अितवधर्न में ल�-िवसजर्न या �कावट और मूत्राशय में मूत्र के भराव या Stretching or Irritation (मूत्राश क� िनिष्क्र) के कारण होते हैं। मू-िवसजर्न सम्बन्धी ल�ण अिधक सामान्, लेिकन भराव सम्बन्धी ल�ण रोगी को ज्या तकलीफ देते हैं। इस रोग के ल�ण उम्र के साथ बढ़ते हैं40 वषर् या अिधक उम्र 25 % पु�षों में प्रायः प्रोस्टेट अितव ल�ण उपिस्थत होते हैं। मूत्रपथ में यांित्रक �कावट प्रोस्टेट ग्रंिथ के अितवधर्न के, लेिकन प्रोस्, मूत्र िनस्सा नली और मूत्राशय ग्रीवा क� िस्नग्ध पेशी के आकुंचन से भी गत( Dynamic) �कावट होती है। यह गत्यात्मक �काव िसम्पेथेिटक स्नायु तंत्रα-1 एड्रीनो�रसेप्टर के प्रोत्स ाहन के कारण होता है। भंडारण सम्बन्धी ल�ण मूत्र में �कावट मूत्राशय क� डेट्र�जर पेशी में आई अिस्थरता के कारण होते हैं। मूत्राशय क� िभि�यों (Hypertrophy) और कोलेजन एकित्रत होना प्रमुख भंडारण सम्बन्धी ल�ण हैं। इ α-1 एड्रीनो�रसेप्टसर् पर शोध चल रही α-1 एड्रीनो�रसेप्टसर् को उपजाितयों क्रमα 1A और α1D में वग�कृत िकया गया है। α 1A मुख्यतः प्रोस्टेट म α1D मुख्यतः मूत्राशय में स्थ रहते हैं। इस तरह मूत्र क� �कावट में राहत देने के α 1A को और भंडारण सम्बन्धी ल�ण को ठीक करने के िल α1D अव�द्ध करना ज�रीहै िनम्न मूत्रपथ सम्बन्धी ल�ण और लैंिगक िवकारों के आपसी सम्बन्ध को भी समझना ज�री है। क्योंिक इन रोिगय िवकार होना अित सामान्य है। कामेच्छा में (Poor Libido), स्तंभन दो (Irrectile Dysfunction), स्खलन में कमी या अन स्खलन दोष प्रमुख लैंिगक िवकार मूत-िवसजर्न या �कावट सम्बन्धी ल मूत्र के भराव या तनाव सम्बन्धी • मूत्र क� धार िनकलने में देर ल • मूत्र क� धार पतली हो • �क �क कर मूत्र िवसजर्न का हो • मूत्र िवसजर्न के िलए जोर लगाना प • मूत्र िवसजर्न अिधक समय लगना • ऐसा लगे जैसे मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो पाया • मूत्र िवसजर्न के बाद भी मूत्र बूँद बूँद करके टपकता • बार बार मूत्र िवसजर्न होन • अचानक मूत्र क� तलब लगन • मूत्र िवसजर्न पर िनयंत्रण न रख • रात में मूत्र िवसजर्न के िलए बार उठना पड़े जिटलताएँ मूत्रमें �का जैसे जैसे प्रोस्टेट बढ़ती है रोगी के ल�णों क� तीवृता और मूत्र में �कावट क� संभावना भी बढ़नेलगती है। मूत्र में क�दायक िवकार है और िजसके उपचार हेतु मूत्र िनस्सारण न (Urethera) द्वारा या जंघा (Symphysis Pubis) के ऊपर से मूत्राशय में केथेटर डाल कर छोड़ना पड़ता है। यिद मूत्र �कावट का समय पर उपचार नहीं िकया जाये तो डेट्र�जर पेशी म और �ित होने लगती है, िजससे उसमें िनिष्क्रयता आ जाती है और मूत्राशय क� मूत्र िवसज(अथार्त मूत्राशय ) कम होने
  • 3. 3 | P a g e लगती है। कालान्तर में मूत्र �कावट ददर् रिहत हो जाता है और �कावट के कारण अन्य िवकार जै-बार मूत्रपथ संक, पथरी अथवा गुद� का �ितग्रस्त होना स्वाभािवक इनके अलावा मूत्र असंयमता य Incontinence of Urine (अथार्त मूत्राशय में मूत्र क� मात्रा अपनी नई और बढ़ी ह�ई अिधक होते ही मूत्र िनकल जा) उत्पन्न हो जातीहै। इस तरह मूत्र अनायास ही िनकल जाता है क्योंिक मूत्र िवसजर्न पर िनयंत्रण नहीं रहता है। अंितम अवस्था में प्रोस्टेट अितवधर्न के रोगी में कई बार यह पहला ल�ण होता है। इसके अलावा जाने पर भी मूत्राशय में आंिशक भराव बना रहता है। इसे अवशेष म(Residual Urine) कहते हैं। िचरकारी मूत्र �काव(Chronic Urinary Retention) में मूत्रपथ में आई �कावट दूर करने के बाद भी ज�री नहीं है िक डे पेशी पुनः ठीक से कायर् करने लगे। प्रोस्टेट अितवधर्न के समुिचत उपचार के बाद भी इन रोिगयों -बार केथेटर डालने अथवा मूत्र िनकास क� स्थाई व्यवस्था करने क� आवश्यकता ह, तािक मूत्राशय िनयिमत खाली होता रहे और उच्च मूत(गुद�) को �ित नहीं पह�ँचे। बार-बार िनम्न मूत्रपथ संक िनम्न मूत्रपथ को संक्रमण से बचाने के िलए सबसे आवश्यकयही है िक मूत्र ठीक से िवसिजर्त होता रहे और मूत्र खाली होता रहे। प्रोस्टेट अितवधर्न में यह व्यवस्था बािधत होजाती है और फलस्व�प मूत्र में �कावट तथा मूत्राशय मे तथा ठहराव के कारण मूत्राशय में रोगाणुओं को पनपने तथा घरौधे बनाने का अवसर िमल जाता (जो सामान्य अवस्था में मूत् में ठहर ही नहीं पाते )। इस कारण बार-बार संक्रमण होना सामान्य घटनाक्रम बन जात मूत्राशय पथर िवकिसत देशों में मूत्राशय पथरी का सबसे बड़ा कारण प्रोस्टेट अितवधर्न क� वजह से मूत्रपथ में आई �कावट माना जाता अितवधर्न क� शल्यिक्रया के िलए आये रोिगयों में2 % को मूत्राशय क� पथरी होना सामान्य बात है। पथरी बनने का का मूत्राशय में मूत्र का भराव तथा ठहराव और मूत्र में( Concentration) के स्तर का बढ़ना है। इससे िवलेय यौिगकों क अव�ेपण (Crystal Precipitation) हो जाता है । यू�रऐज बनाने वाले रोगाणुओं का िचरकारी संक्रमण भी पथरी का जोिखम बढ़ात है। कभी-कभी गुद� से आई छोटी पथ�रयां भी मूत्राशय में बसेरा बना लेती हैं और बढ़ने लगती हैं। प्रोस्टेट के रोगी में मूत होना मूत्रमागर् द्वारा प्रोस्टेट उच्छेदन का स्प, क्योंिक ब-बार पथरी होने का जोिखम बना रहता है। र�मेह (Hematuria) प्रोस्टेट अितवधर्न में एि (Acinar) और स्ट्रोमा क� कोिशकाएं बढ़ती है और नई-वािहकाएं भी बनती हैं। ये नई कोमल वािहकाएं सहज ही टूट-फू ट जाती हैं और र�स्राव का कारण बनती हैं। ऐसा माना जाता है 5-α �रडक्टेज इिन्हबीटर प्रजाित दवाएं (जैसे Finasteride) नई र�-वािहकाओं के िनमार्ण को बािधत करती ह, इसिलए ये प्रोस्टेट अितवधर्न के कारण ह�ए र� को रोकने में भी सहायक िसद्ध ह�ई है मूत्राश(डेट्र�) अिस्थरता (Detrusor Instability) डेट्र�जर पेशी क15 सैंमी पानी से अिधक संकुचन(यिद मूत्राशय क� अिधकतम भराव �मत300 एमएल होती है ) को मूत्राश अिस्थरता(Detrusor Instability) कहते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न के संदभर् में मूत्राशय या डेट्र�जर अिस्थरता िवशेष मह है। लेिकन डेट्र�जर अिस्थरता से कुछ िनम्न मूत्रपथ सम्बन्धी ल�ण पैदा होते हैं।ये ल�ण जैसे अचानक मूत्र , बार बार मूत्र आ, मूत्र िवसजर्न पर िनयंत्रण न रख, रात में मूत्र िवसजर्न के िलए बार बार उठना पड़े आिद सामान्यतः मूत्र भराव से सम्बिन्धत होते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न में मूत्रपथ में �कावट और मूत्राशय के संकुचन से डेट्र�जरपेशी में तन मूत्राशय का गित िव�ान िबगड़ जाताहै। मूत्राशय अिस्थरता के कुछ ल�ण ऐिड्रनो�रसेप्टर में आये बदलाव के कारण भी β- ऐिड्रनो�रसेप्टर मूत्राशय में मूत्र भरते समय मूत्राशय क� पेिशयों को ढ़ीला करने में मदद करते हैं। कुछ रोिगयों को नोरआ
  • 4. 4 | P a g e डेट्र�जर पेशी का संकुचन होताहै। इस प्रभाव α-1 ऐड्रीनो�रसेप्टर एंटागोिन( α-1 ऐड्रीनो�रसेप्टर िवर) दवा से बािधत िकया जा सकता है, क्योंिक डेट्र�जर पेशी में α ऐड्रीनो�रसेप्टर होते हैं। इस देखा गया है िक α-ऐड्रीनो�रसेप्टर एंटागोिन पु�षों में मूत्र के भराव और िवसजर्न सम्बन्धी ल(भले मूत्र �कावट नहीं होती) और ि�यों में मूत्र के भराव सम् ल�णों में राहत देते हैं। मूत्रा α-ऐड्रीनो�रसेप्टसर् क� दो उपजाितयां कα 1D और α 1A पाई जाती हैं। गुद� का कमजोर होना प्रोस्टेट अितवधर्न में मूत्रपथ में आई �कावट के कारण गुद� कमजोर होते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न का 13.6% रोिगयों मे वृक्कवात के ल�ण देखने को िमलते हैं। यिद िक्रयेिटनीन का स्तर बढ़ा ह�आ हो तो वृक्कवात के िनदान हेतु छायांकन जां जाती हैं। वृक्कवात के अन्य कारणों को ध्यान में रखना भी ज�री है। यिद ऐसे रोिगयों क� शल्यिक्रया करनी है तो अिधक रहता है। परी�ण और िनदान पूछताछ िचिकत्सक रोगी से प्रोस्टेट के ल�ण और उसके प�रवार में प्रोस्टेट रोग क� जानकारी लेने के उद्देष्य से िवस्तार में है। उसके पास प्रोस्टेट अितवधर्न के िनदान हेतु िलए अमे�रकन यूरोलोिजकल एसोिसयेशन द्वारा बनाई गई प्र�ों क� पूरी ि है। अन्तरमलाशय अंगुली प�रस्पशर(Digital Rectal Examination) अन्तरमलाशय अंगुली प�रस्पशर्न में िचिकत्सक रबर के दस्तानें पहन कर अंगुली को मलद्वार में घुसा कर प्रोस्टेट क इससे वह प्रोस्टेट क� अिभवृिद्ध और कैंसर क� उपिस्थित को महसूस करले नाड़ी तंत्र परी नाड़ी तंत्र क� सरसरी जांच से वह िनम्न मूत्रपथ ल�णों क-जिनत कारणों का पता कर लेता है। मूत्र परी� यह मूत्र क� सरल जांचहै िजससे मूत्रपथ में संक्रमण और अन्य िवकारों क� जानकारी िमल प्रोस्टेट स्पेिसिफक एंट(PSA) प्रोस्टेट अितवधर्न के िनदान हेतु यह जाच प्रायः नहीं क�जाती है। हां प्रोस्टेट स्पेिसिफक एंटीजन का प्रमुख उपयोग का पता लगाने, श्रेणी िनधार्रण करने और कैंसर रोगी क� मोनीट�रंग करने के िलए िकया जाता है। यह भी सत्य है .एस.ए. का स्तर सुदम प्रोस्टेट अित, संक्रमण और अन्य िवकारों में भी बढ़ता है। कुछ वै�ािनक िवकासशील प्रोस्टेट अित पी.एस.ए. को रोग क� तीवृता का बॉयो माकर्र मानते हैं और उपचार सम्बन्धी कई िनणर्य करने में भी मददगार बतातेहैं। जै पी.एस.ए. 1.5ng/m या अिधक हो तथा प्रोस्टेट भी बह�त बड़ी हो तो रोगी 5 α-�रडक्टेज इिन्हबीटर उपचार से अिधक ला होगा। इस जांच का एक नया स्व�प प.एस.ए. अनुपात PSA ratio है। पी.एस.ए. अनुपात क� गणना र� में प्रवािहत हो रहे मु�.एस.ए. क� मात्रा में प्रोटीन से बं.एस.ए. क� मात्रा का भाग देकर क� जातीहै। शोधकतार् मानते हैं िक र� में मु� �प से प् पी.एस.ए. का सुदम प्रोस्टेट िववधर्न से सीधा सम्बन्ध ह, जबिक प्रोटीन से जुड़ा .एस.ए. कै ंसर से सम्बिन्धत होता है। तरह पी.एस.ए. अनुपात बढ़ा ह�आ हो तो कै ंसर क� संभावना कम रहती है जबिक इस अनुपात का कम होना कैंसर क� उपिस्थित प्रबल बनाताहै
  • 5. 5 | P a g e मूत्र प्रवाह ज(Urinary Flow Rate) इस जांच से मूत्र के प्रवाह क� मात्रा और गित को देखा जाता है। यह सरल जांच है और अस्पताल के बा� रोगी िवभाग मे सकती है। रोगी को मशीन से लगे पात्र में एक या अिधक बार मूत्र िवसजर्न करवाया जाता है। इससे मूत्र �कावट का आ जाता है और पता चल जाता है िक रोगी में मूत्र क� �कावट बढ़ रही है या सुधर रही है। मूत्र िवसजर्न प�ात मूत्राशय में अवशेष मूत्र (Post-void Residual Urine Volume) मूत्र िवसजर्न प�ात मूत्राशय में अवशेष मूत्र क� मात्रा से मूत्राशय के खाली होने क� �मता का मोटे तौर पर आंकलन लेिकन इससे मूत्र �कावट या डेट्र�जन पेशी क� िनिष्क्रयता में भेद करना मुिश्कल होता है। यिद अ300 एमएल से अिधक हो तो उच्च मूत्रपथ और वृक्क िवकार का जोिखम रहता है। अवशेष मूत्र क� गणना सोनोग्राफ� द्वारा आसानी से करली र� में िक्रयेिटन िक्रयेिटनीन का बढ़ना उच्च मूत्रपथ और वृक्क िवकार क� उपिस्थित को इंिगतकर उच्च मूत्रपथ छायांकन जा इस हेतु सोनोग्राफ� और .टी.स्केन अच्छी जांच िवधाएं हैं। यिद मूत्रम, संक्रमण के संकेत िमले , वृक्क िवकार हो या रोगी को पहले कभी पथरी क� िशकायत रही हो तो उच्च मूत्रपथ क� छायांकन जांच बह�त ज�री हो जाती है। आवश्यकतानु अंतःिशरा वृक्क िचत्( Intra Venous Pyelography) क� जाती है िजससे वृक्क और मूत्रपथ क� संपूणर् सं त्म और िक्रयात् जानकारी िमल जाती है। अन्तरमलाशय सोनोग्राTransrectal Ultrasound Scanning (TRUS) प्रोस्टेट के आ, आमाप, वृिद्ध या अबुर्द क� उपिस् हेतु यह जांच बह�त िव�सनीय है। यिद कै ंसर क� संभावना हो तो इसके साथ ही जीवोित जांच हेतु प्रोस्ट के नमूने भी ले िलए जाते हैं। बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट आंकलन तथा उपचार सम्बन्धी महत्वपूणर् िनणर्य हेतु हेतु यह बह�त ज�री जांच है। यूरोडायनेिमक्स(Urodynamics) यूरोडायनेिमक्स के अंतगर्त मूत्र िवसजर्न के समय मूत्रपथ क� सिक्रयता के आंकलन हेतु कई जांचे जाती हैं। यह जिटल जांचें है िजसमें फ्लोरोस, वीिडयो �रकोिड�ग, मूत्राशय तथा मलाशय में दबाव गणना, और मूत्र प्रवाह का आंकलन िकया जाता िनम्न मूत्रपथ ल�ण के प्रारंिभक िनदान यूरोडायनेिमक्स जांच क� अवहेलना क� जा सकती ह, िवशेष तौर पर जहां हम उपचार के सस्त, प�रवतर्नीय और सुरि�त िवकल्प का चयन करते हैं। लेिकन जब हम मंहग, अप�रवतर्नीय और आक्रामक उपचार देने पर िवचार करते हैं तो यह जांच आवश्य जाती है।
  • 6. 6 | P a g e मूत्रमागर् द्वारा मूत्राश(Cystoscopy also called Urethrocystoscopy) इस जांच का िनणर्य रोगी के िचिकत्क�य इितहास और संभािवत शल्य उपचार के आधार पर िकया जाता है। यिद रोगी को र�म क� िशकायत हो तो मूत्राशय के अबुर्द और पथरी के आंकलन हेतु यह जांच करना ज�री हो जाता है। यिद रोगी को भूतकाल में- िनससारण नली का िसकुड़न या िस्ट्र , मूत्राशय अबुर्द या पूवर् में िनम्न मूत्रपथ शल्य ह�आ हो तो भी यह जांच क� अन्तरात्मक िनदाDifferential Diagnosis प्रोस्टेट अितवधर्न का िनदान प्रायः प (Symptom scores), मूत्र प्र (Uroflowmetry), अन्तरमलाशय अंगुली प�रस्पशर (Prostatic Volume on DRE or TRUS) और पी.एसए. (Biochemical) जांचों के आधार पर िकया जाता है। लेिकन अंितम िनदान तो जीवोित जांच के आधार पर ही होता है। प्रोस्टेट अितवधर्न के अलावा कई अन्य िवकारों में भी जुलते िनम्न मूत्रपथ ल�ण होते, िजन्हें परखना और पृथक करना ज�री होताहै। अन्तरात्मक िनदान नीचे सारणी में िदये गये संक्रमण र कै ंस नाड़ी रोग मूत्रपथ �कावट के अन्य िव मूत्रपथ संक प्रोस्टेट सं मूत्राशय पथ इंटरस्टीिशयल संक्रमण मूत मूत्राशय में �य र प्रोस्टेट क ट्रोंजीशन सेल कैंसर मू मूत्र िनस्सारण मली कै पािक� सन रोग स्ट् मल्टीपल िस्क्लरो सेरीब्रल ऐट् शाई ड्रेगर िसंड यूरीथ्रल िस्ट तीवृ फाईमोिसस मूत्राशय ग्रीवा िडिस्सन बा� संकोिचनी िडिस्सनिजर् उपचार प्रोस्टेट अितवधर्न के िलए कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं। इनमें , जड़ी-बूिटयाँ, शल्-िक्र, न्यूनतम आक्रामक श उपचार आिद प्रमुख हैं। रोगी के िलए सव��म उपचार का चयन कई पहलुओं जैसे ल�णों क� ती, प्रोस्टेट का आ, रोगी क� उम, रोगी का स्वास्थ्य आिद के आधार पर -समझ कर िकया जाता है। यिद रोगी को ल�ण बह�त मामूली से हों तो कई बार सतकर्ता और प्रती�ा क� नीित ही उिचत रहती ह औषिधयाँ प्रारंिभक अवस्था में प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार हेतु प्रायः औषिधयों का प्रयोग िकया जाता है। औषधीय उपचार को में बांटा गया है। अल्फा ब्लॉक– इस श्रेणी क� औषिधयाँ मूत्राशय ग्रीवा और प्रोस्टेट क� पेिशयों( relax) करती है, िजसके कारण मूत्र िवसजर्न आसानी से हो जाता है। टेराजो, डोक्साजोिस, टेमसुलािसन, ऐल्फुजोिसन और िसलोडोिसन इस श्रेणी में हैं। अल्फा ब्लॉकर जल्दी से असर करती हैं। एक या दो िदन में ही मूत्र क� धारा तेज हो जाती ह-बार मूत्र जाने क� ज�र नहीं पड़ती है। अल्फा ब्लॉकर का एक हािन रिहत पाष्वर् प्रभाव प�गाम( Retrograde Ejaculation) है, िजसमें वीयर स्खलन िश� मागर् से बाहर न होकर उलटा मूत्राशय में हो जाता 5 अल्फा �रडक्टेज इिन्हबीट– ये दवाएं प्रोस्टेट मे.एच.टी. हाम�न के िनमार्ण को बािधत कर बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट के आ को छोटा करती हैं। फाइनास्ट्राइड और ड्युटास्ट्राइड इस श्रेणी में आती हैं। बह�त बड़ी प्रोस्टेट में इनका प्रयोग है। ये बह�त धीरे (कई हफ्तों या महीनों ) असर करती हैं। नपुंसकता(स्तंभन दो), संभोग क� इच्छा कम होना और प�गामी स्खलन(Retrograde Ejaculation) इनके प्रमुख पाष्वर् प्रभा
  • 7. 7 | P a g e संयु� औषधीय उपचार– कई बार उपरा� दोनों श्रेणी क� औषिधयाँ साथ देने से अच्छे प�रणाम िमलते टाडालािफल – जो फोस्फोडाईस्टीरेज इिन्हबीटसर् श्रेणी में, का प्रयोग नपुंसकत(स्तंभन दो) के उपचार में िकया जाता है। कुछ िचिकत्सक प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार में भी इसका प्रयोग करते हैं। इसको अल्फा ब्लॉकर औरनाइ नाइट्रोग्लीसरीन के साथ नहीं िकया जाता ह Medical Treatment of BHP Finasteride 5 mg HS Dutasteride 0.5 HS Tab FINAST Tab FINCAR Tab CONTIFLO Cap DURIZE Tab VELTRIDE Terazosin start with 1 mh HS increase up to 10 mg Tab TERAPRESS Tab HYTRIN Tamsulosin 0.4 to 0.8 mg HS Tab URIMAX Cap DYNAPRES Tab VELTAM Tab ODCONTIFLO OD F Cap URIMAX F Tab VELTAM F Cap FINAST T Cap URIMAX F Tab VELTAM PLUS Cap DUTAS-T Alfuzosin 10 mg HS Tab FLOTRAL Tab ALFUSIN D Doxazosin 1, 2 & 4 mg Dose 1to 8 mg HS Tab DOXACARD Tab DURACARD Herbal Cap Prostanorm HS = at bed time शल्य िक्र यिद औषिधयां काम नहीं करे या रोग के ल�ण गंभीर और क�दायक होने लगे तो कई तरह क� शल-िक्रयाएं क� जाती हैं। स शल्-िक्रयाओं में मूत्र के प्रवाह में �कावट बन रहे प्रोस्टेट के ऊतकों को िनकाल कर प्रोस्टेट को छोटा िकया िनस्सारण नली को खोल िदया जाता है। उिचत शल-िक्रया का चुनाव कई पहलुओंजैसे ल�णों क� तीव, प्रोस्टेट का आ, रोगी क� उम, रोगी का स्वास्थ्य और अन्य उपचार क� उपलब्धता के आधार प-समझ कर िकया जाता है। सभी शल्-िक्रयाओं के कुछ कुप्रभाव जैसे संभोग के बाद प�गामी स्खल Retrograde Ejaculation (िजसमें वीयर् स्ख िश� मागर् से बाहर न होकर उलटा मूत्राशय में हो जात), मूत्राशय पर िनयंत्रण न या Incontinence (मूत्र असंयत) और नपुंसकता (स्तंभन दो) होते हैं। सामान्य शल-िक्रय मूत्रमागर् से प्रोस्टेट उच्छेदन टी(TURP) यह प्रोस्टेट अितवधर्न क� सबसे प्रचिलत और प्रम-िक्रयाहै। इसमें शल्यकम� प्रकाश स्रोत लगे दूरबीन को मूत्
  • 8. 8 | P a g e नली में प्रोस्टेट तक घुसाता है और काटने िविश� औजार से प्रोस्टेट के ऊतकों छील कर िनकाल लेता है और उसके बाहरी खोल को छोड़ देता है। टीयूआरपी के बाद रोगी को क�दायक ल�णों में बह�त राह िमलती है और खुल कर मूत्र आना शु� ह जाता है। लेिकन र� स्राव और संक् इसके प्रमुख कुप्रभाव हैं। कुछ िदनों क मूत्र िनस्सारण नली में रबर क� नली ड जाती है, तािक आराम से मूत्र आता रहे शल्य के बाद कुछ िदनों तक रोगी को आरा करने क� सलाह दी जाती है। मूत्रमागर् से प्रोस्टेट िवच्छ टीयूआइपी (TUIP or TIP) यह शल्-िक्रया उन रोिगयों में क� जाती िजनक� प्रोस्टेट छोटी या मामूली बढ़ी ह�ई होती है और रोगी को कुछ शारी�रक िवकारों के कारण अन्-िक्रया करने में क खतरा भी होता है। इसमें टीयूआरपी क� तरह ही दूरबीन को मूत्र िनस्सारण नली में प्रोस्टेट तक घुसा कर काटने के िवि से प्रोस्टेट में एक या दो छोटे चीरे भर लगाये जाते हैं तािक मूत्र मागर् खुल जाये और आसानी से मूत्र आ खुली प्रोस्टेट उच्छ(Open prostatectomy) यिद प्रोस्टेट बह�त बढ़ी ह�ई, मूत्राशय भी �ितग्रस्त हो या अन्य िवकार जैसे मूत्राशय में पथरी हो तो-िक्रया करन उिचत रहता है। इसे खुली शल्-िक्रया इसिलए कहते हैं क्योंिक प्रोस्टेट तक पह�ँचने के िलए उदर के िनचले िहस्से में लगाया जाता है। बह�त बड़ी प्रोस्टेट के िलए यह सबसे प्रभावी उपचार है लेिकन इसके कई कुप्रभाव और जिटलताएँ भी हैं। िक्रया के िलए रोगी को कई िदनों तक अस्पताल में भरती रहना पड़ता है और खून चढ़ाने क� भी ज�रत पड़ सकती न्यूनतम आक्रामक उपच(Minimally invasive treatments) न्यूनतम आक्रामक उपचार में र� क� हािन बह�त कम होत, और आवश्यता पड़ने पर ही रोगी को भरती करने क� ज�रत होती है। ददर् िनवारक दवाओं क� भी बह�त कम ज�रत होती है। प्रोस्टेट अितवधर्न के िलए िनम्न न्यूनतम आक्रामक उपचार िदये जा लेज़र शल्-िचिकत्सा(Laser Surgery) लेज़र शल्य िचिकत्सा में बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट को िनकालने या न� करने के िलए शि�शाली लेज़र िकरणों का प्रयोग िकया ज लेज़र शल्य िचिकत्सा में रोगी को तुरन्त राहत िमलती है और टीयूआरपी क� तुलना में कुप्रभाव भी बह�त कम होते हैं। पतला करने क� दवाएं ले रहे रोिगयों मे(जहां अन्य शल-उपचार करना संभव नहीं होता ह) भी लेज़र शल्य िचिकत्सा क� ज सकती है। लेज़र शल्य में िविभन्न प्रकार के लेज़र कई तरीकों से प्रयोग िकये ज अप�रण उपचार (Ablative Procedures) – में मूत्र िनस्सारण नली पर दबाव डाल रहे प्रोस ्टेट के ऊतकों कर (या वाष्पीकरण द्व) न� कर िदया जाता है और आराम से मूत्र आना शु� हो जाताहै
  • 9. 9 | P a g e समूलोच्छेदन उपचार(Enucleative Procedures) - यह उपचार खुली प्रोस्टेट उच्छेदन क� तरह है लेिकन इसमें कुप्रभाव बह�त कम होते है इस शल्-िक्रया में मूत्र प्रवाह में�का कर रहे प्रोस्टेट के सारे ऊतकों को िन िदया जाता है और प्रोस्टेट क� पुनवृर्िद रोक लगा दी जाती है। इस उपचार का एक फायदा यह भी है िक िनकाले ह�ए ऊतकों क� कै ंसर या अन्य रोग सम्बन्धी जांच क� सकती है। प्रोस्टेट अितवधर्न हेतु िनम्न लेज़र शल्य जाते हैं। • होिल्मयम लेज़र ऐब्लेशन ऑफ द प्रोसHolmium laser ablation of the prostate (HoLAP) • िवज्वल ऐब्लेशन ऑफ द प्रोसVisual laser ablation of the prostate (VLAP) • होिल्मयम लेज़र इन्यूिक्लयेशन ऑफ द प्रोHolmium laser enucleation of the prostate (HoLEP) • फोटोसेलेिक्टव वेपोराइजेशन ऑफ द प्रोस्Photoselective vaporization of the prostate (PVP) लेज़र उपचार का चयन प्रोस्टेट के आ, संवृिद्ध के स्, उपचार क� उपलब्धत, िचिकत्सक क� अनुशंस और रोगी क� वरीयता के आधार पर िकया जाता है। ट्रांसयूरेथ्रल माइक्रोवेव थम�थTransurethral microwave thermotherapy (TUMT) इसमें िचिकत्सक मूत्रमागर् द्वारा एक िविश� इलेक्ट्रोड प्रोस्टेट तक घुसाता है। इलेक्ट्रोड को माइक्रोवेव तरंगो से इस ऊष्मा से प्रोस्टेट का अंद�नी िहस्सा जल कर िसकुड़ जाता है और मूत्र प्रवाह क� �कावट दूर कर देता है। इस कुप्रभाव बह�त कम हैं। लेिकन यह उपचार छोटी प्रोस्टेट के िलए प्रयोग िकया, तािक ज�रत पड़ने पर दोबारा भी उपचार िकया जा सके। ट्रांसयूरेथ्रल नीडल ऐब्Transurethral needle ablation (TUNA) यह शल्य प्रायः बा�रोगी िवभाग में िकया जाता है। इसमें प्रकाश स्रोत लगे दूरबीन को मूत्र िनस्सारण नली में प्रोस्ट और दूरबीन से देखते ह�ए कुछ सुइयां प्रोस्टेट में स्थािपत कर देता है। िफर इन सुइयों में रेिडयो तरंगें प्रवािहत , िजससे प्रोस्टेट के ऊतक जल कर न� हो जाते हैं और मूत्र प्रवाह क� �कावट दूर हो जाती है। यह उपचार उन रोिगयों में ठी िजन्हें -स्राव का जोिखम रहता हो या अन्य गंभीर रोग हो। ट्रांसयूरेथ्रल माइक्रोवेव (TUMT) क� भांित इस उपचार में भी रोगी को आंिशक लाभ ही िमलता है और राहत िमलने में समय भी लगता है। इस उपचार में नपुंसकत(स्तंभन दो) का जोिखम बह�त कम होता है।
  • 10. 10 | P a g e प्रोस्टेिटकस्Prostatic stents प्रोस्टेिटक स्टेंट एक छोटी सी प्लािस्टक या धातु क� नली के समान संरचना, िजसे मूत्र िनस्सारण नली में स्थािप िदया जाता है, तािक मूत्रमागर् खुला रहे। इसे 4-6 स�ाह में बदलना पड़ता है। इसको स्थािपत करने के बाद शल्य क� ज�रत न पड़ती है। लेिकन िचिकत्सक इसे लम्बे समय के िलए प्रयोग नहीं करते हैं क्योंिक संक्रमण और मूत्र िवसजर्न के समय खतरा रहता है। कई बार धातु के स्टेंट को िनकालना मुिश्कल होता है इसिलए इसे िवशेष प�रिस्थितयों में ही डाला जात प्लािस्टक के स्टेंट को कभी कभी शल्य से पहले डाला जाता है ताि-िक्रया होने तक आराम से मूत्र आता रह जीवनशैली में सुधार जीवनशैली में सुधार लाकर भी रोगी अपनी परेशािनयों को कम कर सकताहै • शाम को पेय पदाथ� का सेवन कम करें। सोने के एक या दो घंटे पहले कोई पेय पदाथर् नहीं पीयें। तािक राित्र में मूत् के िलए उठना नहीं पड़े। • कॉफ� या मिदरापान कम करें। क्योंिक इनको पीने से अिधक मूत्र बनता है जो मूत्राशय को (Irritate) करता है और तकलीफ बढ़ाता है। • यिद आप डाइयूरेिटक्स ले रहे हैं तो िचिकत्सक से सलाह लेकर इनक� मात्रा कम करें या इन्हें सुबह के समय ले इन्हें िचिकत्सक से पूछे िबना कभी बंद नहीं कर • अनावश्यक जुकाम क� दवा(Decongestants or Antihistamines) नहीं लें। ये प्रोस्टेट क� पेिशयों का संकुचन हैं िजससे मूत्र करने में िदक्कत बढ़ती • तलब लगते ही मूत्र करने चले जायें। मूत्र को अिधक देर तक रोकने से मूत्राशय का िखंचावबढ़ता है और उसक� प कमजोर होती है। • िनयिमत अंतराल पर मूत्र िवसजर्न करते रहें।4-6 घंटें में मूत्र करना उिचत रहता • स्वयं को सिक्रय , थोड़ा व्याया, योग और भ्रमण करे • मूत्र िवसजर्न के बाद कुछ �णों बाद पुनः मूत्र • अिधक ठंड से बचें और शरीर को गमर् रख • अि�नी मुद्रा में एक योग व्यायाम बढ़ी ह�ई प्रॉस्टेटग्रंिथ के ल�णों के िलएफायदेमं • इस रोग में कद्दू के (िजंक), पपीता, बी पोलन, हरी चाय, ब्रोकोली आिद बह�त ही लाभदायक ह वैकिल्पक िचिकत्स प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार में क-बूिटयां बह�त प्रभावशाली सािबत ह�ई हैं। िनम्न-बूिटयां काफ� महत्वपूणर् मानी गई है • सा पामेटो (Saw Palmetto) - सबसे प्रमुख सा पामेटोहै जो चीन म पैदा होने वाले पौधे सेरेनोवा रेपेन्स के फल से तैयार िकया जाता है। • पाइिजयम – यह एक तेल है जो अफ्रन प्रून के पेड़ के िछलके स िनकाला जाता है। • बीटा-साइटोस्टीरोल ऐक्सट्र– यह कई तरह क� घास और पेड़ों से तैयार िकया जाता है। • राईग्रास ऐक्सट्(Ryegrass Extract) – यह राईग्रास के पराग स तैयार होता है। • िस्टंिगंग नेटल ऐक्सट्र(Stinging Nettle Extract) – यह इस पौधे क� जड़ से तैयार िकया जाता है।
  • 11. 11 | P a g e • बढ़ी ह�ई प्रॉस्टेट ग्रंिथके िलए कुछ उपयोगी आयुव�िदक पूरक गोकशुरादी गु , चन्द्रप्रभ, िशलािजत वटी, गोरखमुंडी घाना, पुनरनावा घाना, लताकरंज घाना है। प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार हेतु उपरो�-बूिटयों से बना केप्स्यूल प्रोस्टानोमर् एक उत्कृ�उत्पाद है। सा पामेटो इ ल�ण और तकलीफों में बह�त राहत देताहै। पाइिजयम में वसा में घुलनशील स्टीरोलऔर फैटी ऐिसड जो प्रदाहरोधी है के प्रवाह को बढ़ाते , अवशेष मूत्र क� मात्रा को घटाते हैं और राित्र में मूत्र िवसजर्न के आघटन को क िस्टंिगंग नेटल ऐक्सट्रेक्ट में िलगनेन होता है जो लैंिगक हाम�न्स क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से िचपकने क� �म, िजससे प्रोस्टेट क� कोिशकाओं क� संवृिद्ध बािधत होती है। िजंक प्रोस्टेट के आमाप कोघटाता है। सबके िमले जुले डाइहाइड्-टेस्टोस्टीरोन क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से अनुराग और िचपकने क� �मता कमहोती5-अल्फा �रडक्टेज एंजाइ क� सिक्रयता बािधत होतीहै। प्रोस्टानोमर् बह�त असरदायक है लेिकन पाष्वर् प्रभाव न