नारायण नागबली पूजा त्र्यंबकेश्वर में की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण पूजाओं में से एक है पितरों की आत्मा की शांति के लिए की जाने वाली शांति पूजा। नारायण नागबली पूजा दो पूजाओं का संयोजन है जिसमें नारायण बलि पूजा और नागबली पूजा शामिल हैं। नारायण नागबली पूजा का मुख्य उद्देश्य पितृदोष से मुक्ति पाना है
पितृ दोष को दूर करने और सर्पों के वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए नारायण नागबली पूजा की जाती है। त्र्यंबकेश्वर में नारायण नागबली पूजा के अनुष्ठान करने के लिए, ताम्रपत्रधारी पंडित जी (गुरुजी) से संपर्क करना पड़ता है, जिन्हें तीर्थ पुरोहित के रूप में जाना जाता है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पूर्वी प्रवेश द्वार के नजदीक में स्थित अहिल्या गोदावरी मंदिर और सती महास्माशन में पूजा की जाती है
2. त्र्यिंबक
े श्वर पुरोह तसिंघ गुरूजी
भारत में क
ु ल 12 ज्योततर्लिंग ैं। इन ीिं में से एक नार्सक का ववश्व प्रर्स्ध
त्र्यिंबक
े श्वर ज्योततर्लिंग ै। ऐसा इसर्लए ै क्योंकक इस ज्योततर्लिंग क
े भगवान ब्रह्मा, ववष्णु और
म ेश ी सिंयुक्त ज्योततर्लिंग क
े रूप में वव्यमान ैं। त्रिमूततियों की गिंध क
े कारण य स्थान स्वगि
क ा जाता ै जो भक्तों की मनोकामनाओिं को पूरा करता ै। य ािं का त्र्यिंबक
े श्वर मिंहदर म ादेव को
समवपित ै ियिंबक
े श्वर ज्योततर्लिंग नार्सक जजले क
े त्र्यिंबक
े श्वर तालुका में जस्थत ै।
त्र्यिंबक
े श्वर मिंहदर पररसर में क
ु छ म त्वपूणि पूजा (अनुष्ठान) की जाती ै। उन ें ियिंबक
े श्वर में
अधधकृ त पुरोह तों को ी ताम्रपि से पूजा करने का अधधकार ै। उन ें ताम्रपिधारी गुरुजी क ा जाता
ै। ताम्रपि की रक्षा और आधधकाररक तौर पर प्रमाण पि जारी करने क
े अधधकार क
े वल ियिंबक
े श्वर
में पुरोह त सिंघ क
े पास आरक्षक्षत ैं। पुरोह त सिंघ सिंस्थान वपछले 1200 से अधधक वर्षों से सेवा में ै।
और सुप्रीम कोर्ि को अनुष्ठानों की पूजा करने की पूणि मिंजूरी ै और ताम्रपिधारी गुरुजी और पुरोह त
सिंघ सिंस्थान क
े पास पूणि शजक्तयािं ैं।
3. नारायण नागबली पूजा दो अलग-अलग पूजाओिं का एक सिंयोजन ै। जजसमें नागबली पूजा और नारायण बर्ल पूजा शार्मल ै। ये दोनों
पूजा नारायण नागबली पूजा क
े रूप में एक साथ की जाती ैं। य तनजश्ित रूप से ज्ञात न ीिं ै कक मारे पूविजों में से एक की मृत्यु का
कारण क्या था। इसर्लए ऐसे पूविज मृत्यु क
े लोगों क
े बीि भर्कते ैं जजसक
े पररणामस्वरूप उन ें वपतृसत्ता का सामना करना पड़ता ै इस
प्रकिया में व्यजक्त का नाम या गोि का उच्िारण तनवर्ष्ध ै। इसर्लए य पूजा क
े वल त्र्यिंबक
े श्वर ज्योततर्लिंग क्षेि में ी की जाती ै।
ज ािं भगवान ब्रह्मा, ववष्णु और म ेश ज्योततर्लिंग क
े रूप में जागृत ैं।
नारायण नागबली पूजा, कालसपि दोर्ष पूजा, त्रिवपिंडी श्रा्ध, रुद्रार्भर्षेक पूजा, रुद्रयाग, कुिं भवववा , अकािवववा , म ामृत्युिंजय मिंि जप,
ववधध आहद अनेक धार्मिक अनुष्ठान ताम्रपिधारी गुरुजी ्वारा कु शावति तीथि पर शास्ि आधाररत तरीक
े से तथा ताम्रपिधारी गुरुजी क
े
तनवास स्थान पर ककए जाते ैं।
नागबली पूजा - जब ककसी व्यक्ती की अिानक मृत्यु ो जाती ै । शास्िों में बताया गया ै कक ऐसे व्यजक्त की आत्मशािंतत क
े र्लए
नारायण बर्ल पूजा करनी िाह ए।
4. • जब ककसी व्यजक्त क
े पररवार क
े सदस्य की मृत्यु नीिे हदए गए कारणों से
ोती ै, तो उसकी आत्मा को शािंतत न ीिं र्मलती ै; जैसा
• असामतयक मृत्यु,
• आकजस्मक मृत्यु,
• आग की वज से मौत,
• आत्म त्या (Suicide) त्या,
• डूबने से मौत सुनामी या
• भूक
िं प जैसी प्राकृ ततक आपदाएिं,
• कोरोना आहद जैसी म ामाररयािं ऐसे में व्यजक्त की इच्छाएिं अधूरी र जाती
ैं। नारायण नागबली पूजा से व्यजक्त की आत्मा को शािंतत र्मलती ै। उनक
े
कमि क
े अनुसार उन ें अगला जनम या मोक्ष र्मलता ै।
5. नारायण नागबली पूजा लाभ:
नारायण नागबली की पूजा करने से मारे पररवार क
े पूविजों को अतृप्त इच्छाओिं से मुजक्त र्मलती ै और इस प्रकार मोक्ष की
प्राजप्त ोती ै। इसर्लए वे पररवार क
े सदस्यों को आशीवािद देते ैं। इस तर वपतरों क
े श्राप से छ
ु र्कारा र्मलता ै, जजसे वपतृ
दोर्ष भी क ा जाता ै।
पूविजों ्वारा शावपत पररवार में जनमा व्यजक्त जीवन में असफल ो जाता ै। व ब ुत खिि करता ै और थोड़ा बिाता ै, इस
प्रकार व मेशा ववत्तीय परेशानी में र ता ै। नारायण नागबली पूजा करने से आधथिक परेशातनयािं दूर ोती ैं।
क
ुिं डली में वपतृ दोर्ष वाले व्यजक्त को माता-वपता बनकर खुशी न ीिं ोती। नारायण नागबली पूजा क
े प्रभाव से व्यजक्त वपतृदोर्ष से
मुजक्त पाकर बच्िों को अच्छे स्वास््य क
े साथ लाभ ोता ै।
वपतृसत्ता की समस्या वाले पररवार दुुःख, घरेलू ह िंसा क
े र्शकार ो जाते ैं क्योंकक वे झगड़े में फ
िं स जाते ैं। नारायण नागबली
पूजा कर वपतरों क
े आशीवािद से पररवार पूणि ोते ैं
6. त्र्यिंबक
े श्वर में ताम्रपिधारी गुरुजी (पुरोह त सिंघ)
त्र्यंबक
े श्वर में ववरासत क
े कारण, क
े वल पुजारी और उनक
े पररवार ही ववभिन्न पूजा कर
सकते हैं और श्री नानासाहेब पेशवा (पेशवा बालाजी बाजीराव) द्वारा दिए गए सम्मान का
एक प्राचीन ताम्र ववज्ञान है। इन पुजाररयों को "ताम्रपात्रधारी " क
े रूप में जाना जाता है।
त्रयम्बक
े श्वर में कई गुरुजी इतने वर्षों से वैदिक अभ्यास में हैं। क
ु छ गुरुजी िी वैदिक
अनुष्ठानोंका पालन करते थे और उनकी पूजा करते थे और वेिों और वैदिक प्रथाओं क
े
बारे में उनक
े गहरे ज्ञान क
े भलए लोगों द्वारा सम्माननत ककए गए थे।
यदि आप नए हैं और त्रयंबक
े श्वर ज्योनतभलिंग क
े िशशन कर रहे हैं, तो आपको चचंता करने की
आवश्यकता नहीं है क्योंकक त्रयंबक
े श्वर पंडितजी पूजा और सादहत्य क
े भलए आवश्यक
सब क
ु छ प्रिान करतेहैं। वे पूजा क
े दिनों क
े िौरान अपने पररवार क
े भलए घर का पकाया
हुआ (सात्त्वक) िोजन और अच्छे आवास की पेशकश िी करते हैं। पूजा की लागत पूरी
तरह से सिी चीजों की जरूरतों पर ननिशर करती है।
पुरोदहत संघ की वेबसाइट से त्र्यंबक
े श्वर पंडित जी की ऑनलाइन बुककं ग कर सकते हैं
7. पता : श्री गंगा गोिावरीमंदिर,पहलीमंत्जल,कु शावतशतीथश चौक,
त्त्रंबक
े श्वर- 422212. त्जला:नाभसक(महाराष्र)पंडितजी
info@purohitsangh.org www.purohitsangh.org
•त्र्यिंबक
े श्वर पुजाए
•- नारायण नागबली
•- त्रिवपिंडी श्रा्ध
•- कालसपि योग शािंती
•- म ामृत्युिंजयमिंि