गौतभ फुद्ध का जन्भ ईसा से 563 वषष ऩहरे नेऩार के रुॊबफनी नाभक वन भें हुआ। ववद्वानों ने भहात्भा फुद्ध के फाये भें ऩहरे ही सूचित कय ददमा था कक मह फारक मा तो िक्रवती याजा होगा मा ववयक्त होकय सॊसाय का कल्माण कयेगा।
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गौतम बुद्ध यांचे विचार
1.
2. गौतभ फुद्ध का जन्भ ईसा से 563 वषष ऩहरे नेऩार क
े रुॊबफनी नाभक वन भें हुआ।
ववद्वानों ने भहात्भा फुद्ध क
े फाये भें ऩहरे ही सूचित कय ददमा था कक मह फारक मा तो
िक्रवती याजा होगा मा ववयक्त होकय सॊसाय का कल्माण कयेगा। िूॉकक फुद्ध का भन सॊसाय
से बफरक
ु र ही ववयक्तव यहता था
, इसलरए अऩने याज-सुखों को त्मागकय तथा भानव जातत
एवॊ जीव-जॊतुओॊ क
े कल्माण हेतु छोटी अवस्था भें ही वे एक ददन आधी यात को अऩनी
ऩत्नीीी व ऩुत्र को सोमा छोड़कय अभयता की खोज भें तनकर ऩड़े।
3.
4. फुद्ध को न तो स्वगष ऩाने की रारसा थी, न ही ऐश्वभमष-सुख बोगने की काभना थी
; क्मोंकक
उन्होंने इन सफ िीजों ऩय ववजम प्राप्ती कय री थी। दहॊदू धभष भें वेदों का जो स्थान है
,
फौद्ध धभष भें वही स्थान वऩटकों का है। बगवान् फुद्ध ने अऩने हाथ से क
ु छ नहीॊ लरखा।
उनक
े उऩदेशों को उनक
े लशष्मों ने ऩहरे क
ॊ ठस्थ ककमा, कपय लरख लरमा।
5.
6. भहात्भा फुद्ध क
े वविायों का मह ज्ञान-ऩुॊज आऩक
े जीवन को सद्िीववउिायों
, सकायात्भकता व
यिनात्भकता से बय देगा औय जीवन क
े प्रतत आऩकी सोि, आऩकी दृिष्ट को नमा आमाभ
देगा।
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