4. लविेिी उत्पलि का लसद्ांत
1. लमस्री लिलि से - मेरिगी
2. सुमेिी लिलि से - वे ेि
3. लहिी लिलि से - ह्राजनी
5. लमस्री उत्पलि का लसद्ांत
मत
प्रवततक - िी मेरिगी
मत - लसंधु घाटी की मुहिों िि, उन उिालधयों का अंकन, लजन्हे
िाजकमतचािी धािण किते थे|
लचन्हों में लवचािात्मक तथा ध्वन्यात्मक लचन्हों का समन्वय
लचन्हों की समरूिता - लमस्र की हायिोग्लीलिक लिलि से
6. लमस्री उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
लमस्र की हायिोग्लीलिक लिलि एक िाष्टीय लिलि
उिलिलियााँ - हायिेलटक तथा ेमोलटक लिलि
िोनों लिलियााँ कलसतव तथा िौलकक रूिांतिण
स्थानांतिण लमस्र से बाहि कहीं नहीं हुआ
प्रकाि एवं गठन की दृलष्ट से = क
ा लतम लिलि
क
ा लतम लिलि अिने में िूणत होती हैं, इसकी उत्पलि क
े लनलित प्रमाण नहीं लमिते हैं|
सैन्धव लिलि = लचत्रात्मक लिलि
हायिोग्लीलिक लिलि = लवचािात्मक व ध्वन्यात्मक
7. सुमेिी उत्पलि का लसद्ांत
मत
• प्रवततक = एि. ए. वे ेि
• मत - िगभग 4000 ई िू में सुमेिों ने लसंधु घाटी को अिना उिलनवेि
बनाया|
• इसी समय उन्होंने यहााँ अिनी लिलि का प्रयोग लकया|
• इसक
े साथ कहा लक लसंधु घाटी क
े मुहिों िि उन आयत िासकों एवं िुिों क
े
नाम अंलकत हैं, लजनका उल्लेख ऋग्वेि में प्राप्त मृ होता हैं|
• इसक
े अलतरिक्त उन्होंने आयों का सुमेरिय उत्पलि लसद् किने का प्रयास
लकया|
• भाितीय लवद्वान प्राणनाथ ने भी वे ेि क
े समान ही मत का प्रलतिािन लकया|
8. सुमेरिय उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• अभी तक सुमेिीय लिलि की उत्पलि का प्रश्न अंलतम रूि से सुिझाया नहीं
जा सका हैं|
• सुमेिीय ििंििा क
े अनुसाि सुमेि लकसी बाहिी क्षेत्र से आकाि सुमेि को
अिना लनवास स्थान बनाया था|
• सुमेि ििंििा में इस बात का संक
े त लमिता हैं लक इस लिलि का सुमेि में
प्रवेि लकसी बाहिी क्षेत्र से हुआ था|
• अभी तक यह भी लनलित नहीं हुआ लक सुमेिीय लिलि क
े कतात स्वयं सुमेि ही
थे|
• क्ोंलक इनक
े प्रािम्भिक अलभिेखों में सेमेलटक भाषा का प्रयोग लमिता हैं,
यह भाषा उस भाषा से लभन्न हैं, लजसका प्रयोग सुमेिवासी किते थे|
9. सुमेरिय उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• िोनों लिलियों में समानता क
े तत्व क
े वि संयोगििक
• इसे लकसी लिलि या प्रभाव क
े कािण नहीं माना जा सकता
• िोनों में समानता क
े वि वहीं िि हैं, जहां लचन्हों का गठन लचत्रात्मक हैं|
• सुमेिीय लिलि क
े लवकलसत लचन्हों में जो अलधकांितः ध्वन्यात्मक हैं, उनमें तथा लसंधु
लिलि में कोई समानता लिखाई नहीं िेती हैं|
• िोनों लिलियों में अंतमुतखी प्रवालत में भी अंति लमिता हैं|
• सुमेिीय लिलि की प्रवालत क
े वि ध्वन्यात्मक लिलि की ओि हैं, यह लिलि स्वभालवक
रूि में लकसी भी स्ति िि वालणतक लिलि नहीं बन सकती थी|
• जबलक लसंधु लिलि की आंतरिक प्रवालि लचत्रात्मक हैं| मािति क
े अनुसाि इस लिलि
की प्रवालत वलणतक लिलि की ओि हैं|
• आधुलनक अंसन्धानों क
े अनुसाि क
ु छ लवद्वानों का सुझाव हैं लक यद्यलि यह लिलि
अभी तक िढ़ी नहीं जा सकी हैं, लकन्तु इसका उििकाि में वालणतक लिलि की ओि
लनतांत संभाव्य हैं|
10. लहिी उत्पलि का लसद्ांत
मत
• प्रवततक = ह्राजनी महोिय
• मत - लसंधु लिलि क
े उद्भव में लहिी हायिोग्लीलिक लिलि का योगिान
• इनका मानना है लक आयों क
े भाित आगमन क
े िूवत ही हायिोग्लीलिक लिलि को
जानने वािे लहिीयों क
े एक िाखा ने भाित क
े िलिमोिि भाग में अिना एक
सलन्नवेि बनाया था|
• अतः जो लिलि यहााँ से प्रयोग में आयी, वह लहिी हायिोग्लीलिक से लभन्न नहीं हो
सकती हैं|
• इनकी समीक्षा क
े अनुसाि लसंधु घाटी क
े मुहिों िि अंलकत िघु अलभिेखों में बहुधा
व्यम्भक्तवाचक नाम हैं, इनमें भी िेवताबोधक नामों की अलधकता हैं|
• इस लिलि क
े लचन्हों क
े बािे में अनुमान हैं लक सामान्यतः इनमें लचत्रात्मक लचन्हों की
प्रचुिता हैं, लजनकी प्रवालत ध्वन्यात्मक हैं|
11. लहिी उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• यह मत कोई लववािास्पत नहीं हैं लक लहिी हायिोग्लोलिकलिलि क
े
जानकािों ने िलिमोिि भाित में अिना सलन्नवेि बनाया था|
• ििंतु समस्या इस बात की हैं लक हड़प्पा सभ्यता को जन्म िेने वािे लकस
लविेष जालत से संबंध िखते थे| इस प्रश्न का उिि अभी तक अंलतम रूि से
सुिझाया नहीं जा सका हैं|
• लसंधु लिलि तथा लहिी हायिोग्लीलिक लिलि में लजन लचन्हों समानता लिखाई
िेती हैं, इनमें बहुत से लचन्हों को भािोिीय िाम्भिक व्याख्या क
े अनुसाि
स्पष्ट किने का प्रयास लकया गया हैं|
• इनमें से क
ु छ-एक लचन्ह लहिी िेवताओं की सूचना िेते हैं, टो क
ु छ-एक
लचन्ह सुमेिीय तथा बेलविोलनयन िेवताओं क
े द्योतक हैं|
12. लहिी उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• इन िोनों लिलियों में कोई संबंध मानने क
े िूवत हमें इनक
े काि लवषयक प्रश्न
िि भी ध्यान िेना िड़ेगा|
• लहिी लिलि की प्राचीनतम लतलथ 2000 ई िू तक जाती हैं, तथा लसंधु लिलि
की प्राचीनतम लतलथ 4000 ई िू (िुिाने िोधों क
े अनुसाि) तथा 3000 ई िू
(नए िोधों क
े अनुसाि) तक जाती हैं|
• इस प्रकाि लसंधु लिलि लहिी हायिोग्लोलिक लिलि से प्राचीन ठहिती हैं|
13.
14. भाितीय उत्पलि का लसद्ांत
1. द्रलवड़ उत्पलि का लसद्ांत
2. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
15. द्रलवड़ उत्पलि का लसद्ांत
मत
• क
ु छ लवद्वानों का लवचाि - हड़प्पा सभ्यता आयेिि िोगों द्वािा बसायी गयी
• आयेिि = असुि या द्रलवड़
• द्रलवड़ िोगों की आधुलनक भाषा = तलमि
• प्रमुख प्रवततक = एच हेिास महोिय
• हेिास महोिय मोहनजोिड़ों क
े िेखों को बायीं ओि से िढ़ने का प्रयास
किते हैं औि उन्हे तलमि भाषा में रूिांतरित कि िेते हैं|
16. द्रलवड़ उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• 4 हजाि ई िू बोिी या लिखी जाने वािी लकसी भी तलमि भाषा या
लिलि का साक्ष्य प्राप्त मृ नहीं
• आधुलनक तलमि लिलि का सैन्धव लिलि से समानता ठहिना लकसी भी
दृलष्ट से उलचत नहीं हैं,
• लसंधु घाटी की लिलि = लचत्रात्मक
• तलमि लिलि = वणातत्मक
17. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
मत
• लसंधुवासी = असुि
• सांस्क
ा लतक रूि से आयों से संबंध
• बाि में लसंधुवासी िलिम एलिया िरिगमन
• िंचजन - द्रुह्वंि - मान्धाता
• वैलिक िलण = िोलनलियन व्यािािी
• भूमध्यसागि में व्यािारिक बम्भस्तयां स्थालित
• इनक
े द्वािा प्रयुक्त लिलि लमश्री, यूनानी व सुमेिी लिलि का उद्भव
18. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
जी. आर. हंटर –
• मानव-लचन्ह आक
ा लतयााँ - लमस्र व सुमेि में प्राप्त मृ - असमानता
• हड़प्पाई लचन्ह सुमेरु ताबीजों िि उििब्ध
• मछिी, लचलड़यााँ, वाक्ष आलि
• लसंधु लिलि में अंितः लमस्र व अंितः सुमेि से प्रभालवत
• इन लचन्हों की आंलिक समानता तीनों लिलियों में िायी जाती हैं|
• संभतः तीनों लिलियों की कोई एक मूि लिलि िही हो
19. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
डेविड वडररञजर -
• लिलि की उत्पलि संबंधी 2 समस्या
1. लििीं का जन्म
2. लिलि क
े आलवष्काि िि इसका प्रभाव
• लसंधु लिलि - योजनाबद् एवं िंम्भक्तबद्
• प्रािंभ में लचत्रात्मक
• इसका संबंध कीिाक्षि लिलि क
े लकसी िूवत रूि से िहा होगा
• ििंतु यह लनलित नही उस संबंध का स्वरूि क्ा था|
संभावना -
• 1. लसंधु लिलि एक प्राचीन लिलि से लनकिी है, जो अभी तक ज्ञात नहीं|
• 2. तीनों लिलियााँ स्थानीय सालष्ट हो सकती हैं|
20. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
• िाजबिी िाण्डेय –
• लसंधवासीयों का अिबसागि व भूमध्यसागि से व्यािारिक संबंध स्थालित
• व्यािारिक व िािस्परिक संबंधों से एक-िू सिे को प्रभालवत लकया
• मत - िोलनलियन व्यािारियों ने लमस्र व यूनालनयों को लिखना लसखाया
• ग्रीक िेखक - िोनएलियन व्यािािी िलिम एलिया क
े लविाि बंििगाह
टायि क
े उिलनवेिी थे|
• वैलिक सालहत्य - वैलिक िलण = िोनेलियन व्यािािी
• िुिाणों + महाकाव्यों - एलतहालसक ििंििाओं क
े अनुसाि -
• आयत जन िलक्षणी-िलिमी भाित से उिि-िलिम की ओि गए|
• आयत क
े बंधु असुिों ने लसंधु लिलि का आलवष्काि लकया
• उसे वे अिने साथ िलिम एलिया व लमस्र िे गए|