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सैन्धव लिलि
उत्पलि व लवकास
सैन्धव लिलि – सामान्य िरिचय
• नामकिण - हड़प्पाई लिलि व सिस्वती लिलि
• भाित क
े सबसे प्राचीन लिलि
• सबसे िुिाना साक्ष्य – 1853 ई
• स्पष्ट रूि में प्रकालित – 1923 ई
• मूि लचन्ह – 64
• अक्षि – 205 – 400
• िेखन लििा – िायें से बाएं – स्रोत – कािीबंगा से प्राप्त मृ मािभां |
• लिलि – लचत्रात्मक
• उिकिण – मुहि, तांबे क
े गुटक
े , मािभां
• सबसे बड़ा िेख – 17 अक्षि का
• मुहिों िि अक्षि संख्या – 1-6
उत्पलि लवषयक मत
1. लविेिी उत्पलि का लसद्ांत
2. भाितीय उत्पलि का लसद्ांत
लविेिी उत्पलि का लसद्ांत
1. लमस्री लिलि से - मेरिगी
2. सुमेिी लिलि से - वे ेि
3. लहिी लिलि से - ह्राजनी
लमस्री उत्पलि का लसद्ांत
मत
 प्रवततक - िी मेरिगी
 मत - लसंधु घाटी की मुहिों िि, उन उिालधयों का अंकन, लजन्हे
िाजकमतचािी धािण किते थे|
 लचन्हों में लवचािात्मक तथा ध्वन्यात्मक लचन्हों का समन्वय
 लचन्हों की समरूिता - लमस्र की हायिोग्लीलिक लिलि से
लमस्री उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
 लमस्र की हायिोग्लीलिक लिलि एक िाष्टीय लिलि
 उिलिलियााँ - हायिेलटक तथा ेमोलटक लिलि
 िोनों लिलियााँ कलसतव तथा िौलकक रूिांतिण
 स्थानांतिण लमस्र से बाहि कहीं नहीं हुआ
 प्रकाि एवं गठन की दृलष्ट से = क
ा लतम लिलि
 क
ा लतम लिलि अिने में िूणत होती हैं, इसकी उत्पलि क
े लनलित प्रमाण नहीं लमिते हैं|
 सैन्धव लिलि = लचत्रात्मक लिलि
 हायिोग्लीलिक लिलि = लवचािात्मक व ध्वन्यात्मक
सुमेिी उत्पलि का लसद्ांत
मत
• प्रवततक = एि. ए. वे ेि
• मत - िगभग 4000 ई िू में सुमेिों ने लसंधु घाटी को अिना उिलनवेि
बनाया|
• इसी समय उन्होंने यहााँ अिनी लिलि का प्रयोग लकया|
• इसक
े साथ कहा लक लसंधु घाटी क
े मुहिों िि उन आयत िासकों एवं िुिों क
े
नाम अंलकत हैं, लजनका उल्लेख ऋग्वेि में प्राप्त मृ होता हैं|
• इसक
े अलतरिक्त उन्होंने आयों का सुमेरिय उत्पलि लसद् किने का प्रयास
लकया|
• भाितीय लवद्वान प्राणनाथ ने भी वे ेि क
े समान ही मत का प्रलतिािन लकया|
सुमेरिय उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• अभी तक सुमेिीय लिलि की उत्पलि का प्रश्न अंलतम रूि से सुिझाया नहीं
जा सका हैं|
• सुमेिीय ििंििा क
े अनुसाि सुमेि लकसी बाहिी क्षेत्र से आकाि सुमेि को
अिना लनवास स्थान बनाया था|
• सुमेि ििंििा में इस बात का संक
े त लमिता हैं लक इस लिलि का सुमेि में
प्रवेि लकसी बाहिी क्षेत्र से हुआ था|
• अभी तक यह भी लनलित नहीं हुआ लक सुमेिीय लिलि क
े कतात स्वयं सुमेि ही
थे|
• क्ोंलक इनक
े प्रािम्भिक अलभिेखों में सेमेलटक भाषा का प्रयोग लमिता हैं,
यह भाषा उस भाषा से लभन्न हैं, लजसका प्रयोग सुमेिवासी किते थे|
सुमेरिय उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• िोनों लिलियों में समानता क
े तत्व क
े वि संयोगििक
• इसे लकसी लिलि या प्रभाव क
े कािण नहीं माना जा सकता
• िोनों में समानता क
े वि वहीं िि हैं, जहां लचन्हों का गठन लचत्रात्मक हैं|
• सुमेिीय लिलि क
े लवकलसत लचन्हों में जो अलधकांितः ध्वन्यात्मक हैं, उनमें तथा लसंधु
लिलि में कोई समानता लिखाई नहीं िेती हैं|
• िोनों लिलियों में अंतमुतखी प्रवालत में भी अंति लमिता हैं|
• सुमेिीय लिलि की प्रवालत क
े वि ध्वन्यात्मक लिलि की ओि हैं, यह लिलि स्वभालवक
रूि में लकसी भी स्ति िि वालणतक लिलि नहीं बन सकती थी|
• जबलक लसंधु लिलि की आंतरिक प्रवालि लचत्रात्मक हैं| मािति क
े अनुसाि इस लिलि
की प्रवालत वलणतक लिलि की ओि हैं|
• आधुलनक अंसन्धानों क
े अनुसाि क
ु छ लवद्वानों का सुझाव हैं लक यद्यलि यह लिलि
अभी तक िढ़ी नहीं जा सकी हैं, लकन्तु इसका उििकाि में वालणतक लिलि की ओि
लनतांत संभाव्य हैं|
लहिी उत्पलि का लसद्ांत
मत
• प्रवततक = ह्राजनी महोिय
• मत - लसंधु लिलि क
े उद्भव में लहिी हायिोग्लीलिक लिलि का योगिान
• इनका मानना है लक आयों क
े भाित आगमन क
े िूवत ही हायिोग्लीलिक लिलि को
जानने वािे लहिीयों क
े एक िाखा ने भाित क
े िलिमोिि भाग में अिना एक
सलन्नवेि बनाया था|
• अतः जो लिलि यहााँ से प्रयोग में आयी, वह लहिी हायिोग्लीलिक से लभन्न नहीं हो
सकती हैं|
• इनकी समीक्षा क
े अनुसाि लसंधु घाटी क
े मुहिों िि अंलकत िघु अलभिेखों में बहुधा
व्यम्भक्तवाचक नाम हैं, इनमें भी िेवताबोधक नामों की अलधकता हैं|
• इस लिलि क
े लचन्हों क
े बािे में अनुमान हैं लक सामान्यतः इनमें लचत्रात्मक लचन्हों की
प्रचुिता हैं, लजनकी प्रवालत ध्वन्यात्मक हैं|
लहिी उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• यह मत कोई लववािास्पत नहीं हैं लक लहिी हायिोग्लोलिकलिलि क
े
जानकािों ने िलिमोिि भाित में अिना सलन्नवेि बनाया था|
• ििंतु समस्या इस बात की हैं लक हड़प्पा सभ्यता को जन्म िेने वािे लकस
लविेष जालत से संबंध िखते थे| इस प्रश्न का उिि अभी तक अंलतम रूि से
सुिझाया नहीं जा सका हैं|
• लसंधु लिलि तथा लहिी हायिोग्लीलिक लिलि में लजन लचन्हों समानता लिखाई
िेती हैं, इनमें बहुत से लचन्हों को भािोिीय िाम्भिक व्याख्या क
े अनुसाि
स्पष्ट किने का प्रयास लकया गया हैं|
• इनमें से क
ु छ-एक लचन्ह लहिी िेवताओं की सूचना िेते हैं, टो क
ु छ-एक
लचन्ह सुमेिीय तथा बेलविोलनयन िेवताओं क
े द्योतक हैं|
लहिी उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• इन िोनों लिलियों में कोई संबंध मानने क
े िूवत हमें इनक
े काि लवषयक प्रश्न
िि भी ध्यान िेना िड़ेगा|
• लहिी लिलि की प्राचीनतम लतलथ 2000 ई िू तक जाती हैं, तथा लसंधु लिलि
की प्राचीनतम लतलथ 4000 ई िू (िुिाने िोधों क
े अनुसाि) तथा 3000 ई िू
(नए िोधों क
े अनुसाि) तक जाती हैं|
• इस प्रकाि लसंधु लिलि लहिी हायिोग्लोलिक लिलि से प्राचीन ठहिती हैं|
भाितीय उत्पलि का लसद्ांत
1. द्रलवड़ उत्पलि का लसद्ांत
2. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
द्रलवड़ उत्पलि का लसद्ांत
मत
• क
ु छ लवद्वानों का लवचाि - हड़प्पा सभ्यता आयेिि िोगों द्वािा बसायी गयी
• आयेिि = असुि या द्रलवड़
• द्रलवड़ िोगों की आधुलनक भाषा = तलमि
• प्रमुख प्रवततक = एच हेिास महोिय
• हेिास महोिय मोहनजोिड़ों क
े िेखों को बायीं ओि से िढ़ने का प्रयास
किते हैं औि उन्हे तलमि भाषा में रूिांतरित कि िेते हैं|
द्रलवड़ उत्पलि का लसद्ांत
समीक्षा
• 4 हजाि ई िू बोिी या लिखी जाने वािी लकसी भी तलमि भाषा या
लिलि का साक्ष्य प्राप्त मृ नहीं
• आधुलनक तलमि लिलि का सैन्धव लिलि से समानता ठहिना लकसी भी
दृलष्ट से उलचत नहीं हैं,
• लसंधु घाटी की लिलि = लचत्रात्मक
• तलमि लिलि = वणातत्मक
स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
मत
• लसंधुवासी = असुि
• सांस्क
ा लतक रूि से आयों से संबंध
• बाि में लसंधुवासी िलिम एलिया िरिगमन
• िंचजन - द्रुह्वंि - मान्धाता
• वैलिक िलण = िोलनलियन व्यािािी
• भूमध्यसागि में व्यािारिक बम्भस्तयां स्थालित
• इनक
े द्वािा प्रयुक्त लिलि लमश्री, यूनानी व सुमेिी लिलि का उद्भव
स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
जी. आर. हंटर –
• मानव-लचन्ह आक
ा लतयााँ - लमस्र व सुमेि में प्राप्त मृ - असमानता
• हड़प्पाई लचन्ह सुमेरु ताबीजों िि उििब्ध
• मछिी, लचलड़यााँ, वाक्ष आलि
• लसंधु लिलि में अंितः लमस्र व अंितः सुमेि से प्रभालवत
• इन लचन्हों की आंलिक समानता तीनों लिलियों में िायी जाती हैं|
• संभतः तीनों लिलियों की कोई एक मूि लिलि िही हो
स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
डेविड वडररञजर -
• लिलि की उत्पलि संबंधी 2 समस्या
1. लििीं का जन्म
2. लिलि क
े आलवष्काि िि इसका प्रभाव
• लसंधु लिलि - योजनाबद् एवं िंम्भक्तबद्
• प्रािंभ में लचत्रात्मक
• इसका संबंध कीिाक्षि लिलि क
े लकसी िूवत रूि से िहा होगा
• ििंतु यह लनलित नही उस संबंध का स्वरूि क्ा था|
संभावना -
• 1. लसंधु लिलि एक प्राचीन लिलि से लनकिी है, जो अभी तक ज्ञात नहीं|
• 2. तीनों लिलियााँ स्थानीय सालष्ट हो सकती हैं|
स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
• िाजबिी िाण्डेय –
• लसंधवासीयों का अिबसागि व भूमध्यसागि से व्यािारिक संबंध स्थालित
• व्यािारिक व िािस्परिक संबंधों से एक-िू सिे को प्रभालवत लकया
• मत - िोलनलियन व्यािारियों ने लमस्र व यूनालनयों को लिखना लसखाया
• ग्रीक िेखक - िोनएलियन व्यािािी िलिम एलिया क
े लविाि बंििगाह
टायि क
े उिलनवेिी थे|
• वैलिक सालहत्य - वैलिक िलण = िोनेलियन व्यािािी
• िुिाणों + महाकाव्यों - एलतहालसक ििंििाओं क
े अनुसाि -
• आयत जन िलक्षणी-िलिमी भाित से उिि-िलिम की ओि गए|
• आयत क
े बंधु असुिों ने लसंधु लिलि का आलवष्काि लकया
• उसे वे अिने साथ िलिम एलिया व लमस्र िे गए|

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सैन्धव लिपि PPT.pdf

  • 2. सैन्धव लिलि – सामान्य िरिचय • नामकिण - हड़प्पाई लिलि व सिस्वती लिलि • भाित क े सबसे प्राचीन लिलि • सबसे िुिाना साक्ष्य – 1853 ई • स्पष्ट रूि में प्रकालित – 1923 ई • मूि लचन्ह – 64 • अक्षि – 205 – 400 • िेखन लििा – िायें से बाएं – स्रोत – कािीबंगा से प्राप्त मृ मािभां | • लिलि – लचत्रात्मक • उिकिण – मुहि, तांबे क े गुटक े , मािभां • सबसे बड़ा िेख – 17 अक्षि का • मुहिों िि अक्षि संख्या – 1-6
  • 3. उत्पलि लवषयक मत 1. लविेिी उत्पलि का लसद्ांत 2. भाितीय उत्पलि का लसद्ांत
  • 4. लविेिी उत्पलि का लसद्ांत 1. लमस्री लिलि से - मेरिगी 2. सुमेिी लिलि से - वे ेि 3. लहिी लिलि से - ह्राजनी
  • 5. लमस्री उत्पलि का लसद्ांत मत  प्रवततक - िी मेरिगी  मत - लसंधु घाटी की मुहिों िि, उन उिालधयों का अंकन, लजन्हे िाजकमतचािी धािण किते थे|  लचन्हों में लवचािात्मक तथा ध्वन्यात्मक लचन्हों का समन्वय  लचन्हों की समरूिता - लमस्र की हायिोग्लीलिक लिलि से
  • 6. लमस्री उत्पलि का लसद्ांत समीक्षा  लमस्र की हायिोग्लीलिक लिलि एक िाष्टीय लिलि  उिलिलियााँ - हायिेलटक तथा ेमोलटक लिलि  िोनों लिलियााँ कलसतव तथा िौलकक रूिांतिण  स्थानांतिण लमस्र से बाहि कहीं नहीं हुआ  प्रकाि एवं गठन की दृलष्ट से = क ा लतम लिलि  क ा लतम लिलि अिने में िूणत होती हैं, इसकी उत्पलि क े लनलित प्रमाण नहीं लमिते हैं|  सैन्धव लिलि = लचत्रात्मक लिलि  हायिोग्लीलिक लिलि = लवचािात्मक व ध्वन्यात्मक
  • 7. सुमेिी उत्पलि का लसद्ांत मत • प्रवततक = एि. ए. वे ेि • मत - िगभग 4000 ई िू में सुमेिों ने लसंधु घाटी को अिना उिलनवेि बनाया| • इसी समय उन्होंने यहााँ अिनी लिलि का प्रयोग लकया| • इसक े साथ कहा लक लसंधु घाटी क े मुहिों िि उन आयत िासकों एवं िुिों क े नाम अंलकत हैं, लजनका उल्लेख ऋग्वेि में प्राप्त मृ होता हैं| • इसक े अलतरिक्त उन्होंने आयों का सुमेरिय उत्पलि लसद् किने का प्रयास लकया| • भाितीय लवद्वान प्राणनाथ ने भी वे ेि क े समान ही मत का प्रलतिािन लकया|
  • 8. सुमेरिय उत्पलि का लसद्ांत समीक्षा • अभी तक सुमेिीय लिलि की उत्पलि का प्रश्न अंलतम रूि से सुिझाया नहीं जा सका हैं| • सुमेिीय ििंििा क े अनुसाि सुमेि लकसी बाहिी क्षेत्र से आकाि सुमेि को अिना लनवास स्थान बनाया था| • सुमेि ििंििा में इस बात का संक े त लमिता हैं लक इस लिलि का सुमेि में प्रवेि लकसी बाहिी क्षेत्र से हुआ था| • अभी तक यह भी लनलित नहीं हुआ लक सुमेिीय लिलि क े कतात स्वयं सुमेि ही थे| • क्ोंलक इनक े प्रािम्भिक अलभिेखों में सेमेलटक भाषा का प्रयोग लमिता हैं, यह भाषा उस भाषा से लभन्न हैं, लजसका प्रयोग सुमेिवासी किते थे|
  • 9. सुमेरिय उत्पलि का लसद्ांत समीक्षा • िोनों लिलियों में समानता क े तत्व क े वि संयोगििक • इसे लकसी लिलि या प्रभाव क े कािण नहीं माना जा सकता • िोनों में समानता क े वि वहीं िि हैं, जहां लचन्हों का गठन लचत्रात्मक हैं| • सुमेिीय लिलि क े लवकलसत लचन्हों में जो अलधकांितः ध्वन्यात्मक हैं, उनमें तथा लसंधु लिलि में कोई समानता लिखाई नहीं िेती हैं| • िोनों लिलियों में अंतमुतखी प्रवालत में भी अंति लमिता हैं| • सुमेिीय लिलि की प्रवालत क े वि ध्वन्यात्मक लिलि की ओि हैं, यह लिलि स्वभालवक रूि में लकसी भी स्ति िि वालणतक लिलि नहीं बन सकती थी| • जबलक लसंधु लिलि की आंतरिक प्रवालि लचत्रात्मक हैं| मािति क े अनुसाि इस लिलि की प्रवालत वलणतक लिलि की ओि हैं| • आधुलनक अंसन्धानों क े अनुसाि क ु छ लवद्वानों का सुझाव हैं लक यद्यलि यह लिलि अभी तक िढ़ी नहीं जा सकी हैं, लकन्तु इसका उििकाि में वालणतक लिलि की ओि लनतांत संभाव्य हैं|
  • 10. लहिी उत्पलि का लसद्ांत मत • प्रवततक = ह्राजनी महोिय • मत - लसंधु लिलि क े उद्भव में लहिी हायिोग्लीलिक लिलि का योगिान • इनका मानना है लक आयों क े भाित आगमन क े िूवत ही हायिोग्लीलिक लिलि को जानने वािे लहिीयों क े एक िाखा ने भाित क े िलिमोिि भाग में अिना एक सलन्नवेि बनाया था| • अतः जो लिलि यहााँ से प्रयोग में आयी, वह लहिी हायिोग्लीलिक से लभन्न नहीं हो सकती हैं| • इनकी समीक्षा क े अनुसाि लसंधु घाटी क े मुहिों िि अंलकत िघु अलभिेखों में बहुधा व्यम्भक्तवाचक नाम हैं, इनमें भी िेवताबोधक नामों की अलधकता हैं| • इस लिलि क े लचन्हों क े बािे में अनुमान हैं लक सामान्यतः इनमें लचत्रात्मक लचन्हों की प्रचुिता हैं, लजनकी प्रवालत ध्वन्यात्मक हैं|
  • 11. लहिी उत्पलि का लसद्ांत समीक्षा • यह मत कोई लववािास्पत नहीं हैं लक लहिी हायिोग्लोलिकलिलि क े जानकािों ने िलिमोिि भाित में अिना सलन्नवेि बनाया था| • ििंतु समस्या इस बात की हैं लक हड़प्पा सभ्यता को जन्म िेने वािे लकस लविेष जालत से संबंध िखते थे| इस प्रश्न का उिि अभी तक अंलतम रूि से सुिझाया नहीं जा सका हैं| • लसंधु लिलि तथा लहिी हायिोग्लीलिक लिलि में लजन लचन्हों समानता लिखाई िेती हैं, इनमें बहुत से लचन्हों को भािोिीय िाम्भिक व्याख्या क े अनुसाि स्पष्ट किने का प्रयास लकया गया हैं| • इनमें से क ु छ-एक लचन्ह लहिी िेवताओं की सूचना िेते हैं, टो क ु छ-एक लचन्ह सुमेिीय तथा बेलविोलनयन िेवताओं क े द्योतक हैं|
  • 12. लहिी उत्पलि का लसद्ांत समीक्षा • इन िोनों लिलियों में कोई संबंध मानने क े िूवत हमें इनक े काि लवषयक प्रश्न िि भी ध्यान िेना िड़ेगा| • लहिी लिलि की प्राचीनतम लतलथ 2000 ई िू तक जाती हैं, तथा लसंधु लिलि की प्राचीनतम लतलथ 4000 ई िू (िुिाने िोधों क े अनुसाि) तथा 3000 ई िू (नए िोधों क े अनुसाि) तक जाती हैं| • इस प्रकाि लसंधु लिलि लहिी हायिोग्लोलिक लिलि से प्राचीन ठहिती हैं|
  • 13.
  • 14. भाितीय उत्पलि का लसद्ांत 1. द्रलवड़ उत्पलि का लसद्ांत 2. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत
  • 15. द्रलवड़ उत्पलि का लसद्ांत मत • क ु छ लवद्वानों का लवचाि - हड़प्पा सभ्यता आयेिि िोगों द्वािा बसायी गयी • आयेिि = असुि या द्रलवड़ • द्रलवड़ िोगों की आधुलनक भाषा = तलमि • प्रमुख प्रवततक = एच हेिास महोिय • हेिास महोिय मोहनजोिड़ों क े िेखों को बायीं ओि से िढ़ने का प्रयास किते हैं औि उन्हे तलमि भाषा में रूिांतरित कि िेते हैं|
  • 16. द्रलवड़ उत्पलि का लसद्ांत समीक्षा • 4 हजाि ई िू बोिी या लिखी जाने वािी लकसी भी तलमि भाषा या लिलि का साक्ष्य प्राप्त मृ नहीं • आधुलनक तलमि लिलि का सैन्धव लिलि से समानता ठहिना लकसी भी दृलष्ट से उलचत नहीं हैं, • लसंधु घाटी की लिलि = लचत्रात्मक • तलमि लिलि = वणातत्मक
  • 17. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत मत • लसंधुवासी = असुि • सांस्क ा लतक रूि से आयों से संबंध • बाि में लसंधुवासी िलिम एलिया िरिगमन • िंचजन - द्रुह्वंि - मान्धाता • वैलिक िलण = िोलनलियन व्यािािी • भूमध्यसागि में व्यािारिक बम्भस्तयां स्थालित • इनक े द्वािा प्रयुक्त लिलि लमश्री, यूनानी व सुमेिी लिलि का उद्भव
  • 18. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत जी. आर. हंटर – • मानव-लचन्ह आक ा लतयााँ - लमस्र व सुमेि में प्राप्त मृ - असमानता • हड़प्पाई लचन्ह सुमेरु ताबीजों िि उििब्ध • मछिी, लचलड़यााँ, वाक्ष आलि • लसंधु लिलि में अंितः लमस्र व अंितः सुमेि से प्रभालवत • इन लचन्हों की आंलिक समानता तीनों लिलियों में िायी जाती हैं| • संभतः तीनों लिलियों की कोई एक मूि लिलि िही हो
  • 19. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत डेविड वडररञजर - • लिलि की उत्पलि संबंधी 2 समस्या 1. लििीं का जन्म 2. लिलि क े आलवष्काि िि इसका प्रभाव • लसंधु लिलि - योजनाबद् एवं िंम्भक्तबद् • प्रािंभ में लचत्रात्मक • इसका संबंध कीिाक्षि लिलि क े लकसी िूवत रूि से िहा होगा • ििंतु यह लनलित नही उस संबंध का स्वरूि क्ा था| संभावना - • 1. लसंधु लिलि एक प्राचीन लिलि से लनकिी है, जो अभी तक ज्ञात नहीं| • 2. तीनों लिलियााँ स्थानीय सालष्ट हो सकती हैं|
  • 20. स्वतंत्र उत्पलि का लसद्ांत • िाजबिी िाण्डेय – • लसंधवासीयों का अिबसागि व भूमध्यसागि से व्यािारिक संबंध स्थालित • व्यािारिक व िािस्परिक संबंधों से एक-िू सिे को प्रभालवत लकया • मत - िोलनलियन व्यािारियों ने लमस्र व यूनालनयों को लिखना लसखाया • ग्रीक िेखक - िोनएलियन व्यािािी िलिम एलिया क े लविाि बंििगाह टायि क े उिलनवेिी थे| • वैलिक सालहत्य - वैलिक िलण = िोनेलियन व्यािािी • िुिाणों + महाकाव्यों - एलतहालसक ििंििाओं क े अनुसाि - • आयत जन िलक्षणी-िलिमी भाित से उिि-िलिम की ओि गए| • आयत क े बंधु असुिों ने लसंधु लिलि का आलवष्काि लकया • उसे वे अिने साथ िलिम एलिया व लमस्र िे गए|