2. लेखक-परिचय
फणीश्विनाथ फणीश्वि नाथ ' िेणु ' का जन्म 4 माचच 1921 को बिहाि क
े अिरिय बजले
में फॉिबिसगंज क
े पास औिाही बहंगना गााँव में हुआ था। उस समय यह पूबणचया बजले में
था। उनकी बिक्षा भाित औि नेपाल में हुई। प्रािंबभक बिक्षा फािबिसगंज तथा अिरिया
में पूिी किने क
े िाद िेणु ने मैबरि क नेपाल क
े बविारनगि क
े बविारनगि आदिच
बवद्यालय से कोईराला पररवार में िहकि की। इन्होने इन्टिमीबिएर कािी बहन्दू
बवश्वबवद्यालय से 1942 में की बजसक
े िाद वे स्वतंत्रता संग्राम में क
ू द पडे। िाद में 1950
में उन्होने नेपाली क्ांबतकािी आन्दोलन में भी बहस्सा बलया बजसक
े
परिणामस्वरुप नेपाल में जनतंत्र की स्थापना हुई। परना बवश्वबवद्यालय क
े बवद्याबथचयों क
े
साथ छात्र संघर्च सबमबत में सबक्य रूप से भाग बलया औि जयप्रकाि नािायण की
सम्पूणच क्ांबत में अहम भूबमका बनभाई। १९५२-५३ क
े समय वे भीर्ण रूप से िोगग्रस्त
िहे थे बजसक
े िाद लेखन की ओि उनका झुकाव हुआ। उनक
े इस काल की झलक
उनकी कहानी तिे एकला चलो िे में बमलती है। उन्होने बहन्दी में आंचबलक कथा की
नींव िखी। सच्चिदानन्द हीिानन्द वात्स्यायन अज्ञेय एक समकालीन कबव, उनक
े पिम
बमत्र थे I
िचनाएाँ :- मैला आंचल, पिती परिकथा, जूलूस, दीघचतपा, बकतने चौिाहे, पलरू िािू िोि
(उपन्यास), एक आबदम िाबत्र की महक, ठु मिी, अबिखोि,अच्छे आदमी I अपने प्रथम
उपन्यास 'मैला आंचल' क
े बलये उन्हें पद्मश्री से सम्माबनत बकया गया।
3. महत्वपूणच तथ्य
i) िेणु आंचबलक कथाकाि क
े रूप में प्रबसद्ध है I
ii) ग्रामीण जीवन का िागात्मक एवं िसात्मक बचत्र च्चखचा है I
iii) 1975 ई० में परना में आए प्रलयकािी िढ़ का अत्यंत िोमांचकािी वणचन
बकया है I
iv) कबठन प्राक
ृ बतक आपदा क
े समय की मानवीय बवविता का बचत्रण I
v) लेकः इस िढ़ की बवभीबर्का क
े प्रत्यक्षदिी िहे है I
vi) इस परिच्चस्थबत में लोगों द्वािा दैबनक जीवन की वस्तुओं का संकलन I
vii) ऐसी परिच्चस्थबतयों में हमािा योगदान I
viii) क
ु छ लोगों की संवेदनहीनता का भी वणचन है I
ix) ऐसी परिच्चस्थबत में िेबिओ एवं जनसंपक
च बवभाग का योगदान I
x) ऐसे हालत में लोगों क
े बदनचयाच का वणचन बकया गया है I
xi) ऐसी परिच्चस्थबतयों में अफवाहों का नतीजा I
4. इस बवबियो को देखें :-
https://www.youtube.com/watch?v=Kzj7xNxOloc
https://www.youtube.com/watch?v=8bgQhoYhi9I
सौजन्य से :- बहंदी बवभाग