भारत का स्वदेशी करण या आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए जूरी कोर्ट कार्यकर्ताओं ने 21 जून को एक वेबिनार किया जिसमे 50 लोगो ने हिस्सा लिया।
चर्चा का मूल विषय विदेशी कंपनियों और निवेश से होने वाला खतरा था। आज भारत में बहुत सी विदेशी कंपनियों ने रक्षा, खदान, संचार, रेल, आदि पर जिस तरह से कब्ज़ा कर लिया है, भारत एक परजीवी देश बन चूका है जिसका परिणाम भारत की गुलामी होगा।
एक समय भारत के राजाओं ने विदेशी कंपनियों को देश में व्यापार करने की खुली छूट दी और कुछ वर्षो में भारत गुलाम हो गया, वही इतिहास फिर से दोहराया जा रहा है।
21 जून के वेबिनार में चर्चा का मूल विषय विदेशी निवेश जैसे FDI, IFI, Make in India, आदि था।
साथ ही संक्षेप में यह भी बताया गया कि किन कानूनों को लागू करने से भारत बिना विदेशी कंपनियों के सहयोग से विकास कर सकता है।
अगले वेबिनार में समाधान पर विस्तार से चर्चा की जानी प्रस्तावित की गयी है।
3. आज की इस चर्चा में हम निम्न मुद्दों पे बात करेंगे -
- स्वदेशी क्या और क्यों?
1 - अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृ ति के अनुसार जीवन जीना -अपनी सभ्यता वाली वेशभूषा,
पिज़्ज़ा बर्गर छोड़ कर दाल भात, साग सब्जी खाना, कोल्ड ड्रिंक छोड़ कर , नारियल पानी,
दूध, छाज पीना:
कारण - भावनात्म जुड़ाव , स्वस्थ्य
2 - लोकल" - जितना हो सके आवश्यकताओं की पूर्ती आस पास से करना:
कारण - भावनात्मक, पर्यावरण
3 - देश और देशवासियों को सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए आवश्यकता का हर
सामान, हथियार, दवाइयां, सभी प्रकार के उपकरण भारत में , भारतियों द्वारा बनाना –
कारण - देश को युद्ध के खतरे और परजीवी होने से बचाना
4. विदेशी के स्वरूप विदेशी प्रभाव के खतरे
1)आयात – Import
2)प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - FDI
3)परोक्ष विदेशी निवेश – Indirect
FDI
4) विदेशी निवेश यानी डॉलर की
आवश्यकता क्यों होती है
1) रिपाट्रीएसन क्राइसिस -
2) युद्ध
3) ईसाई मिशनरियों द्वारा
धर्मांतरण
4) खदानों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष
कब्जा
6. विदेशी के स्वरूप - प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - FDI
FDI in Sector Current Percentage
Defence Sector 74%
Digital Sector 26%
Coal Mining 100%
Broadcasting - FM radio, cable Network, DTH 74%
Banking 74%
Petrolium and natural gas refinary 49%
Telecom 100%
Pharma Sector 100%
Railways Infrastructure 100%
7. परोक्ष विदेशी निवेश – Indirect Foreign Investment
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई/FDI) भारतीय कं पनी में या अप्रत्यक्ष रूप
से एक मध्यवर्ती भारतीय कं पनी के माध्यम से किया जा सकता है।
एक अन्य भारतीय इकाई में एक मध्यवर्ती भारतीय कं पनी (जो कि विदेशियों
के स्वामित्व या नियंत्रण में है) द्वारा निवेश को अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश (IFI)
या डाउनस्ट्रीम निवेश माना जाता है
8. विदेशी निवेश यानी डॉलर की आवश्यकता क्यों होती है
•
सरकार को अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए
डॉलर की जरूरत है। यदि सरकार ने
ऐसी कर प्रणाली शुरू की है कि सरकार
का हस्तक्षेप बढ़ गया है, और लोग कम
कीमत पर सामान बनाने और उन्हें दूसरे
देशों में बेचने में सक्षम नहीं हैं, तो निर्यात
गिरने लगते हैं और आयात बढ़ने लगते
हैं। गिरते निर्यात से सरकार के पास
डॉलर की कमी होती है।
• सरकार निर्यात (Export) के अलावा किसी भी
तरह से डॉलर नहीं कमा सकती है। सरकार
निर्यात के अलावा डॉलर को बढ़ाने के लिए जो
भी तरीके अपनाती है, उसे एक चाल जा कहा
जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि देश को
निर्यात ( Export) के अलावा डॉलर जुटाने के
अन्य सभी तरीकों में बहुत नुकसान होता है।
और इस नुकसान को छिपाने के लिए, सरकारें
नागरिकों से झूठ बोलती हैं जैसे की मेक इन
इंडिया, डिजिटल इंडिया, ग्लोबलाइजेशन
9. नीचे पिछले 10 वर्षों के लिए भारत के व्यापार घाटे का चार्ट है। पूरा नुकसान !! एक
भी साल नहीं जिसमें भारत ने कमाई की है। हर साल अधिक आयात और निर्यात
में कमी आई। पिछले 30 वर्षों के लिए डेटा समान है।
10. विदेशी प्रभाव के खतरे यानि FDI के खतरे
जब विदेशी कं पनी भारत में रुपये में लाभ
कमाती है, तो हमें बदले में डॉलर का भुगतान
करना पड़ता है। इस तरह, यदि विदेशी कं पनी
$ 100 मिलियन का निवेश करती है और कु छ
वर्षों में $ 200 मिलियन का मुनाफा कमाती है,
तो हमें डबल डॉलर का भुगतान करना होगा।
भारत इस समय उसी पकड़ में है।
रिपाट्रीएसन
क्राइसिस
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11. FDI स्थानीय विनिर्माण इकाइयों को निगलती है
• विदेशी कं पनियों के पास डॉलर के महासागर हैं
और जूरी प्रणाली के कारण, उनके पास ऐसी
तकनीक है कि भारत की स्थानीय इकाइयां
प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती हैं। इसलिए, जिस
क्षेत्र में एफडीआई आएगा, उस क्षेत्र की सभी
स्थानीय इकाइयों को या तो इन दिग्गजों
अधिग्रहण कर लिया जाएगा या बाजार से बाहर
रखा जाएगा। इस तरह, वे अपना एकाधिकार
बनाते हैं।
एकाधिकार के बाद उनका मुनाफा बढ़ जाता है ।
और मुनाफे में वृद्धि से हम पर डॉलर का
भुगतान करने का बोझ बढ़ जाता है। स्वदेशी
स्थानीय विनिर्माण इकाइयों के टूटने के कारण,
हमारा निर्यात और गिर जाता है और इसके
कारण हमें अधिक डॉलर यानी एफडीआई की
आवश्यकता होती है!
• एक उदाहरण, 2015 में, प्रधानमंत्री ने
मॉरीशस Treaty में एक संशोधन जोड़ा
कि अगर कोई भारतीय कं पनी
मॉरीशस की किसी कं पनी की सेवाओं
का लाभ उठाती है, तो उसे 10% GST
चुकाना होगा, जबकि एक भारतीय
कं पनी की सेवाओं पर उन्हें 18% GST
का भुगतान करें!
• तो इसका परिणाम क्या होगा? भारतीय
कं पनियां 8% बचाने के लिए मॉरीशस
की कं पनियों से सेवाएं लेंगी और
भारतीय स्थानीय कं पनियां अपने
ग्राहकों को खोना शुरू कर देंगी! और
हमारे मंत्री हर साल दर्जनों ऐसे कानून
प्रकाशित करते हैं ताकि विदेशी
कं पनियों को बढ़त मिले।
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13. विदेशी प्रभाव के खतरे FDI यानि के खतरे
ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण -
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14. MNC मालिकों, सैन्य और मिशनरियों के बीच त्रिपक्षीय संबंध:
भारत के बहुत कम नागरिक इस तथ्य से अवगत हैं कि बहुराष्ट्रीय कं पनियां, सेना और
मिशनरी करीबी भाई हैं।
यह पिछले 500 वर्षों से एक संयुक्त पैके ज है। यदि आप उनमें से किसी एक को लेते हैं, तो
परिणाम में दूसरा और तीसरा भी आएगा।
सबसे पहले, बहुराष्ट्रीय कं पनियां व्यापार करने के लिए आती हैं। और जब बहुराष्ट्रीय
कं पनियां नियंत्रण लेती हैं, तो मिशनरी आते हैं।
और अगर बहुराष्ट्रीय कं पनियों को उस देश में अनुमति नहीं दी जाती है जहां वे आना
चाहते हैं, तो सेना आती है। और सेना के नियंत्रण के बाद, बहुराष्ट्रीय कं पनियों और
मिशनरियों का आगमन होता है।
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15. विदेशी प्रभाव के खतरे FDI यानि के खतरे
4) खदानों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष कब्जा – Mining Rights
छोटे बदलाव:
1) भारत सरकार रुपयों के बदले बिदेशी मुद्रा देनेका वादा नही करेगी
2) सम्पूर्ण भारतीय स्वामित्व वाली कं पनियों का चिन्हट
3) सम्पूर्ण भारतीय स्वामित्व वाली कं पनियों को हथियार बनाने का अधिकार
4) मैन्युफै क्चर्ड प्रोडक्ट पर आयात कर बृद्धि
बड़े बदलाव:
धनवापसी पासबुक, ज्यूरी कोर्ट, रिक्त भूमि कर
16. भारत और चीन में FDI के बीच अंतर:
• चीन ने FDI पर अर्जित लाभ पर असीमित डॉलर देने से इनकार कर दिया था ।
जब चीन ने 1975 में एफडीआई की अनुमति दी, तो यह निर्धारित किया कि वह उस कं पनी को डॉलर की समान राशि का
भुगतान करेगा जो कं पनी ने चीनी सरकार के पास जमा की थी।
• मतलब अगर company X ने 1 करोड़ डॉलर जमा किए हैं और 7 बिल येन के बराबर येन कहा जाए, और इसने 70 करोड़
येन कमाए, जो कि कारोबार (10 डॉलर के बराबर) है, तो चीन के वल $ 1 करोड़ का भुगतान करेगा, $ 10 करोड़ का नहीं।
• और फिर चीन ने उन कानूनों को प्रकाशित करना शुरू कर दिया जिससे चीन में स्थानीय विनिर्माण इकाइयों की उत्पादक
क्षमता में सुधार हुआ। इसने बड़े पैमाने पर उत्पादन में चीन के स्थानीय निर्माताओंको सक्षम किया और चीन का निर्यात
आसमान छू गया।
• 2001 के आसपास, जब चीन को अधिशेष डॉलर मिला और उनके कारखानों ने सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उत्पादन की
क्षमता प्राप्त की, तो उन्होंने शर्त हटा दी। लेकिन इसके बावजूद, चीन ने अर्थव्यवस्था के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों जैसे संचार,
रक्षा, रेलवे, ऊर्जा, बैंक आदि में एफडीआई की अनुमति नहीं दी।
18. FDI sey related FAQs
- Jaise ki FDI job generate karti hai
• Bharat WTO ke agreement se juda hai
• Achanak se FDI khatam kar sakte hain kya?
• Kya china se boycott karne sey koi farak padega, agar hanto kitna?
• Make in India avm Made in India mey kya farak hai
• Bhart to PSU kyun bechne pad rahe hai?