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गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुदेव महेश्वर
गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:|
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आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़़ी अभियान
योग क्या है?
⚫ योग शब्द संस्कृ त क
े “युज” धातु से लिया गया हैं,जिसका अर्ि
हैं जोड़ना,feyuk]jksduk ;k cka/kukA
⚫ योग की परंपरा भारत में हज़ारों साि पहिे से चिी आ रही है|
⚫ Ekgf’kZ iraatfy us ;ksxdks lw=c}fd;kA
⚫ Ekgf’kZ iraatfy ds vuqlkj
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⚫ िगवद गीता क
े अनुसार:
“योगः कमिसु कौशिम ।”’’”
⚫ परम पूज्य गुरुदेव : िीवन िीने की किा योग है।
⚫ योग द्वारा शरीर,मन एवं आत्मा में संतुिन उत्पन्न ककया िा
सकता हैं।
पररचय
• गभािवस्र्ा हर महहिा क
े िीवन का अनोखा, मूल्यवान व खूबसूरत
समय होता है। िैसे ही आपक
े गभि में एक नया िीवन शुरू होता है,
आपका शरीर कई छोटे और बडे बदिावों से गुिरता है।
• जिसमे शरीर मन भावनाएं नए ननमािण की ओर बढ़ रहे होते हैं|
• यह समय मनचाही प्रनतभाओं को िन्म देने का सुअवसर |
• क
ै से –डी.एन.ए ,वृद्धि एवम र्वकास का फामूििा |
• जिसमें कभी कभी र्कान अवसाद धचंता आ िाती है इसका प्रभाव
ननसंदेह गभिस्र् लशशु क
े शरीर व मन पर भी पडता है| इस समय
बाह्य, अभ्यंतर रूप से स्वस्र् रहना िरूरी|
गर्भावस्थभ के दौरभन होने वभली मसस्यभ
1. कसर ददा
2. कब्ज
3. प िंडली क्रे म्प्म
4. स्रेच सभर्कमा
5. ैरों की नम पिचनभ
6. गर्भावस्थभ की डभयबेपिज
7. पचिंतभ
8. हभइ र एपमपडिी
9. सोपनिंग पमकनेम
10. रभत को अच्छी नींद न आनभ
11. ैरों सें मूजन, ऐिंठन
12. र्ूि कस लगनभ
13. थकभवि
14. शरीर ददा
15. उच्च रक्तचभ आपद
गिाावस्था में योग करने का सबसे अच्छा समय क्या है
• माना िाता है कक योग करने का सबसे
अच्छा समय सूयोदय और सूयािस्त का हो
सकता है।
• यह समय है िब प्रकृ नत शांत होती है और
योग करने में मन िग सकता है।
• सुबह क
े समय योग करने से पूरे हदन तनाव
मुक्त महसूस कर सकते हैं।
• योग क
े िररए शरीर में ऑक्सीिन का
अच्छा संचारक होता है, जिससे गभि में मौिूद
लशशु को भी पयािप्त मात्रा में ऑक्सीिन
लमिती है।
•
गभािवस्र्ा में ककए िाने वािे योगासन का िाभ
• योगासन शरीर को िचीिा बनाते हैं,
• पूरे शरीर में रक्त का संचार संतुलित करते हैं
• गभािवस्र्ा में होने वािी समस्याओं िैसे कमर ददि, पैर में सूिन, कब्ि, धचंता, एलसडडटी,
मिुमेह, रात को नींद ना आना आहद से मुजक्त प्रदान करते हैं
• प्रनतहदन टहिने का अधिक से अधिक प्रयास पूरे 9 माह तक|
• उषापान - जिससे आपको र्वलभन्न रोगों िैसे कब्ि, खांसी, लसर ददि, उच्च रक्तचाप,
एलसडडटी, मिुमेह, हृदय रोगों से मुजक्त लमिती है, |
• पूरे हदन अधिक से अधिक िि का सेवन करना चाहहए
योग स्रेस (तनाव) को कम करने में सहायक
⚫ स्रेस हामोन (काहटिसोि ) को घटाता है |
⚫ कोहटिसोि हामोन महहिाओं में गभािवस्र्ा क
े दौरान भ्रूण क
े समग्र र्वकास को भी बढ़ावा देता है
⚫ एंडोकफि न हामोन ननकिता है िो गभिवती मां को शरीर से स्वस्र् मन से शांत प्रसन्न और उल्िास पूणि बनाता है
यह शांनत गभिस्र् लशशु तक पहुंचती है|
❖ ये पैजल्वक क्षेत्र िचीिा बनाकर गभािशय ग्रीवा क
े आसपास क
े तनाव से मुक्त करता हैं।
❖ कमर और पेजल्वक मांसपेलशयां को मिबूत और स्वस्र् रखने में मदद करता है। कोमि तरीक
े से टोननंग और
स्रेधचंग आपक
े शरीर को गभािवस्र्ा क
े दौरान और बाद में अच्छा स्वास्र् प्रदान करती है।
❖ आपक
े शऱीर और ददमाग को प्रसव क
े भिए तैयार करता है।
❖ डिि़ीवऱी होने क
े बाद योगाभ्यास आपक
े शऱीर को वापस आकार में तथा तेज़ी से स्वस्थ करने में मदद करते हैं।
योगाभ्यास हेतु सावधाननयां
• हाई ब्िड प्रेशर ,प्िेसेंटा का नीचे होना|
• गभािशय का मुख खुिा होना|
• प्रेगनेंसी क
े दौरान ब्िीडडंग होना |
• कहिन एवं पेट क
े ननचिे भाग पर दबाव डािने वािे आसनों से बचे।
• पहिे तीन महीनों क
े दौरान खडे रहने वािे क
ु छ योगासन करने चाहहए|
• टहि सकते हैं, ध्यान ककया िा सकता हैं।
⚫ वातावरण: िॉब, पररवार|
⚫ शाऱीररक: र्वलभन्न बदिाव िैसे र्कान,उल्टी आना, ददि, पैरों में सूिन आहद।
⚫ मानभसक: भय, मूड जस्वंग्स, डडप्रेशन, डडिीवरी हेतु धचंता|
योग पूवा तैयाररयां
⚫ प्रातः,खािी पेट एवम मि, मूत्र त्याग करक
े योग करे|
⚫ प्रातः शांनतपूणि प्राकृ नतक वातावरण ।
⚫ स्वच्छ,ढीिे कपडे पहन कर योग करें।
⚫ आसन करने हेतु मोटी दरी का इस्तेमाि करें।
⚫ योग करते समय अनावश्यक stretching से बचें।
⚫ िीरे िीरे एवं श्वास क
े प्रनत िाग्रत होकर योगाभ्यास करें।
⚫ अभ्यास से पहिे स्नान/एक घंटे उपरांत ताकक आपक
े शरीर का तापमान संतुलित हो सक
े ,
⚫ योगाभ्यास क
े समय श्रोणण को न्यूरि जस्र्नत में रखते हुए पेट की मांसपेलशयों को काम में
िगाएं और टेि बोन को नीचे की ओर हल्का दबने दें, यह कटीस्नायुशूि मे र्वशेष िाभ
प्रदान करता है|
• संपूणि शारीररक व मानलसक स्वास््य क
े लिए योग से बेहतर क
ु छ नहीं है।
• र्वलभन्न शारीररक मुद्राओं (आसन) क
े सार्-सार् प्राणायाम भी ककया िाता है।
• एनीसीबीआई वेबसाइट ने भी पुजष्ट करते हुए कहा कक गभािवस्र्ा क
े दौरान क
ु छ खास योगमुद्राएं
करने से गभिवती महहिा का स्वास््य िीक रह सकता है। सार् ही प्रसव क
े दौरान होने वािी
िहटिताओं को भी टािा िा सकता है।
• योगासन को र्वशेषज्ञ की देखरेख में ही ककया िाना चाहहए।
नेशनि सेंटर फॉर बायोटेक्नोिॉिी इंफाममेशशन
आसन
“गिाावस्था में प्राणायाम”
“प्राणायाम क्या हैं?”
• प्राणायाम = प्राण+आयाम
• यह प्राण -शजक्त का प्रवाह कर व्यजक्त को िीवन शजक्त प्रदान करता है।
तीसरी नतमाही में ककए िाने वािे व्यायाम का एक महत्वपूणि हहस्सा है |
• प्राणायाम ियबद्ि स्वास््य पर ध्यान क
ें हद्रत करते हुए र्वश्राम करने और ध्यान क
ें हद्रत करने में मदद करता है|
• प्राणायाम का प्रभाव पंचकोशो पर पडता है|
• प्राणायाम करने से लसरोटोननन हामोन ननकिता है िो मां को प्रसन्न करता है और यह प्रसन्नता गभिस्र् लशशु
तक पहुंचती है|
• प्राणायाम का उद्देश्य गभिवती मां को तनाव, धचंता, क्रोि आहद नकारात्मक भावनाओं से मुक्त करा कर प्राणवान
बनाना है जिससे कक वह प्राणवान लशशु को िन्म दे सक
े |
प्राणायाम
 रक्त क
े संचार को सुिारना|,रक्त में ऑक्सीिन क
े स्तर को बढ़ाता है|
 काविनडाई आक्साइड क
े स्तर को कम करता है |
 शरीर से अपलशष्ट पदार्ों को प्रभावी तरीक
े से बाहर ननकािने में शरीर की मदद करता है|
 आप डरी हुई होती हैं तो आपका शरीर ज्यादा मात्रा में एड्रीनिीन हामोन का स्राव ज्यादा उत्पन्न करता
है िो ऑक्सीटॉलसन क
े उत्पादन को रोकता है
 ऑक्सीटॉलसन एक ऐसा हामोन है िो कक डडिीवरी क
े दौरान आपकी मदद करता है प्रसव क
े दौरान
 िब आप शंकर संक
ु चन का ददि महसूस करती हैं उस समय घबराहट,धचंता क
े भावों से िडने में गहरी
सांस आपकी मदद कर सकती है
 तनाव क
े स्तर को घटा कर मााँ एवं बच्चे को िाभ पहुाँचता हैं।
 प्रेगनेंसी क
े दौरान होने वािी र्वलभन्न समस्याओं िैसे- P.I.H,
 Insomina, Pre-term delivery आहद में िाभदायक।
 मन को शांत करता हैं और labor क
े लिए तैयार करता है।
महर्षि पतंिलि ने दूसरे अध्याय क
े 50 में सूत्र में प्राणायाम क
े र्वषय में बताया है|
प्राणायाम तीन प्रकार की कक्रयाओं में र्वभक्त है
1-पहिे िब हम सांस को अंदर खींचते हैं|
2- दूसरी िब हम उसे बाहर ननकािते हैं|
3- तीसरी िब उसे फफडे क
े भीतर या उसक
े बाहर िेते और छोडते हैं|
Circulation and Gas
Exchange
Recall the interconnection
betweencirculation and
the respiratory system.
Gas exchange at the lungs
and in the body cells moves
oxygen into cells and carbon
dioxide out.
“गिाावस्था में ध्यान”
डॉ बेनसन ने अपने अध्ययन में बताया कक ध्यान का प्रभाव अननवायि रूप से फाइट एंड फ्िाई प्रनतकक्रया क
े र्वपरीत है
यह ध्यान हृदय गनत में कमी करता है
श्वसन दर एवं रक्तचाप को ननयंत्रत्रत करता है सार् ही सार् अन्य रोगों को िड से खत्म करता है|
इसकी वैज्ञाननकता पर दृजष्टपात करे तो िानेंगे की ध्यान में मानस तरंगों का बहुत बडा रोि होता है|
बीटा तरंगे
अल्फा तरंगे
थीटा तरंगे
िेल्टा तरंग इनका र्वस्तार बहुत ही गहरा है इनक
े र्वषय में भी कम ही िाना िा सका है जस्र्नत को हम समाधि
की अवस्र्ा से िोड सकते हैं|
ध्यान का इनतहास
“गिाावस्था में ध्यान का प्रिाव”
⚫ गभिस्र् लशशु क
े सार् आपको भावनात्मक स्तर पर िोडता है।
⚫ Cortisol Hormone क
े स्तर को कम करक
े stress घटाता हैं।
⚫ नींद न आने की समस्या में िाभदायक।
⚫ मन शांत करता हैं और आपको labor क
े लिए रचनात्मक तरीक
े से तैयार करता हैं।
⚫ पोस्टपाटिम डडप्रेशन से बचाता हैं।
⚫ Pre – term labor एवं I.U.G.R की समस्या से गभिस्र् लशशु को बचाता है।
ध्यान क
े दौरान
मस्स्तष्क में
शाऱीररक
पररवतान
1 डोसोिेटरि प्रीफ्र
ं टि कॉटमेशक्स-
यह मजस्तष्क क
े इस हहस्से में वृद्धि को उत्तेजित करता है।
2- पोस्टीररयर लसंगुिेट कॉटमेशक्स-
यह आपक
े मन भटकने-ध्यान को ननयंत्रत्रत करने की क्षमता बनाता है।
3- िेफ्ट हहप्पोक
ै म्पस –
यह िानकारी को बनाए रखने क
े सार्-सार् सीखने की क्षमता बनाता है।
4- अलमगडािा में सेि वॉल्यूम घटाता है
यह ननयंत्रत्रत करता है- भय, धचंता और तनाव।
5- यह सी ररएजक्टव प्रोटीन, ब्िड प्रेशर, सांस िेने में समस्या और िेनेहटक को
ननयंत्रत्रत करता है
ध्यानं ननर्विशयम मन:
यह मन की वह जस्र्नत है िहााँ कोई र्वषय या र्वचार शेष नहीं रहता
कफर से र्वचार ककया िाता है |
ध्यान क
े प्रकार –
1-स्र्ूि ध्यान
2-सूक्ष्म ध्यान
3-ज्योनतर ध्यान /सर्वता देवता का ध्यान
ॐ सवमेश भवन्तु सुणखनः।
सवमेश सन्तु ननरामयाः।
सवमेश भद्राणण पश्यन्तु।
मा कजश्चत् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शाजन्तः शाजन्तः शाजन्तः॥
दहन्द़ी िावाथा:
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का िीवन मंगिमय
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धन्यवाद

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  • 1. गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुदेव महेश्वर गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:|
  • 2. osnewfrZ]ri¨fu”B]if.Mr Jhjke ‘kekZ vkpk;Z • J)s; MkW iz.ko i.M~;k],e Mh ,oa ‘kSyckyk i.M~;k • Ikzeq[k vf[ky fo’o xk;=h ifjokj • fo’ks”k lg;ksx • MkW xk;=h ‘kekZ • vkvks x<sa lLadkjoku ih<+h foHkkx]’kkafrdaqt]gfj}kj • izLrqrdrkZ
  • 3. आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़़ी अभियान
  • 4.
  • 5. योग क्या है? ⚫ योग शब्द संस्कृ त क े “युज” धातु से लिया गया हैं,जिसका अर्ि हैं जोड़ना,feyuk]jksduk ;k cka/kukA ⚫ योग की परंपरा भारत में हज़ारों साि पहिे से चिी आ रही है| ⚫ Ekgf’kZ iraatfy us ;ksxdks lw=c}fd;kA ⚫ Ekgf’kZ iraatfy ds vuqlkj ;ksxf”pRro`fRRk fujks/k% ⚫ िगवद गीता क े अनुसार: “योगः कमिसु कौशिम ।”’’” ⚫ परम पूज्य गुरुदेव : िीवन िीने की किा योग है। ⚫ योग द्वारा शरीर,मन एवं आत्मा में संतुिन उत्पन्न ककया िा सकता हैं।
  • 6. पररचय • गभािवस्र्ा हर महहिा क े िीवन का अनोखा, मूल्यवान व खूबसूरत समय होता है। िैसे ही आपक े गभि में एक नया िीवन शुरू होता है, आपका शरीर कई छोटे और बडे बदिावों से गुिरता है। • जिसमे शरीर मन भावनाएं नए ननमािण की ओर बढ़ रहे होते हैं| • यह समय मनचाही प्रनतभाओं को िन्म देने का सुअवसर | • क ै से –डी.एन.ए ,वृद्धि एवम र्वकास का फामूििा | • जिसमें कभी कभी र्कान अवसाद धचंता आ िाती है इसका प्रभाव ननसंदेह गभिस्र् लशशु क े शरीर व मन पर भी पडता है| इस समय बाह्य, अभ्यंतर रूप से स्वस्र् रहना िरूरी|
  • 7. गर्भावस्थभ के दौरभन होने वभली मसस्यभ 1. कसर ददा 2. कब्ज 3. प िंडली क्रे म्प्म 4. स्रेच सभर्कमा 5. ैरों की नम पिचनभ 6. गर्भावस्थभ की डभयबेपिज 7. पचिंतभ 8. हभइ र एपमपडिी 9. सोपनिंग पमकनेम 10. रभत को अच्छी नींद न आनभ 11. ैरों सें मूजन, ऐिंठन 12. र्ूि कस लगनभ 13. थकभवि 14. शरीर ददा 15. उच्च रक्तचभ आपद
  • 8. गिाावस्था में योग करने का सबसे अच्छा समय क्या है • माना िाता है कक योग करने का सबसे अच्छा समय सूयोदय और सूयािस्त का हो सकता है। • यह समय है िब प्रकृ नत शांत होती है और योग करने में मन िग सकता है। • सुबह क े समय योग करने से पूरे हदन तनाव मुक्त महसूस कर सकते हैं। • योग क े िररए शरीर में ऑक्सीिन का अच्छा संचारक होता है, जिससे गभि में मौिूद लशशु को भी पयािप्त मात्रा में ऑक्सीिन लमिती है। •
  • 9. गभािवस्र्ा में ककए िाने वािे योगासन का िाभ • योगासन शरीर को िचीिा बनाते हैं, • पूरे शरीर में रक्त का संचार संतुलित करते हैं • गभािवस्र्ा में होने वािी समस्याओं िैसे कमर ददि, पैर में सूिन, कब्ि, धचंता, एलसडडटी, मिुमेह, रात को नींद ना आना आहद से मुजक्त प्रदान करते हैं • प्रनतहदन टहिने का अधिक से अधिक प्रयास पूरे 9 माह तक| • उषापान - जिससे आपको र्वलभन्न रोगों िैसे कब्ि, खांसी, लसर ददि, उच्च रक्तचाप, एलसडडटी, मिुमेह, हृदय रोगों से मुजक्त लमिती है, | • पूरे हदन अधिक से अधिक िि का सेवन करना चाहहए
  • 10. योग स्रेस (तनाव) को कम करने में सहायक ⚫ स्रेस हामोन (काहटिसोि ) को घटाता है | ⚫ कोहटिसोि हामोन महहिाओं में गभािवस्र्ा क े दौरान भ्रूण क े समग्र र्वकास को भी बढ़ावा देता है ⚫ एंडोकफि न हामोन ननकिता है िो गभिवती मां को शरीर से स्वस्र् मन से शांत प्रसन्न और उल्िास पूणि बनाता है यह शांनत गभिस्र् लशशु तक पहुंचती है| ❖ ये पैजल्वक क्षेत्र िचीिा बनाकर गभािशय ग्रीवा क े आसपास क े तनाव से मुक्त करता हैं। ❖ कमर और पेजल्वक मांसपेलशयां को मिबूत और स्वस्र् रखने में मदद करता है। कोमि तरीक े से टोननंग और स्रेधचंग आपक े शरीर को गभािवस्र्ा क े दौरान और बाद में अच्छा स्वास्र् प्रदान करती है। ❖ आपक े शऱीर और ददमाग को प्रसव क े भिए तैयार करता है। ❖ डिि़ीवऱी होने क े बाद योगाभ्यास आपक े शऱीर को वापस आकार में तथा तेज़ी से स्वस्थ करने में मदद करते हैं।
  • 11. योगाभ्यास हेतु सावधाननयां • हाई ब्िड प्रेशर ,प्िेसेंटा का नीचे होना| • गभािशय का मुख खुिा होना| • प्रेगनेंसी क े दौरान ब्िीडडंग होना | • कहिन एवं पेट क े ननचिे भाग पर दबाव डािने वािे आसनों से बचे। • पहिे तीन महीनों क े दौरान खडे रहने वािे क ु छ योगासन करने चाहहए| • टहि सकते हैं, ध्यान ककया िा सकता हैं। ⚫ वातावरण: िॉब, पररवार| ⚫ शाऱीररक: र्वलभन्न बदिाव िैसे र्कान,उल्टी आना, ददि, पैरों में सूिन आहद। ⚫ मानभसक: भय, मूड जस्वंग्स, डडप्रेशन, डडिीवरी हेतु धचंता|
  • 12. योग पूवा तैयाररयां ⚫ प्रातः,खािी पेट एवम मि, मूत्र त्याग करक े योग करे| ⚫ प्रातः शांनतपूणि प्राकृ नतक वातावरण । ⚫ स्वच्छ,ढीिे कपडे पहन कर योग करें। ⚫ आसन करने हेतु मोटी दरी का इस्तेमाि करें। ⚫ योग करते समय अनावश्यक stretching से बचें। ⚫ िीरे िीरे एवं श्वास क े प्रनत िाग्रत होकर योगाभ्यास करें। ⚫ अभ्यास से पहिे स्नान/एक घंटे उपरांत ताकक आपक े शरीर का तापमान संतुलित हो सक े , ⚫ योगाभ्यास क े समय श्रोणण को न्यूरि जस्र्नत में रखते हुए पेट की मांसपेलशयों को काम में िगाएं और टेि बोन को नीचे की ओर हल्का दबने दें, यह कटीस्नायुशूि मे र्वशेष िाभ प्रदान करता है|
  • 13. • संपूणि शारीररक व मानलसक स्वास््य क े लिए योग से बेहतर क ु छ नहीं है। • र्वलभन्न शारीररक मुद्राओं (आसन) क े सार्-सार् प्राणायाम भी ककया िाता है। • एनीसीबीआई वेबसाइट ने भी पुजष्ट करते हुए कहा कक गभािवस्र्ा क े दौरान क ु छ खास योगमुद्राएं करने से गभिवती महहिा का स्वास््य िीक रह सकता है। सार् ही प्रसव क े दौरान होने वािी िहटिताओं को भी टािा िा सकता है। • योगासन को र्वशेषज्ञ की देखरेख में ही ककया िाना चाहहए। नेशनि सेंटर फॉर बायोटेक्नोिॉिी इंफाममेशशन
  • 16. “प्राणायाम क्या हैं?” • प्राणायाम = प्राण+आयाम • यह प्राण -शजक्त का प्रवाह कर व्यजक्त को िीवन शजक्त प्रदान करता है। तीसरी नतमाही में ककए िाने वािे व्यायाम का एक महत्वपूणि हहस्सा है | • प्राणायाम ियबद्ि स्वास््य पर ध्यान क ें हद्रत करते हुए र्वश्राम करने और ध्यान क ें हद्रत करने में मदद करता है| • प्राणायाम का प्रभाव पंचकोशो पर पडता है| • प्राणायाम करने से लसरोटोननन हामोन ननकिता है िो मां को प्रसन्न करता है और यह प्रसन्नता गभिस्र् लशशु तक पहुंचती है| • प्राणायाम का उद्देश्य गभिवती मां को तनाव, धचंता, क्रोि आहद नकारात्मक भावनाओं से मुक्त करा कर प्राणवान बनाना है जिससे कक वह प्राणवान लशशु को िन्म दे सक े |
  • 17. प्राणायाम  रक्त क े संचार को सुिारना|,रक्त में ऑक्सीिन क े स्तर को बढ़ाता है|  काविनडाई आक्साइड क े स्तर को कम करता है |  शरीर से अपलशष्ट पदार्ों को प्रभावी तरीक े से बाहर ननकािने में शरीर की मदद करता है|  आप डरी हुई होती हैं तो आपका शरीर ज्यादा मात्रा में एड्रीनिीन हामोन का स्राव ज्यादा उत्पन्न करता है िो ऑक्सीटॉलसन क े उत्पादन को रोकता है  ऑक्सीटॉलसन एक ऐसा हामोन है िो कक डडिीवरी क े दौरान आपकी मदद करता है प्रसव क े दौरान  िब आप शंकर संक ु चन का ददि महसूस करती हैं उस समय घबराहट,धचंता क े भावों से िडने में गहरी सांस आपकी मदद कर सकती है  तनाव क े स्तर को घटा कर मााँ एवं बच्चे को िाभ पहुाँचता हैं।  प्रेगनेंसी क े दौरान होने वािी र्वलभन्न समस्याओं िैसे- P.I.H,  Insomina, Pre-term delivery आहद में िाभदायक।  मन को शांत करता हैं और labor क े लिए तैयार करता है।
  • 18. महर्षि पतंिलि ने दूसरे अध्याय क े 50 में सूत्र में प्राणायाम क े र्वषय में बताया है| प्राणायाम तीन प्रकार की कक्रयाओं में र्वभक्त है 1-पहिे िब हम सांस को अंदर खींचते हैं| 2- दूसरी िब हम उसे बाहर ननकािते हैं| 3- तीसरी िब उसे फफडे क े भीतर या उसक े बाहर िेते और छोडते हैं|
  • 19. Circulation and Gas Exchange Recall the interconnection betweencirculation and the respiratory system. Gas exchange at the lungs and in the body cells moves oxygen into cells and carbon dioxide out.
  • 21. डॉ बेनसन ने अपने अध्ययन में बताया कक ध्यान का प्रभाव अननवायि रूप से फाइट एंड फ्िाई प्रनतकक्रया क े र्वपरीत है यह ध्यान हृदय गनत में कमी करता है श्वसन दर एवं रक्तचाप को ननयंत्रत्रत करता है सार् ही सार् अन्य रोगों को िड से खत्म करता है| इसकी वैज्ञाननकता पर दृजष्टपात करे तो िानेंगे की ध्यान में मानस तरंगों का बहुत बडा रोि होता है| बीटा तरंगे अल्फा तरंगे थीटा तरंगे िेल्टा तरंग इनका र्वस्तार बहुत ही गहरा है इनक े र्वषय में भी कम ही िाना िा सका है जस्र्नत को हम समाधि की अवस्र्ा से िोड सकते हैं| ध्यान का इनतहास
  • 22. “गिाावस्था में ध्यान का प्रिाव” ⚫ गभिस्र् लशशु क े सार् आपको भावनात्मक स्तर पर िोडता है। ⚫ Cortisol Hormone क े स्तर को कम करक े stress घटाता हैं। ⚫ नींद न आने की समस्या में िाभदायक। ⚫ मन शांत करता हैं और आपको labor क े लिए रचनात्मक तरीक े से तैयार करता हैं। ⚫ पोस्टपाटिम डडप्रेशन से बचाता हैं। ⚫ Pre – term labor एवं I.U.G.R की समस्या से गभिस्र् लशशु को बचाता है।
  • 23. ध्यान क े दौरान मस्स्तष्क में शाऱीररक पररवतान
  • 24. 1 डोसोिेटरि प्रीफ्र ं टि कॉटमेशक्स- यह मजस्तष्क क े इस हहस्से में वृद्धि को उत्तेजित करता है। 2- पोस्टीररयर लसंगुिेट कॉटमेशक्स- यह आपक े मन भटकने-ध्यान को ननयंत्रत्रत करने की क्षमता बनाता है। 3- िेफ्ट हहप्पोक ै म्पस – यह िानकारी को बनाए रखने क े सार्-सार् सीखने की क्षमता बनाता है। 4- अलमगडािा में सेि वॉल्यूम घटाता है यह ननयंत्रत्रत करता है- भय, धचंता और तनाव। 5- यह सी ररएजक्टव प्रोटीन, ब्िड प्रेशर, सांस िेने में समस्या और िेनेहटक को ननयंत्रत्रत करता है
  • 25. ध्यानं ननर्विशयम मन: यह मन की वह जस्र्नत है िहााँ कोई र्वषय या र्वचार शेष नहीं रहता कफर से र्वचार ककया िाता है | ध्यान क े प्रकार – 1-स्र्ूि ध्यान 2-सूक्ष्म ध्यान 3-ज्योनतर ध्यान /सर्वता देवता का ध्यान
  • 26. ॐ सवमेश भवन्तु सुणखनः। सवमेश सन्तु ननरामयाः। सवमेश भद्राणण पश्यन्तु। मा कजश्चत् दुःख भाग्भवेत्॥ ॐ शाजन्तः शाजन्तः शाजन्तः॥ दहन्द़ी िावाथा: सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का िीवन मंगिमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। धन्यवाद