एक छोटी सी बात मन के भी तर कभी कभी इस तरह समाती है कि कलम पर उंगलियों की पकड़ मज़बूतब हो जाती है | एक ऐसी ही घटना ने मुझे नशे से सम्बंधित कुछ शब्द लिखने का मौका दे दिया | ” इस बात का मेरे मुंह से निकलना था कि यह एक लज़ीज़ भोजन की तरह परोसने का ज़रिया बन गया | तो चलिए कुछ इस तरह पेश करते हैं हम अपनी बात – दारू पीकर तो इंसान बहकने लगता है …