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Subhash Chandra Bose Jayanti
2024: नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती
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नेताजी सुबाष चंद्र बोस Jayanti
Subhash Chandra Bose Jayanti : नेता जी सुभाष चंद्र बोस जयंती आज ही क
े दिन 23
जनवरी 1897 को हुवा था। भारत की स्वतंत्रता में उनक
े योगदानों को कभी नहीं भूला जा
सकता. देश प्रेम की पराकष्ठा और स्वतंत्रता क
े प्रति दृढ सेनानी बनाता है, जिन्होंने भारत की
स्वतंत्रता क
े लिए अपना सर्वस्व समर्पित किया। सुभाष चंद्र बोस की जीवनी हमें सिख देती है
कि जब साहस और संकल्प से भरा
हो तो कोई भी मुश्किल आपक
े दृढ निश्चय क
े सामने कभी अड़े नहीं आ सकती, नेताजी क
े
विचारों ने हमें साकारात्मक दिशा की और प्रेरित करता है और उनकी आज़ादी क
े लिए की गई
संघर्ष भरी क्रांति ने हमें आज एक गर्वशील और स्वतंत्र भारत की की कल्पना को जी रहे हैं
चलिए पाठको सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर पढ़ें उनक
े बारे में क
ु छ रोचक फ
ै क्ट्स जानत हैं
जन्म :
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनका जन्म स्थान कटक,
ओडिशा, भारत था। उनक
े पिता का नाम जनकिनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी
था। नेताजी का असली नाम सुभाषचंद्र नाथ था।
शिक्षा :
नेताजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को कटक में पूरी की और फिर कॉलेज स्तर पर कोलकाता में
पढ़ाई पूरी की। उन्होंने कॉलेज क
े दौरान ही राष्ट्रीयस्तरीय नेतृत्व की ओर कदम बढ़ाया और
महात्मा गांधी क
े साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अपनी पहचान बनाई।
उन्होंने कॉलेज में एंट्री लेने क
े लिए इंग्लैंड गए और क
ै म्ब्रिज विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल
साइंस में पढ़ाई की।
नेताजी क
े योगदान :
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने अद्वितीय नेतृत्व क
े साथ राष्ट्रीय एकता की ऊ
ँ चाइयों तक
पहुंचने का सपना देखा। उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपने आत्मनिर्भर राष्ट्र की दिशा में
कदम बढ़ाया और ‘आज़ाद हिन्द फौज’ की स्थापना की।
सशक्तीकरण का सूचना:
नेताजी ने अपने उद्दीपक भाषणों और उनक
े रेडियो प्रसारणों क
े माध्यम से भारतीय जनता
को सशक्त किया और उन्हें स्वतंत्रता क
े लिए उत्तेजित किया। उनका नारा ‘जय हिन्द’ आज भी
हमारे हृदय में गूंथा हुआ है।
आज़ाद हिन्द फौज का गठन:
Subhash-chandra-bose: Azad Hind Fauz
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1942 में सहयोगिता सत्याग्रह क
े बाद, ब्रिटिश साम्राज्य क
े खिलाफ
सक्रियता बढ़ाने क
े लिए आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना नेताजी ने आज़ाद हिन्द फौज की
स्थापना 1942 में सिंगापुर में की। आज़ाद हिन्द फौज का नाम बहादुर शाह जफर ने सुझाया
था,
जिसे नेताजी ने स्वीकार किया। इस से फौज को एक विशेष पहचान और गरिमा मिली। उन्होंने
भारतीयों को “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” क
े ऐतिहासिक उक्ति क
े साथ प्रेरित
किया।
इस सेना का उद्देश्य भारत को स्वतंत्रता दिलाना था, और इसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में
सक्रिय भूमिका निभाने क
े इरादे से भरा हुआ था। यह एक स्वतंत्रता सेना थी जो ब्रिटिश
साम्राज्य क
े खिलाफ संघर्ष करने क
े लिए तैयार थी।
आज़ाद हिन्द फौज ने बरमा (बर्मा अब म्यांमार) में ब्रिटिश सेना क
े खिलाफ सक्रिय भूमिका
निभाई। फौज ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रियता दिखाई और ब्रिटिश सेना क
े खिलाफ
विभिन्न स्थानों पर कार्रवाई की।
इससे यह स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। आज़ाद हिन्द फौज ने भारतीय
स्वतंत्रता संग्राम में अपने साहसी और समर्पित सदस्यों क
े साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई और इसने स्वतंत्रता प्राप्त करने की दिशा में योगदान है।
नेताजी क
े द्वारा जर्मनी में आजाद हिंद रेडियो स्टेशन की स्थापना नेताजी ने की थी. ‘जय
हिंद’, ‘दिल्ली चलो’, ‘मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ जैसे ऐतिहासिक उक्ति नेताजी
द्वारा गढ़े गए थे,कहा जाता है कि जब नेताजी ने भारत की आजादी क
े लिए समर्थन जुटाने क
े
लिए जर्मनी में अपना समय बिताया, तो उन्होंने एमिली शेनकी से शादी की थी जो एक
ऑस्ट्रियाई महिला थीं. और प्रसिद्ध जर्मन अर्थशास्त्री अनीता बोस उनकी बेटी थी।
1941 में जब वे नजरबंद थे तब उन्होंने अपने भेष बदलकर भागने की योजना बनाई थी अपने
साथी सिसिर बोस क
े साथ. दिन-रात पुलिस द्वारा निगरानी की जा रही थी, यह नेताजी क
े
दिमाग की उपज थी कि भागने को किसी ऐसी चीज की आड़ में होने दिया जाए जो असामान्य
नहीं लगती. क
ु छ ऐसा जो हर दिन होता है. इस प्रकार, चाचा सुभाष क
े लिए एक ट्रांजिस्टर
ट्यून करने का कारण बताते हुए, सिसिर प्रतिदिन नेताजी से मिलने आते थे और अंत में
नेताजी की दूरदर्शिता क
े साथ उनकी भव्य भागने की योजना को साकार किया.
गांधीजी और नेताजी चंद्रबोस क
े बीच विचारशीलता
Mahatma Gandhi and Netaji
नेताजी का दृष्टिकोण:
● नेताजी चंद्रबोस ने अपने विचार में अधिकारिता क
े प्रयासों को अभीरुचि क
े साथ देखा
और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना या ‘आज़ाद हिन्द फौज’ की स्थापना की।
● नेताजी ने अपने आर्थिक दृष्टिकोण में विशेष रूप से सोशलिस्टिक और प्रोग्रेसिव
विचारों को बढ़ावा दिया और उन्होंने भारत को एक आर्थिक समृद्धि की दिशा में आगे
बढ़ाने का समर्थन किया।
● नेताजी ने ब्रिटिश सरकार क
े खिलाफ सीधे सामरिक आंदोलन की प्रेरणा दी और उन्होंने
भारतीय सेना की स्थापना करक
े स्वतंत्रता की प्राप्ति क
े लिए सक्रिय रूप से काम किया
गांधीजी का दृष्टिकोण:
● महात्मा गांधी अधिकारिता का अद्वितीय प्रणेता थे और उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा
क
े माध्यम से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का प्रयास किया।
● महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सत्याग्रह और अहिंसा क
े माध्यम से
सफलता चाहिए थीं, जिससे समृद्धि और सामंजस्य मिले।
● महात्मा गांधी सोशलिस्ट विचारधारा क
े पक्षपाती नहीं थे और उन्होंने गाँधीवादी
आर्थिक मॉडल की प्रमोशन की।
● महात्मा गांधी ने खुद को एक ‘मिनी ब्रिटिश’ क
े रूप में देखा और उन्होंने ब्रिटिश सरकार
क
े साथ सहयोग का समर्थन किया।
ये विरोधाभास दिखाते हैं कि गांधीजी और नेताजी चंद्रबोस क
े बीच विचारशीलता, राजनीतिक
दृष्टिकोण, और स्वतंत्रता संग्राम की दृष्टि में अंतर था। हालांकि उनक
े दृष्टिकोणों में अंतर
था,ये दोनों नेता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम क
े उन रूपों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए जिनसे
देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की।
अंतिम दिन:
नेताजी ने विश्वयुद्ध क
े दौरान नाजी जर्मनी और इम्पीरियल जापान की सहायता से भारत को
स्वतंत्रता दिलाने क
े लिए प्रयास किया। हालांकि उनकी अंतिम दिनों का समय बहुत ही
रहस्यमय है और उनकी मौत क
े बारे में कई विभिन्न अनुसंधान और सवाल हैं।
उन्होंने ताइवान (फॉर्मोसा) में जापानी शासनकाल क
े दौरान एक हवाई दुर्घटना में अपनी जान
गंवाई।
क
ु छ महत्वपूर्ण घटनाएं:
हवाई दुर्घटना:
नेताजी ने ताइपे, ताइवान में एक हवाई दुर्घटना में अपनी जान गंवाई। इस हवाई दुर्घटना में वे
घायल हो गए और उनकी मौत हो गई।
मौत की रहस्यमय स्थिति:
नेताजी की मौत की स्थिति रहस्यमय है और इसक
े चारों ओर कई सवाल हैं। क
ु छ
अनुसंधानकर्ता ताइवान क
े जापानी शासनकाल में हुई विमोचन की घटना को चुनौतीपूर्ण
मानते हैं और इसे एक अपराधिक प्रकरण का परिणाम मानते हैं।
मृत्यु क
े बाद:
नेताजी की मौत क
े बाद, उनक
े शव को ताइवान सरकार ने दहलीज़ पर रखा और समाधि में
धारित किया गया।
रहस्यमय जानकारी:
मौत क
े पश्चात, नेताजी की मौत क
े आसपास कई रहस्यमय जानकारी हैं और उसकी मौत की
कई थियोरीज़ हैं, लेकिन यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि उनकी मौत क
ै से हुई और उसकी
विवादित दीर्घकालिक राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ा रहस्यों में से एक कौन सा है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत की घटना एक अज्ञात और रहस्यमय संदिग्ध घटना है,
जिसका सच अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है।

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  • 2. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनका जन्म स्थान कटक, ओडिशा, भारत था। उनक े पिता का नाम जनकिनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था। नेताजी का असली नाम सुभाषचंद्र नाथ था। शिक्षा : नेताजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को कटक में पूरी की और फिर कॉलेज स्तर पर कोलकाता में पढ़ाई पूरी की। उन्होंने कॉलेज क े दौरान ही राष्ट्रीयस्तरीय नेतृत्व की ओर कदम बढ़ाया और महात्मा गांधी क े साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कॉलेज में एंट्री लेने क े लिए इंग्लैंड गए और क ै म्ब्रिज विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में पढ़ाई की। नेताजी क े योगदान : नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने अद्वितीय नेतृत्व क े साथ राष्ट्रीय एकता की ऊ ँ चाइयों तक पहुंचने का सपना देखा। उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपने आत्मनिर्भर राष्ट्र की दिशा में कदम बढ़ाया और ‘आज़ाद हिन्द फौज’ की स्थापना की। सशक्तीकरण का सूचना: नेताजी ने अपने उद्दीपक भाषणों और उनक े रेडियो प्रसारणों क े माध्यम से भारतीय जनता को सशक्त किया और उन्हें स्वतंत्रता क े लिए उत्तेजित किया। उनका नारा ‘जय हिन्द’ आज भी हमारे हृदय में गूंथा हुआ है। आज़ाद हिन्द फौज का गठन:
  • 3. Subhash-chandra-bose: Azad Hind Fauz नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1942 में सहयोगिता सत्याग्रह क े बाद, ब्रिटिश साम्राज्य क े खिलाफ सक्रियता बढ़ाने क े लिए आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना नेताजी ने आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना 1942 में सिंगापुर में की। आज़ाद हिन्द फौज का नाम बहादुर शाह जफर ने सुझाया था, जिसे नेताजी ने स्वीकार किया। इस से फौज को एक विशेष पहचान और गरिमा मिली। उन्होंने भारतीयों को “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” क े ऐतिहासिक उक्ति क े साथ प्रेरित किया। इस सेना का उद्देश्य भारत को स्वतंत्रता दिलाना था, और इसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने क े इरादे से भरा हुआ था। यह एक स्वतंत्रता सेना थी जो ब्रिटिश साम्राज्य क े खिलाफ संघर्ष करने क े लिए तैयार थी। आज़ाद हिन्द फौज ने बरमा (बर्मा अब म्यांमार) में ब्रिटिश सेना क े खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाई। फौज ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रियता दिखाई और ब्रिटिश सेना क े खिलाफ विभिन्न स्थानों पर कार्रवाई की। इससे यह स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। आज़ाद हिन्द फौज ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने साहसी और समर्पित सदस्यों क े साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसने स्वतंत्रता प्राप्त करने की दिशा में योगदान है। नेताजी क े द्वारा जर्मनी में आजाद हिंद रेडियो स्टेशन की स्थापना नेताजी ने की थी. ‘जय हिंद’, ‘दिल्ली चलो’, ‘मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ जैसे ऐतिहासिक उक्ति नेताजी
  • 4. द्वारा गढ़े गए थे,कहा जाता है कि जब नेताजी ने भारत की आजादी क े लिए समर्थन जुटाने क े लिए जर्मनी में अपना समय बिताया, तो उन्होंने एमिली शेनकी से शादी की थी जो एक ऑस्ट्रियाई महिला थीं. और प्रसिद्ध जर्मन अर्थशास्त्री अनीता बोस उनकी बेटी थी। 1941 में जब वे नजरबंद थे तब उन्होंने अपने भेष बदलकर भागने की योजना बनाई थी अपने साथी सिसिर बोस क े साथ. दिन-रात पुलिस द्वारा निगरानी की जा रही थी, यह नेताजी क े दिमाग की उपज थी कि भागने को किसी ऐसी चीज की आड़ में होने दिया जाए जो असामान्य नहीं लगती. क ु छ ऐसा जो हर दिन होता है. इस प्रकार, चाचा सुभाष क े लिए एक ट्रांजिस्टर ट्यून करने का कारण बताते हुए, सिसिर प्रतिदिन नेताजी से मिलने आते थे और अंत में नेताजी की दूरदर्शिता क े साथ उनकी भव्य भागने की योजना को साकार किया. गांधीजी और नेताजी चंद्रबोस क े बीच विचारशीलता Mahatma Gandhi and Netaji नेताजी का दृष्टिकोण: ● नेताजी चंद्रबोस ने अपने विचार में अधिकारिता क े प्रयासों को अभीरुचि क े साथ देखा और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना या ‘आज़ाद हिन्द फौज’ की स्थापना की। ● नेताजी ने अपने आर्थिक दृष्टिकोण में विशेष रूप से सोशलिस्टिक और प्रोग्रेसिव विचारों को बढ़ावा दिया और उन्होंने भारत को एक आर्थिक समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ाने का समर्थन किया।
  • 5. ● नेताजी ने ब्रिटिश सरकार क े खिलाफ सीधे सामरिक आंदोलन की प्रेरणा दी और उन्होंने भारतीय सेना की स्थापना करक े स्वतंत्रता की प्राप्ति क े लिए सक्रिय रूप से काम किया गांधीजी का दृष्टिकोण: ● महात्मा गांधी अधिकारिता का अद्वितीय प्रणेता थे और उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा क े माध्यम से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का प्रयास किया। ● महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सत्याग्रह और अहिंसा क े माध्यम से सफलता चाहिए थीं, जिससे समृद्धि और सामंजस्य मिले। ● महात्मा गांधी सोशलिस्ट विचारधारा क े पक्षपाती नहीं थे और उन्होंने गाँधीवादी आर्थिक मॉडल की प्रमोशन की। ● महात्मा गांधी ने खुद को एक ‘मिनी ब्रिटिश’ क े रूप में देखा और उन्होंने ब्रिटिश सरकार क े साथ सहयोग का समर्थन किया। ये विरोधाभास दिखाते हैं कि गांधीजी और नेताजी चंद्रबोस क े बीच विचारशीलता, राजनीतिक दृष्टिकोण, और स्वतंत्रता संग्राम की दृष्टि में अंतर था। हालांकि उनक े दृष्टिकोणों में अंतर था,ये दोनों नेता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम क े उन रूपों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए जिनसे देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की। अंतिम दिन: नेताजी ने विश्वयुद्ध क े दौरान नाजी जर्मनी और इम्पीरियल जापान की सहायता से भारत को स्वतंत्रता दिलाने क े लिए प्रयास किया। हालांकि उनकी अंतिम दिनों का समय बहुत ही रहस्यमय है और उनकी मौत क े बारे में कई विभिन्न अनुसंधान और सवाल हैं। उन्होंने ताइवान (फॉर्मोसा) में जापानी शासनकाल क े दौरान एक हवाई दुर्घटना में अपनी जान गंवाई। क ु छ महत्वपूर्ण घटनाएं: हवाई दुर्घटना: नेताजी ने ताइपे, ताइवान में एक हवाई दुर्घटना में अपनी जान गंवाई। इस हवाई दुर्घटना में वे घायल हो गए और उनकी मौत हो गई। मौत की रहस्यमय स्थिति: नेताजी की मौत की स्थिति रहस्यमय है और इसक े चारों ओर कई सवाल हैं। क ु छ अनुसंधानकर्ता ताइवान क े जापानी शासनकाल में हुई विमोचन की घटना को चुनौतीपूर्ण मानते हैं और इसे एक अपराधिक प्रकरण का परिणाम मानते हैं।
  • 6. मृत्यु क े बाद: नेताजी की मौत क े बाद, उनक े शव को ताइवान सरकार ने दहलीज़ पर रखा और समाधि में धारित किया गया। रहस्यमय जानकारी: मौत क े पश्चात, नेताजी की मौत क े आसपास कई रहस्यमय जानकारी हैं और उसकी मौत की कई थियोरीज़ हैं, लेकिन यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि उनकी मौत क ै से हुई और उसकी विवादित दीर्घकालिक राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ा रहस्यों में से एक कौन सा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत की घटना एक अज्ञात और रहस्यमय संदिग्ध घटना है, जिसका सच अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है।