2. कठपुतली गुस्से से उबली
बोली – ये धागे
क्ोों है िेरे पीछे – आगे ?
इन्हे तोड़ दो ;
िुझे िेरे पावोों पर छोड़ दो।
सुनकर बोली और – और
कठपुतमलयाों
की हाों
बहुत मदन हुए
हिें अपने िन क
े चोंद हुए ।
िगर…….
पहली कठपुतली सोचने लगी-
ये क
ै सी इच्छा
िेरे िन िें जगी ?
5. कमवता क
े बारे िें
• इस कमवता िें कठपुतमलयाों स्वतोंत्रता की इच्छा िें स्वयों अपनी बात व्यक्त कर रही है। उसक
े उनक
े
सिझना को सरकार बनाने वाली चुनौमतयाों हैं। और धागे िें बोंधी हुई कठपुतमलयाों पर पराधीन है। इन्हें
दू सरोों क
े इशारे पर नाचने से दुख होता है।दुख से बाहर मनकालने क
े मलए एक कठपुतली मवद्रोह कर
देती है।वह अपने पाोंव पर खड़ी होना चाहती है। उसकी बात सभी कठपुतमलयाों को अच्छी लगती है।
स्वतोंत्र रहना कौन नहीों चाहता ! लेमकन, जब पहली कठपुतली पर सब की स्वतोंत्रता की मजम्मेदारी
आती है वह सोचकर सिझकर कदि उठाना जरूरी सिझता है जब पहले कठपुतली पर सब की
स्वतोंत्रता की मजम्मेदारी आती है, वह सोच -सिझकर कदि उठाना जरूरी सिझता है।
6. प्रश्न अभ्यास
1. कठपुतली को गुस्सा क्ोों आया ?
उत्तर : कठपुतली को गुस्सा इसमलए आया क्ोोंमक वो धागे िें बोंधी हुई पराधीन है और वह स्वतोंत्रता की
इच्छा रखती है ।
2. पतली को अपने पाोंव पर खड़ी होने की इच्छा है,लेमकन वह क्ोों नहीों खड़ी होती ?
उत्तर : कठपुतली अपने पाोंव पर खड़ी होना चाहती है परोंतु खड़ी नहीों होती क्ोोंमक उसक
े पैरोों िें स्वतोंत्र
रूप से खड़े होने की शक्तक्त नहीों है ।
3. पहले कठपुतली की बात दू सरी कठपुतमलयाों को क्ोों अच्छी लगी ?
उत्तर : पहले कठपुतली की बात दू सरी कठपुतमलयाों को अच्छी लगी क्ोोंमक पहले कठपुतली स्वतोंत्र होने
की बात कर रही थी और दू सरी कठपुतमलयाों भी बोंधन से िुक्त होकर आजाद होना चाहती थी ।