यह पुस्तक आनंदकंद श्री प्रभुजी द्वारा स्वयं लिखी गयी जिसमे उन्होंने योग परक घटनाओ के द्वारा योग की महिमा और शिछा दी है जिससे जिज्ञासु साधक योग मार्ग में आगे बड़े
1a. Block diagram and working of
Microprocessor/ Microcontroller based
Overcurrent Relay.
1b. Causes of over voltages and under
voltages, Effects of OV/UV. Construction, working and
application of Static relays- OV/UV
relay and OCR relay.
2b. Lightning arresters & surge
absorbers - Construction and principle
of operation.Construction, working and
applications of Numerical Relays.
Comparison of Static Relays with
Electro-Magnetic Relays and
microprocessor/microcontroller-based
relays.
Concept of Multifunction Protection
numerical Relays.
यह पुस्तक आनंदकंद श्री प्रभुजी द्वारा स्वयं लिखी गयी जिसमे उन्होंने योग परक घटनाओ के द्वारा योग की महिमा और शिछा दी है जिससे जिज्ञासु साधक योग मार्ग में आगे बड़े
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1b. Causes of over voltages and under
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2b. Lightning arresters & surge
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Monthly Khazina-e-Ruhaniyaat October'22 (Vol.13, Issue 6)Darul Amal Chishtia
6th issue of Volume 13. Nurani Tawezat Number is 24th Special Number is based on Nurani, In which spiritual treatment is done of Bandish, Jadu, Jinnat, Mujjarab Aamaal, Nazr-e-Bad, Dushman, Shadi wa Nikah, Zuban Bandi, Judai & Mohabbat. A very useful Special Number for everyone.
15th Special Magazine “QURANI TAWEZAAT NUMBER”
12th issue of Volume 8. A magazine in urdu language mainly based on spiritual treatment using QURANIC TALISMANS. Solution of almost every type of problems. Very useful magazine for everyone.
10th issue of Volume 11. A magazine in urdu language mainly based on spiritual treatment and learning. Many topics on ISLAM, SUFISM, SOCIAL PROBLEMS, SELF HELP, PSYCHOLOGY, HEALTH, SPIRITUAL TREATMENT, Ruqya etc. A very useful magazine for everyone.
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GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE MARCH-2020
गुरुत्व ज्योतिष ई पत्रीका मार्च-2020 में प्रकशित लेख
चैत्र नवरात्र विशेष विशेष
1. ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
🌟श्री महाप्रभु रामलाल जी का हवन यज्ञ 🌟
ववधि :--- श्री महाप्रभु जी के ससिंहासन के सन्मुख हवन कु ण्ड स्थापित ककया जाए ।
बाकी तीन ओर आसन बबछा कर यज्ञकताा भक्त बैठें । हवन कु ण्ड के चारों ओर एक-एक
गिलास अथवा लोटा जल का भर कर रखें ।शुद्ध धी , सुिन्न्धत सामग्री और आम ,बेरी
,िलाश आदि हवन उियोिी लकडडयों के छोटे-छोटे खण्ड ककए हुए हवन के सलए प्रस्तुत
रखे जायें । धूि अिरबती द्धारा वातावरण को सुििंगधत कर और गचत करुणासािर प्रभु
जी के चरणों में जोड श्रद्धािूवाक सभ सज्जन समलकर चालीसा और सिंकट मोचन स्तोत्र
का िाठ करें । तिुिरान्त श्री प्रभु जी को नमस्कार कर आसन न्स्थत तीनों सज्जन नीचे
सलखे मिंत्रों द्धारा तीन बार आचमन करें :--
‼आचमन ‼
ओिं अमृतोिस्तरणमसस स्वाहा (1) इससे एक ।
ओिं अमृतापिधानमसस स्वाहा (2) इससे िूसरा ।
ओिं सत्यिं यश: श्रीमायय श्री श्रयतािं स्वाहा(3) इससे तीन ।
‼अंग स्पर्श ‼,
तिुिरान्त नीचे सलखे मिंत्रों से अिंिों का स्िशा करें :---
ओिं वाड्•मे आस्येअसस्तु । इस मिंत्र से मुख ।
ओिं नसोमे प्राणोअसस्तु । इस मिंत्र से नाससका के िोनों यछद्र ।
ओिं अक्ष्णोमे चक्षुरस्तु । इस मिंत्र से िोनों आिंखें ।
ओिं कणायोमे श्रोत्रमस्तु । इस मिंत्र से िोनों कान ।
ओिं बाह् वोमे बलमस्तु । इस मिंत्र से िोनों बाहु ।
ओिं ऊवोमे ओजोअसस्तु ।इस मिंत्र से िोनों जिंधा ।
ओिं अररष्टायन मेअस्डा•यन तनुस्तन्वा मे सह सन्तु ।इस मिंत्र से समस्त शरीर िर जल के
छ िंटे से माजान करना ।
‼ अग्नन प्रज्वलन ‼
किर नीचे सलखे हुए मन्त्रों का का उच्चारण करते हुए वेिी में ससमधा चयन कर अन््न
प्रज्वसलत करनी :---
1. ओिं भूभुाव:स्व: ।१।
2. 2. ओिं भूभुाव: स्वद्ायौररव भूमना िृगथवीव वररम्णा । तस्यास्ते िृगथपव िेवयजयन
िृष्ठेअसन््नमन्नािमन्नाद्यायािधे ।२।
3 . ओिं उद् बुध्यस्वा्ने प्रयत जाग्रदह , त्वसमष्टािूते सिंसृजेथामयिं च । अन्स्मन्त्सधस्ये
अध्युत्त रन्स्मन स । पवश्वे िेवा यजमानश्च सीित ।3।
जब अन््न ससमधाओिं मे प्रपवष्ट होने लिे तब तीन लकडी आठ-आठ अिंिुल की घृत में
डुबा उन में से नीचे सलखे एक-एक मन्त्र से एक-एक ससमधा को अन््न में रखें :----
ओिं ससमधान््निं िुवस्यत घृतैबोधयतायतगथमस ।आन्स्मन स हव्या जुहोतन स्वाहा ।।
इिम्नये इििं न मम ।१।
ओिं सुससमद्धाय शोगचषे घृतिं तीव्रिं जुहोतन अ्नये जातवेिसे स्वाहा ।। इिम्नये
जातवेिसे स्वाहा ।२।
ओिं तिं त्वा ससमद्सभर न््ड•रो घृतेन वधायामसस । बृहच्छोचा यपवष्ठय स्वाहा।। इिम्नये
असन््ड•रसे इििं न मम ।३।
‼पांच घृत आहुतत ‼
इसके िश्चात नीचे सलखे मन्त्र से िािंच घृत की आहुयत िेनी :---
ओिं अयिं त इध्म आत्मा जातवेिस्तेनेध्यस्व वधास्व चेद्धवधाय चास्मान स प्रजया
िशुसभब्रर्हमाा वचासेनान्नाद्येन समेधय स्वाहा ।। इिम्नये जातवेिसे इििं न मम ।।
‼वेदी पर जल स ंचन ‼
तत्िश्चात वेिी के िूवा दिशादि चारों ओर जल यछड़कावें
ओिं अदितेअसनुमन्यस्व ।१।इससे िूवा ।
ओिं अनुमते असनुमन्यस्व।२।
इससे िन्श्चम ।
ओिं सरस्वत्यनुमन्यस्व।३।
इससे उत्तर ।
ओिं िेव सपवत: प्रसुव यज्ञिं प्रसुव यज्ञियतिं भिाय दिव्यो िन्धवा: के तिू: के तिं न िुनातु
वाचस्ियतवााचिं न:स्वितु ।४।
इससे िक्षक्षण ।
‼अष्टोत्तरी माला ‼
इसके बाि श्री महाप्रभु रामलाल अष्टोत्तरी माला के 108 मन्त्रो द्धारा 108आहुयतयािं
सामग्री तथा घृत की डालें । जैसे "ओिं श्री प्रभु रामलालाय स्वाहा" इस मन्त्र के साथ
3. प्रथम आहुयत ।इसी प्रकार िूसरे , तीसरे आदि मन्त्रों के साथ आरम्भ में "ओिं" तथा
अन्त में "स्वाहा" का उच्चारण कर आहुयत डालनी ।
🌟श्री महाप्रभु रामलाल अष्टोत्तरी माला 🌟
‼ दोहा ‼
रामलाल अष्टोत्तरी जो ले यनसशदिन िे र ।
िूणा हो सब कामना मोत्र न लावत िेर ।
युि युि में अवतार लें िु:ख हरण भिवान ।
जो न्जस युि में प्रकट हो वही करे कल्याण ।
रामलाल कसलकाल में लेकर कला अनन्त ।
जि तारण कारण प्रभु प्रकट भय भिवन्त ।
रामलाल ससमरे सिा जो नर चतुर सुजान ।
कसल के तारण हार हैं रामलाल भिवान ।
ब्रार्हमण कु ल दिनकर प्रभु भािवन्ती सुत राम ।
यतनके चरण सरोज िर सेवक लाख प्रणाम।
★ अथ अष्टोतरी माला ★
श्री प्रभु रामलालाय नम: ।१।
श्री ििंडा रामात्मजाय नम:।२।
श्री भािवन्ती िुत्राय नम: ।३।
श्री प्रभु योिेश्वराय नम: ।४।
श्री योि स्वरूपिणे नम: ।५।
श्री योिाचायााय नम: ।६।
श्री योि माताण्डाय नम: ।७।
श्री ब्रार्हमणेशाय नम: ।८।
श्री ब्रार्हमणकु लकमल दिवाकराय नम: ।९।
श्री ब्रर्हम स्वरूपिणे नम: ।१०।
श्री जित िुरवे नम: ।११।
श्री पवप्र विंशेशाय नम: ।१२।
श्री योि सूयााय नम: ।१३।
4. श्री धमा भास्कराय नम: ।१४।
श्री कमा वास्तवताय नम: । १५।
श्री कसल अकााय नम: ।१६।
श्री सुधा सर.यनवासने नम:।१७।
श्री िीयुष सर रत्नाय नम: ।१८।
श्री ज्योयतषाअःचायााय नम:।१९।
श्री ििंडडत वयााय नम: ।२०।
श्री योिचन्द्राय नम: ।२१।
श्री योि नक्षत्रागधितये नम:।२२।
श्री योि नाथाय नम: ।२३।
श्री योि सािराय नम: ।२४।
श्री कसलतम हत्रे नम: ।२५।
श्री भक्त जन वल्लभाय नम:।२६।
श्री अष्ट विंश जलजाय नम:।२७।
श्री पवश्व समत्राय नम: ।२८।
श्री योि प्राणाय नम:।२९।
श्री शौया ितये नम:।३०।
श्री िणणत अहिातये नम:।३१।
श्री िसलत हिंसाय नम: ।३२।
श्री अररष्ट यनवाररणे नम: ।३३।
श्री योि प्रवातकाय नम:।३४।
श्री प्राणागधितये नम: ।३५।
श्री सवेश्वराय नम:।३६।
श्री व्यानागधितये नम:।३७।
श्री समानागधितये नम:।३८।
श्री उिानागधितये नम:।३९।
श्री अिानागधितये नम: ।४०।
श्री िाि पवनासशने नम:।४१।
श्री ज्ञान प्रकासशने नम:।४२।
श्री स्विाागधितये नम:।४३।
श्री मुलख प्राणाय नम:।४४।
श्री मुलख हृिय ितये नम:।४५।
5. श्री मुलख मनवन पवहाररणे नम:।४६।
श्री आसन ितये नम:।४७।
श्री प्राणायाम ितये नम:।४८।
श्री प्रत्याहार ितये नम:।४९।
श्री धारणा ितये नम:।५०।
श्री ध्यान ितये नम: ।५१।
श्री समागध ितय नम: ।५२।
श्री अष्टािंि ितये नम: ।५३।
श्री ििंचभूत ितये नम: ।५४।
श्री यम ितये नम: ।५५।
श्री यनयम ितये शम: ।५६।
श्री योि िेवाय नम: ।५७।
श्री िर ब्रर्हमणे नम: ।५८।
श्री िरा ितये नम: ।५९।
श्री अिरा ितये नम: ।६०।
श्री पवश्व भत्रे नम: ।६१।
श्री ब्रर्हम िेवाय नम: ।६२।
श्री रामलाल िरमेश्वराय नम:।६३।
श्री रामलाल ईश्वराय नम:।६४।
श्री रामलाल जििीश्वराय नम:।६५।
श्री रामलाल महािेवाय नम:।६६।
श्री रामलाल रामाय नम:।६७।
श्री रामलाल कृ ष्णाय नम:।६८।
श्री रामलाल सवाावताररूपिणे नम:।६९।
श्री रामलाल जित कत्रे नम:।७०।
श्री रामलाल जनाधानाय नम:।७१।
श्री रामलाल पवश्वेश्वराय नम:।७२।
श्री रामलाल िुरुषोत्तमाय नम:।७३।
श्री रामलाल मुलखतनुितये नम:।७४।
श्री रामलाल मुलखमन ितये नम:।७५।
श्री रामलाल मुलखजीवनाय नम:।७६।
श्री रामलाल पवष्णु रूिाय नम:।७७।
6. श्री रामलाल सशवाय नम:।७८।
श्री रामलाल चतुरवेिधराय नम:।७९
श्री रामलाल िेवागधितये नम:।८०।
श्री रामलाल व्योमाय नम:।८१।
श्री रामलाल वायवे नम:।८२।
श्री रामलाल जातवेिाय नम:।८३।
श्री रामलाल वरुणाय नम:।८४।
श्री रामलाल भूसम रूपिणे नम:।८५।
श्री रामलाल िीनियालाय नम:।८६।
श्री रामलाल अमराय नम:।८७।
श्री रामलाल अजराय नम:।८८।
श्री रामलाल प्रणवाय नम:।८९।
श्री रामलाल अनन्ताय नम:।९०।
श्री रामलाल यनिुाणाय नम:।९१।
श्री रामलाल अकाय नम: ।९२।
श्री रामलाल िुणात्मने नम:।९३।
श्री रामलाल गचिानन्िाय नम:।९४।
श्री रामलाल ज्ञानभास्कराय नम:।९५।
श्री रामलाल बत्रिुणातीताय नम:।९६।
श्री रामलाल पवराट रूिाय नम:।९७।
श्री रामलाल सम्राट् स्वरूिाय नम:।९८।
श्री रामलाल िुराणाय नम:।९९।
श्री रामलाल आदि िुरुषाय नम:।१००।
श्री रामलाल पवश्व वःयापिने नम: ।१०१।
श्री रामलाल ज्योयतस्वरूिाय नम:।१०२।
श्री रामलाल ििंचनि भूषणाय नम:।१०३।
श्री रामलाल मुन्क्त प्रिात्रे शम:।१०४।
श्री रामलाल ओिंकाराय नम:।१०५।
श्री रामलाल कसलिोषहत्रे नम:।१०६।
श्री रामलाल सवा व्यािकाय नम:।१०७।
श्री रामलाल श्री मुलखराजाय नम:।१०८।
‼इतत अष्टोत्तरी माला ‼
7. इस प्रकार 108 आहुयतयािं डालने के िश्चात सब सज्जन खडे होकर नीचे सलखे महामन्त्र
द्धारा तीन-तीन आहुयतयािं डालें ।
★ महामन्त्र ★
ओिं नम:श्री रामलाल प्रभु जी िरब्रर्हमणे स्वाहा।
तिुिरान्त श्री पवश्वकल्याणघन अनाथनाथ िीनवत्सल महाप्रभु रामलाल जी के दिव्य
स्वरूि का गचिंतन कृ ते हुए नीचे सलखी हुई प्राथाना सब समलकर बोलें :--
★ अरदा ★
सवे भवन्तु सुणखन:सवे सन्तु यनरामया:।
सवे भद्राणण िश्यन्तु मा कन्श्चद्िु: भवेत स ।।
और अिंत में सब इक्ट्ठे यनम्नसलणखत मन्त्र का उच्चारण करते हुए तीन बार िूणााहुयत
िेकर श्री महाप्रभु जी को िण्डवत प्रणाम कर दिव्य आशीवााि प्राप्त करें :---
★ पूर्ाशहुतत ★
ओिं सवा वै िूणं स्वाहा।।
।।ॐ शान्न्त ,शान्न्त शान्न्त।।
‼इयत‼
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ