SlideShare a Scribd company logo
राज्य नीति क
े तनदेशक ित्व
DIRECTIVE PRINCIPLES OF
STATE POLICY
Rajani Kant Pandey
Assistant Professor
RDS College
 भूर अधधकायों एवं ननदेशक तत्वों का एक ही उद्गभ स्रोत है। 1928 क
े
नेहरू प्रनतवेदन भें, जजसभें बायत क
े लरए स्वयाजी ववधान फनामा गमा
था, भूर अधधकायों को स्थान ददमा गमा था। इन अधधकायों भें प्रायंलबक
लशऺा का अधधकाय बी सजमभलरत था। वस्तुत् याज्म क
े नीनत-ननदेशक
लसद्ांतों का ववचाय 1937 क
े आमरयश संववधान से लरमा गमा, जजसे
ऩहरे स्ऩेन क
े संववधान से लरमा गमा था। 1945 क
े सऩू प्रनतवेदन भें
भूर अधधकायों को स्ऩष्ट रूऩ से दो बागों भें फांटा गमा था- न्मामारम
द्वाया प्रवततनीम औय अप्रवततनीम। संववधान सबा क
े संववधाननक
सराहकाय सय फी. एन. याव ने मह सुझाव ददमा था कक व्मजततमों क
े
अधधकायों को दो प्रवगों भें ववबाजजत ककमा जाए- प्रथभ, वे जजन्हें
न्मामारम द्वाया प्रवृत्त कयामा जा सकता है, औय; द्ववतीम, वे जो इस
प्रकाय प्रवृत्त नहीं कयाए जा सकते। उनक
े ववचाय भें दूसया प्रवगत याज्म
क
े प्राधधकारयमों क
े लरए नैनतक उऩदेश क
े रूऩ भें था। उनका सुझाव
प्रारूऩ सलभनत ने बी स्वीकाय ककमा। इसक
े ऩरयणाभस्वरूऩ न्मामारम
द्वाया प्रवततनीम भूर अधधकाय बाग 3 भें हैं औय ननदेशक तत्व जो
अप्रवततनीम हैं बाग 4 भें हैं। इन दोनों का उद्देश्म साभाजजक, आधथतक
औय याजनीनतक न्माम तथा व्मजतत की गरयभा औय कल्माण की प्राजतत
है। क
ु र लभराकय मे लसद्ांत ऩुलरस याज्म क
े ववऩयीत कल्माणकायी
याज्म की स्थाऩना कयते हैं।
अर्थ एवं उद्देश्य
 नीनत-ननदेशक तत्वों का वणतन संववधान क
े चौथे बाग भें ककमा गमा
है। मे तत्व शासन व्मवस्था क
े भूर आधाय हैं। मे तत्व हभाये
संववधान की प्रनतऻाओं औय आकांऺाओं को वाणी प्रदान कयते हैं।
इस प्रकाय मे लसद्ांत देश क
े प्रशासकों क
े लरए एक आचाय संदहता
है। याष्र की प्रबुसत्ता क
े प्रनतननधधमों क
े रूऩ भें कामत कयते सभम
उन्हें इन ननदेशक लसद्ांतों का ध्मान यखना चादहए, तमोंकक मे उन
आदशों को प्रनतष्ठावऩत कयते हैं जो बायत क
े याज्म का आधाय हैं।
ननदेशक लसद्ांत कामतऩालरका औय व्मवस्थावऩका को ददए गए ऐसे
ननदेश हैं, जजनक
े अनुसाय उन्हें अऩने औय उधचत रूऩ से ऩारन हो।
 नीनत-ननदेशक लसद्ांतों का प्रमोजन शांनतऩूणत तयीकों से साभाजजक
क्ांनत का ऩथ-प्रशस्त कय क
ु छ साभाजजक औय आधथतक उद्देश्मों को
तत्कार लसद् कयना है। इन आधायबूत लसद्ांतों का उद्देश्म
कल्माणकायी याज्म की स्थाऩना कयना है। साभूदहक रूऩ से मे
लसद्ांत बायत भें आधथतक एवं साभाजजक रोकतंत्र की यचना कयते हैं।
ननदेशक लसद्ांतों का वास्तववक भहत्व इस फात का है कक मे
नागरयकों क
े प्रनत याज्म क
े दानमत्व क
े द्मोतक हैं। संववधान की
प्रस्तावना भें जजन आदशों की प्राजतत का रक्ष्म यखा गमा है, मे उन
आदशों की ओय फढ़ने क
े लरए भागत-प्रशस्त कयते हैं।
नीति-तनदेशक सिद्ांिों का अवऱोकन
 अनुच्छेद 36 से रेकय 51 तक क
े सोरह अनुच्छेदों भें ननदेशक लसद्ांतों का वणतन है, जो
ननमनलरखखत हैं-
 अनुच्छेद 36-37: अनुच्छेद 36 भें राज्य शब्द को ऩरयबावषत ककमा गमा है। अनुच्छेद 37
घोषणा कयता है कक- ननदेशक तत्व देश क
े शासन क
े भूराधधकाय हैं औय ननश्चम ही ववधध
फनाने भें इन लसद्ांतों को रागू कयना याज्म का कततव्म होगा। मे लसद्ांत ककसी न्मामारम भें
प्रवततनीम नहीं होंगे। अलबप्राम मह कक न्मामऩालरका याज्म की ननदेशक तत्वों क
े अंतगतत ककसी
कततव्म को ननबाने क
े लरए वववश नहीं कय सकती।

अनुच्छेद-38: याज्म रोक-कल्माण की सुयऺा औय अलबवृवद् क
े लरए साभाजजक व्मवस्था का
ननभातण कयेगा।
 अनुच्छेद-39: याज्म अऩनी नीनत का इस प्रकाय संचारन कयेगा कक सुननजश्चत रूऩ से –
 सबी ऩुरुषों तथा जस्त्रमों को जीववका क
े ऩमाततत साधन प्रातत कयने का अधधकाय हो।
 सभुदाम की बौनतक संऩदा का स्वालभत्व तथा ननमंत्रण इस प्रकाय ववबाजजत हो जजससे
साभूदहक दहत का सवोत्तभ रूऩ से साधन हो।
 आधथतक व्मवस्था इस प्रकाय चरे कक धन औय उत्ऩादन क
े साधनों का सवतसाधायण क
े लरए
अदहतकायी संक
ें द्रण न हो।
 ऩुरुषों औय जस्त्रमों दोनों का सभान कामत क
े लरए सभान वेतन हो।
 ऩुरुषों तथा जस्त्रमों क
े स्वास््म औय शजतत का औय फच्चों की सुक
ु भाय अवस्था का दुरुऩमोग न
हो। आधथतक आवश्मकता से वववश होकय नागरयकों को ऐसे योजगायों भें न जाना ऩडे जो उनकी
आमु तथा शजतत क
े अनुक
ू र न हो औय फच्चों तथा मुवाओं को शोषण से फचामा जाए।
 अनुच्छेद-39क: याज्म मह सुननजश्चत कयेगा कक ववधधक व्मवस्था इस तयह
से काभ कये कक न्माम सभान अवसय क
े आधाय ऩय सुरब हो। इस उद्देश्म
क
े लरए याज्म उऩमुतत ववधान मा मोजना द्वाया मा ककसी अन्म यीनत से
नन्शुल्क ववधधक सहामता की व्मवस्था कयेगा, ताकक कोई नागरयक आधथतक
मा अन्म ककसी ननमोग्मता क
े कायण न्माम प्रातत कयने क
े अवसय से वंधचत
न यह जाए।
 अनुच्छेद 40: याज्म ग्राभ ऩंचामतों को स्वामत्त शासन की इकाइमों क
े रूऩ
भें संगदठत कयेगा।
 अनुच्छेद-41: याज्म अऩनी आधथतक साभ्मत औय ववकास की सीभाओं क
े
बीतय,काभ ऩाने, लशऺा ऩाने क
े औय फेकायी, फुढ़ाऩा, फीभायी औय नन्शततता
तथा अन्म अनहत अबाव की दशाओं भें रोक सहामता ऩाने क
े अधधकाय को
प्रातत कयाने का प्रबावी उऩफंध कयेगा।
 अनुच्छेद-42: याज्म काभ की न्मामसंगत औय भानवोधचत दशाओं को
सुननजश्चत कयने क
े लरए प्रसूनत सहामता क
े लरए उऩफंध कयेगा।
 अनुच्छेद-43: याज्म जनता क
े लरए काभ, ननवातह, भजदूयी, लशष्ट जीवन
स्तय, अवकाश तथा साभाजजक तथा सांस्कृ नतक अवसय प्रदान कयने का
प्रमास कयेगा। याज्म क
ु टीय उद्मोगों की उन्ननत क
े लरए ववशेष ध्मान देगा।
 अनुच्छेद-43क: याज्म उऩमुतत ववधान अथवा अन्म ककसी यीनत से ककसी
उद्मोग भें रगे हुए उऩक्भों, संस्थाओं मा अन्म संगठनों क
े प्रफंध भें
कभतकायों की बागीदायी को सुननजश्चत कयने क
े लरए कदभ उठाएगा।
 अनुच्छेद 43ख: याज्म सहकायी सलभनतमों क
े स्वैजच्छक संगठन, स्वामत्त
कामतकयण, रोकतांत्रत्रक ननमंत्रण तथा ऩेशेवय प्रफंधन को फढ़ाने का प्रमास
कयेगा।
 अनुच्छेद 44: याज्म बायत क
े सभस्त याज्मऺेत्र भें नागरयकों क
े लरए एक
सभान लसववर संदहता रागू कयाने का प्रमास कयेगा।
 अनुच्छेद 45: 86वें संववधान संशोधन अधधननमभ, 2002 द्वाया संववधान क
े
अनुच्छेद 45 को संशोधधत ककमा गमा है। भौलरक कततव्मों से संफद् इस
संशोधन क
े अनुसाय याज्म अलबबावकों से मह अऩेऺा कयता है कक वे अऩने
फच्चों को छह वषत की आमु तक प्रायजमबक फाल्म सुयऺा व लशऺा प्रदान
कयने का प्रमत्न कयेंगे।
 अनुच्छेद 46: याज्मजनता क
े दुफतर वगों क
े , ववशेषकय अनुसूधचत जानतमों
तथा अनुसूधचत जनजानतमों की लशऺा औय अथत संफंधी दहतों की ववशेष
सावधानी से अलबवृवद् कयेगा।
 अनुच्छेद 47: याज्म सावतजननक स्वास््म भें सुधाय तथा भादक द्रव्मों औय
हाननकय औषधधमों का ननषेध कयेगा।
 अनुच्छेद 48: याज्म कृ वष औय ऩशुऩारन को आधुननक औय वैऻाननक
प्रणालरमों से संगदठत कयने का प्रमास कयेगा। गामों, फछडों, दूध देने वारे
तथा वाहक शत्रुओं की यऺा तथा नस्रों क
े ऩरययऺण औयसुधाय क
े लरए औय
उनक
े वध का प्रनतषेध कयने क
े लरए उधचत कदभ उठाएगा।
 अनुच्छेद 48क: याज्म देश क
े ऩमातवयण की संयऺा तथा उसभें सुधाय
कयने का औय वन एवं वन्म जीवों की यऺा कयने का प्रमास कयेगा।
 अनुच्छेद 49: याज्म ऐनतहालसक तथा याष्रीम भहत्व क
े स्भायकों की
यऺा कयेगा।
 अनुच्छेद 50: याज्म न्मामऩालरका को कामतऩालरका से ऩृथक् कयेगा।
 अनुच्छेद 51: याज्म
1. अंतययाष्रीम शांनत औय सुयऺा की अलबवृवद् का,
2.याष्रों क
े फीच न्मामसंगत औय समभानऩूणत संफंधों को फनाए यखने
का,
3.संगदठत रोगों क
े एक-दूसये से व्मवहायों भें अंतययाष्रीम ववधध औय
संधध फाध्मताओं क
े प्रनत आदय फढ़ाने का, तथा;
4.अंतययाष्रीम वववादों की भध्मस्थता द्वाया ननऩटाने क
े लरए प्रोत्साहन
देने का प्रमास कयेगा।
 साभूदहक रूऩ से मह लसद्ांत बायत क
े रोकतांत्रत्रक
प्रशासन का लशरान्मास कयते हैं। ननदेशक लसद्ांत
नागरयकों क
े प्रनत याज्म क
े कततव्मों क
े प्रतीक हैं। वास्तव
भें याज्म क
े मे दानमत्व क्ांनतकायी लसद्ांत हैं, ऩयंतु इनकी
प्राजतत का ढंग संवैधाननक है।
 याज्म क
े नीनतननदेशक लसद्ांतों क
े भाध्मभ से बायतीम
संववधान, वैमजततक स्वतंत्रता क
े लरए घातक, श्रभजीववमों
की तानाशाही औय जनता की आधथतक सुयऺा भें अवयोध
ऩैदा कयने वारे ऩूंजीवादी अल्ऩतंत्र इन दोनों चयभ
सीभाओं भें संतुरन स्थावऩत कयता है।
तनदेशक ित्वों का
वगीकरण
गांधीवादी िमाजवादी उदार ऱोकिांत्रिक
ग्राभ ऩंचामतों का संगठन
(अनुच्छेद-40)|
गामों औय फछडों तथा
अन्म दुधारू एवं वाहक
ऩशुओं की नस्रों क
े
ऩरययऺण एवं उनक
े वध का
प्रनतषेध (अनुच्छेद-48)|
भादक ऩेमों एवं स्वास््म क
े
लरए हाननकय औषधधमों क
े
उऩबोग का
प्रनतषेध (अनुच्छेद-47)|
याज्म आम की
असभानताओं को कभ कयने
का प्रमास कयेगा (अनुच्छेद-
38(2))|
कभतकायों क
े लरए ननवातह
भजदूयी इत्मादद (अनुच्छेद-
43)|
काभ की न्मामसंगत औय
भानवोधचत दशाओं का तथा
प्रसूनत सहामता (अनुच्छेद-
42)|
क
ु छ दशाओं भें काभ, लशऺा
एवं रोक सहामता ऩाने का
अधधकाय (अनुच्छेद-41)|
उद्मोगों क
े प्रफंध भें
काभगायों का बाग रेना
(अनुच्छेद-48क)|
सभान न्माम औय ननशुल्क
ववधधक सहामता (अनुच्छेद-
39(क))|
याष्रीम भहत्त्व क
े स्भायकों,
स्थानों औय वस्तुओं का
संयऺण (अनुच्छेद-49)|
कामतऩालरका से
न्मामऩालरका का ऩृथतकयण
(अनुच्छेद-50)|
फारकों को ननशुल्क लशऺा
ऩाने का अधधकाय
(अनुच्छेद-45)|
िंववधान क
े अन्य भागों में ददए गए नीति क
े तनदेशक
ित्व
 संववधान क
े बाग-4 भें अंतववतष्ट ननदेशों क
े अनतरयतत संववधान क
े अन्म बागों भें याज्मों
को संफोधधत अन्म ननदेश है। मे ननदेश बी न्मामारम क
े ननणतमाधीन नहीं हैं।
 अनुच्छेद 350-क क
े अनुसाय, प्रत्मेक याज्म औय याज्म क
े बीतय स्थानीम प्राधधकायी का
मह कततव्म है कक बाषाई अल्ऩसंख्मक वगत क
े फारकों की लशऺा क
े प्राथलभक स्तय ऩय
भातृबाषा भें लशऺा की ऩमाततत सुववधाओं की व्मवस्था कये।
 अनुच्छेद 351 क
े अनुसाय, संघ का मह कततव्म है कक वह दहंदी बाषा का प्रसाय फढ़ाए
औय उसका ववकास कये ताकक वह बायत की साभाजजक संस्कृ नत क
े सबी तत्वों की
अलबव्मजतत का भाध्मभ फन सक
े ।
 अनुच्छेद 335 क
े अनुसाय, संघ मा याज्म क
े कामतकराऩ से संफंधधत सेवाओं औय ऩदों क
े
लरए ननमुजततमां कयने भें, अनुसूधचतजानतमों औय अनुसूधचत जनजानतमों क
े दावों का
प्रशासन की दऺता फनाए यखने की संगनत क
े अनुसाय ध्मान यखा जाएगा।
 मद्मवऩ अनुच्छेद 335, 350-क, 351 संववधान क
े बाग-4 भें सजमभलरत नहीं हैं ककन्तु
न्मामारमों द्वाया इन्हें नीनत-ननदेशक लसद्ांतों की श्रेणी भें संमोजजत ककमा गमा है।
 नीनत-ननदेशक तत्वों भें क
ु छ त्रुदटमां हैं, इसका तात्ऩमत मह नहीं है कक वे त्रफल्क
ु र व्मथत
औय भहत्वहीन हैं। वास्तव भें संवैधाननक औय व्मावहारयक दृजष्टकोण से इन तत्वों का
अत्मधधक भहत्व है। नीनत-ननदेशक तत्वों को संववधान भें शालभर कयने क
े जो कायण हैं,
उन्हें इस प्रकाय स्ऩष्ट ककमा जा सकता है।
नीति-तनदेशक ित्वों का महत्व
 जन-लशऺण की दृजष्ट से भहत्व मे लसद्ांत याज्म क
े उद्देश्मों मा रक्ष्मों क
े फाये भें
जानकायी देते हैं। इन लसद्ांतों क
े अध्ममन से ऩता चरता है कक याज्म एक रोक
कल्माणकायी प्रशासननक ढांचे की स्थाऩना क
े लरए कृ तसंकल्ऩ है।
 लसद्ांतों क
े ऩीछे जनभत की शजतत मद्मवऩ इन लसद्ांतों को न्मामारम द्वाया कक्माजन्वत
नहीं ककमा जा सकता, रेककन इसक
े ऩीछे जनभत की सत्ता होती है, जो प्रजातंत्र का
सफसे फडा न्मामारम है। अत् जनता क
े प्रनत उत्तयदामी कोई बी सयकाय इनकी
अवहेरना का साहस नहीं कय सकती। इन ननदेशक तत्वों का भहत्व इस फात भें है कक मे
नागरयकों क
े प्रनत याज्म क
े सकायात्भक दानमत्व हैं ।
 राजनीतिक स्थर्रिा की दृस्टि िे महत्व
 रोकतंत्र भें सयकायें फदरती यहती हैं। कबी एक दर की सयकाय है तो कबी ककसी दूसये
दर की। सबी दरों की नीनतमां अरग-अरग होती हैं। क
ु छ दर क्ांनतकायी ववचायधाया क
े
होते है तो क
ु छ रूदढ़वादी होते हैं। ऩयंतु सयकाय चाहे जजस दर की बी हो उसे इन
लसद्ांतों क
े अनुसाय ही अऩनी नीनतमां ढारनी ऩडेंगी। इस प्रकाय ननदेशक लसद्ांतों से
प्रशासन भें जस्थयता आमेगी।
 िंववधान की व्याख्या में िहायक
 संववधान क
े अनुसाय नीनत-ननदेशक लसद्ांत देश क
े शासन भें भूरबूत हैं, जजसका तात्ऩमत
मह है कक देश क
े प्रशासन क
े लरए उत्तयदामी सबी सत्ताएं उनक
े द्वाया ननदेलशत होंगी।
न्मामऩालरका बी शासन का एक भहत्वऩूणत अंग है, इस आधाय ऩय अऩेऺा की जा सकती
है कक बायत भें न्मामारम संववधान की व्माख्मा क
े कामत भें ननदेशक तत्वों को उधचत
भहत्व देंगे।
 न्यायाऱयों क
े सऱए मागथदशथक का कायथ
 बायतीम न्मामारमों ने कई फाय भौलरक अधधकायों से संफंधधत वववादों ऩय ननणतम देते सभम नीनत-
ननदेशक तत्वों से भागतदशतन लरमा है। फमफई याज्म फनाभ एप.एभ. फारसयाम वारे वववाद भें सवोच्च
न्मामारम ने अनुच्छेद 47 क
े आधाय ऩय ननणतम ददमा कक शासन ने भादक द्रव्म ननषेध अधधननमभ
ऩास कयक
े उधचत प्रनतफंध ही रगामा था। ऩुन् न्मामारम ने त्रफहाय याज्म फनाभ काभेश्वय लसंह वारे
वववाद भें अनुच्छेद-39 क
े प्रकाश भें मह ननणतम ददमा था कक जभींदायी क
े अंत का उद्देश्म वास्तववक
जनदहत ही था। इसी प्रकाय ववजम वस्त्र उद्मोग फनाभ अजभेय याज्म क
े वववाद भें उच्चतभ
न्मामारम ने अनुच्छेद 43 क
े प्रकाश भें न्मूनतभ ऩारयश्रलभक अधधननमभ को उधचत ठहयामा।
 शािन क
े मूलयांकन का आधार
 नीनत-ननदेशक लसद्ांतों द्वाया जनताको शासन की सपरता व असपरता की जांच कयने का भाऩदण्ड
बी प्रदान ककमा जाता है। शासक दर क
े द्वाया अऩने भतदाताओं को ननदेशक लसद्ांतों क
े सन्दबत भें
अऩनी सपरताएं फतामी नहीं है औय शासन शजतत ऩय अधधकाय कयने क
े इच्छ
ु क याजनीनतक दर की
इन तत्वों क
े कक्मान्वमन क
े प्रनत अऩनी तत्ऩयता औय उत्साह ददखाना होता है। इस प्रकाय ननदेशक
तत्व जनता को ववलबन्न दरों की तुरनात्भक जांच कयने मोग्म फना देते हैं।
 कायथऩासऱका ऩर अंक
ु श
 ववधानसबा क
े सदस्मों तथा क
ु छ संववधान वेत्ताओं ने मह संदेह व्मतत ककमा है कक याष्रऩनत मा
याज्मऩार इस आधाय ऩय ककसी ववधेमक ऩय अऩनी समभनत देने से इंकाय कय सकते हैं कक वह
ननदेशक तत्वों क
े प्रनतक
ू र है, रेककन व्मवहाय भें ऐसी घटना की समबावना कभ है तमोंकक
संसदात्भक शासन प्रणारी भें नाभभात्र का कामतऩालरका प्रधान रोकवप्रम भंत्रत्रऩरयषद द्वाया ऩारयत
ववधध को अस्वीकृ त कयने का दु्साहस नहीं कय सकता। डॉ. अमफेडकय क
े अनुसाय, ववधातयका द्वारा
ऩाररि ववधध को अथवीकृ ि करने क
े सऱए राटरऩति या राज्यऩाऱ तनदेशक ित्वों का प्रयोग नहीं कर
िकिे।
नीति-तनदेशक ित्वों का क्रियान्वयन
 बूलभ सुधायों एवं कृ वष क
े उन्नमन हेतु, जजसका उल्रेख अनुच्छेद-48 भें ककमा गमा है, ऩहरा,
चौथा, 17वां, 25वां, 42वां एवं 44वां संववधान संशोधन ककए गए।
 73वां संववधान संशोधन (1992) अनुच्छेद 40 भें उजल्रखखत ग्राभ ऩंचामतों की कक्माजन्वत
कयने की ददशा भें एक कदभ था।
 भहात्भा गांधी याष्रीम योजगाय गायंटी अधधननमभ (भनयेगा) अनुच्छेद 48 भें उजल्रखखत काभ
क
े अधधकाय, भजदूयी, एवं ननवातह इत्मादद की प्राजतत क
े लरए फनामा गमा।
 क
ु टीय उद्मोगों क
े संवद्तन क
े लरए (अनुच्छेद 43 भें उजल्रखखत) खादी व ग्रामोद्योग खोरे गए
हैं। इसक
े अनतरयतत लसल्क फोडत, हथकयघा फोडत, नाफाडत आदद का बी सृजन ककमा गमा है।
 अनुसूधचत जानतमों एवं जनजानतमों व अन्म वऩछडे वगों की लशऺा की अलबवृवद् की ददशा भें
भण्डर आमोग की रयऩोटत का कक्मान्वमन ककमा गमा, जजसे 1992 भें सवोच्च न्मामारम ने
न्मानमक अनाऩनत प्रदान, की (अनुच्छेद-46)।
 ऩमातवयण की संयऺा एवं सुधाय हेतु (अनुच्छेद 48क) सयकाय ने 1995 भें याष्रीम ऩमातवयण
न्मामाधधकयण औय 2010 भें याष्रीम हरयत न्मामाधधकयण की स्थाऩना की।
 जजरा स्तय ऩय क
ु छ न्मानमक शजततमों से कामतऩालरका क
े कामत को संऩन्न कयने क
े लरए
आऩयाधधक प्रकक्मा संदहता भें ककमा गमा संशोधन अनुच्छेद-50 का अनुसयण है।
 ताजभहर जैसे ऐनतहालसक स्भायकों क
े संयऺण का कामत बायतीम ऩुयातत्व सवेऺण (एएसआई)
को ददमा गमा है जो अनुच्छेद 49क
े प्रावधान का अनुऩारन है।
 नीनत-ननदेशक लसद्ांतों क
े अंतगतत अनुच्छेद-48 क
े अनुसयण कदभ था।
 ऩमातवयण संयऺण अधधननमभ, 1986, वन्म जीवन अधधननमभ, वन नीनत, 1980 आदद क
ु छ
ऐसे कदभ हैं जो अनुच्छेद 48(क) क
े कक्मान्वमन की ददशा भें लरए गए हैं।
मौसऱक अधधकारों और तनदेशक सिद्ांिों में अंिर
 इन दोनों भें भुख्म बेद ननमनलरखखत हैं-
 भौलरक अधधकाय न्मामारमों द्वाया रागू ककए जा सकते हैं, वहीं याज्म नीनत क
े ननदेशक तत्व
न्मामारम द्वाया रागू नहीं ककए जा सकते अथातत भौलरक अधधकाय वाद मोग्म हैं तथा नीनत-ननदेशक
तत्ववाद मोग्म नहीं हैं।
 भौलरक अधधकाय नकायात्भक हैं जफकक ननदेशक लसद्ांत सकायात्भक हैं। भौलरक अधधकायों की प्रकृ नत
इस रूऩ भें नकायात्भक है कक मे याज्म क
े ककन्हीं कामों ऩय प्रनतफंध रगाते हैं। इसक
े प्रनतक
ू र नीनत-
ननदेशक तत्व याज्म की ककन्हीं ननजश्चत कामों को कयने का आदेश देते हैं।
 जहां भौलरक अधधकायों क
े द्वाया याजनीनतक रोकतंत्र की स्थाऩना की गई है। वहां नीनत-ननदेशक
लसद्ांतों द्वाया आधथतक रोकतंत्र की स्थाऩना होती है। भौलरक अधधकायों क
े अंतगतत कानून क
े सभऺ
सभता बाषण औय अलबव्मजतत की स्वतंत्रता, जीवन औय व्मजततगत स्वतंत्रता का अधधकाय तथा
ककसी बी धभत को भानने की स्वतंत्रता आदद याजनीनतक रोकतंत्र की स्थाऩना का आधाय फनाते हैं।
ऩयंतु ननदेशक लसद्ांतों ने आधथतक एवं साभाजजक ऺेत्र भें रोकतंत्र की स्थाऩना ऩय फर ददमा है इन
लसद्ांतों क
े अनुसाय याज्म बौनतक साधनों को लसलभत रोगों क
े हाथों भें क
ें दद्रत न होने देने तथा
उत्ऩादन क
े साधनों को सावतजननक दहतों क
े उऩमोग क
े लरए, अऩनी वचनफद्ता प्रदलशतत कयता है।
 भौलरक अधधकायों का कानूनी भहत्व है, जफकक ननदेशक लसद्ांत नैतिक आदेश भात्र हैं। जी.एन. जोशी
क
े अनुसाय- याज्म नीनत क
े ननदेशक लसद्ांत भानवीम आदशतवाद क
े ढेय हैं, जजन्हें ऐसे व्मजततमों ने
संगृहीत ककमा है जो दीघतकालरक स्वतंत्रता संग्राभ की सभाजतत क
े ऩश्चात् स्वजतनर बावानतयेक की
जस्थनत भें थे।
 भौलरक अधधकायों को (अनुच्छेद 20 तथा 21 भें वखणतत अधधकायों को छोडकय) अनुच्छेद 352 क
े
अंतगतत घोवषत आऩातकारीन जस्थनत भें प्रवततन कार भें स्थधगत ककमा जा सकता है, जफकक
ननदेशक तत्वों का जफ तक कक्मान्वमन नहीं होता तफ तक वे स्थामी रूऩ से स्थगन की अवस्था भें
ही फने यहते हैं।
 भौलरक अधधकाय सावतबौभ नहीं हैं, उन ऩय क
ु छ प्रनतफंध हैं, जफकक ननदेशक लसद्ांतों ऩय कोई
प्रनतफंध नहीं है।
मूऱ अधधकारों एवं तनदेशक सिद्ांिों क
े मध्य िंबंध एवं िकराव
 जैसा कक ववददत है कक भूर अधधकाय ववधध क
े भाध्मभ से प्रवततनीम हैं तमोंकक वे
प्रत्माबूत अधधकाय हैं ककं तु ननदेशक तत्वों को इस प्रकाय प्रवृत्त नहीं कयामा जा सकता।
इस कायण दो ऩरयजस्थनतमां उत्ऩन्न होती हैं-
 ककसी व्मजतत द्वाया भूर अधधकाय का प्रमोग ननदेशक तत्व से असंगत हो सकता है- एक
कसाई का अऩना कायोफाय चराने का अधधकाय औय अनुच्छेद-48 जजसभें गोवध का
प्रनतषेध ककमा गमा है।
 ककसी ननदेशक तत्व को प्रबाववत कयने वारा ववधान ककसी भूर अधधकाय का अनतरंघन
कयता है मा उसे ऺीण कयता है। न्मूनतभ भजदूयी तम कयने वारा ववधान अनुच्छेद
19(1)(छ) क
े अधीन व्माऩाय क
े अधधकाय का उल्रंघन कयता है।
 संववधान का अनुच्छेद-31(ग) मह स्वीकाय कयता है कक ऐसी ऩरयजस्थनतमां आ सकती हैं
जजसभें भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्वों भें संघषत हो। उसभें मह अधधकधथत है कक मदद
संववधान क
े बाग-4 भें अंतववतजष्ट लसद्ांतों की कक्माजन्वत कयने क
े लरए कोई ववधध
अधधननमलभत की जाती है तो उस ऩय इस आधाय ऩय आक्भण नहीं ककमा जा सकता है
कक वह भूर अधधकाय से असंगत है। ऐसी ववधध भूर अधधकाय ऩय अलबबावी होगी। इस
प्रकाय अनुच्छेद 31(ग) ननदेशक तत्वों की कक्माजन्वत कयने वारी सबी ववधधमों को भूर
अधधकायों ऩय प्राथलभकता देता है।
 भद्रास याज्म फनाभ चंऩकभ भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम ने स्ऩष्ट रूऩ उनक
े सहामक
क
े रूऩ से कहा की तनदेशक ित्वों को मूऱ अधधकार क
े अध्याय क
े अनुरूऩ और उनक
े
िहायक क
े रूऩ में में कायथ करना होगा।
 डा. ऩी.क
े . त्रत्रऩाठी ने न्मामारम क
े ववचायों से असहभनत प्रकट कयते हुए कहा कक भूर अधधकायों की
श्रेष्ठ कहना सही नहीं है। दोनों का सभजन्वत अथातन्वमन ककमा जाना चादहए। क
े यर लशऺा ववधेमक
(1959) भें उच्चतभ न्मामारम ने सभन्वमकायी ननवतचन का ननमभ अंगीकाय ककमा। न्मामारम ने मह
संप्रेऺण ककमा कक सभन्वमकायी अथातन्वमन का लसद्ांत स्वीकाय ककमा जाना चादहए औय भूर
अधधकाय तथा ननदेशक तत्व, दोनों को प्रबावी कयने का प्रमास ककमा जाना चादहए। क
े शवानंद बायती
फनाभ क
े यर याज्म (1978) भें न्मामारम ने एक फाय कपय मह कहा कक इन दोनों भें ऊ
ं च-नीच का
बेदबाव नहीं ककमा जाना चादहए। न्मामारम ने दो लसद्ांत प्रनतऩाददत ककए-
 भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्व दोनों सभान रूऩ से भौलरक हैं मद्मवऩ ननदेशक तत्वों को
न्मामारम द्वाया प्रवनततत नहीं ककमा जा सकता।
 भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्व एक-दूसये क
े अनुऩूयक हैं औय एक-दूसये को ऩूणतता प्रदान कयते हैं।
 लभनवात लभल्स भें न्मामारम ने कपय से मह कहा कक भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्वों क
े फीच
सभन्वम औय असंतुरन संववधान की आधारयक संयचना का आवश्मक रऺण है। लभनवात लभल्स क
े
ऩरयणाभस्वरूऩ अनुच्छेद-31(ग) की अंत्स्थाऩना क
े ऩश्चात् बी ननदेशक तत्वों को भूर अधधकायों ऩय
प्राथलभकता नहीं दी जा सकती। उच्चतभ न्मामारम ने ऩूवतवती ननणतमों भें भूर अधधकायों की श्रेष्ठता
फताते हुए जो भत अलबव्मतत ककमा था वह अफ फदर गमा है। भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्व
एक ही धयातर ऩय हैं। मदद उनभें कोई संघषत ददखाई ऩडता है तो न्मामारम की चादहए कक
न्मामानमक ऩुनववतरोकन की अऩनी शजतत का प्रमोग कयते हुए उसका सभाधान ननकारे।
 न्मामारम ककसी ववधध की जो ननदेशक तत्वों से असंगत है शून्म घोवषत नहीं कय सकते ककं तु
न्मामारमों ने ऐसी ववधध को ववधधभान्म ठहयामा है जो ननदेशक तत्व की कक्माजन्वत कयने क
े लरए
अधधननमलभत की गई थी।
 संजीव कोक फनाभ बायत कोककग भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम ने मह भत प्रकट ककमा कक लभनवात
लभल्स भें न्मामारम की याम का मह प्रबाव है कक अनुच्छेद 31(ग) उस रूऩ भें ववद्मभान है जजसभें
वह 42वें संशोधन क
े ऩहरे था। वह क
े वर उन्हीं ववधधमों को सुयऺा देता है जो अनुच्छेद 39(ख) औय
(ग) की कक्माजन्वत कयने क
े लरए फनाई गई हैं। प्रोऩटी ओनसत एशोलसएशन फनाभ भहायाष्र याज्म
(2001) भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम की एक ऩीठ ने मह याम दी है कक संजीव कोक फनाभ बायत
कोककं ग भाभरे ऩय ऩुनववतचाय ककमा जाना चादहए।

More Related Content

Similar to niti nirdesak tatva.pdf

Hanna arant ke rajneetik vichar
Hanna arant ke rajneetik vicharHanna arant ke rajneetik vichar
Hanna arant ke rajneetik vichar
Dr. Mamata Upadhyay
 
Chapter - 4 social justice XI Political Science
Chapter  - 4 social justice XI Political Science Chapter  - 4 social justice XI Political Science
Chapter - 4 social justice XI Political Science
Directorate of Education Delhi
 
Chapter 8 secularism 2 Xi political Science
Chapter 8 secularism 2 Xi political Science Chapter 8 secularism 2 Xi political Science
Chapter 8 secularism 2 Xi political Science
Directorate of Education Delhi
 
Ekatm arthchintan
Ekatm arthchintanEkatm arthchintan
Ekatm arthchintan
Varadraj Bapat
 
घोषणापत्र आ.आ.पा (2)
घोषणापत्र   आ.आ.पा (2)घोषणापत्र   आ.आ.पा (2)
घोषणापत्र आ.आ.पा (2)Bhagwan Singh
 
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टीघोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टीsamyaksanvad
 
[Hindi] How can women in India be safer?
[Hindi] How can women in India be safer?[Hindi] How can women in India be safer?
[Hindi] How can women in India be safer?
Yogesh Upadhyaya
 
Chapter 2 freedom XI Political Science
Chapter   2 freedom XI Political Science Chapter   2 freedom XI Political Science
Chapter 2 freedom XI Political Science
Directorate of Education Delhi
 
Why Aristotle is called "Father of Politics"?
Why Aristotle is called "Father of Politics"?Why Aristotle is called "Father of Politics"?
Why Aristotle is called "Father of Politics"?
Vishesh Grewal
 
Girish Chandra Varma (Brahmachari Girish) Speaks to Media - An Ebook
Girish Chandra Varma (Brahmachari Girish) Speaks to Media - An EbookGirish Chandra Varma (Brahmachari Girish) Speaks to Media - An Ebook
Girish Chandra Varma (Brahmachari Girish) Speaks to Media - An Ebook
Maharishi Sansthan
 
Laski ke rajnitik vichar
Laski ke rajnitik vicharLaski ke rajnitik vichar
Laski ke rajnitik vichar
Dr. Mamata Upadhyay
 
Direct democracy in switzerland
Direct democracy in switzerlandDirect democracy in switzerland
Direct democracy in switzerland
Dr. Mamata Upadhyay
 
Chapter 5 rights XI Political Science
Chapter  5 rights XI  Political ScienceChapter  5 rights XI  Political Science
Chapter 5 rights XI Political Science
Directorate of Education Delhi
 
Shanti sthapana evam shanti anurakshan
Shanti sthapana evam shanti anurakshanShanti sthapana evam shanti anurakshan
Shanti sthapana evam shanti anurakshan
Dr. Mamata Upadhyay
 
Pdf education
Pdf educationPdf education
Pdf education
Tejpratap Vishwakarma
 
Arastoo ka rajnitik darshan
Arastoo ka rajnitik darshanArastoo ka rajnitik darshan
Arastoo ka rajnitik darshan
Dr. Mamata Upadhyay
 
Chapter 1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
Chapter  1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science Chapter  1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
Chapter 1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
Directorate of Education Delhi
 
Chapter 2 freedom 2 XI Political Science
Chapter   2   freedom 2 XI Political Science Chapter   2   freedom 2 XI Political Science
Chapter 2 freedom 2 XI Political Science
Directorate of Education Delhi
 
Honor Killing: Unmasking a Brutal Reality
Honor Killing: Unmasking a Brutal RealityHonor Killing: Unmasking a Brutal Reality
Honor Killing: Unmasking a Brutal Reality
Nayi goonj
 

Similar to niti nirdesak tatva.pdf (19)

Hanna arant ke rajneetik vichar
Hanna arant ke rajneetik vicharHanna arant ke rajneetik vichar
Hanna arant ke rajneetik vichar
 
Chapter - 4 social justice XI Political Science
Chapter  - 4 social justice XI Political Science Chapter  - 4 social justice XI Political Science
Chapter - 4 social justice XI Political Science
 
Chapter 8 secularism 2 Xi political Science
Chapter 8 secularism 2 Xi political Science Chapter 8 secularism 2 Xi political Science
Chapter 8 secularism 2 Xi political Science
 
Ekatm arthchintan
Ekatm arthchintanEkatm arthchintan
Ekatm arthchintan
 
घोषणापत्र आ.आ.पा (2)
घोषणापत्र   आ.आ.पा (2)घोषणापत्र   आ.आ.पा (2)
घोषणापत्र आ.आ.पा (2)
 
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टीघोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
 
[Hindi] How can women in India be safer?
[Hindi] How can women in India be safer?[Hindi] How can women in India be safer?
[Hindi] How can women in India be safer?
 
Chapter 2 freedom XI Political Science
Chapter   2 freedom XI Political Science Chapter   2 freedom XI Political Science
Chapter 2 freedom XI Political Science
 
Why Aristotle is called "Father of Politics"?
Why Aristotle is called "Father of Politics"?Why Aristotle is called "Father of Politics"?
Why Aristotle is called "Father of Politics"?
 
Girish Chandra Varma (Brahmachari Girish) Speaks to Media - An Ebook
Girish Chandra Varma (Brahmachari Girish) Speaks to Media - An EbookGirish Chandra Varma (Brahmachari Girish) Speaks to Media - An Ebook
Girish Chandra Varma (Brahmachari Girish) Speaks to Media - An Ebook
 
Laski ke rajnitik vichar
Laski ke rajnitik vicharLaski ke rajnitik vichar
Laski ke rajnitik vichar
 
Direct democracy in switzerland
Direct democracy in switzerlandDirect democracy in switzerland
Direct democracy in switzerland
 
Chapter 5 rights XI Political Science
Chapter  5 rights XI  Political ScienceChapter  5 rights XI  Political Science
Chapter 5 rights XI Political Science
 
Shanti sthapana evam shanti anurakshan
Shanti sthapana evam shanti anurakshanShanti sthapana evam shanti anurakshan
Shanti sthapana evam shanti anurakshan
 
Pdf education
Pdf educationPdf education
Pdf education
 
Arastoo ka rajnitik darshan
Arastoo ka rajnitik darshanArastoo ka rajnitik darshan
Arastoo ka rajnitik darshan
 
Chapter 1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
Chapter  1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science Chapter  1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
Chapter 1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
 
Chapter 2 freedom 2 XI Political Science
Chapter   2   freedom 2 XI Political Science Chapter   2   freedom 2 XI Political Science
Chapter 2 freedom 2 XI Political Science
 
Honor Killing: Unmasking a Brutal Reality
Honor Killing: Unmasking a Brutal RealityHonor Killing: Unmasking a Brutal Reality
Honor Killing: Unmasking a Brutal Reality
 

niti nirdesak tatva.pdf

  • 1. राज्य नीति क े तनदेशक ित्व DIRECTIVE PRINCIPLES OF STATE POLICY Rajani Kant Pandey Assistant Professor RDS College
  • 2.  भूर अधधकायों एवं ननदेशक तत्वों का एक ही उद्गभ स्रोत है। 1928 क े नेहरू प्रनतवेदन भें, जजसभें बायत क े लरए स्वयाजी ववधान फनामा गमा था, भूर अधधकायों को स्थान ददमा गमा था। इन अधधकायों भें प्रायंलबक लशऺा का अधधकाय बी सजमभलरत था। वस्तुत् याज्म क े नीनत-ननदेशक लसद्ांतों का ववचाय 1937 क े आमरयश संववधान से लरमा गमा, जजसे ऩहरे स्ऩेन क े संववधान से लरमा गमा था। 1945 क े सऩू प्रनतवेदन भें भूर अधधकायों को स्ऩष्ट रूऩ से दो बागों भें फांटा गमा था- न्मामारम द्वाया प्रवततनीम औय अप्रवततनीम। संववधान सबा क े संववधाननक सराहकाय सय फी. एन. याव ने मह सुझाव ददमा था कक व्मजततमों क े अधधकायों को दो प्रवगों भें ववबाजजत ककमा जाए- प्रथभ, वे जजन्हें न्मामारम द्वाया प्रवृत्त कयामा जा सकता है, औय; द्ववतीम, वे जो इस प्रकाय प्रवृत्त नहीं कयाए जा सकते। उनक े ववचाय भें दूसया प्रवगत याज्म क े प्राधधकारयमों क े लरए नैनतक उऩदेश क े रूऩ भें था। उनका सुझाव प्रारूऩ सलभनत ने बी स्वीकाय ककमा। इसक े ऩरयणाभस्वरूऩ न्मामारम द्वाया प्रवततनीम भूर अधधकाय बाग 3 भें हैं औय ननदेशक तत्व जो अप्रवततनीम हैं बाग 4 भें हैं। इन दोनों का उद्देश्म साभाजजक, आधथतक औय याजनीनतक न्माम तथा व्मजतत की गरयभा औय कल्माण की प्राजतत है। क ु र लभराकय मे लसद्ांत ऩुलरस याज्म क े ववऩयीत कल्माणकायी याज्म की स्थाऩना कयते हैं।
  • 3. अर्थ एवं उद्देश्य  नीनत-ननदेशक तत्वों का वणतन संववधान क े चौथे बाग भें ककमा गमा है। मे तत्व शासन व्मवस्था क े भूर आधाय हैं। मे तत्व हभाये संववधान की प्रनतऻाओं औय आकांऺाओं को वाणी प्रदान कयते हैं। इस प्रकाय मे लसद्ांत देश क े प्रशासकों क े लरए एक आचाय संदहता है। याष्र की प्रबुसत्ता क े प्रनतननधधमों क े रूऩ भें कामत कयते सभम उन्हें इन ननदेशक लसद्ांतों का ध्मान यखना चादहए, तमोंकक मे उन आदशों को प्रनतष्ठावऩत कयते हैं जो बायत क े याज्म का आधाय हैं। ननदेशक लसद्ांत कामतऩालरका औय व्मवस्थावऩका को ददए गए ऐसे ननदेश हैं, जजनक े अनुसाय उन्हें अऩने औय उधचत रूऩ से ऩारन हो।  नीनत-ननदेशक लसद्ांतों का प्रमोजन शांनतऩूणत तयीकों से साभाजजक क्ांनत का ऩथ-प्रशस्त कय क ु छ साभाजजक औय आधथतक उद्देश्मों को तत्कार लसद् कयना है। इन आधायबूत लसद्ांतों का उद्देश्म कल्माणकायी याज्म की स्थाऩना कयना है। साभूदहक रूऩ से मे लसद्ांत बायत भें आधथतक एवं साभाजजक रोकतंत्र की यचना कयते हैं। ननदेशक लसद्ांतों का वास्तववक भहत्व इस फात का है कक मे नागरयकों क े प्रनत याज्म क े दानमत्व क े द्मोतक हैं। संववधान की प्रस्तावना भें जजन आदशों की प्राजतत का रक्ष्म यखा गमा है, मे उन आदशों की ओय फढ़ने क े लरए भागत-प्रशस्त कयते हैं।
  • 4. नीति-तनदेशक सिद्ांिों का अवऱोकन  अनुच्छेद 36 से रेकय 51 तक क े सोरह अनुच्छेदों भें ननदेशक लसद्ांतों का वणतन है, जो ननमनलरखखत हैं-  अनुच्छेद 36-37: अनुच्छेद 36 भें राज्य शब्द को ऩरयबावषत ककमा गमा है। अनुच्छेद 37 घोषणा कयता है कक- ननदेशक तत्व देश क े शासन क े भूराधधकाय हैं औय ननश्चम ही ववधध फनाने भें इन लसद्ांतों को रागू कयना याज्म का कततव्म होगा। मे लसद्ांत ककसी न्मामारम भें प्रवततनीम नहीं होंगे। अलबप्राम मह कक न्मामऩालरका याज्म की ननदेशक तत्वों क े अंतगतत ककसी कततव्म को ननबाने क े लरए वववश नहीं कय सकती।  अनुच्छेद-38: याज्म रोक-कल्माण की सुयऺा औय अलबवृवद् क े लरए साभाजजक व्मवस्था का ननभातण कयेगा।  अनुच्छेद-39: याज्म अऩनी नीनत का इस प्रकाय संचारन कयेगा कक सुननजश्चत रूऩ से –  सबी ऩुरुषों तथा जस्त्रमों को जीववका क े ऩमाततत साधन प्रातत कयने का अधधकाय हो।  सभुदाम की बौनतक संऩदा का स्वालभत्व तथा ननमंत्रण इस प्रकाय ववबाजजत हो जजससे साभूदहक दहत का सवोत्तभ रूऩ से साधन हो।  आधथतक व्मवस्था इस प्रकाय चरे कक धन औय उत्ऩादन क े साधनों का सवतसाधायण क े लरए अदहतकायी संक ें द्रण न हो।  ऩुरुषों औय जस्त्रमों दोनों का सभान कामत क े लरए सभान वेतन हो।  ऩुरुषों तथा जस्त्रमों क े स्वास््म औय शजतत का औय फच्चों की सुक ु भाय अवस्था का दुरुऩमोग न हो। आधथतक आवश्मकता से वववश होकय नागरयकों को ऐसे योजगायों भें न जाना ऩडे जो उनकी आमु तथा शजतत क े अनुक ू र न हो औय फच्चों तथा मुवाओं को शोषण से फचामा जाए।
  • 5.  अनुच्छेद-39क: याज्म मह सुननजश्चत कयेगा कक ववधधक व्मवस्था इस तयह से काभ कये कक न्माम सभान अवसय क े आधाय ऩय सुरब हो। इस उद्देश्म क े लरए याज्म उऩमुतत ववधान मा मोजना द्वाया मा ककसी अन्म यीनत से नन्शुल्क ववधधक सहामता की व्मवस्था कयेगा, ताकक कोई नागरयक आधथतक मा अन्म ककसी ननमोग्मता क े कायण न्माम प्रातत कयने क े अवसय से वंधचत न यह जाए।  अनुच्छेद 40: याज्म ग्राभ ऩंचामतों को स्वामत्त शासन की इकाइमों क े रूऩ भें संगदठत कयेगा।  अनुच्छेद-41: याज्म अऩनी आधथतक साभ्मत औय ववकास की सीभाओं क े बीतय,काभ ऩाने, लशऺा ऩाने क े औय फेकायी, फुढ़ाऩा, फीभायी औय नन्शततता तथा अन्म अनहत अबाव की दशाओं भें रोक सहामता ऩाने क े अधधकाय को प्रातत कयाने का प्रबावी उऩफंध कयेगा।  अनुच्छेद-42: याज्म काभ की न्मामसंगत औय भानवोधचत दशाओं को सुननजश्चत कयने क े लरए प्रसूनत सहामता क े लरए उऩफंध कयेगा।  अनुच्छेद-43: याज्म जनता क े लरए काभ, ननवातह, भजदूयी, लशष्ट जीवन स्तय, अवकाश तथा साभाजजक तथा सांस्कृ नतक अवसय प्रदान कयने का प्रमास कयेगा। याज्म क ु टीय उद्मोगों की उन्ननत क े लरए ववशेष ध्मान देगा।  अनुच्छेद-43क: याज्म उऩमुतत ववधान अथवा अन्म ककसी यीनत से ककसी उद्मोग भें रगे हुए उऩक्भों, संस्थाओं मा अन्म संगठनों क े प्रफंध भें कभतकायों की बागीदायी को सुननजश्चत कयने क े लरए कदभ उठाएगा।
  • 6.  अनुच्छेद 43ख: याज्म सहकायी सलभनतमों क े स्वैजच्छक संगठन, स्वामत्त कामतकयण, रोकतांत्रत्रक ननमंत्रण तथा ऩेशेवय प्रफंधन को फढ़ाने का प्रमास कयेगा।  अनुच्छेद 44: याज्म बायत क े सभस्त याज्मऺेत्र भें नागरयकों क े लरए एक सभान लसववर संदहता रागू कयाने का प्रमास कयेगा।  अनुच्छेद 45: 86वें संववधान संशोधन अधधननमभ, 2002 द्वाया संववधान क े अनुच्छेद 45 को संशोधधत ककमा गमा है। भौलरक कततव्मों से संफद् इस संशोधन क े अनुसाय याज्म अलबबावकों से मह अऩेऺा कयता है कक वे अऩने फच्चों को छह वषत की आमु तक प्रायजमबक फाल्म सुयऺा व लशऺा प्रदान कयने का प्रमत्न कयेंगे।  अनुच्छेद 46: याज्मजनता क े दुफतर वगों क े , ववशेषकय अनुसूधचत जानतमों तथा अनुसूधचत जनजानतमों की लशऺा औय अथत संफंधी दहतों की ववशेष सावधानी से अलबवृवद् कयेगा।  अनुच्छेद 47: याज्म सावतजननक स्वास््म भें सुधाय तथा भादक द्रव्मों औय हाननकय औषधधमों का ननषेध कयेगा।  अनुच्छेद 48: याज्म कृ वष औय ऩशुऩारन को आधुननक औय वैऻाननक प्रणालरमों से संगदठत कयने का प्रमास कयेगा। गामों, फछडों, दूध देने वारे तथा वाहक शत्रुओं की यऺा तथा नस्रों क े ऩरययऺण औयसुधाय क े लरए औय उनक े वध का प्रनतषेध कयने क े लरए उधचत कदभ उठाएगा।
  • 7.  अनुच्छेद 48क: याज्म देश क े ऩमातवयण की संयऺा तथा उसभें सुधाय कयने का औय वन एवं वन्म जीवों की यऺा कयने का प्रमास कयेगा।  अनुच्छेद 49: याज्म ऐनतहालसक तथा याष्रीम भहत्व क े स्भायकों की यऺा कयेगा।  अनुच्छेद 50: याज्म न्मामऩालरका को कामतऩालरका से ऩृथक् कयेगा।  अनुच्छेद 51: याज्म 1. अंतययाष्रीम शांनत औय सुयऺा की अलबवृवद् का, 2.याष्रों क े फीच न्मामसंगत औय समभानऩूणत संफंधों को फनाए यखने का, 3.संगदठत रोगों क े एक-दूसये से व्मवहायों भें अंतययाष्रीम ववधध औय संधध फाध्मताओं क े प्रनत आदय फढ़ाने का, तथा; 4.अंतययाष्रीम वववादों की भध्मस्थता द्वाया ननऩटाने क े लरए प्रोत्साहन देने का प्रमास कयेगा।
  • 8.  साभूदहक रूऩ से मह लसद्ांत बायत क े रोकतांत्रत्रक प्रशासन का लशरान्मास कयते हैं। ननदेशक लसद्ांत नागरयकों क े प्रनत याज्म क े कततव्मों क े प्रतीक हैं। वास्तव भें याज्म क े मे दानमत्व क्ांनतकायी लसद्ांत हैं, ऩयंतु इनकी प्राजतत का ढंग संवैधाननक है।  याज्म क े नीनतननदेशक लसद्ांतों क े भाध्मभ से बायतीम संववधान, वैमजततक स्वतंत्रता क े लरए घातक, श्रभजीववमों की तानाशाही औय जनता की आधथतक सुयऺा भें अवयोध ऩैदा कयने वारे ऩूंजीवादी अल्ऩतंत्र इन दोनों चयभ सीभाओं भें संतुरन स्थावऩत कयता है।
  • 9. तनदेशक ित्वों का वगीकरण गांधीवादी िमाजवादी उदार ऱोकिांत्रिक ग्राभ ऩंचामतों का संगठन (अनुच्छेद-40)| गामों औय फछडों तथा अन्म दुधारू एवं वाहक ऩशुओं की नस्रों क े ऩरययऺण एवं उनक े वध का प्रनतषेध (अनुच्छेद-48)| भादक ऩेमों एवं स्वास््म क े लरए हाननकय औषधधमों क े उऩबोग का प्रनतषेध (अनुच्छेद-47)| याज्म आम की असभानताओं को कभ कयने का प्रमास कयेगा (अनुच्छेद- 38(2))| कभतकायों क े लरए ननवातह भजदूयी इत्मादद (अनुच्छेद- 43)| काभ की न्मामसंगत औय भानवोधचत दशाओं का तथा प्रसूनत सहामता (अनुच्छेद- 42)| क ु छ दशाओं भें काभ, लशऺा एवं रोक सहामता ऩाने का अधधकाय (अनुच्छेद-41)| उद्मोगों क े प्रफंध भें काभगायों का बाग रेना (अनुच्छेद-48क)| सभान न्माम औय ननशुल्क ववधधक सहामता (अनुच्छेद- 39(क))| याष्रीम भहत्त्व क े स्भायकों, स्थानों औय वस्तुओं का संयऺण (अनुच्छेद-49)| कामतऩालरका से न्मामऩालरका का ऩृथतकयण (अनुच्छेद-50)| फारकों को ननशुल्क लशऺा ऩाने का अधधकाय (अनुच्छेद-45)|
  • 10. िंववधान क े अन्य भागों में ददए गए नीति क े तनदेशक ित्व  संववधान क े बाग-4 भें अंतववतष्ट ननदेशों क े अनतरयतत संववधान क े अन्म बागों भें याज्मों को संफोधधत अन्म ननदेश है। मे ननदेश बी न्मामारम क े ननणतमाधीन नहीं हैं।  अनुच्छेद 350-क क े अनुसाय, प्रत्मेक याज्म औय याज्म क े बीतय स्थानीम प्राधधकायी का मह कततव्म है कक बाषाई अल्ऩसंख्मक वगत क े फारकों की लशऺा क े प्राथलभक स्तय ऩय भातृबाषा भें लशऺा की ऩमाततत सुववधाओं की व्मवस्था कये।  अनुच्छेद 351 क े अनुसाय, संघ का मह कततव्म है कक वह दहंदी बाषा का प्रसाय फढ़ाए औय उसका ववकास कये ताकक वह बायत की साभाजजक संस्कृ नत क े सबी तत्वों की अलबव्मजतत का भाध्मभ फन सक े ।  अनुच्छेद 335 क े अनुसाय, संघ मा याज्म क े कामतकराऩ से संफंधधत सेवाओं औय ऩदों क े लरए ननमुजततमां कयने भें, अनुसूधचतजानतमों औय अनुसूधचत जनजानतमों क े दावों का प्रशासन की दऺता फनाए यखने की संगनत क े अनुसाय ध्मान यखा जाएगा।  मद्मवऩ अनुच्छेद 335, 350-क, 351 संववधान क े बाग-4 भें सजमभलरत नहीं हैं ककन्तु न्मामारमों द्वाया इन्हें नीनत-ननदेशक लसद्ांतों की श्रेणी भें संमोजजत ककमा गमा है।  नीनत-ननदेशक तत्वों भें क ु छ त्रुदटमां हैं, इसका तात्ऩमत मह नहीं है कक वे त्रफल्क ु र व्मथत औय भहत्वहीन हैं। वास्तव भें संवैधाननक औय व्मावहारयक दृजष्टकोण से इन तत्वों का अत्मधधक भहत्व है। नीनत-ननदेशक तत्वों को संववधान भें शालभर कयने क े जो कायण हैं, उन्हें इस प्रकाय स्ऩष्ट ककमा जा सकता है।
  • 11. नीति-तनदेशक ित्वों का महत्व  जन-लशऺण की दृजष्ट से भहत्व मे लसद्ांत याज्म क े उद्देश्मों मा रक्ष्मों क े फाये भें जानकायी देते हैं। इन लसद्ांतों क े अध्ममन से ऩता चरता है कक याज्म एक रोक कल्माणकायी प्रशासननक ढांचे की स्थाऩना क े लरए कृ तसंकल्ऩ है।  लसद्ांतों क े ऩीछे जनभत की शजतत मद्मवऩ इन लसद्ांतों को न्मामारम द्वाया कक्माजन्वत नहीं ककमा जा सकता, रेककन इसक े ऩीछे जनभत की सत्ता होती है, जो प्रजातंत्र का सफसे फडा न्मामारम है। अत् जनता क े प्रनत उत्तयदामी कोई बी सयकाय इनकी अवहेरना का साहस नहीं कय सकती। इन ननदेशक तत्वों का भहत्व इस फात भें है कक मे नागरयकों क े प्रनत याज्म क े सकायात्भक दानमत्व हैं ।  राजनीतिक स्थर्रिा की दृस्टि िे महत्व  रोकतंत्र भें सयकायें फदरती यहती हैं। कबी एक दर की सयकाय है तो कबी ककसी दूसये दर की। सबी दरों की नीनतमां अरग-अरग होती हैं। क ु छ दर क्ांनतकायी ववचायधाया क े होते है तो क ु छ रूदढ़वादी होते हैं। ऩयंतु सयकाय चाहे जजस दर की बी हो उसे इन लसद्ांतों क े अनुसाय ही अऩनी नीनतमां ढारनी ऩडेंगी। इस प्रकाय ननदेशक लसद्ांतों से प्रशासन भें जस्थयता आमेगी।  िंववधान की व्याख्या में िहायक  संववधान क े अनुसाय नीनत-ननदेशक लसद्ांत देश क े शासन भें भूरबूत हैं, जजसका तात्ऩमत मह है कक देश क े प्रशासन क े लरए उत्तयदामी सबी सत्ताएं उनक े द्वाया ननदेलशत होंगी। न्मामऩालरका बी शासन का एक भहत्वऩूणत अंग है, इस आधाय ऩय अऩेऺा की जा सकती है कक बायत भें न्मामारम संववधान की व्माख्मा क े कामत भें ननदेशक तत्वों को उधचत भहत्व देंगे।
  • 12.  न्यायाऱयों क े सऱए मागथदशथक का कायथ  बायतीम न्मामारमों ने कई फाय भौलरक अधधकायों से संफंधधत वववादों ऩय ननणतम देते सभम नीनत- ननदेशक तत्वों से भागतदशतन लरमा है। फमफई याज्म फनाभ एप.एभ. फारसयाम वारे वववाद भें सवोच्च न्मामारम ने अनुच्छेद 47 क े आधाय ऩय ननणतम ददमा कक शासन ने भादक द्रव्म ननषेध अधधननमभ ऩास कयक े उधचत प्रनतफंध ही रगामा था। ऩुन् न्मामारम ने त्रफहाय याज्म फनाभ काभेश्वय लसंह वारे वववाद भें अनुच्छेद-39 क े प्रकाश भें मह ननणतम ददमा था कक जभींदायी क े अंत का उद्देश्म वास्तववक जनदहत ही था। इसी प्रकाय ववजम वस्त्र उद्मोग फनाभ अजभेय याज्म क े वववाद भें उच्चतभ न्मामारम ने अनुच्छेद 43 क े प्रकाश भें न्मूनतभ ऩारयश्रलभक अधधननमभ को उधचत ठहयामा।  शािन क े मूलयांकन का आधार  नीनत-ननदेशक लसद्ांतों द्वाया जनताको शासन की सपरता व असपरता की जांच कयने का भाऩदण्ड बी प्रदान ककमा जाता है। शासक दर क े द्वाया अऩने भतदाताओं को ननदेशक लसद्ांतों क े सन्दबत भें अऩनी सपरताएं फतामी नहीं है औय शासन शजतत ऩय अधधकाय कयने क े इच्छ ु क याजनीनतक दर की इन तत्वों क े कक्मान्वमन क े प्रनत अऩनी तत्ऩयता औय उत्साह ददखाना होता है। इस प्रकाय ननदेशक तत्व जनता को ववलबन्न दरों की तुरनात्भक जांच कयने मोग्म फना देते हैं।  कायथऩासऱका ऩर अंक ु श  ववधानसबा क े सदस्मों तथा क ु छ संववधान वेत्ताओं ने मह संदेह व्मतत ककमा है कक याष्रऩनत मा याज्मऩार इस आधाय ऩय ककसी ववधेमक ऩय अऩनी समभनत देने से इंकाय कय सकते हैं कक वह ननदेशक तत्वों क े प्रनतक ू र है, रेककन व्मवहाय भें ऐसी घटना की समबावना कभ है तमोंकक संसदात्भक शासन प्रणारी भें नाभभात्र का कामतऩालरका प्रधान रोकवप्रम भंत्रत्रऩरयषद द्वाया ऩारयत ववधध को अस्वीकृ त कयने का दु्साहस नहीं कय सकता। डॉ. अमफेडकय क े अनुसाय, ववधातयका द्वारा ऩाररि ववधध को अथवीकृ ि करने क े सऱए राटरऩति या राज्यऩाऱ तनदेशक ित्वों का प्रयोग नहीं कर िकिे।
  • 13. नीति-तनदेशक ित्वों का क्रियान्वयन  बूलभ सुधायों एवं कृ वष क े उन्नमन हेतु, जजसका उल्रेख अनुच्छेद-48 भें ककमा गमा है, ऩहरा, चौथा, 17वां, 25वां, 42वां एवं 44वां संववधान संशोधन ककए गए।  73वां संववधान संशोधन (1992) अनुच्छेद 40 भें उजल्रखखत ग्राभ ऩंचामतों की कक्माजन्वत कयने की ददशा भें एक कदभ था।  भहात्भा गांधी याष्रीम योजगाय गायंटी अधधननमभ (भनयेगा) अनुच्छेद 48 भें उजल्रखखत काभ क े अधधकाय, भजदूयी, एवं ननवातह इत्मादद की प्राजतत क े लरए फनामा गमा।  क ु टीय उद्मोगों क े संवद्तन क े लरए (अनुच्छेद 43 भें उजल्रखखत) खादी व ग्रामोद्योग खोरे गए हैं। इसक े अनतरयतत लसल्क फोडत, हथकयघा फोडत, नाफाडत आदद का बी सृजन ककमा गमा है।  अनुसूधचत जानतमों एवं जनजानतमों व अन्म वऩछडे वगों की लशऺा की अलबवृवद् की ददशा भें भण्डर आमोग की रयऩोटत का कक्मान्वमन ककमा गमा, जजसे 1992 भें सवोच्च न्मामारम ने न्मानमक अनाऩनत प्रदान, की (अनुच्छेद-46)।  ऩमातवयण की संयऺा एवं सुधाय हेतु (अनुच्छेद 48क) सयकाय ने 1995 भें याष्रीम ऩमातवयण न्मामाधधकयण औय 2010 भें याष्रीम हरयत न्मामाधधकयण की स्थाऩना की।  जजरा स्तय ऩय क ु छ न्मानमक शजततमों से कामतऩालरका क े कामत को संऩन्न कयने क े लरए आऩयाधधक प्रकक्मा संदहता भें ककमा गमा संशोधन अनुच्छेद-50 का अनुसयण है।  ताजभहर जैसे ऐनतहालसक स्भायकों क े संयऺण का कामत बायतीम ऩुयातत्व सवेऺण (एएसआई) को ददमा गमा है जो अनुच्छेद 49क े प्रावधान का अनुऩारन है।  नीनत-ननदेशक लसद्ांतों क े अंतगतत अनुच्छेद-48 क े अनुसयण कदभ था।  ऩमातवयण संयऺण अधधननमभ, 1986, वन्म जीवन अधधननमभ, वन नीनत, 1980 आदद क ु छ ऐसे कदभ हैं जो अनुच्छेद 48(क) क े कक्मान्वमन की ददशा भें लरए गए हैं।
  • 14. मौसऱक अधधकारों और तनदेशक सिद्ांिों में अंिर  इन दोनों भें भुख्म बेद ननमनलरखखत हैं-  भौलरक अधधकाय न्मामारमों द्वाया रागू ककए जा सकते हैं, वहीं याज्म नीनत क े ननदेशक तत्व न्मामारम द्वाया रागू नहीं ककए जा सकते अथातत भौलरक अधधकाय वाद मोग्म हैं तथा नीनत-ननदेशक तत्ववाद मोग्म नहीं हैं।  भौलरक अधधकाय नकायात्भक हैं जफकक ननदेशक लसद्ांत सकायात्भक हैं। भौलरक अधधकायों की प्रकृ नत इस रूऩ भें नकायात्भक है कक मे याज्म क े ककन्हीं कामों ऩय प्रनतफंध रगाते हैं। इसक े प्रनतक ू र नीनत- ननदेशक तत्व याज्म की ककन्हीं ननजश्चत कामों को कयने का आदेश देते हैं।  जहां भौलरक अधधकायों क े द्वाया याजनीनतक रोकतंत्र की स्थाऩना की गई है। वहां नीनत-ननदेशक लसद्ांतों द्वाया आधथतक रोकतंत्र की स्थाऩना होती है। भौलरक अधधकायों क े अंतगतत कानून क े सभऺ सभता बाषण औय अलबव्मजतत की स्वतंत्रता, जीवन औय व्मजततगत स्वतंत्रता का अधधकाय तथा ककसी बी धभत को भानने की स्वतंत्रता आदद याजनीनतक रोकतंत्र की स्थाऩना का आधाय फनाते हैं। ऩयंतु ननदेशक लसद्ांतों ने आधथतक एवं साभाजजक ऺेत्र भें रोकतंत्र की स्थाऩना ऩय फर ददमा है इन लसद्ांतों क े अनुसाय याज्म बौनतक साधनों को लसलभत रोगों क े हाथों भें क ें दद्रत न होने देने तथा उत्ऩादन क े साधनों को सावतजननक दहतों क े उऩमोग क े लरए, अऩनी वचनफद्ता प्रदलशतत कयता है।  भौलरक अधधकायों का कानूनी भहत्व है, जफकक ननदेशक लसद्ांत नैतिक आदेश भात्र हैं। जी.एन. जोशी क े अनुसाय- याज्म नीनत क े ननदेशक लसद्ांत भानवीम आदशतवाद क े ढेय हैं, जजन्हें ऐसे व्मजततमों ने संगृहीत ककमा है जो दीघतकालरक स्वतंत्रता संग्राभ की सभाजतत क े ऩश्चात् स्वजतनर बावानतयेक की जस्थनत भें थे।  भौलरक अधधकायों को (अनुच्छेद 20 तथा 21 भें वखणतत अधधकायों को छोडकय) अनुच्छेद 352 क े अंतगतत घोवषत आऩातकारीन जस्थनत भें प्रवततन कार भें स्थधगत ककमा जा सकता है, जफकक ननदेशक तत्वों का जफ तक कक्मान्वमन नहीं होता तफ तक वे स्थामी रूऩ से स्थगन की अवस्था भें ही फने यहते हैं।  भौलरक अधधकाय सावतबौभ नहीं हैं, उन ऩय क ु छ प्रनतफंध हैं, जफकक ननदेशक लसद्ांतों ऩय कोई प्रनतफंध नहीं है।
  • 15. मूऱ अधधकारों एवं तनदेशक सिद्ांिों क े मध्य िंबंध एवं िकराव  जैसा कक ववददत है कक भूर अधधकाय ववधध क े भाध्मभ से प्रवततनीम हैं तमोंकक वे प्रत्माबूत अधधकाय हैं ककं तु ननदेशक तत्वों को इस प्रकाय प्रवृत्त नहीं कयामा जा सकता। इस कायण दो ऩरयजस्थनतमां उत्ऩन्न होती हैं-  ककसी व्मजतत द्वाया भूर अधधकाय का प्रमोग ननदेशक तत्व से असंगत हो सकता है- एक कसाई का अऩना कायोफाय चराने का अधधकाय औय अनुच्छेद-48 जजसभें गोवध का प्रनतषेध ककमा गमा है।  ककसी ननदेशक तत्व को प्रबाववत कयने वारा ववधान ककसी भूर अधधकाय का अनतरंघन कयता है मा उसे ऺीण कयता है। न्मूनतभ भजदूयी तम कयने वारा ववधान अनुच्छेद 19(1)(छ) क े अधीन व्माऩाय क े अधधकाय का उल्रंघन कयता है।  संववधान का अनुच्छेद-31(ग) मह स्वीकाय कयता है कक ऐसी ऩरयजस्थनतमां आ सकती हैं जजसभें भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्वों भें संघषत हो। उसभें मह अधधकधथत है कक मदद संववधान क े बाग-4 भें अंतववतजष्ट लसद्ांतों की कक्माजन्वत कयने क े लरए कोई ववधध अधधननमलभत की जाती है तो उस ऩय इस आधाय ऩय आक्भण नहीं ककमा जा सकता है कक वह भूर अधधकाय से असंगत है। ऐसी ववधध भूर अधधकाय ऩय अलबबावी होगी। इस प्रकाय अनुच्छेद 31(ग) ननदेशक तत्वों की कक्माजन्वत कयने वारी सबी ववधधमों को भूर अधधकायों ऩय प्राथलभकता देता है।  भद्रास याज्म फनाभ चंऩकभ भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम ने स्ऩष्ट रूऩ उनक े सहामक क े रूऩ से कहा की तनदेशक ित्वों को मूऱ अधधकार क े अध्याय क े अनुरूऩ और उनक े िहायक क े रूऩ में में कायथ करना होगा।
  • 16.  डा. ऩी.क े . त्रत्रऩाठी ने न्मामारम क े ववचायों से असहभनत प्रकट कयते हुए कहा कक भूर अधधकायों की श्रेष्ठ कहना सही नहीं है। दोनों का सभजन्वत अथातन्वमन ककमा जाना चादहए। क े यर लशऺा ववधेमक (1959) भें उच्चतभ न्मामारम ने सभन्वमकायी ननवतचन का ननमभ अंगीकाय ककमा। न्मामारम ने मह संप्रेऺण ककमा कक सभन्वमकायी अथातन्वमन का लसद्ांत स्वीकाय ककमा जाना चादहए औय भूर अधधकाय तथा ननदेशक तत्व, दोनों को प्रबावी कयने का प्रमास ककमा जाना चादहए। क े शवानंद बायती फनाभ क े यर याज्म (1978) भें न्मामारम ने एक फाय कपय मह कहा कक इन दोनों भें ऊ ं च-नीच का बेदबाव नहीं ककमा जाना चादहए। न्मामारम ने दो लसद्ांत प्रनतऩाददत ककए-  भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्व दोनों सभान रूऩ से भौलरक हैं मद्मवऩ ननदेशक तत्वों को न्मामारम द्वाया प्रवनततत नहीं ककमा जा सकता।  भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्व एक-दूसये क े अनुऩूयक हैं औय एक-दूसये को ऩूणतता प्रदान कयते हैं।  लभनवात लभल्स भें न्मामारम ने कपय से मह कहा कक भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्वों क े फीच सभन्वम औय असंतुरन संववधान की आधारयक संयचना का आवश्मक रऺण है। लभनवात लभल्स क े ऩरयणाभस्वरूऩ अनुच्छेद-31(ग) की अंत्स्थाऩना क े ऩश्चात् बी ननदेशक तत्वों को भूर अधधकायों ऩय प्राथलभकता नहीं दी जा सकती। उच्चतभ न्मामारम ने ऩूवतवती ननणतमों भें भूर अधधकायों की श्रेष्ठता फताते हुए जो भत अलबव्मतत ककमा था वह अफ फदर गमा है। भूर अधधकाय औय ननदेशक तत्व एक ही धयातर ऩय हैं। मदद उनभें कोई संघषत ददखाई ऩडता है तो न्मामारम की चादहए कक न्मामानमक ऩुनववतरोकन की अऩनी शजतत का प्रमोग कयते हुए उसका सभाधान ननकारे।  न्मामारम ककसी ववधध की जो ननदेशक तत्वों से असंगत है शून्म घोवषत नहीं कय सकते ककं तु न्मामारमों ने ऐसी ववधध को ववधधभान्म ठहयामा है जो ननदेशक तत्व की कक्माजन्वत कयने क े लरए अधधननमलभत की गई थी।  संजीव कोक फनाभ बायत कोककग भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम ने मह भत प्रकट ककमा कक लभनवात लभल्स भें न्मामारम की याम का मह प्रबाव है कक अनुच्छेद 31(ग) उस रूऩ भें ववद्मभान है जजसभें वह 42वें संशोधन क े ऩहरे था। वह क े वर उन्हीं ववधधमों को सुयऺा देता है जो अनुच्छेद 39(ख) औय (ग) की कक्माजन्वत कयने क े लरए फनाई गई हैं। प्रोऩटी ओनसत एशोलसएशन फनाभ भहायाष्र याज्म (2001) भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम की एक ऩीठ ने मह याम दी है कक संजीव कोक फनाभ बायत कोककं ग भाभरे ऩय ऩुनववतचाय ककमा जाना चादहए।