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Jara yaad karo kurbani
1. जरा याद करो क बानी
ु
पा
– 1) रानी ल मी बाई
2) सु भाष च
बोसे
3 )भगत सं ह
4) जवाहर लाल नेह
5) महा मा गांधी
रानी: अं ेज़, ये अं ेज़ तो पीछा ह नह ं छोडते है।
सु भाष: अं ेज़ , कहाँ है अं ेज़ , वहाँ भी अं ेज़ , यहाँ भी अं ेज़।
भगत सं ह: साइमन गो बैक, अं ेज भारत छोड़ो। तानाशाह नह ं चलेगी।
नेह : अरे कसक ।
भगत सं ह: कसी क भी।
सु भाष: don’t get excited भगत
रानी: exactly and to you also सु भाष जी। मेरा मतलब था क ये अं ेज़ तो सपने मे भी पीछा नह ं
छोडते।
माफ क िजएगा
या मै इस मी टंग मे आने क लए लेट हो गयी।
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या हम सभी लेट है। लेट सु भाष , लेट भगत, लेट गांधी और लेट नेह ।
नेह : हा हा हा ....आप
इसी लए तो हम सभी
वग मे है,
यू सु भाष ?
सु भाष: बहु त ह घ टया जोक था पं डत जी लगता है आजकल आप ला टर चैलज बहु त दे ख रहे है तभी ऐसे
,
,
घ टया जोक मार रहे ह।
रानी:
या जमाना आ गया है, अरे हमारे जमाने मे तो अं ेज़ लोग चैलज हु आ करते थे , आज तो ला टर ह
चैलज बन गया है, लोग हँसना भू ल गए ह,
गांधी: अरे भाई लोग, काई को इतना सोर मचा रे ले हो, ड टबस हो रहा है।
नेह : अरे बापू आप तो ऐसे न थे,
गांधी: अरे माफ क रएगा , वो
या है क आजकल जब भी हम मु ना से मलने नीचे जाते ह तो उसका असर
हम पर पड़ ह जाता है।
नेह : बापू आपने इस मु ना और स कट को बहु त बगाड़ रखा है क छ दन पहले हम दे श का हाल चाल
, ु
जानने क लए नीचे गए थे तो ये दोन
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मल गए। तो मु ना बोला “ए मामू काइसा है रे”
हमने बोला मै मामू नह ं चाचू हू,ँ चाचा नेह ,
डे पर काई क आईला है, तू जा क च
ु
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हमार आ य
इतने मे स कट बोला “ आईला अगर तू चाचा है तो वालटाइन
ेन डे पर आ ना ।“ अब बताइये इस दे श को च
ता ह नह ं है।
ेन’स डे क अलावा
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सु भाष: पं डत जी , सफ आपक साथ नह ं हमारे साथ भी यह सम या है, पू रे साल मे कवल एक एक दन
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दया गया है हमको। नेशनल हो लदाय होता है इस लए मजबू र मे जनता हम याद कर लेती है।
रानी: उसक बाद हु म
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लॉप ए टर क तरह भु ला दया जाता है।
गांधी: अरे ऐसा नह ं है आप बहु त गु से वाल है दे श अभी भी हम याद रखता है, चार पाँच तो भगत बन
,
चु क है, सु भाष भी बन चु क है, झाँसी क रानी तो सोमवार से शु वार आती है, और म गांधी तो अ सर
बनती रहती है।
2. भगत: नह ं बापू ये नह ं चलेगा, हम
दे श को आजाद कराया था।
डम फ तर ह कोई पु राने फ मी टाइटल नह ,
ं
या इसी दन क लए
े
रानी: कछ भी कहो मै तो अपने हं द ु तान वापस जा रह हू ँ और मने अपना सारा सामान पाक भी कर लया
ु
,
हैअपने घोड़े पर।
सु भाष: घोड़े पर , हा हा हा .....घोड़े पर।
गांधी: आप हं द ु तान घोड़े पर जाएंगी तो लोग हसगे, कहगे क दे श आगे बढ़ गया है और आप अभी तक घोड़े
पर ह है।
रानी: खा गए न धोखा बापू, दे श कहाँ आगे बढ़ा है सफ ग ढे बढ़े है, चाँद पर जीतने गढहे है उससे कह ं
यादा तो हमार दे श क सदको पर है, अब वहाँ गा डयाँ नह ं घोड़े ह दौड़गे।
जरा नीचे कभी झाक कर तो दे खये , गांधी माग पर रोज तो घंटे जाम लगा रे हता है।
े
भगत: हा हा हा ....
रानी: आप
या हंस रहे है, भगत सं ह रोड तो अब बची ह नह ं ...वहाँ तो ठे ले वाल ने क जा कर रखा है।
सु भाष: ऑर रानी जी सु भाष चौक पर?
रानी: सु भाष चौक पर तो स नल हमेशा रे ड रहता है।
सु भाष जी अगर आप आज आज़ाद ह द फौज लेकर आ रहे होते तो द ल कभी न पहु ँचते गु ड़गाँव मे ह होते
गांधी:अ छा है हु मे उस जमाने मे ह दांडी माच कर ल वरना नमक कानू न बाद मे टू टता हम सब क टं गे
पहले
नेह :मु झे फर भी लगता है घोड़े पर जाना ठ क नह ं है ,ज़रा समझने क को शश क रए॥
रानी:
या समझे नेह
जी आज आपने पे ोल क रे ट सु ने है िजतने पैसो मे गाड़ी का टं क फ ल होता है उतने
े
ु
मे तो नह ं गाड़ी आ जाए आज क डेट मे महंगाई इतनी बढ़ गई है क हम तो सफ चना अफोट कर सकते है
े
या आप लोग ये जानते है मेरा ये घोडा 1 कलो चने मे 30 का ए ेज दे ता है।
गांधी : अरे
या महंगाई ऑर
बहु त ह सु ंदर दखता है।
या सड़क मे ग ढे ,मने तो करन जौहर क
रानी:अरे यह तो बात करन जौहर् क
वदे श मे होती है।
फ मे दे ख है उसमे तो ह दु तान
फ म मे हमार दे श इस लए सु ंदर दखता है
सु भाष : रानी जी भारत जाने से पहले एक बार फर सोच ल िजये
य क आप वहाँ सफ झाँसी क रानी थी
ऑर अब तो सु ना है अब तो ऑर भी बड़ी महरा नय है ऑर उनक गले मे नोटो क
े
उसका एक एक नोट आपक खजाने से भी
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यादा क मती है।
रानी: मु झे मालू म है आप लोग मेरे हं द ु तान जाने पर हंस रहे है, पर
उसे दे खने का , उसे सु धारने का मन तो करता है न।
यो क उनक शू टंग
मलाए पड़ी होतीं है ऑर
या करे अपना दे श तो अपना दे श है,
नेह : आप तो बहु त सट मटल हो गयी रानी जी, हम सब तो मज़ाक कर रहे थे, हम सब भी यह चाहते ह क
दे श का भला हो।
सु भाष; ठ क कहा पं डत जी, मु झे अ छा नह ं लगता क अपने दे श वाल को ह
वदे शी छ जो क बीमार लग
गयी है, कहने का मतलब है क आजकल हर चीज वदे शी है , खाना वदे सी , पहनना वदे शी, यहाँ तक क
गाना भी वदे शी।
गांधी: अब
या कह, एक जामन था जब भारत को सोने क
च ड़या कहा जाता था।
नेह : ले कन अब तो सोने क ख टया कहा जाता है, हमारे नेता लोग संसद मे सो रहे है।
3. गांधी: दे खये अब तो सभी को पता है क इस दे श को अब हमार याद सफ पं ह अग त और छ बीस जनवर
क अलावा नह ं आती , हमने तो लोग क दल तक पहु ँचने का सोचा था पर हम सभी रा ते क साइन बोड
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बन कर रे ह गए ह।
नेह : और अब तो हमारे पु तले भी छोटे हो गए है,
पु तले जो बन गए है,
रानी: वैसे भी आधे से
यू क हमारे ह बगल म हमसे भी बड़े िज़ंदा नेताओं क
े
यादा नेता तो पु तले ह है इस दे श मे, अरे हमारे दे श मे
रहती है और ये नेता पु तले बने दे खते रहते है।
टाचार , चोर चाकर होती
अपने हक क लए भी अ ना जैसे लोग को अपने ह दे श क लोग से लड़ना पड़ता है।
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सु भाष: ये अ ना कौन है?
बापू: अरे आप अ ना को नह ं जानते? आज तो हं द ु तान मे ब चा ब चा कहता है क “ मै अ ना हू ँ”। दे श को
सु धारने क लए एक दे श
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भगत : तो
ेमी ने आंदोलन चला रखा है , अब इस दे श मे लोग को आगे आना होगा।
या हर दन कसी अ ना को आगे आना होगा, तभी दे श का भला हो सकता है,।
यू क इस दे श
क लोग क छ दन बाद हमार ह तरह अ ना को भी भु ला दगे।
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नेह : सह कहा आपने, हमने तो इस दे श मे एकता लाने क
कतनी कोशीशे क थी, ले कन दे श आज भी धम
क नाम पर लड़ रहा है, अभी हाल मे ह हु ए मु रादाबाद क दंगे इसक एक झलक है ।
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भगत: हमारे समय मे तो हम सभी खेल खेल मे ह अं ेज क छकक छड़ा दया करते थे।
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रानी; अरे अब खेल खेल ह कहाँ रहा है, अब तो ना जाने खेल क नाम पर
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वै थ खेल मे हु ए घोटाल को ह दे ख ल िजये।
या
या होता है, न हो तो कॉमन
मेरा बस चले तो म अपने दे श मे छपे आ तीन क साप क टु कड़े टु कड़े कर दू ँ।
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गांधी: अरे रानी जी, आप इस सौ करोड़ क जनसं या मे कन कन सापो को मरगी, और वैसे भी हं सा से
आजतक हु आ भी
या है। दे श मे सु धार तो तभी संभव है जब जन जन मे नवचेतना का उदय हो ।
नेह : और नवचेतना तो तभी संभव है जब हमारे दे श का
[सभी: तो आओ हम सब मलकर ये
येक नाग रक दे श मे सु धार क लए सोचे।
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ाण करे क दे श सु धार क लए
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य न करगे और
टाचार,
सां दा यकता और ऐसी अ य बु राइया जो दे श को अंदर से खोखला कर रह है उ हे जड़ से मटाएँग।]
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जय ह द