2. बचेंद्री पाल
इनका जन्म सन 24 मई, 1954 को उत्तराााांचल
क
े चमोली जजले क
े बमपा गााााँव में ह ु आ।
अत: बचेंद्री को आठवीााां से आगे की पढ़ाई
का िुच भसलाई ण - कढ़ाई करक
े जट ुाना
पड़ा। ववषम पररजस्िुततयोाां क
े बावज़दू
बचेंद्री ने सााांस्क ुत में एम.ए. और िकर बी.
एड. की िभक्षा हाभसल की। बचेंद्री को
पहाद् ओााां पर चढ़ने िुु क़ बचपन से िुुा।
पढ़ाई प ुू री करक
े वह एवरेस्ट अिभयान –
दल में िुुाभमल हो गईाां।
3.
4. माउााां ट एवरेस्ट (नेपाली:सगरमािुुा, सााांस्क ुत:देवगगरर,
ततब्बती:चोङ्गमाल ुङ्गमा) दत ु नया की सबसे उााांची चोटी है
जो ८८४८ मीटर ऊााां ची है । इसकी उााां चाई का सवणििम पता
एक िुुारतीय गखततज्ञ राधानािु भसकदर ने १८५२ में लगाया
िुुा । उस समय सर जॉजण एवरेस्ट उन ददनोाां िुुारत क
े
सवयर ु
े जनरल िुु
े जजनक
े नाम पर इस चोटी का नाम
माउााां ट एवरेस्ट रर ददया गया, पहले इसे xv क
े नाम से जाना
जाता िुुा । माउााां ट एवरेस्ट की ऊाााँ चाई उस समय २९,००२
फ ुट या ८,८४० मीटर मापी गई । वैज्ञातनक सवेक्षर्ुोु
ाां में
कहा जाता है कक इसकी ऊााां चाई िततवषण २ से.मी. क
े
दहसाब से बढ़ रही है । नेपाल में इसे स्िुुानीय लोग
सागरमािुुा नाम से जानते ह ।
Introduction
5. िस्तत लेिु में बचेंद्री पाल ने अपने अिभयान का
रोमाााांचकारी वणतन ककया है कक 7 माचण को एवरेस्ट
अिभयान दल ददल्ली से काठमाााांड
ू क
े भलए चला।
नमचे बाज़ार से लेखखका ने एवरेस्ट को तनहारा।
लेखखका ने एवरेस्ट पर एक बड़ा िुुारी बफण का िु ुू
ल देिुुा। यह तेज़ हवा क
े कारर् बनता है। 26 माचण
को अिभयान दल पैररच पह ु ुाु
ााँ चा तो पता चला
कक िुिु ु ुाुाां ु दहमपात पर जाने वाले िुरेपा क ु
भलयोाां में से बफण खखसकने क
े कारन एक क ु ली की
म ु त्य ुहो गई और चार लोग घायल हो गए। बेस क प
पह ु ुाुााँ चकर पता चला कक िततक ुू ल जलवाय ु
क
े कारर् एक रसोई सहायक की मत्ु य ुहो गई है।
िकर दल को ज़रुरी ििभक्षर् ददया गया।
Introduction
6.
7. 29 अिैल को वे 7900 मीटर ऊाााँचाई पर जस्िुत बेस
क प पह ु ुाुााँ चे जहााााँ तेनजजााांग ने लेखखका का
ह सला बढ़ाया। 15-16 मई, 1984 को अचानक रात
12:30 बजे क प पर ग्लेिभयर टू ट पड़ा जजससे क प
तहस-नहस हो गया , हर व्यजत चोट-ग्रस्त ह ु आ।
लेखखका बफण में दब गई िुुी। उन्हें बफण से
तनकाला गया। िकर क ु छ ददनोाां बाद लेखखका
सािउकोल क प पह ु ुाुााँ ची। वहााााँ उन्होाांने पीछे आने
वाले सािगयोाां की मदद करक
े सबको िुिु ु कर
ददया। अगले ददन वह िात: ही अुाुाां गदोरज़ी क
े सािु
िभिुर – यात्रा पर तनकली। िअक पररश्रम क
े बाद वे
िभिुर – क प पह ु ुाुााँ चे।
Introduction
8. एक और सािुुी ल्हाटू क
े आ जाने से और ऑ
सीजन आप ु
ू
ततण बढ़ जाने से चढ़ाई आसान हो गई। 23 मई , 1984 को
दोपहर 1:07 बजे लेखखका एवरेस्ट की चोटी पर िुड़ी िुुी।
वह एवरेस्त पर चढ़ने वाली पहली िुुारतीय मदहला िुुी।
चोटी पर दो व्यज
तयोाां क
े सािु िुड़े होने की ज़गह नहीााां िुुी,
उन्होाांने िबण क
े िुुावड़े से िबण की िुद ुाई कर अपने आप
को सरक्षक्षत ककया। लेखखका ने घ ुटनोाां क
े बल बैठकर
‘सागरमािुु
े ’ क
े ताज को च ु
ू मा। िकर दग ु ुाण मााााँिता
हन ु मान चालीसा को कपडे में लपेटकर बफण में दबा
ददया। अगााां दोरज़ी ने उन्हें गले से लगकर बधाई दी। कनलण
िुल् ु लर ने उन्हें बधाई देते ह ु ए कहा – म त म्हरे मात-
वपता को बधाई देना चाह ु
ू ुाु
ााँ गा। देिु को त म पर गवण
है। अब त म जो नीचे आओगी , तो त म्हें एक नया सााांसार
देिुने को भमलेगा।
Introduction