29. ननंद्रा में मनुष्य को जो स्वप्न दीखता िै
उसे वो सच्चा िी मान लेता िै पर जैसे
िी नींद चली जाती िै तब पता चलता िै
ऐसी िी दशा सुधारवश इंसान की िै |
30. बिोत िुलशयार और भले इंसान इसमें पड़े िै,
उनके दीखावे से िम अन्धे िो जाते िै और
ऐसे करके एक के बाद एक उसमे फं स जाते
िै
31. मनुष्य बािर की शोध को और
शरीर सुख को साा तक और
पुरुषाा त मानता िै
सुधार
32. १०० साल पिले यूरोप में लोग स्जस मकान में
रिते ा े अभी इससे अच्छे मकान में रिते िै ये
ववकास(सुधार) की ननशानी िै पर इसमें शरीर सुख
की िी बात िै
सुधार
33. पिेले इंसान चमड़े का वस्र
पिेनता ा ा और भाले का
उपयोग भी करता ा ा
सु धा र
34. अभी यूरोप के वस्र पिेनते िै, और भाले
की जगि पांच घाव करे ऐसे बन्दुक का
उपयोग करते िै, ये सुधारे की ननशानी िै
तया ?
सुधार
35. कोई देश के लोग जोड़े { बूट या चम्पल }
पिेंनते िो और यूरोप के वस्र को पिेनने लगे
तो वो जंगली दशा में से सुधारवाली दशा में
आया किेलायेंगे ?
सुधार
36. पिेले इंसान िल से खेती करता
ा ा अभी वरालयंर से करके
ज्यादा जमीन खेड के ज्यादा
पेसा बना लेता िे यिी
सुधार(ववकास) की ननशानी िै
सुधार
37. पिले इन्सान बेलगाडी से एक हदन में
बारि गउ दूर जा सकता ा ा अभी रेल
से चारसो गउ की दुरी तक जा सकता ि
इसको सुधार की सबसे ऊाँ ची ननशानी
मानते िै
सुधार
38. पिले इन्सान लड़ने के ललए खुद के शरीर
का इस्तमाल करते ा े अभी तोप से िजारो
की जान ली जा सकती िै यिी सुधार की
ननशानी िै
सुधार
39. इन्सान को पेसे और भोग की र्ार्च
दे के गुर्ाि बनाया जाता िै
सुधार
40. इंसानों िें जो बबिाररया नि ं थी वो बढ़ गई
और डॉक्टसल इन को मिटाने की खोज िें र्ग
गये इसीसे िॉस्स्पटर् बढ़ गए इसको सुधार
की तनशानी किते िै
सुधार
41. इस सुधार में नननत और
धमत की बात िै िी निीं
सुधार
42. उपर की बातो में नननत की बात
निीं िो सकती ये तो बच्चा भी
जानता िै
सुधार
43. शरीर सुख के ललए िी सुधार(ववकास)
मिेनत करता िै कफर भी सुख निीं
लमलता
सुधार
75. इन्सान को अक्कर् खुदा को
जानने के मर्ए ि द थी र्ेककन
वो इसीका इस्तिार् खुदा को
भुर्ाने िे ि करता िै
76. िुझे िेर प्राकृ ततक िद के अनुसार िेरे
आसपास के र्ोगो की ि सेवा करनी चाहिए
र्ेककन िेने िेरे अिि् से सोच मर्या की
इसी शर र से पूर दुतनया की सेवा करूूँ गा
77. रेर् बडा ि तूफानी साधन िै
इन्सान इसीका इस्तिार् करके
खुदा को भूर्ता िै
212. पस्श्चि के प्रताप से दबकर मशक्षा दे
रिे िै र्ेककन आगे पीछे का ख्यार्
नि ं करते
213. अंग्रेज पंडडत : मशक्षा के बारे िें किते िै
वि इन्सान को सहि मशक्षा मिर्
िै स्जसने अपने शर र को वश िें
ककया िै खुद का शर र उसीके
तनयंत्रण िें िै,शर र को हदया िुआ
काि शर र की इस्न्द्रया बराबर
करती िै और कु दरत के तनयिो
का पार्न करता िै
245. जो वकील िै वो वककलात छोड़ देगा
और अपने घरमे चरखा चलाएगा
246. जो डॉक्टर िो वो डॉक्टर छोड़ दे और
सिजे की र्ोगो के शर र की जगि
आत्िा का संशोधन करके इसे अच्छा
बनाए
247. जो पेसे वार्े िै वि खुद का पेसा चरखे
र्गाने र्गाए और खुद स्वदेशी िार्
पिनके दुसरो को प्रेररत करे
248. सब ये बात सिजर्े की बोर्ने
से काि करने की असर बहढ़या
िोती िै
249. सब हिन्दवासी सिजर्े की दुसरे
र्ोग करेंगे तो िें करूूँ गा ये नि ं
करने का अच्छा बिाना िै
250. स्वराज की चाबी सत्याग्रि,आत्िबर्,
द्याबर् िै
इस बर् का इस्तिार् करने के मर्ए
स्वदेशी को पकड़ ने की जरुरत िै
251. संपकत +91 9426281770 , 9974429179
ईमेल : rilshukla.anant@gmail.com
Revolution In Life 251
भारतीय संस्कार समितत
ििात्िा गाूँधी के हिन्द स्वराज ककताब िें से