मोहनदास करमचंदगांधी भारत एवं भारत य
स्वतंत्रता आदं ो लन
के
एक प्रमोख राजनैततक
एवंआध्यात्ममक नेता थे। वे समयाग्रह - व्यापक
सववनय अवज्ञा के माध्यम से अमयाचार के
प्रततकार के अग्रण नेता थे, उनकी इस
अवधारणा की न ंव संपोणण अहहसोा पर
रख गई थ त्जसने भारत क आजादी हदलाकर
पोरीदतो नया में
जनता के
नागररक
अधधकारोंएवं स्वतंत्रता के
प्रेररत ककया।
प्रतत आंद लन के ललए
3.
म हनदासकरमचंद गांध
गजो
रात अथवा हहदं ो में
परफ्योमरभाग
वण
की मानक व्याख्या वाली हहदी-
अग्रं
ोेज डिक्शनरी,
काजन्म पत्चचम भारत के
वतम
ोान
गजो
रात, में प रबंदर नामक
स्थान पर २ अक्तोबर १८६९ .एक तटीय शहर में होआ।
उनकेवपता करमचंद गांध हहदं ो म ध समदो ोाय
से
स
ब
ोंध रखते
थेऔर अग्रं ोेजों के अध न वाले भारत के काहहयावाड़
एजन्से ो में एक छ टी स ररयासत प रबंदर प्रांत के
दीवानअथाणत प्रधान मत्र थे।परनाम वैष्णव हहदं ोसमदो
ोाय की उनकीमाता पोतलीबाई करमचंद की चौथ पमन थ ,
उनकी पहलीत न पत्मनयााााँ प्रसव के समय मर गई
थ ं।भत्क्त करने वाली माता की देखरेख
और उस क्षेत्र की जैन पंरपराओं के कारण
यवाो म हनदास पर वे
प्रभाव प्रारम्भ मे ही
पड़
भलो मका
गए,ज
उनके
ज वन में
महमवपोणणतनभाने वाले थे।
गांध और उनकी पमन
4.
दक्षक्षण अफ्रीकामें गान्ध क भारत यों पर भेदभाव का
सामनाकरना पड़ा। आरम्भ में उन्हें प्रथम श्रेण क च की वैध हटकट
ह ने के बाद त सरी श्रेण के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के
ललएट्रेन से बाहर फें क हदया गया था। इतना ही नहीं पायदान
पर शेष यात्रा करते होए एक योर वपयन
यात्र के
अन्दर आने
पर चालक की मार भ झेलन पड़ । इस तरह ही बहोत
सघटनाओं में से एक यह भ थ त्जसमें अदालत के न्यायाधश
ने उन्हें अपन पगड़ उतारने का आदेश हदया
था त्जसे उन्होंने नहीं माना। अन्याय क देखते
होए गान्ध ने
अग्रं
ोेज साम्राज्य के
अन्तगतणअपने देशवालसयों के सम्मान तथा देश में
स्वयं अपन त्स्थतत के ललए प्रचनगांध दक्षक्षण अफ्रीका म
5.
महाममा गााााँधका भारत य स्वतंत्रता संग्राम
के
ललए
सघ
षण
मझो
ोे
अतत प्रेररत करता है।
चंपारण और खेडा
गांध की पहली बड़ उपलत्ब्ध १९१८ में
चम्पारन और खेड़ा समयाग्रह, आंद लन में
लमली हालांकक अपने तनवाणह के ललए जरूरी
खाद्य फसलों की बजाए न ल नकद पैसा देने
वाली खाद्य फसलों की खेत वाले आंद लन
भ महमवपोणण रहे।
लेककन
इसके
प्रम
खो
प्रभाव उस समय देखने
क लमले जब उन्हें अशांततफै लाने के ललए
पलो लस ने धगरफ्तारककया और उन्हें प्रांत
छ ड़ने के ललए आदेश हदया १९१८ में खेड़ा और चंपारन
समयाग्रह के समय १९१८ में
6.
गांध जसककय राजन तत से
दरो
ही रहे और १९२० की
अधधकांश अवधध तक वे स्वराज पाटी और इंडियन
नेशनल कांग्रसे के ब च खाई क
भरने में लगे रहे और इसके
अततररक्तवे अस्पचो यता , शराब , अज्ञानता और
गरीब के
खखलाफ आंद लन छे ड़ते भ रहे।गांध ज ने
माचण १९३० में नमक पर कर लगाए जाने
के ववरध में नया समयाग्रह चलाया
त्जसे १२ माचण से ६ अप्रेल तक नमक
आंद लन के याद में ४०० ककल म टर (२४८
म ल) तक का सफर
अहमदाबाद से दांउोो ,
गजो
रात तक चलाया गया
ताकक स्वयं नमक उमपन्न ककया जा सके
और नमक पर लगे र क क हटाया।दांउोो में गााााँध ,५
अप्रैल,१९३०, के अतं
7.
इस आंदलन में महाममा गांध ने बहोत अच्छा
प्रदशनण
ककया,
त्जस्से मैं बहोत प्रेररत होआ। द्ववत य ववचव योद्ध १९३९
मेंगांध ज ने अग्रं ोेजों के प्रयासों क
अहहस
ोाममक नैततक
सहय ग नेताओं ने
योद्ध में
देने का पक्ष ललया ककोंतो
दस
रे कांग्रेस
के
जनता के प्रतततनधधयों के परामशण ललए बबना इसमें
एकतरफाशालमल ककए जाने का ववर ध ककया। कांग्रेस
के
सभ
चयतनतसदस्यों ने सामहो हक तौर पर अपने पद से
इस्त फा दे हदया।लब चचाण
के
बाद , गांध ने घ षणा की कक जब स्वयं भारत
क आजादी से इंकार ककया गया ह तब ल कतांबत्रक आजादी
के ललएबाहर से लड़ने पर भारत ककस भ योद्ध के ललए
पाटी नहीं बनेग । जसै ोे
ज
सै
ोे
योद्ध
बढता
गया गांध
अंग्रेजोंज ने आजादी के ललए अपन मांग क
क भारत छोडो आन्दोलन
नामक ववधेयक देकर त व्र कर हदया।
8.
कई जवन लेखकों ने गााााँध के ज वन
वणनण
का कायण ललया
हैउनमें से द कायण अलग हैं;
उो ो ज तेंदलो
कर अपने महाममा
केसाथ. म हनदास करमचंद गााााँध का ज वन आठ खंडों में है और
महाममा गााााँध के साथ प्यारेलाल और
सशो
ो ला नायर १०
खंउोो ों ने कहा
की अपने
में है.कनलण ज ब
अमररकीोे सनाोे
के
लस
हंतथ्याममक श ध पोस्तक गााााँधी:
बेहाय डं
द मास्क फ़
डडव
उ
न्
स
का
औ
यं
ि यनटी
के
मलो भाषण और लेखन के
ललएहोंने अपने २० वषणलगा हदए।गााााँध ज
एक फल लेखक थे.कई
दशकों तक वे अनेक पत्रों
सपं ोादन कर चको ोे थे त्जसमे गजो
रात , हहन्दी
र अग्रं ोेज में हररजन और अग्रं ोेज में
ग इंडिया प्रकाशन हहन्दी में भ होआ।
गााााँध जने अनेक लसद्धांत व आदशण
प्रस्तोत ककये हैं । इन्ही लसद्धांतऔर आदशों
के कारण गााााँध ज मरे ोे ज वन के
आदशण है। इनसे प्रभाववत ह कर आज मैं
अपने ज वन पथ पर आगेबढ रहा होोाोााँ
और यही क लशश करूं गा ककइनके द्वारा
कही होई हर बात कमैं ग्रहण करूं और इनके द्वारा बताए
होएमागण
पर
चलो
ों ।