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स्वतंत्र भारत में राजनीतत
अध्याय – 6 लोकतान्त्रत्रक व्यवस्था का संकट
by
Dr Sushma Singh
(Core Academic Unit DOE GNCT of Delhi)
पाठ के अंत में हम जान पाएंगे:
25 जून 1975 से 18 माह तक अनुच्छेद 352 के प्रावधान आंतरिक अशांतत के तहत भाित में
आपात काल लागू िहा । आपात काल में देश की अखंडता व सुिक्षा को ध्यान में िखते हुए समस्त
शक्ततयााँ कें द्रीय सिकाि को प्राप्त हो जाती हैं ।
1. आपात काल के प्रमुख कारक
I. आर्थिक कारक
a. गिीबी हटाओ का नािा कु छ खास नहीं कि पाया था ।
b. बांग्लादेश के संकट से भाित की अथथव्यवस्था पि भिी बोझ बढ़ा था ।
आपात काल के प्रमुख कारक1
आपात काल की घोषणा 2
आपात काल के पररणाम3
आपात काल पर बहस 4
आपात काल के दौरान ककए गए कायि5
आपात काल के सबक 6
आपात काल के बाद की राजनीतत7
शाह आयोग 8
शाह आयोग द्वारा एकत्र
ककए गए प्रामाणणक तथ्य
9
नागररक स्वतरत्रता संगठनों का उदय 10
2
c. अमेरिका ने भाित को हि तिह की सहता देनी बंद कि दी थी ।
d. अंतिाथष्ट्रीय बाजाि में तेल की कीमतों के बढ्ने से ववभभन्न चीजों की कीमतें
बहुत बढ़ गई थी ।
e. औद्योगगक ववकास की दि बहुत कम हो गयी थी ।
f. शहिी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बेिोजगािी बहुत बढ़ गई थी ।
g. सिकाि ने खचे कम किने के भलए सिकािी कमथचारियों का वेतन िोक ददया
था ।
II. छात्र आंदोलन
a. गुजिात के छात्रों खाद्यान्न ,खाद्य तेल अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती
हुई कीमतें तथा उच्च पदों पि व्याप्त भ्रष्ट्टाचाि के खखलाफ जनविी 1974
में आंदोलन शुरू ककया ।
b. माचथ 1974 में बढ़ती हुई कीमतों, खाद्यान्न के अभाव, बेिोजगािी औि
भ्रष्ट्टाचाि के खखलाफ बबहाि में छात्रों ने आंदोलन शुरू कि ददया ।
c. जय प्रकाश नािायण (जे पी) ने इस आंदोलन का नेतृत्व दो शतों पि स्वीकाि
ककया ।
d. जय प्रकाश नािायण ने सम्पूणथ क्ांतत द्वािा सच्चे लोकतन्त्र की स्थापना
की बात की थी ।
e. जे पी ने भाितीय जनसंघ, कांग्रेस (ओ), भाितीय लोकदल, सोशभलस्ट पाटी
जैसे गैि -कांग्रेसी दलों के समथथन से ‘ संसद -माचथ ‘ का नेतृत्व ककया
था ।
f. इंददिा गांधी ने इस आन्दोलन को अपने प्रतत व्यक्ततगत वविोध से प्रेरित
बताया था ।
III. नक्सल वादी आंदोलन
1 आंदोलन
अदहंसक िहेगा ।
2 यह बबहाि तक
सीभमत नहीं िहेगा, अवपतु
िाष्ट्रव्यापी होगा ।
3
a. इसी अवधी में संसदीय िाजनीतत में ववश्वास न िखने वाले कु छ मातसथवादी
समूहों की सकक्यता बढ़ी ।
b. इन समूहों ने मौजूदा िाजनीततक प्रणाली औि पूंजीवादी व्यवस्था को समाप्त
किने के भलए हगथयाि औि िाज्य वविोधी तिीकों का सहािा भलया ।
c. 1967 में मातसथ वादी कम्युतनस्ट पाटी के लोगों के नेतृत्व में पक्श्चम बंगाल
के दाजथभलंग क्जले के नतसलवादी इलाके के ककसानों ने दहंसक ववद्रोह ककया
था , क्जसे नतसलवादी आंदोलन के रूप में जाना जाता हैं ।
d. 1969 में चारु मजूमदाि के नेतृत्व में सी पी आई (मातसथवादी -लेतननवादी
)पाटी का गठन ककया गया । इस पाटी ने क्ांतत के भलए गुरिल्ला युद्ध
की िणनीतत अपनायी।
e. नतसलवादीयों ने धनी भूस्वाभमयों को बलपूवथक जमीन तछन कि गिीब औि
भूभम हीन लोगों को दी ।
f. वतथमान में 9 िाज्यों के 100 से अगधक वपछड़े आददवासी क्जलों में
नतसलवादी दहंसा जािी हैं । इनकी मांगें तनम्नभलखखत हैं”
IV. रेल हड़ताल
a. जाजथ फ़नाथडडस के नेतृत्व में बनी िाष्ट्रीय सभमतत ने िेलवे कमथचारियों की
सेवा तथा बोनस आईडी से जुड़ी मांगों को लेकि 1974 में हड़ताल की
थी ।
b. सिकाि ने हड़ताल को असंवैधातनक घोवित ककया औि मांगें स्वीकाि नहीं
की ।
1 इन इलाकों के लोगों
को उपज में दहस्सा, पट्टे
की सुतनक्श्चत अवगध औि
उगचत मजदूिी जैसे
बुतनयादी हक ददये जाए ।
2 जबिन मजदूिी, बाहिी लोगों द्वािा
संसाधनों का दोहन तथा सूदखोिों द्वािा
शोिण से इन लोगों को मुक्तत भमलनी
चादहए ।
4
c. इससे मजदूिों, िेलवे कमथचारियों, आम आदमी औि व्यापारियों में सिकाि के
खखलाफ असंतोि पैदा हुआ ।
V. रयायपाललका के संघषि
a. सिकाि के मौभलक अगधकािों में कटौती, संपवि के अगधकाि में कााँट -छााँट
औि नीतत -तनदेशक भसद्धांतों को मौभलक अगधकािों पि ज्यादा शक्तत देना
जैसे प्रावधानों को सवोच्च न्यायालय ने तनिस्त कि ददया ।
b. सिकाि ने जे जे एम शैलट, के एस हेगड़े तथा ए एन ग्रोवि की वरिष्ट्ठता
की अनदेखी किके ए एन िे को सवोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
तनयुतत किवाया ।
c. सिकाि के इन कायों से प्रततबद्ध न्यायपाभलका तथा नौकि शाही की बातें
होने लगी थी ।
2. आपात काल की घोषणा
I. 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल भसन्हा
ने इंददिा गांधी के 1971 के लोकसभा चुनाव को असंवैधातनक घोवित कि ददया ।
II. 24 जून 1975 को सवोच्च न्यायालय के फै सले पि स्थगनादेश सुनते हुए, कहा
कक अपील का तनणथय आने तक इंददिा गांधी सांसद बनी िहेगी पिंतु मंबत्रमंडल की
बैठकों में भाग नहीं लेगी ।
III. 25 जून 1975 को जेपी के नेतृत्व में इंददिा गांधी के इस्तीफे की मांग को लेकि
ददल्ली के िामलीला मैदान में िाष्ट्रव्यापी सत्याग्रह की घोिणा की । इंददिा गांधी
के इस्तीफे की मांग की ।
IV. जेपी ने सेना, पुभलस औि सिकािी कमथचारियों से आग्रह ककया कक वे सिकाि के
अनैततक औि अवैधातनक आदेशों का पालन न किें।
V. 25 जून 1975 की मध्यिाबत्र में प्रधानमंत्री ने अनुच्छेद 352 (आंतरिक गड़बड़ी होने
पि ) के तहत िाष्ट्रपतत से आपात काल लागू किने की भसफ़ारिश की ।
3. आपात काल के पररणाम
I. ववपक्षी नेताओं को जेल में डाल ददया गया ।
II. प्रेस पि सेंसिभशप लागू लाि दी गई ।
III. िाष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ औि जमात -ए इस्लामी पि प्रततबंध ।
IV. धिना, प्रदशथन औि हड़ताल पि िोक ।
5
V. नागरिकों के मौभलक अगधकाि तनष्ट्प्रभावी कि ददये गये ।
VI. सिकाि ने तनवािक नजिबंदी कानून के द्वािा िाजनीततक कायथकताथओं को गगिफ्ताि
ककया गया ।
VII. इंडडयन एतस्प्रेस, स्टेट्स मैन अखबािों को क्जन समाचािों को छापने से िोका जाता
था, वे उनकी खाली जगह छोड़ देते थे ।
VIII. सेभमनाि औि मेनस्रीम जैसी पबत्रकाओं ने प्रकाशन बंद कि ददया था ।
IX. कन्नड लेखक भशविाम कािन्त तथा दहन्दी लेखक फणीश्विनाथ िेणु ने आपात काल
के वविोध में अपनी पदवी सिकाि को लौटा दी ।
X. 42 वें संववधान संशोधन (1976) द्वािा अनेक परिवतथन ककए गये जैसे-
प्रधानमंत्री, िाष्ट्रपतत औि उपिाष्ट्रपतत पद के तनवाथचन को अदालत में चुनौती न दे
पाना तथा ववधातयका के कायथकाल को 5 साल से बढ़ाकि 6 साल कि देना आदद ।
4. आपात काल पर बहस
a. पक्ष
I. बाि- बाि धािणा प्रदशथन औि सामूदहक कायथवाही से लोकतन्त्र
बागधत होता हैं ।
II. वविोगधयों द्वािा गैि -संसदीय िाजनीतत का सहािा लेना ।
III. सिकाि के प्रगततशील कायथक्मों में अड़चन पैदा किना ।
IV. भाित की एकता के ववरूद्ध अंतिाथष्ट्रीय साक्जश िचना ।
V. इंददिा गांधी द्वािा आपात काल लागू किने के कदम का भाितीय
कम्युतनस्ट पाटी (CPI) ने समथथन ककया ।
b. ववपक्ष
I. लोकतन्त्र में जनता को सिकाि का वविोध किने का अगधकाि होता
हैं ।
आपात काल पर बहस
पक्ष ववपक्ष
6
II. वविोध -आंदोलन ज़्यादाति समय अदहंसक औि शांततपूणथ िहें ।
III. गृह मंत्रालय ने उस समय कानून व्यवस्था की गचंता जादहि नहीं
की ।
IV. संवैधातनक प्रावधानों का दुरुपयोग तनजी स्वाथथ हेतु ककया गया ।
5. आपात काल के दौरान ककए गए कायि
I. बीस सूत्री कायथक्म में भूभम सुधाि, भू-पुनववथतिण, खेततहि मजदूिों के पारिश्रभमक
पि पुन: ववचाि, प्रबंधन में कामगािों की भागीदािी, बंधुआ मजदूिी की समाक्प्त
आदद जनता की भलाई के कायथ शाभमल थे ।
II. वविोगधयों को तनवािक नजि बन्दी कानून के तहत बंदी बनाया गया ।
III. मौखखक आदेश से अखबािों के दफ्तिों की बबजली काट दी गई ।
IV. ददल्ली में झुगी बक्स्तयों को हटाने तथा जबिन नसबंदी जैसे कायथ ककए गए ।
6. आपात काल के सबक
I. आपात काल के दौिान भाितीय लोकतन्त्र की ताकत ओि कमजोरियााँ उजागि हो
गई थी । लेककन जल्द ही कामकाज लोकतन्त्र की िाह पि लौट आया । इस प्रकाि
भाित से लोकतन्त्र को ववदा कि पाना बहुत कदठन हैं ।
II. आपात काल की समाक्प्त के बाद अदालतों ने व्यक्तत के नागरिक अगधकािों की
िक्षा में सकक्य भूभमका तनभाई हैं तथा इन अगधकािों की िक्षा के भलए कई संगठन
अक्स्तत्व में आए हैं ।
III. संववधान के आपात काल के प्रावधान में ‘आंतरिक अशांतत ‘ शब्द के स्थान पि
‘सशस्त्र ववद्रोह ‘ शब्द को जोड़ा गया हैं । इसके साथ ही आपात काल की घोिणा
की सलाह मंबत्रपरििद िाष्ट्रपतत को भलखखत में देगी ।
IV. आपात काल में शासक दल ने पुभलस तथा प्रशासन को अपना िाजनीततक औजाि
बनाकि इस्तेमाल ककया था । ये संस्थाएं स्वतंत्र रूप से कायथ नहीं कि पाई थी ।
7. आपात काल के बाद की राजनीतत
I. जनविी 1977 में ववपक्षी पादटथयों ने भमलकि जनता पाटी का गठन ककया ।
II. कांग्रेस नेता बाबू जगजीवन िाम ने ‘कांग्रेस फ़ाि डेमोक्े सी ‘ दल का गठन ककया ,
जो बाद में जनता पाटी में शाभमल हो गया ।
III. जनता पाटी ने आपात काल की ज़्यादततयों को मुद्दा बना कि चुनावों को उस
पि जनमत संग्रह का रूप ददया ।
7
IV. 1977 के चुनाव में कांग्रेस को लोकसभा में 154 सीटें तथा जनता पाटी औि उसके
सहयोगी दलों को 330 सीटें भमली ।
V. आपात काल का प्रभाव उिि भाित में अगधक होने के कािण 1977 के चुनावों में
कांग्रेस को उिि भाित में ना के बिाबि सीटें प्राप्त हुई ।
VI. जनता पाटी की सिकाि में मोिािजी देसाई प्रधानमंत्री तथा चिण भसंह व जग
जीवनिाम दो उप प्रधानमंत्री बने ।
VII. जनता पाटी के पास ककसी ददशा , नेतृत्व व एक साझे कायथक्म के अभाव में यह
सिकाि जल्दी दी गगि गई ।
VIII. 1980 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सीटें हाभसल किके वविोगधयों को किािी
भशकस्त दी ।
8. शाह आयोग
आपात काल की जांच के भलए जनता पाटी की सिकाि द्वािा मई 1977 में सवोच्च न्यायालय
के पूवथ मुख्य न्यायाधीश जे सी शाह की अध्यक्षता में एक जांच आयोग की तनयुक्तत की गई ।
9. शाह आयोग द्वारा एकत्र ककए गए प्रामाणणक तथ्य
I. आपात काल की घोिणा का तनणथय के वल प्रधानमंत्री का था ।
II. समाचाि पत्रों के कायाथलयों की बबजली बंद किना पूणथतया अनुगचत था ।
III. प्रधानमंत्री के तनदेश पि अनेक ववपक्षी िाजनीततक नेताओं की गगिफ्तािी गैि -
कानूनी थी ।
IV. मीसा (MISA) का दुरुपयोग ककस गया था ।
V. कु छ लोगों ने अगधकारिक पदों पि न होते हुए भी सिकािी काम – काज में
हस्तक्षेप ककया था ।
10. नागररक स्वतरत्रता संगठनों का उदय
I. नागरिक स्वतन्त्रता एवं लोकताक्न्त्रक अगधकािों के भलए लोगों के संघ का उदय
अततूबि 1976 में हुआ ।
II. इन संगठनों ने न के वल आपात काल बक्ल्क सामान्य परिक्स्थयों में भी लोगों को
अपने अगधकािों के प्रतत सतकथ िहने के भलए कहा गया ।
III. 1980 में नागरिक स्वतन्त्रता एवं लोकताक्न्त्रक अगधकािों के भलए लोगों के संघ का
नाम बदलकि ‘नागरिक स्वतन्त्रताओं के भलए लोगों का संघ ‘ िख ददया गया ।
8
IV. गिीबी सहभागगता, लोकतंत्रीकिण तथा तनष्ट्पक्षता से संबक्न्धत गचंताओं के संदभथ
में भाितीय नागरिक स्वतन्त्रता संगठनों (CLOS) ने अनेक क्षेत्रों में संगदठत होकि
कायथ किना प्रािभ्भ कि ददया हैं ।
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  • 1. 1 स्वतंत्र भारत में राजनीतत अध्याय – 6 लोकतान्त्रत्रक व्यवस्था का संकट by Dr Sushma Singh (Core Academic Unit DOE GNCT of Delhi) पाठ के अंत में हम जान पाएंगे: 25 जून 1975 से 18 माह तक अनुच्छेद 352 के प्रावधान आंतरिक अशांतत के तहत भाित में आपात काल लागू िहा । आपात काल में देश की अखंडता व सुिक्षा को ध्यान में िखते हुए समस्त शक्ततयााँ कें द्रीय सिकाि को प्राप्त हो जाती हैं । 1. आपात काल के प्रमुख कारक I. आर्थिक कारक a. गिीबी हटाओ का नािा कु छ खास नहीं कि पाया था । b. बांग्लादेश के संकट से भाित की अथथव्यवस्था पि भिी बोझ बढ़ा था । आपात काल के प्रमुख कारक1 आपात काल की घोषणा 2 आपात काल के पररणाम3 आपात काल पर बहस 4 आपात काल के दौरान ककए गए कायि5 आपात काल के सबक 6 आपात काल के बाद की राजनीतत7 शाह आयोग 8 शाह आयोग द्वारा एकत्र ककए गए प्रामाणणक तथ्य 9 नागररक स्वतरत्रता संगठनों का उदय 10
  • 2. 2 c. अमेरिका ने भाित को हि तिह की सहता देनी बंद कि दी थी । d. अंतिाथष्ट्रीय बाजाि में तेल की कीमतों के बढ्ने से ववभभन्न चीजों की कीमतें बहुत बढ़ गई थी । e. औद्योगगक ववकास की दि बहुत कम हो गयी थी । f. शहिी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बेिोजगािी बहुत बढ़ गई थी । g. सिकाि ने खचे कम किने के भलए सिकािी कमथचारियों का वेतन िोक ददया था । II. छात्र आंदोलन a. गुजिात के छात्रों खाद्यान्न ,खाद्य तेल अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमतें तथा उच्च पदों पि व्याप्त भ्रष्ट्टाचाि के खखलाफ जनविी 1974 में आंदोलन शुरू ककया । b. माचथ 1974 में बढ़ती हुई कीमतों, खाद्यान्न के अभाव, बेिोजगािी औि भ्रष्ट्टाचाि के खखलाफ बबहाि में छात्रों ने आंदोलन शुरू कि ददया । c. जय प्रकाश नािायण (जे पी) ने इस आंदोलन का नेतृत्व दो शतों पि स्वीकाि ककया । d. जय प्रकाश नािायण ने सम्पूणथ क्ांतत द्वािा सच्चे लोकतन्त्र की स्थापना की बात की थी । e. जे पी ने भाितीय जनसंघ, कांग्रेस (ओ), भाितीय लोकदल, सोशभलस्ट पाटी जैसे गैि -कांग्रेसी दलों के समथथन से ‘ संसद -माचथ ‘ का नेतृत्व ककया था । f. इंददिा गांधी ने इस आन्दोलन को अपने प्रतत व्यक्ततगत वविोध से प्रेरित बताया था । III. नक्सल वादी आंदोलन 1 आंदोलन अदहंसक िहेगा । 2 यह बबहाि तक सीभमत नहीं िहेगा, अवपतु िाष्ट्रव्यापी होगा ।
  • 3. 3 a. इसी अवधी में संसदीय िाजनीतत में ववश्वास न िखने वाले कु छ मातसथवादी समूहों की सकक्यता बढ़ी । b. इन समूहों ने मौजूदा िाजनीततक प्रणाली औि पूंजीवादी व्यवस्था को समाप्त किने के भलए हगथयाि औि िाज्य वविोधी तिीकों का सहािा भलया । c. 1967 में मातसथ वादी कम्युतनस्ट पाटी के लोगों के नेतृत्व में पक्श्चम बंगाल के दाजथभलंग क्जले के नतसलवादी इलाके के ककसानों ने दहंसक ववद्रोह ककया था , क्जसे नतसलवादी आंदोलन के रूप में जाना जाता हैं । d. 1969 में चारु मजूमदाि के नेतृत्व में सी पी आई (मातसथवादी -लेतननवादी )पाटी का गठन ककया गया । इस पाटी ने क्ांतत के भलए गुरिल्ला युद्ध की िणनीतत अपनायी। e. नतसलवादीयों ने धनी भूस्वाभमयों को बलपूवथक जमीन तछन कि गिीब औि भूभम हीन लोगों को दी । f. वतथमान में 9 िाज्यों के 100 से अगधक वपछड़े आददवासी क्जलों में नतसलवादी दहंसा जािी हैं । इनकी मांगें तनम्नभलखखत हैं” IV. रेल हड़ताल a. जाजथ फ़नाथडडस के नेतृत्व में बनी िाष्ट्रीय सभमतत ने िेलवे कमथचारियों की सेवा तथा बोनस आईडी से जुड़ी मांगों को लेकि 1974 में हड़ताल की थी । b. सिकाि ने हड़ताल को असंवैधातनक घोवित ककया औि मांगें स्वीकाि नहीं की । 1 इन इलाकों के लोगों को उपज में दहस्सा, पट्टे की सुतनक्श्चत अवगध औि उगचत मजदूिी जैसे बुतनयादी हक ददये जाए । 2 जबिन मजदूिी, बाहिी लोगों द्वािा संसाधनों का दोहन तथा सूदखोिों द्वािा शोिण से इन लोगों को मुक्तत भमलनी चादहए ।
  • 4. 4 c. इससे मजदूिों, िेलवे कमथचारियों, आम आदमी औि व्यापारियों में सिकाि के खखलाफ असंतोि पैदा हुआ । V. रयायपाललका के संघषि a. सिकाि के मौभलक अगधकािों में कटौती, संपवि के अगधकाि में कााँट -छााँट औि नीतत -तनदेशक भसद्धांतों को मौभलक अगधकािों पि ज्यादा शक्तत देना जैसे प्रावधानों को सवोच्च न्यायालय ने तनिस्त कि ददया । b. सिकाि ने जे जे एम शैलट, के एस हेगड़े तथा ए एन ग्रोवि की वरिष्ट्ठता की अनदेखी किके ए एन िे को सवोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश तनयुतत किवाया । c. सिकाि के इन कायों से प्रततबद्ध न्यायपाभलका तथा नौकि शाही की बातें होने लगी थी । 2. आपात काल की घोषणा I. 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल भसन्हा ने इंददिा गांधी के 1971 के लोकसभा चुनाव को असंवैधातनक घोवित कि ददया । II. 24 जून 1975 को सवोच्च न्यायालय के फै सले पि स्थगनादेश सुनते हुए, कहा कक अपील का तनणथय आने तक इंददिा गांधी सांसद बनी िहेगी पिंतु मंबत्रमंडल की बैठकों में भाग नहीं लेगी । III. 25 जून 1975 को जेपी के नेतृत्व में इंददिा गांधी के इस्तीफे की मांग को लेकि ददल्ली के िामलीला मैदान में िाष्ट्रव्यापी सत्याग्रह की घोिणा की । इंददिा गांधी के इस्तीफे की मांग की । IV. जेपी ने सेना, पुभलस औि सिकािी कमथचारियों से आग्रह ककया कक वे सिकाि के अनैततक औि अवैधातनक आदेशों का पालन न किें। V. 25 जून 1975 की मध्यिाबत्र में प्रधानमंत्री ने अनुच्छेद 352 (आंतरिक गड़बड़ी होने पि ) के तहत िाष्ट्रपतत से आपात काल लागू किने की भसफ़ारिश की । 3. आपात काल के पररणाम I. ववपक्षी नेताओं को जेल में डाल ददया गया । II. प्रेस पि सेंसिभशप लागू लाि दी गई । III. िाष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ औि जमात -ए इस्लामी पि प्रततबंध । IV. धिना, प्रदशथन औि हड़ताल पि िोक ।
  • 5. 5 V. नागरिकों के मौभलक अगधकाि तनष्ट्प्रभावी कि ददये गये । VI. सिकाि ने तनवािक नजिबंदी कानून के द्वािा िाजनीततक कायथकताथओं को गगिफ्ताि ककया गया । VII. इंडडयन एतस्प्रेस, स्टेट्स मैन अखबािों को क्जन समाचािों को छापने से िोका जाता था, वे उनकी खाली जगह छोड़ देते थे । VIII. सेभमनाि औि मेनस्रीम जैसी पबत्रकाओं ने प्रकाशन बंद कि ददया था । IX. कन्नड लेखक भशविाम कािन्त तथा दहन्दी लेखक फणीश्विनाथ िेणु ने आपात काल के वविोध में अपनी पदवी सिकाि को लौटा दी । X. 42 वें संववधान संशोधन (1976) द्वािा अनेक परिवतथन ककए गये जैसे- प्रधानमंत्री, िाष्ट्रपतत औि उपिाष्ट्रपतत पद के तनवाथचन को अदालत में चुनौती न दे पाना तथा ववधातयका के कायथकाल को 5 साल से बढ़ाकि 6 साल कि देना आदद । 4. आपात काल पर बहस a. पक्ष I. बाि- बाि धािणा प्रदशथन औि सामूदहक कायथवाही से लोकतन्त्र बागधत होता हैं । II. वविोगधयों द्वािा गैि -संसदीय िाजनीतत का सहािा लेना । III. सिकाि के प्रगततशील कायथक्मों में अड़चन पैदा किना । IV. भाित की एकता के ववरूद्ध अंतिाथष्ट्रीय साक्जश िचना । V. इंददिा गांधी द्वािा आपात काल लागू किने के कदम का भाितीय कम्युतनस्ट पाटी (CPI) ने समथथन ककया । b. ववपक्ष I. लोकतन्त्र में जनता को सिकाि का वविोध किने का अगधकाि होता हैं । आपात काल पर बहस पक्ष ववपक्ष
  • 6. 6 II. वविोध -आंदोलन ज़्यादाति समय अदहंसक औि शांततपूणथ िहें । III. गृह मंत्रालय ने उस समय कानून व्यवस्था की गचंता जादहि नहीं की । IV. संवैधातनक प्रावधानों का दुरुपयोग तनजी स्वाथथ हेतु ककया गया । 5. आपात काल के दौरान ककए गए कायि I. बीस सूत्री कायथक्म में भूभम सुधाि, भू-पुनववथतिण, खेततहि मजदूिों के पारिश्रभमक पि पुन: ववचाि, प्रबंधन में कामगािों की भागीदािी, बंधुआ मजदूिी की समाक्प्त आदद जनता की भलाई के कायथ शाभमल थे । II. वविोगधयों को तनवािक नजि बन्दी कानून के तहत बंदी बनाया गया । III. मौखखक आदेश से अखबािों के दफ्तिों की बबजली काट दी गई । IV. ददल्ली में झुगी बक्स्तयों को हटाने तथा जबिन नसबंदी जैसे कायथ ककए गए । 6. आपात काल के सबक I. आपात काल के दौिान भाितीय लोकतन्त्र की ताकत ओि कमजोरियााँ उजागि हो गई थी । लेककन जल्द ही कामकाज लोकतन्त्र की िाह पि लौट आया । इस प्रकाि भाित से लोकतन्त्र को ववदा कि पाना बहुत कदठन हैं । II. आपात काल की समाक्प्त के बाद अदालतों ने व्यक्तत के नागरिक अगधकािों की िक्षा में सकक्य भूभमका तनभाई हैं तथा इन अगधकािों की िक्षा के भलए कई संगठन अक्स्तत्व में आए हैं । III. संववधान के आपात काल के प्रावधान में ‘आंतरिक अशांतत ‘ शब्द के स्थान पि ‘सशस्त्र ववद्रोह ‘ शब्द को जोड़ा गया हैं । इसके साथ ही आपात काल की घोिणा की सलाह मंबत्रपरििद िाष्ट्रपतत को भलखखत में देगी । IV. आपात काल में शासक दल ने पुभलस तथा प्रशासन को अपना िाजनीततक औजाि बनाकि इस्तेमाल ककया था । ये संस्थाएं स्वतंत्र रूप से कायथ नहीं कि पाई थी । 7. आपात काल के बाद की राजनीतत I. जनविी 1977 में ववपक्षी पादटथयों ने भमलकि जनता पाटी का गठन ककया । II. कांग्रेस नेता बाबू जगजीवन िाम ने ‘कांग्रेस फ़ाि डेमोक्े सी ‘ दल का गठन ककया , जो बाद में जनता पाटी में शाभमल हो गया । III. जनता पाटी ने आपात काल की ज़्यादततयों को मुद्दा बना कि चुनावों को उस पि जनमत संग्रह का रूप ददया ।
  • 7. 7 IV. 1977 के चुनाव में कांग्रेस को लोकसभा में 154 सीटें तथा जनता पाटी औि उसके सहयोगी दलों को 330 सीटें भमली । V. आपात काल का प्रभाव उिि भाित में अगधक होने के कािण 1977 के चुनावों में कांग्रेस को उिि भाित में ना के बिाबि सीटें प्राप्त हुई । VI. जनता पाटी की सिकाि में मोिािजी देसाई प्रधानमंत्री तथा चिण भसंह व जग जीवनिाम दो उप प्रधानमंत्री बने । VII. जनता पाटी के पास ककसी ददशा , नेतृत्व व एक साझे कायथक्म के अभाव में यह सिकाि जल्दी दी गगि गई । VIII. 1980 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सीटें हाभसल किके वविोगधयों को किािी भशकस्त दी । 8. शाह आयोग आपात काल की जांच के भलए जनता पाटी की सिकाि द्वािा मई 1977 में सवोच्च न्यायालय के पूवथ मुख्य न्यायाधीश जे सी शाह की अध्यक्षता में एक जांच आयोग की तनयुक्तत की गई । 9. शाह आयोग द्वारा एकत्र ककए गए प्रामाणणक तथ्य I. आपात काल की घोिणा का तनणथय के वल प्रधानमंत्री का था । II. समाचाि पत्रों के कायाथलयों की बबजली बंद किना पूणथतया अनुगचत था । III. प्रधानमंत्री के तनदेश पि अनेक ववपक्षी िाजनीततक नेताओं की गगिफ्तािी गैि - कानूनी थी । IV. मीसा (MISA) का दुरुपयोग ककस गया था । V. कु छ लोगों ने अगधकारिक पदों पि न होते हुए भी सिकािी काम – काज में हस्तक्षेप ककया था । 10. नागररक स्वतरत्रता संगठनों का उदय I. नागरिक स्वतन्त्रता एवं लोकताक्न्त्रक अगधकािों के भलए लोगों के संघ का उदय अततूबि 1976 में हुआ । II. इन संगठनों ने न के वल आपात काल बक्ल्क सामान्य परिक्स्थयों में भी लोगों को अपने अगधकािों के प्रतत सतकथ िहने के भलए कहा गया । III. 1980 में नागरिक स्वतन्त्रता एवं लोकताक्न्त्रक अगधकािों के भलए लोगों के संघ का नाम बदलकि ‘नागरिक स्वतन्त्रताओं के भलए लोगों का संघ ‘ िख ददया गया ।
  • 8. 8 IV. गिीबी सहभागगता, लोकतंत्रीकिण तथा तनष्ट्पक्षता से संबक्न्धत गचंताओं के संदभथ में भाितीय नागरिक स्वतन्त्रता संगठनों (CLOS) ने अनेक क्षेत्रों में संगदठत होकि कायथ किना प्रािभ्भ कि ददया हैं । -----------------------------------------------------------------------------------------------