3. उल्लेख
◦ लोक कला ऐपण उत्तराखिंि राज्य में क
ु माऊ
ँ
क
े लोगो क
े बीच प्रचहलत िै। ऐपण का अप ा
धाहमाक और सािंस्क
ृ हतक मित्व ि। ऐपण
क
ु माऊ
ँ क्षेत्र क
े लोगो क
े घरो क
े पूजा स्थल ,
दरवाजे की दिलीज में , मिंहदरो में आहद
ब ाया जाता ि। ऐपण कला में िमें रेखा
गहणतीय हिज़ाइ देख े को हमलते िै।
पारम्पररक ऐपण चावल क
े पेस्ट क
े साथ गेरू
की लाल पृष्टभूहम पर ब ाये जाते िै। ऐप
ब ा े में उपयोग हकए जा े वाले मुख्य प्रतीक
हबिंदु, हत्रकोण, वृत्त, वगा, स्वाक्तिक और कमल
और उ क
े हवहभन्न सिंयोज िै। लगभग सभी
धाहमाक अवसरोिं क
े हलए हवहशष्ट ऐप िैं।
4. उपयोग
◦ ऐपण फशा, दीवारोिं और घरोिं क
े प्रवेश द्वार, पूजा कक्ष
और हवशेष रूप से देवताओिं क
े मिंहदर को सजा े क
े
हलए ब ाये जाते िै। इ हिजाइ ोिं का उपयोग लकडी
की चौकी (देवताओिं क
े हलए पूजा आस ) को पेंट कर े
क
े हलए भी हकया जाता िै। हवहभन्न अवसरोिं और
अ ुष्ठा ो क
े आधार पर, हवहभन्न प्रकार की चौहकया
ब ाई जाती िैं।
◦ इस प्राची कला की सुिंदरता े युवाओिं को इस तरि
आकहषात हकया िै हक यि अ ुष्ठाह क कला जो घरोिं क
े
आँग या मिंहदरोिं तक िी सीहमत थी, अब आधुह क
कला और फ
ै श की दुह या में पिचा ी जा रिी िै।
इसहलए, िाल क
े वषों में, आकषाक ऐपण हिजाइ ोिं को
हवहभन्न सतिोिं जैसे पोशाक, पेंहटिंग क
ै वस, िायरी,
कॉफ़ी मग, बैग, टरे, ेमप्लेट, और अन्य विुओिं पर
ब ाया जा े लगा िै।
◦ यि मा ा जाता िै हक इ ऐपण हिजाइ ोिं या विुओिं
की घरोिं में उपक्तस्थहत जीव में सकारात्मकता और
समृक्ति लाती िै।
5. उत्पाद
कला का प्रकार
ग्रामीण क्षेत्रीय लोककला
ऐपण कला की उत्पहत्त
क
ु माऊ
ं क्षेत्र, उत्तराखंड
ऐपण ब ा े क
े हलए प्रयुि सामग्री
लाल गेरू एवं ववस्वार
ऐपण कला की तक ीक
दाविने िााँथ की अंविम िीन उाँगवलयों क
े प्रयोग द्वारा
ऐपण आटा कौ ब ा सकता िै
घर की सभी आयुवगग की मविलाएं
ऐपण कला का मित्त्व
प्राचीन सभ्यिा एवं संस्क
ृ वि का धरोिर
त्योिारों क
े आगमन का प्रिीक
कलात्मक अवभव्यक्ति का पररचायक
सुख-समृक्ति का आभास
7. उल्लेख
◦ आभूषण हिजाइ आभूषण हिजाइ
कर े और ब ा े की कला या पेशा िै।
यि सभ्यता की सजावट क
े शुरुआती
रूपोिं में से एक िै। कपडे से लेकर
आभूषण तक भारतीय कढाई को पार
करते हुए, प्रत्येक व्यक्ति क
े हलए एक
अ ूठा दृहष्टकोण तैयार हकया जा सकता
िै। इसक
े अलावा जमी ी िर पर ये
आभूषण ब ा ा ग्रामीण महिलाओिं क
े
हलए आय का स्रोत ब सकता िै,
खासकर जो कढाई की परिंपरा का
प्रतीक िैं।
8. उपयोग
मुद्रा, ध प्रदशा और भिंिारण,
कायाात्मक उपयोग (जैसे अकवार, हप
और बकल)
प्रतीकवाद (सदस्यता या क्तस्थहत हदखा े क
े
हलए)
सिंरक्षण (ताबीज और जादुई वािों क
े रूप
में)
कलात्मक प्रदशा ।
10. ह ष्कषा
◦ महिला सशक्तिकरण महिलाओिं पर हवहवध प्रवच ोिं की हदशा को पररभाहषत
और ह धााररत करता िै। महिलाओिं का आहथाक सशक्तिकरण सरकार का मुख्य
जोर िै। महिलाओिं को सशि ब ा े की प्रेरणा लेकर, ेतृत्व और उद्यमशीलता
क
े गुणोिं को हवकहसत कर े में सिायता कर े क
े हलए, िमारा लक्ष्य 'एप '
एक्तप्लक
े स और कढाई क
े माध्यम से आभूषण ब ा े क
े साथ अवशेष कपडोिं से
मूल्य वहधात उत्पादोिं का ह मााण करक
े महिलाओिं क
े आहथाक सशक्तिकरण क
े
हलए ई सिंभाव ाएिं उत्पन्न कर ा िै।हवकहसत उत्पादोिं को उत्तराखिंि की
स्माररका क
े रूप में दशााया जा सकता िै जो पयाटकोिं क
े हलए आकषाण का क
ें द्र
िो सकता िै और इसहलए आय सृज का एक अच्छा स्रोत भी िो सकता िै।