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हििंदी साहित्य क
े इतििास में आधुतिक
काल
आधुतिक काल का सामान्य परिचय
कोसस (हििंदी साहित्य)
बीए प्रथम वर्स
प्रथम-प्रश्िपत्र- हििंदी काव्य
इकाई: 4
माड्यूल: 1
िमेश वसुतिया,
सिायक प्राध्यापक हििंदी, भगिससिंि
शासकीय स्िािकोत्ति मिाववद्यालय,
जाविा, ििलाम म. प्र.
उद्देश्य
❖आधुनिक काल क
े काल विभाजि को समझ सक
ें गे |
❖आधुनिक काल की काव्य धाराओं को जािेंगे |
❖आधुनिक काल क
े कवियों एिं उिक
े योगदाि से पररचित होंगे |
❖आधुनिक काल की भाषा क
े बारें में जाि सक
ें गे |
ववर्यवस्िु
आधुनिक काल का सामान्य पररिय,
आधुनिक काल की काव्य धाराएं
तार सप्तक और उिक
े कवियों क
े िाम,
आधुनिक काल क
े प्रमुख कवि एिं उिका योगदाि
आधुतिक काल
का सामान्य परिचय
1.समय-सीमा
2.िामकरण
हििंदी साहित्य क
े इतििास का काल ववभाजि
 आहदकाल
 भक्तिकाल
 िीतिकाल
 आधुतिक काल
हहन्दी क
े अचधकांश विद्िािों िे हहन्दी साहहत्येनतहास क
े आधुनिक काल
का समय संित् 1900 वि0 से 1980 वि. अर्ाात् सि् 1843 से 1923 ई० तक
मािा है। डॉ. त्रिभुिि ससंह िे 1857 से 1947 तक की अिचध को 'जागरण
काल' तर्ा 1947 ई० से आज तक की अिचध को आधुनिक काल मािा है।
आधुनिककाल क
े अन्य िाम और उि िामों को देिे िाले विद्िािों क
े
िाम निम्िसलखखत है-
आधुनिककाल
आधुनिककाल – गणपनत िन्र गुफ्त
गद्यकाल - रामिन्र शुक्ल
पुिजाागरणकाल - रामविलास
ितामािकाल- समश्रबंधु
ििीिकाल- बाबू गुलाबराय
क्रमांक काल विभाजि का िाम समयािचध
1 भारतेन्दु युग सि्1850 – 1900 ई.
2 द्वििेदी युग सि्1900 – 1920 ई.
3 छायािाद सि्1920 – 1936 ई .
4 प्रगनतिाद सि्1936 – 1943 ई.
5 प्रयोगिाद सि्1943 -1953 ई.
6 ियी कविता सि्1953 – 1960 ई.
सम्पूर्स आधुतिककालीि काव्य को ववद्वािों िे छ:भागों में
ववभाक्जि ककया िैं -
प्रमुख कवव औि उिका युग-
• भाििेन्दु युग:-
भारतेन्दु युग क
े प्रमुख कवियों क
े िाम इस प्रकार है-
भारतेन्दु हररश्िान्र, बदरीिारायण िौधरी ' प्रेमघि ' राधािरण गोस्िामी,
राधाकृ ष्णदास, तोताराम, अम्म्बकादत्त व्यास, प्रतापिारायण समश्र,
जगमोहि ससंह, श्रीनििासदास, बालकृ ष्ण भट्ट, मोहिलाल, विष्णुकांत
शास्िी, काशीिार् ससंह और कानताक प्रसाद खिी आहद अर्ाात भारतेंदु
मंडल क
े समस्त साहहत्यकार भारतेंदु युग क
े कवि क
े रूप में स्िीकार ककए
जाते हैं ।
•द्वववेदी युग :-
इस युग क
े प्रमुख कवियों क
े िाम निम्िसलखखत है-
महािीर प्रसाद द्वििेदी, रामिरेश त्रिपाठी, रायदेिी प्रसाद पूणा , रामधारी
ससंह हदिकर, अयोध्या ससंह उपाध्याय हररऔध, जगन्िार्दास रत्िाकर,
िार्ूराम शमाा शंकर, माखिलाल ितुिेदी, सुभराक
ु मारी िौहाि,
मैचर्लीशरण गुप्त, बालकृ ष्ण शमाा ििीि, गयाप्रसाद शुक्ल ' सिेही ' |
• छायावाद :-
डॉ . रामक
ु मार िमाा िे छायािाद को पररभावषत
करते हुए कहा है कक काव्य में जहां आत्मा की छाया परमात्मा पर और
परमात्मा की छाया आत्मा पर पड़िे लगे िही छायािाद हैं।"
छायािाद क
े प्रमुख कवियों क
े िाम निम्िसलखखत है - जयशंकर प्रसाद
,सूयाकांत त्रिपाठी निराला, सुसमिािंदि पंत, महादेिी िमाा, हररिंश राय
बच्िि आहद प्रमुख हैं ।
•प्रगतिवाद:-
प्रगनतिाद का आरंभ हहंदी में प्रगनतशील लेखक संघ द्िारा सि्
1936 ई. को लखिऊ में आयोम्जत उस अचधिेशि से होता है ,म्जसकी
अध्यक्षता मुंशी प्रेमिंद जी िे की र्ी। इसमें उन्होंिे कहा र्ा कक
"साहहत्य का उद्देश्य दबे- क
ु िले हुए िगा की मुम्क्त का होिा िाहहए।"
अतः प्रगनतिादी काव्य क
े प्रमुख कवियों क
े िाम इस प्रकार हैं-
बाबा िागाजुाि, सशिमंगल ससंह सुमि ,क
े दारिार् अग्रिाल, त्रिलोिि,
रांगेय राघि, सूयाकांत त्रिपाठी निराला और सुसमिािंदि पंत की भी क
ु छेक
रििाएँ इसी युग क
े अंतगात आती है ।
4.प्रयोगवाद :-
िाद क
े रूप में प्रयोग शब्द का प्रिलि सि्1943 में अज्ञेय द्िारा
संपाहदत 'तार सप्तक' से मािा जाता है। बहुमुखी प्रनतभा क
े धिी कवििर अज्ञेय जी िे
अपिे साहहम्त्यक जीिि काल में क
ु ल 4 तार सप्तकों का संपादि ककया र्ा, म्जसक
े
प्रत्येक सप्तक में क
ु ल सात -सात कवियों को स्र्ाि हदया गया है । अतः िारों तार
सप्तक क
े 28 कवि भी प्रयोगिाद क
े प्रमुख कवियों क
े अंतगात आते हैं।
1. प्रर्म तार सप्तक क
े अंतगात सम्च्िदािंद हीरािंद िात्स्यायि अज्ञेय, िेमीिंर जैि,
रामविलास शमाा, चगररजाक
ु मार मार्ुर, प्रभाकर माििे, भारत भूषण अग्रिाल,गजािि
माधि मुम्क्तबोध आहद आते हैं।
2. दूसरे तार सप्तक क
े अंतगात हररिारायण व्यास, भिािी प्रसाद समश्र, रघुिीर ससंह
सहाय, धमािीर भारती, िरेश मेहता, शमशेर बहादुर ससंह, शक
ुं तला मार्ुर आते हैं।
3. तीसरे तार सप्तक क
े अंतगात प्रयाग िारायण त्रिपाठी, क
े दारिार् ससंह, सिेश्िर दयाल
सक्सेिा, क
ुं िर िारायण, मदि िात्स्यायि, कीनता िौधरी विजयदेि िारायण साही आहद
आते हैं।
4. िौर्े तार सप्तक क
े अंतगात श्रीराम िमाा, अिधेश क
ु मार, स्िदेश भारती, िंदककशोर
आिाया, सुमि राजे , राजक
ु मार अंबुज ,और राजेंर ककशोर आते हैं।
यह उक्त प्रयोगिादी साहहत्यकार साहहत्य क
े क्षेि में नित -िए प्रयोग क
े सलए जािे
जाते हैं।
6. ियी कविता :-
सि ्1952 में सिाप्रर्म ियी कविता शब्द
का प्रयोग अज्ञेय जी िे आकाशिाणी पटिा की एक भेंटिाताा में
ककया र्ा । ियी कविता पत्रिका का प्रकाशि सि्1954 में
इलाहाबाद से हुआ र्ा, म्जसक
े संपादक डॉ. जगदीश गुप्त र्े
।ियी कविता में िचिात 'लघु मािि ' का अर्ा है - िह सामान्य
जि जो अभी तक उपेक्षक्षत र्ा िई कविता धारा में कवियों क
े
अंतगात प्रयोगिाद क
े अचधकांश कवि गण ियी कविता धारा
क
े अंतगात आते हैं। इसक
े अनतररक्त जगदीश गुप्त, अरुण
कमल, दुष्यंत क
ु मार त्यागी आहद िई कविता धारा कवियों क
े
अंतगात आते हैं।
1. आधुनिक काल क
े पररिय से अिगत होिा ।
2. आधुनिक काल की काव्य धाराओं को जाििा
।
3. तार सप्तक और ियी कविता पत्रिका क
े
पररिय से अिगत होिा ।सिंदभस
•सािािंश
सािािंश
•हहंदी साहहत्य का इनतहास - आिाया रामिंर शुक्ल
•हहंदी भाषा साहहत्य का इनतहास तर्ा काव्यांग वििेिि-
मध्यप्रदेश हहंदी ग्रंर् अकादमी
•प्रनतयोचगता साहहत्य सीरींज उपकार प्रकाशि आगरा (उ.प्र)
लेखक- ओंकार िार् ।
•https://www.hindigrema.com/2020/06/history-of-
hindi-
literaturereetikal.html?m=1https://mycoaching.in/re
etikaal
अधधक जािकािी िेिु ववद्याथी तिम्िसलखखि
सलिंक से अध्ययि किें।
बिुववकल्प प्रश्ि
(अ) पुिजाागरण काल
(ब) ितामाि काल
(स) गद्यकाल
(द) ििीिकाल
Q1.आधुनिक काल को आिाया रामिंर शुक्ल िे ककस िाम से
संबोचधत ककया है-
बिुववकल्प प्रश्ि
(अ) सि ् 1843 से 1980
(ब) सि ् 1848 से 1899
(स) सि ् 1734 से 1890
(द) सि ् 1843 से 1923 तक
Q2. आधुनिक काल की समय अिचध है -
बिुववकल्प प्रश्ि
(अ) 5 भागों में
(ब) 6 भागों में
(स) 7 भागों में
(द) 4 भागों में
Q3. संपूणा आधुनिक कालीि काव्य को ककतिे भागों में विभाम्जत
ककया गया है-
बिुववकल्प प्रश्ि
(अ) दो
(ब) तीि
(स) पाँि
(द) िार
Q4. कवि अज्ञेय द्िारा संपाहदत तार सप्तकों की संख्या है-
बिुववकल्प प्रश्ि
(अ) प्रर्म तार सप्तक
(ब) दूसरा तार सप्तक
(स) तीसरा तार सप्तक
(द) िौंर्ा तार सप्तक
Q5. कवि भिािी प्रसाद समश्र ककस तार सप्तक क
े कवि हैं-
उत्तिमाला
Q1. (स) गद्यकाल
Q2. (द) सि् 1843 से 1923 तक
Q3. (ब) 6 भागों में
Q4. (द) िार
Q5. (ब) दूसरा तार सप्तक
धन्यिाद

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  • 1. हििंदी साहित्य क े इतििास में आधुतिक काल आधुतिक काल का सामान्य परिचय कोसस (हििंदी साहित्य) बीए प्रथम वर्स प्रथम-प्रश्िपत्र- हििंदी काव्य इकाई: 4 माड्यूल: 1 िमेश वसुतिया, सिायक प्राध्यापक हििंदी, भगिससिंि शासकीय स्िािकोत्ति मिाववद्यालय, जाविा, ििलाम म. प्र.
  • 2. उद्देश्य ❖आधुनिक काल क े काल विभाजि को समझ सक ें गे | ❖आधुनिक काल की काव्य धाराओं को जािेंगे | ❖आधुनिक काल क े कवियों एिं उिक े योगदाि से पररचित होंगे | ❖आधुनिक काल की भाषा क े बारें में जाि सक ें गे |
  • 3. ववर्यवस्िु आधुनिक काल का सामान्य पररिय, आधुनिक काल की काव्य धाराएं तार सप्तक और उिक े कवियों क े िाम, आधुनिक काल क े प्रमुख कवि एिं उिका योगदाि
  • 4. आधुतिक काल का सामान्य परिचय 1.समय-सीमा 2.िामकरण
  • 5. हििंदी साहित्य क े इतििास का काल ववभाजि  आहदकाल  भक्तिकाल  िीतिकाल  आधुतिक काल
  • 6. हहन्दी क े अचधकांश विद्िािों िे हहन्दी साहहत्येनतहास क े आधुनिक काल का समय संित् 1900 वि0 से 1980 वि. अर्ाात् सि् 1843 से 1923 ई० तक मािा है। डॉ. त्रिभुिि ससंह िे 1857 से 1947 तक की अिचध को 'जागरण काल' तर्ा 1947 ई० से आज तक की अिचध को आधुनिक काल मािा है। आधुनिककाल क े अन्य िाम और उि िामों को देिे िाले विद्िािों क े िाम निम्िसलखखत है- आधुनिककाल आधुनिककाल – गणपनत िन्र गुफ्त गद्यकाल - रामिन्र शुक्ल पुिजाागरणकाल - रामविलास ितामािकाल- समश्रबंधु ििीिकाल- बाबू गुलाबराय
  • 7. क्रमांक काल विभाजि का िाम समयािचध 1 भारतेन्दु युग सि्1850 – 1900 ई. 2 द्वििेदी युग सि्1900 – 1920 ई. 3 छायािाद सि्1920 – 1936 ई . 4 प्रगनतिाद सि्1936 – 1943 ई. 5 प्रयोगिाद सि्1943 -1953 ई. 6 ियी कविता सि्1953 – 1960 ई. सम्पूर्स आधुतिककालीि काव्य को ववद्वािों िे छ:भागों में ववभाक्जि ककया िैं -
  • 8. प्रमुख कवव औि उिका युग- • भाििेन्दु युग:- भारतेन्दु युग क े प्रमुख कवियों क े िाम इस प्रकार है- भारतेन्दु हररश्िान्र, बदरीिारायण िौधरी ' प्रेमघि ' राधािरण गोस्िामी, राधाकृ ष्णदास, तोताराम, अम्म्बकादत्त व्यास, प्रतापिारायण समश्र, जगमोहि ससंह, श्रीनििासदास, बालकृ ष्ण भट्ट, मोहिलाल, विष्णुकांत शास्िी, काशीिार् ससंह और कानताक प्रसाद खिी आहद अर्ाात भारतेंदु मंडल क े समस्त साहहत्यकार भारतेंदु युग क े कवि क े रूप में स्िीकार ककए जाते हैं । •द्वववेदी युग :- इस युग क े प्रमुख कवियों क े िाम निम्िसलखखत है- महािीर प्रसाद द्वििेदी, रामिरेश त्रिपाठी, रायदेिी प्रसाद पूणा , रामधारी ससंह हदिकर, अयोध्या ससंह उपाध्याय हररऔध, जगन्िार्दास रत्िाकर, िार्ूराम शमाा शंकर, माखिलाल ितुिेदी, सुभराक ु मारी िौहाि, मैचर्लीशरण गुप्त, बालकृ ष्ण शमाा ििीि, गयाप्रसाद शुक्ल ' सिेही ' |
  • 9. • छायावाद :- डॉ . रामक ु मार िमाा िे छायािाद को पररभावषत करते हुए कहा है कक काव्य में जहां आत्मा की छाया परमात्मा पर और परमात्मा की छाया आत्मा पर पड़िे लगे िही छायािाद हैं।" छायािाद क े प्रमुख कवियों क े िाम निम्िसलखखत है - जयशंकर प्रसाद ,सूयाकांत त्रिपाठी निराला, सुसमिािंदि पंत, महादेिी िमाा, हररिंश राय बच्िि आहद प्रमुख हैं । •प्रगतिवाद:- प्रगनतिाद का आरंभ हहंदी में प्रगनतशील लेखक संघ द्िारा सि् 1936 ई. को लखिऊ में आयोम्जत उस अचधिेशि से होता है ,म्जसकी अध्यक्षता मुंशी प्रेमिंद जी िे की र्ी। इसमें उन्होंिे कहा र्ा कक "साहहत्य का उद्देश्य दबे- क ु िले हुए िगा की मुम्क्त का होिा िाहहए।" अतः प्रगनतिादी काव्य क े प्रमुख कवियों क े िाम इस प्रकार हैं- बाबा िागाजुाि, सशिमंगल ससंह सुमि ,क े दारिार् अग्रिाल, त्रिलोिि, रांगेय राघि, सूयाकांत त्रिपाठी निराला और सुसमिािंदि पंत की भी क ु छेक रििाएँ इसी युग क े अंतगात आती है ।
  • 10. 4.प्रयोगवाद :- िाद क े रूप में प्रयोग शब्द का प्रिलि सि्1943 में अज्ञेय द्िारा संपाहदत 'तार सप्तक' से मािा जाता है। बहुमुखी प्रनतभा क े धिी कवििर अज्ञेय जी िे अपिे साहहम्त्यक जीिि काल में क ु ल 4 तार सप्तकों का संपादि ककया र्ा, म्जसक े प्रत्येक सप्तक में क ु ल सात -सात कवियों को स्र्ाि हदया गया है । अतः िारों तार सप्तक क े 28 कवि भी प्रयोगिाद क े प्रमुख कवियों क े अंतगात आते हैं। 1. प्रर्म तार सप्तक क े अंतगात सम्च्िदािंद हीरािंद िात्स्यायि अज्ञेय, िेमीिंर जैि, रामविलास शमाा, चगररजाक ु मार मार्ुर, प्रभाकर माििे, भारत भूषण अग्रिाल,गजािि माधि मुम्क्तबोध आहद आते हैं। 2. दूसरे तार सप्तक क े अंतगात हररिारायण व्यास, भिािी प्रसाद समश्र, रघुिीर ससंह सहाय, धमािीर भारती, िरेश मेहता, शमशेर बहादुर ससंह, शक ुं तला मार्ुर आते हैं। 3. तीसरे तार सप्तक क े अंतगात प्रयाग िारायण त्रिपाठी, क े दारिार् ससंह, सिेश्िर दयाल सक्सेिा, क ुं िर िारायण, मदि िात्स्यायि, कीनता िौधरी विजयदेि िारायण साही आहद आते हैं। 4. िौर्े तार सप्तक क े अंतगात श्रीराम िमाा, अिधेश क ु मार, स्िदेश भारती, िंदककशोर आिाया, सुमि राजे , राजक ु मार अंबुज ,और राजेंर ककशोर आते हैं। यह उक्त प्रयोगिादी साहहत्यकार साहहत्य क े क्षेि में नित -िए प्रयोग क े सलए जािे जाते हैं।
  • 11. 6. ियी कविता :- सि ्1952 में सिाप्रर्म ियी कविता शब्द का प्रयोग अज्ञेय जी िे आकाशिाणी पटिा की एक भेंटिाताा में ककया र्ा । ियी कविता पत्रिका का प्रकाशि सि्1954 में इलाहाबाद से हुआ र्ा, म्जसक े संपादक डॉ. जगदीश गुप्त र्े ।ियी कविता में िचिात 'लघु मािि ' का अर्ा है - िह सामान्य जि जो अभी तक उपेक्षक्षत र्ा िई कविता धारा में कवियों क े अंतगात प्रयोगिाद क े अचधकांश कवि गण ियी कविता धारा क े अंतगात आते हैं। इसक े अनतररक्त जगदीश गुप्त, अरुण कमल, दुष्यंत क ु मार त्यागी आहद िई कविता धारा कवियों क े अंतगात आते हैं।
  • 12. 1. आधुनिक काल क े पररिय से अिगत होिा । 2. आधुनिक काल की काव्य धाराओं को जाििा । 3. तार सप्तक और ियी कविता पत्रिका क े पररिय से अिगत होिा ।सिंदभस •सािािंश सािािंश
  • 13. •हहंदी साहहत्य का इनतहास - आिाया रामिंर शुक्ल •हहंदी भाषा साहहत्य का इनतहास तर्ा काव्यांग वििेिि- मध्यप्रदेश हहंदी ग्रंर् अकादमी •प्रनतयोचगता साहहत्य सीरींज उपकार प्रकाशि आगरा (उ.प्र) लेखक- ओंकार िार् । •https://www.hindigrema.com/2020/06/history-of- hindi- literaturereetikal.html?m=1https://mycoaching.in/re etikaal अधधक जािकािी िेिु ववद्याथी तिम्िसलखखि सलिंक से अध्ययि किें।
  • 14. बिुववकल्प प्रश्ि (अ) पुिजाागरण काल (ब) ितामाि काल (स) गद्यकाल (द) ििीिकाल Q1.आधुनिक काल को आिाया रामिंर शुक्ल िे ककस िाम से संबोचधत ककया है-
  • 15. बिुववकल्प प्रश्ि (अ) सि ् 1843 से 1980 (ब) सि ् 1848 से 1899 (स) सि ् 1734 से 1890 (द) सि ् 1843 से 1923 तक Q2. आधुनिक काल की समय अिचध है -
  • 16. बिुववकल्प प्रश्ि (अ) 5 भागों में (ब) 6 भागों में (स) 7 भागों में (द) 4 भागों में Q3. संपूणा आधुनिक कालीि काव्य को ककतिे भागों में विभाम्जत ककया गया है-
  • 17. बिुववकल्प प्रश्ि (अ) दो (ब) तीि (स) पाँि (द) िार Q4. कवि अज्ञेय द्िारा संपाहदत तार सप्तकों की संख्या है-
  • 18. बिुववकल्प प्रश्ि (अ) प्रर्म तार सप्तक (ब) दूसरा तार सप्तक (स) तीसरा तार सप्तक (द) िौंर्ा तार सप्तक Q5. कवि भिािी प्रसाद समश्र ककस तार सप्तक क े कवि हैं-
  • 19. उत्तिमाला Q1. (स) गद्यकाल Q2. (द) सि् 1843 से 1923 तक Q3. (ब) 6 भागों में Q4. (द) िार Q5. (ब) दूसरा तार सप्तक