2. प्रस्तुनत का अवलोकन:
1. पररचय और पृष्ठभूमम:
2. प्रकाशउत्प्प्रेरकों का वगीकरण
3. CO2 के अपचयन में कठठनाई
4. समांगी तथा ववषमांगी प्रकाशउत्प्प्रेरक तथा उनकी क्रियाववधध
5. मैिो- अणुऒं द्वारा अपचयन
6. भववष्य की चुनौनतयााँ:
7. संदभभ:
2
3. 3
1. परिचय औि पृष्ठभूमि:
• पृथ्वी की सतह पर कु ल 8.9 X 1016 वाट/ सेकं ड ऊर्ाभ सूयभ से पहुंचती है, लेक्रकन
सभी ऊर्ाभ को इकट्ठा करना संभव नह ं है।
• अगर हम इस ऊर्ाभ का 0.02% भाग का उपयोग करने में सफल हो र्ाते हैं, तो
यह हमार वतभमान ऊर्ाभ की आवश्यकता पूरा करने के मलये पयाभप्तत है।
• प्रकाश संश्लेषण की तरह सूयभ की ऊर्ाभ को रासायननक ऊर्ाभ में पररवनतभत करना
संभव है।
• पहल बार फु जर्मशमा और होंडा ने 1972 में TiO2 द्वारा पराबैंगनी क्रकरणों की उपजस्थनत
में, र्ल के प्रकाश रासायननक ववदारण की खोर् की।
• प्रकाशउत्प्प्रेरकों द्वारा CO2 के अपचयन से ववमभन्न उपयोगी रसायन(र्ैसे
ममथेनोल) प्राप्तत क्रकये र्ा सकते हैं, जर्ससे ग्लोबल वाममिंग की समस्या से
छु टकारा पाया र्ा सकता है तथा हमार ऊर्ाभ की आवश्यकता पूर हो सकती है।
5. CO2 का ववमभन्न उत्प्पादों में रूपांतरण के मलये अपचयन ववभव
5
CO2 के अपचयन की कठठनाई
• CO2 का CO2
.- मे एक इलेक्ट्रॉन से अपचयन अत्प्यंत प्रनतकू ल(unfavourable) है,
कयोंक्रक CO2
.- की मुङ हुई संरचना के कारण अपचयन ववभव बहुत अधधक होता है र्ो
क्रक -1.90 V वोल्ट है।
• तेर्ी से अपचयन करने के मलए 0.6V अधधवोल्टता की आवश्यकता होती है।
• मीथेन और मेथनॉल की तरह अधधक मूल्यवान उत्प्पादों का उत्प्पादन करने के मलए
एकाधधक(multiple) इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन स्थानांतरण की दक्षता कम होती है।
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उदाहरण
p-टाइप अर्धचालक से संलग्न रूथेननयि कार्बोननल जठटलn-टाइप अर्धचालक से संलग्न थैलोसासायननन
प्रथि टाइप द्वितीय टाइप
पोरफायररन
7. प्रथि टाइप के आणविक उत्प्प्रेिक की क्रियाविधर्
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तृतीयक एमीन द्वारा इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण की क्रियाववधध
9. रूथेननयि तथा िहोडियि(Rhodium) के िैिो- अणु जो हाइड्रोजन उत्प्पादन िें प्रयोग होतें हैं ।
9
bpy, dpp dpq. bpy = 2,2’-बाइवपर डीन, dpp = 2,3-बबस (2-
वपररडडल) पाइरेजर्न, dpq = 2,3-बबस (2-वपररडडल)
क्ट्वीनक्ट्सेमलन. की संरचना
• Л * ग्राह कक्षक की ऊर्ाभ bpy से dpp से dpq तक घटती है क्ट्योंक्रक संयुग्मन बढता है,
जर्स कारण इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण बिजर्ंग मलगैनड पर होता है ।
िैिो- अणुऒं द्िािा अपचयन
• सावधानीपूवभक उपयुक्ट्त मलगैनड का चुनाव करके प्रकाश अवशोषण को वांनछत उत्प्पाद पाने में
प्रयोग क्रकया र्ा सकता है।
[{(bpy)2Ru(dpp)}2Rh(III)Cl2]5+
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डैनडर मर मे एंट ना प्रभाव
क्ट्लोरोक्रफल की तरह कु छ मैिोमॉमलक्ट्यूल्स ऐन्टेना
प्रभाव ठदखाते हैं, जर्ससे यह सूयभ के प्रकाश को
इकट्ठा करके फोटो प्रेररत चार्भ हस्तांतरण(photo-
induced charge transfer) ठदखाते हैं
TiO2-[RuCl(dcb)2-bpa-OsCl(bpy)2]-(PF6)2
बबगनोर्ी तथा साधथयो ने TiO2-[RuCl(dcb)2-bpa-
OsCl(bpy)2]-(PF6)2 तंत्र का संश्लेषण क्रकया जर्समें
Ru-Os के र्ठटल को TiO2 से संलग्न क्रकया गया।
प्रकाश उत्तेर्न पर Ru(II) भाग एक इलेक्ट्रॉन को TiO2
के प्रवाहकत्त्व बैंड में स्थानांतररत कर देता है तथा Ru
(III) बनता है। Os (II) एक इलेक्ट्रॉन Ru (III) को दान
करता है जर्ससे TiO2 के प्रवाहकत्त्व बैंड में र्ठटल
द्वारा इलेक्ट्रॉन इंर्ेक्ट्ट करने की दर, TiO2 से वावपस
Ru (III) को इलेक्ट्रॉन देने की दर 5 से गुना बढ र्ाती
है, जर्ससे डाई सुग्राह सौर सेल क्रक कु ल दक्षता बढ
र्ाती है।
11. कु छ अर्धचालकों के र्बैंि अन्तिाल
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विषिांगी प्रकाशउत्प्प्रेिण :
“विषिांगी प्रकाशउत्प्प्रेिण िें उत्प्प्रेिक तथा अमभकािक विमभन्न अिथाथा िें होते हैं”
• प्रकाश का अवशोषण पर इलेक्ट्रॉन वैलेंस (संचार ) बैंड से प्रवाहकत्त्व बैंड में पहुाँच र्ाते हैं, तथा ये
प्रवाहकत्त्व बैंड के इलेक्ट्रॉन CO2 के अपचयन में उपयोग होतें हैं, र्बक्रक वैलेंस बैंड में धनात्प्मक
होल (ररकनत) उत्प्पन्न होती है, र्ो र्ल के ववदारण में उपयोग होतें हैं ।
12. TiO2 प्रकाशउत्प्प्रेिण की क्रियाविधर्
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टाइटेननयम-डाइ-आकसाइड(TiO2) सबसे उपयुकत है, कयोक्रक यह सस्ता, गैर
ववषैला, मर्बूत(Robust) तथा वातावरण के मलये सुरक्षक्षत है।
लेक्रकन इसका बैंड अंतर रूटाइल अवस्था (rutile form) के मलये 3.0 e V तथा एनाटेर् अवस्था
(anatase form) के मलये 3.2 e V है, र्ो िमशः 413 नैनोमीटर तथा 388 नैनोमीटर के प्रकाश को
अवशोवषत करता है। यह तरंगदैध्यभ पराबैंगनी क्षेत्र में आता है ।
TiO2 सर्बसे अच्छा विकल्प क्यों है?
टाइटेननयि िाइऑक्साइि द्िािा CO2 का जल के साथ
अपचयन की क्रियाविधर्
13. सौर स्पेक्ट्रम :
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• पृथ्वी पर आने वाले प्रकाश का के वल 5% भाग ह पराबैंगनी क्षेत्र में आता है।
•अतः हमें ऐसे उत्प्प्रेरक ववकमसत करने की आवश्यकता है र्ो दृश्य प्रकाश में कायभ कर सकें ।
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1.कारोबार संख्या(TON) अभी भी काफी कम है।
2. अपचयन द्वारा बनने वाले उत्प्पाद साधारणतः C1(एक काबभन युकत) होते है,
जर्नका आधथभक मूल्य (economic value) कम होती है, अतः उच्च काबभन
संख्या उत्प्पाद पाने के प्रयास क्रकये र्ाने चाठहये।
3. कई उत्प्प्रेरक प०बै० प्रकाश में काम करते हैं, तथा प०बै० ररएक्ट्टर का मूल्य व
ऊर्ाभ की मांग उच्च होती है।
4. अनतररक्ट्त अमभक्रियाओं(side reactons) को रोकने के प्रयास करने चाठहये
ताक्रक उत्प्पाद की प्राजप्तत बढे।
5. रोशन अवधध (illuminating period), तरंगदैध्यभ तथा अवस्था का
मानकीकरण होना चाठहए, ताक्रक ववमभन्न प्रकाशउत्प्प्रेरकों की तुलना की र्ा सके ।
भविष्य की चुनौनतयााँ:
16. •Fujita, E. Photochemical Carbon Dioxide Reduction with Metal Complexes. Coord. Chem. Rev. 1999, 185-186, 373–384.
•Travis A. White, Jessica D. Knoll, Shamindri M. Arachchige and Karen J. Brewer; A Series of Supramolecular Complexes for Solar
Energy Conversion via Water Reduction to Produce Hydrogen: An Excited State Kinetic Analysis of Ru(II),Rh(III),Ru(II)
Photoinitiated Electron Collectors; Materials 2012, 5, 27-46
• Tinnemans, A. H. A.; Koster, T. P. M.; Thewissen, D.; Mackor, A. Tetraaza-Macrocyclic Cobalt(II) and Nickel(II) Complexes as
Electron-Transfer Agents in the Photoelectrochemical and Electrochemical Reduction of Carbon Dioxide. Recl. Trav. Chim. Pays-
Bas 1984, 103, 288–295.
•Fujita, E.; Brunschwig, B. S. Balzani, V., Catalysis of Electron Transfer, Heterogeneous Systems,Gas Phase Systems. In Electron
Transfer in Chemistry; Ed.; Wiley-VCH: Weinheim, Germany, 2001; Vol. 4, pp 88-126.
•Gholamkhass, B.; Mametsuka, H.; Koike, K.; Tanabe, T.; Furue, M.; Ishitani, O. Architecture of Supramolecular Metal Complexes
for Photocatalytic CO2 Reduction: Ruthenium-Rhenium Bi- and Tetranuclear Complexes. Inorg. Chem. 2005, 44, 2326–2336.
•Creutz, C.; Chou, M. H. Rapid Transfer of Hydride Ion from a Ruthenium Complex to C1 Species in Water. J. Am. Chem. Soc.
2007, 129, 10108–10109
•Benson EE, Kubiak CP, Sathrum AJ, Smieja JM.. Electrocatalytic and homogeneous approaches to conversion of CO2 to liquid
fuels. Chem. Soc. Rev. 2009; 38:89–99.
•Halmann M. Photoelectrochemical reduction of aqueous carbon dioxide on p-type gallium phosphide in liquid junction solar
cells. Nature 1978; 275:115–16.
•Ogura K, Yoshida I. Catalytic conversion of CO and CO2 into methanol with a solar cell. J. Mol. Catal. 1986; 34:309–11
• Bard AJ, Fox MA. Artificial photosynthesis: solar splitting of water to hydrogen and oxygen. Acc. Chem. Res. 1995; 28:141–45
•Takeda H, Ishitani O. Development of efficient photocatalytic systems for CO2 reduction using mononuclear andmultinuclear
metal complexes based onmechanistic studies. Coord.Chem. Rev. 2010; 254:346–54
• J. Moser, M. Grätzel, Light-induced electrontransfer in colloid semiconductor dispersions: single versus dielectronic
reduction of acceptors by conduction-band electrons, J. Am. Chem. Soc. 1983; 105; 6547–6555.
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•Park S, Ruoff RS. Chemical methods for the production of graphenes. Nat Nanotechnol 2009;4(4):217–24.
•Loh KP, Bao Q, Eda G, Chhowalla M. Graphene oxide as a chemically tunable platform for optical
applications. Nat Chem 2010;2(12):1015–24.
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