1. ये जशने आज़ादी है ?<br />प्रधान मंत्री जी ने देश को <br />बड़ी_ बड़ी सौगातें ,<br /> महंगाई ,परमाणु करार दिए हैं <br />तो अमर सिंह भी कहाँ कम हैं ? <br />मोटी रकम भिजवा कर, <br />संजीव सक्सेना को फरार किये हैं | <br />बाढ पीड़ित क्षेत्रों का दौरा कर <br />प्रधानमंत्री जी लौट आये हैं <br />कितनी मौतें हुई, कितनी फसलें क्षतिग्रस्त हुईं <br />जायजा ले आयें हैं <br />राहत कार्यों में कोताही न बरतने के निर्देश दे <br />सात सितारा होटल में बिछोना लगवाएं हैं <br />अब केंद्र सरकार से अरबों रुपयों की <br />अनुदान- राशि लेने का प्लान बनाये हैं | <br />हिंसा और आगजनी की आंच पर <br />अपने स्वार्थ की रोटियाँ सेकने के लिए <br />मंत्री जी ने, आतंकवादियों द्वारा बिछाए गए <br />बमों के जाल पर,जनता से न घबरा कर,<br />एकजुट रहने के नारे लगाये हैं,<br />सी.बी.आई .द्वारा जांच के निर्देश भी निकलवाए हैं |<br />नेता, आरक्षण के नाम पर <br />शिक्षित जनता तक को गुटों में बाँट दिए हैं <br />अंग्रेजों की तरह quot;
फूट डालो राज करो की नीति अपनाये हैं <br />पोंगा पंडितों ने, राम -नाम की लूट के सहारे,<br />धर्म के ठेकेदारों ने वाक-पटुता के सहारे, <br />quot;
नए मौसम की नई फसलquot;
की तरह उगे नेताओं ने,<br />ठेके दिलवाने के बहाने ,महानगरों में न सही,<br />गंगा -जमुना के किनारे अपने मठ बनवाये हैं,<br />भगवन को दरकिनार कर <br />स्वयं को किनारे लगाये हैं |<br />राजनीतिक दांव पेंचों के चलते <br />स्वार्थ और संकीरणता के बोझ तले<br />वो मेरा देशquot;
भारत quot;
कहाँ खो गया ?<br />वो मेरा वतन quot;
हिन्दुस्तान quot;
कहाँ खो गया ?<br />६० वर्षों में कहाँ गई वो देश की रवानी ?<br />लोकतंत्र में किधर बह गई वो देश की जवानी <br />कहाँ गई वो माताएं, वो पुतली, जीजाबाई <br />कहाँ गई मैडम कामा कहाँ, वो पन्नाधाई ?<br />कहाँ गए रान्नाप्रताप वो गढ़ चितोड़ की हादी रानी ?<br />कहाँ गई वो छेल -छबीली, वो झांसी की रानी ?<br />माताएं बेखबर हो गई , पूत सो गए <br />बागवां रखवाली के नाम पे, खर बो गए <br />चुरा रहे गंध गुलों की, अपना गुलशन गुलजार कर रहे ,<br />क्या हम आजादी का जश्न मना रहे ?<br />माना खत्म हो गयी आज़ादी की जद्दोजहद,<br />आज़ादी की जंग, लेकिन <br />तूफानों से निकलकर कश्ती जिन्हें संभलाई थी,<br />वो जवानी क्यों सो गयी ?<br />कसम खायी थी, देश की आज़ादी की रक्षा की <br />फिर, वो जवानी, देश की कश्ती को, <br />क्यों साहिल पे डुबो गयी, क्यों ?<br />उठें, जागें <br />कश्तियों को फिर से किनारा दिखाएँ,<br />तिरंगे को एक बार फिर लहराएँ<br />प्रतिज्ञा करें ,संकल्प दोहराएं<br />चरित्रहीनता से ऊपर उठने का <br />आतंकवाद से लड़ने का <br />जितने पाक इरादों से जिहाद के नाम पर <br />आतंकी आतंक फैलाते हैं, उतने ही पाक इरादों से <br />इन्हें सजा देने का <br />जाफ़र जयचंदों से देश को बचाने का, <br />खुद जयचंद न बनने का <br />भगतसिंह, खुदीराम ने मादरे वतन की कसम खायी थी, <br />हम उनकी शहादत की कसम खाएं,<br />हमारे देश को हमारा समझें <br />ऐसा मन बनायें,<br />देश की तरक्की की आरजू जगाएं <br />रामप्रसाद बिस्मिल की,<br /> quot;
सरफरोशी की तमन्नाquot;
<br />एक बार फिर दोहरायें <br />जब तक जान न हो जुदा, <br />तन से <br />देश की धरती को जन्नत बनाने के, <br />ख़्वाबों को हकीकत बनाएं,<br />हकीकत बनाएं |<br />मोहिनी चोरडिया<br />