1. दे श का
दे श का सलाम
ताि और टाईडे ट होटल की लॉबी
सलाम
िो लहूलुहान होकर िससक पड़ी
लेिकन ििर तनकर खड़ी हो गई
आतंकवाद क लमबे हाथो ने
े होटल की लॉबी को तैयार करने
ििसका बेटा छीन िलया वालो की
चीतकार कर उठी आतमा
इस िितरत को
उसकी एक बार तो
दे श का सलाम
लेिकन ििर संभली
ििसक पती और बचचे नहीं रहे
े
दसरे बेटे को भी तैयार कर िदया
ू
ििर भी काम से मुहं नहीं मोड़ा
दे श की िहिाित क िलए
े
उस मेनेिर क और सॉिलडे िरटी
े
शहीद की माँ की इस िहममत िदखाने क िलए
े
को ताि मे कोिी पीने आये
दे श का सलाम . मुंबईकारो के
िो बेटे की लाश को अपना कधा
ं
इस िजबे को
दे ता है
दे श का सलाम
और चाहकर भी रोता नहीं ,
मेरे दे श क गुरर को ,
े
शहीद क िपता क इस
े े तेवर को सेिनको , दे शवािसयो क सुरर को ,
े
दे श का सलाम
शहीदो की शहादत को,
शहादत का िसनदर
ू
लोटकर न आने वालो को,
ििसे िचर सधवा रखता है
दे श का सलाम .
िो िीवन भर वद
ृ
सास
और ननहे बचचो का सहारा बनी
रहती है ,
दे श की बेटी , शहीद की पती के
इस हौसले को