1. तुम कहाँ हो
पता नहीं,
शायद यहीं कहीं ,
नहीं- नहीं ,
यहीं
आसपास ही कहीं ,
कयोिक ,
तुमहारी सगंध ,तुमहारी सवास ,
ु ु
किियो मे चटकती हे ,
फिो मे बसती हे ,
ू
हवाओं क संग घूमती हे .
े
तुमहारा अकस ,तुमहारी आकृ ित
कभी बादिो मे
कभी पानी मे ,
खेतो मे , खििहानो मे
या की मंडे र पर बैठे पकी मे
ु
हर कहीं उतरी िदखती हे
तुमहारी उपिििित
भोर की नीरवता मे
सांजझ क सकन मे
े ु ू
2. रात की शीतिता मे
िवशाम करती महसस होती हे .
ू
तुमहारी ऊजाा
हवा की सरसराहट मे ,
पेड़ो की डोिती फनिगयो मे
ु
समनदर की िहरो मे
पेमी क पैरो मे
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घुंघर बांध नाचती िदखती हे .
तुमहारे होने का पमाण
जनमते बािक क रोने मे ,
े
अिी क कोने मे
े
िमि ही जाता हे .
आस- पास ही नहीं
हर कहीं
तुम हो, तुम ही तो हो .
mohinichordia