फाइब्रोमायल्जिया (FMS)
फाइब्रोमायल्जिया (FMS) एक चिरकारी (क्रोनिक) रोग है जिसमें शरीर की विभिन्न मांस-पेशियों और लिगामेंट्स में बहुत दर्द रहता है। हल्का सा दबाने या स्पर्श करने से दर्द एकदम बढ़ जाता है। इस रोग में दर्द के साथ थकावट, निद्रा और जोड़ो में जकड़न भी रहती है। कुछ रोगी भोजन निगलने में दिक्कत, मूत्र तथा मल विसर्जन विकार, सिरहन, सुन्नता और संज्ञानात्मक विकार की शिकायत करते हैं। इस रोग को फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम भी कहते हैं। इस बीमारी से पीड़ित रोगी कुछ सह विकार जैसे अवसाद (Depression), चिंता, मानसिक तनाव और तनाव संबंधी रोग जैसे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से भी ग्रस्त हो सकता है। इस रोग का आघटन कुल आबादी का 2-4% है। यह मुख्यतः स्त्रियों का रोग है। स्त्री और पुरुष में इसके आघटन का अनुपात 9:1 है। यह रोग 35 से 45 वर्ष की स्त्रियों को शिकार बनाता है। फाइब्रोमायल्जिया नाम लेटिन शब्द, fibro, जिसका मतलब "तंतुमय ऊतक", ग्रीक शब्द myo, इसका शाब्दिक अर्थ मसल और कनेक्टिव टिश्यू और algia का मतलब पेन हुआ।
इस बीमारी के रोगियों के मस्तिष्क में कुछ संरचनात्मक और कार्यात्मक विकृतियां देखी जा सकती हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये विकृतियां इस रोग के कारण होती हैं या किसी अन्य विकार के कारण। कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि मस्तिष्क की ये विकृतियां बचपन में किसी लंबे या गंभीर तनाव के कारण होती हैं। कुछ शोधकर्ता इसे रोग को पेशीकंकालीय (Musculoskeletal) रोग मानते हैं तो कुछ इसे स्नायु-मनोरोग (Neuropsychiatric) बतलाते हैं। इसका निदान लक्षण, उनकी तीव्रता और पेन-इंडेक्स के आधार पर किया जाता है।
अभी तक इस रोग का कोई उपचार नहीं है। सिर्फ लक्षणों को दबाने के लिए प्रशामक उपचार दिया जाता है। साथ में व्यवहार चिकित्सा, शिक्षा और व्यायाम की भूमिका भी महत्वपूर्ण हैं। यू.एस. नेशनल इंस्टि
1. 1|P a g e
फाइब्रोमायिल्ज(FMS)
फाइब्रोमायिल्जय(FMS) एक िचरकारी (क्रोि) रोग है िजसमें शरीर क� िविभन्न मा-पेिशयों
और िलगामेंट्स में बह�त ददर् रहता है। हल्का सा दबाने या स्पशर् करने से ददर् एकदम बढ़ जा
इस रोग में ददर् के साथ थका, िनद्रा और जोड़ो में जकड़न भी रहती है। कुछ रोगी भो
िनगलने में िदक्, मूत्र तथा मल िवसजर्न िव, िसरहन, सुन्नता और सं�ानात्मक िवकार क
िशकायत करते हैं। इस रोग को फाइब्रोमायिल् िसंड्रोम भी कहते हैं। इस बीमारी से पीि
रोगी कुछ सह िवकार जैसे अवसाद ( Depression), िचंता, मानिसक तनाव और तनाव संबंधी
रोग जैसे पोस्-ट्रॉमेिटक स्ट्रेस िडसऑडर्र से भी ग्रस्त हो सकता है। इस रोग का
आबादी का 2-4% है। यह मुख्यतः ि�यों का रोग है। �ी और पु�ष में इसके आघटन
अनुपात 9:1 है। यह रोग 35 से 45 वषर् क� ि�यों को िशकार बनाता है फाइब्रोमायिल् नाम
लेिटन शब्, fibro, िजसका मतलब "तंतुमय ऊतक", ग्रीक शब myo, इसका शािब्दक अथर
मसल और कनेिक्टव िटश्यू औalgia का मतलब पेन ह�आ।
इस बीमारी के रोिगयों के मिस्तष्क में कुछ संरचनात्मक और कायार्त्मक िवकृितयां द
सकती हैं। लेिकन यह स्प� नहीं है िक ये िवकृितयां इस रोग के कारण होती हैं या िकसी
िवकार के कारण। कुछ शोधकतार् मानते हैं िक मिस्तष्क क� ये िवकृितयां बचपन में िकसी लंब
गंभीर तनाव के कारण होती हैं। कुछ शोधकतार् इसे रोग को पेशीकंकाली( Musculoskeletal)
रोग मानते हैं तो कुछ इसे स्ना-मनोरोग ( Neuropsychiatric) बतलाते हैं। इसका िनदान
ल�ण, उनक� तीव्रता और प-इंडेक्स के आधार पर िकया जाता है।
अभी तक इस रोग का कोई उपचार नहीं है। िसफर् ल�णों को दबाने के िलए प्रशामक उ
िदया जाता है। साथ में व्यवहार िचिकत, िश�ा और व्यायाम क� भूिमका भी महत्वपूणर् ह
य.ू एस. नेशनल इंिस्टट्यूट ऑफ हैल्थ एन्ड अमे�रकन कॉलेज ऑफ �मेटोलोजी ने इस रोग
के न्द्रीय स्नायु तंत्र का रोग मान फाइब्रोमायिल् एक स्नायु िवकार है िजसमें रोगी को दद
क� अनुभूित, स्नायुमनोवै�ािनक ल�ण औ सं�ानात्मक िवका हो सकते हैं। कुछ संशयी
शोधकतार् तो इसे रोग ही नहीं मानते हैं क्योंिक न तो जांच करने पर िचिकत्सक कोई ि
पकड़ पाता है और न ही आज तक कोई इसके िनदान के िलए कोई िवशेष जांच खोज पाया है।
2. 2|P a g e
ल�ण
ददर्
फाइब्रोमायिल् के मुख्य ल�ण शरीर के िविभन्न िहस्सों में िचर( Chronic) तीव्र द,
वेदना, थकान और छूने मात्र से ददर् का यकायक बढ़ जा( Allodynia) है। ददर् लंबे समय तक
बना रहता है। इस रोग में ददर् ा-पेिशयों और टेंडन्स में होत, जबिक आथ्रार्इिटस में
म
जोड़ों में होता है। ददर् प्रायः, कं धे, कमर और कूल्हों में होता है। ददर् , जलन या चुभन
जैसा होता है। स्पशार्स�त( Tenderness) सुबह सबसे अिधक होती है। साथ ही रोगी को
त्वचा में िसर, पेिशयों में लंबे समय तक जक, हाथ पैरों में कमजो, नसों में द, पेिशयों मे
िखंचाव ( Muscle Twitching), �द्र( Palpitation), िक्रयात्मक मल िवसजर्न िवकार
िनद्रा िवकार हो सकते है
थकान
FMS के अिधकांश रोिगयों को भारी थकान रहती है। यह बह�त ही प्रमुख ल�ण है और
शोधकतार् तो क्रॉिनक फटीग िसंड्रो फाइब्रोमायिल् का एक ही रोग मानते हैं। इन दोनो
रोगों के बीच क� सीमा रेखा बह�त अस्प� होती है। थकान मामूली या बह�त तेज हो सकती है। क
बार थकान इतनी ज्यादा होती है िक रोगी अपने िनत्य कायर् भी नहीं कर पाता है। थकान होने
रोगी बैठ गया या लेट गया तो िफर उसके िलए ज�री काम के िलए उठना भी मुिश्कल हो जाता
है।
मानिसक धुँध या "Fibrofog"
कई रोिगयों को कई सं�ानात्मक िवका( Cognitive Dysfunction) हो सकते हैं। इसे
मानिसक धुँध या "Fibrofog" भी कहते हैं। इनमें रोगी को ध
-सृंस ( Impaired
Concentration), अल्पकािलक या दीघर्कािलक स्म
-भ्रं( Shortand Long-term
Memory Disorders), अल्पकािलक बह-कायर् अ�मता( short-term multi-task), सं�ा स्तम्( Cognitive overload), ( Impaired Speed of Performance ) और धी -सृंस
(Diminished Attention Span) आिद ल�ण हो सकते हैं। फाइब्रोमायिल् के रोगी को
बह�धा िचंताकुलता और अवसाद के ल�ण भी होते हैं।
3. 3|P a g e
सहिवकार comorbid Conditions
फाइब्रोमायिल्ज (FMS) के रोगी को कुछ सहिवकार हो सकते हैं जैसे मायोफेिशयल िसंड्,
िवस्तृत अत्वचीय अपसंवेदनत( Diffuse non-dermatomal Paresthesias), कायार्त्म
मल िवसजर्न िवकार( Functional Bowel Disturbances), वाितक गहणी ( Irritable
ृ
Bowel Syndrome), जननमूत्रांगी ल�( Genitourinary Symptoms) तथा अंतरावरण
मूत्राशय शो( Interstitial Cystitis), त्वचा िवका, िसरददर, पेिशयों का फड़कना
(Myoclonic Twitches) और अल्पशकर्रामयत(Hypoglycemia)। FMS में वैसे तो शरीर मे
कहीं भी ददर् हो जाता है लेिकन कुछ रोिगयों में प्रायः अमुक स्थानों पर ज, गदर्, कमर,
कूल्हे या िकसी अन्य स्थान पर ददर् होता है। कुछ रोिगयों में तेज या हल्-प्रावरणी दद
(Myofascial Pain) हो सकता है और शंख हनु संिध िवकार ( Temporomandibular Joint
Disorder) हो सकता है। प्रायः आमवाितक संध्या-शोथ ( Rheumatoid Arthritis) और
सांस्थािनक रि�म त्वग्य�(Systemic Lupus Erythematosus) के 20-30% रोिगयों को
फाइब्रोमायिल् FMS हो सकता है।
कारण
फाइब्रोमायिल्ज(FMS) का स्प� कारण अ�ात है। इस रोग के कारणों के संदभर् में वै�ािनको
कई प�रकल्पनाएं क� ह, जैसे के न्द्रीय संवेदीक("central sensitization")। इस प�रकल्पना
के अनुसार ददर् के संकेतों के प्रित मिस्तष्क क� संवेदनशीलता बढ़ने के कारण मिस्तष्क
सहन करने क� सीमा ( threshold for pain) कम हो जाती है। सरल शब्दों में मिस्तष्क मे
अनुभूित के एम्प्लीफायर सरिकट का वोल्यूम कंट्रोल बढ़ जात
आनुवंिशकता
इस िदशा में हो रहे अनुसंधान बह�त प्रारंिभक अवस्था में है और संकेत भर िमले हैं ि
प�रवार में िकसी �ी को यह रोग ह�आ है तो उस वंश क� अन्य ि�यों को इस रोग का जोि
अिधक रहता है।
4. 4|P a g e
तनाव
फाइब्रोमायिल्ज(FMS) रोग के िवकास में तनाव प्रमुख भूिमका िनभाता है। इस रोग के स
chronic fatigue
प्रायः कुछ तनाव संबंधी सहिवकार जैसे क्रोिनक फटीग िसं(
syndrome), वाितक गहणी ( irritable bowel syndrome) और अवसाद ( depression)
ृ
होते ही हैं। अनुसंधानकतार्ओं ने शु�आती शोध के अनुसार बचपन या युवावस्था में शारी
और लैंिगक प्रताड़ना फाइब्रोमायिल् से परस्पर संबंध देखा गया है।
शोधकतार्ओं ने दो अलग अलग अध्ययनों FMS के रोिगयों के मिस्तष्क क� िसंगल वोक्
मेगनेिटक �रजोनेंस स्पेक्ट्रोस (1H-MRS) द्वारा जांच क� और रोिगयों के िहप्पोकेम्प
कुछ चयापचय िवकृितयां िचिन्हत क� थी। िविदत रहे सं�ानात्मक का, िनद्रा िनयं, स्मृि,
ददर् क� अनुभूित आिद कायर् िहप्पोकेम्पस में ही सम्पन्न होते हैं। शोधकतार्ओं ने कय
िक हो न हो इन्हीं िवकृितयों के कारण रोगी को उपरो� ल�ण होते ह
डोपामीन प�रकल्पन
इसके अनुसार फाइब्रोमायिल्ज(FMS) क� उत्पि� डोपामीन िनयोिजत नाड़ी संदेश प्रवाह
आई �कावट आने के कारण होती है। डोपामीन के टेकोलामीन नाड़ी संदेशवाहक है और ददर् क�
अनुभूित और प्राकृितक ददर् िनवा(Natural Analgesia) में सहायता करता है। डोपामीन क�
कमी हो जाने को हाइपोडोपािमनिजर्या कहते हैं FMS के एक सहिवकार रेस्टलेस लेग िसंड्र
(Restless Leg Syndrome) में भी डोपामीन क� भूिमका देखी गई है। FMS के कई रोिगयों
को डोपामीन उत्प्रेरक दवा प्रोिमपेक्सोल देने से उनके डो D2/D3 अिभग्राहक प्रोत्स
ह�ए और रोग में बह�त लाभ देखा गया। यह दवा पािकर्नसन्स रोग और रेस्टलेस लेग िसंड्रोम
जाती है।
सीरोटोिनन चयापचय िवकार
सन् 1975 में शोधकतार्ओं ने अनुमान लगाया ि FMS क� रोगजनकता में सीरोटोिनन नामक
नाड़ी संदेशवाहक क� भूिमका हो सकती है जो िनद्र( Sleep patterns), मनोदशा ( Mood)
और ददर् क� अनुभूित को िनयंित्रत करता है। स1992 में FMS के रोिगयों के खून और मिस्तष
मे� द्र( Cerebrospinal Fluid) में सीरोटोिनन के चयापचय उत्पाद पाये गये। हालांिक इ
रोग में Selective Serotonin Reuptake Inhibitors (SSRIs) के प्रयोग से िसिमत ला
5. 5|P a g e
देखा गया लेिकन Serotonin-Norepinephrine Reuptake Inhibitors (SNRIs) का
प्रयोग बह�त सफल रहा। अवसाद और डायबीिटक नाड़ीरोग के िलए अनुमोिदत ड्युलोक्सेटी
ि�यों में बह�त फायदेमंद पाई गई है। हां पुरषों को इससे फायदा नहीं ह
ग्रोथ हाम�
हालांिक FMS के कई रोिगयों में ग्रोथ हाम�न्स द्वारा िनयंित्रत हा IGF-1, कोिटर्जोल
(Cortisol), लेिप्टन(Leptin) और न्युरोपेप्टाइड वा( Neuropeptide Y) अिनयिमत पाये
गये, लेिकन उन्हें ग्रोथ हाम�न्स देने से िवशेष फायदा नहीं ह�आ। ऐसा कहा जा रहा है ि
इस िदशा में और शोध करने क� ज�रत है।
मनोिव�ािनक पहलू
अक्सर FMS और िडप्रेशन में चोली दामन का साथ देखा गया है। हालांिक इस िवषय
शोधकतार्ओं में मतभेद है शायद अभी और शोध करने क� आवश्यकता है।
गदर्न में च
गदर्न क� चोट भी इस रोग का जोिखम बढ़ाती है।
अिनद्र
शोधकत�ओं ने अिनद्रा औफाइब्रोमायिल् में परस्पर संबंध देखा है
एडीनोसाइन मोनोफोस्फेट डीएमाइनेज टाइप1 क� कमी
एडीनोसाइन मोनोफोस्फेट डीएमाइनेज टाइप1 क� कमी (िजसे MADD कहते हैं और यह एक
अप्रभावी आनुवंिशक चयापचय िवकार ) से भी रोगी को FMS जैसे ही ल�ण जैसे ददर् क�
संवेदना बढ़ना, थकावट और सं�ा स्तम्( Cognitive Dysfunction) होते हैं इसीिलए
MADD में दी जाने वाली दवा राइबोज(Ribose) FMS में भी िहतकारी पाई गई है।
6. 6|P a g e
स्नाय-प्रितर-अंतःस्रावी िवका(Neuro-immunoendocrine disorder)
शोधकतार्ओं को कुछ ऐसे संकेत िमले हैं ि FMS स्नाय-प्रितर-अंतःस्रावी िवकार है FMS के
रोिगयों केCerebral spinal Fluid में पी पदाथ, IL-6, IL-8 और कोिटर्कोट्रोफो-�रलीिजंग
हाम�न ( Corticotropin-Releasing Hormone) के स्तर में बढ़ोतरी देखी गई है FMS के
रोिगयों क� त्वचा क� बायोप्सी में बह�त मास्ट सेल देखे गये हैं। इसिलए हल्दी में पाया जा
प्रदाहरो, मास्ट सेल इन्हीबीटर और प्राकृितक तत्व क्युअर FMS के रोिगयों के िलए
िहतकारी सािबत हो रहा है।
सन् 1975 में मोल्डोफस्काई और सािथयों ने फाइब्रोसाइिटस िसंड्रोम के रोिगयों
अवस्था में.ई.जी. जांच क�। ई.ई.जी. में अल्फा तरंगों क� सिक्(जो प्रायः जागृत अवस्
में ही देखी जा सकती ह) िदखाई दी। शोधकतार्ओं ने यह भी देखा िक स्वस्थ व्यि�यों क�
में जब खलल डाला गया तो उन्हें पेिशयों में ददर् होने
िनदान
ऐसी कोई जांच नहीं है जोफाइब्रोमायिल्ज(FMS) रोग
का स्प� िनदान कर सके। अिधकतर रोिगयों में सा
प्रयोगशाला परी, एक्-रे, मांस-पेिशयों क� जीवोित
जांच ( biopsies), सी.टी. और अन्य स्केन्स सामा
आते हैं। इन्फ्लेमेशन के माकर्सर् ज.एस.आर या
सी.आर.पी. िबलकुल सामान्य रहते हैं। कई रोिगयों
�मेटॉयड आथ्रार्इिटस या ऑिस्टयोआथ्रार्इिट
ल�ण होते हैं। FMS का िनदान अिधकांश िचिकत्सक
अन्तरात्मक िनदा( differential diagnosis) के
आधार पर करते हैं। वे रोगी के ल�, िलंग, उम,
भौगोिलक िस्थि, िचिकत्सक�य इितहास और अन्
पहलुओं के आधार सभी संभािवत रोगों को ध्यान में रखते हैं और उनके िनदान हेतु अनुमो
परी�ण करवाते हैं। िफर सभी परी�णों क� िववेचना करके ही सही िनदान हो पाता है। अमे�रक
कॉलेज ऑफ �मेटोलोजी ( ACR) ने सन् 1990 में फाइब्रोमायिल् के िनदान हेतु िनम्न
मापदंड़ तय िकये हैं।
7. 7|P a g e
FMS का िनदान ल�ण और स्पशार्स�ता िबंदुओ( tender points) के आधार पर िकया जाता
है।
यिद रोगी को तीन महीने या अिधक समय से शरीर में दोनों त, कमर के नीचे तथा ऊपर और
अ�ीय कं काल या axial skeleton ( जैसे गदर्न क� कशे�क, छाती का अग्र भ, छाती या
कमर) में ददर् हो रहा हो।
फाइब्रोमायिल्ज के िनदान हेतु ACR ने शरीर में18 स्पशार्स�ता िबंद( tender points)
सुिनि�त िकये हैं। इनमें स11 या अिधक िबंदुओं को अंगली या अंगूठे से दबाने पर ददर् हो तो मान
ु
िलया जाता है िक रोगी को फाइब्रोमायिल्ज (FMS) है। दबाव लगभग 4 िकलो का होना
चािहये।
अंतरात्मक िनदान
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क्रोिनक फटीग िसंड
ऐडीसन्स रो
िहपेटाइिटस सी
हाइपरपेराथायरॉयिडज्
हाइपोकोंड्राय
व्यि�त्व िवक
पॉलीमायिल्जय
पोस्-ट्रोमेिटक स्ट्रेस िड
पी�रयोिडक िलंब मूवमेंट िडसऑडर/रेस्टलेस लेग िसंड्
इ�रटेबल बावल िसंड्र
इंटरिस्टिशयल िसस्टाइि
क्रोिनक पेिल्वक िसं/ प्राइमरी िडसमेनो�र
टेंपोरोमेंडीबुलर जॉइंट प
टेंशन हेडे/माइग्र
8. 8|P a g e
उपचार
फाइब्रोमायिल्ज(FMS) रोग का कोई उपचार नहीं ह , िसफ
र् ल�णों का इलाज िकया जाता है
इस रोग के कारण और िवकृित-िव�ान पर ह�ई शोध से उपचार में सुधार आया है। इस रोग में इ
cognitive-behavioral therapy),
िदनों दवाइया, सं�ानात्मक व्यवहार िचिकत्(
व्याया, िश�ा, और वैकिल्पक िचिकत्सा दी जाती है
सं�ानात्मक व्यवहार िचिकत्(cognitive-behavioral therapy)
औषिधयाँ
FDA ने फाइब्रोमायिल्ज (FMS) के िलए िप्रगाबािलन को ज, 2007 मे, ड्युलोक्सेटीन को
जून, 2008 में और िमलनेसीप्रान को जन, 2009 में अनुमोिदत िकया है। िप्रगाबािलन
ड्युलोक्सेटीन अिधकांश रोिगयों को फायदा करती , लेिकन इससे कई रोिगयों को कोई लाभ
नहीं होता है। लेिकन ददर् और अन्य ल�णों में िमलनेसीप्रान अिधक प्रभावशाली सािबत
अवसाद रोधी Antidepressants
अमे�रकन मेडीकल एसोिसयेशन मानता है िक अवसाद रोधी दवाइयाँ FMS के रोिगयों में द,
अवसाद, थकावट, िनद्रा िवकार और जीवन स्तर में बह�त सुधार होता है। ित्रचक्र�य
रोधी बह�त प्रभावशाली हैं लेिकन इनके कई कुप्रभाव होते हैं क्यों िक ये , कॉलीनिजर्क
या िहस्टेिमनिजर्क अिभग्राहक और सोिडयम चेनल्स क�-प्रणाली में छेड़छाड़ करते है
सलेिक्टव सीरोटोिनन �रअपटेक इिन्हबीटस
(SSRIs) और सीरोटोिनन नॉनइिपनेफ्र�
�रअपटेक इिन्हबीटसर(SNRIs) के कुप्रभाव कम होते ह
ट्रामाड
ट्रामाडोल केन्द्रीय िक्रयाशील ददर् ि, जो असामान्य ऑिपऑयड और अवसाद रोधी क�
तरह भी कायर् करता है। यह FMS में मध्यम प्रभावी है। पेरािसटेमोल के साथ यह जल्दी से
करता है और इसका असर देर तक रहता है। यह युग्म प्रभावशाली, सुरि�त है, सहनीय है
और दो वषर् तक भी सफलतापूवर् िदया जा सकता है। असहनीयता भी उत्पन्न नहीं होती है
9. 9|P a g e
कोडीन और पेरािसटेमोल के समान प्रभावी , लेिकन इससे नींद आने और कब्जी क� तकली
कम होती है तथा NSAIDs के जैसे कुप्रभाव भी कम होते है
अस्पमार रोधी
FMS में अस्पमार रोधी दवा गाबापेंिटन प्रयोग में नहीं ली जाती है। िप्र
450 िमिलग्र/िदन क� मात्रा में दी जा सकती है। ोच्रेन डाटाबेस के अनुसार इसके प्र
क
कुछ रोिगयों को संतोषजनक फायदा होता ह, ज्यादातर को मध्यम और कुछ को कोई लाभ नह
होता है या कुप्रभाव के कारण दवा बंद करनी पड़ती है।
डोपामीन ऐगोिनस्ट
डोपामीन ऐगोिनस्ट जैसे प्रेमीपेक्सोल और रोिपिनरोल से भी कुछ ही रोिगयों को थोड़ा लाभ
पाता है। लेिकन बाध्यकारी जुआ खेलना या खरीदारी करना( compulsive gambling and
shopping) जैसे कुप्रभाव हो सकते है
मसल �रलेक्सेंट्
साइक्लोबेंजाप्र( Cyclobenzaprine) एक मसल �रलेक्सेंट्स , जो मांस पेिशयों क�
अकड़न और ददर् में प्रयोग क� जाती है। इस पर बह�त शोध ह�ई है FMS में सफलतापूवर्
प्रयोग क� जा रही है
िटजािनडीन ( Tizanidine) के न्द्रीय िक्रयाशील-2 ड्रीनिजर्क ऐगोिनस्ट है और मल्
िस्क्लरोि, स्पािस्टक डायप्लेि, कमर ददर, चोट आिद में पेिशयों क� जक, अकड़न और
ऐंठन के िलए प्रयोग क� जाती है। यह भFMS में सफलतापूवर्क प्रयोग क� जा रही
व्यायाम
FMS में व्यायाम का बह�त महत्व है। इससे म-पेिशयों क� जकड़न और अकड़न दूर होती ह,
नींद अच्छी आती है और शरीर के प्राकृितक ददर् िनवारक तत्वों का स्राव FMS के िलए
तैराक� और जल क्र�ड़ाएं बह�त मुफ�द सािबत ह�ई है FMS में �रबाउंडर पर उछलना सचमुच जादू
क� गोली है।
10. 10 | P a g e
तनाव प्रबंध
तनाव और िचंताकुलता से इस रोग के ल�ण तीव्र होने लगते हैं। इसिलए तनाव कम करना बह
ज�री है। इसके िलए योग, प्राणाय, मानिसक शांित, सकारात्मक आत्मदशर() या वह कुछ
भी िजससे आपको शांित िमलती है िनयिमत करें।
एक्यूपंचर – शरीर क� सू�म ऊजार् प्रणाली को संतुिलत करती, और ददर, जकड़न, एंठन में
िहतकारी है।
स्नेहन(Massage Therapy) - से तनाव कम होता है, र�संचार उ�ेिजत होता है और मांसपेिशयों क� वेदना कम होती है।
प्राकृितक अनुपूर
ओमेगा-3 फटी एिसड्स – ये प्रदाह को कम करते हैं और ददर् को भी कम करते हैं। इनका स
ै
स्रोत अलसी और इसका तेल है
एल-कािनर्टीन– मांस-पेिशयों को संबल देता है।500 से 2000 िमिलग्राम प्रित िदन लेना उ
है।
मेग्नीिशयम और मैिलक एिसड – दोनों हीFMS के कई ल�ण ठीक करने में मदद करते हैं। इन्
क्रमश200 िमिलग्राम तीन बार औ800 िमिलग्राम एक बार लेना चािहये
एस-एडीनोिसलमीिथयोनीन - या S-adenosylmethionine (SAMe) मन प्रसन्न रखता ह
इसे 800 िमिलग्राम एक बार लेना चािहये
कै िल्शयम और िवटािम-डी - अिस्थ और मां-पेशी को मजबूत बनाता है।
एन.ए.डी.एच NADH (Nicotinamide Adenine Dinucleotide) ऊजार् देता ह, 20 िमिलग्रा
प्रित िदन िलया जा सकता है
क्लोरेला– जो नीली हरी काई ( Blue-green Algae) से बनाई जाती है, FMS में मददगार है
और इसे वसाका गोल्ड िलिक्वड एक्सट्रे क्ट के साथ िलया जात
के ट्स क्ल, हलदी और ब्रोमीला- ददर् और प्रदाह में पाये गये
जड़ी-बूिटयाँ
रेड क्लोवर( Trifolium pratense - Red clover) – यह ऊजार्दायक और र�ाप्रणा
उ�ेजक है। साथ ही यह िवटािमन-बी और सी का अच्छा स्रोत ह
11. 11 | P a g e
फाइब्रोमायिल् (FMS) में प्रयु� होने वाली औषिधय
दवा का नाम
िप्रगाबािल
व्यवसाइक ना
उपलब्धता
Gabamax-SR
के प्यूल75,
75/150,
150 mg
Revlin 75/150
Revlin-M 75/750
Neugaba
75,
Gabanext 75 /150
Pregabin-Plus 150
PEVESCA PLUS
वजर ्ना
पा�वर प्रभ
मात्
अितसंवेदनशीलता ,
गभार ्वस्, स्तनपा,
के प्यूल खा कर
मशीन या गाड़ी नहीं
चलायें
चक्क, सुस्त, मह सूखना,
ुँ
जन, वजन बढ़ना, नजर में
सू
धुंधलापन, सरददर , प्लेटलेट कम
होना, माँस-पेिशयों में द, एँठन
व कमजोरी, बुखार, आत्महत्य
के िवचार आना
150 mg प्रित िद
(तीन बार मे) शु� करें
और बाद में बढ़ा कर300
mg प्रित िदन कर
धड़कन बढ़ना, धुधली नजर, मह
ँ
ुँ
सूखना, कब्ज, वजन बढ़ना या
घटना, पॉस्चुरल हाइपोटेन्,
त्वचा में चक, यकृ तशोथ, िमग�
के दौरे, आत्महत्या करने क
इच्छा होन
40-150 mg प्रित िद
(दो या तीन खुराक मंे
िवभािजत करके ) कम
मात्रा से शु� करें
कम से कम मात्रा
उबकाई, मह सूखना, कब्ज,
ुँ
दस्, थकावट, चक्क, उच्च
र�चाप, िमग�, के दौरे, लैंिगक
िवकार, आत्महत्या के िवचा
आना
60 mg प्रितिद(दो-
Cyclobenza
prine
एिमिट्रप्टीली
TRYPTOMER
10/25/75,
TRIPTOP 10/25
गोली 10,
गभार ्वस्, बचपन,
25, 75 mg माओ इिन्हबीटस,
स्तनपा
Boswellia
Serrata
ड्युलोक्सेटीन
DUTIN, NUDEP- के प्स्यू20, स्तनपा
30, 60 mg
20
तीन खराक मं िवभािजत
े
ु
करके )
Tizanidine
Pramipexole
Ropinirole
पेशन फ्लॉवर( Passiflora या Passionflower) – FMS में यह िचंत, तनाव, अिनद्रा आिद
कई ल�णों में राहत देती है
वेले�रयन (Valeriana officinalis - Valerian) – यह FMS के उपचार क� अिग्रम कतार म
शािमल है। यह प्राकृितक िनद्रादायक है और -पेिशयों क� वेदन, तनाव और एंठन को कम
12. 12 | P a g e
करती है। साथ ही यह सजकता औक एकाग्रता बढ़ाता है और मिस्तष्क का धुँधल( "brain
fog") दूर करता है।
के मोमाइल ( Chamomile) – शरीर और मन का शांत करती है तथा िनद्रादायक है। इसम
सेलेिनयम, िजंक और अन्य खिनज होते हैं जो र�ाप्रणाली को मजबूत करते
अ�गंधा –
िग्रफोिनया िसिhaिसकोिलया (Griffonia Simplicifolia) में 5-HTP होता है, जो अच्छा
प्राकृितक ददर् िनवारक ह
इिकनेिसया (Echinacea) - र�ाप्रणाली को मजबूत करता है और संक्रमण को रोकता है।
बच्चों को नहीं देना चािहय
बोसवेिलया सेराटा या शलाक� ( Boswellia Serrata) – प्रदाररोधी और द-िनवारक है और
FMS में बह�त िहतकारी पाई गई है
ब्लैक करेंट सीड ऑय(Black currant seed oil) – भी प्रदाररोधी और द-िनवारक है।