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29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times
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29 अगस्त, राष्ट्र ीय खेल दिवस को भारत के महान खखलाड़ी मेजर ध्यानचंि जी के जन्म दिन पर मनाया जाता
है, जो दवश्व में "हॉकी के जािू गर" के नाम से मशहूर थे ।
यह मेरा सौभाग्य था की दपछले ही महीने मेरी जान पहचान श्री अशोक ध्यानचंि जी से हुई जो मेजर ध्यानचंि
जी के सुपुत्र हैं ।
अजुुन पुरस्कार दवजेता श्री अशोक ध्यानचंि जी जो खुि भी भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रह चुके हैं।
अशोक जी के द्वारा की गई गोल से भारत ने 1975 में हॉकी दवश्व कप अपनी झोली में दकया था ।
अशोक जी ने हमारे दलए एक वेदिनार भी दकया, जहााँ हमें उनकी और मेजर ध्यानचंि जी के जीवन से जुडी
कई प्रेरणािायक और रोचक दकस्से सुनने को दमले। हमें उनके घर और उन्हें दमली हुई मेडल्स से भी रूिरू
होने का मौका दमला, जो अपने आप में ही एक अदवसमरणीय अनुभव था।
वेदिनार के िाि अशोक जी के साथ जि और िात-चीत होने लगी, ति अशोक जी ने मेजर ध्यानचंि और उनके
अनुभव, उनके जीवन के कई दकस्से व्हाट्सप्प चैट के माध्यम से िताने लगे। उन्हें जि मैं पढ़ने लगा तो मैं उनसे
और प्रेररत हुआ।
मैं उन्हींव्हाट्सप्प चैट्स को संकदलत कर ये छोटा सा प्रकाशन उन सभी के दलए हैं जो मेजर ध्यानचंि जी के
िारे में अदिक जानना चाहते हैं। कहींकोई गलत जानकारी हो तो माफ़ी चाहूंगा। आशा करता हूाँ की यह छोटी
सी पुखस्तका आपको भी प्रेररत करेगी।
िन्यवाि सदहत
िीपक कु मार गोयल
दनिेशक
इम्पीररयल कॉलेज
िरगढ़, ओदडशा
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29 August 2020
KHEL BHAVNASpecial Issue of Imperial Times
“जजिंदगी की सबसे बडी जीत उन चीजों से ऊपर उठ जाना हैं जजसे हम कभी
बहुत ज्यादा महत्व देते थे।”
In an International race, a Kenyan runner Abel Mutai got confused before the finishing line and didn’t
able to move forward. For a while he thought that the race was over. Just behind him Ivan Fernandez
a Spanish runner helped him to move forward by pushing Abel to win the race. It was not merely
the hard work but with the help of Ivan, Able won the gold medal. While interacting with reporters
Ivan said,
“My wish is that we all as a human being help each other to get our dreams fulfilled”
When the reporter asked: Why you helped a Kenyan runner to win? Ivan replied, “I didn’t help anyone
rather supported a deserving person.”
Further, Ivan said I never felt happy by getting such an award which I din’t deserve. How can I face
my mother as well as what reputation I shall carry for the next generation?
That is what “KHEL BHAVNA”
Now you decide whether Ivan is right or wrong?
In this special issue, we will remember such a player who is an example for all the Indians for his
“KHEL BHAVNA”
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी के कु छ रोचक तथ्य!
 ध्यानचंद के पिता सेना में थे। ध्यानचंद प्रारंपिक पिक्षा के बाद 15 साल की उम्र में सेना में िती हो गए। बचिन में उनको
हॉकी के प्रपत कोई लगाव नहीं था। सेना में िती होने के बाद वे खेलने लगे।
 21 वर्ष की उम्र में उन्हें न्यूजीलैंड जाने वाली िारतीय टीम में चुन पलया गया। इस दौरे िर िारतीय सेना की टीम ने 21
में से 18 मैच जीते।
 मेजर ध्यानचंद चंद्रमा की चांदनी में सारी रात अभ्यास ककया करते थे। इसी वजह से उनके साथी उन्हें चांद कहने लगे।
यहीं से उनका नाम ध्यानचंद िड़ गया।
 ध्यानचंद को हॉकी खेलने के पलए प्रेररत करने का श्रेय रेजीमेंट के एक सूबेदार मेजर पतवारी को है। मेजर पतवारी िी एक
हॉकी पखलाड़ी थे।
 23 वर्ष के ध्यानचंद को 1928 के एम्सटडषम ओलंपिक में िहली बार पहस्सा ले रही िारतीय हॉकी टीम में िापमल ककया
गया। यहां चार मैचों में िारतीय टीम ने 23 गोल दागे। ध्यानचंद ने 1928 में एम्सटडषम, 1932 में लॉस एंजेपलस और
1936 के बर्ललन ओलंपिक में िारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व ककया और िारत को स्वर्ष िदक कदलाया।
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 1932 में लॉस एंजेपलस ओलंपिक में
हॉकी फाइनल में िारत ने अमेररका
को 24-1 से हरा कदया। इस मैच में
ध्यान चंद ने 8 गोल ककए और उनके
छोटे िाई रूि ससह ने 10 गोल ककए।
वहीं 1936 के बर्ललन ओलंपिक में
ध्यानचंद िारतीय हॉकी टीम के
कप्तान थे। 15 अगस्त, 1936 को हुए
फाइनल में िारत ने मेजबान जमषनी
को 8-1 से हराया।
 ध्यानचंद का खेल देखकर जमषन
तानािाह पहटलर तक उनके खेल के
मुरीद हो गए थे। पहटलर ने उनको
जमषन सेना में िद ऑफर करते हुए
उनकी तरफ से खेलने का ऑफर
कदया था लेककन हॉकी के इस जादूगर
ने पहटलर का ये प्रस्ताव यह कहते
हुए ठुकरा कदया कक मैंने िारत का
नमक खाया है, मैं िारतीय हं और
िारत के पलए ही खेलूंगा। मेजर बॉल
अिने िास रखने में इतने मापहर थे
कक एक बार हॉलैंड में एक मैच के दौरान कुछ लोगों को िक हुआ कक मेजर की हॉकी में चुंबक लगा हुआ है पजसके कारर्
उनकी हॉकी तुड़वा कर देखी गई थी।
 साल 1948 में 43 वर्ष की उम्र में ध्यानचंद ने अंतरराट्रीय हॉकी को अलपवदा कहा। सैपनक के रूि में िती हुए ध्यानचंद
अिने खेल के दम िर मेजर के िद से ररटायर हुए।
“
मेजर ध्यानचंद ने अिने खेल जीवन में 1000 से अपिक गोल दागे। वहीं
अंतरराष्‍टट्रीय करररअर में 400 से ज्यादा गोल ककए, जो आज िी एक
ररकाडष है।
 ध्यानचंद ने अिनी कररश्माई हॉकी से जमषन तानािाह पहटलर ही नहीं बपकक महान किकेटर डॉन ब्रैडमैन को िी अिना
फैन बना कदया था। ध्यानचंद को साल 1956 में िारत के प्रपतपठितत नागररक सम्मान ि्मभिूर्र् से सम्मापनत ककया गया।
 ध्यानचंद के बेटे अिोक कुमार िी िारत के पलए ओलंपिक खेलने वाली हॉकी टीम का पहस्सा रहे हैं। साल 1975 में अिोक
के आपखरी समय में ककए गोल से िारत ने िाककस्तान को हराकर पवश्व कि का पखताब जीता था।
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राष्ट्रीय खेल ददवस के अवसर पर मेजर ध्यानचंद
कु छ यादें कु छ बातें
1928 All India Hockey team which won the World Olympics.
8 of the playing 11 members were Anglo Indians; of the two spares, one was an Anglo Indian
1926: भारतीय सेना हॉकी टीम का सिसे पहला अंतरराष्ट्र ीय न्यूजीलैंड िौरा हुआ - भारत का अंतरराष्ट्र ीय पिापुण - ध्यानचंि के
जीवन का भी पहला अंतरराष्ट्र ीय िौरा । ध्यानचंि ने िी अपने खेलसे िमाके िार उपखथथदत - कमांदडंग ऑदिसर ने जि ध्यानचंि से
कहा लड़के तुझे हॉकी खेलने न्यूजीलैंड जाना है - ध्यानचंि ने जवाि दिया यस सर – ऑदिसर के जाते ही खुशी से िौड़े अपनी
िैरक में - भारतीय हॉकी टीमका सिसे पहला अंतराुष्ट्र ीय िौरा 1926 न्यूजीलैंड से प्रारंभ होता है और हम यह कहसकते हैं दक यह
भारतीय खेलों का दकसी भी खेल में पहला अंतरराष्ट्र ीय िौरा है जो भारतीय हॉकी टीम ने भारतीय सेना हॉकी टीम के रूप में न्यूजीलैंड
का दकया था और वास्तव में ध्यानचंि और भारतीय हॉकी टीम का अंतरराष्ट्र ीय स्तर पर पिापुण 1926 का न्यूजीलैंड िौरा ही है और
यदि इस िौरे की यािें ध्यानचंि की यािों के साथ नहीं कहीं और िताई जाएं गी तो ध्यानचंि की सुनहरी यािों की और उनके सुनहरे
खेल जीवन की कहानी अिूरी रह जाएगी ।
1928: भारतीय हॉकी टीम ने पहली िार दलया 1928 एमस्टरडम ओलंदपक में दहस्सा - दवत्त की कमी के कारण 13 की जगह भेजे
गए के वल 11 खखलाड़ी- 10 माचु को के सर ए दहंि पानी के जहाज से मुंिई से रवाना हुई भारतीय हॉकी टीम- टीम को छोड़ने िंिरगाह
पर आए मात्र 3 लोग-कैं दिज में अध्ययनरत आदिवासी खखलाड़ी जयपाल दसंह मुंडा को िनाया कप्तान -ओलंदपक में दहस्सा लेने के
पहले भारतीय हॉकी टीम ने खेले इंग्लैंड, हॉलैंड ,जमुनी और िेखियम में अभ्यास मैच- 1928 एम्सटडुम ओलंदपक में 17 मई से
शुरू दकया भारतीय हॉकी टीम नेअपना दवजय अदभयान- भारत की टीम को रखा ए दडवीजन में-भारत ने 1928 ओलंदपक में ऑखस्टर या
के खखलाि खेला अपना पहला ओलंदपक हॉकी मुकािला -भारत ने िाइनल में 26 मई 1928 को मेजिान हालैंड को हराया 3 गोलों
से- िाइनल मैच में ध्यानचंि ने लगाई अपनी पहली ओलंदपक गोलों की हैदटरक -भारत ने जीता अपना पहला ओलंदपक ऐदतहादसक
स्वणु पिक- ध्यानचंि के तीन गोलों से दनकली भारतीय खेलो की गंगा ।
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“
1928 में ध्यानचंि ने खेला सिसे पहला इंटर प्रोदवंदशयल हॉकी टू नाुमेंट
कोलकाता में हुआ आयोदजत - क्षेत्र के आिार पर िनाई गई पांच टीमें- ध्यानचंि खेलें यूनाइटेड प्रोदवंसेस की टीम से- भारतीय सेना ने
नहींउतारी अपनी टीम- ध्यानचंि को हुआ आश्चयु- इंटर प्रोदवंदशयल हॉकी टू नाुमेंट से प्रथम ओलंदपक हॉकी टीम का चयन- ध्यानचंि
छु दियों में खेलते और अभ्यास करते झांसी हीरोज मैिान पर-हीरोज मैिान पर उनके साथी साथ होतेअभ्यास के दलए- ध्यानचंि
खेलने जाते झांसी हीरोज क्लि से िेटन कप हॉकी टू नाुमेंट । 1928 में भारतीय हॉकी संघ के सदिय होने के िाि और ध्यानचंि के
सिलतम न्यूजीलैंड िौरे के िाि इस िात की संभावना आहट दमलने लगी और चचाु होने लगी दक भारतीय हॉकी टीम को 1928 में
होने आयोदजत होने वाले ओलंदपक में दहस्सा लेने जाना चादहए दकं तु उस समय भारतीय हॉकी संघ की प्रांतों में इकाइयों का िहुत
ज्यािा गठन नहींहो पाया था इसदलए भारतीय हॉकी टीम का चयन कै से दकया जाए भारतीय हॉकी संघ के सामने यह एक िड़ी चुनौती
थी ।
1933 में झांसी हीरोज ने खेला अपना पहला िैटन कप हॉकी का िाइनल - ध्यानचंि ने खेला गंभीर िीमारी की हालत में िाइनल मैच
- और िाइनल में हराया कोलकाता कस्टम्स को-इस िाइनल मैच को ध्यानचंि ने कहा दजंिगी का श्रेष्ठ मैच ।
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1935: भारतीय हॉकी टीम ने
वेदलंगटन में 14 मई 1935 को
सुिह और शाम के सत्र में कड़ा
अभ्यास और शारीररक पररश्रम
दकया। थथादपत परंपराओं के
अनुसार भारतीय हॉकी टीम के
मैनेजर िहराम डॉक्टर ने 15 मई
1935 के मैच के पहले दवदलंगटन
में उपखथथत प्रेस मीदडया कदमुयों
से िातचीत की और इस िातचीत
को कहते हुए डॉक्टर ने ध्यानचंि
के िारे में जो कहा वह वक्तव्य
िू सरे दिन न्यूजीलैंड समाचार
पत्रों में प्रकादशत हुआ दजसमें
डॉक्टर ध्यानचंि के िारेमें कहते
हैं “Dhyancand is as
good as ever I firmly
belive that the world
never produced another hockey player like him” आगे अपने िौरे को वदणुत करते हुए वे कहते है it is not
only hockey we have come to play but the game of life इन सुंिर पंखक्तयों के साथ भारतीय हॉकी टीम अपने
न्यूजीलैंड हॉकी िौरे का पहला मैच 15 मई 1935 को डेनवकु के खखलाि खेलती है और इस मैच को भारतीय हॉकी टीम 21 के
मुकािले 0 गोल से जीतकर अपने िौरे का आगाज करती है और मानो ऐसा लगता है जैसे भारतीय हॉकी टीम ने 21 गोल करके
अपना स्वागत इक्कीस तोपों की सलामी लेकर दकया हो।
“A special type of bell was used in 1936
during Olympic game at Germany.
Photograph of Australia-Newziland tour in 1935. At the center Dr.Behram and
Dhyan Chand ji on his left side and Roop Singh on the right side. A glorious
moments of Indian Sports History.
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ध्यानचंि को अपने जीवन में दवषम पाररवाररक
आदथुक पररखथथदतयों के चलते सेना की 1 िाह्मण
रेजीमेंट की िच्चा प्लाटू न में 15 साल की कच्ची
उम्र में सन 1920 में शादमल होना पड़ा।
ध्यानचंि के खेल जीवन का गुरु मंत्र िन गया दक
हॉकी टीम गेम है जो सभी खखलादड़यों को साथ
लेकर खेला जाता है दकं तु जि आवश्यकता हो ति
अके ले अपने अद्भुत कौशल से मैच की प्रदतकू ल
पररखथथदतयों को अनुकू ल पररखथथदतयों में ििलते
आना चादहए और यही गुरु मंत्र ध्यानचंि को
एकाग्रता से अभ्यास के दलए प्रेररत करते चला गया
जि सि सैदनक साथी िैररको में आराम करने
चले जाते ति अके ले ही अभ्यास करते । 2 साल
के पश्चात सन 1922 में ध्यानचंि को दनयदमत सैदनक के रूप में 14 पंजाि रेजीमेंट रामगढ़ में भती कर दलया गया |
1936 ओलंदपक के दलए भारतीय हॉकी टीम का चयन दकया गया और टीम की घोषणा होने के पश्चात ओलंदपक की तैयारी के दलए
प्रदशक्षण दशदवर प्रारंभ हुआ इस प्रदशक्षण दशदवर में मेजर ध्यानचंि को छोड़ सभी खखलाड़ी भाग लेने पहुंच चुके थे दकं तु मेजर ध्यानचंि
अपनी प्लाटू न के साथ ड्यूटी पर खड़े थे और इस प्लाटू न को युद्ध के दलए िमाु सीमा पर भेजे जाने के आिेश हेड क्वाटुर से प्राप्त हो
चुके थे |
िदलुन में हो रहे खेलो के ये मुकािले
असािारण थे क्ोंदक यह ओलंदपक खेल
दद्वतीय दवश्व युद्ध की आहट में संपन्न होने
जा रहे थे और इस कारण सभी िेशों के
िीच एक अदृश्य भय का वातावरण
था |
अगस्त 1936 को िदलुन ओलंदप क़ हॉकी
के मुकािले में भारत का मुकािला
िुदनया की महाश क्ती America के
खखलाि हुआ था। यह मैच शाम 4:30
िजे हॉकी स्टेदडयम में खेला गया था
।उस समय िदलुन का अदिकतम
तापमान21 दडग्री सेखल्सयस था मौसम
सुखा हुआ था और हवा शां त थी । इस
मैच के अंपायर आर मादसुली िेखियम
और डॉक्टर आर रोहरीग जमुनी से थे।
भारतीय हॉकी टीम जो अमेररका के खखलाि मैच में उतरी थीउसमें कप्तान ध्यान चंि, रूप दसंह, मोहम्मि जिर, अहमि शेरखान,
गुरु चरण दसंह, दिदलप्स, गुड सर कु दलयन, गलिडी, एखम्मट शादमल थे। वही अमेररका की टीम में फ्रें टरेस, गॉडफ्रे , ओवेररयन, टरेनिुल,
दडसटन, जेंटल,िुक, थॉम्सन,शेअिर,िुदडगटन,मैकमुखिन शादमल थे। भारत ने मैच के 28 वे दमनट में पहला गोल दकया और उसके
5 दमनट िाि भारत ने िू सरा व तीसरा गोल कर दिया था। मध्यांतर तक भारत 3-0 से आगे था ।मध्यांतर के िाि भारत ने चार और गोल
दकए भारत ने इस मैच में सात के मुकािले 0 गोलों से जीत हादसल करते हुए अपनी लगातार िू सरी जीत िजु करते हुए अपने दवजय
After receiving gold medal Indian Hockey Team at Berlin Olympic
Dhya Chand Ji in 1st Brahmin Regiment in 1922 sitting in the left side
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अदभयान को जारी रखा। शाम को जमुनी में दिटेन के राजिू त सर एररक दिप्स ने भारतीय हॉकी टीम को आमंदत्रत दकया। िदलुन
ओलंदपक में भारतीय हॉकी टीम के साथ मैनेजर जगन्नाथ राव पंकज गुप्ता साथ गए हुए थे। इन ओलंदपक हॉकी मुकािलों में भारत को
ग्रुप ए में रखा गया था दजसमें भारत के साथ जापान हंगरी और अमेररका को शादमल दकया गया था ।भारत ने अपने पहले मैच में हंगरी
को 4-0 से और िू सरे मैच में अमेररका को 7-0 परास्त दकया था दजसके कारण वह अपने ग्रुप में अंक तादलका में सिसे ऊपर लीड
कर रही थी। भारतीय हॉकी टीम का अगला मुकािला 10 अगस्त को जापान के साथ होगा। िदलुन ओलंदपक दवलेज में जहां भारतीयों
की टीम को रोका गया था कॉटेज का नंिर 113 था और उसका नाम एलदिंग था जो जमुनी के एक शहर के नाम पर रखा गया था जहां
से भारत को रेलवे के इंजन िड़ी मात्रा में सप्लाई दकए जाते थे। एक कॉटेज में 22 दिस्तर होते थे और उस समय हॉकी टीम 22 सिस्ों
की हुआ करती थी ।
Cottage no. 113 where Indian Hockey Team stayed during Berlin Olympics
भारतीय हॉकी टीम मध्यांतर तक 4 -0 से आगे है ।मध्यांतर के िाि भारत ने 5 वे दमनट में एक गोल और कर दिया इसके िाि दनयदमत
अंतराल में भारतीय हॉकी टीम ने 5 और गोल कर दिए दजसमें एक गोल पेनल्टी कानुर से भी िनाया गया। भारतीय हॉकी टीम की ओर
से एआईएस िारा ने पहले ही मैच में अपनी उपखथथदत को सही सादित करते हुए िो गोल िागे, साहिान शहािुद्दीन और टॉप सेल ने
एक-एक गोल दकए मेजर ध्यानचंि के छोटे भाई रूप दसंह ने िो गोल और कप्तान ध्यानचंि ने चार गोल दकए और इस प्रकार भारत
ने सेमीिाइनल में फ्रांस को 10 - 0 से रौंिते हुए िमाके िार अंिाज में िदलुन ओलंदपक के िाइनल मे प्रवेश कर दलया। भारतीय
हॉकी टीम सेमीिाइनल तक अपने दवरोिी टीमों के खखलाि 30 गोल कर चुकी है और उसके खखलाि अभी तक एक भी गोल नहीं
हुआ है।
फ्रांस से मुकािला जीतने के िाि भारतीय हॉकी टीम को िदलुन खथथत मखिि कमेटी द्वारा चाय पर िुलाया गया जहां पर उनका
आत्मीय स्वागत दकया गया जो अपने आप में िड़ी और ऐदतहादसक घटना है यह इसदलए हुआ क्ोंदक भारतीय हॉकी टीम अपने अंिर
सारे िमों को समाए अलग-अलग भाषाओं को िोलने वाले अलग-अलग प्रांतोंके खखलाड़ी होने के िावजूि एक राष्ट्र के रूप में ओलंदपक
खेलों में भारत के दलए खेलने उतरे और भारतीय हॉकी टीम की खूिसूरती दक वह एक सूत्र में मेजर ध्यानचंि के नेतृत्व में एक माला के
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मोदतयों में पीरोई िंिी मजिूत भारतीयता की भावना से प्रेररत टीम है जो अपना सवोच्च और सवुश्रेष्ठ प्रिशुन िदलुन ओलंदपक में कर
रही हैं।
13 अगस्त 1936 को भारतीय हॉकी टीम दक तनाव के वल इस िात का है दक दजस जमुन टीम से िाइनल मैच से मुकािला होना है
उससे अभ्यास मैच में भारतीय टीम 1के मुकािले 4 गोल से परास्त हो चुकी थी | ।सुिह 11:00 िजे जो िाइनल मैच खेला जाना
दनिाुररत हुआ ओलंदपक इदतहास में अपने आप में एक ऐदतहादसक दनणुय के रूप में िेखा जाता है क्ोंदक इससे पूवु जो हाॅकी
िाइनल मैच हुए उनका समय और आज तक जो ओलंदपक में हॉकी िाइनल मैच हुए हैं उनका समय िोपहर में ही रखा गया है यह
एकमात्र ओलंदपक िाइनल है जो ओलंदपक हॉकी के इदतहास में सुिह 11:00 िजे खेला जाएगा ।
14 अगस्त1936 िदलुन ओलंदपक मे होने वाला िाइनल मैच भारी िाररश के कारण हुआ थथदगत - मैच तय हुआ अगले दिन 15 अगस्त
को होना- ओलंदपक इदतहास में पहली िार खेला जाएगा िाइनल मैच सुिह 11:00 िजे |
15 अगस्त 1936 को जो िाइनल
मैच भारत खेलेगा वह वास्तव में
अदवभादजत भारत का अंदतम
मैच कहलाएगा क्ोंदक इसके
िाि होने वाले 1940 और 1944
के ओलंदपक दद्वतीय दवश्व युद्ध के
कारण नहीं हो सके थे और दिर
1948 के लंिन ओलंदपक हुए
दजसमें िो अलगअलग िेशभारत
और पादकस्तान ने ओलंदपक में
दहस्सा दलया।िोनों ही टीमों के
खखलादड़यों ने अपनी अपनी
अपनी पोजीशन ले ली है और
ठीक 11:00 िजे अंपायरों ने
भारतीय गोलकीपर एलेन और
जमुन हॉकी टीम गोलकीपर
डर ोज की ओर हाथ उठाकर
इशारा दकया है और िुली ऑि के दलए कप्तान ध्यानचंि जमुन सेंटर िॉरवडु वाइज तैयार है दसटी िजी है िुली ऑि हुई है ध्यानचंि
ने िड़ी खूिसूरती से िुली ऑि में गेि को दनकाला है ध्यानचंि िुदनया में सवुश्रेष्ठ िुली ऑि करने वाले खखलादड़यों में से हैं गेंि
ध्यानचंि राइट दवंग में िारा को िे की है खेल तेजी से हो रहा है दकं तु भारतीय हॉकी टीम खखलाड़ी गेंि पर कं टरोल रखने में असिल
हो रहे हैं और उनके पैर िार-िार गीला मैिान होने के कारण दिसल रहे हैं और मजिूत जमुन रक्षा पंखक्त गेंि को िड़े आत्मदवश्वास
से खक्लयर कर रही है और जमुन टीम लगातार भारतीय गोल पर आिमण कर रही है जहां एलेन टॉप सेल , हुसैन , दनमल कु लीयन
गलिाडी िड़ी मुस्तैिी से भारती य गोल की रक्षा कर रहे है ।31 वे दमनट तक जमुन टीम ने भारतीय खखलादड़यों के आिमण को
दविल दकया है गेंि लेफ्ट दवंग मोहम्मि जिर से होते हुए डी के अंिर रूप दसंह को दमल गई है और उन्होंने एक तगड़ा दहट लगाते
हुए गेंि को जमुन गोल में डाल दिया है और भारत का यह गोल 32 दमनट में आया है। मध्यांतर हो गया है। मध्यांतर तक भारतीय हॉकी
टीम जमुन हॉकी टीम से 1 गोल से आगे हैं दकं तु कप्तान ध्यानचंि इस एक गोल की ि ढ़त से संतुष्ट् नहींहै क्ोंदक जमुन टीम मध्यांतर
तक िहुत मजिूती और कु शल रणनीदत के साथ खेली है और जमुनटीम सिस्ोंको इस िात का भी पता चल गया की चांसलर दहटलर
मैिान में पहुंचकर उनका मैच िेख रहे हैं दजससे उनके हौसले िुलंि हो गए है इस समाचार ने भारतीय हॉकी टीम में दचंता की िढ़ा
िी है।
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िशुक िीघाु में िैठे िड़ौिा महाराज दसयारावजी गायकवाड मैच को िड़ी िारीकी से िेख रहे हैं और उन्हें यह िात समझ आ गई दक
भारतीय हॉकी टीम के साथ क्ा दिक्कत आ रही है उन्होंने अपने दनजी सदचव के हवाले से ध्यानचंि के पास कु छ संिेश भेजा है और
हम िेख रहे हैं दक ध्यानचंि से उनके दनजी सदचव कु छ कह रहे हैं और ध्यानचंि अपने जूते उतार िें क रहे हैं और उन्हें िेखकर रूप
दसंह भी जूते उतारकर िें क रहे हैं मध्यांतर के िाि खेल शुरू हो रहा है ध्यानचंि और रूप दसंह िोनों ही नंगे पैर खेलने मैिान में उतर
गए हैं और मैच िुली ऑि के िाि प्रारंभ हुआ है और अि तो भारतीय हॉकी टीम का स्वरूप ही ििला नजर आ रहा है ध्यान चंि का
गेंि पर अद्भुत दनयंत्रण कलात्मक गेंि का दडस्टर ीब्यूशन अपने िॉरवडु खखलादड़यों के साथ जिरिस्त समन्वय िनाकर जमुन गोल
पर लगातार आिमण कर रहे हैं जमुन रक्षा पंखक्त के पास भारतीय आिमण को रोकने के दलए कोई रणनीदत नहीं दिखाई िे रही
है,और आिमणों के चलते भारत को पेनाल्टी कॉनुर दमल गया है और भारत की ओर से राइट िु ल िैक टॉप सेल ने जोरिार दहट
लगाकर गेंि को गोल में डाल दिया है भारतीय हॉकी टीम का िू सरा गोल मैच के 42 दमनट में आया है । भारतीय हॉकी टीम ने दिर
एक िार तेज आिमण शुरू दकया है कप्तान ध्यानचंि ने एआई िारा को 25 गज की लाइन के आगे एक पास िे का है दजसे िारा ने
ररसीव दकया और सीिे जमुन डी में प्रवेश दकया हैऔर उन्होंने भारत के दलए यह तीसरा गोल कर दिया है। िुली ऑि हुई है ध्यानचंि
ने गेंि को चुंिकीय अंिाज में अपनी ओर खींचा है और गेंि को लेफ्ट इन रूप दसंह को िे िी है जो इिर उिर िेखते हुए तेजी से
आगे िढ़ रहे हैं और उन्होंने गेंि जािर और िढ़ा िी है और जािर ने िहुत तेजी से अके ले ही जमुनी डी में प्रवेश करते हुए स्कू प
से गेंि को गोल में डाल दिया है भारत के दलए 4 गोल कर दिया है । 5 गोल से दपछड़ने के िाि जमुन हॉकी टीम अचानक दहंसक हो
उठी और वह भारतीय खखलादड़यों के साथ मारपीट का खेल खेलने लगी और इसी िौरान गोलकीपर ने कप्तान ध्यानचंि के मुंह पर
खस्टक चला िी है , ध्यानचंि
का एक िांत टू ट गया तुरंत
प्राथदमक दचदकत्सीय
उपचार दकया गया है खेल
शुरू हुआ ध्यानचंि ने अपने
टीम खखलादड़यों को जो इस
घटना के िाि कािी गुस्से
में आ गए है दहिायत िी है
हमें अपना खेल खेलना है
मैच गोल करने से जीते जाते
है चोटों से नहीं िस दिर
जािुई अंिाज में अपनी
िॉरवडु लाइन के साथ
अद्भुत तालमेल से
एआईएस िारा से दमले
सुंिर िॉस को डी के अंिर
ररसीव करते हुए ध्यानचंि ने
जमुन गोलकीपर के िायी ओर से गेंि को प्लेसमेंट करते हुए गोल में डाल दिया भारत की ओर से यह 6 वा गोल 53 दमनट में आया
। उिर वीआईपी स्टैंड मेंअपने िेश की िुरी तरह से हारते हुए गुस्से में चांसलर दहटलर मैिान छोड़कर िाहर जा रहे हैं और मैिान
में शािान शहािुद्दीन ए आई एस िारा से पास ररसीव करते हैं और 25 गज लाइन के पास खड़े ध्यानचंि को गेंि िें कते हैं ध्यानचंि
अके ले ही गेंि पर दनयंत्रण करते हुए जमुनी डी में पहुंच कर एक ररवसु दिल्क से गेंि को गोल में डाल िेते हैं भारत के दलए यह
सातवां है जो 56 दमनट में आया और ध्यानचंि का मैच में तीसरा गोल है इसके िाि खेल शुरू होते ही एक िार दिर कप्तान ध्यानचंि
से रूप दसंह को गेंि दमलती है , रूप दसंहलेफ्ट आउट जािर को गेंि िेते हैं जािर एक सुंिर िॉस से गेंि को जमुन डी िें कते हैं
और ध्यानचंि दडफ्लेक्शन से गेंि को गोल में पहुंचा िेते हैं भारत के दलए यह आठवां गोल 59 दमनट में आया है भारत इस समय जमुनी
से 8 गोलों अजेय िढ़त िना चुका है और खेल खत्म होने में अि के वल 11 दमनट रह गए हैं और ऐसा लगता है दक जमुनी की हॉकी
टीम ने भारतीय हॉकी टीम के सामने घुटने टेक दिए हैं भारतीय हॉकी टीम खखलाड़ी गेंि को अि मैिान में अपने मन मुतादिक दनयंत्रण
29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times
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से चला रहे हैं इसी िीच एक कमजोर गेंि भारतीय टीम से जमुनी के िॉरवडु वॉइस को दमलती है और वे गेंि को भारतीय गोल में
डाल िेते हैं यही एकमात्र गोल जमुनी की ओर से पूरे मैच में होता है और भारत ने इस स्वणु पिक के मैच में जमुनी को 8 के मुकािले
1गोल से जीत हादसल करते हुए ओलंदपक हॉकी का तीसरा स्वणु पिक अपने नाम कर दलया है यह खुशखिरी िताते हुए दक भारत
ने तीनों ओलंदपक स्वणु पिक उन्हीं िेशों की िरती पर जीते हैं दजन िेशों की िरती पर यह ओलंदपक खेल आयोदजत हुए अथाुत
मेजिान िेशों को उन्हींके घर में जाकर भारतीय हॉकी टीम ने हराया है
दजसे कहते हैं शेर के घर में जाकर दशकार करना।
मेजर ध्यानचंि ने अपने तीसरे ओलंदपक िाइनल में भी गोलों की हैदटरक लगाकर एक अदवदजत ओलंदपक कीदतुमान की सचु
दिया है। भारतीय िशुक मैिान में खुशी मनाने उतर गए सारे खखलाड़ी भी उनके साथ जश्न में डू िे हुए हैं लेदकन यकायक खखलादड़यों
को ध्यान में आता है दक ध्यानचंि नहींदिखाई पड़ रहे हैं ति उन्हें खोजने पर वे वहां िैठे हुए दिखलाई पड़ते हैं जहां सि िेशों के झंडे
लगे हुए हैं खखलाड़ी जि उनके पास पहुंचते हैं तो िेखते है दक उनकी आंखों में आंसू है और वे गमगीन हैं खखलाड़ी उनसे पूछते हैं
दक कप्तान ध्यानचंि हमने ओलंदपक का तीसरा स्वणु पिक जीता है और आपकी आंखोंमें आंसू है और अिसोस ध्यानचंि स्टेदडयम
में लगे दवदभन्न िेशों के झं डो की तरि िेखते हैं और इशारा करके कहते है दक जहां गुलाम भारत का झंडा लगा हुआ है काश आज
वहा मेरे आजाि िेश का दतरंगा लहरा रहा होता । ठीक 11 साल िाि आज 15 अगस्त 1947 को ध्यानचंि का यह सपना पूरा होता
है जि िेश आजाि हुआ और हम आज उस आजािी के जश्न के साथ दतरंगे को िहराते हुए सलामी िे रहे है। आज अनदगनत वीर
स्वतंत्रता संग्राम सेनादनयों शहीिों के साथ मेजर ध्यानचंि और उनकी भारतीय हॉकी टीम को भी याि करें दजन्होंने 15 अगस्त की
तारीख को भारत के दलए हमेशा हमेशा के दलए अमर िना दिया है । स्वतंत्रता दिवस की और भारतीय हॉकी टीम के िदलुन ओलंदपक
में तीसरे स्वणु पिक जीतने की आप सिको िहुत-िहुत शुभकामनाएं और ििाई है |
“
Third Hatrick in a row by Major Dhyan Chand –
A glorious moment in the Berlin Olymic.
िदलुन ओलंदपक की यह स्वदणुम जीत दजसने भारत को गुलामी से लड़ने उसको जीतने और दनिाुररत लक्ष्य को प्राप्त करने के दलए
एक िेशवादसयों को राह दिखाई और इसदलए आने वाले समय में इदतहासकारों दवश्लेषकों ने मेजर ध्यानचंि को आिुदनक भारत के
दनमाुण का दशल्पी कहां है इसके साथ ही मुख्य िदलुन ओलंदपक स्टेदडयम में 15 दिनों तक चले इन भव्य खेलों का समापन समारोह
प्रारंभ हुआ है।
िदलुन में चांसलर दहटलर की मौजूिगी में रादत्र में एक भव्य हाल में रादत्र भोज का आयोजन हुआ यही वह थथान है जहां चांसलर दहटलर
लांस नायक ध्यानचंि के िीच मुलाकात हुई है इस मुलाकात का दववरण िेते हुए भारतीय हॉकी टीम के कोच जगन्नाथ राव जी ने
दहटलर और ध्यानचंि के िीच हुए वाताुलाप का दववरण दिया है |
29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times
Page | 11
“
ध्यानचंि को दहटलरने जमुनी टीम से खेलने का प्रस्ताव दिया और ध्यानचंि ने
इस प्रस्ताव को यह कहकर ठु करा दिया दक वे एक भारतीय सैदनक है और
भारत में ही रह कर िेश की सेवा करना चाहते हैं ।
The builders of Modern India (Tata Institute of sports)
29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times
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In 1956 Major Dhyan Chand retired from Punjab regiment. On his recognition an “ADAM KAD STATUE” was
credited for his work. The statue is a memory of a soldier as well as a great player.
“
ध्यानचंद को साल 1956 में भारत
के प्रततष्ठित नागररक सम्मान
पद्मभूषण से सम्मातनत ककया
गया।
29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times
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1979: जि ध्यानचंि जी को सािारण रेल
के दडब्बे से ले जाया गया उपचार के दलए
एम्स - भती दकया एम्स के जनरल वाडु में
- भारत के गौरव आिुदनक भारत के
दनमाुता ध्यानचंि ने एम्स के जनरल वाडु
में 3 दिसंिर 1979 को ली अंदतम सांस
और िुदनया को कहा अलदविा - हॉकी के
जािू गर की मौत की सिसे पहले सूचना िी
जूदनयर डॉक्टर गजेंद्र दसंह चौहान ने
ओलंदपयन अशोक कु मार को - नई
दििी से झांसी लाया गया हॉकी के
जािू गर का पादथुव िेह हेलीकॉप्टर से-
झांसी हवाई अड्डे से घर तक हजारों हजार
चाहने वाले लेकर आए ध्यानचंि के पादथुव
शरीर को- रात भर दनवास पर रखा गया
पादथुव शरीर- सुिह अंदतम संस्कार के
दलए थथान तय हुआ हीरोज मैिान-
प्रशासन को थी इस पर आपदत्त- पंदडत
दवश्वनाथ शमाु िैठे िरने पर और िी
हीरोज मैिान पर अंदतम संस्कार करने
के दलए िलील - कहा सावुजदनक थथल
पर यदि गांिीजी और नेहरू जी का अंदतम
संस्कार हो सकता है तो दिर मेजर
ध्यानचंि का क्ों नहीं- क्ा मेजर ध्यानचंि
का राष्ट्र ीय और अंतरराष्ट्र ीय महत्व दकसी से
कम है - इस िलील से दनरुत्तर हुए
प्रशासदनक अदिकारी और हीरोज मैिान
पर अंदतम संस्कार के दलए हुए सहमत -
सेना की तोप गाड़ी पर रखा गया मेजर
ध्यानचंि का पादथुव शरीर- सेना की टुकड़ी
ने िी अंदतम दविाई और सलामी - मोहन
िागान क्लि कोलकाता ने भेजा महान
ओलंदपयन गुरिख्श दसंह को अंदतम
संस्कार में शादमल होने - गुरिख्श दसंह ने
अदपुत दकए मोहन िागान क्लि और िेश के खखलादड़यों की ओर से श्रद्धा सुमन - मोहन िागान क्लि की ओर से सहायता स्वरूप
पररजनों को दिए गए5000 रुपए - 23 दसत 1982 को समादि थथल पर लगाई गई मेजर ध्यानचंि की जन सहयोग से िुदनया की पहली
मूदतु - झांसी आर्मडु दडवीजन के जनरल श्री क्लेयर ने दकया मूदतु का अनावरण |
1995: 29 अगस्त 1995 से पूवु ध्यान चंि जी का जन्मदिन मनाया जाता था दिना दकसी नाम और दनयोजन के - िस होती थी
औपचाररकता- नेहरू कमेटी के चेयरमैन दशव कु मार वमाु के मन में आया राष्ट्र ीय खेल दिवस मनाने का दवचार- ओलंदपयन और
अंतरराष्ट्र ीय खखलादड़यों के साथ दशव कु मार वमाु ने मुलाकात की सांसि दवश्वनाथ शमाु जी से…
29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times
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“
पंदडत दवश्वनाथ जी शमाु ने 24 अगस्त 1994 को लोकसभा में रखा
राष्ट्र ीय खेल दिवस मनाने का प्रस्ताव | दिसंिर 1994 में तत्कालीन
नरदसम्हा राव सरकार ने 29 अगस्त मेजर ध्यानचंि के जन्मदिन को
घोदषत दकया राष्ट्र ीय खेल दिवस |
29 अगस्त 1995 में िेश के प्रिानमंत्री पीवी नरदसम्हा राव ने राष्ट्र को समदपुत की िुदनया के महानतम हॉकी खखलाड़ी मेजर ध्यानचंि
की मूदतु नेशनल स्टेदडयम के सामने, मेजर ध्यानचंि की ऐसी याि जो हम सभी िेशवादसयों से जुड़ी हुई है और हमें गौरवाखन्वत गवु
करने के अवसर प्रिान करती है।
2002: भारत में मेजर ध्यानचंि के नाम को लगातार प्रदतदष्ठत करने के प्रयासों में लगे हुए पंदडत दवश्वनाथ जी शमाु के मन में पुनः एक
दवचार आया दक नेशनल स्टेदडयम जो दक भारत के खेलो का स्वादभमान है और दजसके पीछे अपना एक इदतहास है क्ों ना इस नाम
के साथ मेजर ध्यानचंि का नाम भी जोड़ा दिया जाए क्ोंदक मेजर ध्यानचंि के कारण ही खेलों की िुदनया में भारत का नाम
स्वादभमान से प्रदतथथादपत हुआ है और यदि नेशनल स्टेदडयम के नाम के साथ मेजर ध्यानचंि का नाम भी जोड़ा दिया जाएगा तो
भारत का नाम पूरी िुदनया में रोशन हो जायेगा साथ ही उनका यह सोचना भी रहा की मेजर ध्यानचंि की मूदतु हमने स्टेदडयम के
द्वार पर तो लगा िी यदि स्टेदडयम का नाम मेजर ध्यानचंि का नाम से जोड़ दिया जाएगा तो वहांलगाई गई मूदतु की साथुकता दसद्ध
हो जाएगी और इसी उद्देश्य की पूदतु के दलए उन्होंने भारतीय खेल प्रादिकरण की इस आशय का एक पत्र दलखा।
“
सन 2002 में नई दििी खथथत नेशनल स्टेदडयम का पुनः नामकरण करते हुए
इसका नाम मेजर ध्यानचंि नेशनल स्टेदडयम रख दिया गया। एक भव्य
कायुिम में भारत के तत्कालीन उप प्रिानमंत्री लालकृ ष्ण आडवाणी ने मेजर
ध्यानचंि नेशनल स्टेदडयम राष्ट्र को समदपुत दकया |
इस अवसर पर तत्कालीन उप प्रिानमंत्री लालकृ ष्ण आडवाणी जी ने मेजर ध्यानचंि के 1936 िदलुन ओलंदपक के स्वणु पिक दजतने
की यािों को भावनात्मक रूप से ताजा करते हुए कहा दक मेजर ध्यानचंि ने भारत के दलए लगातार तीसरा ओलंदपक स्वणु पिक
जीतकर भारत का स्वादभमान पूरी िुदनया में प्रदतथथादपत कर दिया था |
29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times
Page | 15
“
Hockey Jadugar
playing Cricket, he was
a very good Billyard
and Carrom player too.
ध्यानचंि की स्वदणुम यात्रा और उसकी गाथा दनरंतर गदतमान है दपछले राष्ट्र ीय खेल दिवस 29 अगस्त 2019 के अवसर पर िेश के
प्रिानमंत्री श्री नरेन्द्र मोिी जी ने मेजर ध्यानचंि को याि करते हुए िेश के सिसे िड़े महत्वाकांक्षी कायुिम दिट इंदडया की शुरुआत
की और अपने मन दक िात कायुिम में ध्यान चंि जी को याि करते हुए उन्होने कहा दक ध्यानचंि जी के अतुलनीय योगिान को िेश
कभी नहींभुला सकता ।
29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times
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  • 2. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 1 29 अगस्त, राष्ट्र ीय खेल दिवस को भारत के महान खखलाड़ी मेजर ध्यानचंि जी के जन्म दिन पर मनाया जाता है, जो दवश्व में "हॉकी के जािू गर" के नाम से मशहूर थे । यह मेरा सौभाग्य था की दपछले ही महीने मेरी जान पहचान श्री अशोक ध्यानचंि जी से हुई जो मेजर ध्यानचंि जी के सुपुत्र हैं । अजुुन पुरस्कार दवजेता श्री अशोक ध्यानचंि जी जो खुि भी भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रह चुके हैं। अशोक जी के द्वारा की गई गोल से भारत ने 1975 में हॉकी दवश्व कप अपनी झोली में दकया था । अशोक जी ने हमारे दलए एक वेदिनार भी दकया, जहााँ हमें उनकी और मेजर ध्यानचंि जी के जीवन से जुडी कई प्रेरणािायक और रोचक दकस्से सुनने को दमले। हमें उनके घर और उन्हें दमली हुई मेडल्स से भी रूिरू होने का मौका दमला, जो अपने आप में ही एक अदवसमरणीय अनुभव था। वेदिनार के िाि अशोक जी के साथ जि और िात-चीत होने लगी, ति अशोक जी ने मेजर ध्यानचंि और उनके अनुभव, उनके जीवन के कई दकस्से व्हाट्सप्प चैट के माध्यम से िताने लगे। उन्हें जि मैं पढ़ने लगा तो मैं उनसे और प्रेररत हुआ। मैं उन्हींव्हाट्सप्प चैट्स को संकदलत कर ये छोटा सा प्रकाशन उन सभी के दलए हैं जो मेजर ध्यानचंि जी के िारे में अदिक जानना चाहते हैं। कहींकोई गलत जानकारी हो तो माफ़ी चाहूंगा। आशा करता हूाँ की यह छोटी सी पुखस्तका आपको भी प्रेररत करेगी। िन्यवाि सदहत िीपक कु मार गोयल दनिेशक इम्पीररयल कॉलेज िरगढ़, ओदडशा
  • 3. Page | 1 29 August 2020 KHEL BHAVNASpecial Issue of Imperial Times “जजिंदगी की सबसे बडी जीत उन चीजों से ऊपर उठ जाना हैं जजसे हम कभी बहुत ज्यादा महत्व देते थे।” In an International race, a Kenyan runner Abel Mutai got confused before the finishing line and didn’t able to move forward. For a while he thought that the race was over. Just behind him Ivan Fernandez a Spanish runner helped him to move forward by pushing Abel to win the race. It was not merely the hard work but with the help of Ivan, Able won the gold medal. While interacting with reporters Ivan said, “My wish is that we all as a human being help each other to get our dreams fulfilled” When the reporter asked: Why you helped a Kenyan runner to win? Ivan replied, “I didn’t help anyone rather supported a deserving person.” Further, Ivan said I never felt happy by getting such an award which I din’t deserve. How can I face my mother as well as what reputation I shall carry for the next generation? That is what “KHEL BHAVNA” Now you decide whether Ivan is right or wrong? In this special issue, we will remember such a player who is an example for all the Indians for his “KHEL BHAVNA” हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी के कु छ रोचक तथ्य!  ध्यानचंद के पिता सेना में थे। ध्यानचंद प्रारंपिक पिक्षा के बाद 15 साल की उम्र में सेना में िती हो गए। बचिन में उनको हॉकी के प्रपत कोई लगाव नहीं था। सेना में िती होने के बाद वे खेलने लगे।  21 वर्ष की उम्र में उन्हें न्यूजीलैंड जाने वाली िारतीय टीम में चुन पलया गया। इस दौरे िर िारतीय सेना की टीम ने 21 में से 18 मैच जीते।  मेजर ध्यानचंद चंद्रमा की चांदनी में सारी रात अभ्यास ककया करते थे। इसी वजह से उनके साथी उन्हें चांद कहने लगे। यहीं से उनका नाम ध्यानचंद िड़ गया।  ध्यानचंद को हॉकी खेलने के पलए प्रेररत करने का श्रेय रेजीमेंट के एक सूबेदार मेजर पतवारी को है। मेजर पतवारी िी एक हॉकी पखलाड़ी थे।  23 वर्ष के ध्यानचंद को 1928 के एम्सटडषम ओलंपिक में िहली बार पहस्सा ले रही िारतीय हॉकी टीम में िापमल ककया गया। यहां चार मैचों में िारतीय टीम ने 23 गोल दागे। ध्यानचंद ने 1928 में एम्सटडषम, 1932 में लॉस एंजेपलस और 1936 के बर्ललन ओलंपिक में िारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व ककया और िारत को स्वर्ष िदक कदलाया।
  • 4. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 2  1932 में लॉस एंजेपलस ओलंपिक में हॉकी फाइनल में िारत ने अमेररका को 24-1 से हरा कदया। इस मैच में ध्यान चंद ने 8 गोल ककए और उनके छोटे िाई रूि ससह ने 10 गोल ककए। वहीं 1936 के बर्ललन ओलंपिक में ध्यानचंद िारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे। 15 अगस्त, 1936 को हुए फाइनल में िारत ने मेजबान जमषनी को 8-1 से हराया।  ध्यानचंद का खेल देखकर जमषन तानािाह पहटलर तक उनके खेल के मुरीद हो गए थे। पहटलर ने उनको जमषन सेना में िद ऑफर करते हुए उनकी तरफ से खेलने का ऑफर कदया था लेककन हॉकी के इस जादूगर ने पहटलर का ये प्रस्ताव यह कहते हुए ठुकरा कदया कक मैंने िारत का नमक खाया है, मैं िारतीय हं और िारत के पलए ही खेलूंगा। मेजर बॉल अिने िास रखने में इतने मापहर थे कक एक बार हॉलैंड में एक मैच के दौरान कुछ लोगों को िक हुआ कक मेजर की हॉकी में चुंबक लगा हुआ है पजसके कारर् उनकी हॉकी तुड़वा कर देखी गई थी।  साल 1948 में 43 वर्ष की उम्र में ध्यानचंद ने अंतरराट्रीय हॉकी को अलपवदा कहा। सैपनक के रूि में िती हुए ध्यानचंद अिने खेल के दम िर मेजर के िद से ररटायर हुए। “ मेजर ध्यानचंद ने अिने खेल जीवन में 1000 से अपिक गोल दागे। वहीं अंतरराष्‍टट्रीय करररअर में 400 से ज्यादा गोल ककए, जो आज िी एक ररकाडष है।  ध्यानचंद ने अिनी कररश्माई हॉकी से जमषन तानािाह पहटलर ही नहीं बपकक महान किकेटर डॉन ब्रैडमैन को िी अिना फैन बना कदया था। ध्यानचंद को साल 1956 में िारत के प्रपतपठितत नागररक सम्मान ि्मभिूर्र् से सम्मापनत ककया गया।  ध्यानचंद के बेटे अिोक कुमार िी िारत के पलए ओलंपिक खेलने वाली हॉकी टीम का पहस्सा रहे हैं। साल 1975 में अिोक के आपखरी समय में ककए गोल से िारत ने िाककस्तान को हराकर पवश्व कि का पखताब जीता था।
  • 5. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 3 राष्ट्रीय खेल ददवस के अवसर पर मेजर ध्यानचंद कु छ यादें कु छ बातें 1928 All India Hockey team which won the World Olympics. 8 of the playing 11 members were Anglo Indians; of the two spares, one was an Anglo Indian 1926: भारतीय सेना हॉकी टीम का सिसे पहला अंतरराष्ट्र ीय न्यूजीलैंड िौरा हुआ - भारत का अंतरराष्ट्र ीय पिापुण - ध्यानचंि के जीवन का भी पहला अंतरराष्ट्र ीय िौरा । ध्यानचंि ने िी अपने खेलसे िमाके िार उपखथथदत - कमांदडंग ऑदिसर ने जि ध्यानचंि से कहा लड़के तुझे हॉकी खेलने न्यूजीलैंड जाना है - ध्यानचंि ने जवाि दिया यस सर – ऑदिसर के जाते ही खुशी से िौड़े अपनी िैरक में - भारतीय हॉकी टीमका सिसे पहला अंतराुष्ट्र ीय िौरा 1926 न्यूजीलैंड से प्रारंभ होता है और हम यह कहसकते हैं दक यह भारतीय खेलों का दकसी भी खेल में पहला अंतरराष्ट्र ीय िौरा है जो भारतीय हॉकी टीम ने भारतीय सेना हॉकी टीम के रूप में न्यूजीलैंड का दकया था और वास्तव में ध्यानचंि और भारतीय हॉकी टीम का अंतरराष्ट्र ीय स्तर पर पिापुण 1926 का न्यूजीलैंड िौरा ही है और यदि इस िौरे की यािें ध्यानचंि की यािों के साथ नहीं कहीं और िताई जाएं गी तो ध्यानचंि की सुनहरी यािों की और उनके सुनहरे खेल जीवन की कहानी अिूरी रह जाएगी । 1928: भारतीय हॉकी टीम ने पहली िार दलया 1928 एमस्टरडम ओलंदपक में दहस्सा - दवत्त की कमी के कारण 13 की जगह भेजे गए के वल 11 खखलाड़ी- 10 माचु को के सर ए दहंि पानी के जहाज से मुंिई से रवाना हुई भारतीय हॉकी टीम- टीम को छोड़ने िंिरगाह पर आए मात्र 3 लोग-कैं दिज में अध्ययनरत आदिवासी खखलाड़ी जयपाल दसंह मुंडा को िनाया कप्तान -ओलंदपक में दहस्सा लेने के पहले भारतीय हॉकी टीम ने खेले इंग्लैंड, हॉलैंड ,जमुनी और िेखियम में अभ्यास मैच- 1928 एम्सटडुम ओलंदपक में 17 मई से शुरू दकया भारतीय हॉकी टीम नेअपना दवजय अदभयान- भारत की टीम को रखा ए दडवीजन में-भारत ने 1928 ओलंदपक में ऑखस्टर या के खखलाि खेला अपना पहला ओलंदपक हॉकी मुकािला -भारत ने िाइनल में 26 मई 1928 को मेजिान हालैंड को हराया 3 गोलों से- िाइनल मैच में ध्यानचंि ने लगाई अपनी पहली ओलंदपक गोलों की हैदटरक -भारत ने जीता अपना पहला ओलंदपक ऐदतहादसक स्वणु पिक- ध्यानचंि के तीन गोलों से दनकली भारतीय खेलो की गंगा ।
  • 6. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 4 “ 1928 में ध्यानचंि ने खेला सिसे पहला इंटर प्रोदवंदशयल हॉकी टू नाुमेंट कोलकाता में हुआ आयोदजत - क्षेत्र के आिार पर िनाई गई पांच टीमें- ध्यानचंि खेलें यूनाइटेड प्रोदवंसेस की टीम से- भारतीय सेना ने नहींउतारी अपनी टीम- ध्यानचंि को हुआ आश्चयु- इंटर प्रोदवंदशयल हॉकी टू नाुमेंट से प्रथम ओलंदपक हॉकी टीम का चयन- ध्यानचंि छु दियों में खेलते और अभ्यास करते झांसी हीरोज मैिान पर-हीरोज मैिान पर उनके साथी साथ होतेअभ्यास के दलए- ध्यानचंि खेलने जाते झांसी हीरोज क्लि से िेटन कप हॉकी टू नाुमेंट । 1928 में भारतीय हॉकी संघ के सदिय होने के िाि और ध्यानचंि के सिलतम न्यूजीलैंड िौरे के िाि इस िात की संभावना आहट दमलने लगी और चचाु होने लगी दक भारतीय हॉकी टीम को 1928 में होने आयोदजत होने वाले ओलंदपक में दहस्सा लेने जाना चादहए दकं तु उस समय भारतीय हॉकी संघ की प्रांतों में इकाइयों का िहुत ज्यािा गठन नहींहो पाया था इसदलए भारतीय हॉकी टीम का चयन कै से दकया जाए भारतीय हॉकी संघ के सामने यह एक िड़ी चुनौती थी । 1933 में झांसी हीरोज ने खेला अपना पहला िैटन कप हॉकी का िाइनल - ध्यानचंि ने खेला गंभीर िीमारी की हालत में िाइनल मैच - और िाइनल में हराया कोलकाता कस्टम्स को-इस िाइनल मैच को ध्यानचंि ने कहा दजंिगी का श्रेष्ठ मैच ।
  • 7. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 5 1935: भारतीय हॉकी टीम ने वेदलंगटन में 14 मई 1935 को सुिह और शाम के सत्र में कड़ा अभ्यास और शारीररक पररश्रम दकया। थथादपत परंपराओं के अनुसार भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर िहराम डॉक्टर ने 15 मई 1935 के मैच के पहले दवदलंगटन में उपखथथत प्रेस मीदडया कदमुयों से िातचीत की और इस िातचीत को कहते हुए डॉक्टर ने ध्यानचंि के िारे में जो कहा वह वक्तव्य िू सरे दिन न्यूजीलैंड समाचार पत्रों में प्रकादशत हुआ दजसमें डॉक्टर ध्यानचंि के िारेमें कहते हैं “Dhyancand is as good as ever I firmly belive that the world never produced another hockey player like him” आगे अपने िौरे को वदणुत करते हुए वे कहते है it is not only hockey we have come to play but the game of life इन सुंिर पंखक्तयों के साथ भारतीय हॉकी टीम अपने न्यूजीलैंड हॉकी िौरे का पहला मैच 15 मई 1935 को डेनवकु के खखलाि खेलती है और इस मैच को भारतीय हॉकी टीम 21 के मुकािले 0 गोल से जीतकर अपने िौरे का आगाज करती है और मानो ऐसा लगता है जैसे भारतीय हॉकी टीम ने 21 गोल करके अपना स्वागत इक्कीस तोपों की सलामी लेकर दकया हो। “A special type of bell was used in 1936 during Olympic game at Germany. Photograph of Australia-Newziland tour in 1935. At the center Dr.Behram and Dhyan Chand ji on his left side and Roop Singh on the right side. A glorious moments of Indian Sports History.
  • 8. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 6 ध्यानचंि को अपने जीवन में दवषम पाररवाररक आदथुक पररखथथदतयों के चलते सेना की 1 िाह्मण रेजीमेंट की िच्चा प्लाटू न में 15 साल की कच्ची उम्र में सन 1920 में शादमल होना पड़ा। ध्यानचंि के खेल जीवन का गुरु मंत्र िन गया दक हॉकी टीम गेम है जो सभी खखलादड़यों को साथ लेकर खेला जाता है दकं तु जि आवश्यकता हो ति अके ले अपने अद्भुत कौशल से मैच की प्रदतकू ल पररखथथदतयों को अनुकू ल पररखथथदतयों में ििलते आना चादहए और यही गुरु मंत्र ध्यानचंि को एकाग्रता से अभ्यास के दलए प्रेररत करते चला गया जि सि सैदनक साथी िैररको में आराम करने चले जाते ति अके ले ही अभ्यास करते । 2 साल के पश्चात सन 1922 में ध्यानचंि को दनयदमत सैदनक के रूप में 14 पंजाि रेजीमेंट रामगढ़ में भती कर दलया गया | 1936 ओलंदपक के दलए भारतीय हॉकी टीम का चयन दकया गया और टीम की घोषणा होने के पश्चात ओलंदपक की तैयारी के दलए प्रदशक्षण दशदवर प्रारंभ हुआ इस प्रदशक्षण दशदवर में मेजर ध्यानचंि को छोड़ सभी खखलाड़ी भाग लेने पहुंच चुके थे दकं तु मेजर ध्यानचंि अपनी प्लाटू न के साथ ड्यूटी पर खड़े थे और इस प्लाटू न को युद्ध के दलए िमाु सीमा पर भेजे जाने के आिेश हेड क्वाटुर से प्राप्त हो चुके थे | िदलुन में हो रहे खेलो के ये मुकािले असािारण थे क्ोंदक यह ओलंदपक खेल दद्वतीय दवश्व युद्ध की आहट में संपन्न होने जा रहे थे और इस कारण सभी िेशों के िीच एक अदृश्य भय का वातावरण था | अगस्त 1936 को िदलुन ओलंदप क़ हॉकी के मुकािले में भारत का मुकािला िुदनया की महाश क्ती America के खखलाि हुआ था। यह मैच शाम 4:30 िजे हॉकी स्टेदडयम में खेला गया था ।उस समय िदलुन का अदिकतम तापमान21 दडग्री सेखल्सयस था मौसम सुखा हुआ था और हवा शां त थी । इस मैच के अंपायर आर मादसुली िेखियम और डॉक्टर आर रोहरीग जमुनी से थे। भारतीय हॉकी टीम जो अमेररका के खखलाि मैच में उतरी थीउसमें कप्तान ध्यान चंि, रूप दसंह, मोहम्मि जिर, अहमि शेरखान, गुरु चरण दसंह, दिदलप्स, गुड सर कु दलयन, गलिडी, एखम्मट शादमल थे। वही अमेररका की टीम में फ्रें टरेस, गॉडफ्रे , ओवेररयन, टरेनिुल, दडसटन, जेंटल,िुक, थॉम्सन,शेअिर,िुदडगटन,मैकमुखिन शादमल थे। भारत ने मैच के 28 वे दमनट में पहला गोल दकया और उसके 5 दमनट िाि भारत ने िू सरा व तीसरा गोल कर दिया था। मध्यांतर तक भारत 3-0 से आगे था ।मध्यांतर के िाि भारत ने चार और गोल दकए भारत ने इस मैच में सात के मुकािले 0 गोलों से जीत हादसल करते हुए अपनी लगातार िू सरी जीत िजु करते हुए अपने दवजय After receiving gold medal Indian Hockey Team at Berlin Olympic Dhya Chand Ji in 1st Brahmin Regiment in 1922 sitting in the left side
  • 9. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 7 अदभयान को जारी रखा। शाम को जमुनी में दिटेन के राजिू त सर एररक दिप्स ने भारतीय हॉकी टीम को आमंदत्रत दकया। िदलुन ओलंदपक में भारतीय हॉकी टीम के साथ मैनेजर जगन्नाथ राव पंकज गुप्ता साथ गए हुए थे। इन ओलंदपक हॉकी मुकािलों में भारत को ग्रुप ए में रखा गया था दजसमें भारत के साथ जापान हंगरी और अमेररका को शादमल दकया गया था ।भारत ने अपने पहले मैच में हंगरी को 4-0 से और िू सरे मैच में अमेररका को 7-0 परास्त दकया था दजसके कारण वह अपने ग्रुप में अंक तादलका में सिसे ऊपर लीड कर रही थी। भारतीय हॉकी टीम का अगला मुकािला 10 अगस्त को जापान के साथ होगा। िदलुन ओलंदपक दवलेज में जहां भारतीयों की टीम को रोका गया था कॉटेज का नंिर 113 था और उसका नाम एलदिंग था जो जमुनी के एक शहर के नाम पर रखा गया था जहां से भारत को रेलवे के इंजन िड़ी मात्रा में सप्लाई दकए जाते थे। एक कॉटेज में 22 दिस्तर होते थे और उस समय हॉकी टीम 22 सिस्ों की हुआ करती थी । Cottage no. 113 where Indian Hockey Team stayed during Berlin Olympics भारतीय हॉकी टीम मध्यांतर तक 4 -0 से आगे है ।मध्यांतर के िाि भारत ने 5 वे दमनट में एक गोल और कर दिया इसके िाि दनयदमत अंतराल में भारतीय हॉकी टीम ने 5 और गोल कर दिए दजसमें एक गोल पेनल्टी कानुर से भी िनाया गया। भारतीय हॉकी टीम की ओर से एआईएस िारा ने पहले ही मैच में अपनी उपखथथदत को सही सादित करते हुए िो गोल िागे, साहिान शहािुद्दीन और टॉप सेल ने एक-एक गोल दकए मेजर ध्यानचंि के छोटे भाई रूप दसंह ने िो गोल और कप्तान ध्यानचंि ने चार गोल दकए और इस प्रकार भारत ने सेमीिाइनल में फ्रांस को 10 - 0 से रौंिते हुए िमाके िार अंिाज में िदलुन ओलंदपक के िाइनल मे प्रवेश कर दलया। भारतीय हॉकी टीम सेमीिाइनल तक अपने दवरोिी टीमों के खखलाि 30 गोल कर चुकी है और उसके खखलाि अभी तक एक भी गोल नहीं हुआ है। फ्रांस से मुकािला जीतने के िाि भारतीय हॉकी टीम को िदलुन खथथत मखिि कमेटी द्वारा चाय पर िुलाया गया जहां पर उनका आत्मीय स्वागत दकया गया जो अपने आप में िड़ी और ऐदतहादसक घटना है यह इसदलए हुआ क्ोंदक भारतीय हॉकी टीम अपने अंिर सारे िमों को समाए अलग-अलग भाषाओं को िोलने वाले अलग-अलग प्रांतोंके खखलाड़ी होने के िावजूि एक राष्ट्र के रूप में ओलंदपक खेलों में भारत के दलए खेलने उतरे और भारतीय हॉकी टीम की खूिसूरती दक वह एक सूत्र में मेजर ध्यानचंि के नेतृत्व में एक माला के
  • 10. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 8 मोदतयों में पीरोई िंिी मजिूत भारतीयता की भावना से प्रेररत टीम है जो अपना सवोच्च और सवुश्रेष्ठ प्रिशुन िदलुन ओलंदपक में कर रही हैं। 13 अगस्त 1936 को भारतीय हॉकी टीम दक तनाव के वल इस िात का है दक दजस जमुन टीम से िाइनल मैच से मुकािला होना है उससे अभ्यास मैच में भारतीय टीम 1के मुकािले 4 गोल से परास्त हो चुकी थी | ।सुिह 11:00 िजे जो िाइनल मैच खेला जाना दनिाुररत हुआ ओलंदपक इदतहास में अपने आप में एक ऐदतहादसक दनणुय के रूप में िेखा जाता है क्ोंदक इससे पूवु जो हाॅकी िाइनल मैच हुए उनका समय और आज तक जो ओलंदपक में हॉकी िाइनल मैच हुए हैं उनका समय िोपहर में ही रखा गया है यह एकमात्र ओलंदपक िाइनल है जो ओलंदपक हॉकी के इदतहास में सुिह 11:00 िजे खेला जाएगा । 14 अगस्त1936 िदलुन ओलंदपक मे होने वाला िाइनल मैच भारी िाररश के कारण हुआ थथदगत - मैच तय हुआ अगले दिन 15 अगस्त को होना- ओलंदपक इदतहास में पहली िार खेला जाएगा िाइनल मैच सुिह 11:00 िजे | 15 अगस्त 1936 को जो िाइनल मैच भारत खेलेगा वह वास्तव में अदवभादजत भारत का अंदतम मैच कहलाएगा क्ोंदक इसके िाि होने वाले 1940 और 1944 के ओलंदपक दद्वतीय दवश्व युद्ध के कारण नहीं हो सके थे और दिर 1948 के लंिन ओलंदपक हुए दजसमें िो अलगअलग िेशभारत और पादकस्तान ने ओलंदपक में दहस्सा दलया।िोनों ही टीमों के खखलादड़यों ने अपनी अपनी अपनी पोजीशन ले ली है और ठीक 11:00 िजे अंपायरों ने भारतीय गोलकीपर एलेन और जमुन हॉकी टीम गोलकीपर डर ोज की ओर हाथ उठाकर इशारा दकया है और िुली ऑि के दलए कप्तान ध्यानचंि जमुन सेंटर िॉरवडु वाइज तैयार है दसटी िजी है िुली ऑि हुई है ध्यानचंि ने िड़ी खूिसूरती से िुली ऑि में गेि को दनकाला है ध्यानचंि िुदनया में सवुश्रेष्ठ िुली ऑि करने वाले खखलादड़यों में से हैं गेंि ध्यानचंि राइट दवंग में िारा को िे की है खेल तेजी से हो रहा है दकं तु भारतीय हॉकी टीम खखलाड़ी गेंि पर कं टरोल रखने में असिल हो रहे हैं और उनके पैर िार-िार गीला मैिान होने के कारण दिसल रहे हैं और मजिूत जमुन रक्षा पंखक्त गेंि को िड़े आत्मदवश्वास से खक्लयर कर रही है और जमुन टीम लगातार भारतीय गोल पर आिमण कर रही है जहां एलेन टॉप सेल , हुसैन , दनमल कु लीयन गलिाडी िड़ी मुस्तैिी से भारती य गोल की रक्षा कर रहे है ।31 वे दमनट तक जमुन टीम ने भारतीय खखलादड़यों के आिमण को दविल दकया है गेंि लेफ्ट दवंग मोहम्मि जिर से होते हुए डी के अंिर रूप दसंह को दमल गई है और उन्होंने एक तगड़ा दहट लगाते हुए गेंि को जमुन गोल में डाल दिया है और भारत का यह गोल 32 दमनट में आया है। मध्यांतर हो गया है। मध्यांतर तक भारतीय हॉकी टीम जमुन हॉकी टीम से 1 गोल से आगे हैं दकं तु कप्तान ध्यानचंि इस एक गोल की ि ढ़त से संतुष्ट् नहींहै क्ोंदक जमुन टीम मध्यांतर तक िहुत मजिूती और कु शल रणनीदत के साथ खेली है और जमुनटीम सिस्ोंको इस िात का भी पता चल गया की चांसलर दहटलर मैिान में पहुंचकर उनका मैच िेख रहे हैं दजससे उनके हौसले िुलंि हो गए है इस समाचार ने भारतीय हॉकी टीम में दचंता की िढ़ा िी है।
  • 11. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 9 िशुक िीघाु में िैठे िड़ौिा महाराज दसयारावजी गायकवाड मैच को िड़ी िारीकी से िेख रहे हैं और उन्हें यह िात समझ आ गई दक भारतीय हॉकी टीम के साथ क्ा दिक्कत आ रही है उन्होंने अपने दनजी सदचव के हवाले से ध्यानचंि के पास कु छ संिेश भेजा है और हम िेख रहे हैं दक ध्यानचंि से उनके दनजी सदचव कु छ कह रहे हैं और ध्यानचंि अपने जूते उतार िें क रहे हैं और उन्हें िेखकर रूप दसंह भी जूते उतारकर िें क रहे हैं मध्यांतर के िाि खेल शुरू हो रहा है ध्यानचंि और रूप दसंह िोनों ही नंगे पैर खेलने मैिान में उतर गए हैं और मैच िुली ऑि के िाि प्रारंभ हुआ है और अि तो भारतीय हॉकी टीम का स्वरूप ही ििला नजर आ रहा है ध्यान चंि का गेंि पर अद्भुत दनयंत्रण कलात्मक गेंि का दडस्टर ीब्यूशन अपने िॉरवडु खखलादड़यों के साथ जिरिस्त समन्वय िनाकर जमुन गोल पर लगातार आिमण कर रहे हैं जमुन रक्षा पंखक्त के पास भारतीय आिमण को रोकने के दलए कोई रणनीदत नहीं दिखाई िे रही है,और आिमणों के चलते भारत को पेनाल्टी कॉनुर दमल गया है और भारत की ओर से राइट िु ल िैक टॉप सेल ने जोरिार दहट लगाकर गेंि को गोल में डाल दिया है भारतीय हॉकी टीम का िू सरा गोल मैच के 42 दमनट में आया है । भारतीय हॉकी टीम ने दिर एक िार तेज आिमण शुरू दकया है कप्तान ध्यानचंि ने एआई िारा को 25 गज की लाइन के आगे एक पास िे का है दजसे िारा ने ररसीव दकया और सीिे जमुन डी में प्रवेश दकया हैऔर उन्होंने भारत के दलए यह तीसरा गोल कर दिया है। िुली ऑि हुई है ध्यानचंि ने गेंि को चुंिकीय अंिाज में अपनी ओर खींचा है और गेंि को लेफ्ट इन रूप दसंह को िे िी है जो इिर उिर िेखते हुए तेजी से आगे िढ़ रहे हैं और उन्होंने गेंि जािर और िढ़ा िी है और जािर ने िहुत तेजी से अके ले ही जमुनी डी में प्रवेश करते हुए स्कू प से गेंि को गोल में डाल दिया है भारत के दलए 4 गोल कर दिया है । 5 गोल से दपछड़ने के िाि जमुन हॉकी टीम अचानक दहंसक हो उठी और वह भारतीय खखलादड़यों के साथ मारपीट का खेल खेलने लगी और इसी िौरान गोलकीपर ने कप्तान ध्यानचंि के मुंह पर खस्टक चला िी है , ध्यानचंि का एक िांत टू ट गया तुरंत प्राथदमक दचदकत्सीय उपचार दकया गया है खेल शुरू हुआ ध्यानचंि ने अपने टीम खखलादड़यों को जो इस घटना के िाि कािी गुस्से में आ गए है दहिायत िी है हमें अपना खेल खेलना है मैच गोल करने से जीते जाते है चोटों से नहीं िस दिर जािुई अंिाज में अपनी िॉरवडु लाइन के साथ अद्भुत तालमेल से एआईएस िारा से दमले सुंिर िॉस को डी के अंिर ररसीव करते हुए ध्यानचंि ने जमुन गोलकीपर के िायी ओर से गेंि को प्लेसमेंट करते हुए गोल में डाल दिया भारत की ओर से यह 6 वा गोल 53 दमनट में आया । उिर वीआईपी स्टैंड मेंअपने िेश की िुरी तरह से हारते हुए गुस्से में चांसलर दहटलर मैिान छोड़कर िाहर जा रहे हैं और मैिान में शािान शहािुद्दीन ए आई एस िारा से पास ररसीव करते हैं और 25 गज लाइन के पास खड़े ध्यानचंि को गेंि िें कते हैं ध्यानचंि अके ले ही गेंि पर दनयंत्रण करते हुए जमुनी डी में पहुंच कर एक ररवसु दिल्क से गेंि को गोल में डाल िेते हैं भारत के दलए यह सातवां है जो 56 दमनट में आया और ध्यानचंि का मैच में तीसरा गोल है इसके िाि खेल शुरू होते ही एक िार दिर कप्तान ध्यानचंि से रूप दसंह को गेंि दमलती है , रूप दसंहलेफ्ट आउट जािर को गेंि िेते हैं जािर एक सुंिर िॉस से गेंि को जमुन डी िें कते हैं और ध्यानचंि दडफ्लेक्शन से गेंि को गोल में पहुंचा िेते हैं भारत के दलए यह आठवां गोल 59 दमनट में आया है भारत इस समय जमुनी से 8 गोलों अजेय िढ़त िना चुका है और खेल खत्म होने में अि के वल 11 दमनट रह गए हैं और ऐसा लगता है दक जमुनी की हॉकी टीम ने भारतीय हॉकी टीम के सामने घुटने टेक दिए हैं भारतीय हॉकी टीम खखलाड़ी गेंि को अि मैिान में अपने मन मुतादिक दनयंत्रण
  • 12. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 10 से चला रहे हैं इसी िीच एक कमजोर गेंि भारतीय टीम से जमुनी के िॉरवडु वॉइस को दमलती है और वे गेंि को भारतीय गोल में डाल िेते हैं यही एकमात्र गोल जमुनी की ओर से पूरे मैच में होता है और भारत ने इस स्वणु पिक के मैच में जमुनी को 8 के मुकािले 1गोल से जीत हादसल करते हुए ओलंदपक हॉकी का तीसरा स्वणु पिक अपने नाम कर दलया है यह खुशखिरी िताते हुए दक भारत ने तीनों ओलंदपक स्वणु पिक उन्हीं िेशों की िरती पर जीते हैं दजन िेशों की िरती पर यह ओलंदपक खेल आयोदजत हुए अथाुत मेजिान िेशों को उन्हींके घर में जाकर भारतीय हॉकी टीम ने हराया है दजसे कहते हैं शेर के घर में जाकर दशकार करना। मेजर ध्यानचंि ने अपने तीसरे ओलंदपक िाइनल में भी गोलों की हैदटरक लगाकर एक अदवदजत ओलंदपक कीदतुमान की सचु दिया है। भारतीय िशुक मैिान में खुशी मनाने उतर गए सारे खखलाड़ी भी उनके साथ जश्न में डू िे हुए हैं लेदकन यकायक खखलादड़यों को ध्यान में आता है दक ध्यानचंि नहींदिखाई पड़ रहे हैं ति उन्हें खोजने पर वे वहां िैठे हुए दिखलाई पड़ते हैं जहां सि िेशों के झंडे लगे हुए हैं खखलाड़ी जि उनके पास पहुंचते हैं तो िेखते है दक उनकी आंखों में आंसू है और वे गमगीन हैं खखलाड़ी उनसे पूछते हैं दक कप्तान ध्यानचंि हमने ओलंदपक का तीसरा स्वणु पिक जीता है और आपकी आंखोंमें आंसू है और अिसोस ध्यानचंि स्टेदडयम में लगे दवदभन्न िेशों के झं डो की तरि िेखते हैं और इशारा करके कहते है दक जहां गुलाम भारत का झंडा लगा हुआ है काश आज वहा मेरे आजाि िेश का दतरंगा लहरा रहा होता । ठीक 11 साल िाि आज 15 अगस्त 1947 को ध्यानचंि का यह सपना पूरा होता है जि िेश आजाि हुआ और हम आज उस आजािी के जश्न के साथ दतरंगे को िहराते हुए सलामी िे रहे है। आज अनदगनत वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनादनयों शहीिों के साथ मेजर ध्यानचंि और उनकी भारतीय हॉकी टीम को भी याि करें दजन्होंने 15 अगस्त की तारीख को भारत के दलए हमेशा हमेशा के दलए अमर िना दिया है । स्वतंत्रता दिवस की और भारतीय हॉकी टीम के िदलुन ओलंदपक में तीसरे स्वणु पिक जीतने की आप सिको िहुत-िहुत शुभकामनाएं और ििाई है | “ Third Hatrick in a row by Major Dhyan Chand – A glorious moment in the Berlin Olymic. िदलुन ओलंदपक की यह स्वदणुम जीत दजसने भारत को गुलामी से लड़ने उसको जीतने और दनिाुररत लक्ष्य को प्राप्त करने के दलए एक िेशवादसयों को राह दिखाई और इसदलए आने वाले समय में इदतहासकारों दवश्लेषकों ने मेजर ध्यानचंि को आिुदनक भारत के दनमाुण का दशल्पी कहां है इसके साथ ही मुख्य िदलुन ओलंदपक स्टेदडयम में 15 दिनों तक चले इन भव्य खेलों का समापन समारोह प्रारंभ हुआ है। िदलुन में चांसलर दहटलर की मौजूिगी में रादत्र में एक भव्य हाल में रादत्र भोज का आयोजन हुआ यही वह थथान है जहां चांसलर दहटलर लांस नायक ध्यानचंि के िीच मुलाकात हुई है इस मुलाकात का दववरण िेते हुए भारतीय हॉकी टीम के कोच जगन्नाथ राव जी ने दहटलर और ध्यानचंि के िीच हुए वाताुलाप का दववरण दिया है |
  • 13. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 11 “ ध्यानचंि को दहटलरने जमुनी टीम से खेलने का प्रस्ताव दिया और ध्यानचंि ने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठु करा दिया दक वे एक भारतीय सैदनक है और भारत में ही रह कर िेश की सेवा करना चाहते हैं । The builders of Modern India (Tata Institute of sports)
  • 14. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 12 In 1956 Major Dhyan Chand retired from Punjab regiment. On his recognition an “ADAM KAD STATUE” was credited for his work. The statue is a memory of a soldier as well as a great player. “ ध्यानचंद को साल 1956 में भारत के प्रततष्ठित नागररक सम्मान पद्मभूषण से सम्मातनत ककया गया।
  • 15. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 13 1979: जि ध्यानचंि जी को सािारण रेल के दडब्बे से ले जाया गया उपचार के दलए एम्स - भती दकया एम्स के जनरल वाडु में - भारत के गौरव आिुदनक भारत के दनमाुता ध्यानचंि ने एम्स के जनरल वाडु में 3 दिसंिर 1979 को ली अंदतम सांस और िुदनया को कहा अलदविा - हॉकी के जािू गर की मौत की सिसे पहले सूचना िी जूदनयर डॉक्टर गजेंद्र दसंह चौहान ने ओलंदपयन अशोक कु मार को - नई दििी से झांसी लाया गया हॉकी के जािू गर का पादथुव िेह हेलीकॉप्टर से- झांसी हवाई अड्डे से घर तक हजारों हजार चाहने वाले लेकर आए ध्यानचंि के पादथुव शरीर को- रात भर दनवास पर रखा गया पादथुव शरीर- सुिह अंदतम संस्कार के दलए थथान तय हुआ हीरोज मैिान- प्रशासन को थी इस पर आपदत्त- पंदडत दवश्वनाथ शमाु िैठे िरने पर और िी हीरोज मैिान पर अंदतम संस्कार करने के दलए िलील - कहा सावुजदनक थथल पर यदि गांिीजी और नेहरू जी का अंदतम संस्कार हो सकता है तो दिर मेजर ध्यानचंि का क्ों नहीं- क्ा मेजर ध्यानचंि का राष्ट्र ीय और अंतरराष्ट्र ीय महत्व दकसी से कम है - इस िलील से दनरुत्तर हुए प्रशासदनक अदिकारी और हीरोज मैिान पर अंदतम संस्कार के दलए हुए सहमत - सेना की तोप गाड़ी पर रखा गया मेजर ध्यानचंि का पादथुव शरीर- सेना की टुकड़ी ने िी अंदतम दविाई और सलामी - मोहन िागान क्लि कोलकाता ने भेजा महान ओलंदपयन गुरिख्श दसंह को अंदतम संस्कार में शादमल होने - गुरिख्श दसंह ने अदपुत दकए मोहन िागान क्लि और िेश के खखलादड़यों की ओर से श्रद्धा सुमन - मोहन िागान क्लि की ओर से सहायता स्वरूप पररजनों को दिए गए5000 रुपए - 23 दसत 1982 को समादि थथल पर लगाई गई मेजर ध्यानचंि की जन सहयोग से िुदनया की पहली मूदतु - झांसी आर्मडु दडवीजन के जनरल श्री क्लेयर ने दकया मूदतु का अनावरण | 1995: 29 अगस्त 1995 से पूवु ध्यान चंि जी का जन्मदिन मनाया जाता था दिना दकसी नाम और दनयोजन के - िस होती थी औपचाररकता- नेहरू कमेटी के चेयरमैन दशव कु मार वमाु के मन में आया राष्ट्र ीय खेल दिवस मनाने का दवचार- ओलंदपयन और अंतरराष्ट्र ीय खखलादड़यों के साथ दशव कु मार वमाु ने मुलाकात की सांसि दवश्वनाथ शमाु जी से…
  • 16. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 14 “ पंदडत दवश्वनाथ जी शमाु ने 24 अगस्त 1994 को लोकसभा में रखा राष्ट्र ीय खेल दिवस मनाने का प्रस्ताव | दिसंिर 1994 में तत्कालीन नरदसम्हा राव सरकार ने 29 अगस्त मेजर ध्यानचंि के जन्मदिन को घोदषत दकया राष्ट्र ीय खेल दिवस | 29 अगस्त 1995 में िेश के प्रिानमंत्री पीवी नरदसम्हा राव ने राष्ट्र को समदपुत की िुदनया के महानतम हॉकी खखलाड़ी मेजर ध्यानचंि की मूदतु नेशनल स्टेदडयम के सामने, मेजर ध्यानचंि की ऐसी याि जो हम सभी िेशवादसयों से जुड़ी हुई है और हमें गौरवाखन्वत गवु करने के अवसर प्रिान करती है। 2002: भारत में मेजर ध्यानचंि के नाम को लगातार प्रदतदष्ठत करने के प्रयासों में लगे हुए पंदडत दवश्वनाथ जी शमाु के मन में पुनः एक दवचार आया दक नेशनल स्टेदडयम जो दक भारत के खेलो का स्वादभमान है और दजसके पीछे अपना एक इदतहास है क्ों ना इस नाम के साथ मेजर ध्यानचंि का नाम भी जोड़ा दिया जाए क्ोंदक मेजर ध्यानचंि के कारण ही खेलों की िुदनया में भारत का नाम स्वादभमान से प्रदतथथादपत हुआ है और यदि नेशनल स्टेदडयम के नाम के साथ मेजर ध्यानचंि का नाम भी जोड़ा दिया जाएगा तो भारत का नाम पूरी िुदनया में रोशन हो जायेगा साथ ही उनका यह सोचना भी रहा की मेजर ध्यानचंि की मूदतु हमने स्टेदडयम के द्वार पर तो लगा िी यदि स्टेदडयम का नाम मेजर ध्यानचंि का नाम से जोड़ दिया जाएगा तो वहांलगाई गई मूदतु की साथुकता दसद्ध हो जाएगी और इसी उद्देश्य की पूदतु के दलए उन्होंने भारतीय खेल प्रादिकरण की इस आशय का एक पत्र दलखा। “ सन 2002 में नई दििी खथथत नेशनल स्टेदडयम का पुनः नामकरण करते हुए इसका नाम मेजर ध्यानचंि नेशनल स्टेदडयम रख दिया गया। एक भव्य कायुिम में भारत के तत्कालीन उप प्रिानमंत्री लालकृ ष्ण आडवाणी ने मेजर ध्यानचंि नेशनल स्टेदडयम राष्ट्र को समदपुत दकया | इस अवसर पर तत्कालीन उप प्रिानमंत्री लालकृ ष्ण आडवाणी जी ने मेजर ध्यानचंि के 1936 िदलुन ओलंदपक के स्वणु पिक दजतने की यािों को भावनात्मक रूप से ताजा करते हुए कहा दक मेजर ध्यानचंि ने भारत के दलए लगातार तीसरा ओलंदपक स्वणु पिक जीतकर भारत का स्वादभमान पूरी िुदनया में प्रदतथथादपत कर दिया था |
  • 17. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 15 “ Hockey Jadugar playing Cricket, he was a very good Billyard and Carrom player too. ध्यानचंि की स्वदणुम यात्रा और उसकी गाथा दनरंतर गदतमान है दपछले राष्ट्र ीय खेल दिवस 29 अगस्त 2019 के अवसर पर िेश के प्रिानमंत्री श्री नरेन्द्र मोिी जी ने मेजर ध्यानचंि को याि करते हुए िेश के सिसे िड़े महत्वाकांक्षी कायुिम दिट इंदडया की शुरुआत की और अपने मन दक िात कायुिम में ध्यान चंि जी को याि करते हुए उन्होने कहा दक ध्यानचंि जी के अतुलनीय योगिान को िेश कभी नहींभुला सकता ।
  • 18. 29 August 2020 | Special Issue | Imperial Times Page | 16