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मध्य प्रदेश का इतिहास
August 20, 2022
मध्य प्रदेश का इतिहास | Madhya Pradesh History
Madhya Pradesh History – ऐतिहासिक दृष्टि से मध्य प्रदेश बहुत महत्वपूर्ण राज्य है। मध्यप्रदेश क
े
इतिहास को निम्नानुसार बांटा जा सकता है:
▪️प्रागैतिहासिक मध्यप्रदेश
▪️पाषाण एवं ताम्रकाल
▪️प्राचीन काल
▪️शुंग और क
ु षाण
▪️मध्यकाल
▪️मुगल काल
▪️आधुनिक काल (स्वंत्रता संग्राम)
1.प्रागैतिहासिक मध्यप्रदेश
मध्य प्रदेश क
े विभिन्न भागों में किए गए उत्खनन और खोजों में प्रागैतिहासिक सभ्यता क
े चिन्ह मिले हैं।
आदिम प्रजातियां नदियों क
े काठे और गिरी-क
ं दराओं में रहती थी। जंगली पशुओं में सिंह, भैंसे, हाथी और
सरी-सृप आदि प्रमुख थे।
क
ु छ स्थानों पर “हिप्पोपोटेमस” क
े अवशेष मिले हैं।
शिकार क
े लिए ये नुकीले पत्थरों औरहड्डियों क
े हथियारों का प्रयोग करते थे।
मध्यप्रदेश क
े भोपाल, रायसेन, छनेरा, नेमावर, मोजावाड़ी, महेश्वर, देहगांव, बरखेड़ा, हंडिया, कबरा,
सिघनपुर, आदमगढ़, पंचमढ़ी, होशंगाबाद, मंदसौर तथा सागर क
े अनेक स्थानों पर इनक
े रहने क
े प्रमाण मिले
हैं।
इस काल क
े मानव ने अपनी कलात्मक अभिरूचियों की भी अभिव्यक्ति की हैं। होशंगाबाद क
े निकट की
गुलओं, भोपाल क
े निकट भीमबैठका की क
ं दराओं तथा सागर क
े निकट पहाड़ियों से प्राप्त शैलचित्र इसक
े
प्रमाण हैं।
ये शैलचित्र मंदसौर की शिवनी नदी क
े किनारे की पहाड़ियों, नरसिंहगढ़, रायसेन, आदमगढ़, पन्ना रीवा,
रायगढ़ और अंबिकापुर की क
ं दराओं में भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।
क
ु छ यूरोपीय विद्वानों ने इस राज्य का पूर्व, मध्य एवं सूक्ष्माश्मीय काल ईसा से 4000 वर्ष पूर्व का माना है।
दूसरी ओर डॉ. सांकलिया इस सभ्यता को ईसा से 1,50,000 वर्ष पूर्व की मानते हैं।
2.पाषाण एवं ताम्रकाल
मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी में आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व मोहनजोदड़ो व हड़प्पा की समकालीन सभ्यता
का विकास हुआ जिसक
े मुख्य क
ें द्र महेश्वर, नागदा, कामका, वरखेडा, एरण आदि माने जाते है |
इन स्थानों से खुदाई करक
े धातु क
े बर्तन, औजार, म्रदुभांड आदि मिले है
बालाघाट एवं जबलपुर जिलों क
े क
ु छ भागों में ताम्रकालीन औजार मिले हैं।
3.प्राचीन काल
प्राचीन भारत क
े 16 महाजनपदो में से अवन्ती महाजनपद मध्य प्रदेश में स्थित था जिसकी राजधानी
महिष्मति व उज्जैनी थी
मध्य प्रदेश क
े जबलपुर जिले क
े सीरोहा तहसील क
े रूपनाथ गाँव की एक चट्टान पर अशोक का शिलालेख
अंकित है
मध्य प्रदेश क
े उज्जैनी , निमाड़ , साँची (रायसेन) और भरहुत (सतना) में अशोक ने स्तूपों का निर्माण करवाया
सम्राट अशोक ने रूपनाथ (जबलपुर) , पवाया, बेसनगर, एरण आदि स्थानों पर स्तम्भ स्थापित कराये
भारत में 320 से 510 ई. तक गुप्त वंश का शासन रहा
इस वंश क
े सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने उज्जैनी को अपनी राजधानी बनाया जो वर्तमान मध्य प्रदेश में
स्थित है
गुप्त वंश क
े अंत क
े बाद मध्य प्रदेश पर अनेक छोटी बड़ी शक्तियों ने शासन किया
4.शुंग और क
ु षाण
मौर्यों क
े पतन क
े बाद शुंग मगध क
े शासन हुए। सम्राट पुष्यमित्र शुंग विदिशा में थे। इनक
े पूर्वजों को अशोक
पाटलिपुत्र ले गए थे। उन्होंने विदिशा को अपनी राजधानी बनाया।
अग्निमित्र महाकौशल, मालवा, अनूप (विंध्य से लेकर विदर्भ) का राज्यापाल था सातवाहनों ने भी त्रिपुरी,
विदिशा, अनूप आदि अपने अधीन किए।
गौतमी पुत्र सातकर्णी की मुद्राएं होशंगाबाद, जबलपुर, रायगढ़ आदि में मिली हैं।
सातवाहनों ने ईसा पूर्व की दूसरी सदी से 100 ईसवी तक शासन किया था।
क
ु षाण काल की क
ु छ प्रतिमाएं जबलपुर से प्राप्त हुई हैं।
शक क्षत्रप रूद्रदमन प्रथम ने सातवाहनों को हराकर दूसरी शताब्दी में पश्चिमी मध्यप्रदेश जीता।
उत्तरी मध्य भारत में नागवंश की विभिन्न शाखाओं ने कांतिपुर, पद्मावती और विदिशा में अपने राज्य
स्थापित किए।
नागवंश नौ शताब्दियों तक विदिशा में शासन करता रहा।
शकों से संघर्ष हो जोने क
े बाद वे विंध्य प्रदेेश चले गये वहां उन्होंने किलकिला राज्य की स्थापना कर नागावध
को अपनी राजधानी बनाया।
त्रिपुरी और आसपास क
े क्षेत्रों में बोधों वंश ने अपना राज्य स्थापित किया।
आटविक राजाओं ने बैतूल में, व्याघ्रराज ने बस्तर में तथा महेन्द्र ने भी बस्तर में अपने राज्य स्थापित किए।
चौथी शताब्दी में गुप्तों क
े उत्कर्ष क
े पूर्व विंध्य शक्ति क
े नेतृत्व में वाकाटकों ने मध्यप्रदेश क
े क
ु छ भागों पर
शासन किया।
राजा प्रवरसेन ने बुंदलेखण्ड से लेकर हैदराबाद तक अपना आधिपत्य जमाया।
छिंदवाड़ा, बैतूल, बालाघाट आदि में वाकाटकों क
े कई ताम्र पत्र मिले हैं।
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5.मध्यकाल
मध्यकालीन इतिहास क
े प्रारंभ में मध्य प्रदेश में अनेक छोटे बड़े राज्य थे जिनमे से अधिकांस पर राजपूतो का
शासन था
मध्य प्रदेश क
े मालवा में परमारों का , विंध्य प्रदेश में चंदेलो व महाकौशल में कलचुरियों का शाशन था
मध्य प्रदेश क
े मध्यकालीन इतिहास में राजा भोज का महत्वपूर्ण स्थान है इन्होने भोपाल नगर की स्थापना की
थी
11 वी शताब्दी में मध्य प्रदेश क
े इतिहास में एक नए युग का प्रारंभ हुआ सन 1019 में महमूद गजनी ने
ग्वालिअर पर आक्रमण किया व वहां क
े राजा को पराजित कर दिया
इसक
े बाद सन 1197 में मुहम्मद गौरी ने भी ग्वालिअर पर आक्रमण किया व इसे दिल्ली संतनत में सामिल
कर दिया
1526 क
े पानीपत क
े प्रथम युद्ध क
े बाद बाबर ने भी मध्य प्रदेश क
े ग्वालिअर, चंदेरी, व रायसेन पर अधिकार
कर लिया
मध्य प्रदेश क
े इतिहास में सत्रहवी शताब्दी में मराठो का उदय हुआ पेशवा बाजीराव ने मध्य प्रदेश क
े कई
हिस्सों को अपने अधिकार में ले लिया
6.मुगल काल
मराठों क
े उत्कर्ष और ईस्ट इंडिया क
ं पनी क
े आगमन क
े साथ मध्यप्रदेश में इतिहास का नया युग प्रारंभ हुआ।
पेशवा बाजीराव ने उत्तर भारत की विजय योजना का प्रारंभ किया।
विंध्यप्रदेश में चंपत राय ने औरंगजेब की प्रतिक्रियावादी नीतियों क
े खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया था।
चंपतराय क
े पुत्र छत्रसाल ने इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने विंध्यप्रदेश तथा उत्तरी मध्यभारत क
े कई क्षेत्र व
महाकौशल क
े सागर आदि जीत लिए थे।
मुगल सूबेदार बंगश से टक्कर होने पर उन्होंने पेशवा बाजीराव को सहायतार्थ बुलाया व फिर दोनों ने मिलकर
बंगश को पराजित किया। इस युद्ध में बंगश को स्त्री का वेष धारण कर भागना पड़ा था।
इसक
े बाद छत्रसाल ने पेशवा बाजीराव को अपना तृतीय पुत्र मानकर सागर, दमोह, जबलपुर, धामोनी,
शाहगढ़, खिमलासा और गुना, ग्वालियर क
े क्षेत्र प्रदान किए।
पेशवा ने सागर, दमोह में गोविंद खेर को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया। उसने बालाजी गोविंद का अपना
कार्यकारी बनाया।
जबलपुर में बीसा जी गोविंद की नियुक्ति की गई।
गढ़ा मंडला में गोंड राजा नरहरि शाह का राज्य था। मरोठों क
े साथ संघर्ष में आबा साहब मोरो व बापूजी
नारायण ने उसे हराया।
कालांतर में पेशवा ने रघुजी भोसले को इधर का क्षेत्र दे दिया। भोसले का पास पहले से नागपुर का क्षेत्र था। यह
व्यवस्था अधिक समय तक नहीं टिक सकी। अं
ग्रेज सारे देश में अपना प्रभाव बढ़ाने में लगे हुए थें। मराठों क
े आंतरिक कलह से उन्हें हस्तक्षेप का अवसर
मिला।
सन्1818 में पेशवा को हराकर उनहोंने जबलपुर-सागर क्षेत्र रघुजी भोसले से छीन लिया।
सन्1817 में लार्ड हेस्टिंग्स ने नागपुर क
े उत्तराधिकार क
े मामले में हस्तक्षेप किया और अप्पा साहब को
हराकर नागपुर एवं नर्मदा क
े उत्तर का सारा क्षेत्र मराठों से छीन लिया। उनक
े द्वारा इसमें निजाम का बरार क्षेत्र
भी शामिल किया गया।
सहायक संधि क
े बहाने बरार को वे पहले ही हथिया चुक
े थे। इस प्रकार अंग्रेजों ने मध्यप्रांत व बरार को
मिला-जुला प्रांत बनाया।
महाराज छत्रसाल की मृत्यु क
े बाद विंध्यप्रदेश, पन्ना, रीवा, बिजावर, जयगढ़, नागौद आदि छोटी-छोटी
रियासतों में बंट गया।
अंग्रेजों ने उन्हें कमजोर करने क
े लिए आपस में लड़ाया और संधियाँ की। अलग-अलग संधियों क
े माध्यम से
इन रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य क
े संरक्षण में ले लिया गया।
सन्1722-23 में पेशवा बाजीराव ने मालवा पर हमला कर लूटा था। राजा गिरधर बहादुर नागर उस समय
मालवा का सूबेदार था। उसने मराठों क
े आक्रमण का सामना किया जयपुर नरेश सवाई जयसिंह मराठों क
े पक्ष
में था।
पेशवा क
े भाई चिमनाजी अप्पा ने गिरधर बहादुर और उसक
े भाई दयाबहादुर क
े विरूद्ध मालवा में कई
अभियान किए। सारंगपुर क
े युद्ध में मराठों ने गिरधर बहादुर को हराया।
मालवा का क्षेत्र उदासी पवार और मल्हारराव होलकर क
े बीच बंट गया। बुरहानपुर से लेकर ग्वालियर तक का
भाग पेशवा ने सरदार सिंधिया को प्रदान किया।
इसक
े साथ ही सिंधिंया ने उज्जैन, मंदसौर तक का क्षेत्र अपने अधीन किया।
सन्1731 में अंतिम रूप से मालवा मराठों क
े तीन प्रमुख सरदारों पवार (धार एवं देवास) होल्कर (पश्चिम
निमाड़ से रामपुर-भानपुरा तक ) और सिंधिया (बुहरानपुर, खंडवा, टिमरनी, हरदा, उज्जैन, मंदसौर व
ग्वालियर)ʔ क
े अधीन हो गया।
भोपाल पर भी मराठों की नजर थी। हैदराबाद क
े निजाम ने मराठों को रोकने की योजना बनाई, लेकिन पेशवा
बाजीराव ने शीघ्रता की और भोपाल जा पहुंचा तथा सीहोर, होशंगाबाद का क्षेत्र उसने अधीन कर लिया।
सन्1737 में भोपाल क
े युद्ध में उसने निजाम को हराया।
युद्ध क
े उपरांत दोनों की संधि हुई। निजाम ने नर्मदा-चंबल क्षेत्र क
े बीच क
े सारे क्षेत्र पर मराठों का आधिपत्य
मान लिया।
रायसेन में मराठों ने एक मजबूत किले का निर्माण किया।
मराठों क
े प्रभाव क
े बाद एक अफगान सरदार दोस्त मोहम्मद खाँ ने भोपाल में स्वतंत्र नवाबी की स्थापना की।
बाद में बेगमों का शासन आने पर उन्होंनें अंग्रेजों से संधि की और भोपाल अंग्रेजों क
े संरक्षण में चला गया।
अंग्रजों ने मराठों क
े साथ पहले, दूसरे, तीसरे, और चौथे युद्ध में क्रमश: पेशवा, होल्कर, सिंधिया और भोसले
को परास्त किया।
पेशवा बाजीराव द्वितीय क
े काल में मराठा संघ में फ
ू ट पड़ी और अंग्रेजों ने उसका लाभ उठाया।
7.आधुनिक काल (स्वंत्रता संग्राम)
भारत क
े स्वंत्रता आन्दोलन में भी मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका रही है 1857 क
े प्रथम स्वंत्रता संग्राम में
राज्य में भी अंग्रेजो क
े खिलाप अनेक विद्रोह हुए जिनमे से नागपुर का विद्रोह प्रमुख है
इस समय नागपुर क
े शासक अप्पाजी भोंसले थे जिनसे अंग्रेजो ने इनक
े राज्य क
े कई क्षेत्र हासिल करने की
कोशिश की जिसक
े बाद अप्पाजी ने अरबी सैनिको की सहायता से मुलताई (बैतूल) क
े समीप अंग्रेजो से युद्ध
किया जिसमें अप्पाजी को पराजित होकर भागना पड़ा
मध्य प्रदेश क
े दुर्गा शंकर मेहता ने गांधी चौक पर नमक बनाकर नमक सत्याग्रह में योगदान दिया
जबलपुर में सेठ गोविन्ददास एवं पं. द्वारिका प्रशाद मिश्र की अगवाई में नमक सत्याग्रह का आरम्भ किया
गया
1930 में राज्य में हुये जंगल सत्याग्रह आन्दोलन में सेठ गोविन्ददास , पं. माखनलाल चतुर्वेदी , पं. रविशंकर
शुक्ल, पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र तथा विष्णु दयाल भार्गव को गिरफ्तार कर लिया गया व उनपर राजद्रोह का
मुक़दमा चलाया गया
सन 1931 में स्त्री सेवादल की स्थापना की गयी
1935 में प्रजा परिषद की स्थापना की गयी जिसने किशानो व मजदूरों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका
निभायी
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और मध्य भारत की सभी रियासतों को मिलकर मध्य भारत राज्य
का गठन किया गया।वर्तमान मध्य प्रदेश की स्थापना 1 नवम्बर 1956 को हुई1
नवम्बर 2000 को इसका विभाजन कर छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया
और पढ़ने क
े लिए क्लिक करें
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  • 1. Samanygyan m.p SEARCH Home Contact Us About Us Privacy policy Disclaimer मध्य प्रदेश का इतिहास August 20, 2022 मध्य प्रदेश का इतिहास | Madhya Pradesh History Madhya Pradesh History – ऐतिहासिक दृष्टि से मध्य प्रदेश बहुत महत्वपूर्ण राज्य है। मध्यप्रदेश क े इतिहास को निम्नानुसार बांटा जा सकता है: ▪️प्रागैतिहासिक मध्यप्रदेश ▪️पाषाण एवं ताम्रकाल ▪️प्राचीन काल ▪️शुंग और क ु षाण ▪️मध्यकाल ▪️मुगल काल ▪️आधुनिक काल (स्वंत्रता संग्राम) 1.प्रागैतिहासिक मध्यप्रदेश मध्य प्रदेश क े विभिन्न भागों में किए गए उत्खनन और खोजों में प्रागैतिहासिक सभ्यता क े चिन्ह मिले हैं। आदिम प्रजातियां नदियों क े काठे और गिरी-क ं दराओं में रहती थी। जंगली पशुओं में सिंह, भैंसे, हाथी और सरी-सृप आदि प्रमुख थे। क ु छ स्थानों पर “हिप्पोपोटेमस” क े अवशेष मिले हैं। शिकार क े लिए ये नुकीले पत्थरों औरहड्डियों क े हथियारों का प्रयोग करते थे। मध्यप्रदेश क े भोपाल, रायसेन, छनेरा, नेमावर, मोजावाड़ी, महेश्वर, देहगांव, बरखेड़ा, हंडिया, कबरा, सिघनपुर, आदमगढ़, पंचमढ़ी, होशंगाबाद, मंदसौर तथा सागर क े अनेक स्थानों पर इनक े रहने क े प्रमाण मिले हैं। इस काल क े मानव ने अपनी कलात्मक अभिरूचियों की भी अभिव्यक्ति की हैं। होशंगाबाद क े निकट की गुलओं, भोपाल क े निकट भीमबैठका की क ं दराओं तथा सागर क े निकट पहाड़ियों से प्राप्त शैलचित्र इसक े प्रमाण हैं। ये शैलचित्र मंदसौर की शिवनी नदी क े किनारे की पहाड़ियों, नरसिंहगढ़, रायसेन, आदमगढ़, पन्ना रीवा, रायगढ़ और अंबिकापुर की क ं दराओं में भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।
  • 2. क ु छ यूरोपीय विद्वानों ने इस राज्य का पूर्व, मध्य एवं सूक्ष्माश्मीय काल ईसा से 4000 वर्ष पूर्व का माना है। दूसरी ओर डॉ. सांकलिया इस सभ्यता को ईसा से 1,50,000 वर्ष पूर्व की मानते हैं। 2.पाषाण एवं ताम्रकाल मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी में आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व मोहनजोदड़ो व हड़प्पा की समकालीन सभ्यता का विकास हुआ जिसक े मुख्य क ें द्र महेश्वर, नागदा, कामका, वरखेडा, एरण आदि माने जाते है | इन स्थानों से खुदाई करक े धातु क े बर्तन, औजार, म्रदुभांड आदि मिले है बालाघाट एवं जबलपुर जिलों क े क ु छ भागों में ताम्रकालीन औजार मिले हैं। 3.प्राचीन काल प्राचीन भारत क े 16 महाजनपदो में से अवन्ती महाजनपद मध्य प्रदेश में स्थित था जिसकी राजधानी महिष्मति व उज्जैनी थी मध्य प्रदेश क े जबलपुर जिले क े सीरोहा तहसील क े रूपनाथ गाँव की एक चट्टान पर अशोक का शिलालेख अंकित है मध्य प्रदेश क े उज्जैनी , निमाड़ , साँची (रायसेन) और भरहुत (सतना) में अशोक ने स्तूपों का निर्माण करवाया सम्राट अशोक ने रूपनाथ (जबलपुर) , पवाया, बेसनगर, एरण आदि स्थानों पर स्तम्भ स्थापित कराये भारत में 320 से 510 ई. तक गुप्त वंश का शासन रहा इस वंश क े सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने उज्जैनी को अपनी राजधानी बनाया जो वर्तमान मध्य प्रदेश में स्थित है गुप्त वंश क े अंत क े बाद मध्य प्रदेश पर अनेक छोटी बड़ी शक्तियों ने शासन किया 4.शुंग और क ु षाण मौर्यों क े पतन क े बाद शुंग मगध क े शासन हुए। सम्राट पुष्यमित्र शुंग विदिशा में थे। इनक े पूर्वजों को अशोक पाटलिपुत्र ले गए थे। उन्होंने विदिशा को अपनी राजधानी बनाया। अग्निमित्र महाकौशल, मालवा, अनूप (विंध्य से लेकर विदर्भ) का राज्यापाल था सातवाहनों ने भी त्रिपुरी, विदिशा, अनूप आदि अपने अधीन किए। गौतमी पुत्र सातकर्णी की मुद्राएं होशंगाबाद, जबलपुर, रायगढ़ आदि में मिली हैं। सातवाहनों ने ईसा पूर्व की दूसरी सदी से 100 ईसवी तक शासन किया था। क ु षाण काल की क ु छ प्रतिमाएं जबलपुर से प्राप्त हुई हैं। शक क्षत्रप रूद्रदमन प्रथम ने सातवाहनों को हराकर दूसरी शताब्दी में पश्चिमी मध्यप्रदेश जीता।
  • 3. उत्तरी मध्य भारत में नागवंश की विभिन्न शाखाओं ने कांतिपुर, पद्मावती और विदिशा में अपने राज्य स्थापित किए। नागवंश नौ शताब्दियों तक विदिशा में शासन करता रहा। शकों से संघर्ष हो जोने क े बाद वे विंध्य प्रदेेश चले गये वहां उन्होंने किलकिला राज्य की स्थापना कर नागावध को अपनी राजधानी बनाया। त्रिपुरी और आसपास क े क्षेत्रों में बोधों वंश ने अपना राज्य स्थापित किया। आटविक राजाओं ने बैतूल में, व्याघ्रराज ने बस्तर में तथा महेन्द्र ने भी बस्तर में अपने राज्य स्थापित किए। चौथी शताब्दी में गुप्तों क े उत्कर्ष क े पूर्व विंध्य शक्ति क े नेतृत्व में वाकाटकों ने मध्यप्रदेश क े क ु छ भागों पर शासन किया। राजा प्रवरसेन ने बुंदलेखण्ड से लेकर हैदराबाद तक अपना आधिपत्य जमाया। छिंदवाड़ा, बैतूल, बालाघाट आदि में वाकाटकों क े कई ताम्र पत्र मिले हैं। https://www.samanygyan.online/2022/08/blog-post_49.html?m=1#more 5.मध्यकाल मध्यकालीन इतिहास क े प्रारंभ में मध्य प्रदेश में अनेक छोटे बड़े राज्य थे जिनमे से अधिकांस पर राजपूतो का शासन था मध्य प्रदेश क े मालवा में परमारों का , विंध्य प्रदेश में चंदेलो व महाकौशल में कलचुरियों का शाशन था मध्य प्रदेश क े मध्यकालीन इतिहास में राजा भोज का महत्वपूर्ण स्थान है इन्होने भोपाल नगर की स्थापना की थी 11 वी शताब्दी में मध्य प्रदेश क े इतिहास में एक नए युग का प्रारंभ हुआ सन 1019 में महमूद गजनी ने ग्वालिअर पर आक्रमण किया व वहां क े राजा को पराजित कर दिया इसक े बाद सन 1197 में मुहम्मद गौरी ने भी ग्वालिअर पर आक्रमण किया व इसे दिल्ली संतनत में सामिल कर दिया 1526 क े पानीपत क े प्रथम युद्ध क े बाद बाबर ने भी मध्य प्रदेश क े ग्वालिअर, चंदेरी, व रायसेन पर अधिकार कर लिया मध्य प्रदेश क े इतिहास में सत्रहवी शताब्दी में मराठो का उदय हुआ पेशवा बाजीराव ने मध्य प्रदेश क े कई हिस्सों को अपने अधिकार में ले लिया 6.मुगल काल मराठों क े उत्कर्ष और ईस्ट इंडिया क ं पनी क े आगमन क े साथ मध्यप्रदेश में इतिहास का नया युग प्रारंभ हुआ। पेशवा बाजीराव ने उत्तर भारत की विजय योजना का प्रारंभ किया।
  • 4. विंध्यप्रदेश में चंपत राय ने औरंगजेब की प्रतिक्रियावादी नीतियों क े खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया था। चंपतराय क े पुत्र छत्रसाल ने इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने विंध्यप्रदेश तथा उत्तरी मध्यभारत क े कई क्षेत्र व महाकौशल क े सागर आदि जीत लिए थे। मुगल सूबेदार बंगश से टक्कर होने पर उन्होंने पेशवा बाजीराव को सहायतार्थ बुलाया व फिर दोनों ने मिलकर बंगश को पराजित किया। इस युद्ध में बंगश को स्त्री का वेष धारण कर भागना पड़ा था। इसक े बाद छत्रसाल ने पेशवा बाजीराव को अपना तृतीय पुत्र मानकर सागर, दमोह, जबलपुर, धामोनी, शाहगढ़, खिमलासा और गुना, ग्वालियर क े क्षेत्र प्रदान किए। पेशवा ने सागर, दमोह में गोविंद खेर को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया। उसने बालाजी गोविंद का अपना कार्यकारी बनाया। जबलपुर में बीसा जी गोविंद की नियुक्ति की गई। गढ़ा मंडला में गोंड राजा नरहरि शाह का राज्य था। मरोठों क े साथ संघर्ष में आबा साहब मोरो व बापूजी नारायण ने उसे हराया। कालांतर में पेशवा ने रघुजी भोसले को इधर का क्षेत्र दे दिया। भोसले का पास पहले से नागपुर का क्षेत्र था। यह व्यवस्था अधिक समय तक नहीं टिक सकी। अं ग्रेज सारे देश में अपना प्रभाव बढ़ाने में लगे हुए थें। मराठों क े आंतरिक कलह से उन्हें हस्तक्षेप का अवसर मिला। सन्1818 में पेशवा को हराकर उनहोंने जबलपुर-सागर क्षेत्र रघुजी भोसले से छीन लिया। सन्1817 में लार्ड हेस्टिंग्स ने नागपुर क े उत्तराधिकार क े मामले में हस्तक्षेप किया और अप्पा साहब को हराकर नागपुर एवं नर्मदा क े उत्तर का सारा क्षेत्र मराठों से छीन लिया। उनक े द्वारा इसमें निजाम का बरार क्षेत्र भी शामिल किया गया। सहायक संधि क े बहाने बरार को वे पहले ही हथिया चुक े थे। इस प्रकार अंग्रेजों ने मध्यप्रांत व बरार को मिला-जुला प्रांत बनाया। महाराज छत्रसाल की मृत्यु क े बाद विंध्यप्रदेश, पन्ना, रीवा, बिजावर, जयगढ़, नागौद आदि छोटी-छोटी रियासतों में बंट गया। अंग्रेजों ने उन्हें कमजोर करने क े लिए आपस में लड़ाया और संधियाँ की। अलग-अलग संधियों क े माध्यम से इन रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य क े संरक्षण में ले लिया गया। सन्1722-23 में पेशवा बाजीराव ने मालवा पर हमला कर लूटा था। राजा गिरधर बहादुर नागर उस समय मालवा का सूबेदार था। उसने मराठों क े आक्रमण का सामना किया जयपुर नरेश सवाई जयसिंह मराठों क े पक्ष में था। पेशवा क े भाई चिमनाजी अप्पा ने गिरधर बहादुर और उसक े भाई दयाबहादुर क े विरूद्ध मालवा में कई अभियान किए। सारंगपुर क े युद्ध में मराठों ने गिरधर बहादुर को हराया।
  • 5. मालवा का क्षेत्र उदासी पवार और मल्हारराव होलकर क े बीच बंट गया। बुरहानपुर से लेकर ग्वालियर तक का भाग पेशवा ने सरदार सिंधिया को प्रदान किया। इसक े साथ ही सिंधिंया ने उज्जैन, मंदसौर तक का क्षेत्र अपने अधीन किया। सन्1731 में अंतिम रूप से मालवा मराठों क े तीन प्रमुख सरदारों पवार (धार एवं देवास) होल्कर (पश्चिम निमाड़ से रामपुर-भानपुरा तक ) और सिंधिया (बुहरानपुर, खंडवा, टिमरनी, हरदा, उज्जैन, मंदसौर व ग्वालियर)ʔ क े अधीन हो गया। भोपाल पर भी मराठों की नजर थी। हैदराबाद क े निजाम ने मराठों को रोकने की योजना बनाई, लेकिन पेशवा बाजीराव ने शीघ्रता की और भोपाल जा पहुंचा तथा सीहोर, होशंगाबाद का क्षेत्र उसने अधीन कर लिया। सन्1737 में भोपाल क े युद्ध में उसने निजाम को हराया। युद्ध क े उपरांत दोनों की संधि हुई। निजाम ने नर्मदा-चंबल क्षेत्र क े बीच क े सारे क्षेत्र पर मराठों का आधिपत्य मान लिया। रायसेन में मराठों ने एक मजबूत किले का निर्माण किया। मराठों क े प्रभाव क े बाद एक अफगान सरदार दोस्त मोहम्मद खाँ ने भोपाल में स्वतंत्र नवाबी की स्थापना की। बाद में बेगमों का शासन आने पर उन्होंनें अंग्रेजों से संधि की और भोपाल अंग्रेजों क े संरक्षण में चला गया। अंग्रजों ने मराठों क े साथ पहले, दूसरे, तीसरे, और चौथे युद्ध में क्रमश: पेशवा, होल्कर, सिंधिया और भोसले को परास्त किया। पेशवा बाजीराव द्वितीय क े काल में मराठा संघ में फ ू ट पड़ी और अंग्रेजों ने उसका लाभ उठाया। 7.आधुनिक काल (स्वंत्रता संग्राम) भारत क े स्वंत्रता आन्दोलन में भी मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका रही है 1857 क े प्रथम स्वंत्रता संग्राम में राज्य में भी अंग्रेजो क े खिलाप अनेक विद्रोह हुए जिनमे से नागपुर का विद्रोह प्रमुख है इस समय नागपुर क े शासक अप्पाजी भोंसले थे जिनसे अंग्रेजो ने इनक े राज्य क े कई क्षेत्र हासिल करने की कोशिश की जिसक े बाद अप्पाजी ने अरबी सैनिको की सहायता से मुलताई (बैतूल) क े समीप अंग्रेजो से युद्ध किया जिसमें अप्पाजी को पराजित होकर भागना पड़ा मध्य प्रदेश क े दुर्गा शंकर मेहता ने गांधी चौक पर नमक बनाकर नमक सत्याग्रह में योगदान दिया जबलपुर में सेठ गोविन्ददास एवं पं. द्वारिका प्रशाद मिश्र की अगवाई में नमक सत्याग्रह का आरम्भ किया गया 1930 में राज्य में हुये जंगल सत्याग्रह आन्दोलन में सेठ गोविन्ददास , पं. माखनलाल चतुर्वेदी , पं. रविशंकर शुक्ल, पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र तथा विष्णु दयाल भार्गव को गिरफ्तार कर लिया गया व उनपर राजद्रोह का मुक़दमा चलाया गया सन 1931 में स्त्री सेवादल की स्थापना की गयी
  • 6. 1935 में प्रजा परिषद की स्थापना की गयी जिसने किशानो व मजदूरों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और मध्य भारत की सभी रियासतों को मिलकर मध्य भारत राज्य का गठन किया गया।वर्तमान मध्य प्रदेश की स्थापना 1 नवम्बर 1956 को हुई1 नवम्बर 2000 को इसका विभाजन कर छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया और पढ़ने क े लिए क्लिक करें https://www.samanygyan.online/2022/08/blog-post_49.html?m=1#more