2. पर्यावरण (E.VS.)
पर्यावरण अध्र्र्न कय पररचर् -
Introduction of Environment | Environmental study -
Environner – फ्र
ें च भयषय कय शब्द है, इस शब्द से बनय है
Environment, जिसकय अर्ा होतय है घिरय हुआ र्य िेरनय |
परर + आवरण : िो आवरण हमें चयरों तरफ से िेरे हुए है, पर्यावरण कहलयतय
है, हम सब पर्यावरण से घिरे हुए है
पृथ्वी पर पयए ियने वयले पेड़-पौधे, िीव-िंतु, वनस्पघत, नदी ,पहयड़ ,सड़क
ें
,भवन
इत्र्यदद िो हमें चयरों तरफ से िेरे हुए हैं इनक
े सयमूदहक स्वरूप को पर्यावरण
कहय ियतय है |
3. •Definition ,(पररभयषय)
•Nature, (प्रकृ घत)
•scope (कयर्ा क्षेत्र) and (और) Importance
(महत्व)
इस अध्र्र्न का मुख्र् उद्देश्र् पर्ायिरण और
पर्ायिरण भशक्षा इसक
े प्रकार दार्रे और
महत्िपूणय क
े बारे में मौभलक ज्ञान प्रदान करना
है|
4. पर्यावरण कय अर्य एिं पररिाषा
पर्यावरण शब्द को एक फ्र
ें च शब्द "एघनटेशशर्य" से शलर्य गर्य है। जिसकय अर्ा है िेरनय ।
आसपयस जिसमें िीव रहते हैं।
पर्ायिरण शब्द परर + आिरण से भमलकर बना है, परर का अर्य है चारो ओर, और आिरण का अर्य
है घिरा हुआ।
पर्ायिरण का शब्ब्दक अर्य है चारो ओर से घिरा हुआ, इस प्रकार अपने आपको जो क
ु छ िी हदखतय
हे िही हमारा पर्ायिरण है|
इस पृथ्वी क
े प्रत्र्ेक िीव कय अपनय ववशशष्ट भयग होतय है, जिसक
े आसपयस वह
घनरंतर संपक
ा करतय है। र्े पररवेश प्रकृ घत में ,िैववक और गैर -िैववक है, िो लोगों
ियनवरों और पौधों की वृद्धध और ववकयस को प्रभयववत करते हैं। इन िीवो क
े आसपयस क
े
वयतयवरण को पर्यावरण कहय ियतय है।
5. जैसे:-
नदी ,पहाड, तालाब, मैदान, पेड-पौधे, जीि-जंतु ,िार्ु, िन, भमट्टी
आहद सिी हमारे पर्ायिरण क
े िटक है।
मानि क
े चारों ओर फ
ै ले हुए िातािरण को पर्ायिरण की पररधध में माना है। मानि जन्म से
मृत्र्ु पर्यन्त पर्ायिरण में ही रहता है । पर्ायिरण द्िारा हदर्ा जार्े तो, िह आदशय मानि क
े
रुप में स्िस्र् नागररक नहीं बन सकता। व्र्ब्तत को चारों ओर से ढ़ॅकने िाला आिरण ही
पर्ायिरण कहलाता है।
इसक
े अिाि में सुखद जीिन ही असम्िि है। हम सिी इन िटको का दैघनक जीिन मे
िरपूर उपर्ोग करते है| हम इन िटको पर ही घनियर रहते है |
|पर्यावरण एक ऐसी जस्र्घत कय र्ोग है इसमें घनिीव और िीववत पर्यावरण दोनों शयशमल है।
र्ह मयनव सदहत िीवो क
े िीवन को घनर्ंत्रत्रत करतय है। पर्यावरण उन सयमधिर्ो , िो हमें
ककसी घनजचचत समर् और स्र्यन पर िेर लेती है। हम कह सकते हैं कक र्ह क
ु ल जस्र्घतर्ों
कय र्ोग है जिसमें ककसी िीव को अपनी िीवन प्रकिर्य को िीववत रखनय र्य बनयए रखनय
पड़तय है। र्ह िीववत रूपों की वृद्धध और ववकयस को प्रभयववत करतय है।
6. पर्यावरण की पररभयषय
1.िे.एस. रॉस क
े अनुसयर- “ पर्ायिरण र्ा िातािरण िह बाह्र् शब्तत
है जो हमें प्रिावित करती हैं।”
2.डगलस एंव हयलैण्ड क
े अनुसयर- “ पर्ायिरण िह शब्द है, जो समस्त
बाह्र् शब्ततर्ों ,प्रिािों और पररर्घतर्ों का सामूहहक रूप से िणयन
करता है| जो जीिधारी क
े जीिन ,स्ििाि ,व्र्िहार तर्ा अभििृद्धध ,
विकास तर्ा प्रौढता पर प्रिाि डालता है ।”
3.हसा ,कोकवट्स क
े अनुसयर- “ पर्ायिरण इन सिी बाहरी दशाओं और
प्रिािों का र्ोग है तो प्राणी क
े जीिन तर्ा विकास पर प्रिाि डालता
है।”
4.डॉ डेववि क
े अनुसयर- “ मनुष्र् क
े सम्बन्ध में पर्ायिरण से अभिप्रार्
िू तल पर मानि क
े चारों ओर फ
ै ले उन सिी िौघतक स्िरूपो से है।
ब्जसक
े िह घनरन्तर प्रिावित होते रहते हैं।”
1.डडले स्टेम्प क
े अनुसयर- “ पर्ायिरण प्रिािों का ऐसा र्ोग है जो
ककसी जीि क
े विकास एंि प्रकृ घत को पररब्स्र्घतर्ों क
े सम्पूणय तथ्र्
आपसी सांमजस्र् से िातािरण बनाते हैं।”
7. 6- पी. धगस्बटा क
े अनुसयर :-
वयतयवरण ककसी वस्तु क
े तुरंत आसपयस होतय है और उस पर प्रत्र्क्ष
प्रभयव पड़तय है पर्यावरण एक बयहरी शजतत है िो हमें िो हमें प्रभयववत
करती है।
7- पर्यावरण कय तयत्पर्ा ककसी भी वस्तु से है, िो तुरंत ककसी वस्तु को
िेरे रहती है और उसी पर सीधय प्रभयव डयलती है
8. पर्यावरण क
े प्रकयर
पर्यावरण क
े दो प्रमुख वगीकरण है :-
• अिैववक
• िैववक
अिैववक पर्यावरण :- इसे भौघतक पर्यावरण भी कहय ियतय है और
इसमें वयर्ु ,िल और भूशम आदद िैसे कयरक शयशमल होते हैं।
िैववक पर्यावरण:- इसे िीववत पर्यावरण भी
कहय ियतय हैं, और इसमें हमयरे आसपयस क
े सभी िीववत िीव िैसे-
पौधे, ियनवर और सूक्ष्मिीव शयशमल होते हैं।
9. 1- पी. धगस्बटा क
े अनुसयर :-
वयतयवरण ककसी वस्तु क
े तुरंत आसपयस होतय है और उस पर
प्रत्र्क्ष प्रभयव पड़तय है।
2- E.J. ROss क
े अनुसयर :-
पर्यावरण एक बयहरी शजतत है िो हमें िो हमें प्रभयववत करती
है।
3- पर्यावरण कय तयत्पर्ा ककसी भी वस्तु से है, िो तुरंत ककसी
वस्तु को िेरे रहती है और उसी पर सीधय प्रभयव डयलती है