1. जो संसार को धारण ककए हुए है अर्ाात
जजसके द्वारा संसार सुचारु रूप से चलता
है है वह धर्ा है | (धारयजत इजत धर्ाः)
आधुजिक प्रयोगों के द्वारा जो उपयोगी
जसद्ध होता है वह जवज्ञाि है |
Presented by:
Dr. Piyush Pravinchandra Trivedi
Department of Scientific Spirituality
Dev Sanskriti University,
Haridwar-India
piyush.trivedi@dsvv.ac.in
+919258360939
2. सभी धर्मों के पुराने विचार,
रीति नीति, कर्ममकाांड आदि जो
आज के अनुरूप नहीां है उसका
चलन सर्माप्ि हो गया है|
3. आत्म च िंतन: सृष्टि की
उत्पष्त्ि के बारे र्में जान
कर र्मुझे क्या लाभ होगा ?
4. आत्म च िंतन: आध्याष्त्र्मक
र्मनोविज्ञान का र्मेरे जीिन
र्में क्या र्महत्ि है ?
5. आत्म च िंतन: क्या स्कू ली शिक्षा
से ही र्मेरा जीिन सुचारु रूप से
चल जाएगा ?
6. आत्मच िंतन: क्या परा-र्मनोविज्ञान
और धर्मम का सर्मष्विि अभ्यास
र्मेरे जीिन को बिल सकिा है ?
7. आत्मच िंतन: सर्माज को सच्चा
रास्िा दिखाने के शलए क्या र्में भी
धर्मम का सहारा ले कर सर्माज-
तनर्मामण र्में अपना योगिान िे
सकिा हूूँ ?/ िे सकिी हूूँ ?