5. समास-धर्ग्रह
समस्तपद क
े शब्ोों को पुनः अलग-अलग किने की प्रधिया समास-
धर्ग्रह कहलाती है।
• जैसे- िाजपुत्र – िाजा का पुत्र।
6. समास क
े भेद
समास क
े मुख्यतः छह भेद हैं-
अव्ययीभार् समास
तत्पुरूष समास
कमविािय समास
धजस समस्तपद का पूर्वपद अव्यय तथा प्रिान हो, र्ह
अव्ययीभार् समास कहलाता है।
धजस समस्तपद में उत्तिपद प्रिान हो तथा पूर्वपद गौण हो औि
समस्तपद में पिसवग लुप्त हो जाएँ , र्ह तत्पुरूष समास कहलाता
है।
धजस समस्तपद क
े दोनोों पदोों में धर्शेषण-धर्शेष्य या उपमेय-
उपमान का सोंबोंि हो, कमविािय समास कहलाता है।
7. समास क
े भेद
धद्वगु समास
द्वोंद्व समास
बहुव्रीधह समास
धजस समस्तपद का पूर्वपद सोंख्यार्ाची तथा समस्तपद समूह का
बोि किाए, र्ह धद्वगु समास कहलाता है।
धजस समस्तपद में दोनोों ही पद प्रघान होों औि धर्ग्रह किने पि
योजक शब्ोों का प्रयोग हो, र्ह द्वोंद्व समास कहलाता है।
धजस समस्तपद में कोई भी पद प्रघान नहीों होता, बल्कि दोनोों पद
धमलकि धकसी तीसिे अथव को प्रकट कितें हैं, र्ह बहुव्रीधह समास
कहलाता है।
8. अव्ययीभार् समास क
े उदाहिण
समस्तपद
आजीर्न
आमिण
आजन्म
प्रधतधदन
यथाल्कथथधत
घि-घि
समास-धर्ग्रह
जीर्न भि
मिने तक
जन्म भि
हि धदन
ल्कथथधत क
े अनुसाि
एक घि से दू सिे घि
9. तत्पुरूष समास क
े भेद
कमव तत्पुरूष
ग्रामगत
ग्राम को गत
किण
तत्पुरूष
मनचाहा
मन से चाहा
सोंप्रदान
तत्पुरूष
िसोईघि
िसोई क
े धलए
घि
अपादान
तत्पुरूष
गुणहीन
गुण से हीन
सोंबोंि तत्पुरूष
गोंगाजलॉ
गोंगा का जल
अधिकिण
समास
र्नर्ास
र्न में र्ास
10. कमविािय समास क
े उदाहिण
समस्तपद
महात्मा
महादेर्
लबोोंदि
घनश्याम
समास-धर्ग्रह
महान है जो आत्मा
महान है जो देर्
लोंबे उदिर्ाला
घन क
े समान श्याम
11. धद्वगु समास क
े उदाहिण
समस्तपद
चौिाहा
नर्ित्न
धत्रकोण
पोंजाब
धतिोंगा
समास-धर्ग्रह
चाि िाहोों का समूह
नौ ित्नोों का समूह
तीन कोणोों का समूह
पाँच नधदयोों का समूह
तीन िोंगो का समूह
13. बहुव्रीधह समास क
े उदाहिण
समस्तपद
एकदोंत
नीलक
ों ठ
दशानन
षडानन
गजानन
समास-धर्ग्रह
एक है दोंत धजसका अथावत गणेश
नीला है क
ों ठ धजसका अथावत धशर्
दस हैं आनन धजसक
े अथावत क
ृ ष्ण
छह है आनन धजसक
े अथावत काधतवक
े य
गज है आनन धजसक
े अथावत गणेश
14. कमविािय तथा बहुव्रीधह समास में अोंति
कमविािय समास क
े पदोों में धर्शेषण-धर्शेष्य या उपमेय-उपमान का सोंबोंि होता है जबधक बहुव्रीधह समास का
कोई भी पद प्रिान न होकि धकसी तीसिे धर्शेष अथव की अधभव्यल्कि होती हैः जैसेः
नीलक
ों ठ नीला है जो क
ों ठ (धर्शेषण-धर्शेषय) कमविािय
नीला क
ों ठ है धजसका अथावत धशर् बहुव्रीधह
लोंबोदि लोंबा है जो उदि (धर्शेषण-धर्शेषय) कमविािय
लोंबा उदि है धजसका अथावत गणेश बहुव्रीधह
15. धद्वगु तथा बहुव्रीधह समास में अोंति
धद्वगु तथा बहुव्रीधह का अोंति जानने क
े धलए इनक
े धर्ग्रह पि ध्यान देः
धत्रनेत्र तीन नेत्रोों का समूह धद्वगु
तीन नेत्र हैं धजसका अथावत धशर् बहुव्रीधह
दशानन दस आननोों का समूह धद्वगु
दस हैं आनन धजसक
े अथावत बहुव्रीधह