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उदय प्रकाश की लंबी कहानी ‘मोहनदास’ : दललत चेतना का दस्तावेे़
लेखक परिचय
उदय प्रकाश
जन्म -1952 , स्थान –मध्यप्रदेश
 वेे बहुमुखी प्रलतभा क
े िचनाकाि हैं |उदय प्रकाश लहंदी क
े चलचित औि बहुपलित कथाकािों में
से एक हैं |वेे कलवेताएँ भी बहुत सुन्दि ललखते हैं औि उनका नॉनलिक्शन भी उच्च कोलि का
होता है |
 'सुनो कािीगि ','अबूति-कबूति ','िात में हािमोलनयम' आलद उनक
े कलवेता संग्रह हैं |
 'दरियाई घोडा','लतरिछ','पाल गोमिा का स्क
ू िि','पीली छतिीवेाली लड़की' आलद उनक
े कहानी
संग्रह हैं लजनमें इन्ीं शीर्िकों की लम्बी कहालनयाँ भी शालमल हैं |
 वेे अनुवेाद क
े क्षेत्र में भी कायिित िहे |
 लिल्म लनमािण में भी उन्ोंने अपना हाथ सिलतापूवेिक आजमाया है |
मोहनदास
 मध्यप्रदेश क
े अनुपपुि लजले क
े सालकन पुिबनिा में िहनेवेाला था।
 एम.जी. शासकीय लडग्री कॉलेज से बी.ए. की पिीक्षा िर्स्ि लडलवे़न क
े साथ मेरिि में
लवेश्वलवेद्यालय क
े िोपसि में दू सिे नंबि पि हालसल लकया।
 जालत - कबीिपंथी।
 सूपा – चिाई – दिी - क
ं बल बुनने का काम ही उसकी लबिादिी क
े लोग किते हैं।
जालत - कबीिपंथी
 कबीिपंलथयों की क
ु लदेवेी मलइहा माई औि सतगुरु कबीिदास जी पि गहिी आस्था थी।
 कबीिपंथी बंसहि पललहा नीची जात क
े माने जाते थे।
 लेलकन सिकािी ग़ि क
े अनुसाि वेे ना अनुसूलचत जालत क
े हैं ना आलदवेास या आलदम जनजालत
पारिवेारिक स्स्थलत
 लपता काबादास लि.बी. से पीलड़त है।
 उसकी माँ पुतलीबाई अंधी है।
 बीवेी कस्तूिी बाई घि संभालती है,
दो बच्चे
 एक लड़का – देवेदास
 एक लड़की- शािदा
प्रमुख मुद्दे
बालश्रम
 आि साल का देवेदास मोहनदास का आत्मलनभिि बेिा है।पढ़ाई में सबसे ते़ होने पि भी स्क
ू ल
क
े बाद दुगाि ऑिो वेर्क्ि में गालड़यों में हवेा भिने, पंचि जोड़ने औि स्क
ू िि - मोिि साईलकलों क
े
रिपेयि में हेलपि का काम किक
े घि क
े खचि को हल्का किने की कोलशश किता है।
 बच्ची शािदा जो छह साल की है दू सिी कक्षा में पढ़ती है। लबलछया िोला में लबनसाथ क
े एक साल
क
े बेिे को सँभालती है, साथ साथ घिेलू काम – काज में हाथ बँिाती है। बदले में उसे िात का
खाना औि तीस रुपये महीना लमलता है। इस तिह बच्ची भी अत्मलनभिि बन चुकी। घि क
े खचि
को कम किने में वेह भी अपना लहस्सा देती है।
प्रक
ृ लत औि मानवे का संबंध
 मोहनदास क
े व्यस्ित्व पि प्रक
ृ लत का गहिा असि पड़ा है|जब-जब उसे उलझनें आती थीं वेह
कलिना नदी की िेत पि आसिा लेता था |इस प्रकाि प्रक
ृ लत की गोद में वेह अपने मन को हल्का
कि सकता था |
 गलमियों क
े लदन नदी की िेत में खीिा,ककड़ी,तिबूज,खिबूज आलद लगाते थे | परिवेाि क
े सभी
सदस्य लमलकि पललया बनाकि पानी सींचकि खेती किते थे |
 अनुक
ू ल वेातावेिण से उसे सुक
ू न लमलता था |
ईश्वि में आस्था
 कबीि पंलथयों की क
ु लदेवेी मलइहा माई औि सतगुरु कबीिदास जी पि उनकी
गहिी आस्था थी |जीवेन की हि मुस्िल कलड़यों में ईश्वि ने उनका साथ लदया |
यह सोच उनमें आत्मलवेश्वास की भावेना जगाने में सिल हुई |
दललतों का प्रशासलनक शोर्ण
 प्रशासलनक र्ड्यंत्रों क
े िलस्वरूप कोलमाइन्स की नौकिी हाथ से छ
ू ि गयी |इतना ही नहीं इस
तिह धोखा भी खाना पड़ा लक उसक
े स्थान पि लकसी औि को नौकिी पि लनयुि लकया गया |
 शोर्ण की तीव्रता इतनी हो गयी थी लक मोहनदास को अपना प्रमाण पत्र भी वेापस नहीं लमला
|भ्रष्टाचाि की लू में उसक
े भाग्य का ि
ू ल झुलस गया |लजंदगी में घोि लनिाशा ि
ै ल गयी |
क
ु िीि उद्योगों का प्रोत्साहन
 बांस औि छीदी की चिाई ,खोम्भिी एवें पकउथी बनानेवेाले क
ु ल का पेशा किने में भी
मोहनदास नहीं लहचकता था |सिकािी नौकिी की प्रतीक्षा व्यथि की प्रतीक्षा िही |लिि भी लजंदगी
की नयी ताकत उसने क
ु िीि उद्योग से प्राप्त लकया लजससे वेह आत्मलनभििता प्राप्त कि सका |
भ्रष्ट िाजनीलतक व्यवेस्था का संक
े त
 एि.आई .आि में लबसनाथ का असली नाम मोहनदास ललखा था |ऐसे में मोहनदास क
े नाम से
उसने बहुत से अत्याचाि लकए |
 न्यालयक दंडालधकािी का तबादला किवेाया गया |
 सिकाि द्वािा दललतों क
े उत्थान क
े ललए कई योजनाओं का आयोजन लकया गया है लकन्तु
लवेडंबना यह है लक इसक
े कायािन्वयन वे सिकाि क
े द्वािा इस लदशा में लकए गए अब तक क
े
सभी सकािात्मक प्रयासों क
े बावेजूद अनुसूलचत जालतयों एवें जनजालतयों क
े लोगों की स्स्थलत
सामालजक एवें आलथिक दृलष्ट से संतोर्जनक नहीं हो पाई है |
लशल्प की दृलष्ट से "मोहनदास "
 यह एक कािी लंबी कहानी है |इसे लघु उपन्यास भी कहा जा सकता है |
 यह कहानी हमािे समय औि समाज का आईना है |
 चलती कहानी क
े बीच में कहानीकाि स्वयं उपस्स्थत होकि कहते हैं लक वेे अपने समय औि
समाज की लजंदगी का ब्यौिा दे िहे हैं |पि वेे यथाथि को ज्ों- का- त्यों प्रस्तुत नहीं कि िहे हैं
|असल में ि
ं तासी औि यथाथि को लमलाकि अपनी कथा िच िहे हैं |
 नाम औि कई अन्य समानताओं क
े चलते कहानी पढ़ते हुए यह आभास बिाबि बना
िहता है लक कहीं यह महात्मा गांधी को नायक बनाकि िची गयी कहानी तो नहीं है|पिन्तु
कहानीकाि एक बाि स्पष्ट कि चुक
े हैं लक िाष्टर लपता क
े नाम औि उनसे संबंलधत बातें मात्र
संयोगवेश इसमें आयी हैं |वेिना इनका कहानी से कोई रिश्ता नहीं हैं |पािक लेखक की
इस बात पि लकतना भिोसा किे या किता है यह सोचने की बात है |
 कहानी में नािकीयता है |यह नािकीयता उदयप्रकाश की लवेशेर्ता है|
 उदय प्रकाश कहानी क
े अंत की ओि आते हुए पािक को कई सूत्र थमाते हैं |
 ये सूत्र सावेधान किते हैं लक यलद समय िहते हम न चेते तो समाज में भ्रष्टाचाि का
बोलबाला हो जाएगा |युवेक पलायन किने लगेंगे या लिि आतंकवेाद की िाह पि चल
पड़ेंगे |
लनष्कर्ि
 कहा जाता है लक सालहत्यकाि भलवेष्यवेिा होता है |
 यह कहानी कई साल पहले ललखी गयी थी ,आज हम यह सब होता हुआ सिे आम देख िहे हैं |
 उदय प्रकाश की कहालनयों का न क
े वेल लशल्प अनूिा है वेिन वेे बहुत बािीकी से अपने समय
औि समाज का लनिीक्षण भी किते चलते हैं |
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  • 1. उदय प्रकाश की लंबी कहानी ‘मोहनदास’ : दललत चेतना का दस्तावेे़
  • 3. उदय प्रकाश जन्म -1952 , स्थान –मध्यप्रदेश  वेे बहुमुखी प्रलतभा क े िचनाकाि हैं |उदय प्रकाश लहंदी क े चलचित औि बहुपलित कथाकािों में से एक हैं |वेे कलवेताएँ भी बहुत सुन्दि ललखते हैं औि उनका नॉनलिक्शन भी उच्च कोलि का होता है |  'सुनो कािीगि ','अबूति-कबूति ','िात में हािमोलनयम' आलद उनक े कलवेता संग्रह हैं |  'दरियाई घोडा','लतरिछ','पाल गोमिा का स्क ू िि','पीली छतिीवेाली लड़की' आलद उनक े कहानी संग्रह हैं लजनमें इन्ीं शीर्िकों की लम्बी कहालनयाँ भी शालमल हैं |  वेे अनुवेाद क े क्षेत्र में भी कायिित िहे |  लिल्म लनमािण में भी उन्ोंने अपना हाथ सिलतापूवेिक आजमाया है |
  • 4. मोहनदास  मध्यप्रदेश क े अनुपपुि लजले क े सालकन पुिबनिा में िहनेवेाला था।  एम.जी. शासकीय लडग्री कॉलेज से बी.ए. की पिीक्षा िर्स्ि लडलवे़न क े साथ मेरिि में लवेश्वलवेद्यालय क े िोपसि में दू सिे नंबि पि हालसल लकया।  जालत - कबीिपंथी।  सूपा – चिाई – दिी - क ं बल बुनने का काम ही उसकी लबिादिी क े लोग किते हैं।
  • 5. जालत - कबीिपंथी  कबीिपंलथयों की क ु लदेवेी मलइहा माई औि सतगुरु कबीिदास जी पि गहिी आस्था थी।  कबीिपंथी बंसहि पललहा नीची जात क े माने जाते थे।  लेलकन सिकािी ग़ि क े अनुसाि वेे ना अनुसूलचत जालत क े हैं ना आलदवेास या आलदम जनजालत
  • 6. पारिवेारिक स्स्थलत  लपता काबादास लि.बी. से पीलड़त है।  उसकी माँ पुतलीबाई अंधी है।  बीवेी कस्तूिी बाई घि संभालती है, दो बच्चे  एक लड़का – देवेदास  एक लड़की- शािदा
  • 8. बालश्रम  आि साल का देवेदास मोहनदास का आत्मलनभिि बेिा है।पढ़ाई में सबसे ते़ होने पि भी स्क ू ल क े बाद दुगाि ऑिो वेर्क्ि में गालड़यों में हवेा भिने, पंचि जोड़ने औि स्क ू िि - मोिि साईलकलों क े रिपेयि में हेलपि का काम किक े घि क े खचि को हल्का किने की कोलशश किता है।  बच्ची शािदा जो छह साल की है दू सिी कक्षा में पढ़ती है। लबलछया िोला में लबनसाथ क े एक साल क े बेिे को सँभालती है, साथ साथ घिेलू काम – काज में हाथ बँिाती है। बदले में उसे िात का खाना औि तीस रुपये महीना लमलता है। इस तिह बच्ची भी अत्मलनभिि बन चुकी। घि क े खचि को कम किने में वेह भी अपना लहस्सा देती है।
  • 9. प्रक ृ लत औि मानवे का संबंध  मोहनदास क े व्यस्ित्व पि प्रक ृ लत का गहिा असि पड़ा है|जब-जब उसे उलझनें आती थीं वेह कलिना नदी की िेत पि आसिा लेता था |इस प्रकाि प्रक ृ लत की गोद में वेह अपने मन को हल्का कि सकता था |  गलमियों क े लदन नदी की िेत में खीिा,ककड़ी,तिबूज,खिबूज आलद लगाते थे | परिवेाि क े सभी सदस्य लमलकि पललया बनाकि पानी सींचकि खेती किते थे |  अनुक ू ल वेातावेिण से उसे सुक ू न लमलता था |
  • 10. ईश्वि में आस्था  कबीि पंलथयों की क ु लदेवेी मलइहा माई औि सतगुरु कबीिदास जी पि उनकी गहिी आस्था थी |जीवेन की हि मुस्िल कलड़यों में ईश्वि ने उनका साथ लदया | यह सोच उनमें आत्मलवेश्वास की भावेना जगाने में सिल हुई |
  • 11. दललतों का प्रशासलनक शोर्ण  प्रशासलनक र्ड्यंत्रों क े िलस्वरूप कोलमाइन्स की नौकिी हाथ से छ ू ि गयी |इतना ही नहीं इस तिह धोखा भी खाना पड़ा लक उसक े स्थान पि लकसी औि को नौकिी पि लनयुि लकया गया |  शोर्ण की तीव्रता इतनी हो गयी थी लक मोहनदास को अपना प्रमाण पत्र भी वेापस नहीं लमला |भ्रष्टाचाि की लू में उसक े भाग्य का ि ू ल झुलस गया |लजंदगी में घोि लनिाशा ि ै ल गयी |
  • 12. क ु िीि उद्योगों का प्रोत्साहन  बांस औि छीदी की चिाई ,खोम्भिी एवें पकउथी बनानेवेाले क ु ल का पेशा किने में भी मोहनदास नहीं लहचकता था |सिकािी नौकिी की प्रतीक्षा व्यथि की प्रतीक्षा िही |लिि भी लजंदगी की नयी ताकत उसने क ु िीि उद्योग से प्राप्त लकया लजससे वेह आत्मलनभििता प्राप्त कि सका |
  • 13. भ्रष्ट िाजनीलतक व्यवेस्था का संक े त  एि.आई .आि में लबसनाथ का असली नाम मोहनदास ललखा था |ऐसे में मोहनदास क े नाम से उसने बहुत से अत्याचाि लकए |  न्यालयक दंडालधकािी का तबादला किवेाया गया |  सिकाि द्वािा दललतों क े उत्थान क े ललए कई योजनाओं का आयोजन लकया गया है लकन्तु लवेडंबना यह है लक इसक े कायािन्वयन वे सिकाि क े द्वािा इस लदशा में लकए गए अब तक क े सभी सकािात्मक प्रयासों क े बावेजूद अनुसूलचत जालतयों एवें जनजालतयों क े लोगों की स्स्थलत सामालजक एवें आलथिक दृलष्ट से संतोर्जनक नहीं हो पाई है |
  • 14. लशल्प की दृलष्ट से "मोहनदास "  यह एक कािी लंबी कहानी है |इसे लघु उपन्यास भी कहा जा सकता है |  यह कहानी हमािे समय औि समाज का आईना है |  चलती कहानी क े बीच में कहानीकाि स्वयं उपस्स्थत होकि कहते हैं लक वेे अपने समय औि समाज की लजंदगी का ब्यौिा दे िहे हैं |पि वेे यथाथि को ज्ों- का- त्यों प्रस्तुत नहीं कि िहे हैं |असल में ि ं तासी औि यथाथि को लमलाकि अपनी कथा िच िहे हैं |
  • 15.  नाम औि कई अन्य समानताओं क े चलते कहानी पढ़ते हुए यह आभास बिाबि बना िहता है लक कहीं यह महात्मा गांधी को नायक बनाकि िची गयी कहानी तो नहीं है|पिन्तु कहानीकाि एक बाि स्पष्ट कि चुक े हैं लक िाष्टर लपता क े नाम औि उनसे संबंलधत बातें मात्र संयोगवेश इसमें आयी हैं |वेिना इनका कहानी से कोई रिश्ता नहीं हैं |पािक लेखक की इस बात पि लकतना भिोसा किे या किता है यह सोचने की बात है |  कहानी में नािकीयता है |यह नािकीयता उदयप्रकाश की लवेशेर्ता है|
  • 16.  उदय प्रकाश कहानी क े अंत की ओि आते हुए पािक को कई सूत्र थमाते हैं |  ये सूत्र सावेधान किते हैं लक यलद समय िहते हम न चेते तो समाज में भ्रष्टाचाि का बोलबाला हो जाएगा |युवेक पलायन किने लगेंगे या लिि आतंकवेाद की िाह पि चल पड़ेंगे |
  • 17. लनष्कर्ि  कहा जाता है लक सालहत्यकाि भलवेष्यवेिा होता है |  यह कहानी कई साल पहले ललखी गयी थी ,आज हम यह सब होता हुआ सिे आम देख िहे हैं |  उदय प्रकाश की कहालनयों का न क े वेल लशल्प अनूिा है वेिन वेे बहुत बािीकी से अपने समय औि समाज का लनिीक्षण भी किते चलते हैं | -----------------------------------------------------