1. "क्या यही इंसानियत है"
हााँ हमिे पढ़ा है !! हााँ हमिे सुिा है !! नि निसी युग में इस धरा पर महाभारत
हुआ था !! पर क्या आज भी उसिा अंत हो गया है !! निसी भी रूप में िहीं
लगता है !! आज भी द्रौपदी हमारे सामिे भरी सभा में अपिे आबरू नि रक्षा में
असमथथ होिर हमसे रक्षा नि गुहार िर रही है !! और हम एि अपंग िे समाि
िु छ ि िर पािे नि असमथथता नदखा वहां से आगे बढे चले जा रहे है !! क्या यह
हमारे और आपिे इंसानियत पर एि प्रश्ननचन्ह िहीं है ???
हम खुद िो इंसाि िहते है, “गवथ से िहते है नि हम इंसाि है” !! परन्तु आज जो
िु छ भी हमारे आस-पास हो रहा है, और वह भी हम इंसािों िे द्वारा, उसे देख
और सुििर यिीं िहीं होता नि इंसाि खुद अपिे हाथों से इस तरह इंसानियत
िा गला घोंट सिता है !! अगर माली ही बागों िे बहारों िो लुटिे लगे, रक्षि
ही भक्षि बििे लगे, और खुद इंसाि ही अपिे हाथो से इंसानियत िा महल
ध्वस्त िरिे लगे तो क्या हमें यह िहीं सोचिा होगा, नि मिुष्यरूपी शरीर धारण
िर लेिे मात्र से ही क्या हम इंसाि बि जाते है ?? नबिा इंसानियत, मािवीय
गुणों और संस्िारों िे हम खली पड़े उस घड़े िे सामाि है !! “जो निसी भी
प्यासे नि प्यास िहीं बुझा सिता है” !!
हम दुनिया बदल देिे नि बातें िरते है !! हम यह भी िर देंगे !! हम वह भी सही
िर देंगे !!, पर क्या िभी पल भर िे नलए भी हमिे यह सोचा है नि सबिु छ
बदलिे से पहले जरुरी है !! हमारा खुद िो बदलिा और अपिे अन्दर नछपे उस
हर एि क्रू र भाविा िा िाश िरिा नजससे दूसरों िो क्षनत हो, उन्हें अल्प मात्र
िा ददथ िा पहुंचे !! यक़ीिि अगर हम िु छ निमाथण िहीं िर सिते तो हमें ध्वंस
िा भी अनधिार िहीं है !! अगर हम निसी िे जीवि में ख़ुशी और रोशिी िहीं
ला सिते, तो निसी नि खुनशयााँ नछििर उसिे जीवि में दुुःख और अाँधेरा लािे
िा भी हमें अनधिार िहीं है !!!
आज हमारे नलए अपिी निद्रा से जाग उठिे िा समय आ गया है !! इससे पहले
नि इंसानियत नि इि बूंद िे नलए हमारे िं ठ तरसिे लगे, हमें संस्िारों नि िदी
िो बहािा होगा, इंसानियत िे सूखे पड़े डालों िो हरा-भरा िरिा होगा !!!
“ हााँ ” आज द्रौपदी िो खुद अपिी रक्षा िे नलए िान्हां िो जगािा होगा !!
अजुथि िो निर से धमथ तथा सचाई नि रक्षा िे नलए धिुष उठािा होगा !! अंततुः
थोड़े-थोड़े ििथ लािर एि बड़ा ििथ लािा होगा !! एि-एि िदम नमलािर
िानिले िो उसिे लक्ष्य ति पहुाँचािा होगा !! हम सबिो ही नमलिर
इंसानियत िो नजन्दा रखिा होगा !! अपिे तथा अपिों िे नलए क्योनि हमें ही
इस समाज में नजिा है !! आईये िा हम सब नमलिर िु छ बदलाव लािे िा
प्रयास िरे यिीि मानिये एि ियी सुबह िे साथ बदलवा आएगा ….