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RAMAYANA
The Ramayana is an ancient Sanskrit epic about Rama and Sita. It is
one of the two most important ancient epics of India. The epic was
originally written by sage (rishi) Valmiki of Ancient India. The book has
about 96,000 verses and is divided into seven parts.
MAHARAJA DASHRATHA
HE WAS BORN IN AYODHYA , KOSALA (PRESENT DAY UTTAR PRADESH , INDIA) . THE NAME OF HIS FATHER WAS
MAHARAJA AJA OF KOSALA . HE BELONGED TO KSHATRIYA DHARMA HIS RAJPUT WAS SURYAVANSHIS AND HAD
THREE WIFES NAMED MAHARANI KAUSALYA , MAHARANI KAIKEYI AND MAHARANI SUMITRA OUT OF THE UNION
BORN LORD RAMA , BHARATA , LAKSHMANA AND SHATRUGHANA KING DASHRATHA LIVED 60000 HE DIED AFTER
DIED AFTER SIX DAYS WHEN RAMA , SITA AND LAKSHMANA WENT FOR EXILE
SHRI RAM
Rama is a Hindu deity, his iconographyvaries
Affiliation Seventh avatar of Vishnu, Brahman (Vaishnavism), Deva
Predecessor Dasharatha
Abode Vaikuntha, Ayodhya,and Saket
Weapon Bow and arrows
Texts Ramayana and its other versions
Festivals Rama Navami, Vivaha Panchami, Deepavali, Dusshera
Personal information
Born Ayodhya, Kosala(present-day Uttar Pradesh,India)
Parents
Dasharatha (father)[1]
Kaushalya (mother)[1]
Kaikeyi (step-mother)
Sumitra (step-mother)
Siblings
Shanta (sister)
Lakshmana (step-brother)
Bharata(step-brother)
Shatrughna(step-brother)
Consort Sita[1]
Children
Lava (son)
Kusha (son)
Dynasty Raghuvanshi-Ikshvaku-Suryavanshi
SHRI RAM AS AVATAR OF VISHNU
Shri Ram is also known as Ramachandra, is a major deity of Hinduism. He is the seventh avatar of the
god Vishnu, one of his most popular incarnations along with Krishna, Parshurama , and Gautama
Buddha. ... Rama was born to Kausalya and Dasharatha in Ayodhya , the ruler of the Kingdom of Kosala.
Ramayana
बहुत समय पहले की बात है सरयू नदी क
े ककनारे कोशला नामक राज्य था जिसकी रािधानी अयोध्या थी। अयोध्या क
े रािा का नाम दशरथ था, जिन की तीन पजननयाां थी। उनक
े पजननयों का नाम था कौशल्या,
क
ै कई और सुममत्रा। रािा दशरथ बहुत समय तक ननसांतान थे और वह अपने सूययवांश की वृद्धध क
े मलए अथायत अपने उत्तराधधकारी क
े मलए बहुत ध ांनतत थे। इसमलए रािा दशरथ ने अपने क
ु ल गुरु ऋषि वमशष्ठ
की सलाह मानकर पुत्र कमेजटि यज्ञ करवाया, उस यज्ञ क
े फलटवरुप रािा दशरथ को ार पुत्र प्राप्त हुए। उनकी पहली पननी कोशल्या से प्रभु श्री राम, क
ै कई से भारत और सुममत्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का
िन्म हुआ। उनक
े ारों पुत्र ददव्य शजततयों से पररपूणय और यशटवी थे। उन ारों को रािक
ु मारों की तरह पाला गया, और उनको शाटत्रों और युद्ध कला की कला मसखााई गई।
िब प्रभु श्री राम 16 विय क
े हुए तब एक बार ऋषि षवश्वाममत्र रािा दशरथ क
े पास आए और अपने यज्ञ में षवघ्न उनपन्न करने वाले राछसों क
े आतांक क
े बारे में रािा दशरथ को बताया और उनसे सहायता
माांगी। ऋषि षवश्वाममत्र की बात सुनकर रािा दशरथ उनकी सहायता करने क
े मलए तैयार हो गए और अपने सैननक उनक
े साथ भेिने का आदेश ददया, पर ऋषि षवश्वाममत्र ने इस कायय क
े मलए राम और
लक्ष्मण का यन ककया। राम और लक्ष्मण ऋषि षवश्वाममत्र क
े साथ उनक
े आश्रम िाते हैं, और उनक
े यज्ञ मैं षवघ्न डालने वाले राक्षसों का नाश कर देते हैं। इससे ऋषि षवश्वाममत्र प्रसन्न होकर राम और
लक्ष्मण को अनेक ददव्याटत्र प्रदान करते हैं जिनसे आगे लकर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण अनेक दानवों का नाश करते हैं।
दूसरी ओर िनक ममधथला प्रदेश क
े रािा थे और वह भी ननसांतान थे। और सांतान प्राजप्त क
े मलए वह भी बहुत ध ांनतत थे, तब एक ददन उनको गहरे क
ुां ड में एक बच् ी ममली, तब रािा िनक का खाुशी का
दठकाना ना रहा, और रािा िनक उस बच् ी को भगवान का वरदान मानकर उसे अपने महल ले आए। रािा िनक ने उस बच् ी का नाम सीता रखाा। रािा िनक अपनी पुत्री सीता को बहुत ही अधधक टनेह
करते थे। सीता धीरे-धीरे बडी हुई, सीता गुण और अद्षवतीय सुांदरता से पररपूणय थी। िब सीता षववाह योग्य हुई तब रािा िनक अपने षप्रय पुत्री सीता क
े मलए उनका टवयांवर रखाने का ननश् य ककया। रािा
िनक ने सीता क
े टवयांवर में मशव धनुि को उठाने वाले और उस पर प्रनयां ा ाहने वाले से अपनी षप्रय पुत्री सीता से षववाह करने की शतय रखाी। सीता क
े गुण और सुांदरता की ाय पहले से ही ारों तरफ
फ
ै ल ुकी थी तो सीता क
े टवयांवर की खाबर सुनकर बडे बडे रािा सीता टवयांवर में भाग लेने क
े मलए आने लगे। ऋषि षवश्वाममत्र भी राम और लक्ष्मण क
े साथ सीता टवयांवर को देखाने क
े मलए रािा िनक क
े
नगर ममधथला पहुां े।
िब सीता से शादी करने की इच्छा मलए दूर दूर से रािा और महारािा टवयांवर में एकत्रत्रत हुए तो टवयांबर आरांभ हुआ बहुत सारे रािाओां ने मशव धनुि को उठाने की कोमशश की लेककन कोई भी धनुि को दहला
भी नहीां पा रहा था उठाना तो बहुत दूर की बात है, यह सब देखा कर रािा िनक ध ांनतत हो गए तब ऋषि षवश्वाममत्र ने रािा िनक की ध ांता दूर करते हुए अपने मशष्य राम को उठने का अनुमनत ददया। प्रभु
राम अपने गुरु को प्रणाम कर उठे और उन्होंने उस धनुि को बडी सरलता से उठा कर िब उस पर प्रनयां ा लाने लगे तो धनुि िूि गया। रािा दशरथ ने शतय क
े अनुसार प्रभु श्रीराम से सीता का षववाह करने
का ननश् य ककया और साथ ही अपनी अन्य पुत्रत्रयों का षववाह भी रािा दशरथ क
े पुत्रों से करवाने का उन्होंने षव ार ककया। इस प्रकार एक साथ ही राम का षववाह सीता से, लक्ष्मण का षववाह उममयला से, भरत
का षववाह माांडवी से और शत्रुधन का षववाह श्रुतकीनतय से हो गया। ममधथला में षववाह का एक बहुत बडा आयोिन हुआ और उनमें प्रभु राम और उनक
े भाइयों की षववाह सांपन्न हुआ, षववाह क
े बाद बारात
अयोध्या लौि आई।
राम और सीता क
े षववाह को 12 विय बीत गए थे और अब रािा दशरथ वृद्ध हो गए थे। वह अपने बडे बेिे राम को अयोध्या क
े मसहासन पर त्रबठाना ाहते थे। तब एक शाम रािा दशरथ की दूसरी पननी का
क
ै कई अपनी एक तुर दासी मांथरा क
े बहकावे में आकर रािा दशरथ से दो व न माांगे.. “िो रािा दशरथ ने कई विय पहले कई कई द्वारा िान ब ाने क
े मलए क
ै कई को दो व न देने का वादा ककया था” क
ै कई
ने रािा दशरथ से अपने पहले व न क
े रूप में राम को 14 विय का वनवास और दूसरे व न क
े रूप में अपने पुत्र भरत को अयोध्या क
े राि मसहासन पर बैठाने की बात कही। क
ै कई की इन दोनों व नों को
सुनते ही रािा दशरथ का ददल िूि गया और वह क
ै कई को अपने इन व नों पर दोबारा षव ार करने क
े मलए बोले, और बोले कक हो सक
े तो अपने यह व न वापस ले ले। पर क
ै कई अपनी बात पर अिल रही,
तब ना ाहते हुए भी रािा दशरथ मे अपने षप्रय पुत्र राम को बुलाकर उन्हें 14 विय क
े मलए वनवास िाने को कहा।
राम ने अपने षपता रािा दशरथ का त्रबना कोई षवरोध ककए उनकी आदेश टवीकार कर मलया। िब सीता और लक्ष्मण को प्रभु राम क
े वनवास िाने क
े बारे में पता ला तो उन्होंने भी राम क
े साथ वनवास
िाने की आग्रह ककया, िब राम ने अपनी पननी सीता को अपने साथ वन ले िाने से मना ककया तब सीता ने प्रभु राम से कहा कक जिस वन में आप िाएांगे वही मेरा अयोध्या है, और आपक
े त्रबना अयोध्या
मेरे मलए नरक सामान है। लक्ष्मण क
े भी बहुत आग्रह करने पर भगवन राम ने उन्हें भी अपने साथ वन लने की अनुमनत दे दी। इस प्रकार राम सीता और लक्ष्मण अयोध्या से वन िाने क
े मलए ननकल
गए। अपने षप्रय पुत्र राम क
े वन िाने से दुखाी होकर रािा दशरथ ने अपने प्राण नयाग ददए।
इस दौरान भरत िो अपने मामा क
े यहाां (नननहाल) गए हुए थे,वह अयोध्या की घिना सुनकर बहुत ही ज्यादा दुखाी हुए। भारत ने अपनी माता क
ै कई को अयोध्या क
े राि मसांहासन पर बैठने से मना कर ददया
और वह अपने भाई राम को ढूांढते हुए वन में ले गए। वन में िाकर भरत राम लक्ष्मण और सीता से ममले और उनसे अयोध्या वापस लौिने का आग्रह ककया तब राम ने अपने षपता क
े व न का पालन
करते हुए अयोध्या वापस नहीां लौिने का प्रण ककया। तब भारत ने भगवान राम की रण पादुका अपने साथ ले कर अयोध्या वापस लौि आए, और राम की रण पादुका को अयोध्या क
े रािमसांहासन पर रखा
ददया, भरत राि दरबाररयों से बोले कक िब तक भगवान राम वनवास से वापस नहीां लौिते तब तक उन की रण पादुका अयोध्या क
े राि मसांहासन पर रखाा रहेगा और मैं उनका एक दास बनकर यह राि
लाऊ
ां गा।
भगवान राम क
े वनवास को 13 बरस बीत गए थे और वनवास का अांनतम विय था। भगवान राम, सीता और लक्ष्मण गोदावरी नदी क
े ककनारे िा रहे थे, गोदावरी क
े ननकि एक िगह सीता िी को बहुत पसांद
आई उस िगह का नाम था पां विी। तब भगवान राम अपनी पननी की भावना को समझते हुए उन्होंने वनबास का शेि समय पां विी में ही त्रबताने का ननणयय मलया और वहीां पर वह तीनों क
ु दिया बनाकर रहने
लगे। पां विी क
े िांगलों में ही एक ददन शूपयणखाा नाम की राक्षस औरत ममली और वह लक्ष्मण को अपने रूप रांग से लुभाना ाहती थी, जिसमें वह असफल रही तो उसने सीता को मारने का प्रयास ककया, तब
लक्ष्मण ने सूपयनखाा को रोकते हुए उसक
े नाक और कान काि ददए। िब इस बात की खाबर शूपयणखाा क
े राक्षस भाई खार को पता ली तो वह अपने राक्षस साधथयों क
े साथ राम, लक्ष्मण सीता जिस पां विी में
क
ु दिया बनाकर रह रहे थे वहाां पर उसने हमला कर ददया, भगवान राम और लक्ष्मण ने खार और उसक
े सभी राक्षसों का बद्ध कर ददया। िब इस घिना की खाबर सूपयनखाा क
े दूसरे भाई रावण तक पहुां ी तो उसने
राक्षस मारीध की मदद से भगवान राम की पननी सीता का अपहरण करने की योिना बनाई। रावण क
े कहने पर राक्षस मरीध ने टवणय मृग बनकर सीता का ध्यान अपनी ओर आकषियत ककया। टवणय ममगय की
सुांदरता पर मोदहत होकर सीता ने राम को उसे पकडने को भेि ददया। भगवान राम रावण की इस योिना से अनमभज्ञ थे तयोंकक भगवान राम तो अांतयायमी थे, कफर भी अपनी पननी सीता की इच्छा को पूरा करने
क
े मलए वह उस टवणय ममगय क
े पीछे िांगल में ले गए और माता सीता की रक्षा क
े मलए अपने भाई लक्ष्मण को बोल ददए। क
ु छ समय बाद माता सीता ने भगवान राम की करुणा भरी मदद की आवाि सुनाई
पडी तो माता सीता ने लक्ष्मण को भगवान राम की सहायता क
े मलए िबरदटती भेिने लगी। लक्ष्मण ने माता सीता को समझाने की बहुत कोमशश की कक भगवान राम अिय हैं, और उनका कोई भी क
ु छ नहीां
कर सकता, इसमलए लक्ष्मण अपने भ्राता राम की आज्ञा का पालन करते हुए माता सीता की रक्षा करना ाहते थे।लक्ष्मण और माता सीता में बात इतनी बढ़ गई कक सीतािी ने लक्ष्मण को व न देकर भगवान
राम की सहायता करने क
े मलए लक्ष्मण को आदेश दे ददया। लक्ष्मण माता सीता की आज्ञा मानना तो ाहते थे लेककन वह सीता को क
ु दिया में अक
े ला नहीां छोडना ाहते थे इसमलए लक्ष्मण क
ु दिया से िाते वतत
क
ु दिया क
े ारों ओर एक लक्ष्मण रेखाा बनाई, ताकक कोई भी उस रेखाा क
े अांदर नहीां प्रवेश कर सक
े और माता सीता को इस रेखाा से बाहर नहीां ननकलने का आग्रह ककया। और कफर लक्ष्मण भगवान राम की खाोि
में ननकल पडे। इधर रावण िो घात लगाए बैठा था िब उसने से राटता साफ देखाा तब वह एक साधु का वेश बनाकर माता सीता की क
ु दिया क
े आगे पहुां गया और मभक्षा माांगने लगा। माता सीता रावण िो कक
एक साधु क
े वेश में था उसकी क
ु दिलता को नहीां समझ पाई और उसक
े भ्रमिाल में आकर लक्ष्मण की बनाई गई लक्ष्मण रेखाा क
े बाहर कदम रखा ददया और रावण माता सीता को बलपूवयक उठाकर ले गया।िब
रावण सीता को बलपूवयक अपने पुष्पक षवमान में ले िा रहा था तो ििायु नाम का धगद्ध ने उसे रोकने की कोमशश की, ििायु ने माता सीता की रक्षा करने का बहुत प्रयास ककया और जिसमें वह प्राणघातक
रूप से घायल हो गया। रावण सीता को अपने पुष्पक षवमान से उडा कर लांका ले गया और उन्हें राक्षसीयो की कडी सुरक्षा में लांका क
े अशोक वादिका में डाल ददया। कफर रावण ने माता सीता क
े सामने उनसे
षववाह करने की इच्छा प्रकि की, लेककन माता सीता अपने पनत भगवान राम क
े प्रनत समपयण होने क
े कारण रावण से षववाह करने क
े मलए मना कर ददया। इधर भगवान राम और लक्ष्मण माता सीता क
े
अपहरण क
े बाद उनकी खाोि करते हुए ििायु से ममले, तब उन्हें पता ला कक उनकी पननी सीता को लांकापनत रावण उठाकर ले गया है। तब वह दोनों भाई सीता को ब ाने क
े मलए ननकल पडे, भगवान राम
और लक्ष्मण िब माता सीता की खाोि कर रहे थे तब उनकी मुलाकात राक्षस कबांध और परम तपटवी साध्वी शबरी से हुई। उन दोनों ने उन्हें सुग्रीव और हनुमान तक पहुां ाया और सुग्रीव से ममत्रता करने की
सुझाव ददया।दोटतों रामायण में वर्णयत ककजष्क
ां धाकाांड वानरों क
े गढ़ पर आधाररत है। भगवान राम वहाां पर अपने सबसे बडे भतत हनुमान से ममले। महाबली हनुमान वानरों में से
सबसे महान नायक और सुग्रीव क
े पक्षपाती थे जिनको की ककसककां धा क
े मसहासन से भगा ददया गया था। हनुमान की मदद से भगवान राम और सुग्रीव की ममत्रता हो गई और
कफर सुग्रीव ने भगवान राम से अपने भाई बाली को मारने में उनसे मदद माांगी। तब भगवान राम ने बाली का वध ककया और कफर से सुग्रीव को ककसककां धा का मसहासन ममल
गया, और बदले में सुग्रीव ने भगवान राम को उनकी पननी माता सीता को खाोिने में सहायता करने का व न ददया।हालाांकक क
ु छ समय तक सुग्रीव अपने व न को भूल कर अपनी
शजततयों और रािसुखा का मिा लेने में मग्न हो गया, तब बाली की पननी तारा ने इस बात की खाबर लक्ष्मण को दी, और लक्ष्मण ने सुग्रीव को सांदेशा भेिवाया कक अगर वह
अपना व न भूल गया है तो वह वानर गढ़ को तबाह कर देंगे। तब सुग्रीव को अपना व न याद आया और वह लक्ष्मण की बात मानते हुए अपने वानर क
े दलों को सांसार क
े ारों
कोनों में माता सीता की खाोि में भेि ददया। उत्तर, पजश् म और पूवय दल क
े वानर खाोिकताय खााली हाथ वापस लौि आए। दक्षक्षण ददशा का खाोि दल अांगद और हनुमान क
े नेतृनव
में था, और वह सभी सागर क
े ककनारे िाकर रुक गए। तब अांगद और हनुमान को ििायु का बडा भाई सांपाती से यह सू ना ममली कक माता सीता को लांकापनत नरेश रावण
बलपूवयक लांका ले गया है।ििायु क
े भाई सांपाती से माता सीता क
े बारे में खाबर ममलते ही हनुमान िी ने अपना षवशाल रूप धारण ककया और षवशाल समुद्र को पार कर लांका पहुां गए।
हनुमान िी लांका पहुां कर वहाां माता सीता की खाोि शुरू कर दी लांका में बहुत खाोिने क
े बाद हनुमान को सीता अशोक वादिका में ममली। िहाां पर रावण क
े बहुत सारी राक्षसी दामसयाां माता
सीता को रावण से षववाह करने क
े मलए बाध्य कर रही थी। सभी राक्षसी दामसयों क
े ले िाने क
े बाद हनुमान माता सीता तक पहुां े और उनको भगवान राम की अांगूठी दे कर अपने राम भतत
होने का पह ान कराया। हनुमान िी ने माता सीता को भगवान राम क
े पास ले िाने को कहा, लेककन माता सीता ने यह कहकर इांकार कर ददया कक भगवान राम क
े अलावा वह ककसी और नर
को टपशय करने की अनुमनत नहीां देगी, माता सीता ने कहा कक प्रभु राम उन्हें खाुद लेने आएांगे और अपने अपमान का बदला लेंगे।
कफर हनुमान िी माता सीता से आज्ञा लेकर अशोक वादिका में पेडों को उखााडना और तबाह करना शुरू कर देते हैं इसी बी हनुमान िी रावण क
े 1 पुत्र अक्षय क
ु मार का भी बद्ध कर देते हैं। तब रावण का
दूसरा पुत्र मेघनाथ हनुमान िी को बांदी बनाकर रावण क
े समक्ष दरबार में हाजिर करता है। हनुमान िी रावण क
े दरबार में रावण क
े समक्ष भगवान राम की पननी सीता को छोडने क
े मलए रावण को बहुत
समझाते हैं। रावण क्रोधधत होकर हनुमान िी की पूांछ में आग लगाने का आदेश देता है, हनुमान िी की पूांछ में आग लगते हैं वह उछलते हुए एक महल से दूसरे महल, एक छत से दूसरी छत पर िाकर पूरी
लांका नगरी में आग लगा देते हैं। और वापस षवशाल रूप धारण कर ककजष्क
ां धा पहुां िाते हैं, वहाां पहुां कर हनुमान िी भगवान राम और लक्ष्मण को माता सीता की सारी सू ना देते हैं।
लांका काांड (युद्ध काांड) में भगवान राम की सेना और रावण की सेना क
े बी युद्ध को दशायया गया है। भगवान राम को िब अपनी पननी माता
सीता की सू ना हनुमान से प्राप्त होती है तब भगवान राम और लक्ष्मण अपने साधथयों और वानर दल क
े साथ दक्षक्षणी समुांद्र क
े ककनारे पर
पहुां ते हैं। वहीां पर भगवान राम की मुलाकात रावण क
े भेदी भाई षवभीिण से होती है, िो रावण और लांका की पूरी िानकारी वह भगवान राम
को देते हैं। नल और नील नामक दो वानरों की सहायता से पूरा वानर दल ममलकर समुद्र को पार करने क
े मलए रामसेतु का ननमायण करते हैं,
ताकक भगवान राम और उनकी वानर सेना लांका तक पहुां सक
े । लांका पहुां ने क
े बाद भगवान राम और लांकापनत रावण का भीिण युद्ध हुआ,
जिसमें भगवान राम ने रावण का वध कर ददया। इसक
े बाद प्रभु राम ने षवभीिण को लांका का मसहासन पर त्रबठा ददया।
भगवान राम माता सीता से ममलने पर उन्हें अपनी पषवत्रता मसद्ध करने क
े मलए अजग्नपरीक्षा से गुिरने को कहते हैं, तयोंकक प्रभु राम माता
सीता की पषवत्रता क
े मलए फ
ै ली अफवाहों को गलत सात्रबत करना ाहते हैं। िब माता सीता ने अजग्न में प्रवेश ककया तो उन्हें कोई नुकसान नहीां
हुआ वह अजग्न परीक्षा में सफल हो गई। अब भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण वनवास की अवधध समाप्त कर अयोध्या लौि िाते हैं। और
अयोध्या में बडे ही हिोल्लास क
े साथ भगवान राम का राज्यमभिेक होता है। इस तरह से रामराज्य की शुरुआत होती है।दोटतों उत्तरकाांड महषिय
बाल्मीकक की वाटतषवक कहानी का वाद का अांश माना िाता है। इस काांड में भगवान राम क
े रािा बनने क
े बाद भगवान राम अपनी पननी माता
सीता क
े साथ सुखाद िीवन व्यतीत करते हैं। क
ु छ समय बाद माता सीता गभयवती हो िाती हैं, लेककन िब अयोध्या क
े वामसयों को माता सीता
की अजग्न परीक्षा की खाबर ममलती है तो आम िनता और प्रिा क
े दबाव में आकर भगवान राम अपनी पननी सीता को अननच्छा से बन भेि देते
हैं। वन में महषिय बाल्मीकक माता सीता को अपनी आश्रम में आश्रय देते हैं, और वहीां पर माता सीता भगवान राम क
े दो िुडवा पुत्रों लव और क
ु श
को िन्म देती है। लव और क
ु श महषिय वाल्मीकक क
े मशष्य बन िाते हैं और उनसे मशक्षा ग्रहण करते हैं।महषिय बाल्मीकक ने यही रामायण की
र ना की और लव क
ु श को इस का ज्ञान ददया। बाद में भगवान राम अश्वमेघ यज्ञ का आयोिन करते हैं जिसमें महषिय बाल्मीकक लव और क
ु श
क
े साथ िाते हैं। भगवान राम और उनकी िनता क
े समक्ष लव और क
ु श महषिय बाल्मीकक द्वारा रध त रामायण का गायन करते हैं। िब गायन
करते हुए लव क
ु श को माता सीता को वनवास ददए िाने की खाबर सुनाई िाती है तो भगवान राम बहुत दुखाी होते हैं। तब वहाां माता सीता आ
िाती हैं। उसी समय भगवान राम को माता सीता लव क
ु श क
े बारे में बताती हैं.. भगवान राम को ज्ञात होता है कक लव क
ु श उनक
े ही पुत्र हैं।
और कफर माता सीता धरती माां को अपनी गोद में लेने क
े मलए पुकारती हैं, और धरती क
े फिने पर माता सीता उसमें समा िाती हैं। क
ु छ विों
क
े बाद देवदूत आकर भगवान राम को यह सू ना देते हैं कक उनक
े रामअवतार का प्रयोिन अब पूरा हो ुका है, और उनका यह िीवन काल भी
खानम हो ुका है। तब भगवान राम अपने सभी सगे-सांबांधी और गुरुिनों का आशीवायद लेकर सरयू नदी में प्रवेश करते हैं। और वहीां से अपने
वाटतषवक षवष्णु रूप धारण कर अपने धाम ले िाते हैं।
WHEN SHRI RAM WAS A KID
MARRIGE WITH SITA JI
WHEN SHRI RAM GOES ON EXILE
WHEN KAIKEYI MATE SAYS
MAHARAJA DASHRATHA TO
MAKE HIS SON BHARAT THE
KING OF AYODHYA AND SEND
RAM ON EXILE
WHEN MAHARAJA
DASHRATH STOPS SHRI
RAM TO GO ON EXILE
WHEN SHRI RAM GOES ON
EXILE WITH HIS BROTHER
LAKSHMANA AND HIS WIFE
SITA BEAR FOOT TO JUNGLE
SHRI RAMS ROUTE TO LANKA
https://youtu.be/jtP8CsPuT6I
https://youtu.be/Jx1CYKJrDf4?list=TLPQMjgw
NTIwMjByJJz0AQVVyg
WHEN LUVA AND
KUSHA ACCEPTS
THE CHALLENGE OF
SHRI RAM AS THEY
DIDN’T KNEW THAT
THEY ARE THE
SONS OF SHRI RAM
• https://youtu.be/TIRHTZAwwRk
How Sita Mate left
the Earth and went
to Parlok
https://youtu.be/2LlCgFsIH4w
WHY SHRI RAM
WENT TO PARLOK
WITH ALL
AYODHAYA
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JAI SHRI RAM
A PRESENTATION
BY : AARVIN GUPTA

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Ramayana official

  • 1. RAMAYANA The Ramayana is an ancient Sanskrit epic about Rama and Sita. It is one of the two most important ancient epics of India. The epic was originally written by sage (rishi) Valmiki of Ancient India. The book has about 96,000 verses and is divided into seven parts.
  • 2. MAHARAJA DASHRATHA HE WAS BORN IN AYODHYA , KOSALA (PRESENT DAY UTTAR PRADESH , INDIA) . THE NAME OF HIS FATHER WAS MAHARAJA AJA OF KOSALA . HE BELONGED TO KSHATRIYA DHARMA HIS RAJPUT WAS SURYAVANSHIS AND HAD THREE WIFES NAMED MAHARANI KAUSALYA , MAHARANI KAIKEYI AND MAHARANI SUMITRA OUT OF THE UNION BORN LORD RAMA , BHARATA , LAKSHMANA AND SHATRUGHANA KING DASHRATHA LIVED 60000 HE DIED AFTER DIED AFTER SIX DAYS WHEN RAMA , SITA AND LAKSHMANA WENT FOR EXILE
  • 3. SHRI RAM Rama is a Hindu deity, his iconographyvaries Affiliation Seventh avatar of Vishnu, Brahman (Vaishnavism), Deva Predecessor Dasharatha Abode Vaikuntha, Ayodhya,and Saket Weapon Bow and arrows Texts Ramayana and its other versions Festivals Rama Navami, Vivaha Panchami, Deepavali, Dusshera Personal information Born Ayodhya, Kosala(present-day Uttar Pradesh,India) Parents Dasharatha (father)[1] Kaushalya (mother)[1] Kaikeyi (step-mother) Sumitra (step-mother) Siblings Shanta (sister) Lakshmana (step-brother) Bharata(step-brother) Shatrughna(step-brother) Consort Sita[1] Children Lava (son) Kusha (son) Dynasty Raghuvanshi-Ikshvaku-Suryavanshi
  • 4. SHRI RAM AS AVATAR OF VISHNU Shri Ram is also known as Ramachandra, is a major deity of Hinduism. He is the seventh avatar of the god Vishnu, one of his most popular incarnations along with Krishna, Parshurama , and Gautama Buddha. ... Rama was born to Kausalya and Dasharatha in Ayodhya , the ruler of the Kingdom of Kosala.
  • 5. Ramayana बहुत समय पहले की बात है सरयू नदी क े ककनारे कोशला नामक राज्य था जिसकी रािधानी अयोध्या थी। अयोध्या क े रािा का नाम दशरथ था, जिन की तीन पजननयाां थी। उनक े पजननयों का नाम था कौशल्या, क ै कई और सुममत्रा। रािा दशरथ बहुत समय तक ननसांतान थे और वह अपने सूययवांश की वृद्धध क े मलए अथायत अपने उत्तराधधकारी क े मलए बहुत ध ांनतत थे। इसमलए रािा दशरथ ने अपने क ु ल गुरु ऋषि वमशष्ठ की सलाह मानकर पुत्र कमेजटि यज्ञ करवाया, उस यज्ञ क े फलटवरुप रािा दशरथ को ार पुत्र प्राप्त हुए। उनकी पहली पननी कोशल्या से प्रभु श्री राम, क ै कई से भारत और सुममत्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का िन्म हुआ। उनक े ारों पुत्र ददव्य शजततयों से पररपूणय और यशटवी थे। उन ारों को रािक ु मारों की तरह पाला गया, और उनको शाटत्रों और युद्ध कला की कला मसखााई गई। िब प्रभु श्री राम 16 विय क े हुए तब एक बार ऋषि षवश्वाममत्र रािा दशरथ क े पास आए और अपने यज्ञ में षवघ्न उनपन्न करने वाले राछसों क े आतांक क े बारे में रािा दशरथ को बताया और उनसे सहायता माांगी। ऋषि षवश्वाममत्र की बात सुनकर रािा दशरथ उनकी सहायता करने क े मलए तैयार हो गए और अपने सैननक उनक े साथ भेिने का आदेश ददया, पर ऋषि षवश्वाममत्र ने इस कायय क े मलए राम और लक्ष्मण का यन ककया। राम और लक्ष्मण ऋषि षवश्वाममत्र क े साथ उनक े आश्रम िाते हैं, और उनक े यज्ञ मैं षवघ्न डालने वाले राक्षसों का नाश कर देते हैं। इससे ऋषि षवश्वाममत्र प्रसन्न होकर राम और लक्ष्मण को अनेक ददव्याटत्र प्रदान करते हैं जिनसे आगे लकर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण अनेक दानवों का नाश करते हैं। दूसरी ओर िनक ममधथला प्रदेश क े रािा थे और वह भी ननसांतान थे। और सांतान प्राजप्त क े मलए वह भी बहुत ध ांनतत थे, तब एक ददन उनको गहरे क ुां ड में एक बच् ी ममली, तब रािा िनक का खाुशी का दठकाना ना रहा, और रािा िनक उस बच् ी को भगवान का वरदान मानकर उसे अपने महल ले आए। रािा िनक ने उस बच् ी का नाम सीता रखाा। रािा िनक अपनी पुत्री सीता को बहुत ही अधधक टनेह करते थे। सीता धीरे-धीरे बडी हुई, सीता गुण और अद्षवतीय सुांदरता से पररपूणय थी। िब सीता षववाह योग्य हुई तब रािा िनक अपने षप्रय पुत्री सीता क े मलए उनका टवयांवर रखाने का ननश् य ककया। रािा िनक ने सीता क े टवयांवर में मशव धनुि को उठाने वाले और उस पर प्रनयां ा ाहने वाले से अपनी षप्रय पुत्री सीता से षववाह करने की शतय रखाी। सीता क े गुण और सुांदरता की ाय पहले से ही ारों तरफ फ ै ल ुकी थी तो सीता क े टवयांवर की खाबर सुनकर बडे बडे रािा सीता टवयांवर में भाग लेने क े मलए आने लगे। ऋषि षवश्वाममत्र भी राम और लक्ष्मण क े साथ सीता टवयांवर को देखाने क े मलए रािा िनक क े नगर ममधथला पहुां े। िब सीता से शादी करने की इच्छा मलए दूर दूर से रािा और महारािा टवयांवर में एकत्रत्रत हुए तो टवयांबर आरांभ हुआ बहुत सारे रािाओां ने मशव धनुि को उठाने की कोमशश की लेककन कोई भी धनुि को दहला भी नहीां पा रहा था उठाना तो बहुत दूर की बात है, यह सब देखा कर रािा िनक ध ांनतत हो गए तब ऋषि षवश्वाममत्र ने रािा िनक की ध ांता दूर करते हुए अपने मशष्य राम को उठने का अनुमनत ददया। प्रभु राम अपने गुरु को प्रणाम कर उठे और उन्होंने उस धनुि को बडी सरलता से उठा कर िब उस पर प्रनयां ा लाने लगे तो धनुि िूि गया। रािा दशरथ ने शतय क े अनुसार प्रभु श्रीराम से सीता का षववाह करने का ननश् य ककया और साथ ही अपनी अन्य पुत्रत्रयों का षववाह भी रािा दशरथ क े पुत्रों से करवाने का उन्होंने षव ार ककया। इस प्रकार एक साथ ही राम का षववाह सीता से, लक्ष्मण का षववाह उममयला से, भरत का षववाह माांडवी से और शत्रुधन का षववाह श्रुतकीनतय से हो गया। ममधथला में षववाह का एक बहुत बडा आयोिन हुआ और उनमें प्रभु राम और उनक े भाइयों की षववाह सांपन्न हुआ, षववाह क े बाद बारात अयोध्या लौि आई। राम और सीता क े षववाह को 12 विय बीत गए थे और अब रािा दशरथ वृद्ध हो गए थे। वह अपने बडे बेिे राम को अयोध्या क े मसहासन पर त्रबठाना ाहते थे। तब एक शाम रािा दशरथ की दूसरी पननी का क ै कई अपनी एक तुर दासी मांथरा क े बहकावे में आकर रािा दशरथ से दो व न माांगे.. “िो रािा दशरथ ने कई विय पहले कई कई द्वारा िान ब ाने क े मलए क ै कई को दो व न देने का वादा ककया था” क ै कई ने रािा दशरथ से अपने पहले व न क े रूप में राम को 14 विय का वनवास और दूसरे व न क े रूप में अपने पुत्र भरत को अयोध्या क े राि मसहासन पर बैठाने की बात कही। क ै कई की इन दोनों व नों को सुनते ही रािा दशरथ का ददल िूि गया और वह क ै कई को अपने इन व नों पर दोबारा षव ार करने क े मलए बोले, और बोले कक हो सक े तो अपने यह व न वापस ले ले। पर क ै कई अपनी बात पर अिल रही, तब ना ाहते हुए भी रािा दशरथ मे अपने षप्रय पुत्र राम को बुलाकर उन्हें 14 विय क े मलए वनवास िाने को कहा। राम ने अपने षपता रािा दशरथ का त्रबना कोई षवरोध ककए उनकी आदेश टवीकार कर मलया। िब सीता और लक्ष्मण को प्रभु राम क े वनवास िाने क े बारे में पता ला तो उन्होंने भी राम क े साथ वनवास िाने की आग्रह ककया, िब राम ने अपनी पननी सीता को अपने साथ वन ले िाने से मना ककया तब सीता ने प्रभु राम से कहा कक जिस वन में आप िाएांगे वही मेरा अयोध्या है, और आपक े त्रबना अयोध्या मेरे मलए नरक सामान है। लक्ष्मण क े भी बहुत आग्रह करने पर भगवन राम ने उन्हें भी अपने साथ वन लने की अनुमनत दे दी। इस प्रकार राम सीता और लक्ष्मण अयोध्या से वन िाने क े मलए ननकल गए। अपने षप्रय पुत्र राम क े वन िाने से दुखाी होकर रािा दशरथ ने अपने प्राण नयाग ददए। इस दौरान भरत िो अपने मामा क े यहाां (नननहाल) गए हुए थे,वह अयोध्या की घिना सुनकर बहुत ही ज्यादा दुखाी हुए। भारत ने अपनी माता क ै कई को अयोध्या क े राि मसांहासन पर बैठने से मना कर ददया और वह अपने भाई राम को ढूांढते हुए वन में ले गए। वन में िाकर भरत राम लक्ष्मण और सीता से ममले और उनसे अयोध्या वापस लौिने का आग्रह ककया तब राम ने अपने षपता क े व न का पालन करते हुए अयोध्या वापस नहीां लौिने का प्रण ककया। तब भारत ने भगवान राम की रण पादुका अपने साथ ले कर अयोध्या वापस लौि आए, और राम की रण पादुका को अयोध्या क े रािमसांहासन पर रखा ददया, भरत राि दरबाररयों से बोले कक िब तक भगवान राम वनवास से वापस नहीां लौिते तब तक उन की रण पादुका अयोध्या क े राि मसांहासन पर रखाा रहेगा और मैं उनका एक दास बनकर यह राि लाऊ ां गा।
  • 6. भगवान राम क े वनवास को 13 बरस बीत गए थे और वनवास का अांनतम विय था। भगवान राम, सीता और लक्ष्मण गोदावरी नदी क े ककनारे िा रहे थे, गोदावरी क े ननकि एक िगह सीता िी को बहुत पसांद आई उस िगह का नाम था पां विी। तब भगवान राम अपनी पननी की भावना को समझते हुए उन्होंने वनबास का शेि समय पां विी में ही त्रबताने का ननणयय मलया और वहीां पर वह तीनों क ु दिया बनाकर रहने लगे। पां विी क े िांगलों में ही एक ददन शूपयणखाा नाम की राक्षस औरत ममली और वह लक्ष्मण को अपने रूप रांग से लुभाना ाहती थी, जिसमें वह असफल रही तो उसने सीता को मारने का प्रयास ककया, तब लक्ष्मण ने सूपयनखाा को रोकते हुए उसक े नाक और कान काि ददए। िब इस बात की खाबर शूपयणखाा क े राक्षस भाई खार को पता ली तो वह अपने राक्षस साधथयों क े साथ राम, लक्ष्मण सीता जिस पां विी में क ु दिया बनाकर रह रहे थे वहाां पर उसने हमला कर ददया, भगवान राम और लक्ष्मण ने खार और उसक े सभी राक्षसों का बद्ध कर ददया। िब इस घिना की खाबर सूपयनखाा क े दूसरे भाई रावण तक पहुां ी तो उसने राक्षस मारीध की मदद से भगवान राम की पननी सीता का अपहरण करने की योिना बनाई। रावण क े कहने पर राक्षस मरीध ने टवणय मृग बनकर सीता का ध्यान अपनी ओर आकषियत ककया। टवणय ममगय की सुांदरता पर मोदहत होकर सीता ने राम को उसे पकडने को भेि ददया। भगवान राम रावण की इस योिना से अनमभज्ञ थे तयोंकक भगवान राम तो अांतयायमी थे, कफर भी अपनी पननी सीता की इच्छा को पूरा करने क े मलए वह उस टवणय ममगय क े पीछे िांगल में ले गए और माता सीता की रक्षा क े मलए अपने भाई लक्ष्मण को बोल ददए। क ु छ समय बाद माता सीता ने भगवान राम की करुणा भरी मदद की आवाि सुनाई पडी तो माता सीता ने लक्ष्मण को भगवान राम की सहायता क े मलए िबरदटती भेिने लगी। लक्ष्मण ने माता सीता को समझाने की बहुत कोमशश की कक भगवान राम अिय हैं, और उनका कोई भी क ु छ नहीां कर सकता, इसमलए लक्ष्मण अपने भ्राता राम की आज्ञा का पालन करते हुए माता सीता की रक्षा करना ाहते थे।लक्ष्मण और माता सीता में बात इतनी बढ़ गई कक सीतािी ने लक्ष्मण को व न देकर भगवान राम की सहायता करने क े मलए लक्ष्मण को आदेश दे ददया। लक्ष्मण माता सीता की आज्ञा मानना तो ाहते थे लेककन वह सीता को क ु दिया में अक े ला नहीां छोडना ाहते थे इसमलए लक्ष्मण क ु दिया से िाते वतत क ु दिया क े ारों ओर एक लक्ष्मण रेखाा बनाई, ताकक कोई भी उस रेखाा क े अांदर नहीां प्रवेश कर सक े और माता सीता को इस रेखाा से बाहर नहीां ननकलने का आग्रह ककया। और कफर लक्ष्मण भगवान राम की खाोि में ननकल पडे। इधर रावण िो घात लगाए बैठा था िब उसने से राटता साफ देखाा तब वह एक साधु का वेश बनाकर माता सीता की क ु दिया क े आगे पहुां गया और मभक्षा माांगने लगा। माता सीता रावण िो कक एक साधु क े वेश में था उसकी क ु दिलता को नहीां समझ पाई और उसक े भ्रमिाल में आकर लक्ष्मण की बनाई गई लक्ष्मण रेखाा क े बाहर कदम रखा ददया और रावण माता सीता को बलपूवयक उठाकर ले गया।िब रावण सीता को बलपूवयक अपने पुष्पक षवमान में ले िा रहा था तो ििायु नाम का धगद्ध ने उसे रोकने की कोमशश की, ििायु ने माता सीता की रक्षा करने का बहुत प्रयास ककया और जिसमें वह प्राणघातक रूप से घायल हो गया। रावण सीता को अपने पुष्पक षवमान से उडा कर लांका ले गया और उन्हें राक्षसीयो की कडी सुरक्षा में लांका क े अशोक वादिका में डाल ददया। कफर रावण ने माता सीता क े सामने उनसे षववाह करने की इच्छा प्रकि की, लेककन माता सीता अपने पनत भगवान राम क े प्रनत समपयण होने क े कारण रावण से षववाह करने क े मलए मना कर ददया। इधर भगवान राम और लक्ष्मण माता सीता क े अपहरण क े बाद उनकी खाोि करते हुए ििायु से ममले, तब उन्हें पता ला कक उनकी पननी सीता को लांकापनत रावण उठाकर ले गया है। तब वह दोनों भाई सीता को ब ाने क े मलए ननकल पडे, भगवान राम और लक्ष्मण िब माता सीता की खाोि कर रहे थे तब उनकी मुलाकात राक्षस कबांध और परम तपटवी साध्वी शबरी से हुई। उन दोनों ने उन्हें सुग्रीव और हनुमान तक पहुां ाया और सुग्रीव से ममत्रता करने की सुझाव ददया।दोटतों रामायण में वर्णयत ककजष्क ां धाकाांड वानरों क े गढ़ पर आधाररत है। भगवान राम वहाां पर अपने सबसे बडे भतत हनुमान से ममले। महाबली हनुमान वानरों में से सबसे महान नायक और सुग्रीव क े पक्षपाती थे जिनको की ककसककां धा क े मसहासन से भगा ददया गया था। हनुमान की मदद से भगवान राम और सुग्रीव की ममत्रता हो गई और कफर सुग्रीव ने भगवान राम से अपने भाई बाली को मारने में उनसे मदद माांगी। तब भगवान राम ने बाली का वध ककया और कफर से सुग्रीव को ककसककां धा का मसहासन ममल गया, और बदले में सुग्रीव ने भगवान राम को उनकी पननी माता सीता को खाोिने में सहायता करने का व न ददया।हालाांकक क ु छ समय तक सुग्रीव अपने व न को भूल कर अपनी शजततयों और रािसुखा का मिा लेने में मग्न हो गया, तब बाली की पननी तारा ने इस बात की खाबर लक्ष्मण को दी, और लक्ष्मण ने सुग्रीव को सांदेशा भेिवाया कक अगर वह अपना व न भूल गया है तो वह वानर गढ़ को तबाह कर देंगे। तब सुग्रीव को अपना व न याद आया और वह लक्ष्मण की बात मानते हुए अपने वानर क े दलों को सांसार क े ारों कोनों में माता सीता की खाोि में भेि ददया। उत्तर, पजश् म और पूवय दल क े वानर खाोिकताय खााली हाथ वापस लौि आए। दक्षक्षण ददशा का खाोि दल अांगद और हनुमान क े नेतृनव में था, और वह सभी सागर क े ककनारे िाकर रुक गए। तब अांगद और हनुमान को ििायु का बडा भाई सांपाती से यह सू ना ममली कक माता सीता को लांकापनत नरेश रावण बलपूवयक लांका ले गया है।ििायु क े भाई सांपाती से माता सीता क े बारे में खाबर ममलते ही हनुमान िी ने अपना षवशाल रूप धारण ककया और षवशाल समुद्र को पार कर लांका पहुां गए। हनुमान िी लांका पहुां कर वहाां माता सीता की खाोि शुरू कर दी लांका में बहुत खाोिने क े बाद हनुमान को सीता अशोक वादिका में ममली। िहाां पर रावण क े बहुत सारी राक्षसी दामसयाां माता सीता को रावण से षववाह करने क े मलए बाध्य कर रही थी। सभी राक्षसी दामसयों क े ले िाने क े बाद हनुमान माता सीता तक पहुां े और उनको भगवान राम की अांगूठी दे कर अपने राम भतत होने का पह ान कराया। हनुमान िी ने माता सीता को भगवान राम क े पास ले िाने को कहा, लेककन माता सीता ने यह कहकर इांकार कर ददया कक भगवान राम क े अलावा वह ककसी और नर को टपशय करने की अनुमनत नहीां देगी, माता सीता ने कहा कक प्रभु राम उन्हें खाुद लेने आएांगे और अपने अपमान का बदला लेंगे। कफर हनुमान िी माता सीता से आज्ञा लेकर अशोक वादिका में पेडों को उखााडना और तबाह करना शुरू कर देते हैं इसी बी हनुमान िी रावण क े 1 पुत्र अक्षय क ु मार का भी बद्ध कर देते हैं। तब रावण का दूसरा पुत्र मेघनाथ हनुमान िी को बांदी बनाकर रावण क े समक्ष दरबार में हाजिर करता है। हनुमान िी रावण क े दरबार में रावण क े समक्ष भगवान राम की पननी सीता को छोडने क े मलए रावण को बहुत समझाते हैं। रावण क्रोधधत होकर हनुमान िी की पूांछ में आग लगाने का आदेश देता है, हनुमान िी की पूांछ में आग लगते हैं वह उछलते हुए एक महल से दूसरे महल, एक छत से दूसरी छत पर िाकर पूरी लांका नगरी में आग लगा देते हैं। और वापस षवशाल रूप धारण कर ककजष्क ां धा पहुां िाते हैं, वहाां पहुां कर हनुमान िी भगवान राम और लक्ष्मण को माता सीता की सारी सू ना देते हैं।
  • 7. लांका काांड (युद्ध काांड) में भगवान राम की सेना और रावण की सेना क े बी युद्ध को दशायया गया है। भगवान राम को िब अपनी पननी माता सीता की सू ना हनुमान से प्राप्त होती है तब भगवान राम और लक्ष्मण अपने साधथयों और वानर दल क े साथ दक्षक्षणी समुांद्र क े ककनारे पर पहुां ते हैं। वहीां पर भगवान राम की मुलाकात रावण क े भेदी भाई षवभीिण से होती है, िो रावण और लांका की पूरी िानकारी वह भगवान राम को देते हैं। नल और नील नामक दो वानरों की सहायता से पूरा वानर दल ममलकर समुद्र को पार करने क े मलए रामसेतु का ननमायण करते हैं, ताकक भगवान राम और उनकी वानर सेना लांका तक पहुां सक े । लांका पहुां ने क े बाद भगवान राम और लांकापनत रावण का भीिण युद्ध हुआ, जिसमें भगवान राम ने रावण का वध कर ददया। इसक े बाद प्रभु राम ने षवभीिण को लांका का मसहासन पर त्रबठा ददया। भगवान राम माता सीता से ममलने पर उन्हें अपनी पषवत्रता मसद्ध करने क े मलए अजग्नपरीक्षा से गुिरने को कहते हैं, तयोंकक प्रभु राम माता सीता की पषवत्रता क े मलए फ ै ली अफवाहों को गलत सात्रबत करना ाहते हैं। िब माता सीता ने अजग्न में प्रवेश ककया तो उन्हें कोई नुकसान नहीां हुआ वह अजग्न परीक्षा में सफल हो गई। अब भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण वनवास की अवधध समाप्त कर अयोध्या लौि िाते हैं। और अयोध्या में बडे ही हिोल्लास क े साथ भगवान राम का राज्यमभिेक होता है। इस तरह से रामराज्य की शुरुआत होती है।दोटतों उत्तरकाांड महषिय बाल्मीकक की वाटतषवक कहानी का वाद का अांश माना िाता है। इस काांड में भगवान राम क े रािा बनने क े बाद भगवान राम अपनी पननी माता सीता क े साथ सुखाद िीवन व्यतीत करते हैं। क ु छ समय बाद माता सीता गभयवती हो िाती हैं, लेककन िब अयोध्या क े वामसयों को माता सीता की अजग्न परीक्षा की खाबर ममलती है तो आम िनता और प्रिा क े दबाव में आकर भगवान राम अपनी पननी सीता को अननच्छा से बन भेि देते हैं। वन में महषिय बाल्मीकक माता सीता को अपनी आश्रम में आश्रय देते हैं, और वहीां पर माता सीता भगवान राम क े दो िुडवा पुत्रों लव और क ु श को िन्म देती है। लव और क ु श महषिय वाल्मीकक क े मशष्य बन िाते हैं और उनसे मशक्षा ग्रहण करते हैं।महषिय बाल्मीकक ने यही रामायण की र ना की और लव क ु श को इस का ज्ञान ददया। बाद में भगवान राम अश्वमेघ यज्ञ का आयोिन करते हैं जिसमें महषिय बाल्मीकक लव और क ु श क े साथ िाते हैं। भगवान राम और उनकी िनता क े समक्ष लव और क ु श महषिय बाल्मीकक द्वारा रध त रामायण का गायन करते हैं। िब गायन करते हुए लव क ु श को माता सीता को वनवास ददए िाने की खाबर सुनाई िाती है तो भगवान राम बहुत दुखाी होते हैं। तब वहाां माता सीता आ िाती हैं। उसी समय भगवान राम को माता सीता लव क ु श क े बारे में बताती हैं.. भगवान राम को ज्ञात होता है कक लव क ु श उनक े ही पुत्र हैं। और कफर माता सीता धरती माां को अपनी गोद में लेने क े मलए पुकारती हैं, और धरती क े फिने पर माता सीता उसमें समा िाती हैं। क ु छ विों क े बाद देवदूत आकर भगवान राम को यह सू ना देते हैं कक उनक े रामअवतार का प्रयोिन अब पूरा हो ुका है, और उनका यह िीवन काल भी खानम हो ुका है। तब भगवान राम अपने सभी सगे-सांबांधी और गुरुिनों का आशीवायद लेकर सरयू नदी में प्रवेश करते हैं। और वहीां से अपने वाटतषवक षवष्णु रूप धारण कर अपने धाम ले िाते हैं।
  • 8. WHEN SHRI RAM WAS A KID MARRIGE WITH SITA JI
  • 9. WHEN SHRI RAM GOES ON EXILE WHEN KAIKEYI MATE SAYS MAHARAJA DASHRATHA TO MAKE HIS SON BHARAT THE KING OF AYODHYA AND SEND RAM ON EXILE WHEN MAHARAJA DASHRATH STOPS SHRI RAM TO GO ON EXILE WHEN SHRI RAM GOES ON EXILE WITH HIS BROTHER LAKSHMANA AND HIS WIFE SITA BEAR FOOT TO JUNGLE
  • 10. SHRI RAMS ROUTE TO LANKA
  • 11.
  • 12.
  • 15. WHEN LUVA AND KUSHA ACCEPTS THE CHALLENGE OF SHRI RAM AS THEY DIDN’T KNEW THAT THEY ARE THE SONS OF SHRI RAM
  • 17. How Sita Mate left the Earth and went to Parlok https://youtu.be/2LlCgFsIH4w
  • 18. WHY SHRI RAM WENT TO PARLOK WITH ALL AYODHAYA https://youtu.be/HkjQWog_0FI
  • 19. JAI SHRI RAM A PRESENTATION BY : AARVIN GUPTA