3. औदुम्बर
औदुम्बर जन की मुदा्ऍों हमें द धातुओों की
प्राप्त हुई हैं।
ताम्र प्रकार की मुद्राओों क
े पुर भार् पर िेसदका
में िृि अोंसकत है सजिकी पहिान र्ूलर िृि क
े
रूप में की र्ई है। िाथ ही िृि क
े दासहनी ओर
हाथी क
े अग्रभार् का अोंकन है।
पृष्ठभार् पर ि्तम्भयुक
् त द मोंसजला
आयताकार िाि्तु का अोंकन है। इिक
े पाश्िि में
क
ु ल्हाडीयुक
् त सिशूल का अोंकन है।
रजत मुद्राओों क
े पुर भार् पर िृषभ एिों
कमलपुष्प का अोंकन है। पुर भार् पर ‘भगवत
महादेवस रयरञ्य’ लेख खर ष्ठी में प्राप्त हुआ
है।
पृष्ठभार् पर र्ज एिों क
ु ल्हाडीयुक
् त सिशूल का
अोंकन है तथा खर ष्ठी लेख का ब्राह्मी में
रूपाोंतर प्राप्त ह ता है।
4. क
ु लू त
काोंर्डा सजले की क
ु ल्लू घाटी में क
ु लूत ों का सनिाि
ि्थान था, इनका उल्लेख महाभारत में हुआ है।
क
ु लुत मुद्राओों की ब्राह्मी सलसप एिों िोंि्क
ृ त भाषा क
े
आधार पर इनका काल प्रथम िदी में ह ने की िोंभािना
ि्यक
् त की र्ई है।
मुद्राओों क
े पुर भार् पर सबन्दु सिभूसषत ितुिल में
िक्र(धम्म िक्र) का अोंकन है। इिक
े असतररक
् त
इन्द्रयसि सिह्न भी प्राप्त ह ता है। िाथ ही लेख
‘वीरयशस्य राज्ञ क
ु लूतस्य’ प्राप्त अोंसकत है।
मुद्रा क
े पृष्ठभार् पर दि िक्र िाला मेरू पिित(िैत्य),
नन्दिपद(सिरत्न), ि्िान्दिक जैिे सिह्न ों का िमािेश है।
िाथ ही खर ष्ठी सलसप एिों प्राक
ृ त भाषा में ‘रज’ लेख
अोंसकत है।
5. मा
ल
ि
यद्यसप महाभारत ि रामायण में
मालिजन ों की ििाि समलती है। सकन्तु
यिन इसतहािकार ों क
े प्रामासणक
उल्लेख िे यह ज्ञात ह ता है सक प्रारोंभ
में मालिजन राबी – ितुलज क
े
द आब में रहते थे सिदेशी
आक्रमणकाररय ों क
े दबाि क
े कारण
इन्हें दसिण की ओर प्रसति्थासपत
ह ना पडा।
मालिजन की मुद्राएँ जयपुर क
े
ककोटनर्र एिों रेहड िे प्राप्त हुई हैं।
ज सक इनक
े इसतहाि पर प्रकाश
डालती हैं।
इनकी मुद्राएँ लेख एिों प्रतीक ों की
सिसिधता िे युक
् त हैं सजन पर िृषभ,
मयूर, िैत्यिृि, कलश, सिोंह आसद
अनेक प्रतीक अोंसकत हैं तथा मालिानाों,
जय मालिानाों, मालिह्ण जय आसद प्रकार
क
े लेख अोंसकत हैं।
6. आजुिनायन
आजुिनायन का शािन िेि सदल्ली, जयपुर एिों आर्रा क
े सिक णीय
िेि अथाित् प्रािीन मति्य जनपद था।
इनकी मुद्राएँ िीसमत मािा में प्राप्त हुई हैं। इनकी मुद्रा में िोंि्क
ृ त
भाषा एिों ब्राह्मी सलसप में लेख उत्कीणि है सजनकी सलसप प्रथम शताब्दी
ई. पूिि की प्रतीत ह ती है।
इनकी मुद्राओों में लेख एिों प्रतीक ों में ज्यादा सिसिधता नहीों पाई जाती
है। मुद्राओों पर पिित क
े ऊपर िृषभ, प्राकार में िृि, ि्िाि्सतक आसद
का अोंकन है तथा ब्राह्मी सलसप एिों िोंि्क
ृ त भाषा में ‘आजुनायनम
जय’ उत्कीसणित है।
7. क
ु
सणों
द
ि्याि एिों यमुना नदी घासटय ों में सशिासलक
पिितमाला क
े आि-पाि क
ु सणन्द ों का
राज्य था। इनकी मुद्राएँ काोंर्डा, हमीरपुर,
लुसधयाना, र्ढ़िाल, िहारनपुर आसद
जनपद ों िे प्राप्त हुई है। ज सक रजत ि
ताम्र सनसमित हैं।
इनकी रजत मुद्रा क
े पुर भार् पर िम्मुख
खडी ि्िी तथा पाश्िि में सकिी सहमालयन
जीि का अोंकन है। ब्राह्मी में राज्ञ:
क
ु णीदस अमोघभूततस महरजस लेख
उत्कीणि है।
पृष्ठभार् पर मेरू, ि्िान्दिक, इन्द्रयसि,
प्राकार में िृि एिों मेरू क
े नीिे िसपिल रेखा
अोंसकत है।
र्ढ़िाल, देहरादू न की मुद्राओों क
े पुर भार्
पर सिशूल सलये ि्थानक सशि की आक
ृ सत
है। पृष्ठभार् पर मृर् क
े िाथ मेरू एिों िृि
का अोंकन है।
8. यौधेय
यौधेय ों ने ितुलज िे यमुना तक क
े िेि ों पर
अपना प्रभुत्ि ि्थासपत सकया था। उत्खनन िे
इन्हीों िेि ों िे इनकी मुद्राएँ भी प्राप्त हुई हैं।
यौधेय की मुद्राओों का िर्ीकरण सििान ों ने
सिसभन्न प्रकार िे सकया है। प्र . क
ृ ष्णदत्त
िाजपेयी इन मुद्राओों क तीन िर्ों में रखते हैं-
1) िृषभ र्ज प्रकार 2) षडमुखी कासतिक
े य
प्रकार 3) कासतिक
े य देििेना प्रकार।
िृषभ र्ज प्रकार में पुर भार् पर िृषभ का
अोंकन तथा ब्राह्मी लेख योधेयानाम
बहुधञ्यक
े उत्कीसणित है। पृष्ठभार् पर हाथी
का अोंकन है।
षडमुखी कासतिक
े य प्रकार में
षडानन कासतिक
े य का दासहना हाथ
ऊपर की ओर तथा बायाँ हाथ पीछे
की ओर है। दासहनी ओर भाले का
अोंकन है। पृष्ठभार् पर देिी का
अोंकन है।
कासतिक
े य देििेना प्रकार में
पुर भार् पर ि्थानक मुद्रा में भाला
धारण सकये हुए कासतिक
े य उनक
े
पाश्िि में मयूर का अोंकन हे।
पृष्ठभार् पर दासहना हाथ ऊपर
सकये देिी का अोंकन। देिी का बाँया
हाथ पीछे की ओर अिन्दथथत है।