1. بسم اللہ الرحمن الرحيم
बफस्मभल्राहहयरहभाननयरहीभ
उत्सुकता औय सम्भान बया सराभ हो आऩ बाग्मवानों ऩय जो कुयआनी ननभंत्रण को मवीकाय कयते हुए ईश्वयीम भेहभानी के लरए आगे फढे। ऩहरी फात मह कक इस भहान ववबूनत की कद्र कीस्जए औय इस अनुदाहयणीम कतरव्म के व्मस्ततगत, साभास्जक, आध्मास्त्भक औय वैस्श्वक आमाभों ऩय च ंतन के साथ, उसके रक्ष्मों से मवमं को कयीफ कयने का प्रमास कीस्जए तथा कृऩारु व सवरसभथर भेज़फान से इस संदबर भें भदद भाचगए। भैं बी आऩकी बावनाओं से अऩनी बावनाओं तथा आऩकी आवाज़ से अऩनी आवाज़ लभराकय ऺभाशीर व उऩकायी ऩारनहाय की सेवा भें ववनती कयता हूं कक अऩनी ववबूनतमां आऩ ऩय संऩूणर कय दे औय जफ हज की मात्रा का अवसय हदमा है तो संऩूणर हज अदा कयने भें बी सपरता प्रदान कये औय कपय अऩनी उदायता के साथ इसे मवीकाय कयके आऩको बये हुए दाभन के साथ सकुशर अऩने अऩने ऺेत्रों को रौटाए। इनशाअल्राह
इन अथरऩूणर औय फेलभसार संमकायों के अवसय ऩय आध्मास्त्भक ऩववत्रता व आत्भननभारण के साथ ही जो हज का सवरश्रेष्ठ औय सफ से फुननमादी पर है, इमराभी जगत के भुƧों ऩय ध्मान औय इमराभी याष्र से संफंचधत अत्माचधक भहत्वऩूणर औय प्राथलभकता प्राप्त भाभरों की गहयी दृस्ष्ट औय दीघरकालरक वव ायधाया के साथ सभीऺा, हास्जमों के कतरव्मों भें सवोऩरय है।
आज इन भहत्वऩूणर औय प्राथलभकता प्राप्त भाभरों भें एक, भुसरभानों के भध्म एकता औय इमराभी सभुदाम के ववलबन्न बागों के फी दूयी उत्ऩन्न कयने वारी गुस्त्थमों को सुरनाना है।
हज, एकता व सभरूऩता का प्रतीक औय फंधुत्व व आऩसी सहमोग का केन्द्र है। हज भें सफको संमुतत बफंदुओं ऩय ध्मान केस्न्द्रत कयने औय भतबेदों को दूय कयने का ऩाठ सीखना ाहहए। साम्राज्मवादी याजनीनत के दूवषत हाथों ने फहुत ऩहरे से अऩने घृणणत रक्ष्मों की प्रास्प्त के लरए वववाद बड़काने को अऩने एजेंडे भें शालभर कय यखा है रेककन आज जफ इमराभी जागरूकता की फयकत से, भुस्मरभ याष्र, साम्राज्मवादी भो े तथा ज़ामोननज़्भ की शत्रुता को बरीबांनत बांऩ ुके हैं औय इसके भुकाफरे भें अऩना रुख़ ननधाररयत कय ुके हैं तो भुसरभानों के फी भतबेद पैराने की सास्ज़श औय बी तेज़ हो गई है।
भतकाय शत्रु इस प्रमास भें है कक भुसरभानों के फी गृहमुद्द की आग बड़काकय, संघषर औय प्रनतयोध की उनकी बावना को ग़रत हदशा भें भोड़ दे औय ज़ामोनी सयकाय तथा साम्राज्मवाद के वऩट्ठुओं के लरए जो वामतव भें शत्रु हैं, सुयक्षऺत याहदायी उऩरब्ध कया दे। ऩस्श् भी एलशमा के देशों भें आतंकी तकफीयी संगठनों औय इसी प्रकाय के अन्म गुटों को अस्मतत्व भें राना इसी धूतर यणनीनत का ऩरयणाभ है।
2. मह हभ सफके लरए ेतावनी है कक हभ भुसरभानों के भध्म एकता के ववषम को आज अऩने याष्रीम व वैस्श्वक कतरव्मों भें सवोऩरय यखें।
दूसया भहत्वऩूणर भाभरा कफलरमतीन का भुƧा है। अनतग्रहणकायी ज़ामोनी सयकाय के गठन की शुरूआत को 65 सार का सभम फीत जाने, इस भहत्वऩूणर भाभरे भें ववलबन्न प्रकाय के उताय- ढाव आने औय ववशेष रूऩ से हालरमा वषों भें यततयंस्जत घटनाएं घटने के फाद दो तथ्म सफके साभने मऩष्ट हो गए।
एक तो मह कक ज़ामोनी शासन औय उसके अऩयाधी सभथरक, ननदरमता, दरयंदगी औय भानवीम व नैनतक ननमभों तथा लसद्दांतों को कु रने औय उनकी अवहेरना कयने भें ककसी सीभा ऩय ठहय जाने के ऩऺ भें नहीं हैं। अऩयाध, नमरी सफामा, ववध्वंस, फच् ों, भहहराओं औय फेसहाया रोगों के जनंसहाय औय हय अत्मा ाय व अनतक्रभण को, जो वह कय सकते हैं, अऩने लरए वैध औय जामज़ सभनते हैं तथा इस ऩय गवर बी कयते हैं। हालरमा 50 हदवसीम ग़ज़्ज़ा मुद्द के रृदम ववदायक दृष्म, इनतहास भें माद यखे जाने वारे इन अऩयाधों के नवीन उदाहयण हैं जो फीती अधर शताब्दी के दौयान फाय फाय दोहयाए जाते यहे हैं।
दूसया तथ्म मह है कक मह ननदरमता औय मह भानव त्रासदी, ज़ामोनी शासन के नेताओं औय उनके सभथरकों के मवाथों को ऩूयी न कय सकी। दुष्ट याजनेता, ज़ामोनी शासन के लरए शस्तत औय मथाइत्व की जो भूखरताऩूणर भनोकाभना अऩने हदर भें ऩार यहे हैं, उसके ववऩयीत मह सयकाय हदन प्रनतहदन कभज़ोयी औय ववनाश के कयीफ होती जा यही है। ज़ामोनी सयकाय की ओय से भैदान भें नोंक दी जाने वारी सायी शस्तत के भुकाफरे भें नाकाफंदी भें नघये हुए फेसहाया ग़ज़्ज़ा का 50 हदवसीम प्रनतयोध औय अंतत् इस शासन की ववपरता औय प्रनतयोधक भो े के साभने उसका नुक जाना, इस कभज़ोयी, असभथरता औय आधायहीनता का मऩष्ट च न्ह है।
इसका मह अथर है कक कफलरमतीनी याष्र को हभेशा से ज़्मादा आशावान हो जाना ाहहए, जेहादे इमराभी औय हभास के संघषरकतारओं को ाहहए कक अऩने संकल्ऩ औय हौसरे तथा संघषर औय रगन भें औय बी तेज़ी राएं, ऩस्श् भी तट का ऺेत्र अऩनी ऩुयानी गौयवऩूणर शैरी को औय बी शस्तत व भज़फूती के साथ जायी यखे, भुसरभान याष्र, अऩनी सयकायों से कफलरमतीन की सही अथों भें ऩूयी गंबीयता के साथ सहमता कयने की भांग कयें औय भुसरभान सयकायें ऩूयी ननष्ठा के साथ इस यामते भें कदभ यखें।
तीसया भहत्वऩूणर औय प्राथलभकता प्राप्त भुƧा वववेकऩूणर दृस्ष्ट का है स्जसे इमराभी जगत के ननष्ठावान कामरकतार, ववशुद्द भोहम्भदी इमराभ औय अभयीकी इमराभ के अंतय को सभनने के लरए प्रमोग कयें औय इन दोनों को गडभड न कयने के संफंध भें मवमं बी सतकर यहें औय दूसयों
3. को बी सावधान कयें। सफसे ऩहरे हभाये मवगीम इभाभ ख़ुभैनी ने इन दोनों के अंतय को मऩष्ट कयने ऩय ध्मान हदमा औय इसे इमराभी जगत की याजनैनतक फहस भें शालभर ककमा। ववशुद्द इमराभ, ऩववत्रता औय अध्मात्भ का इमराभ, सदा ारयता औय जन प्रबुत्व का इमराभ, भुसरभानों को नास्मतकों के ववरुद्द कठोय औय आऩस भें दमावान यहने का ऩाठ देने वारा इमराभ है। अभयीकी इमराभ, दूसयों की ग़ुराभी को इमराभी लरफादा ऩहना देने वारा औय भुस्मरभ सभुदाम से शत्रुता फयतने वारा इमराभ है। जो इमराभ भुसरभानों के फी भतबेद की आग बड़काए, ईश्वय के वादों ऩय बयोसा कयने के फजाए शत्रुओं के वादों ऩय बयोसा कये, ज़ामोननज़्भ औय साम्राज्मवाद का भुकाफरा कयने के फजाए भुसरभान बाइमों से संघषरयत हो, अऩने ही याष्र मा अन्म याष्रों के ववरुद्द अभयीका के साम्राज्मवादी भो े से हाथ लभरा रे, वह इमराभ नहीं, ऐसी ख़तयनाक औय घातक भुनाफेकत है स्जसका हय सच् े भुसरभान को भुकाफरा कयना ाहहए।
सूनफून औय गहये च ंतन के साथ लरमा जाने वारा जामज़ा, इमराभी जगत के इन तथ्मों औय भाभरों को सत्म के हय खोजी के लरए मऩष्ट कय देता है औय ककसी बी संदेह औय असभंजस की गुंजाइश न यखते हुए कतरव्मों औय स्ज़म्भेदारयमों का ननधारयण कय देता है।
हज, उसके संमकाय तथा उसकी उऩासनाएं, मह सूनफून प्राप्त कयने का मवणणरभ अवसय हैं। आशा है कक आऩ बाग्मशारी हाजी इस ईश्वयीम उऩकाय से बयऩूय ढंग से राबास्न्वत होंगे।
आऩ सफको ईश्वय के हवारे कयता हूं औय अल्राह की सेवा भें आऩके प्रमासों के कुफूर कय लरए जाने की दुआ कयता हूं।
वमसराभो अरैकुर व यहभतुल्राही व फयकातोहू
सैमद अरी ख़ाभेनई
5 स्ज़रहहज्जा 1435 हहजयी कभयी, 8 भेहय 1393 हहजयी शम्सी (30 लसतम्फय 2014 ईसवी)