Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
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15. हरिहि काका क
े मामले में गााँव वाल ों की क्या िाय थी औि उसक
े क्या कािण थे?
कहानी क
े आधार पर गााँव क
े लोगोों को यह पता चल जाता है कक हररहर काका को उनक
े भाई नहीों पूछते।
इसकलए सुख और आराम का लालच देकर महोंत उन्हें अपने साथ ले गया। भाई मन्नत करक
े काका को वापस ले
आते हैं। इस तरह गााँव क
े लोग दो पक्ोों में बाँट गए क
ु छ लोग महोंत की तरफ़ थे जो चाहते थे कक काका अपनी
ज़मीन धमम क
े नाम पर ठाक
ु रबारी को दे दें ताकक उन्हें सुख आराम कमले, मृत्यु क
े बाद मोक्,यश कमले। महोंत
ज्ञानी है वह सब क
ु छ जानता है, लेककन दू सरे पक् क
े लोग कहते हैं कक ज़मीन पररवार वालोों को दी जाए। उनका
कहना था इससे उनक
े पररवार का पेट भरेगा तथा व सुख से कजयेंगे। मोंकदर क
े नाम ज़मीन कर देना पररवार
वालोों पर एक अन्याय होगा। इस तरह दोनोों पक् अपने-अपने कहसाब से सोच रहे थे, परन्तु हररहर काका क
े बारे
में कोई नहीों सोच रहा था। इन बातोों का एक कारण यह भी था कक काका कवधुर थे और उनकी एक भी सोंतान
नहीों थी। पोंद्रह बीघे ज़मीन क
े कलए महोंत और उसक
े साकथयोों का लालची होना स्वाभाकवक था।
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36. पीटी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौज क
े तमग ों-सी क्य ों लगती थी? स्पष्ट कीजजए।
उत्ति – मास्टर प्रीतम चोंद जो स्क
ू ल क
े ‘पीटी’ थे, वे लड़कोों की पोंक्तियोों क
े पीछे खड़े-खड़े यह देखते रहते
थे कक कौन सा लड़का पोंक्ति में ठीक से नहीों खड़ा है। सभी लड़क
े उस ‘पीटी’ से बहुत डरते थे क्ोोंकक उन
कजतना सख्त अध्यापक न कभी ककसी ने देखा था और न सुना था। यकद कोई लड़का अपना कसर भी इधर-
उधर कहला लेता या पााँव से दू सरे पााँव की कपोंडली खुजलाने लगता, तो वह उसकी ओर बाघ की तरह झपट
पड़ते और ‘खाल खीोंचने’ (कड़ा दोंड देना, बहुत अकधक मारना-पीटना) क
े मुहावरे को सामने करक
े कदखा
देते। यही कारण था कक जब स्क
ू ल में स्काउकटोंग का अभ्यास करते हुए कोई भी कवद्याथी कोई गलती न
करता, तो पीटी साहब अपनी चमकीली आाँखें हलक
े से झपकाते और सभी को शाबाश कहते। उनकी
एक शाबाश लेखक और उसक
े साकथयोों को ऐसे लगने लगती जैसे उन्होोंने ककसी फ़ौज क
े सभी पदक या
मैडल जीत कलए होों।
37. स्काउट पिेड किते समय लेखक अपने क महत्वपूणण ‘आदमी’ फ़ौजी जवान क्य ों समझने लगता है?
उत्ति – जब लेखक धोबी द्वारा धोई गई वदी और पाकलश ककए चमकते जूते और जुराबोों को पहनकर
स्काउकटोंग की परेड करते तो लगता कक वे भी फौजी ही हैं। मास्टर प्रीतमकसोंह जो लेखक क
े स्क
ू ल क
े पीटी
थे, वे लेखक और उसक
े साकथयोों को परेड करवाते और मुाँह में सीटी ले कर लेफ्ट-राइट की आवाज़
कनकालते हुए माचम करवाया करते थे।
कफर जब वे राइट टनम या लेफ्ट टानम या अबाऊट टनम कहते तो सभी कवद्याथी अपने छोटे-छोटे जूतोों की
एकड़योों पर दाएाँ -बाएाँ या एकदम पीछे मुड़कर जूतोों की ठक-ठक करते और ऐसे घमोंड क
े साथ चलते जैसे वे
सभी कवद्याथी न हो कर, बहुत महत्वपूणम ‘आदमी’ होों, जैसे ककसी देश का फौज़ी जवान होता है, अथामत
लेखक कहना चाहता है कक सभी कवद्याथी अपने-आप को फौजी समझते थे।
38. हेडमास्टि शमाण जी ने पीटी साहब क क्य ों मुअतल कि जदया?
उत्ति – मास्टर प्रीतमचोंद लेखक की चौथी कक्ा को फ़ारसी पढ़ाने लगे थे। अभी मास्टर प्रीतमचोंद को
लेखक की कक्ा को पढ़ते हुए एक सप्ताह भी नहीों हुआ होगा कक प्रीतमचोंद ने उन्हें एक शब्दरूप याद
करने को कहा और आज्ञा दी कक कल इसी घोंटी में क
े वल जुबान क
े द्वारा ही सुनेंगे। दू सरे कदन मास्टर
प्रीतमचोंद ने बारी-बारी सबको सुनाने क
े कलए कहा तो एक भी लड़का न सुना पाया।
मास्टर जी ने गुस्से में कचल्लाकर सभी कवद्याकथमयोों को कान पकड़कर पीठ ऊ
ाँ ची रखने को कहा। जब
लेखक की कक्ा को सज़ा दी जा रही थी तो उसक
े क
ु छ समय पहले शमाम जी स्क
ू ल में नहीों थे। आते ही
जो क
ु छ उन्होोंने देखा वह सहन नहीों कर पाए। शायद यह पहला अवसर था कक उन्होोंने पीटी प्रीतमचोंद
की उस असभ्यता एवों जोंगलीपन को सहन नहीों ककया और वह भड़क गए थे। यही कारण था कक
हेडमास्टर शमाम जी ने पीटी साहब को मुअतल कर कदया।
116. बादलोों क
े छा जाने से क्ा होता है ?
(a) क
ु छ कदखाई नहीों देता
(b) सब सुन्दर लगता है
(c) मौसम अच्छा होता है
(d) पवमत अदृश्य हो जाता है
117. ऊ
ाँ चे वृक् आसमााँ की ओर क
ै से देखते हैं ?
(a) शाोंकत से
(b) चुप चाप
(c) हाँसते हुए
(d) एकटक
118. ऊ
ाँ चे वृक् आसमााँ की ओर क
ै से देखते हैं ?
(a) शाोंकत से
(b) चुप चाप
(c) हाँसते हुए
(d) एकटक
119. इस ककवता में ककव ने कौन से पररवतमनोों की बात की है?
(a) खनन से होने वाले
(b) प्राक
ृ कतक पररवतमनोों की
(c) वर्ाम ऋतू की
(d) वर्ाम ऋतु में होने वाले पररवतमनोों की
120. इस ककवता में ककव ने ककसका सजीव कचत्रण ककया है?
(a) प्रक
ृ कत का
(b) बादलो का
(c) झरनोों का
(d) पावस ऋतु का
156. Kavita-7
इस ककवता क
े ककव ‘ककवगुरु रवीन्द्रनाथ ठाक
ु र ‘ हैं। इस ककवता का बोंगला से कहोंदी रूपाोंतरण
आचायम हरी प्रसाद कद्ववेदी जी ने ककया है। इस ककवता में ककवगुरु ईश्वर से अपने दुुःख ददम कम न
करने को कह रहे है। वे उनसे दुुःख ददों को झेलने की शक्ति माोंग रहे हैं। ककवगुरु ईश्वर से प्राथमना
कर रहे हैं कक ककसी भी पररक्तथथकत में मेरे मन में आपक
े प्रकत सोंदेह न हो। ककव रवीन्द्रनाथ ठाक
ु र
ईश्वर से प्राथमना कर रहे हैं कक हे प्रभु ! दुुःख और कष्ोों से मुझे बचा कर रखो में तुमसे ऐसी कोई भी
प्राथमना नहीों कर रहा हाँ। बक्ति मैं तो कसफ
म तुमसे ये चाहता हाँ कक तुम मुझे उन दुुःख तकलीफोों को
झेलने की शक्ति दो। उन कष्ोों क
े समय में मैं कभी ना डरू
ाँ और उनका सामना करू
ाँ । मुझमें इतना
आत्मकवश्वास भर दो कक मैं हर कष् पर जीत हाकसल कर सक
ूाँ । मेरे कष्ोों क
े भार को भले ही कम ना
करो और न ही मुझे तसल्ली दो। आपसे क
े वल इतनी प्राथमना है की मेरे अोंदर कनभमयता भरपूर डाल
दें ताकक मैं सारी परेशाकनयोों का डट कर सामना कर सक
ूाँ । सुख क
े कदनोों में भी मैं आपको एक क्ण
क
े कलए भी ना भूलूाँ अथामत हर क्ण आपको याद करता रहों। दुुःख से भरी रात में भी अगर कोई मेरी
मदद न करे तो भी मेरे प्रभु मेरे मन में आपक
े प्रकत कोई सोंदेह न हो इतनी मुझे शक्ति देना।