1. एक अददुत विकमतव-डॉ वैदव लुंकड|
सन १९६८ मे ५ जुलै को जनमा यह बालक,आगे चलके इतना कुछ िविवध गुनोसे संपन होगा ऐसे खुद उनके मा बाबुजीको
दी कदी लगा नही था |तीन दाईमे यह बीचवाला था, न घरका न घाटका,अलग कुछ हटके| माबाप को यह जयादा ही शांत
लडका पढाई मे बहत आगे जायेगा इसका अंदाज आया और उनहोने उसे पाचगणीिसथत बाथा बोिडग सकूल मे डाल िदया|
वहा पढाई मे बहत अचछा था |कुछ अंतमुरखी सवदाव का, संवेदनशील विकमतव होनेसे उसे िमत कम थे और खेलकुदमे दी
जयादा रस नही लेता था|
वादसंवाद,गायन,संगीत,नाट,बुिदबळ मे उसे बहत रची थी| िशकक उसे बहत पसंद करते थे|दसवी तक अपनी कका मे
हमेशा पहला आता था| गयारहवी बारहवी स.प.महािवदालयमे पढा| मेरीटमे आनेके बाद उसने बै.जी.वैदकीय
महािवदालय मे एम बी बी एस िकया और तवचा बाल गुपरोगके तज दी बने|