ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश
Nau Durga are the nine manifestations of Goddess Durga that hold the paramount position in Hindu Mythology. It is believed that paying homage to these forms of Goddess makes the devotee free from all the sins and wrongdoings. There are nine major abodes of Goddess Shakti.
http://spiritualworld.co.in हमीद कारूँ जी नसीहत देनी:
श्री गुरु नानक देव जी रोम देश के सुलतान हमीद कारूँ को मिले| उसने बड़ी कंजूसी से ४० गंज दौलत इकट्ठी की हुई थी| कारूँ ने कबरों से मुर्दे निकाले व उनके मुंह से भी पैसे निकाल लिए| कारूँ के राज में कोई घर में अपने पास पैसा नहीं रख सकता था|
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अंतःकरण का एक भाग-चित्त, योगवासिष्ठ में चित्त, चित्त की भूमियाँ, चित्त के प्रकार, चित्त्वृतियाँ, चित एवं योगाभ्यास, ओशो का एक उत्तम उदाहरण, भक्ति से चित्तवृति निरोध, चित शुद्धि में गुरु की भूमिका, चित प्रसादन,
रचनायें चिनगारी (समाज और प्रक्रति की तस्वीर) - Part 1princeonly
भारतीय समाज के एक बहुत बड़े वर्ग दलित, कमजोर, मजदूर तथा महिला वर्ग को “डॉक्टर अंबेडकर प्रतिष्ठान” के द्वारा “सामाजिक न्याय संदेश” नाम की मासिक पत्रिका के माध्यम से सजग, सशक्त एवं श्रेष्ठ बनाने का महत्वपूर्ण कार्य नियमित रूप से किया जा रहा है जिसके लिए प्रतिष्ठान में सहयोग करने वाले सभी लोग धन्यवाद के पात्र हैं ।
लेखक इस पत्रिका का नियमित अध्ययन करते हैं । लेखक ने अपने विचारों को एक शक्ल देने की कोशिश की है और उनको कविताओं के माध्यम से यहाँ प्रस्तुत किया है । ये लेखक की अपनी मौलिक रचनायें हैं
लेखक किसी भी वर्ग, जाति, के लोगों को दुख नहीं पहुँचना चाहता है | इतनी सावधानी रखने पर भी अगर किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचती है तो लेखक क्षमा प्रार्थी है |
धन्यवाद
हरी सिंह किन्थ,
(सेवानिवृत) अधिशासी अभियन्ता
Nau Durga are the nine manifestations of Goddess Durga that hold the paramount position in Hindu Mythology. It is believed that paying homage to these forms of Goddess makes the devotee free from all the sins and wrongdoings. There are nine major abodes of Goddess Shakti.
http://spiritualworld.co.in हमीद कारूँ जी नसीहत देनी:
श्री गुरु नानक देव जी रोम देश के सुलतान हमीद कारूँ को मिले| उसने बड़ी कंजूसी से ४० गंज दौलत इकट्ठी की हुई थी| कारूँ ने कबरों से मुर्दे निकाले व उनके मुंह से भी पैसे निकाल लिए| कारूँ के राज में कोई घर में अपने पास पैसा नहीं रख सकता था|
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भारतीय समाज के एक बहुत बड़े वर्ग दलित, कमजोर, मजदूर तथा महिला वर्ग को “डॉक्टर अंबेडकर प्रतिष्ठान” के द्वारा “सामाजिक न्याय संदेश” नाम की मासिक पत्रिका के माध्यम से सजग, सशक्त एवं श्रेष्ठ बनाने का महत्वपूर्ण कार्य नियमित रूप से किया जा रहा है जिसके लिए प्रतिष्ठान में सहयोग करने वाले सभी लोग धन्यवाद के पात्र हैं ।
लेखक इस पत्रिका का नियमित अध्ययन करते हैं । लेखक ने अपने विचारों को एक शक्ल देने की कोशिश की है और उनको कविताओं के माध्यम से यहाँ प्रस्तुत किया है । ये लेखक की अपनी मौलिक रचनायें हैं
लेखक किसी भी वर्ग, जाति, के लोगों को दुख नहीं पहुँचना चाहता है | इतनी सावधानी रखने पर भी अगर किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचती है तो लेखक क्षमा प्रार्थी है |
धन्यवाद
हरी सिंह किन्थ,
(सेवानिवृत) अधिशासी अभियन्ता
Dear Friends, It is a rare opportunity to attend Shri Guru Purnima celebration, attend course of Vedic Knowledge, receive a new Vedic Divine Technique from Brahmachari Girish Ji, enjoy daily Rudrabhishek and relax with total bliss. Please find time to attend. Thanks. Jai Guru Dev. Jai Maharishi
Maharishi Vidya Mandir Hissar.
महर्षि संस्थान के सभी विद्यालयों में आज 21 जून 2021 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।
कोरोना महामारी के चलते बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए महर्षि विद्या मंदिर स्कूल गंगवा हिसार में प्रधानाचार्या श्रीमति शिप्रा शर्मा ने सभी स्टाफ मेंबर और बच्चों को योग दिवस के महत्त्व के बारे में बताया और ऑनलाइन योग दिवस में भाग लेकर सभी बच्चों और उनके अभिभावकों को भी योग से जुड़ने के लिए और अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए प्रेरित किया। इस दिन ऑनलाइन रूप से योगासन, ध्यान और प्राणायाम बच्चों को करवाया गया स्कूल के नर्सरी से बारहवीं कक्षा के सभी बच्चों ने योग दिवस के प्रति अपनी रुचि दिखाते हुए उसमें भाग लिया और सभी बच्चों के माता पिता ने भी उनका और स्कूल का भरपूर साथ दिया। अंत में प्रधानाचार्या महोदया ने सभी को योग दिवस शुभकामना दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
E-Gyan Newsletter - Monthly Digital Newsletter of Maharishi Organisations - India.
Maharishi Vidya Mandir
Maharishi Centre for Educational Excellence
Maharishi School of Excellence
Maharishi Centre for Excellence
Maharishi Mahesh Yogi Vedic Vishwavidyalaya
Maharishi University of Management and Technology
The learning from Time should be taken on time, it is the guidance of veteran and learned men. It is literally true. The time of Corona has come, there has been an outcry in the whole world. The death toll has crossed two lakh, no one is sensing anything, the market of rumors is hot. Till now we used to hear, "as many things as number of mouths" now are hearing "thousands of things from every mouth". Even in times of crisis, number of people does not have sense of wisdom. Frivolous politics is continuing, the blame is on the culmination, the useless people are accusing the sincere, the sincere and responsible leaders are troubled by their responsibilities and worries, there is no one to encourage and support them, they are kind of isolated, days and nights of planning and decision are falling short.
समय की सीख समय पर ले लेनी चाहिए, ऐसा वयोवृद्ध और ज्ञानी महापुरुषों का मार्गदर्शन है।
कहते हैं समय बहुत बलवान होता है, अपने-अपने समय के बड़े-बड़े सूरमाओं का आज नामोनिशान नहीं है।
अतः पहली बात यह कि अपने जीवन के कर्तव्यों को ऐसा निभाया जाये कि करने को कुछ शेष कभी भी न रह जाये। जब बुलावा आये, चल पड़े।
दूसरी आवश्यक बात यह है कि सदा सत्कर्म ही करें।
तीसरी बात समय से अपने जीवन का अंकेक्षण कराना सीख लें। जीवन में कौन हमारा सबसे निकट है, कौन दूर है, कौन शत्रु है और कौन हितशत्रु हैं यह हमें समय ही सिखाता है।
Brahmachari Girish Ji Message 14-04-2020 Drishya va adrishya shatru se rakshaMaharishi Sansthan
इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें-9893700746, 9425675485, 9425008470 ।
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, माँ कष्चित् दुःखभाग्भवेत् ।।
जय गुरु देव, जय महर्षि
विनीत
ब्रह्मचारी गिरीश
अध्यक्ष- महर्षि शिक्षा संस्थान समूह
१. साधना और आराधना में सबसे अधिक समय लगाएं, सकारात्मक और सार्थक समय व्यतीत करने का यही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
२. टीवी समचार प्रातः संध्या १०-१० मिनट देख लें बाकी समय टीवी बंद रखें। इतने से ही दिन भर के सब समाचार प्राप्त हो जाते हैं। शेष समय इन्ही समाचारों की दिन भर पुनरावत्ति होती हैं. दिन भर नकारात्मक समाचार देखने से मन, मष्तिष्क, ह्रदय, शरीर में तनाव बढ़ता हैं, चिंता बढ़ती है और यही तनाव मानसिक और शारीरिक रोगों का कारण बनता है। यह समय अपने आप को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वास्थ्य व शक्तिशाली रखने का है, दुर्बल करने का नहीं। आप सब भी देख रहे होंगे कि कुछ सन्देश व समाचार, भ्रम और भय फ़ैलाने, दुर्बलता व नकारात्मकता बढाने वाले दुष्प्रचार में संलग्न हैं, इनसे सावधान रहें।
३. कोरोना से बचाव सम्बन्धी केवल सरकारी सर्कुलर्स और नोटिफिकेशंस पर ध्यान दें, डॉक्टर्स की सलाह को मानें, "नीम हकीम खतरे जान" की कहावत को याद रखें।
४. लॉक डाउन तथा आपके शहर में व्यवस्था सम्बन्धी स्थानीय प्रशासन के आदेशों का कड़ाई से पालन करें। इन नियमों के पालन से ही कोरोना को फैलने से रोका जा सकेगा। जितनी शीघ्रता से कोरोना के प्रसार पर विजय पाएंगे उतनी शीघ्रता से लॉक डाउन से मुक्ति पाएंगे।
५. अपना ध्यान व समय केवल सकारात्मक विषयों व बातों में लगायें। विद्यार्थी इंडोर गेम्स खेलें। अपने माता पिता, दादा दादी, नाना नानी या अन्य बड़ों को मोबाइल फ़ोन के फीचर्स सिखाएं, इनमें एस एम एस सन्देश भेजना, वाट्सअप चलना, ऑडियो या वीडिओ कॉल्स करना, इंटरनेट सर्फिंग करना हो सकता है. युवा या बड़ी आयु के व्यक्ति अच्छी पुस्तकें या इंटरनेट से अच्छी सामग्री पढ़कर अपना ज्ञान वर्धन कर सकते हैं।
६. अपने परिचित या अपने क्षेत्र के समाजसेवी, पुलिसकर्मी, पैरा मिलिट्री फ़ोर्स, डॉक्टर्स, नर्सेज, स्वच्छ्ताकर्मी, घर घर जाकर सामान वितरित करने वाले कार्यकर्ताओं, सेनिटाईजेशन करने वालों जैसे सेवारत व्यक्तियों को फ़ोन करके उनका धन्यवाद करें। ध्यान रखें कि उनके ही जोखिम भरे अथक परिश्रम से हम सब सुरक्षित हैं।
७. आपके क्षेत्र में यदि किन्हीं व्यक्तियों को भोजन की आवश्यकता हो तो सरकारी अथवा स्वयंसेवी संस्थानों के माध्यम से उनकी सहायता करें। यदि संभव हो तो आप स्वयं उनकी मदद करें. यह अत्यंत पुण्य का कार्य है।
८. ऐसे राष्ट्रिय और वैश्विक संकट के समय समाज को विभिन्न वर्गों, जाति, धर्म के आधार पर बांटकर अवयवस्था फ़ैलाने वालों, अनुचित लाभ लेने वालों, और घृणा का वातावरण फ़ैलाने वालों से सावधान रहें, और इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दें।
९. अपने घर में, परिवार में, अपने क्षेत्र में परस्पर प्रेम, सामंजस्य, सौहार्द्र और शांति का वातावरण बनाये रखें. किसी भी कारण से परेशान व्यक्तियों को सांत्वना दें और यथासंभव उनकी सहायता करें। स्वयं प्रसन्न रहें व अपने आसपास सबको प्रसन्न रखें।
१०. आपकी तरफ से उठाये गए ये छोटे छोटे सावधानी के कदम हमारे भारतवर्ष के माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार, हमारी प्रांतीय सरकारों व स्थानीय प्रशासन को सुदृढ़ता व् सम्बल प्रदान करेंगे, जिसकी उन्हें वर्तमान में बहुत अधिक आवश्यकता है।
Maharishi World Peace Assembly 3. Year 2020
In order to enjoy the ‘Bliss’ in the life, to create atmosphere of peace within and in the society, Maharishi World Peace Assemblies are being organised in January 2020 at green and serene campus of Maharishi Centre for Educational Excellence, Bhopal.
Three Maharishi World Peace Assemblies aim to create influence of peace in collective consciousness of India and the world.
Assembly (1) : December 31, 2019 -- January 12, 2020 (13 days )
Assembly (2) : January 08 -- January 12, 2020 (05 days)
Assembly (3) : January 10 -- January 12, 2020 (03 days )
(For Directors, Principals, Faculty Members and Teachers of Maharishi Institutions, TM Teachers, Practitioners of TM and TM-Siddhi Programme and other Members of Maharishi Organisation)
Kindly inform to mvmchairmanoffice1@gmail.com about the course, which is being selected by you before 25th December 2019.
E-Gyan July 2019 Guru Purnima Celebration Coverage Special Edition.Maharishi Sansthan
E-Gyan Monthly Newsletter of Maharishi Organisation's India. This edition covering Guru purnima celebrations organised in Maharishi Vidya Mandir Schools and other different Maharishi Organisation in India.
ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश
ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश
ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश
ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश
1. प्रशंसा और न ंदा
महर्षि कहते थे र्क जब तक मानव के हृदय में अनुर्ित तृष्णा ने अपना स्थान बना रखा
है तब तक उसे ज्ञान-र्वज्ञान के प्रकाश का
मूल्य नह ीं होगा और वह अन्धकारमय ज वन
ह ज ता रहेगा। सभ लोग आँखोीं पर अविेतन
क पट्ट बाींधे शाींर्त िाहते हैं। यह तृष्णा ठ क
वैस ह है जैस एक कस्तुर मृग भ अपन
नार्भ से आ रह सुगींध को वन में खोजना
िाहता है। वह इस सत्य से अनर्भज्ञ है र्क वह
सुगींध तो उसक नार्भ से आ रह तो वह वन में
भटक-भटक कर अपन अविेतना को ह
प्रस्तुत करता है। ठ क उस प्रकार मानव के भ तर ह समस्त सुख र्वद्यमान हैं। वह इस
भौर्तक जगत क्षर्िक सुखोीं क अनुभूर्त अवश्य करा सकता है परींतु अक्षय आनींद क
प्राप्ति नह ीं। यह क्षिभींगुर सुख मानव के सुखोीं क अनवरत इच्छाओीं को जागृत कर
जाता है और मन इच्छाओीं के इस जाल में फसता िला जाता है। मनुष्य का हृदय बाहर
सुख, दुख, यश, अपयश और र्नींदा और प्रशींसा क धूप-छाींव से प्रभार्वत होता है और
कभ भ परमआनींद क अनुभूर्त नह ीं कर पाता। इसके ठ क र्वपर त ‘‘भावात त ध्यान”
का साधक र्नींदा व प्रशींसा के भाव से अछु ता रहकर परमआनींद का शरि में िला जाता
है। एक पवित पर एक सींत रहते थे। एक र्दन एक भक्त आया और बोला-महात्मा ज ,
मुझे त थियात्रा के र्लए जाना है। मेर यह स्विि मुद्रओीं क थैल अपने पास रख ल र्जए।
सींत ने कहा-भाई, हमें इस धन-दौलत से क्या मतलब! भक्त बोला-महाराज, आपके
र्सवाय मुझे और कोई सुरर्क्षत एवीं र्वश्वसन य नह ीं र्दखता। कृ पया इसे यह ीं कह ीं रख
ल र्जए। यह सुनकर सींत बोले-ठ क है, यह ीं इसे गडा खोदकर रख दो। भक्त ने वैसा ह
र्कया और त थियात्रा के र्लए र्नकल पड़ा। लौटकर आया तो महात्मा ज से अपन थैल
माींग । महात्मा ज ने कहा-जहाीं तुमने रख थ , वह ीं से खोदकर र्नकाल लो। भक्त ने
थैल र्नकाल ल । प्रसन्न होकर भक्त ने सींत का बहुत गुिगान र्कया लेर्कन सींत पर
प्रशींसा का कोई प्रभाव नह ीं पड़ा। भक्त घर पहुींिा। उसने पत्न को थैल द और नहाने
िला गया। पत्न ने पर्त के लौटने क खुश में लड्डू बनाने का र्नििय र्कया। उसने थैल
में से एक स्वििमुद्रा र्नकाल और लड्डू के र्लए आवश्यक सामग्र बाजार से मींगवा ल ।
भक्त जब स्नान करके लौटा तो उसने स्विि मुद्राएीं र्गन ीं। एक स्विि मुद्रा कम पाकर वह
सन्न रह गया। उसे लगा र्क अवश्य ह सींत ने एक मुद्रा र्नकाल ल है। वह तेज से
आश्रम क ओर भागा। वहाीं पहुींिकर उसने सींत को भला-बुरा कहना प्रारींभ कर र्कया-
Brahmachari Girish Ji
2. अरे ओ पाखींड ! मैं तो तुम्हें पहुींिा हुआ सींत समझता था पर स्विि मुद्रा देखकर तेर भ
न यत खराब हो गई। सींत ने कोई उत्तर नह ीं र्दया। तभ उसक पत्न वहाीं पहुींि । उसने
बताया र्क मुद्रा उसने र्नकाल ल थ । यह सुनकर भक्त लप्तित होकर सींत के िरिोीं
पर र्गर गया। उसने रोते हुए कहा-मुझे क्षमा कर दें। मैंने आपको क्या-क्या कह र्दया।
सींत ने दोनोीं मुर्ियोीं में धूल लेकर कहा-ये है प्रशींसा और ये है र्नींदा। दोनोीं मेरे र्लए धूल
के बराबर हैं। यर्द हृदय को सच्चे आनींद क अनुभूर्त कराना है तो र्नींदा व प्रशींसा के
प्रर्त समभाव उत्पन्न करना होगा और र्नींदा व प्रशींसा क क्षिभींगुरता का ज्ञान प्राि
करना होगा और उस मागि पर िलना होगा जहाीं हम इन कारकोीं का त्याग कर स्वयीं
अपने शर र के भ तर अपन आत्मा से सुख प्राि करें, स्वयीं से साक्षात्कार करें और
अपने मप्तस्तष्क, मन व शर र को लयबद्ध करें। जब हमारा मन, मप्तस्तष्क व शर र
लयबद्ध होगा तो हमारे कमि फल भूत होींगे। हमार ऊजाि का अपव्यय नह ीं होगा, र्विारोीं
में क्रमबद्धता आयेग र्जससे लक्ष्य क प्राप्ति सरल हो जायेग और मन, मप्तस्तष्क और
शर र को एक लय में लाने के र्लये हमें भावात त ध्यान के मागि को अपनाना होगा
क्योींर्क भावात त ध्यान योग शैल से मन, मप्तस्तष्क व शर र में एकरूपता आत है। जब
हम भावत त ध्यान के प्रयोग से इन कारकोीं के प्रभाव से मुक्त होकर भ तर उतरते िले
जाते हैं तब मन आनींद से भरता जाता है। हमें परमआनींद क प्राप्ति हेतु र्कस व्यप्तक्त
या वस्तु क ओर नह ीं देखना होगा और हम भावात त ध्यान के माध्यम से स्वयीं में ह
आनींद को पा जायेंगे।
ब्रह्मचारी निरीश
कु लार्धपर्त, महर्षि महेश योग वैर्दक र्वश्वर्वद्यालय
एवीं महार्नदेशक, महर्षि र्वश्व शाींर्त क वैर्श्वक राजधान
भारत का ब्रह्मस्थान, करौींद , र्जला कटन (पूवि में जबलपुर), मध्य प्रदेश