मैं मानता हूँ कि मेरी कलम किसी को न्याय नहीं दे सकती है. मगर अपनी कलम से पूरी ईमानदारी के साथ यदि किसी के ऊपर अन्याय हो रहा है. तब उसको लेखन द्वारा उच्च अधिकारीयों तक पहुंचा दूँ. इस अख़बार के प्रथम पेज पर छपी खबर(मोबाईल चोरी के शक में युवक की तार से गला घोंटकर हत्या ) के बारें में मुझे जब अपने विश्वनीय सूत्रों से मालूम हुआ कि उपरोक्त केस पुलिस पैसे लेकर रफा-दफा करने के चक्कर में है. तभी मैंने थाने में जाकर उपरोक्त घटना का पूरा विवरण लिया उसके बाद पीड़ित पक्ष से मिला और अपने अख़बार में छपने से पहले हर रोज के अख़बारों के पत्रकारों के माध्यम से राष्ट्रिय अख़बारों में उपरोक्त घटना को प्रिंट करवाया. जिससे पुलिस के ऊपर दबाब बना और उसको आरोपितों की गिरफ्तारी दिखानी पड़ी. मेरी पत्रकारिता में काफी ऐसे अवसर आये है कि मेरे सूत्रों और आम आदमी ने किसी घटना की सूचना पुलिस को देने से पहले मुझे दी और अनेक बार मैंने पुलिस को फोन करके घटनास्थल पर बुलाया था. मैंने अपनी पत्रकारिता को लेकर सूत्रों और आम आदमी में यह विश्वास कायम किया था कि आपका नाम का जिक्र कभी नहीं आएगा. बेशक कोई कुत्ते की मौत मारे या धोखे से कभी मुझे मरवा दें. आप बिना झिझक के मुझे घटना और उसकी सच्चाई से अवगत करवाएं. मेरे बारें में यह मशहूर था कि एक बार कोई ख़बर सिरफिरे को पता चल जाये फिर खबर को खरीद या दबा नहीं सकता है, क्योंकि मुझे पत्रकारिता के शुरू से धन-दौलत से इतना मोह नहीं रहा है. हाँ, अपनी मेहनत और पसीने की कमाई का एक रुपया किसी के पास नहीं छोड़ता था. यदि शुरू में किसी ताकतवर व्यक्ति ने या किसी ने अपनी दबंगता के चलते रख भी लिए तो मैंने उसका कभी कोई अहित नहीं किया. मगर मेरे पैसे उसके पाप के घड़े की आखिरी बूंद साबित हुए. भगवान ने उनको ऐसी सजा दी कि काफी लोग तो दस-पन्दह साल तक भी उबर नहीं पायें. इसल
युद्धरत आम आदमी पत्रिका की शुरुआत 1986 में हिन्दी की चर्चित लेखिका, कवयित्री एवं जुझारू महिला नेत्री रमणिका गुप्ता ने त्रैमासिक पत्रिका के रूप में हजारीबाग से की थी। इसका निबंधन 1988 में हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की सृजनशीलता को प्लेटफार्म प्रदान करना था। बाद में इसका प्रकाशन दिल्ली से होने लगा और वर्ष 2013 के अक्टूबर माह से इसे मासिक पत्रिका में परिणत कर दिया गया। रमणिका जी अब 85 वर्ष की हो चुकी हैं लेकिन अपने मिशन के प्रति आज भी उतनी ही सक्रियता के साथ समर्पित हैं जितना झारखंड की आंदोलनकारी महिला नेत्री के रूप में अथवा बिहार विधान सभा व बिहार विधान परिषद में विधायक के रूप में सन 70 व 80 व 90 के दशक में सक्रिय थीं।
मैं मानता हूँ कि मेरी कलम किसी को न्याय नहीं दे सकती है. मगर अपनी कलम से पूरी ईमानदारी के साथ यदि किसी के ऊपर अन्याय हो रहा है. तब उसको लेखन द्वारा उच्च अधिकारीयों तक पहुंचा दूँ. इस अख़बार के प्रथम पेज पर छपी खबर(मोबाईल चोरी के शक में युवक की तार से गला घोंटकर हत्या ) के बारें में मुझे जब अपने विश्वनीय सूत्रों से मालूम हुआ कि उपरोक्त केस पुलिस पैसे लेकर रफा-दफा करने के चक्कर में है. तभी मैंने थाने में जाकर उपरोक्त घटना का पूरा विवरण लिया उसके बाद पीड़ित पक्ष से मिला और अपने अख़बार में छपने से पहले हर रोज के अख़बारों के पत्रकारों के माध्यम से राष्ट्रिय अख़बारों में उपरोक्त घटना को प्रिंट करवाया. जिससे पुलिस के ऊपर दबाब बना और उसको आरोपितों की गिरफ्तारी दिखानी पड़ी. मेरी पत्रकारिता में काफी ऐसे अवसर आये है कि मेरे सूत्रों और आम आदमी ने किसी घटना की सूचना पुलिस को देने से पहले मुझे दी और अनेक बार मैंने पुलिस को फोन करके घटनास्थल पर बुलाया था. मैंने अपनी पत्रकारिता को लेकर सूत्रों और आम आदमी में यह विश्वास कायम किया था कि आपका नाम का जिक्र कभी नहीं आएगा. बेशक कोई कुत्ते की मौत मारे या धोखे से कभी मुझे मरवा दें. आप बिना झिझक के मुझे घटना और उसकी सच्चाई से अवगत करवाएं. मेरे बारें में यह मशहूर था कि एक बार कोई ख़बर सिरफिरे को पता चल जाये फिर खबर को खरीद या दबा नहीं सकता है, क्योंकि मुझे पत्रकारिता के शुरू से धन-दौलत से इतना मोह नहीं रहा है. हाँ, अपनी मेहनत और पसीने की कमाई का एक रुपया किसी के पास नहीं छोड़ता था. यदि शुरू में किसी ताकतवर व्यक्ति ने या किसी ने अपनी दबंगता के चलते रख भी लिए तो मैंने उसका कभी कोई अहित नहीं किया. मगर मेरे पैसे उसके पाप के घड़े की आखिरी बूंद साबित हुए. भगवान ने उनको ऐसी सजा दी कि काफी लोग तो दस-पन्दह साल तक भी उबर नहीं पायें. इसल
युद्धरत आम आदमी पत्रिका की शुरुआत 1986 में हिन्दी की चर्चित लेखिका, कवयित्री एवं जुझारू महिला नेत्री रमणिका गुप्ता ने त्रैमासिक पत्रिका के रूप में हजारीबाग से की थी। इसका निबंधन 1988 में हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की सृजनशीलता को प्लेटफार्म प्रदान करना था। बाद में इसका प्रकाशन दिल्ली से होने लगा और वर्ष 2013 के अक्टूबर माह से इसे मासिक पत्रिका में परिणत कर दिया गया। रमणिका जी अब 85 वर्ष की हो चुकी हैं लेकिन अपने मिशन के प्रति आज भी उतनी ही सक्रियता के साथ समर्पित हैं जितना झारखंड की आंदोलनकारी महिला नेत्री के रूप में अथवा बिहार विधान सभा व बिहार विधान परिषद में विधायक के रूप में सन 70 व 80 व 90 के दशक में सक्रिय थीं।
Jadual Harian Seorg Muslim di Bulan Ramadhan (Lagu LatarBelakang: Raihan - Iktibar Ramadhan).
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Catalogue de volets persiennés TAMILUZ à lames orientables en aluminiumTamiluz
Volet persienné avec des lames en aluminium fixées mécaniquement, ou encastrées dans un profil en aluminium extrudé.
Dans ce système de volets TAMILUZ la distance entre lames peut être personnalisée en fonction du projet.
Ce produit fabriqué sur mesure est l’option idéale pour la rénovation de vos anciens volets.
Investigations were carried out to see the effect of pesticide 'companion' on the proximal composition and enzyme namely amylase, GOT and GPT of whole green gram in the early stages of germination. The findings revealed that the pesticides increase the enzyme activity in the early stages of germination and thus increase the metabolic rate. The Vitamin-C content was also enhanced with the use of pesticide, but there was a decrease in the proximal composition of the gram when treated with pesticide.
Afghanistan as a landlocked country occupies crucial geo-strategic
location connecting East & west Asia. This work is also the sincere effort to highlight the
factors which can bring sustainable development and peace in Afghanistan & also those
negative factors which are encouraging extremism of Taliban, terrorism and undue interference
by some countries. Generally it has been seen that the regional powers are also vary in action.
I also highlight the role of regional and trans- regional actors which are creating obstacles
in the construction of peaceful Afghanistan. I have also try to highlights the suggestions and
recommendation for the establishment of sustainable development & peace in afghanistan
through the collective support of major powers.
Key words : Afghanistan, Taliban, Great Game, Durand line,Russia ,Caspian sea,WTC
The research paper focuses on the Indian immigrant's experiences of immigration, nostalgia, language,
tradition, and acculturation in the host land with reference to Uma Parameswaran's literary fiction, "What Was
Always Hers". As a diasporic writer, she has seen and experienced immigrant life in the host country, Canada
and in her diasporic works; she has highlighted Indian immigrants' cultural displacement in the adopted country,
Canada. In the present book, she has explored the immigrant life of Indians especially immigrated women in their
adopted country. Her characters are always live in confusion to accept the culture of the native country or host
country and express their socio-cultural ties towards their homeland.