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स्वतंत्र भारत में राजनीतत
अध्याय – 9 भारतीय राजनीतत में नए बदलाव
by
Dr Sushma Singh
(Core Academic Unit DOE GNCT of Delhi)
पाठ के अंत में हम जान पाएंगे:
1. भूममका
1989 के आम चुनावों में ककसी भी दल को बहुमत प्राप्त ना होने की स्थितत में भारतीय राजनीतत में कें द्रीय
थतर पर गठबंधन के युग का आरंभ हुआ । इस बदलाव ने राष्ट्रीय राजनीतत में क्षेत्रीय दलों की भूममका
में अमभवृद्धध की ।
1990 के पश्चात भारतीय राजनीतत में सामास्जक , आधििक व राजनीततक थतर पर कई बड़े बदलाव देखे
गए स्जन्होंने भारतीय राजनीतत की दशा व ददशा को बदलने का काम ककया ।
1 भूममका
2 गठबंधन का युग
3 मण्डल मुद्दा
4 क्रियान्वयन का पररणाम
5 नई आर्थिक नीतत
6 अयोध्या वववाद
7 गोधरा कांड
8 शाहबानों प्रकरण
9 सहमतत के मुद्दे
शाहबानों प्रकरण
गठबंधन की
राजनीतत का
उदय
अयोध्या वववाद
नयी आर्थिक
नीतत
राष्ट्रीय
राजनीतत में
मण्डल मुद्दे आ
उदय
राष्ट्रीय
राजनीतत में
जनता दल व
भारतीय जनता
पार्टी की प्रभाव
शाली भूममका
कांग्रेस प्रणाली
की समाप्तत
1990 के बाद
प्रमुख बदलाव
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2. गठबंधन का युग
I. कांग्रेस की हार के साि भारत की द्लीय व्यवथिा में उसका प्रभुत्व समाप्त को गया और बहुदलीय
शासन प्रणाली का युग शुरू हुआ । अब कें द्र में गठबंधन सरकारों के तनमािण के क्षेत्रीय दलों का
महत्व बढ़ गया ।
II. 1989 के चुनावों के बाद गठबंधन का युग आरंभ हुआ । इन चुनावों के बाद जनता दल और कु छ
क्षेत्रीय दलों ने ममलाकर बने राष्ट्रीय मोचाि ने भाजपा और वां मोचे के समििन से गठबंधन सरकार
बनायी ।
III. 1998 से 2004 तक भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रत्रक गठबंधन की सरकार
रही । इस दौरान अर्टल त्रबहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री रहे । 2004 से 2009 व 2009 से 2014
तक कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगततशील गठबंधन की सरकार ने लगातार दो कायिकाल पूरे
ककए । इस दौरान डा मनमोहन मसंह प्रधानमंत्री रहे । 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय
जनता पार्टी ने इततहास रचते हुए 30 साल बाद पूणि बहुमत प्राप्त ककया परंतु चुनाव पूणि गठबंधन
की प्रततबद्धता का सम्मान करते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रत्रक गठबंधन की सरकार बनाई । वतिमान में
भारतीय जनता पार्टी का कांग्रेस मुक्त अमभयान 21 राज्यों में सफल रहा ।
3. मण्डल मुद्दा
1978 में जनता पार्टी सरकार ने दूसरे ‘पपछड़ा आयोग’ का गठन ककया । इसके अध्यक्ष त्रबन्देश्वरी प्रसाद
मण्डल िे इसमलए से मण्डल आयोग के नाम से जाना जाता हैं ।
गठबंधन सरकारों के उदय
के कारण
राष्ट्रीय राजनीततक दलों का
कमजोर होना
क्षेत्रीय राजनीततक दलों का
प्रादुभािव व सरकारों के
तनमािण में बढ़ती भूममका
जातत व संप्रदाय आधाररत
अवसरवादी राजनीतत का
उदय
मण्डल आयोग की मुख्य मसफ़ाररशें
अन्य वपछड़ा वगि OBC की सरकारी नौकररयों
में 27 प्रततशत आरक्षण ।
भूमम सुधारों को पूणिता से लागू करना ।
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1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वी पी मसंह की सरकार ने मण्डल आयोग की मसफ़ाररशों को लागू करने
की घोषणा की । इसके खखलाफ देश के पवमभन्न भागों में मण्डल पवरोधी दहंसक प्रदशिन हुए ।
4. क्रियान्वयन का पररणाम
आरक्षण के पवरोध में उत्तर भारत के शहरों में व्यापक दहंसक प्रदशिन हुए । इसमें छात्रों द्वारा हड़ताल ,
धारणा , प्रदशिन , सरकारी संपतत को नुकसान आदद शाममल िे । परंतु इस पवरोध का सबसे अहम पहलू
बेरोजगार युवाओं व छत्रों द्वारा आत्मदाह तिा आत्महत्या जैसी घर्टनाएँ िी । ददल्ली पवश्वपवद्यालय के
छत्र राजीव गोथवामी द्वारा सरकार के फै सले के खखलाफ सविप्रिम आत्मदाह का प्रयास ककया गया ।
पवरोधधयों का तकि िा की जाततगत आधार पर आरक्षण समानता के अधधकार के खखलाफ हैं । तमाम पवरोधों
के बावजूद 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी मसंह द्वारा ये मसफ़ाररशे लागू कर दी गयी ।
5. नई आर्थिक नीतत
1991 में श्री पी वी नरमसम्हाराव के नेतृत्व वाली सरकार , स्जसके पवत मंत्री ड़ा मनमोहन मसंह िे , ने देश
में नई आधििक नीतत लागू की स्जसे बाद में आने वाली सभी सरकारों ने जारी रखा । इस नीतत में
अििव्यवथिा के उदारीकरण और तनजीकरण पर बल ददया गया ।
6. अयोध्या वववाद
16 वीं सदी में मीर बाकी द्वारा अयोध्या में बनवाई मस्थजद के बारे में कहा गया की यह मस्थजद मंददर
को तोड़कर बनवाई गई हैं यह मामला अदालत में गया और 1940 के दशक में ताला लगा ददया गया ।
बाद में जब ताला खुला तो इस मुद्दे पर वोर्ट बैंक की राजनीतत हुई । 6 ददसंबर 1992 को मस्थजद का
ढ़ाचा तोड़ ददया गया । इसके कारण देश में साम्प्रदातयक दहंसा फै ली और 1993 में मुंबई में दंगे हुए ।
पववाद की जांच के मलए मलब्रहान आयोग का गठन ककया गया ।
7. गोधरा कांड
26 फ़रवरी 2002 को गुजरात के गोधरा थर्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में कार सेवकों की बोगी में आग
लग गयी यह संदेह करके कक बोगी में आग मुस्थलमों ने लगाई होगी अगले ददन गुजरात में बड़े पैमाने
पर मुस्थलमों के खखलाफ दहंसा हुई । यह एक महीने चला और 1100 व्यस्क्त मारे गए ।
8. शाहबानों प्रकरण
शाहबानों एक मुस्थलम मदहला िी स्जसे तलाक के बाद पतत ने गुजारा भत्ता देने से माना कर ददया िा ।
सवोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 44 (समान नागररक संदहता ) के तहत शाहबानों को पतत के द्वारा गुर्टरा
भत्ता देने का तनदेश ददया गया ।
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9. सहमतत के मुद्दे
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ववमभन्नदलोंमेंबढ़्तीसहमततके
मुद्दे
नई आर्थिक नीतत पर सहमतत ।
वपछड़ी जततयों के राजनीततक और सामाप्जक दावों की स्वीकत तत ।
क्षेत्रीय दलों की भूममका एवं साझेदारी को स्वीकत तत ।
ववचारधारा की जगह कायिमसद्र्ध पर ज़ोर ।